एशिया मानवता के इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है: प्रधानमंत्री मोदी
सभी एशियाई सभ्यताओं में समान सिद्धांत व मूल्य हैं जो मनुष्यों और प्रकृति व मनुष्य के बीच संघर्ष की स्थिति बनने से रोकते हैं: पीएम मोदी
मानव विविधता को मिलाने पर आधारित संघर्ष परिहार एशियाई लोकतंत्र में इसके आधारभूत मूल्यों के रूप में निहित है: प्रधानमंत्री मोदी
हमारा लोकतांत्रिक दृष्टिकोण आम सहमति पर आधारित है: प्रधानमंत्री मोदी
लोकतंत्र का हमारा विचार उन मूल्यों पर आधारित है जो न केवल मनुष्यों बल्कि प्रकृति को भी महत्व देता है: प्रधानमंत्री मोदी

Following is the transcript of video message of Hon’ble Prime Minister of India, Shri Narendra Modi for the Tokyo meet on January 19, 2016:

मुझे ख़ुशी है कि टोक्यो फाउंडेशन ने पिछले साल दिल्ली में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन द्वारा आयोजित सम्मेलन के अनुवर्ती के रूप में 19 जनवरी को “एशियाई मूल्य और लोकतंत्र” विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन किया। 

सितंबर 2015 में दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का विषय था - बौद्ध सभ्यता के नजरिए से “संघर्ष परिहार और पर्यावरण चेतना”। 

यह सभी मान रहे हैं कि यह सदी एशिया की सदी है। एशिया मानवता के इतिहास में एक अत्यंत महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। एशिया में ऊर्जा, उत्साह और उल्लास का माहौल है और यह महाद्वीप लगातार कुछ नया करने वाले युवाओं से भरा हुआ है। 

सभी एशियाई सभ्यताओं, इंडिक, शिंटो, या दाव में समान सिद्धांत व मूल्य हैं जो मनुष्यों के बीच और मनुष्य एवं प्रकृति के बीच संघर्ष की स्थिति बनने से रोकते हैं। यही समान सिद्धांत व मूल्य मनुष्यों की विविधता को पहचानते हैं, उन्हें स्वीकार करते हैं और महत्व देते हैं। इस तरह से विविधता को समेटते हुए संघर्ष परिहार की स्थिति बनती है। मनुष्य की विविधता से तालमेल के आधार पर संघर्ष परिहार एशियाई लोकतंत्र में बुनियादी मूल्य के रूप में निहित है। 

लोकतंत्र की हमारी सोच कोई अंकों का खेल नहीं है जो बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक के नियमों पर आधारित हो, जो कि अंक आधारित लोकतंत्र में होता है। हमारा लोकतांत्रिक दृष्टिकोण आम सहमति पर आधारित है। इसमें सिर्फ़ अधिकार ही नहीं बल्कि कर्तव्य भी शामिल हैं। भारतीय संविधान में एक दूसरे के प्रति और हम सभी को बनाने वाले सृष्टि के प्रति नैतिक मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान है। 

लोकतंत्र की हमारी सोच उन मूल्यों पर आधारित है जिनमें न सिर्फ़ मनुष्यों बल्कि प्रकृति - जानवरों और पौधों - पर्यावरण के सिद्धांतों को भी शामिल किया गया है। 

प्रकृति और पर्यावरण को शामिल किए जाने से हमारा जीवन और हमारा दृष्टिकोण मानव-केन्द्रित कम और पर्यावरण-केन्द्रित अधिक हुआ है। 

महर्षि अरविंद, स्वामी विवेकानंद और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान भारतीय विचारकों ने एशियाई एकता की इसके सर्वोत्तम स्तर पर कल्पना की है। 

मुझे विश्वास है कि एशियाई मूल्य और लोकतंत्र के इस विषय पर आयोजित टोक्यो सम्मेलन के माध्यम से भारत और जापान को संघर्ष परिहार और पर्यावरण चेतना की अवधारणा को हमारे बड़े लोकतांत्रिक ढांचे के अभिन्न अंग के रूप में शामिल करने और इसका विस्तार करने में मदद मिलेगी। इसी के साथ मैं टोक्यो सम्मेलन की पूर्ण सफ़लता की आशा करता हूँ। मैं इस बैठक के आयोजन के लिए टोक्यो फाउंडेशन और जापान सरकार को अपनी तरफ़ से हार्दिक बधाई देता हूँ। 

धन्यवाद!

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