The Cabinet Committee on Economic Affairs chaired by Prime Minister Shri Narendra Modi has approvedContinuation and Revamping of the Scheme for Financial Support to Public Private Partnerships (PPPs) in Infrastructure Viability Gap Funding (VGF) Schemetill 2024-25 with a total outlay of Rs. 8,100 cr.

The revamped Scheme is mainly related to introduction of following two sub-schemes for mainstreaming private participation in social infrastructure:

a.   Sub scheme -1

This would cater to Social Sectors such as Waste Water Treatment, Water Supply, Solid Waste Management, Health and Education sectors etc. These projects face bankability issues and poor revenue streams to cater fully to capital costs. The projects eligible under this category should have at least 100% Operational Cost recovery. The Central Government will provide maximum of 30% of Total Project Cost (TPC) of the project as VGF and State Government/Sponsoring Central Ministry/Statutory Entity may provide additional support up to 30% of TPC.

b.   Sub scheme -2

This Sub scheme will support demonstration/pilot social sectors projects. The projects may be from Health and Education sectors where there is at least 50% Operational Cost recovery. In such projects, the Central Government and the State Governments together will provide up to 80% of capital expenditure and upto 50% of Operation & Maintenance (O&M) costs for the first five years. The Central Government will provide a maximum of 40% of the TPC of the Project. In addition, it may provide a maximum of 25% of Operational Costs of the project in first five years of commercial operations.

Since the inception of the scheme, 64 projects have been accorded 'final approval' with Total Project Cost of Rs. 34,228 crore and VGF of Rs. 5,639 crore. Till the end of Financial Year 2019-20, VGF of Rs. 4,375 crore has been disbursed.

Benefits:

The aim of the scheme is to promote PPPs in social and Economic Infrastructure leading to efficient creation of assets and ensuring their proper Operation and Maintenance and make the economically/socially essential projects commercially viable. The scheme would be beneficial to public at large as it would help in creation of the Infrastructure for the country.

Implementation Strategy:

The new Scheme will come into force within one month of the approval of Cabinet. Proposed amendments under the revamped VGF scheme would be suitably incorporated in the Guidelines for the Scheme. All steps will be taken up for the promotion of the revamped VGF and in monitoring of the supported projects.

Impact:

Revamping of the proposed VGF Scheme will attract more PPP projects and facilitate the private investment in the social sectors (Health, Education, Waste Water, Solid Waste Management, Water Supply etc.). Creation of new hospitals, schools will create many opportunities to boost employment generation.

Expenditure Involved:

The revamped Scheme will be financed from budgetary support of Ministry of Finance. The projected outlay of the revamped VGF scheme till the Financial Year 2024-2025 is as under:

 

Financial Year

 

Scheme for Financial Support to        PPPs       in       Economic Infrastructure

(Rs. crore)

 

Scheme for Financial Support to PPPs in Social Infrastructure

(Rs. crore)

2020-21

 

1,000

 

400

 

2021-22

 

1,100

 

400

 

2022-23

 

1,200

 

400

 

2023-24

 

1,300

 

400

 

2024-25

 

1,400

 

500

 

Total

 

6,000

 

2,100

 

 

Background:

The Department of Economic Affairs, Ministry of Finance introduced "the Scheme for Financial Support to PPPs in Infrastructure" (Viability Gap Funding Scheme) in 2006 with a view to support infrastructure projects undertaken through PPP mode that are economically justified but commercially unviable due to large capital investment requirements, long gestation periods and the inability to increase user charges to commercial levels, hi this existing Scheme, VGF up to 40%of the Total Project Cost (TPC) is provided by the Government, of India (Gol) and the sponsoring authority in the form of capital grant at the stage of project construction (20%+20%

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Text of PM's interaction with beneficiaries and speech while distribution of property cards under SVAMITVA Scheme
January 18, 2025
We launched the SVAMITVA Yojana to map houses and lands in every village using drones, ensuring villagers receive property papers: PM
Today our government is trying with full sincerity to implement Gram Swaraj on the ground: PM
With the Svamitva Yojna, the planning and implementation of village development is now improving a lot: PM
Women power has a huge role in building Viksit Bharat, in the last decade we have placed the empowerment of mothers and daughters at the centre of every major scheme: PM

कार्यक्रम संयोजक- इस गौरवशाली अवसर पर चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के स्वामित्व के लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारकों के साथ परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी के संवाद कार्यक्रम की शुरुआत के लिए मैं सर्वप्रथम मध्य प्रदेश के सिहोर ज़िले के लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारक मनोहर मेवाड़ा जी को आमंत्रित करता हूँ।

मनोहर मेवाड़ा – नमस्कार सर।

प्रधानमंत्री- नमस्कार मनोहर जी, नमस्कार ।

मनोहर मेवाड़ा – नमस्कार सर। मेरा नाम मनोहर मेवाड़ा है।

प्रधानमंत्री - आप कैसे हैं,

मनोहर मेवाड़ा – बहुत अच्छे हैं सर।

प्रधानमंत्री – अच्छा परिवार में कौन कौन है।

मनोहर मेवाड़ा – मेरे परिवार मैं मैं हूं, मेरी पत्नी है और दो बेटे हैं। मेरे एक बेटे का शादी हो गई है, उसकी बहु भी है और मेरा पोता भी है।

प्रधानमंत्री - मनोहर जी, मुझे बताया गया है कि आपने प्रॉपर्टी के पेपर पर लोन लिया है। इस लोन से कितनी मदद मिली आपको? इससे आपके जीवन में क्या बदलाव आया है? देश भर के लोग सुन रहे हैं आपको, तो मनोहर जी आपका अनुभव बताइये।

मनोहर मेवाड़ा- मेरे को स्वामित्व योजना का पट्टा मिला सर मेरे को। मैं भी खुश हूं, मेरा परिवार भी खुश है, मैं आपको प्रणाम करता हूं, धन्यवाद देता हूं, धन्यवाद देता हूं मैं आपको।

प्रधानमंत्री – आपका भी बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं जानना चाहूंगा मनोहर जी, जरा डिटेल में बताइये क्या-क्या हुआ?

मनोहर मेवाड़ा- डिटेल में सर मतलब मेरे को पट्टा मिला था, पट्टे पर लोन लिया था सर मैंने, सर लोन लिया था डेयरी फार्म के लिए, मैंने दस लाख का लोन लिया है।

प्रधानमंत्री –दस लाख।

मनोहर मेवाड़ा - हां दस लाख का लोन लिया है सर मैंने।

प्रधानमंत्री – फिर क्या किया उसका?

मनोहर मेवाड़ा - साहब मैंने डेयरी फार्म खोला हुआ है। मैं डेयरी फार्म में मतलब मैं भी करता हूं, मेरे बच्चे भी करते हैं और उसकी वजह से मैं खेतीबाडी का भी काम करता हूं और डेयरी फार्म को भी देखता हूं।

प्रधानमंत्री - कितने पशु हैं आपके पास?

मनोहर मेवाड़ा - पांच गाय है साहब और एक भैस है उसमें छह मवेशी है मेरे पास में। उसका ही बिजनेस चलता है मेरा। उसमें काफी प्रॉफिट होता है मेरे को।

प्रधानमंत्री - अच्छा पहले लोन मिलने का कोई कारण नहीं था अभी मकान का आपके पास पर्चा होने के कारण आपको लोन मिला।

मनोहर मेवाड़ा - साहब पहले मैं क्या है, मेरे को मेरे पास कागज नहीं थे मकान के, तो मेरे को लोन लेने में सहूलियत नहीं थी। आज मेरे पास में मतलब मकान के कागज है तो मेरे को आज लोन लेने में फायदा होता है, क्योंकि किसी बैंक पर जाता हूं, तो मेरे को लोन मिल जाता है।

प्रधानमंत्री - अच्छा ऐसा तो नहीं होगा ना कि अब लोन भी खर्चा हो जाए और कर्जदार बन जाए बच्चे, ऐसा तो नहीं होगा ना।

मनोहर मेवाड़ा- नहीं बच्चे ऐसे नहीं है साहब अपने मतलब क्योंकि मैं जो चल रही है वही मेरे बच्चे चलते हैं।

प्रधानमंत्री - नहीं तो आप अच्छी कमाई हो रही है।

मनोहर मेवाड़ा - साहब अच्छी कमाई हो रही है मतलब।

प्रधानमंत्री - लोन वापस कर रहे हैं,

मनोहर मेवाड़ा - जी

प्रधानमंत्री - लोन भी वापस करते होंगे।

मनोहर मेवाड़ा - नहीं साहब मतलब 16000 का आसपास की मेरी किस्त आती है, तो मैं मतलब क्या है कि 30 हजार की मेरी आमदनी है महीना की तो उसमें मैं किस्त भी चढ़ा देता हूं और बाकी का मेरा घर का खर्चा भी चला लेता हूं उसमें।

प्रधानमंत्री- चलिए मनोहर जी बहुत अच्छा लगा, आपके केंद्र सरकार की योजना से आपके जीवन की मुश्किलें कम हुईं, यह मेरे लिए बहुत ही सुखद है और यह देखकर बहुत अच्छा लगा कि स्वामित्व योजना के माध्यम से आप जैसे लाखों परिवारों की आमदनी भी बढ़ रही है।

मनोहर मेवाड़ा - जी सर।

प्रधानमंत्री - हमारी सरकार की प्राथमिकता है कि देश के हर नागरिक का सर गर्व से ऊंचा रहे, उसके जीवन में सुगमता आए, स्वामित्व योजना इसी सोच का विस्तार है। मनोहर जी आपको बहुत-बहुत बधाई और गांव में भी बताइए सबको कि सब अपना कार्ड बनवा दे और उससे आगे लोन भी लें, कोई न कोई कारोबार करें, यह जरूर बताइए सबको, चलिए बहुत-बहुत धन्यवाद आपका मनोहर जी।

मनोहर मेवाड़ा - मेरी तरफ से भी साहब मेरे परिवार की तरफ से भी आपको बहुत- बहुत धन्यवाद, नमस्कार सर।

प्रधानमंत्री – थैंक यू।

कार्यक्रम संयोजक- अब राजस्थान के श्री गंगानगर जिले की स्वामित्व की लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्रीमती रचना जी संवाद के लिए जुड़ रही हैं।

रचना - माननीय प्रधानमंत्री जी मेरी नमस्कार।

प्रधानमंत्री- नमस्कार रचना जी नमस्कार। रचना जी बताइए आप क्या काम करती हैं, परिवार में कौन कौन है, इस स्वामित्व योजना से कैसे संपर्क आया।

रचना - सर मेरे परिवार में मेरे पति हैं नरेश कुमार बिश्नोई और मेरे एक बेटा है सर और एक बेटी है।

प्रधानमंत्री - और इस योजना के संबंध में बताइए।

रचना- सर मेरे पास 20 सालों से रह रही हूं मैं मकान है मेरा छोटा सा उसका कोई दस्तावेज नहीं था और अब भी मेरे को स्वामित्व योजना में यह कार्ड मिला तो सर मैंने 7 लाख 45 हजार का लोन उठाया है और मैंने दुकान भी करी है, दुकान में सामान भी डाला और मेरे बच्चों का उच्च शिक्षा का सपना पूरा किया है मैंने।

प्रधानमंत्री- तो आपको पहले कार्ड आपके पास कोई प्रॉपर्टी की कोई जानकारी नहीं थी कुछ नहीं था आपके पास।

रचना- नहीं सर मेरे पास कुछ नहीं था।

प्रधानमंत्री- तो फिर परेशानी भी आती होगी लोग भी परेशान।

रचना - बहुत ज्यादा परेशान थी सर, यह मेरे को स्वामित्व योजना का कार्ड मिला सर, मैं और मेरा परिवार बहुत खुश हैं।

प्रधानमंत्री- अच्छा कभी आपने सोचा था कि 20 साल जब हो गए आपके पास कुछ था ही नहीं तो आपने तो आशा छोड़ दी होगी, आपने कभी सोचा था ऐसा कभी होगा।

रचना - सर मैंने कभी नहीं सोचा था ये कभी होगा क्या, 20 सालों से रह रही हूं सर उसी मकान में।

प्रधानमंत्री - अच्छा आपको स्वामित्व योजना से और क्या क्या लाभ हुआ आप बता सकती हैं।

रचना - जी सर बताऊंगी, इससे मेरे को एक तो एसबीएम योजना मिली है और सर मैंने मुद्रा लोन भी उठाया है 8 लाख रुपये और मैं राजीवका में जुड़ी हुई हूं और मेरे परिवार का आयुष्मान कार्ड भी बना हुआ है सर।

प्रधानमंत्री- कारोबार चल रहा है ठीक से।

रचना- बिल्कुल सही चल रहा है सर, मनरेगा में काम भी करती हूं।

प्रधानमंत्री- तो आप 15 लाख रुपये का लोन भी लिया है, दुकान भी चलाती हो, मनरेगा भी करती हो, पति देव भी कुछ करते होंगे।

रचना- सर करते हैं ड्राइवरी ही करते हैं वो।

प्रधानमंत्री - अच्छा मुझे बताया गया कि आपकी बेटी विदेश पढ़ना जाना चाहती है आप इसका श्रेय स्वामित्व योजना को देंगी क्या?

रचना - सर इसको विदेश भेजना चाहती हूं मैं, यह जाना चाहती है।

प्रधानमंत्री - जरा बताइए जरा मुझे बताइए

रचना - अभी AILET कर रही है साथ में है मेरे बच्ची मेरी।

प्रधानमंत्री - और कहां भेजना चाहते हैं।

रचना - ऑस्ट्रेलिया।

प्रधानमंत्री - ऑस्ट्रेलिया, तो स्वामित्व योजना का कारण यह संभव होगा आपको।

रचना - जी सर।

प्रधानमंत्री- चलिए रचना जी मेरी ईश्वर से प्रार्थना है कि आपका और आपकी बेटी का यह सपना बहुत जल्द पूरा हो। ये बहुत ही प्रसन्नता की बात है कि स्वामित्व योजना सिर्फ आवश्यकता ही पूरा नहीं कर रही है बल्कि इससे हमारे नागरिकों के आकांक्षाओं के पंख को भी ताकत मिल रही है। सच्चे अर्थ में किसी भी योजना की सार्थकता यही है कि लोग उससे जुड़े और सशक्त हो। रचना जी आप कुछ कहना चाहती थी बीच में।

रचना - सर मैं कहना चाहती हूं आप जैसे नेता हो सर तो एक गरीब कल्याण जो योजना चला रखी सर आपका आपको मेरे और मेरे परिवार की तरफ से तहे दिल से धन्यवाद करती हूं सर।

प्रधानमंत्री - बहुत-बहुत धन्यवाद, गांव के सब जितने भी लोग दिख रहे हैं मुझे, उनको भी मेरा नमस्कार कह दीजिएगा। चलिए आइए देखिये अब कौन हमसे जुड़ रहा है।

कार्यक्रम संयोजक- अब महाराष्ट्र के नागपुर जिले के स्वामित्व के लाभार्थी प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्री रोशन सांभा जी पाटिल संवाद के लिए जुड़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री - रोशन जी नमस्कार।

रोशन - नमस्ते सर।

प्रधानमंत्री - रोशन जी बोला।

रोशन - हां सर, सर संतो और महापुरुषों के महाराष्ट्र से और पावन दीक्षा भूमि नागपुर से मैं रोशन पाटिल आपको नमस्ते करता हूं सर।

प्रधानमंत्री - नमस्कार।

रोशन - नमस्कार सर।

प्रधानमंत्री- आपके बेटे का नाम क्या है?

रोशन पाटील - सर, मेरे बेटे का नाम शरविल है, आज उसका जन्मदिन भी है|

प्रधानमंत्री- आज उनका जन्मदिन है...

रोशन पाटिल - हाँ सर, उसका जन्मदिन है…

प्रधानमंत्री- मेरा आशीर्वाद दीजिए|

रोशन पाटिल- आपका आशीर्वाद उसके साथ है|

प्रधानमंत्री- अच्छा रोशन जी आप क्या करते हैं और परिवार में कितने लोग हैं।

रोशन- सर मैं एक किसान हूं सर खेती भी करता हूं और साथ-साथ में एक प्राइवेट जॉब भी करता हूं सर। मेरे परिवार में टोटल छह लोग है मेरी पत्नी है, मेरे मम्मी पापा है, मेरे दो भाई है, और अभी मेरा छोटा बेटा है सर।

प्रधानमंत्री- तो यह स्वामित्व योजना का कार्ड मालमट्टा पत्रक यह सारी गतिविधि का आपको संबंध कैसे आया कैसे मिला और इससे क्या आगे फायदा हुआ।

रोशन- सर मुझे स्वामित्व कार्ड जब से मिला तब मैं उस पर लोन ले पाया। पहले सर लोन नहीं मिलता था मेरे घर में मतलब बड़ा घर है पुराना बड़ा घर है गांव में तो प्रॉपर्टी कार्ड होने से मुझे लोन मिल पाया सर। मैंने बैंक से 9 लाख रुपयों का लोन लिया और उस पैसों से कुछ पैसों से घर बनवाया है सर और कुछ पैसों से खेती में सिंचाई का साधन किया, उससे सर मेरा फसल बढ़ गया और आमदनी भी बढ़ गई, दो तीन पहले एक ही फसल होती थी अभी तो सर तीन फसल होती है और मेरा आमदनी भी बढ़ गया और अच्छा खासा मतलब प्रॉफिट भी हो जाता है सर खेती से।

प्रधानमंत्री - अच्छा लोन लेने में जब आपके पास इतने मजबूत दस्तावेज थे, कागजात थे, तो बैंक से लोन लेने में कोई दिक्कत आती है फिर यह लाओ, वो लाओ, ढिकना लाओ, फलाना लाओ, ऐसा होता है क्या?

रोशन - जी सर पहले दिक्कत तो बहुत आती थी सर डॉक्यूमेंट मतलब यह लाओ वो लाओ बैंक वाले तो बहुत एक एक कागज के लिए दौड़ाते थे। लेकिन जब से स्वामित्व कार्ड मिला है सर तब से कोई डॉक्यूमेंट की जरूरत ही नहीं है, स्वामी कार्ड अकेला ही काफी है सबके लिए।

प्रधानमंत्री – तुमको भरोसा होता है।

रोशन - इसके लिए मैं आपका बहुत बड़ा आभारी हूं सर।

प्रधानमंत्री - बैंक वालो को पूरा भरोसा होता है।

रोशन - जी सर, बैंक वालों को बहुत इस पर भरोसा है और उस पर आसानी से लोन भी मिल जाता है।

प्रधानमंत्री - लेकिन अब आपने तो मकान बना दिया तो लोन वापस कैसे करेंगे।

रोशन - जी सर मैं खेती में सब्जी उगाता हूं उससे भी प्रॉफिट होता है। बाकी दो तीन तीन फसल होती है उससे भी प्रॉफिट होता है, सिंचाई का साधन होने की वजह से और भी फसल निकलती है सर अच्छे से, इसलिए ज्यादा मुनाफा हो रहा है तो आसानी से वापस कर सकता हूं सर लोन।

प्रधानमंत्री - अच्छा रोशन जी आपको केंद्र सरकार की और कौन- कौन सी योजनाओं का फायदा मिला है।

रोशन - जी सर, मुझे केंद्र केंद्र सरकार की उज्ज्वला गैस योजना का फायदा मिल रहा है, पीएम सम्मान निधि योजना का फायदा मिल रहा है, पीएम पिक विमा योजना का फायदा मिल रहा है, ऐसे आदि योजनाओ का फायदा मिल रहा है सर मुझे।

प्रधानमंत्री - चलिए रोशन जी यह खुशी की बात है कि स्वामित्व योजना से लोगों की इतनी सारे प्रकार की मदद हो रही है। जब स्वामित्व योजना लाए, हाँ कुछ कह रहे थे रोशन।

रोशन- जी सर स्वामित्व योजना की वजह से लोगों का बहुत बड़ा फायदा हो रहा है सर। हमारे गांव में किसी किसी ने तो दुकान पर दुकान डालने के लिए लोन लिया है। पहले तो मतलब कुछ नहीं कर सकते थे सर, खेती के भरोसे लोन भी नहीं मिलता था, घर के भरोसे भी लोन नहीं मिलता था, लेकिन स्वामित्व कार्ड आने की वजह से सबको आसानी से लोन मिल रहा है, इसकी वजह से लोग अपना अपना छोटा मोटा बिजनेस कर रहे हैं और खेती भी कर रहे हैं इसलिए उनकी इनकम डबल हो गई है सर और आसानी से अपना घर घर बाल बच्चे सब पाल रहे हैं और आसानी से खुशहाली से जीवन जी रहे हैं सर अभी।

प्रधानमंत्री - चलिए रोशन जी आपने अपने गांव के भी और लोग लाभ ले रहे हैं इसका वर्णन किया और मैं भी चाहूंगा गांव के सब लोग इन व्यवस्थाओं का फायदा उठाएं और आपने तो घर भी बनाया, खेती में भी सुधार किया और आपकी इनकम भी डबल हो गई और जब घर बन जाता है पक्की छत होती है तो रुतबा भी जरा गांव में बढ़ जाता है तो आपका भी।

रोशन - हाँ सर इसका सारा श्रेय आपको जाता है सर, आपको बहुत बड़ा धन्यवाद देना चाहता हूं सर मैं।

प्रधानमंत्री - चलिए आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाए हैं, जी सर, नागपुर वालों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाए सबको।

रोशन - थैंक यू सर थैंक यू धन्यवाद सर।

प्रधानमंत्री - अब कौन है।

कार्यक्रम संयोजक- अब उड़ीसा के रायगढ़ा जिले की एक अन्य लाभार्थी स्वामित्व प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्रीमती गजेंद्र संगीता जी के साथ परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी संवाद करेंगे।

संगीता - माननीय प्रधानमंत्री जी को मेरा प्रणाम।

प्रधानमंत्री - संगीता जी नमस्कार।

संगीता – नमस्कार।

प्रधानमंत्री - संगीता जी बताइए आप क्या काम करती हैं।

संगीता - जी मेरा सिलाई का काम है, मैं टेलरिंग करती हूं।

प्रधानमंत्री - हाँ और परिवार में कितने लोगों का दायित्व है क्या है।

संगीता - मेरे परिवार में चार लोग रहते हैं दो बच्चे और मेरे पति। एक बच्ची पढ़ाई कर रही है एमकॉम फाइनल ईयर है, दूसरा बेटा आंध्र प्रदेश में नौकरी कर रहा है कडपा में, और मेरे पति भी प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री – अच्छा, संगीता जी ये घर के प्रॉपर्टी राइट्स मिलना ये कागज मिलना ऐसा तो नहीं चलो भई सरकारी कागज आते एक और कागज आ गया क्या आपकी जिंदगी में इसका बहुत बड़ा बदलाव आया क्या?

संगीता - जी सर बहुत बड़ा बदलाव आया है। पहले कोई कागज नहीं था पक्का कागज नहीं था सर जो पक्का कागज मिला था हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ा कि हम गांव में रह रहे हैं और इससे हमको बहुत अच्छा भी लगा रहा है।

प्रधानमंत्री - क्या किया आपने अब कागजात मिल गए तो।

संगीता - जी कागज तो अभी अभी हमे मिला है। प्रधानमंत्री आवास योजना में अप्लाई किया है पर नहीं हुआ। मैं छोटा मोटा काम भी कर लेती हूं घर में।

प्रधानमंत्री - अभी आपने कोई लोन वगैरह लिया क्या बैंक से।

संगीता - जी सर अभी तक तो नहीं लिया अब लेने की सोच रहे हैं।

प्रधानमंत्री - लेकिन क्या आपने बैंक से संपर्क किया है, क्या आप लोन लेना चाहती हैं?

संगीता - जी सर, अभी लोन लेने की सोच रहे हैं।

प्रधानमंत्री - तो क्या करेंगे लोन का?

संगीता - लोन लेके आगे मेरा व्यवसाय थोड़ा बढ़ाना चाहती हूं, वो जो टेलरिंग का व्यवसाय है ना सर, उसको थोड़ा बढ़ाना चाहती हूं।

प्रधानमंत्री - तो अपना कारोबार में ध्यान ज्यादा जाएगा।

संगीता - जी मेरे बच्चों की भी पढ़ाई में कुछ काम आ सकता है कुछ पैसे बचेगा तो।

प्रधानमंत्री - चलिए संगीता जी आप अपने काम का अपने घर का विस्तार करें, इसके लिए अभी से आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। स्वामित्व योजना के माध्यम से आपकी बड़ी चिंता खत्म हो गई है। आपको अपने घर का कागज मिल गया है और आप तो सेल्फ हेल्प ग्रुप की सदस्य भी हैं। क्या कह रही थी संगीता जी, संगीता जी आप कुछ कह रही थीं।

संगीता - जी 60 साल हो गया था। हमारा कोई पक्का कागज नहीं था सर, अभी मिला अभी स्वामित्व योजना से, आपकी बहुत-बहुत आभारी हूं सर।

प्रधानमंत्री - चलिए आप सबके आशीर्वाद ही मेरी बड़ी ताकत है। देखिए आप तो सेल्फ हेल्प ग्रुप में भी काम करती हैं और महिला एसएचजी को भी हमारी सरकार लगातार मदद कर रही है। देखिएगा स्वामित्व योजना पूरे गांव का कायाकल्प करने वाली है। चलिए हमें और लोग भी इंतजार कर रहे हैं अब कौन बाकी है भाई किस तरफ जाना है।

कार्यक्रम संयोजक- जम्मू कश्मीर। अब जम्मू और कश्मीर के सांबा जिले के एक अन्य स्वामित्व लाभार्थी और प्रॉपर्टी कार्ड धारक श्री वीरेंद्र कुमार जी के साथ परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी संवाद करेंगे।

प्रधानमंत्री - वीरेंद्र जी नमस्ते।

वीरेंद्र - जी नमस्कार।

प्रधानमंत्री - वीरेंद्र जी जरा बताइए अपने बारे में बताइए।

वीरेंद्र - प्रधानमंत्री जी मैं एक किसान हूं और जो मुझे प्रॉपर्टी कार्ड मिला मैं और मेरा परिवार बहुत खुश है। हम कई पीढ़ियों से इस जमीन पर रह रहे थे अब इसके कागजात मिलने से दिल को गर्व सा महसूस हो रहा है। प्रधानमंत्री जी इसलिए मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं।

प्रधानमंत्री - अच्छा पहले कोई कार्ड कागजात नहीं थे और गांव वालों के और लोगों के पास भी नहीं होंगे।

वीरेंद्र - सर हमारे गांव के किसी भी लोगों के पास कोई भी कागजात नहीं थे। कई पीढ़ियों से 100 साल से भी ज्यादा इस गांव में रह रहे थे कोई भी कागजात दस्तावेज नहीं थे। अब स्वामित्व योजना के तहत जो कागजात मिले हैं, इससे गांव में सभी लोग खुश हैं।

प्रधानमंत्री - अच्छा प्रॉपर्टी कार्ड मिला है, इससे आप आपके जीवन में क्या फर्क पड़ा?

वीरेंद्र - जो मेरे को प्रोपर्टी कार्ड मिला है इससे मेरे एक जमीन का विवाद था, यह प्रोपर्टी कार्ड आने से वजह से वो मेरे एक जमीन का विवाद भी वो खत्म हो चुका है, अब इस प्रोपर्टी कार्ड की वजह से मैं बैंक से लोन अपनी जमीन गिरवी रखकर ले सकता हूं और अपने घर की मरम्मत और परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सकती है।

प्रधानमंत्री - अच्छा आपके गांव में स्वामित्व योजना की वजह से औरों ने भी कोई लाभ लिया है क्या वहां भी कोई बदलाव आया है क्या।

वीरेंद्र- हां सर बिल्कुल बदलाव आया प्रधानमंत्री जी। हमारे गांव में स्वामित्व योजना के तहत जो भी प्रोपर्टी कार्ड मिले हैं, अब हर गांव के लोगों को अपना मालिकाना हक जो है वह बिल्कुल साफ-साफ तय हो गया है। जैसे कि जमीन और संपत्ति से जुड़े जितने भी झगड़े थे वो काफी हद तक तय हो गए हैं, इसलिए गाँववासियों के लोग जो हैं, वह अपनी जमीन संपत्ति बैंक में गिर भी रखकर लोन भी ले सकते हैं और कई प्रकार की अन्य प्रकार की योजनाएं भी अपना रहे हैं, इसलिए गांववासी की तरफ से मैं आपका तहे दिल से धन्यवाद करता हूं।

प्रधानमंत्री – वीरेंद्र जी आप सबसे बात करके अच्छा लगा खुशी है। जी सर, और मेरे लिए बहुत खुशी की बात है कि स्वामित्व योजना से मिले कार्ड को सिर्फ घर का कागज मानकर नहीं बैठ गए हैं, इसे आप अपनी प्रगति का रास्ता भी बना रहे हैं। मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। ठंड का मौसम है, स्वास्थ्य संभालिए सब जम्मू कश्मीर के लोग, बहुत-बहुत बधाई आपको।

वीरेंद्र - सर धन्यवाद आपका।

कार्यक्रम संयोजक- अब मैं परम आदरणीय प्रधानमंत्री जी से उनके संबोधन के लिए विनम्र अनुरोध करना चाहूंगा।

नमस्कार!

आज का दिन, देश के गांवों के लिए, देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बहुत ही ऐतिहासिक है। इस कार्यक्रम से कई राज्यों के माननीय राज्यपाल जुड़े हैं। ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, यूपी, महाराष्ट्र और गुजरात के मुख्यमंत्री जी भी हमारे साथ जुड़े हैं। जम्मू कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर, लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर वो भी हमारे साथ हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी, देश के अलग अलग कोने में, अलग- अलग कार्यकर्मों में मौजूद हैं। राज्य सरकारों के मंत्रीगण भी हैं, सांसद हैं और विधायकगण भी हैं, अन्य सभी जनप्रतिनिधि भी मौजूद हैं।

हज़ारों ग्राम पंचायतों से जुड़े सभी साथी, स्वामित्व योजना के लाखों लाभार्थीगण, यह अपने आप में इतना व्यापक और विराट कार्यक्रम है और आप इसमें बड़े उत्साह के साथ आप सब जुड़े हैं, मैं आप सभी का बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

पांच साल पहले स्वामित्व योजना शुरु की गई थी, ताकि गांव में रहने वालों को उनके घर का कानूनी प्रमाण दिया जा सके। कहीं इनको घरौनी कहते हैं, कहीं अधिकार अभिलेख कहते हैं, कहीं प्रॉपर्टी कार्ड कहते हैं, कहीं मालमट्टा पत्रक कहते हैं, कहीं आवासीय भूमि पट्टा कहते हैं।अलग-अलग राज्यों में नाम अलग-अलग हैं, लेकिन ये स्वामित्व के प्रमाण पत्र ही हैं। बीते 5 साल में, लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को ये स्वामित्व कार्ड दिए गए हैं। अब आज इस कार्यक्रम में 65 लाख से ज्यादा परिवारों को ये स्वामित्व कार्ड मिले हैं। यानि स्वामित्व योजना के तहत गांव के करीब सवा 2 करोड़ लोगों को अपने घर का पक्का कानूनी डॉक्यूमेंट मिला है। मैं इन सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं। और आज के इस कार्यक्रम के कारण ये जिनके पास अब यह जमीन से जुड़े अपने सरकारी पत्र आ गए हैं तो वह कैसे इसका लाभ ले सकते हैं, अभी मेरी बातचीत हुई उसमें से जरूर आपको आइडियाज मिलेंगे।

साथियों,

21वीं सदी की दुनिया में, क्लाइमेट चेंज, पानी की कमी, स्वास्थ्य का संकट, महामारी ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं। लेकिन विश्व के सामने एक और बहुत बड़ी चुनौती रही है। ये चुनौती है- प्रॉपर्टी राइट्स की, संपत्ति के अधिकृत कागज की। कई साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया के अनेक अनेक देशों में भूसंपत्ति को लेकर एक स्टडी की थी। इस स्टडी में सामने आया कि दुनिया के अनेक देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के पक्के कानूनी दस्तावेज़ है ही नहीं। संयुक्त राष्ट्र ने साफ कहा कि अगर गरीबी कम करनी है, तो इसके लिए लोगों के पास, प्रॉपर्टी राइट्स होना बहुत ज़रूरी है। दुनिया के एक बड़े अर्थशास्त्री ने economist ने उन्होंने तो प्रॉपर्टी राइट्स की चुनौती पर एक किताब पूरी लिखी है। और इस किताब में वो कहते हैं कि गांवों में लोगों के पास जो थोड़ी-बहुत संपत्ति होती है, वो dead capital होती है। यानि ये प्रॉपर्टी, एक प्रकार से मृत संपत्ति होती है। क्योंकि गांव वाले, गरीब लोग, उस संपत्ति के बदले में कोई लेनदेन नहीं कर सकते। ये परिवार की इनकम बढ़ाने में मदद नहीं कर सकती।

साथियों,

दुनिया के सामने मौजूद इस बड़ी चुनौती से भारत भी अछूता नहीं था। हमारा भी हाल वैसा ही था। आप भी जानते हैं कि भारत के गांवों में लोगों के पास लाखों-लाख करोड़ रुपए की संपत्ति होने के बावजूद भी उसकी उतनी कीमत नहीं थी। वजह ये क्योंकि लोगों के पास अक्सर घरों के कानूनी दस्तावेज़ होते नहीं थे, इसलिए घर की मिल्कियत को लेकर भी विवाद होते रहते थे। कई जगहों पर तो दबंग लोग घरों पर ही कब्जा कर लेते थे। बिना कानूनी दस्तावेज़ के बैंक भी ऐसी संपत्ति से चार कदम दूर ही रहते थे। दशकों दशक से ऐसा ही चल रहा था। अच्छा होता पहले की सरकारों ने इस दिशा में कुछ ठोस कदम उठाए होते, लेकिन उन्होंने इस दिशा में खास कुछ किया नहीं। इसलिए 2014 में जब हमारी सरकार बनी, तो हमने प्रॉपर्टी के कागज की इस चुनौती से निपटने की ठानी, कोई भी संवेदनशील सरकार, अपने गांव के लोगों को इस तरह परेशानी में नहीं छोड़ सकती थी। और हम तो सबका विकास चाहते हैं, सबका विश्वास भी चाहते हैं अभी हमारे मंत्री जी राजीव रंजन जी ने बड़े अच्छे ढंग से बताया। इसलिए हमने स्वामित्व योजना शुरू की। हमने तय किया कि ड्रोन की मदद से देश के गांव-गांव में घरों की जमीनों की मैपिंग कराई जाएगी, गांव के लोगों को उनकी आवासीय संपत्ति के कागज दिए जाएंगे। आज हम इस योजना का लाभ मिलते जब देख रहे हैं। तो मन को एक संतोष मिलता है कि चलो गांव का गरीबों का हम काम कर पाएं। मैं अभी स्वामित्व योजना के लाभार्थियों से बात कर रहा था। इस योजना ने कैसे उनका जीवन बदल दिया है, कैसे अब उनकी संपत्ति पर उन्हें बैंकों से मदद मिलने लगी है। संपत्ति तो थी आप रहते भी थे कागज नहीं था उस समस्या का समाधान सरकार को करना चाहिए था और इसलिए हमने काम उठाया और कर रहे हैं और उनकी उनकी बातों में मैं देख रहा था उनके चेहरे पर जो संतोष था जो खुशी थी, जो आत्मविश्वास था, कुछ नए करने के जो सपने थे, कितना आनंददायक ये संवाद लगा मुझे, इसको मैं बहुत-बड़ा आशीर्वाद मानता हूं।

भाइयों और बहनों,

हमारे देश में 6 लाख से अधिक गांव हैं। इनमें से करीब-करीब आधे गांवों में ड्रोन से सर्वे हो चुका है। कानूनी दस्तावेज़ मिलने के बाद लाखों लोगों ने अपने घर, अपनी संपत्ति के आधार पर बैंकों से लोन लिया है। इस पैसे से इन्होंने गांव में अपना छोटा-मोटा व्यापार शुरू किया है। इनमें से बहुत सारे छोटे और मझोले किसान परिवार हैं। इनके लिए ये प्रॉपर्टी कार्ड, आर्थिक सुरक्षा की बड़ी गारंटी बन चुके हैं। अवैध कब्ज़ों से, कोर्ट में लंबे विवादों से, हमारे दलित, पिछड़े और आदिवासी परिवार ही सबसे अधिक परेशान थे, उससे वही प्रभावित थे। अब कानूनी प्रमाण मिलने से, उनको इस संकट से मुक्ति मिल रही है। एक आकलन है कि सभी गांवों में प्रॉपर्टी कार्ड बनने के बाद 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की आर्थिक गतिविधि का रास्ता खुल जाएगा। आप कल्पना कर सकते हैं कितनी बड़ी पूंजी, देश की अर्थव्यवस्था में जुड़ने जा रही है।

साथियों,

आज हमारी सरकार पूरी ईमानदारी से ग्राम स्वराज को जमीन पर उतारने का प्रयास कर रही है। स्वामित्व योजना से गांव के विकास की प्लानिंग और उस पर अमल अब काफी बेहतर हो रहे हैं। आज हमारे पास स्पष्ट नक्शे होंगे, आबादी के इलाकों का हमें पता होगा, तो विकास के काम की प्लानिंग भी स्टीक होगी और गलत प्लानिंग के कारण जो बर्बादी होती थी, जो रुकावटें आती थीं, उससे भी मुक्ति मिलेगी। कौन सी जमीन पंचायत की है, कौन सी जमीन चारागाह है, ऐसे कई विवाद रहते हैं। अब प्रॉपर्टी राइट्स मिलने से ग्राम पंचायतों की मुश्किलें भी दूर होंगी, वो भी आर्थिक रूप से सशक्त हो पाएंगी। गांव में आग लगने की घटनाएं होती हैं, बाढ़ आती है, भू-स्खलन होते हैं, ऐसी अनेक आपदाएं आती हैं। प्रॉपर्टी कार्ड मिलने से डिजास्टर मैनेजमेंट बेहतर हो पाएगा, आपदा की स्थिति में उचित क्लेम मिलना आसान होगा।

साथियों,

हम ये भी जानते हैं कि जो किसानों की ज़मीन होती है, उसको लेकर भी कितने विवाद होते हैं। जमीन के डॉक्यूमेंट पाने में मुश्किलें आती हैं। बार-बार पटवारी के पास जाना पड़ता है, तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं। इससे भ्रष्टाचार के रास्ते भी खुलते हैं। ये परेशानियां कम हों, इसके लिए लैंड रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण किया जा रहा है। स्वामित्व और भू-आधार- ये दो व्यवस्थाएं गांवों के विकास का आधार बनने वाली हैं। भू-आधार के ज़रिए जमीन को भी एक खास पहचान दी गई है। करीब 23 करोड़ भू-आधार नंबर जारी किए जा चुके हैं। इससे आज आसानी से पता चल जाता है कि कौन सा प्लॉट किसका है। बीते 7-8 साल में ही करीब 98 परसेंट लैंड रिकॉर्ड्स का डिजिटलीकरण किया गया है। अधिकतर ज़मीनों के नक्शे अब डिजिटली उपलब्ध हैं।

साथियों,

महात्मा गांधी कहते थे- भारत गांव में बसता है, भारत की आत्मा गांव में है। पूज्य बापू के इस भाव को सही मायने में ज़मीन पर उतारने का काम बीते दशक में हुआ है। जिन ढाई करोड़ से अधिक परिवारों तक बीते 10 वर्ष में बिजली पहुंची, वे अधिकतर गांव के ही हैं। जिन 10 करोड़ से अधिक परिवारों तक बीते 10 वर्ष में शौचालय पहुंचे, वे भी ज्यादातर गांवों के ही हैं। जिन 10 करोड़ बहनों को उज्ज्वला का गैस कनेक्शन मिला, उनमें से अधिकांश बहनें गांव में ही रहती हैं। जिन 12 करोड़ से अधिक परिवारों तक पांच सालों में नल से जल पहुंचा है, वे भी गांव के ही हैं। जिन 50 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक में खाते खुले, वे भी ज्यादातर गांवों से ही हैं। बीते दशक में डेढ़ लाख से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर बने, वो भी ज्यादातर गांवों में ही, गांव के लोगों के स्वाथ्य की सेवा करते हैं। आज़ादी के इतने दशकों तक हमारे गांव, गांव के करोड़ों लोग, ऐसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित थे। हमारे दलित, पिछड़े, आदिवासी समाज के परिवार सबसे ज्यादा अभाव में थे। अब इन सारी सुविधाओं का सबसे अधिक लाभ भी इन्हीं परिवारों को ही हुआ है।

साथियों,

गांवों में अच्छी सड़कें हों, इसके लिए भी बीते दशक में अभूतपूर्व प्रयास किए गए हैं। साल 2000 में, जब अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब एक प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरु की थी। तब से लेकर आज तक करीब सवा 8 लाख किलोमीटर सड़कें गांवों में बनाई गई हैं। इतने सालों में सवा 8…. अब आप देखिए 10 साल में हमने पौने चार लाख किलोमीटर, यानि लगभग आधी सड़कें बीते 10 साल में ही बना दी हैं। अब हम सीमा पर स्थित दुर्गम गांवों तक कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम भी चला रहे हैं।

औऱ साथियों,

सड़क ही नहीं, गांव में इंटरनेट पहुंचाना भी हमारी प्राथमिकता रही है। साल 2014 से पहले देश की 100 से भी कम पंचायतें ब्रॉडबैंड फाइबर कनेक्शन से जुड़ी थीं। बीते 10 साल में हमने 2 लाख से ज्यादा पंचायतों को ब्रॉडबैंड फाइबर कनेक्शन से जोड़ा है। 2014 से पहले देश के गांवों में एक लाख से भी कम, कॉमन सर्विस सेंटर थे। बीते 10 साल में हमारी सरकार ने 5 लाख से ज्यादा नए कॉमन सर्विस सेंटर बनाए हैं। और ये सिर्फ आंकड़े नहीं है, इन आंकड़ों के साथ गांवों में सुविधाएं पहुंची हैं, आधुनिकता पहुंची है। पहले जिन सुविधाओं को लोग शहरों में देखते थे, अब वो गांवों में मिलने लगी है। इससे गांव में सुविधा ही नहीं, बल्कि आर्थिक सामर्थ्य भी बढ़ रहा है।

साथियों,

2025 की शुरुआत भी गांवों के लिए, किसानों के लिए बड़े फैसलों के साथ हुई है। सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को जारी रखने का फैसला किया है। इसके तहत अभी तक, करीब पौने 2 लाख करोड़ रुपए की क्लेम राशि किसानों को मिल चुकी है, बीमा का पैसा मिला है। एक और फैसला, DAP खाद को लेकर भी किया गया है, जिसके दाम दुनिया में काफी बढ़ गए हैं। सरकार ने फिर से हज़ारों करोड़ रुपए की व्यवस्था की है, ताकि किसानों को सस्ती खाद मिलती रहे। बीते दशक में किसानों को सस्ती खाद देने के लिए करीब 12 लाख करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। ये 2014 से पहले के दशक की तुलना में करीब दोगुनी राशि है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के, उसके तहत भी अभी तक करीब साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में पहुंच चुके हैं। ये किसान कल्याण के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दिखाता है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में नारीशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए बीते दशक में हमने माताओं-बेटियों के सशक्तिकरण को, हर बड़ी योजना के केंद्र में रखा है। बैंक सखी और बीमा सखी जैसी योजनाओं ने गांवों में महिलाओं को नए अवसर दिए हैं। लखपति दीदी योजना ने देश में सवा करोड़ से ज्यादा महिलाओं को लखपति दीदी बना दिया है। स्वामित्व योजना ने भी महिलाओं के प्रॉपर्टी राइट्स को और मजबूत किया है। कई राज्यों में प्रॉपर्टी कार्ड्स में पति के साथ-साथ पत्नियों के नाम भी शामिल किए हैं। कहीं पर पहला नाम पत्नी का है, तो कहीं पर दूसरा नाम है, लेकिन दोनों की भागीदारी से किया है। पीएम आवास योजना के तहत गरीबों को जो घर मिलते हैं, उनमें भी अधिकतर आवास, महिलाओं के नाम पर रजिस्टर किए गए हैं। और ये कितना सुखद संयोग है कि स्वामित्व योजना के ड्रोन भी आज महिलाओं को प्रॉपर्टी राइट्स देने में मदद कर रहे हैं। स्वामित्व योजना में मैपिंग का काम ड्रोन कर रहे हैं। वहीं नमो ड्रोन दीदी योजना से गांव की बहनें, ड्रोन पायलट बन रही हैं। वो ड्रोन से खेती में मदद कर रही हैं इससे उन्हें अतिरिक्त कमाई हो रही है।

साथियों,

स्वामित्व योजना के साथ हमारी सरकार ने गांव के लोगों को एक ऐसा सामर्थ्य दिया है, जो भारत के ग्रामीण जीवन का पूरी तरह कायाकल्प कर सकता है। हमारे गांव, हमारे गरीब, सशक्त होंगे, तो विकसित भारत का हमारा सफर भी सुहाना होगा। बीते दशक में जो भी कदम गांव और गरीब के हित में उठाए गए हैं, उसके कारण 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। मुझे पूरा विश्वास है कि स्वामित्व जैसी योजनाओं से, हम गांवों को विकास के मजबूत केंद्र बना पाएंगे। एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद !