30
जून
2014
की सुबह पीएसएलवी-सी
23
के प्रक्षेपण के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण का पाठ निम्नलिखित है

हमारे प्रतिभाशाली अंतरिक्ष वैज्ञानिकों कोऔर अंतरिक्ष विभाग कोध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान के एक और सफल प्रक्षेपण के लिए मेरी तरफ से बधाई! हमने पृथ्वी के 660 किलोमीटर ऊपर 5 उपग्रहों कोउनकी कक्षाओं में पहुँचा दिया है। इसने हर भारतीय के हृदय को गर्व से भर दिया है और मुझे लगता है कि यह आपके चेहरे पर खुशी और संतुष्टि रूप में परिलक्षित हो रहा है। अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी द्वारा सम्मोहित, मैं व्यक्तिगत रूप से प्रक्षेपण की इस घटना का साक्षी बनकर बहुत गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूँ। भारत के उन्नत अंतरिक्ष कार्यक्रम ने आज उसे 5-6 देशों के एक विशिष्ट वैश्विक समूह में रख दिया है। यह एक ऐसा क्षेत्र हैं, जहाँ हमारे पास अंतरराष्ट्रीय स्तर की क्षमता है। एक ऐसा क्षेत्र जहाँ हमने सामान्यता को परे धकेल कर उत्कृष्टता को प्राप्त किया है। हमने विकसित देशों के उपग्रहों का प्रक्षेपण किया है। अकेले पीएसएलवी ने ही 67 उपग्रहों को प्रक्षेपित किया है; इसमें से 40 विदेशों के हैं, कुल 19 देशों के। यहां तक कि आज के सभी उपग्रहविकसित देशों से हैं – फ्रांस, कनाडा, जर्मनी और सिंगापुर से। वास्तव में, यह भारत के अंतरिक्ष क्षमताओं को मिली वैश्विक पहचान का संकेत है। अटल जी के दर्शन से प्रेरित होकर, हमने चांद पर एक मिशन भेजा था। हम यहाँ बात कर रहे हैं और वहाँ एक और उपग्रह मिशन मंगल ग्रह के रास्ते पर है। मैं व्यक्तिगत रूप से इसमें बहुत रुचि ले रहा हूँ। हमने स्वयं अपने लिए उपग्रह आधारित नेविगेशन प्रणाली विकसित की है। मुझे बताया गया है कि यह 2015 तक पूरी तरह से तैनात कर दी जाएगी। इसके अलावा, हम गर्व कर सकते हैं कि हमारा अंतरिक्ष कार्यक्रम स्वदेशी है। हमने इसे कई अंतरराष्ट्रीय बाधाओं के बावजूद विकसित किया है। हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की पीढ़ियों ने भारत को एक आत्मनिर्भर अंतरिक्ष शक्ति बनाने के लिए काम किया है। हम उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद देते हैं। अंतरिक्ष में हमारी यात्रा ने अपनी विनम्र शुरुआत से एक लंबा सफर तय किया है। यह कई बाधाओं और संसाधनों की सीमितताओं की एक यात्रा है। मैंने उन तस्वीरों को देखा है जिसमें रॉकेट शंकुओं को साइकिल पर ले जाया जा रहा है। हमारा पहला उपग्रहआर्यभट्टबंगलौर में औद्योगिक शेड में बनाया गया था। आज भी, हमारे बनाए कार्यक्रमपूरे विश्व में प्रभावी रूप से सबसे कम लागत में बनते हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर यह कहानी चारों ओर फैल गई थी कि हमारे मंगल मिशन की लागत हॉलीवुड फिल्म ‘ग्रेविटी’ की तुलना में बहुत कम है। हमारे वैज्ञानिकों ने विश्व को मितव्ययी इंजीनियरिंग के नए प्रतिमान, और कल्पना की नई शक्ति से परिचित कराया है। दोस्तों, हमारी इस सफलता की जङ़े ऐतिहासिक रूप से काफी गहरी हैं। भारत की अंतरिक्ष के क्षेत्र के साथ ही, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक समृद्ध विरासत है। ब्रह्मांड की समझऔर जीवन तथा विज्ञान के साथ इसका संबंध; ये हमारे प्राचीन विचार और ज्ञान में गहराई से निहित है। हमारे पूर्वजों ने दूसरों से बहुत पहले ‘शून्य’ और ‘उड़न तश्तरी’ जैसे कई तरह के विचारों कल्पना की थी। भास्कराचार्य और आर्यभट्ट जैसे दूरदर्शियों के विचार वैज्ञानिकों को अब भी प्रेरित कर रहे हैं। कई लोगों को यह भ्रम है कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी केवल अभिजात वर्ग के लिए है। इसका आम आदमी से कोई लेना-देना नहीं है। मैं फिर भी यह अनुभव करता हूँ, कि इस तरह की तकनीक मूल रूप से आम आदमी से जुड़ी हुई है। एक परिवर्तनकारी एजेंट के रूप में, यह उन्हें सशक्त बनाकर और आपस में जोङकर, उसके जीवन को बदलने का काम करती है। प्रौद्योगिकी विकास के नए अवसरों को खोलती है। और हमें हमारी चुनौतियों के समाधान के लिए नए तरीके प्रदान करती है। अंतरिक्ष भले ही दूर लग सकता है, लेकिन यह आज हमारे दैनिक जीवन का एक अभिन्न हिस्सा बन गया है। यह हमारे आधुनिक संचार चलाता है, यहाँ तक कि दूरदराज के परिवार को मुख्यधारा से जोड़ता है। यह दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से, सब से अधिक दूर गांव में बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर उसे सशक्त बना सकती है। यह टेली-मेडीसिन के माध्यम से, सबसे दूर स्थित व्यक्ति के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुनिश्चित करती है। यह विभिन्न नए रोजगार के अवसरों के साथ, एक छोटे से शहर में युवाओं को सक्षम बनाती है। उपग्रह तकनीक ने दूरी को अप्रासंगिक बना दिया है। यह हमें प्रभावी ढंग से दूर दराज तक के लोगों तक पहुंचने के लिए सक्षम बनाता है। यह हमें अभासी रूप से उन जगहों से जोङ़ता है, जहाँ सामान्य रूप से पहुँचा नहीं जा सकता है।एक डिजिटल भारत के दृष्टिकोण को साकार करने मेंइसकीमहत्वपूर्ण भूमिका है- आपस में जुङे हुए 125 करोड़ भारतीयों की शक्ति । जीआईएस प्रौद्योगिकी ने नीतिगत योजना और कार्यान्वयन को परिवर्तित कर दिया है। अंतरिक्ष इमेजिंग ने आधुनिक प्रबंधन और जीआईएस आधारित वाटरशेडों के जरिए जल संरक्षण को संभव बनाया है।हमारे तेजी से बढ़ते हुए कस्बों और शहरों का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन करने के लिए इसका इस्तेमाल हमारी शहरी नियोजन में किया गया है। यह हमारे प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और बेहतर प्रबंध के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है। चाहे यह हिमालय के ग्लेशियर हों, महासागर और जंगल हों, तटीय संसाधन हों या हमारे खनिज संपदा हो। अंतरिक्ष चित्रण से हमारे देश की भूप्रबंधन प्रणाली में सुधार हो रहा है औरबंजर भूमि को उत्पादक प्रयोगों के लायक बनाया जा रहा है। हमें अगले कदम के रूप मेंभूमि संबंधी रिकॉर्ड रखने में इसी प्रणाली का विस्तार करना चाहिए, ताकि आम आदमी के लिए शुद्धता और पारदर्शिता लाई जा सके। आपदा प्रबंधन में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एक अमूल्य साधन के रूप में विकसित हुई है। उपग्रह संचार चैनल, अक्सर संचार के एकमात्र साधन के रूप में सामने आ रहे हैं। सटीक अग्रिम चेतावनीऔर‘फैलिन’ चक्रवात पर नजर रखकर हाल ही में अनगिनत लोगों की जान बचाई गई। निश्चित रूप से एक राष्ट्र के रूप में हमारी विकास की प्रक्रियों में हमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में इस विशेषज्ञता का पूरी तरह दोहन करना चाहिए।  सामाजिक परिवर्तन, आर्थिक विकास, और संसाधन संरक्षण के लिए असीम संभावनाएं हैं। लाभ बहुत ज्यादा हैं। मैं अंतरिक्ष समुदाय से सभी हितधारकों के साथ लगातार जुड़कर, शासन और विकास में अंतरिक्ष विज्ञान के उपयोग को अधिकतम करने का आह्वान करता हूँ। राज्य की भागीदारी को और अधिक बढ़ाना, इसके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होगा। मित्रों, भारत की परंपरा हमारे सदियों पुराने लोकाचार ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ में निहित है। हमारे लिए सारा संसार एक परिवार की तरह है। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम, इस प्रकार मानवता की सेवा की एक दृष्टि से प्रेरित है, न कि शक्ति प्रदर्शन इच्छा से। हमारे लिए, यह हमारी मानव प्रगति का एक महत्वपूर्ण साधन है। इसलिए हमें, हमारी तकनीकी प्रगति का फल उनके साथ साझा करना होगा, जो इस तरह का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। विकासशील देशों, और विशेष रूप से हमारे पड़ोसी देशों के साथ। हम पहले से ही 30 से अधिक देशों के साथ अपने आपदा प्रबंधन आँकङे साझा कर रहे हैं। हम अफगानिस्तान और अफ्रीकी देशों को टेली मेडिसिन का लाभ पहुँचाते हैं। लेकिन हमें इस दिशा में और भी अधिक काम करना चाहिए! आज मैं हमारे अंतरिक्ष समुदाय को एक सार्क उपग्रह विकसित करने की चुनौती देता हूँ, जिसे हम भारत की ओर से एक उपहार के रूप में, हमारे पड़ोसी देशों को समर्पित कर सकते हैं। एक उपग्रह, जो हमारे सभी पड़ोसी देशों को अनुप्रयोगों और सेवाओं की पूरी रेंज प्रदान करता हो। मैं आपसे दक्षिण एशिया के सभी क्षेत्रों पर नजर रखने वाली हमारी उपग्रह-आधारित नेविगेशन प्रणाली के विस्तार करने का अनुरोध करता हूँ। मित्रों, अंतरिक्ष के क्षेत्र में निरंतर प्रगति को एक राष्ट्रीय मिशन बने रहना चाहिए। हमें अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को बढ़ाए रखना चाहिए। उच्च कंप्यूटिंग, इमेजिंग और प्रसारण शक्ति के साथ हमें और अधिक उन्नत उपग्रहों का विकास करना चाहिए। हमें आवृत्ति और गुणवत्ता के मामले में, अपने उपग्रहों की संख्या का विस्तार करना होगा। हमें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के सभी क्षेत्रों में हमारी अंतरराष्ट्रीय भागीदारी को मजबूत करना चाहिए। भारत में दुनिया भर का प्रक्षेपण सेवा प्रदाता होने की क्षमता है। हमें इस लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए। नए प्रक्षेपण के बुनियादी ढांचे का निर्माण कीजिए। और भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण की हमारी क्षमताओं का विस्तार कीजिए। मानव संसाधन का विकास, भविष्य में हमारी सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा। मैं यहाँ हमारे युवा वैज्ञानिकों से मिलकर बहुत खुश हुआ। मैं उनके काम और उनकी उपलब्धियों की प्रशंसा करता हूँ। हमें इस क्षेत्र में हमारे भविष्य के नेतृत्व को विकसित करने के लिए अधिक से अधिक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को जोड़ने की जरूरत है। हमें अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हमारे युवाओं को शामिल करना ही चाहिए। आपने पहले ही अपने ‘भुवन अंतरिक्ष पोर्टल’ के माध्यम से अंतरिक्ष से संबंधित आँकड़ों को बड़े पैमाने पर ऑनलाइन कर दिया है। हम छात्रों और शोधकर्ताओं की इन आँकङों तक पहुंच बढ़ाने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं? हम हमारे युवाओं को अपने साथ जोड़ने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग कर सकते हैं। हमें अंतरिक्ष केंद्रों को देखने और अंतरिक्ष यान प्रक्षेपण का साक्षी बनने के लिएस्कूल और कॉलेज के बच्चों को आमंत्रित करना चाहिए। हम एक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी युक्त सहभागी डिजिटल अंतरिक्ष संग्रहालय के विकास के बारे में सोच सकते हैं? अंत में, मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि प्रौद्योगिकी विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यह सभी के जीवन पर प्रभाव डालती है, और हमारी राष्ट्रीय प्रगति का एक महत्वपूर्ण साधन है। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम स्केल, स्पीड और स्किल (स्तर, गति और कौशल) के मेरे विज़न का एक आदर्श उदाहरण है। हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने हमें, आधुनिक प्रौद्योगिकी के सबसे जटिल क्षेत्रों में से एक में, वैश्विक श्रेष्ठता दिलाई है। यह बताता है कि हम सर्वश्रेष्ठ हो सकते हैं। अगर हम खुद को समर्पित करें, तो हम हमारे लोगों की आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। हमें आज के मिशन से प्रेरणा लेनी चाहिए। हमें अपने आपको देश की प्रगति में तेजी लाने के लिए समर्पित करना चाहिए। मैं आश्वस्त हूँ कि हम यह कर सकते हैं! मुझे इस प्रक्षेपण का साक्षी बनने का अवसर प्रदान करने के लिए, मैं अंतरिक्ष विभाग को धन्यवाद देता हूँ। मैं, डॉ. राधाकृष्णन की, उनके नेतृत्व के लिए सराहना करता हूं। मैं पूरी टीम को, जो अब से कुछ ही महीनों में, हमारे अंतरिक्ष यान को मंगल ग्रह की कक्षा में डालने की तैयारी कर रहे हैं, बहुत सारी शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं आपकी सफलता की कामना करता हूँ, आप नई प्रौद्योगिकियों में सिद्धहस्त होने के लिए प्रयास करते हैं, और अंतरिक्ष की नई-नई सीमाओं को जीतते हैं। ईश्वर आपके सभी प्रयासों को सफलता प्रदान करे! धन्यवाद!

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Prime Minister Condoles the Demise of Shri Shivraj Patil
December 12, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi today condoled the passing of Shri Shivraj Patil, describing him as an experienced leader who devoted his life to public service.

In his message, the Prime Minister said he was saddened by the demise of Shri Patil, who served the nation in various capacities—including as MLA, MP, Union Minister, Speaker of the Maharashtra Legislative Assembly, and Speaker of the Lok Sabha—during his long and distinguished public life. Shri Patil was known for his commitment to societal welfare and his steadfast dedication to democratic values.

The Prime Minister recalled his many interactions with Shri Patil over the years, noting that their most recent meeting took place a few months ago when Shri Patil visited his residence.

In separate posts on X, Shri Modi wrote:

“Saddened by the passing of Shri Shivraj Patil Ji. He was an experienced leader, having served as MLA, MP, Union Minister, Speaker of the Maharashtra Assembly as well as the Lok Sabha during his long years in public life. He was passionate about contributing to the welfare of society. I have had many interactions with him over the years, the most recent one being when he came to my residence a few months ago. My thoughts are with his family in this sad hour. Om Shanti.”

“श्री शिवराज पाटील जी यांच्या निधनाने दुःख झाले आहे. ते एक अनुभवी नेते होते. सार्वजनिक जीवनातील आपल्या प्रदीर्घ कारकिर्दीत त्यांनी आमदार, खासदार, केंद्रीय मंत्री, महाराष्ट्र विधानसभेचे तसेच लोकसभेचे अध्यक्ष म्हणून काम केले. समाजाच्या कल्याणासाठी योगदान देण्याच्या ध्येयाने ते झपाटले होते. ​गेल्या काही वर्षांत त्यांच्यासोबत माझे अनेक वेळा संवाद झाले, त्यापैकी सर्वात अलीकडील भेट काही महिन्यांपूर्वीच जेव्हा ते माझ्या निवासस्थानी आले होते तेव्हा झाली होती. या दुःखद प्रसंगी माझ्या संवेदना त्यांच्या कुटुंबीयांसोबत आहेत. ओम शांती.”