Highlights of PM Modi's speech in Parivartan Rally at Saharsa

Published By : Admin | August 18, 2015 | 19:26 IST
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A special package of Rs. 1.65 lakh crores for developing Bihar, for transforming future of the state: Narendra Modi
People of Bihar have decided to elect a BJP led NDA Govt: Narendra Modi
Bihar is moving towards politics of development: Narendra Modi
We must avoid such people who cannot shun their arrogance: Narendra Modi
Bihar has witnessed a steady increase in crimes & riots in first six months of this year: Narendra Modi
We are committed to find permanent solutions of all problems that Bihar faces today: Narendra Modi
 
 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज सहरसा के पटेल मैदान में एक विशाल जन-समुदाय को सम्बोधित किया।
सर्वप्रथम उन्होंने मंच पर उपस्थित राजग के सभी नेताओं को सम्बोधित किया और फिर मैथिली में अपने भाषण की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि हवा का रुख साफ दिख रहा है कि इस चुनाव में माहौल कैसा है। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने इस बार बिहार में भाजपा के नेतृत्व में राजग की सरकार बनाने का मन बना लिया है।
 
 
श्री नरेन्द्र मोदी ने कोसी अंचल के लोगों की जिजीविषा की तारीफ़ करते हुए कहा कि वो न तो थकते है, ना ही रुकते हैं; वे लगातार आगे बढे रहते हैं और ऐसे कोसी के लोगों को मैं शत-शत नमन करता हूँ।
 
उन्होंने कोसी की सौंगध खाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति का अहंकार बहुत ही गहरी चोट पहुंचाता है। उन्होंने कहा कि मुझ कोई व्यक्तिगत तौर पर अपमानित करे या दुत्कार दे या अनाप-शनाप किसी भाषा का प्रयोग करे तो मैं कभी भी सार्वजनिक रूप से इस प्रकार की हरकतों पर नहीं बोलता वरन उसे सहने के लिए अपने आपको तैयार करता हूं।
 
लेकिन जब अहंकार की वजह से जन सामान्य के जीवन से खिलवाड़ किया जाए तो मैं जनता के लिए खुद को रोक नहीं पाता। उन्होंने कहा कि गुजरात के लोगों ने सात साल पहले कोसी के कारण इस क्षेत्र में आयी बाढ़ की भयंकर विभीषिका से निबटने के लिए मदद के रूप में पांच करोड़ का चेक भेजा था जिसमें कोसी अंचल के गुजरात में रहने वाले भाईयों ने भी योगदान दिया था पर इनका अहंकार इतना था कि उन्होंने आमजन की पीड़ा को दरकिनार करते हुए, जनता के दुःख-दर्द के साथ खिलवाड़ करते हुए 5 करोड़ का चेक वापस भेज दिया था। उन्होंने लोगों से सवाल पूछते हुए कहा कि क्या सार्वजनिक जीवन में ऐसा आचरण उचित है? उन्होंने कहा कि ऐसे अहंकार ने बिहार के सपनों को रौंद डाला और मैं अपमान का घूँट पी कर रह गया। प्रधानमंत्री ने जनता से प्रश्न पूछते हुए कहा क़ि ऐसे संवेदनहीन लोग जो अपना अहंकार नहीं छोड़ सकते, हमें उन्हें छोड़ देना चाहिए?
 
उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों से क्या अपेक्षा की जा सकती है जो केवल सत्ता की खातिर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले हमारे देश की आन, बान और शान जयप्रकाश नारायण जी को जेल में बंद कर उन्हें मृत्यु की ओर धकेलने वाले कांग्रेस की गोद में जाकर बैठ जाती है। उन्होंने कहा कि यह महान जयप्रकाश नारायण जी के साथ धोखा है, विश्वासघात है। उन्होंने लोगों से पूछा कि आज जो लोग जय प्रकाश नारायण जी कि जिंदगी के साथ धोखा करने वालों के साथ सीटों का बंटवारा कर रहे हैं, आप ऐसे लोगों पर भरोसा कैसे कर सकते हैं?
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि बिहार की राजनीति बदलाव की ओर चल पड़ी  है और यहां की जनता ने भली-भाँति सत्ता परिवर्तन का मन बना लिया है; यहां की जनता अब इन्हें एक क्षण भी बर्दाश्त करने वाली नहीं है।
 
श्री मोदी ने कहा कि बिहार में लगातार अपराध बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि  बिहार में मुसीबतें दबे पांव पहुंचना शुरू हो चुकी हैं और जंगलराज का डर सताने लगा है। उन्होंने बिहार पुलिस की वेबसाइट के आंकड़ों का उदहारण देते हुए कहा कि जनवरी 2015 से जून 2015 तक बिहार में गंभीर अपराधों, हत्याओं और दंगों की संख्याओं में काफी उछाल आया है। उन्होंने लोगों का आह्वान करते हुए कहा कि अगर बिहार में हत्याएं बंद करवानी हैं, दंगे बंद करवाने हैं तो पटना में एक मजूबत सरकार लाइये और मैं विश्वास दिलाता हूँ कि हम इन सारी समस्याओं का निदान करके रहेंगें।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह समस्याओं को पहले से ही भांपकर समय रहते ही उसका निदान निकालने के लिए तत्पर रहते हैं ताकि जान-माल का कम-से-कम नुकसान हो सके। उन्होंने कहा कि पिछले साल हमने इसी तरह से कोसी में बाढ़ की संभावनाओं को पहले से ही भांपकर नेपाल और बिहार में त्वरित कार्रवाई की जिसके हमें अच्छे परिणाम मिले। उन्होंने कहा कि जब भूकम्प के रूप में विभीषक प्राकृतिक आपदा ने नेपाल और बिहार में दस्तक दी तो हमने तुरत इस समस्या से निबटने की दिशा में पहल की और हमने पीड़ित लोगों की सेवा में अपने आपको समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि हम नेपाल के साथ दुःख की घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे और आज भी हम मानवता की सेवा में लगे हुए हैं।
 
उन्होंने कहा कि उनकी प्रवृत्ति समस्याओं का दीर्घकालीन समाधान निकालने की रही है और हमने इस दिशा में काफी अच्छा कार्य किया है।
 
उन्होंने कृषि के साथ-साथ किसानों की स्थिति में भी सुधार लाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि हमने किसानों के हित में विगत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से कृषि मंत्रालय का नाम बदलकर कृषि विकास और किसान कल्याण मंत्रालय करने की घोषणा की।
 
उन्होंने कहा कि बिहार का भाग्य बदलने के लिए, बिहार के लोगों के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए हमने आरा में आज कौशल विकास, सड़क परिवहन, शिक्षा, बिजली, रेलवे, पर्यटन सहित अनेक लोक कल्याणकारी योजनाओं की शुरुआत की है।
 
 
श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उन्होंने पिछले लोक सभा चुनाव में बिहार की जनता से 50 हजार करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन मुझे लगा कि बिहार के विकास के लिए इतनी राशि ही काफी नहीं है वरन इससे भी अधिक राशि की जरूरत है और इसलिए बिजली और सड़क के लिए आवंटित 40 हजार करोड़ रुपये की राशि के अतिरिक्त हमने सवा सौ लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि बिहार के पिछली दो जन-सभाओं में मैंने संसद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए इसकी घोषणा नहीं की थी फिर भी इस बात को लेकर मेरे ऊपर ताना मारा गया कि मोदी केवल बोलते हैं, कुछ करते नहीं।
 
उन्होंने कहा कि इस घोषणा के बावजूद मेरे खिलाफ बोला जाएगा लेकिन मुझे इसकी परवाह नहीं, मुझे बिहार के लोगों की चिंता है और यह मेरा विश्वास है कि मैं बिहार की शक्ल-सूरत बदल दूंगा।
 
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर बेहद तल्ख टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'राज्य के स्वाभिमान को गिराकर नीतीश कुमार ने केंद्र की कांग्रेस सरकार से बिहार के लिए गिड़गिड़ाकर पैकेज मांगा। केंद्र ने भी रोते हुए बच्चे को चुप कराने के उद्देश्य से बिहार के लिए 12,000 (इसमें 1000 करोड़ रुपया तो अटल जी की सरकार द्वारा ही दी गई थी) करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की, जिसमें से केवल 4,000 करोड़ रुपया ही बिहार सरकार खर्च कर सकी है। इस राशि में से भी 2012-13 के दौरान बहुत मामूली खर्च किया गया। 8,000 करोड़ रुपये नीतीश कुमार के खजाने में अब भी रखे हैं। इतना पैकेज मिलने के बाद भी बिहार सरकार विकास के लिए कुछ खास नहीं कर सकी है। दिल्ली में मेरी सरकार बनने के बाद पहले की अपेक्षा ज्यादा खर्च हुआ।'
 
उन्होंने बिहार में शिक्षा की खस्ता हाल पर करारी चोट करते हुए कहा कि आज बिहार के होनहार और मेधावी छात्रों को पढ़ने के लिए बाहर जाने की जरूरत क्यों आन पड़ी है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें यह स्थिति बदलनी हैं और मैं इसे बदलकर रहूंगा; ऐसा मेरा विश्वास है।
 
अपने उद्बोधन के अंत में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने विशाल जन समर्थन के लिए लोगों के प्रति ह्रदय से अपना आभार प्रकट किया और कहा कि वह बिहार के सामर्थ्य को पुनर्स्थापित करने के लिए, बिहार का भाग्य बदलने के लिए, बिहार की जनता का भविष्य बदलने के लिए, बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए बिहार से कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए तैयार हैं।
 
 
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Text of PM’s Interaction with ground level functionaries of G20 Summit
September 22, 2023
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“Today’s event is about the unity of labourers (Mazdoor Ekta) and both you and I are Mazdoor”
“Working collectively in the field removes silos and creates a team”
“There is strength in the collective spirit”
“A well organized event has far-reaching benefits. CWG infused a sense of despondency in the system while G20 made the country confident of big things”
“For the welfare of humanity India is standing strong and reaches everywhere in times of need”

आप में से कुछ कहेंगे नहीं-नहीं, थकान लगी ही नहीं थी। खैर मेरे मन में कोई विशेष आपका समय लेने का इरादा नहीं है । लेकिन इतना बड़ा सफल आयोजन हुआ, देश का नाम रोशन हुआ, चारों तरफ से तारीफ ही तारीफ सुनने को मिल रही है, तो उसके पीछे जिनका पुरुषार्थ है, जिन्‍होंने दिन-रात उसमें खपाए और जिसके कारण ये सफलता प्राप्‍त हुई, वे आप सब हैं। कभी-कभी लगता है कि कोई एक खिलाड़ी ओलंपिक के podium पर जा करके मेडल लेकर आ जाए और देश का नाम रोशन हो जाए तो उसकी वाहवाही लंबे अरसे तक चलती है। लेकिन आप सबने मिल करके देश का नाम रोशन किया है ।

शायद लोगों को पता भी नहीं होगा । कितने लोग होंगे कितना काम किया होगा, कैसी परिस्थितियों में किया होगा। और आप में से ज्‍यादातर वो लोग होंगे जिनको इसके पहले इतने बड़े किसी आयोजन से कार्य का या जिम्‍मेदारी का अवसर ही नहीं आया होगा। यानी एक प्रकार से आपको कार्यक्रम की कल्‍पना भी करनी थी, समस्‍याओं के विषय में भी imagine करना था कि क्‍या हो सकता है, क्‍या नहीं हो सकता है। ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे, ऐसा होगा तो ऐसा करेंगे। बहुत कुछ आपको अपने तरीके से ही गौर करना पड़ा होगा। और इसलिए मेरा आप सबसे से एक विशेष आग्रह है, आप कहेंगे कि इतना काम करवा दिया, क्‍या अभी भी छोड़ेंगे नहीं क्‍या।

मेरा आग्रह ऐसा है कि जब से इस काम से आप जुड़े होंगे, कोई तीन साल से जुड़ा होगा, कोई चार साल से जुड़ा होगा, कोई चार महीने से जुड़ा होगा। पहले दिन से जब आपसे बात हुई तब से ले करके जो-जो भी हुआ हो, अगर आपको इसको रिकॉर्ड कर दें, लिख दें सारा, और centrally जो व्‍यवस्‍था करते हैं, कोई एक वेबसाइट तैयार करें। सब अपनी-अपनी भाषा में लिखें, जिसको जो भी सुविधा हो, कि उन्‍होंने किस प्रकार से इस काम को किया, कैसे देखा, क्‍या कमियां नजर आईं, कोई समस्‍या आई तो कैसे रास्‍ता खोला। अगर ये आपका अनुभव रिकॉर्ड हो जाएगा तो वो एक भविष्‍य के कार्यों के लिए उसमें से एक अच्‍छी गाइडलाइन तैयार हो सकती है और वो institution का काम कर सकती है। जो चीजों को आगे करने के लिए जो उसको जिसके भी जिम्‍मे जो काम आएगा, वो इसका उपयोग करेगा।

और इसलिए आप जितनी बारीकी से एक-एक चीज को लिख करके, भले 100 पेज हो जाएं, आपको उसके लिए cupboard की जरूरत नहीं है, cloud पर रख दिया फिर तो वहां बहुत ही बहुत जगह है। लेकिन इन चीजों का बहुत उपयोग है। मैं चाहूंगा कि कोई व्‍यवस्‍था बने और आप लोग इसका फायदा उठाएं। खैर मैं आपको सुनना चाहता हूं, आपके अनुभव जानना चाहता हूं, अगर आप में से कोई शुरूआत करे।

गमले संभालने हैं मतलब मेरे गमले ही जी-20 को सफल करेंगे। अगर मेरा गमला हिल गया तो जी-20 गया। जब ये भाव पैदा होता है ना, ये spirit पैदा होता है कि मैं एक बहुत बड़े success के लिए बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी संभालता हूं, कोई काम मेरे लिए छोटा नहीं है तो मान कर चलिए सफलता आपके चरण चूमने लग जाती है।

साथियों,

इस प्रकार से मिल करके अपने-अपने विभाग में भी कभी खुल करके गप्‍पे मारनी चाहिए, बैठना चाहिए, अनुभव सुनने चाहिए एक-दूसरे के; उससे बहुत लाभ होते हैं। कभी-कभी क्‍या होता है जब आप अकेले होते हैं तो हमको लगता है मैंने बहुत काम कर दिया। अगर मैं ना होता तो ये जी-20 का क्‍या हो जाता। लेकिन जब ये सब सुनते हैं तो पता चलता है यार मेरे से तो ज्यादा उसने किया था, मेरे से तो ज्‍यादा वो कर रहा था। मुसीबत के बीच में देखो वो काम कर रहा था। तो हमें लगता है कि नहीं-नहीं मैंने जो किया वो तो अच्‍छा ही है लेकिन ओरों ने भी बहुत अच्‍छा किया है, तब जा करके ये सफलता मिली है।

जिस पल हम किसी और के सामर्थ्य को जानते हैं, उसके efforts को जानते हैं, तब हमें ईर्ष्या भाव नहीं होता है, हमें अपने भीतर झांकने का अवसर मिलता है। अच्‍छा, मैं तो कल तो सोचता रहा मैंने ही सब कुछ किया, लेकिन आज पता चला कि इतने लोगों ने किया है। ये बात सही है कि आप लोग ना टीवी में आए होंगे, ना आपकी अखबार में फोटो छपी होगी, न कहीं नाम छपा होगा। नाम तो उन लोगों के छपते होंगे जिसने कभी पसीना भी नहीं बहाया होगा, क्‍योंकि उनकी महारत उसमें है। और हम सब तो मजदूर हैं और आज कार्यक्रम भी तो मजदूर एकता जिंदाबाद का है। मैं थोड़ा बड़ा मजदूर हूं, आप छोटे मजदूर हैं, लेकिन हम सब मजदूर हैं।

आपने भी देखा होगा कि आपको इस मेहनत का आनंद आया होगा। यानी उस दिन रात को भी अगर आपको किसी ने बुला करके कुछ कहा होता, 10 तारीख को, 11 तारीख को तो आपको नहीं लगता यार पूरा हो गया है क्‍यों मुझे परेशान कर रहा है। आपको लगता होगा नहीं-नहीं यार कुछ रह गया होगा, चलो मुझे कहा है तो मैं करता हूं। यानी ये जो spirit है ना, यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।

साथियो,

आपको पता होगा पहले भी आपने काम किया है। आप में से बहुत लोगों को ये जो सरकार में 25 साल, 20 साल, 15 साल से काम करते होंगे, तब आप अपने टेबल से जुड़े हुए होंगे, अपनी फाइलों से जुड़े होंगे, हो सकता है अगल-बगल के साथियों से फाइल देते समय नमस्‍ते करते होंगे। हो सकता है कभी लंच टाइम, टी टाइम पर कभी चाय पी लेते होंगे, कभी बच्‍चों की पढ़ाई की चर्चा कर लेते होंगे। लेकिन रूटीन ऑफिस के काम में हमें अपने साथियों के सामर्थ्‍य का कभी पता नहीं चलता है। 20 साल साथ रहने के बाद भी पता नहीं चलता है कि उसके अंदर और क्‍या सामर्थ्‍य है। क्‍योंकि हम एक प्रोटोटाइप काम से ही जुड़े रहते हैं।

जब इस प्रकार के अवसर में हम काम करते हैं तो हर पल नया सोचना होता है, नई जिम्मेदारी बन जाती है, नई चुनौती आ जाती है, कोई समाधान करना और तब किसी साथी को देखते हैं तो लगता है इसमें तो बहुत बढ़िया क्वालिटी है जी। यानी ये किसी भी गवर्नेंस की success के लिए, फील्‍ड में इस प्रकार से कंधे से कंधा मिला करके काम करना, वो silos को भी खत्‍म करता है, वर्टिकल silos और होरिजेंटल silos, सबको खत्म करता है और एक टीम अपने-आप पैदा हो जाती है।

आपने इतने सालों से काम किया होगा, लेकिन यहां जी-20 के समय रात-रात जगे होंगे, बैठे होंगे, कहीं फुटपाथ के आसपास कही जाकर चाय ढूंढी होगी। उसमें से जो नए साथी मिले होंगे, वो शायद 20 साल की, 15 साल की नौकरी में नहीं मिले होंगे। ऐसे नए सामर्थ्यवान साथी आपको इस कार्यक्रम में जरूर मिले होंगे। और इसलिए साथ मिल करके काम करने के अवसर ढूंढने चाहिए।

अब जैसे अभी सभी डिपार्टमेंट में स्‍वच्‍छता अभियान चल रहा है। डिपार्टमेंट के सब लोग मिलकर अगर करें, सचिव भी अगर चैंबर से बाहर निकल कर के साथ चले, आप देखिए एकदम से माहौल बदल जाएगा। फिर वो काम नहीं लगेगा वो फेस्टिवल लगेगा, कि चलो आज अपना घर ठीक करें, अपना दफ्तर ठीक करें, अपने ऑफिस में फाइलें निकाल कर करें, इसका एक आनंद होता है। और मेरा हर किसी से, मैं तो कभी-कभी ये भी कहता हूं भई साल में एकाध बार अपने डिपार्टमेंट का पिकनिक करिए। बस ले करके जाइए कहीं नजदीक में 24 घंटे के लिए, साथ में रह करके आइए।

सामूहिकता की एक शक्ति होती है। जब अकेले होते हैं कितना ही करें, कभी-कभी यार, मैं ही करूंगा क्‍या, क्‍या मेरे ही सब लिखा हुआ है क्‍या, तनख्‍वाह तो सब लेते हैं, काम मुझे ही करना पड़ता है। ऐसा अकेले होते हैं तो मन में विचार आता है। लेकिन जब सबके साथ होते हैं तो पता चलता है जी नहीं, मेरे जैसे बहुत लोग हैं जिनके कारण सफलताएं मिलती हैं, जिनके कारण व्‍यवस्‍थाएं चलती हैं।

साथियो,

एक और भी महत्‍व की बात है कि हमें हमेशा अपने से ऊपर जो लोग हैं वो और हम जिनसे काम लेते हैं वो, इनसे hierarchy की और प्रोटोकॉल की दुनिया से कभी बाहर निकल करके देखना चाहिए, हमें कल्‍पना तक नहीं होती है कि उन लोगों में ऐसा कैसा सामर्थ्‍य होता है। और जब आप अपने साथियों की शक्ति को पहचानते हैं तो आपको एक अद्भुत परिणाम मिलता है, कभी आप अपने दफ्तर में एक बार ये काम कीजिए। छोटा सा मैं आपको एक गेम बताता हूं, वो करिए। मान लीजिए आपके यहां विभाग में 20 साथियों के साथ आप काम कर रहे हैं। तो उसमे एक डायरी लीजिए, रखिए एक दिन। और बीसों को बारी-बारी से कहिए, या तो एक बैलेट बॉक्‍स जैसा रखिए कि वो उन 20 लोगों का पूरा नाम, वो मूल कहां के रहने वाले हैं, यहां क्‍या काम देखते हैं, और उनके अंदर वो एक extraordinary क्‍वालिटी क्‍या है, गुण क्‍या है, पूछना नहीं है उसको। आपने जो observe किया है और वो लिख करके उस बक्‍से में डालिए। और कभी आप बीसों लोगों के वो कागज बाद में पढ़िए, आपको हैरानी हो जाएगी कि या तो आपको उसके गुणों का पता ही नहीं है, ज्‍यादा से ज्‍यादा आप कहेंगे उसकी हेंड राइटिंग अच्‍छी है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहेंगे वो समय पर आता है, ज्‍यादा से ज्‍यादा कहते हैं वो polite है, लेकिन उसके भीतर वो कौन से गुण हैं उसकी तरफ आपकी नजर ही नहीं गई होगी। एक बार try कीजिए कि सचमुच में आपके अगल-बगल में जो लोग हैं, उनके अंदर extraordinary गुण क्‍या है, जरा देखें तो सही। आपको एक अकल्‍प अनुभव होगा, कल्‍पना बाहर का अनुभव होगा।

मैं सा‍थियो सालों से मेरा human resources पर ही काम करने की ही नौबत आई है मुझे। मुझे कभी मशीन से काम करने की नौबत नहीं आई है, मानव से आई है तो मैं भली-भांति इन बातों को समझ सकता हूं। लेकिन ये अवसर capacity building की दृष्टि से अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण अवसर है। कोई एक घटना अगर सही ढंग से हो तो कैसा परिणाम मिलता है और होने को हो, चलिए ऐसा होता रहता है, ये भी हो जाएगा, तो क्‍या हाल होता है, हमारे इस देश के सामने दो अनुभव हैं। एक- कुछ साल पहले हमारे देश में कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स का कार्यक्रम हुआ था। किसी को भी कॉमन वेल्‍थ गेम्‍स की चर्चा करोगे तो दिल्‍ली या दिल्‍ली से बाहर का व्‍यक्ति, उसके मन पर छवि क्‍या बनती है। आप में से जो सीनियर होंगे उनको वो घटना याद होगी। सचमुच में वो एक ऐसा अवसर था कि हम देश की branding कर देते, देश की एक पहचान बना देते, देश के सामर्थ्‍य को बढ़ा भी देते और देश के सामर्थ्‍य को दिखा भी देते। लेकिन दुर्भाग्‍य से वो ऐसी चीजों में वो इवेंट उलझ गया कि उस समय के जो लोग कुछ करने-धरने वाले थे, वे भी बदनाम हुए, देश भी बदनाम हुआ और उसमें से सरकार की व्‍यवस्‍था में और एक स्‍वभाव में ऐसी निराशा फैल गई कि यार ये तो हम नहीं कर सकते, गड़बड़ हो जाएगा, हिम्‍मत ही खो दी हमने।

दूसरी तरफ जी-20, ऐसा तो नहीं है कि कमियां नहीं रही होंगी, ऐसा तो नहीं है जो चाहा था उसमें 99-100 के नीचे रहे नहीं होंगे। कोई 94 पहुंचे होंगे, कोई 99 पहुंचे होंगे, और कोई 102 भी हो गए होंगे। लेकिन कुल मिलाकर के एक cumulative effect था। वो effect देश के सामर्थ्‍य को, विश्‍व को उसके दर्शन कराने में हमारी सफलता थी। ये जो घटना की सफलता है, वो जी-20 की सफलता और दुनिया में 10 editorials और छप जाएं इससे मोदी का कोई लेना-देना नहीं है। मेरे लिए आनंद का विषय ये है कि अब मेरे देश में एक ऐसा विश्‍वास पैदा हो गया है कि ऐसे किसी भी काम को देश अच्‍छे से अच्‍छे ढंग से कर सकता है।

पहले कहीं पर भी कोई calamity होती है, कोई मानवीय संबंधी विषयों पर काम करना हो तो वेस्‍टर्न world का ही नाम आता था। कि भई दुनिया में ये हुआ तो फलाना देश, ढिंगना देश, उसने ये पहुंच गए, वो कर दिया। हम लोगों का तो कहीं चित्र में नाम ही नहीं थ। बड़े-बड़े देश, पश्चिम के देश, उन्‍हीं की चर्चा होती थी। लेकिन हमने देखा कि जब नेपाल में भूकंप आया और हमारे लोगों ने जिस प्रकार से काम किया, फिजी में जब साइक्‍लोन आया, जिस प्रकार से हमारे लोगों ने काम किया, श्रीलंका संकट में था, हमने वहां जब चीजें पहुंचानी थीं, मालदीव में बिजली का संकट आया, पीने का पानी नहीं था, जिस तेजी से हमारे लोगों ने पानी पहुंचाया, यमन के अंदर हमारे लोग संकट में थे, जिस प्रकार से हम ले करके आए, तर्कीये में भूकंप आया, भूकंप के बाद तुरंत हमारे लोग पहुंचे; इन सारी चीजों ने आज विश्‍व के अंदर विश्‍वास पैदा किया है कि मानव हित के कामों में आज भारत एक सामर्थ्‍य के साथ खड़ा है। संकट की हर घड़ी में वो दुनिया में पहुंचता है।

अभी जब जॉर्डन में भूकंप आया, मैं तो व्‍यस्‍त था ये समिट के कारण, लेकिन उसके बावजूद भी मैंने पहला सुबह अफसरों को फोन किया था कि देखिए आज हम जॉर्डन में कैसे पहुंच सकते हैं। और सब ready करके हमारे जहाज, हमारे क्‍या–क्‍या equipment लेकर जाना है, कौन जाएगा, सब ready था, एक तरफ जी-20 चल रहा था और दूसरी तरफ जॉडर्न मदद के लिए पहुंचने के लिए तैयारियां चल रही थीं, ये सामर्थ्‍य है हमारा। ये ठीक है जॉर्डन ने कहा कि हमारी जिस प्रकार की टोपोग्राफी है, हमें उस प्रकार की मदद की आवश्‍यकता नहीं रहेगी, उनको जरूरत नहीं थी और हमें जाना नहीं पड़ा। और उन्‍होंने अपनी स्थितियों को संभाल भी लिया।

मेरा कहने का तात्‍पर्य ये है कि जहां हम कभी दिखते नहीं थे, हमारा नाम तक नहीं होता था। इतने कम समय में हमने वो स्थिति प्राप्त की है। हमें एक global exposure बहुत जरूरी है। अब साथियो हम यहां सब लोग बैठे हैं, सारी मंत्री परिषद है, यहां सब सचिव हैं और ये कार्यक्रम की रचना ऐसी है कि आप सब आगे हैं वो सब पीछे हैं, नॉर्मली उलटा होता है। और मुझे इसी में आनंद आता है। क्‍योंकि मैं जब आपको यहां नीचे देखता हूं मतलब मेरी नींव मजबूत है। ऊपर थोड़ा हिल जाएगा तो भी तकलीफ नहीं है।

और इसलिए साथियो, अब हमारे हर काम की सोच वैश्विक संदर्भ में हम सामर्थ्‍य के साथ ही काम करेंगे। अब देखिए जी-20 समिट हो, दुनिया में से एक लाख लोग आए हैं यहां और वो लोग थे जो उन देश की निर्णायक टीम के हिस्‍से थे। नीति-निर्धारण करने वाली टीम के हिस्‍से थे। और उन्‍होंने आ करके भारत को देखा है, जाना है, यहां की विविधता को सेलिब्रेट किया है। वो अपने देश में जा करके इन बातों को नहीं बताएंगे ऐसा नहीं है, वो बताएगा, इसका मतलब कि वो आपके टूरिज्‍म का एम्बेसडर बन करके गया है।

आपको लगता होगा कि मैं तो उसको आया तब नमस्‍ते किया था, मैंने तो उसको पूछा था साहब मैं क्‍या सेवा कर सकता हूं। मैंने तो उसको पूछा था, अच्‍छा आपको चाय चाहिए। आपने इतना काम नहीं किया है। आपने उसको नमस्‍ते करके, आपने उसको चाय का पूछ करके, आपने उसकी किसी जरूरत को पूरी करके, आपने उसके भीतर हिन्‍दुस्‍तान के एम्बेसडर बनने का बीज बो दिया है। आपने इतनी बड़ी सेवा की है। वो भारत का एम्बेसडर बनेगा, जहां भी जाएगा कहेगा अरे भाई हिन्‍दुस्‍तान तो देखने जैसा है, वहां तो ऐसा-ऐसा है। वहां तो ऐसी चीजें होती हैं। टेक्‍नोलॉजी में तो हिन्‍दुस्‍तान ऐसा आगे हैं, वो जरूर कहेगा। मेरा कहने का तात्‍पर्य है कि मौका है हमारे लिए टूरिज्‍म को हम बहुत बड़ी नई ऊंचाई पर ले जा सकते हैं।