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क्या होगा जब …

वो जो भारत की सुरक्षा के लिए खड़े हैं उनके सर धड़ से अलग कर दिए जाते है?

एक बेकसूर मछुआरा मछली पकड़ने जाता है पर मछलियाँ लेकर वापस नहीं आता लेकिन क्या वापस आता है उसका मृत शरीर?

विदेशी ताकतों का अपने स्वार्थी हितों के लिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र पर आर्म ट्विस्ट?

2014 के भारत देश में आपका स्वागत है. गए वो दिन जब विदेशी दबाव और आर्थिक प्रतिबंध पर काबू पाने के लिए श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी के नेतृत्व में भारत ने पोखरन में परमाणु परीक्षण किया था , गए वे दिन जब एक प्रधानमंत्री ने 1999 की गर्मियों में एक पड़ोसी देश को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था जब उसके घुसपैठियों ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था जिसके बाद भारत ने मुँह तोड़ जबाब दिया था.

आज का भारत भिन्न है. एक जवान सीमा पर जाता है पर उसकी पत्नी नहीं जानती कि वह ज़िंदा वापस आएगा या नहीं. एक मछुआरा मछली पकड़ने जाता है लेकिन उसके बच्चों को नहीं पता कि वे अपने पिता को जीवित देखेंगे या दो विदेशी आएँगे और उसके पिता को निर्ममता से मार डालेंगे.

यहाँ एक ऐसी सरकार है जिसका विदेश मंत्री पहले चीनी घुसपैठ को ‘मामूली मुँहासे’कहता है और फिर कहता है कि उसे बीजिंग में बस जाना बुरा नहीं लगेगा. यहाँ ऐसी सरकार है जिसका रक्षा मंत्री, यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान ने हमारे जवानों के सर काटे है, कहता है- वे पाकिस्तानी वर्दी पहने आतंकवादी हो सकते हैं.

हमारे पास ऐसी सरकार है जिसके पास अपने राजनैतिक प्रतिवादी को लक्ष्य बनाने के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने के लिए पूरा समय है लेकिन आतंकियों और माओवादियों को मुँह तोड़ जबाव देने के लिए समय नहीं है.पाकिस्तान हमारा अपमान करता है परन्तु हम उसके नेताओं को स्वादिष्ट चिकन बिरयानी खिलाते हैं. मालद्वीव और श्रीलंका जैसे छोटे देश हमारे ऊपर उंगली उठाते हैं पर जो दिल्ली में बैठे हैं वे शानदार नींद ले रहे हैं.

भारत इस अपमान से मुक्त होना चाहता है. भारत एक वैश्विक पथ प्रदर्शक बनना चाहता है दुनिया के साथ सद्भाव में रहने की अपनी सदियों पुरानी परंपरा को जारी रखने और एक ही समय में यह अपने आत्म - सम्मान और गरिमा को मजबूती से संरक्षित करना चाहता है.

Towards a safe and secure India

निराशा और बेबसी के एक अंधेरे दशक के बाद भारत उम्मीद की एक किरण का इंतजार कर रहा है और आशा की यह किरण है नरेंद्र मोदी.

बैलोट, बुलेट नहीं : माओवादियों के लिए एक स्पष्ट संदेश

समय से और फिर से, श्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि हमारे लोकतंत्र में बुलेट के लिए कोई जगह नहीं है और जो युवा माओवाद से प्रेरित हैं उन्हें अपनी बंदूकें छोड़, स्वयं और समाज के लिए जीवन को बेहतर बनाने के लिए कलम और हल को गले लगाना चाहिए.भारत को प्रगति के रंग से रंगा जाना चाहिये न कि खून के रंग से.

माओवाद के प्रति यूपीए की प्रतिक्रया पूरी कोशिश में उत्साहहीन और उलझन भरी रही.परिणाम यह है कि मुट्ठी भर लोग वन क्षेत्रों के बीच गड़बड़ी पैदा करने में समर्थ हो गए हैं और लोगों के लिए असुविधा पैदा कर रहे हैं.

महत्वपूर्ण जनजातीय आबादी के साथ विभिन्न राज्यों में बीजेपी के मुख्यमंत्रियों के द्वारा बहुत अच्छा काम किया गया (गुजरात, मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में) जो यह बताता है कि कैसे अच्छा और समावेशी शासन आकांक्षाओं का दोहन करता है और आदिवासी समुदायों के भय को कम करता है.यह एनडीए और श्री मोदी ही हैं जो माओवादी समस्या के लिए समाधान प्रदान कर सकते हैं.

आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता

एक एनडीए सरकार सुनिश्चित करेगी हिन्दुस्तान की धरती पर आतंकवाद के साथ कोई सहिष्णुता नहीं है. यह श्री अटलबिहारी बाजपेयी जी की ही सरकार थी जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए पोटा की शुरुआत की थी. यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत के लोगों को आतंकवाद की बुराइयों से पीड़ित न होना पड़े बल्कि वे विकास के फल का स्वाद चखें, श्री मोदी जी को निर्धारित किया जाता है.

बांग्लादेश के अवैध अप्रवासियों को वापस भेजना

बांग्लादेश से अवैध अप्रवास पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में एक प्रमुख कारक बन गया है.मामले को बदतर बनाने के लिए, निहित राजनीतिक हितों के द्वारा केवल उनके मतदान बक्से को भरने के लिए सीमा से अवैध अप्रवास को प्रोत्साहित किया गया है.इसमें से पूर्वोत्तर के लोग सबसे ज्यादा पीड़ित हैं जिनके संसाधनों और अधिकारों को छीना जा रहा है.

प्रधानमंत्री अब तक दो दशक से भी अधिक के लिए असम का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं लेकिन उन्होंने इस समस्या को हल करने के लिए कुछ भी नहीं किया. आज, लोगश्री नरेंद्र मोदी जीमें आशा की एक किरण देख रहे हैं जिन्हें बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों के वापस भेजने के लिए बुलाया गया है.

इसी तरह, उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के उत्पीड़न के खिलाफ बात की और कहा कि भारत को इस तरह से उनका स्वागत करने की आवश्यकता है कि हर राज्य बांग्लादेश से आए कुछ हिंदुओं अपनाए ताकि केवल एक ही राज्य के संसाधनों पर बोझ न पड़े. वोट बैंक की राजनीति के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौते के युग में, यह एक ताजी हवा का एहसास है.

रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना

बोफोर्स से अगस्ता हेलीकॉप्टर घोटाले तक, यह पूरी तरह स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी के साधन और तरीके बदलने वाले नहीं हैं. रक्षा सौदे राष्ट्र को मजबूत बनाने के तरीकों के रूप में नहीं दिखते हैं बल्कि कुछ चुने हुए लोगों की जेबों को भरने के प्रयासों के रूप में देखाई देते हैं.

नरेंद्र मोदी ने इसके लिए बार-बार हल दिया है- रक्षा उत्पादन में पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनना. हमारा देश में सभी तरह की प्रतिभाएँ हैं,इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए ठोस दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति की आवश्यकता है. श्री मोदी यह सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे कि भारत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बने ताकि राष्ट्र का गौरव और सम्मान उच्चतम बोलीदाता को नीलाम न किया जाए और तब हम राष्ट्र विरोधी ताकतों को एक करारा जवाब दे सकते हैं.

शब्दों से ज्यादा तेज कर्म बोलते हैं

यदि आप ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो श्री मोदी जी के कार्य उन चरणों का प्रदर्शन करते हैं जो वे सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और दुनिया भर में भारतीयों की भलाई के लिए उठाएँगे.

2011में श्री मोदी ने चीन में फंसे हीरा श्रमिकों के लिए एक त्वरित परीक्षण की मांग की थी. श्री मोदी के प्रयासों के फल के रूप में कुछ व्यापारियों को रिहा किया गया था जो कि जो अपने ही मातृभूमि में आजादी की हवा में सांस लेने के लिए सक्षम थे.इसीतरह वे नरेंद्र मोदी जी ही थे जिन्होंने अंगोला में फंसे हुए कामगारों के मामले को ऊपर उठाया जबकिकेंद्र उदासीन बने रहे.

जब यूएसए में भारतीय राजनयिकों के साथ दुर्व्यवहार किया गया तब श्री मोदी ने अमेरिका के प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया और अपनी बैठक के दौरान अमेरिकी राजदूत के साथ इस मुद्दे को उठाया.

विश्व शांति और सहयोग में विश्वास रखने वाले

श्री मोदी जी का मानना है कि भारत को आगे बढ़ने और दुनिया के नेता के रूप में इसकी पूर्वनिर्दिष्ट भूमिका तक पहुँचने के लिए भारत को विश्व के साथ जुड़ना होगा एवं बदलते रुझान के साथ चलना होगा.यही वजह है कि गुजरात ने दुनिया भर में कई देशों के साथ सफल रिश्ते बनाए हैं.

वे खुद चीन, जापान, साउथ अफ्रीका, कोरिया, रशिया, अफ्रिकी देश और स्विट्ज़रलैंड जैसे देशों की यात्रा कर चुके हैं.इसी तरह, एशिया, यूरोप, अमेरिका, कनाडा, दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से राजदूतों ने गांधीनगर का दौरा किया और श्री मोदी से मुलाकात की.इन प्रयासों के वास्तविक लाभ पाने वाले लोग वे हैं जो निवेश, व्यापार एक्सचेंजों आदि पर कार्य कर रहे हैं.

इसलिए अपने कार्यों और सिद्ध ट्रैक रिकॉर्ड के माध्यम से श्री मोदी एक सक्रिय भारत का वादा करते हैं, वैश्विक शांति, सहिष्णुता के लिए प्रतिबद्ध हैं और उसी समय ऐसा भारत जिसे किसी भी अन्य देश के सामने झुकना नहीं पड़ेगा. भारत की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं होगा, सैनिकों नहीं मारे जाएंगे, गरीब मछुआरों के हत्यारे बच नहीं सकेंगे. अतः भारत विश्व के साथ जुड़ेगा परन्तु अपनी शर्तों पर अपने करोड़ों लोगों की गरिमा और सम्मान को बचाते हुए.

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Bengaluru has a very deep bond with nature including trees and lakes: PM
April 01, 2023
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The Prime Minister, Shri Narendra Modi has said that Bengaluru has a very deep bond with nature including trees and lakes.

In a reply to the tweet threads by Nature lover, Gardener and Artist, Smt Subhashini Chandramani about the detailed description of diverse collection of trees in Bengaluru, the Prime Minister also urged people to share others to showcase such aspects of their towns and cities.

The Prime Minister tweeted;

“This is an interesting thread on Bengaluru and it’s trees. Bengaluru has a very deep bond with nature including trees and lakes.

I would also urge others to showcase such aspects of their towns and cities. It would be an interesting read.”