Share
 
Comments

Since February this year, the NDA’s PM candidate has addressed multiple rallies across the Northeast. Shri Modi has spoken in several parts of Assam, Arunachal Pradesh, Manipur and Tripura. Speech after speech, Shri Modi presented a comprehensive vision for the overall development of the Northeast. His speeches ignited a ray of hope among the people of region, who are looking forward to an era of good governance and development under Shri Modi and NDA.
BJP is committed to the overall progress of the Northeast and its bright youngsters!
“Development is the only way ahead. We will carry forward the good work done by Atal ji for the Northeast. Need of the hour is effective water management in the Northeast. We need to harness solar & wind energy potential in the region.”
“पूर्वोत्तर के 8 राज्य अष्टलक्ष्मी के समान हैं। लक्ष्मीजी कमल पर विराजती हैं, इसलिये पूर्वोत्तर की जनता कमल को वोट दे”
“Assam must reject Congress, whose misgovernance has made Assam poor. It is responsible for Assam’s power crisis, violence, unemployment. Congress’ divisive nature is shown in the manner in which they divided Brahmaputra and Barak valleys.”
“Tea is the pride of Assam. We will create better opportunities and access to education for children of those working in tea gardens.”
“Despite pressure from China, people of Arunachal Pradesh have stood firm and the clarion call of Jai Hind reverberates from this land. 3Hs- Herbal, Horticulture and Handicrafts can give opportunities to youngsters. Tourism can do wonders here.”
“From drug trafficking, corruption to fake encounters, Congress has ignored the development in Manipur despite being in power for years.”
“Nation has seen all types of Governments headed by different parties but the work done by Atal ji’s Government stands out. People of Tripura should bless NDA”
“There is no place for infiltrators from Bangladesh who have come to further votebank politics agenda of others. They should be sent back. At the same time, not Assam alone but all states must accommodate Hindus coming from Bangladesh and offer them a life with dignity.”
Other News:

Explore More
No ifs and buts in anybody's mind about India’s capabilities: PM Modi on 77th Independence Day at Red Fort

Popular Speeches

No ifs and buts in anybody's mind about India’s capabilities: PM Modi on 77th Independence Day at Red Fort
India's Dedicated Freight Corridor Nears the Finish Line. Why It’s a Game-Changer

Media Coverage

India's Dedicated Freight Corridor Nears the Finish Line. Why It’s a Game-Changer
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM’s Interaction with ground level functionaries of G20 Summit
September 22, 2023
Share
 
Comments
“Today’s event is about the unity of labourers (Mazdoor Ekta) and both you and I are Mazdoor”
“Working collectively in the field removes silos and creates a team”
“There is strength in the collective spirit”
“A well organized event has far-reaching benefits. CWG infused a sense of despondency in the system while G20 made the country confident of big things”
“For the welfare of humanity India is standing strong and reaches everywhere in times of need”

आप में से कुछ कहेंगे नहीं-नहीं, थकान लगी ही नहीं थी। खैर मेरे मन में कोई विशेष आपका समय लेने का इरादा नहीं है । लेकिन इतना बड़ा सफल आयोजन हुआ, देश का नाम रोशन हुआ, चारों तरफ से तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है, तो उसके पीछे जिनका पुरुषार्थ है, जिन्‍होंने दिन-रात उसमें खपाए और जिसके कारण ये सफलता प्राप्‍त हुई, वे आप सब हैं। कभी-कभी लगता है कि कोई एक खिलाड़ी ओलंपिक के podium पर जा करके मेडल लेकर आ जाए और देश का नाम रोशन हो जाए तो उसकी वाहवाही लंबे अरसे तक चलती है। लेकिन आप सबने मिल करके देश का नाम रोशन किया है ।

शायद लोगों को पता भी नहीं होगा । कितने लोग होंगे कितना काम किया होगा, कैसी परिस्थितियों में किया होगा। और आप में से ज्‍यादातर वो लोग होंगे जिनको इसके पहले इतने बड़े किसी आयोजन से कार्य का या जिम्‍मेदारी का अवसर ही नहीं आया होगा। यानी एक प्रकार से आपको कार्यक्रम की कल्‍पना भी करनी थी, समस्‍याओं के विषय में भी imagine करना था कि क्‍या हो सकता है, क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे, ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे। बहुत कुछ आपको अपने तरीके से ही गौर करना पड़ा होगा। और इसलिए मेरा आप सबसे से एक विशेष आग्रह है, आप कहेंगे कि इतना काम करवा दिया, क्‍या अभी भी छोड़ेंगे नहीं क्‍या।

मेरा आग्रह ऐसा है कि जब से इस काम से आप जुड़े होंगे, कोई तीन साल से जुड़ा होगा, कोई चार साल से जुड़ा होगा, कोई चार महीने से जुड़ा होगा। पहले दिन से जब आपसे बात हुई तब से ले करके जो-जो भी हुआ हो, अगर आपको इसको रिकॉर्ड कर दें, लिख दें सारा, और centrally जो व्‍यवस्‍था करते हैं, कोई एक वेबसाइट तैयार करें। सब अपनी-अपनी भाषा में लिखें, जिसको जो भी सुविधा हो, कि उन्‍होंने किस प्रकार से इस काम को किया, कैसे देखा, क्‍या कमियां नजर आईं, कोई समस्‍या आई तो कैसे रास्‍ता खोला। अगर ये आपका अनुभव रिकॉर्ड हो जाएगा तो वो एक भविष्‍य के कार्यों के लिए उसमें से एक अच्‍छी गाइडलाइन तैयार हो सकती है और वो institution का काम कर सकती है। जो चीजों को आगे करने के लिए जो उसको जिसके भी जिम्‍मे जो काम आएगा, वो इसका उपयोग करेगा।

और इसलिए आप जितनी बारीकी से एक-एक चीज को लिख करके, भले 100 पेज हो जाएं, आपको उसके लिए cupboard की जरूरत नहीं है, cloud पर रख दिया फिर तो वहां बहुत ही बहुत जगह है। लेकिन इन चीजों का बहुत उपयोग है। मैं चाहूंगा कि कोई व्‍यवस्‍था बने और आप लोग इसका फायदा उठाएं। खैर मैं आपको सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव जानना चाहता हूं, अगर आप में से कोई शुरूआत करे।

गमले संभालने हैं मतलब मेरे गमले ही जी-20 को सफल करेंगे। अगर मेरा गमला हिल गया तो जी-20 गया। जब ये भाव पैदा होता है ना, ये spirit पैदा होता है कि मैं एक बहुत बड़े success के लिए बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी संभालता हूं, कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है तो मान कर चलिए सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है।

साथियों,

इस प्रकार से मिल करके अपने-अपने विभाग में भी कभी खुल करके गप्‍पे मारनी चाहिए, बैठना चाहिए, अनुभव सुनने चाहिए एक-दूसरे के; उससे बहुत लाभ होते हैं। कभी-कभी क्‍या होता है जब आप अकेले होते हैं तो हमको लगता है मैंने बहुत काम कर दिया। अगर मैं ना होता तो ये जी-20 का क्‍या हो जाता। लेकिन जब ये सब सुनते हैं तो पता चलता है यार मेरे से तो ज्यादा उसने किया था, मेरे से तो ज्‍यादा वो कर रहा था। मुसीबत के बीच में देखो वो काम कर रहा था। तो हमें लगता है कि नहीं-नहीं मैंने जो किया वो तो अच्‍छा ही है लेकिन ओरों ने भी बहुत अच्‍छा किया है, तब जा करके ये सफलता मिली है।

जिस पल हम किसी और के सामर्थ्य को जानते हैं, उसके efforts को जानते हैं, तब हमें ईर्ष्या भाव नहीं होता है, हमें अपने भीतर झांकने का अवसर मिलता है। अच्‍छा, मैं तो कल तो सोचता रहा मैंने ही सब कुछ किया, लेकिन आज पता चला कि इतने लोगों ने किया है। ये बात सही है कि आप लोग ना टीवी में आए होंगे, ना आपकी अखबार में फोटो छपी होगी, न कहीं नाम छपा होगा। नाम तो उन लोगों के छपते होंगे जिसने कभी पसीना भी नहीं बहाया होगा, क्‍योंकि उनकी महारत उसमें है। और हम सब तो मजदूर हैं और आज कार्यक्रम भी तो मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।

आपने भी देखा होगा कि आपको इस मेहनत का आनंद आया होगा। यानी उस दिन रात को भी अगर आपको किसी ने बुला करके कुछ कहा होता, 10 तारीख को, 11 तारीख को तो आपको नहीं लगता यार पूरा हो गया है क्‍यों मुझे परेशान कर रहा है। आपको लगता होगा नहीं-नहीं यार कुछ रह गया होगा, चलो मुझे कहा है तो मैं करता हूं। यानी ये जो spirit है ना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

साथियो,

आपको पता होगा पहले भी आपने काम किया है। आप में से बहुत लोगों को ये जो सरकार में 25 साल, 20 साल, 15 साल से काम करते होंगे, तब आप अपने टेबल से जुड़े हुए होंगे, अपनी फाइलों से जुड़े होंगे, हो सकता है अगल-बगल के साथियों से फाइल देते समय नमस्‍ते करते होंगे। हो सकता है कभी लंच टाइम, टी टाइम पर कभी चाय पी लेते होंगे, कभी बच्‍चों की पढ़ाई की चर्चा कर लेते होंगे। लेकिन रूटीन ऑफिस के काम में हमें अपने साथियों के सामर्थ्‍य का कभी पता नहीं चलता है। 20 साल साथ रहने के बाद भी पता नहीं चलता है कि उसके अंदर और क्‍या सामर्थ्‍य है। क्‍योंकि हम एक प्रोटोटाइप काम से ही जुड़े रहते हैं।

जब इस प्रकार के अवसर में हम काम करते हैं तो हर पल नया सोचना होता है, नई जिम्मेदारी बन जाती है, नई चुनौती आ जाती है, कोई समाधान करना और तब किसी साथी को देखते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत बढ़िया क्वालिटी है जी। यानी ये किसी भी गवर्नेंस की success के लिए, फील्‍ड में इस प्रकार से कंधे से कंधा मिला करके काम करना, वो silos को भी खत्‍म करता है, वर्टिकल silos और होरिजेंटल silos, सबको खत्म करता है और एक टीम अपने-आप पैदा हो जाती है।

आपने इतने सालों से काम किया होगा, लेकिन यहां जी-20 के समय रात-रात जगे होंगे, बैठे होंगे, कहीं फुटपाथ के आसपास कही जाकर चाय ढूंढी होगी। उसमें से जो नए साथी मिले होंगे, वो शायद 20 साल की, 15 साल की नौकरी में नहीं मिले होंगे। ऐसे नए सामर्थ्यवान साथी आपको इस कार्यक्रम में जरूर मिले होंगे। और इसलिए साथ मिल करके काम करने के अवसर ढूंढने चाहिए।

अब जैसे अभी सभी डिपार्टमेंट में स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। डिपार्टमेंट के सब लोग मिलकर अगर करें, सचिव भी अगर चैंबर से बाहर निकल कर के साथ चले, आप देखिए एकदम से माहौल बदल जाएगा। फिर वो काम नहीं लगेगा वो फेस्टिवल लगेगा, कि चलो आज अपना घर ठीक करें, अपना दफ्तर ठीक करें, अपने ऑफिस में फाइलें निकाल कर करें, इसका एक आनंद होता है। और मेरा हर किसी से, मैं तो कभी-कभी ये भी कहता हूं भई साल में एकाध बार अपने डिपार्टमेंट का पिकनिक करिए। बस ले करके जाइए कहीं नजदीक में 24 घंटे के लिए, साथ में रह करके आइए।

सामूहिकता की एक शक्ति होती है। जब अकेले होते हैं कितना ही करें, कभी-कभी यार, मैं ही करूंगा क्‍या, क्‍या मेरे ही सब लिखा हुआ है क्‍या, तनख्‍वाह तो सब लेते हैं, काम मुझे ही करना पड़ता है। ऐसा अकेले होते हैं तो मन में विचार आता है। लेकिन जब सबके साथ होते हैं तो पता चलता है जी नहीं, मेरे जैसे बहुत लोग हैं जिनके कारण सफलताएं मिलती हैं, जिनके कारण व्‍यवस्‍थाएं चलती हैं।

साथियो,

एक और भी महत्‍व की बात है कि हमें हमेशा अपने से ऊपर जो लोग हैं वो और हम जिनसे काम लेते हैं वो, इनसे hierarchy की और प्रोटोकॉल की दुनिया से कभी बाहर निकल करके देखना चाहिए, हमें कल्‍पना तक नहीं होती है कि उन लोगों में ऐसा कैसा सामर्थ्‍य होता है। और जब आप अपने साथियों की शक्ति को पहचानते हैं तो आपको एक अद्भुत परिणाम मिलता है, कभी आप अपने दफ्तर में एक बार ये काम कीजिए। छोटा सा मैं आपको एक गेम बताता हूं, वो करिए। मान लीजिए आपके यहां विभाग में 20 साथियों के साथ आप काम कर रहे हैं। तो उसमे एक डायरी लीजिए, रखिए एक दिन। और बीसों को बारी-बारी से कहिए, या तो एक बैलेट बॉक्‍स जैसा रखिए कि वो उन 20 लोगों का पूरा नाम, वो मूल कहां के रहने वाले हैं, यहां क्‍या काम देखते हैं, और उनके अंदर वो एक extraordinary क्‍वालिटी क्‍या है, गुण क्‍या है, पूछना नहीं है उसको। आपने जो observe किया है और वो लिख करके उस बक्‍से में डालिए। और कभी आप बीसों लोगों के वो कागज बाद में पढ़िए, आपको हैरानी हो जाएगी कि या तो आपको उसके गुणों का पता ही नहीं है, ज्‍यादा से ज्‍यादा आप कहेंगे उसकी हेंड राइटिंग अच्‍छी है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहेंगे वो समय पर आता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहते हैं वो polite है, लेकिन उसके भीतर वो कौन से गुण हैं उसकी तरफ आपकी नजर ही नहीं गई होगी। एक बार try कीजिए कि सचमुच में आपके अगल-बगल में जो लोग हैं, उनके अंदर extraordinary गुण क्‍या है, जरा देखें तो सही। आपको एक अकल्‍प अनुभव होगा, कल्‍पना बाहर का अनुभव होगा।

मैं सा‍थियो सालों से मेरा human resources पर ही काम करने की ही नौबत आई है मुझे। मुझे कभी मशीन से काम करने की नौबत नहीं आई है, मानव से आई है तो मैं भली-भांति इन बातों को समझ सकता हूं। लेकिन ये अवसर capacity building की दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण अवसर है। कोई एक घटना अगर सही ढंग से हो तो कैसा परिणाम मिलता है और होने को हो, चलिए ऐसा होता रहता है, ये भी हो जाएगा, तो क्‍या हाल होता है, हमारे इस देश के सामने दो अनुभव हैं। एक- कुछ साल पहले हमारे देश में कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स का कार्यक्रम हुआ था। किसी को भी कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स की चर्चा करोगे तो दिल्‍ली या दिल्‍ली से बाहर का व्‍यक्ति, उसके मन पर छवि क्‍या बनती है। आप में से जो सीनियर होंगे उनको वो घटना याद होगी। सचमुच में वो एक ऐसा अवसर था कि हम देश की branding कर देते, देश की एक पहचान बना देते, देश के सामर्थ्‍य को बढ़ा भी देते और देश के सामर्थ्‍य को दिखा भी देते। लेकिन दुर्भाग्‍य से वो ऐसी चीजों में वो इवेंट उलझ गया कि उस समय के जो लोग कुछ करने-धरने वाले थे, वे भी बदनाम हुए, देश भी बदनाम हुआ और उसमें से सरकार की व्‍यवस्‍था में और एक स्‍वभाव में ऐसी निराशा फैल गई कि यार ये तो हम नहीं कर सकते, गड़बड़ हो जाएगा, हिम्‍मत ही खो दी हमने।

दूसरी तरफ जी-20, ऐसा तो नहीं है कि कमियां नहीं रही होंगी, ऐसा तो नहीं है जो चाहा था उसमें 99-100 के नीचे रहे नहीं होंगे। कोई 94 पहुंचे होंगे, कोई 99 पहुंचे होंगे, और कोई 102 भी हो गए होंगे। लेकिन कुल मिलाकर के एक cumulative effect था। वो effect देश के सामर्थ्‍य को, विश्‍व को उसके दर्शन कराने में हमारी सफलता थी। ये जो घटना की सफलता है, वो जी-20 की सफलता और दुनिया में 10 editorials और छप जाएं इससे मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। मेरे लिए आनंद का विषय ये है कि अब मेरे देश में एक ऐसा विश्‍वास पैदा हो गया है कि ऐसे किसी भी काम को देश अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कर सकता है।

पहले कहीं पर भी कोई calamity होती है, कोई मानवीय संबंधी विषयों पर काम करना हो तो वेस्‍टर्न world का ही नाम आता था। कि भई दुनिया में ये हुआ तो फलाना देश, ढिंगना देश, उसने ये पहुंच गए, वो कर दिया। हम लोगों का तो कहीं चित्र में नाम ही नहीं थ। बड़े-बड़े देश, पश्चिम के देश, उन्‍हीं की चर्चा होती थी। लेकिन हमने देखा कि जब नेपाल में भूकंप आया और हमारे लोगों ने जिस प्रकार से काम किया, फिजी में जब साइक्‍लोन आया, जिस प्रकार से हमारे लोगों ने काम किया, श्रीलंका संकट में था, हमने वहां जब चीजें पहुंचानी थीं, मालदीव में बिजली का संकट आया, पीने का पानी नहीं था, जिस तेजी से हमारे लोगों ने पानी पहुंचाया, यमन के अंदर हमारे लोग संकट में थे, जिस प्रकार से हम ले करके आए, तर्कीये में भूकंप आया, भूकंप के बाद तुरंत हमारे लोग पहुंचे; इन सारी चीजों ने आज विश्‍व के अंदर विश्‍वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।

अभी जब जॉर्डन में भूकंप आया, मैं तो व्‍यस्‍त था ये समिट के कारण, लेकिन उसके बावजूद भी मैंने पहला सुबह अफसरों को फोन किया था कि देखिए आज हम जॉर्डन में कैसे पहुंच सकते हैं। और सब ready करके हमारे जहाज, हमारे क्‍या–क्‍या equipment लेकर जाना है, कौन जाएगा, सब ready था, एक तरफ जी-20 चल रहा था और दूसरी तरफ जॉडर्न मदद के लिए पहुंचने के लिए तैयारियां चल रही थीं, ये सामर्थ्‍य है हमारा। ये ठीक है जॉर्डन ने कहा कि हमारी जिस प्रकार की टोपोग्राफी है, हमें उस प्रकार की मदद की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, उनको जरूरत नहीं थी और हमें जाना नहीं पड़ा। और उन्‍होंने अपनी स्थितियों को संभाल भी लिया।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था। इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। हमें एक global exposure बहुत जरूरी है। अब साथियो हम यहां सब लोग बैठे हैं, सारी मंत्री परिषद है, यहां सब सचिव हैं और ये कार्यक्रम की रचना ऐसी है कि आप सब आगे हैं वो सब पीछे हैं, नॉर्मली उलटा होता है। और मुझे इसी में आनंद आता है। क्‍योंकि मैं जब आपको यहां नीचे देखता हूं मतलब मेरी नींव मजबूत है। ऊपर थोड़ा हिल जाएगा तो भी तकलीफ नहीं है।

और इसलिए साथियो, अब हमारे हर काम की सोच वैश्विक संदर्भ में हम सामर्थ्‍य के साथ ही काम करेंगे। अब देखिए जी-20 समिट हो, दुनिया में से एक लाख लोग आए हैं यहां और वो लोग थे जो उन देश की निर्णायक टीम के हिस्‍से थे। नीति-निर्धारण करने वाली टीम के हिस्‍से थे। और उन्‍होंने आ करके भारत को देखा है, जाना है, यहां की विविधता को सेलिब्रेट किया है। वो अपने देश में जा करके इन बातों को नहीं बताएंगे ऐसा नहीं है, वो बताएगा, इसका मतलब कि वो आपके टूरिज्‍म का एम्बेसडर बन करके गया है।

आपको लगता होगा कि मैं तो उसको आया तब नमस्‍ते किया था, मैंने तो उसको पूछा था साहब मैं क्‍या सेवा कर सकता हूं। मैंने तो उसको पूछा था, अच्‍छा आपको चाय चाहिए। आपने इतना काम नहीं किया है। आपने उसको नमस्‍ते करके, आपने उसको चाय का पूछ करके, आपने उसकी किसी जरूरत को पूरी करके, आपने उसके भीतर हिन्‍दुस्‍तान के एम्बेसडर बनने का बीज बो दिया है। आपने इतनी बड़ी सेवा की है। वो भारत का एम्बेसडर बनेगा, जहां भी जाएगा कहेगा अरे भाई हिन्‍दुस्‍तान तो देखने जैसा है, वहां तो ऐसा-ऐसा है। वहां तो ऐसी चीजें होती हैं। टेक्‍नोलॉजी में तो हिन्‍दुस्‍तान ऐसा आगे हैं, वो जरूर कहेगा। मेरा कहने का तात्‍पर्य है कि मौका है हमारे लिए टूरिज्‍म को हम बहुत बड़ी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।