उत्तराखंड का, सभी दाणा सयाणौ, दीदी-भूलियौं, चच्ची-बोडियों और भै-बैणो। आप सबु थैं, म्यारू प्रणाम ! मिथै भरोसा छ, कि आप लोग कुशल मंगल होला ! मी आप लोगों थे सेवा लगौण छू, आप स्वीकार करा !

उत्तराखंड के गवर्नर श्रीमान गुरमीत सिंह जी, यहां के लोकप्रिय, ऊर्जावान मुख्यमंत्री श्रीमान पुष्कर सिंह धामी जी, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे सहयोगी प्रह्लाद जोशी जी, अजय भट्ट जी, उत्तराखंड में मंत्री सतपाल महाराज जी, हरक सिंह रावत जी, राज्य मंत्रिमंडल के अन्य सदस्यगण, संसद में मेरे सहयोगी निशंक जी, तीरथ सिंह रावत जी, अन्य सांसदगण, भाई त्रिवेंद्र सिंह रावत जी, विजय बहुगुणा जी, राज्य विधानसभा के अन्य सदस्य, मेयर श्री, जिला पंचायत के सदस्यगण, भाई मदन कौशिक जी और मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों,

आप सभी इतनी बड़ी संख्या में हमें आशीर्वाद देने आए हैं। आपके स्नेह, आपके आशीर्वाद का प्रसाद पाकर हम सभी अभीभूत हैं। उत्तराखंड, पूरे देश की आस्था ही नहीं बल्कि, कर्म और कर्मठता की भूमि है। इसीलिए, इस क्षेत्र का विकास, यहां को भव्य स्वरूप देना डबल इंजन की सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसी भावना से सिर्फ बीते 5 वर्षों में उत्तराखंड के विकास के लिए केंद्र सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत की हैं। यहां की सरकार इनको तेज़ी से ज़मीन पर उतार रही है। इसी को आगे बढ़ाते हुए, आज 18 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का लोकापर्ण और शिलान्यास किया गया है। इनमें कनेक्टिविटी हो, स्वास्थ्य हो, संस्कृति हो, तीर्थाटन हो, बिजली हो, बच्चों के लिए विशेष तौर पर बना चाइल्ड फ्रेंडली सिटी प्रोजेक्ट हो, करीब-करीब हर सेक्टर से जुड़े प्रोजेक्ट इसमें शामिल हैं। बीते वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद, अनेक जरूरी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद, आखिरकार आज ये दिन आया है। ये परियोजनाएं, मैंने केदारपुरी की पवित्र धरती से कहा था, आज मैं देहरादून से दोहरा रहा हूं। ये परियोजनाएं इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी। इन सभी प्रोजेक्ट्स के लिए उत्तराखंड के लोगों का बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं। जो लोग पूछते हैं कि डबल इंजन की सरकार का फायदा क्या है, वो आज देख सकते हैं कि डबल इंजन की सरकार कैसे उत्तराखंड में विकास की गंगा बहा रही है।

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भाइयों और बहनों,

इस शताब्दी की शुरुआत में, अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाने का अभियान शुरू किया था। लेकिन उनके बाद 10 साल देश में ऐसी सरकार रही, जिसने देश का, उत्तराखंड का, बहुमूल्य समय व्यर्थ कर दिया। 10 साल तक देश में इंफ्रास्ट्रक्चर के नाम पर घोटाले हुए, घपले हुए। इससे देश का जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई के लिए हमने दोगुनी गति से मेहनत की और आज भी कर रहे हैं। आज भारत, आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर 100 लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के इरादे से आगे बढ़ रहा है, आज भारत की नीति, गतिशक्ति की है, दोगुनी-तीन गुनी तेजी से काम करने की है। सालों-साल अटकी रहने वाली परियोजनाओं, बिना तैयारी के फीता काट देने वाले तौर-तरीकों को पीछे छोड़कर आज भारत नव-निर्माण में जुटा है। 21वीं सदी के इस कालखंड में, भारत में कनेक्टिविटी का एक ऐसा महायज्ञ चल रहा है, जो भविष्य के भारत को विकसित देशों की श्रंखला में लाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा। इस महायज्ञ का ही एक यज्ञ आज यहां देवभूमि में हो रहा है।

भाइयों और बहनों,

इस देवभूमि में श्रद्धालु भी आते हैं, उद्यमी भी आते हैं, प्रकृति प्रेमी सैलानी भी आते हैं। इस भूमि का जो सामर्थ्य है, उसे बढ़ाने के लिए यहां आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर अभूतपूर्व काम किया जा रहा है। चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत आज देवप्रयाग से श्रीकोट और ब्रह्मपुरी से कौड़ियाला, वहां के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण किया गया है। भगवान बद्रीनाथ तक पहुंचने में लाम-बगड़ लैंड स्लाइड के रूप में जो रुकावट थी, वो भी अब दूर हो चुकी है। इस लैंड स्लाइड ने देशभर के न जाने कितने तीर्थ यात्रियों को बद्रीनाथ जी की यात्रा करने से या तो रोका है या फिर घंटों इंतज़ार करवाया है और कुछ लोग तो थक कर के वापस भी चले गए। अब बद्रीनाथ जी की यात्रा, पहले से ज्यादा सुरक्षित और सुखद हो जाएगी। आज बद्रीनाथ जी, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में अनेक सुविधाओं से जुड़े नए प्रोजेक्ट्स पर भी काम आरंभ हुआ है।

भाइयों और बहनों,

बेहतर कनेक्टिविटी और सुविधाओं से पर्यटन और तीर्थाटन को कितना लाभ होता है, बीते वर्षों में केधारधाम में हमने अनुभव किया है। केदारनाथ त्रासदी से पहले, 2012 में 5 लाख 70 हजार लोगों ने दर्शन किया था और ये उस समय का एक रिकॉर्ड था, 2012 में यात्रियों की संख्या का एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड था। जबकि कोरोना काल शुरू होने से पहले, 2019 में 10 लाख से ज्यादा लोग केदारनाथ जी के दर्शन करने पहुंचे थे। यानि केदार धाम के पुनर्निर्माण ने ना सिर्फ श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ाई बल्कि वहां के लोगों को रोजगार-स्वरोजगार के भी अनेकों अवसर उपलब्ध कराए हैं।

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साथियों,

पहले जब भी मैं उत्तराखंड आता था, या उत्तराखंड आने-जाने वालों से मिलता था, वो कहते थे- मोदी जी दिल्ली से देहरादून की यात्रा गणेशपुर तक तो बड़ी आसानी से हो जाती है, लेकिन गणेशपुर से देहरादून तक बड़ी मुश्किल होती है। आज मुझे बहुत खुशी है कि दिल्ली-देहरादून इकॉनॉमिक कॉरिडोर का शिलान्यास हो चुका है। जब ये बनकर तैयार हो जाएगा तो, दिल्ली से देहरादून आने-जाने में जो समय लगता है, वो करीब-करीब आधा हो जाएगा। इससे न केवल देहरादून के लोगों को फायदा पहुंचेगा बल्कि हरिद्वार, मुजफ्फरनगर, शामली, बागपत और मेरठ जाने वालों को भी सुविधा होगी। ये आर्थिक गलियारा अब दिल्ली से हरिद्वार आने-जाने के समय को भी कम कर देगा। हरिद्वार रिंग रोड परियोजना से हरिद्वार शहर को जाम की बरसों पुरानी समस्या से मुक्ति मिलेगी। इससे कुमांऊ क्षेत्र के साथ संपर्क भी और आसान होगा। इसके अलावा ऋषिकेश की पहचान, हमारे लक्ष्मण झूला पुल के समीप, एक नए पुल का शिलान्यास भी आज हुआ है।

भाइयों और बहनों,

दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर्यावरण सुरक्षा के साथ विकास के हमारे मॉडल का भी प्रमाण होगा। इसमें एक तरफ उद्योगों का कॉरिडोर होगा तो इसी में एशिया का सबसे बड़ा elevated wildlife corridor भी बनेगा। ये कॉरिडोर यातायात तो सरल करेगा ही, जंगली जीवों को भी सुरक्षित आने-जाने में मदद करेगा।

साथियों,

उत्तराखंड में औषधीय गुण वाली जो जड़ी-बूटिया हैं, जो प्राकृतिक उत्पाद हैं, उनकी मांग दुनिया भर में है। अभी उत्तराखंड के इस सामर्थ्य का भी पूरा उपयोग नहीं हो सका है। अब जो आधुनिक इत्र और सुगंध प्रयोगशाला बनी है, वो उत्तराखंड के सामर्थ्य को और बढ़ाएगी।

भाइयों और बहनों,

हमारे पहाड़, हमारी संस्कृति-हमारी आस्था के गढ़ तो हैं ही, ये हमारे देश की सुरक्षा के भी किले हैं। पहाड़ों में रहने वालों का जीवन सुगम बनाना देश की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। लेकिन दुर्भाग्य से दशकों तक जो सरकार में रहे, उनकी नीति और रणनीति में दूर-दूर तक ये चिंतन कहीं नहीं था। उनके लिए उत्तराखंड हो या हिन्‍दुस्‍तान के और क्षेत्र, उनका एक ही इरादा रहता था, अपनी तिजोरी भरना, अपने घर भरना, अपनों का ही खयाल रखना।

भाईयों और बहनों,

हमारे लिए उत्तराखंड, तप और तपस्या का मार्ग है। साल 2007 से 2014 के बीच जो केंद्र की सरकार थी, उसने सात साल में उत्तराखंड में केवल, हमारे पहले जो सरकार थी उसने 7 साल में क्‍या काम किया? पहले की सरकार ने 7 साल में उत्तराखंड में केवल 288, 300 किलोमीटर भी नहीं, केवल 288 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनाए थे। जबकि हमारी सरकार ने अपने सात साल में उत्तराखंड में 2 हजार किलोमीटर से अधिक लंबाई के नेशनल हाईवे का निर्माण किया है। आज बताइए भाईयों-बहनों, इसे आप काम मानते हैं या नहीं मानते हैं? क्‍या इसमें लोगों की भलाई है कि नहीं है? इससे उत्तराखंड का भला होगा कि नहीं होगा? आपकी भावी पीढ़ियों का भला होगा कि नहीं होगा? उत्तराखंड के नौजवानों का भाग्‍य खुलेगा कि नहीं खुलेगा? इतना ही नहीं, पहले की सरकार ने उत्तराखंड में नेशनल हाईवे पर 7 साल में 600 करोड़ के आसपास खर्च किया। अब जरा सुन लीजिए जबकि हमारी सरकार इन सात साढ़े सात साल में 12 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च कर चुकी है, कहां 600 करोड़ और कहां 12000 करोड़ रुपया। आप मुझे बताइए, हमारे लिये उत्तराखंड प्राथमिकता है कि नहीं है? आपको विश्‍वास हो रहा है कि नहीं हो रहा है? हमने करके दिखाया है कि नहीं दिखाया? हम जी-जान से उत्तराखंड के लिये काम करते हैं कि नहीं करते हैं?

और भाइयों और बहनों,

ये सिर्फ एक आंकड़ा भर नहीं है। जब इंफ्रास्ट्रक्चर के इतने बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम होता है, तो कितनी चीजों की जरूरत होती है। सीमेंट चाहिए, लोहा चाहिए, लकड़ी चाहिए, ईंट चाहिए, पत्‍थर चाहिए, मजदूरी करने वाले लोग चाहिए, उद्यमी लोग चाहिए, स्थानीय युवाओं को अनेक प्रकार का लाभ का अवसर पैदा होता है। इन कामों में जो श्रमिक लगते हैं, इंजीनियर लगते हैं, मैनेजमेंट लगता है, वो भी अधिकतर स्थानीय स्तर पर ही जुटाए जाते हैं। इसलिए इंफ्रास्ट्रक्चर के ये प्रोजेक्ट, अपने साथ उत्तराखंड में रोजगार का एक नया इकोसिस्टम बना रहे हैं, हजारों युवाओं को रोजगार दे रहे हैं। आज मैं गर्व से कह सकता हूं, पांच साल पहले मैंने कहा था, जो कहा था उसको दोबारा याद कराने की ताकत राजनेताओं में जरा कम होती है, मुझ में है। याद कर लेना मैंने क्‍या कहा था और आज मैं गर्व से कह सकता हूं उत्तराखंड क पाणी और जवनि उत्तराखंड क काम ही आली !

साथियों,

सीमावर्ती पहाड़ी क्षेत्रों के इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी पहले की सरकारों ने उतनी गंभीरता से काम नहीं किया, जितना करना चाहिए था। बॉर्डर के पास सड़कें बनें, पुल बनें, इस ओर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। वन रैंक वन पेंशन हो, आधुनिक अस्त्र-शस्त्र हो, या फिर आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब देना हो, जैसे उन लोगों ने हर स्तर पर सेना को निराश करने की, हतोत्साहित करने की मानो कसम खा रखी थी। लेकिन आज जो सरकार है, वो दुनिया के किसी देश के दबाव में नहीं आ सकती। हम राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम के मंत्र पर चलने वाले लोग हैं। हमने सीमावर्ती पहाड़ी क्षेत्रों में सैकड़ों किलोमीटर नई सड़कें बनाई हैं। मौसम और भूगोल की कठिन परिस्थितियों के बावजूद ये काम तेजी से किया जा रहा है। और ये काम कितना अहम है, ये उत्तराखंड का हर परिवार, फौज में अपने बच्चों को भेजने वाला परिवार, ज्यादा अच्छी तरह समझ सकता है।

साथियों,

एक समय पहाड़ पर रहने वाले लोग, विकास की मुख्य धारा से जुड़ने का सपना ही देखते रह जाते थे। पीढ़ियां बीत जाती थीं,वो यही सोचते थे हमें कब पर्याप्त बिजली मिलेगी, हमें कब पक्के घर बनकर मिलेंगे? हमारे गांव तक सड़क आएगी या नहीं? अच्छी मेडिकल सुविधा मिलेगी या नहीं और पलायन का सिलसिला आखिरकार कब रुकेगा? जाने कितने ही प्रश्न यहां के लोगों के मन में थे।

लेकिन साथियों,

जब कुछ करने का जूनून हो तो सूरत भी बदलती हैं और सीरत भी बदलती हैं। और आपका ये सपना पूरा करने के लिए हम दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। आज सरकार इस बात का इंतजार नहीं करती कि नागरिक उसके पास अपनी समस्या लेकर आएंगे तब सरकार कुछ सोचेगी और कदम उठाएगी। अब सरकार ऐसी है जो सीधे नागरिकों के पास जाती हैं। आप याद करिए, एक समय था जब उत्तराखंड में सवा लाख घरों में नल से जल पहुंचता था। आज साढ़े 7 लाख से भी अधिक घरों में नल से जल पहुंच रहा है। अब घर में किचन तक नल से जल आए हैं तो ये माताएं-बहनें मुझे आशीर्वाद देंगी कि नहीं देंगी? हम सबको आशीर्वाद देंगे कि नहीं देंगे? नल से जल आता है तो माताओं-बहनों का कष्ट दूर होता है कि नहीं होता है? उनको सुविधा मिलती है कि नहीं मिलती है? और ये काम, जल जीवन मिशन शुरू होने के दो साल के भीतर-भीतर हमने कर दिया है। इसका बहुत बड़ा लाभ उत्तराखंड की माताओं को बहनों को, यहां की महिलाओं को हुआ है। उत्तराखंड की माताओं-बहनों-बेटियों ने हमेशा हम सभी पर इतना स्नेह दिखाया है। हम सभी दिन रात परिश्रम करके, ईमानदारी से काम करके, हमारी इन माताओं-बहनों का जीवन आसान बनाकर, उनका ऋण चुकाने का निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

डबल इंजन की सरकार में उत्तराखंड के हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी अभूतपूर्व काम हो रहा है। उत्तराखंड में 3 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं। इतने छोटे से राज्‍य में तीन नए मेडिकल कॉलेज आज हरिद्वार मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास भी किया गया है। ऋषिकेश एम्स तो सेवाएं दे ही रहा है, कुमाऊं में सैटेलाइट सेंटर भी जल्द ही सेवा देना शुरु कर देगा। टीकाकरण के मामले में भी उत्तराखंड आज देश के अग्रणी राज्यों में है और इसके लिये मैं धामी जी को, उनके साथियों को पूरी उत्तराखंड की सरकार को बधाई देता हूं। और इसके पीछे भी बेहतर मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर की बहुत बड़ी भूमिका है। इस कोरोना काल में उत्तराखंड में 50 से अधिक नए ऑक्सीजन प्लांट्स भी लगाए गए हैं।

साथियों,

बहुत से लोग चाहते हैं, आप में से सबके मन में विचार आता होगा, हर कोई चाहता होगा उसकी संतान डॉक्टर बने, उसकी संतान इंजीनियर बने, उनकी संतान मैनेजमेंट के क्षेत्र में जाए। लेकिन अगर नए संस्थान बने ही नहीं, सीटों की संख्या बढ़े ही नहीं, तो आपका सपना पूरा हो सकता है क्‍या, आपका बेटा डॉक्‍टर बन सकता है क्‍या, आपका बेटी डॉक्‍टर बन सकती है क्‍या? आज देश में बन रहे नए मेडिकल कॉलेज, नई IIT, नए IIM, विद्यार्थियों के लिए प्रोफेशनल कोर्स की बढ़ रही सीटें, देश की वर्तमान और भावी पीढ़ी के भविष्य को मजबूत करने का काम कर रही हैं। हम सामान्य मानवी के सामर्थ्य को बढ़ाकर, उसे सशक्त करके, उसकी क्षमता बढ़ाकर, उसे सम्मान के साथ जीने के नए अवसर दे रहे हैं।

साथियों,

समय के साथ हमारे देश की राजनीति में अनेक प्रकार की विकृतियां आ गई है और आज इस बारे में भी मैं उत्तराखंड की पवित्र धरती पर कुछ बात बताना चाहता हूं। कुछ राजनीतिक दलों द्वारा, समाज में भेद करके, सिर्फ एक तबके को, चाहे वो अपनी जाति का हो, किसी खास धर्म का हो, या अपने छोटे से इलाके के दायरे का हो, उसी की तरफ ध्‍यान देना। यही प्रयास हुए हैं और उसमें ही उनको वोटबैंक नजर आती है। इतना संभाल लो, वोटबैंक बना दो, गाड़ी चलती रहेगी। इन राजनीतिक दलों ने एक और तरीका भी अपनाया है। उनकी विकृतियों का एक रूप ये भी है और वो रास्‍ता है जनता को मजबूत नहीं होने देना, बराबर कोशिश करना कि जनता कभी मजबूत ना हो जाए। वे तो यही चाहते रहे, ये जनता-जनार्दन हमेशा मजबूर बनी रहे, मजबूर बनाओ, जनता को अपना मोहताज बनाओ ताकि उनका ताज सलामत रहे। इस विकृत राजनीति का आधार रहा कि लोगों की आवश्यकताएं पूरी ना करो। उन्‍हें आश्रित बनाकर रखो। इनके सारे प्रयास इसी दिशा में हुए कि जनता-जनार्दन को ताकतवर नहीं बनने देना है। दुर्भाग्य से, इन राजनीतिक दलों ने लोगों में ये सोच पैदा कर दी कि सरकार ही हमारी माई-बाप है, अब जो कुछ भी मिलेगा सरकार से ही मिलेगा, तभी हमारा गुजारा होगा। लोगों के मन में भी ये घर कर गया। यानि एक तरह से देश के सामान्य मानवी का स्वाभिमान, उसका गौरव सोची-समझी रणनीति के तहत कुचल दिया गया, उसे आश्रित बना दिया गया और दुखद ये कि ये सब करते रहे और कभी किसी को भनक तक नहीं आने दी। लेकिन इस सोच, इस अप्रोच से अलग, हमने एक नया रास्ता चुना है। हमने जो रास्‍ता चुना है वो मार्ग कठिन है, वो मार्ग मुश्किल है, लेकिन देशहित में है, देश के लोगों के हित में है। और हमारा मार्ग है - सबका साथ-सबका विकास। हमने कहा कि जो भी योजनाएं लाएंगे सबके लिए लाएंगे, बिना भेदभाव के लाएंगे। हमने वोटबैंक की राजनीति को आधार नहीं बनाया बल्कि लोगों की सेवा को प्राथमिकता दी। हमारी अप्रोच रही कि देश को मजबूती देनी है। हमारा देश कब मजबूत होगा? जब हर परिवार मजबूत होगा। हमने ऐसे समाधान निकाले, ऐसी योजनाएं बनाईं जो भले वोटबैंक के तराजू में ठीक नहीं बैठें लेकिन वो बिना भेदभाव आपका जीवन आसान बनाएंगी, आपको नए अवसर देंगी, आपको ताकतवर बनाएंगी। और आप भी नहीं चाहेंगे कि आप अपने बच्चों के लिए एक ऐसा वातावरण छोड़ें जिसमें आपके बच्चे भी हमेशा आश्रित जीवन जीएं। जो मुसीबतें आपको विरासत में मिलीं, जिन कठिनाइयों में आपको जिन्‍दगी गुजारनी पड़ी आप भी नहीं चाहेंगे कि आप वो विरासतें, वो मुसीबतें बच्चों को वैसे ही देकर के जाएं। हम आपको आश्रित नहीं, आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। जैसे हमने कहा था कि जो हमारा अन्नदाता है, वो ऊर्जादाता भी बने। तो इसके लिए हम खेत के किनारे मेढ पर सोलर पैनल लगाने की कुसुम योजना लेकर के आए। इससे किसान को खेत में ही बिजली पैदा करने की सुविधा हुई। ना तो हमने किसान को किसी पर आश्रित किया और ना ही उसके मन में ये भाव आया कि मैं मुफ्त की बिजली ले रहा हूं। और इस प्रयास में भी उसको बिजली भी मिली और देश पर भी भार नहीं आया और वो एक तरह से आत्मनिर्भर बना और ये योजना देश के कई जगह पर हमारे किसानों ने लागू की है। इसी तरह से हमने देशभर में उजाला योजना शुरू की थी। कोशिश थी कि घरों में बिजली का बिल कम आए। इसके लिए देशभर में और यहां उत्तराखंड में करोड़ों LED बल्ब दिए गए और पहले LED बल्ब, 300-400 रुपए के आते थे, हम उनको 40-50 रुपए तक लेकर के आ गए। आज लगभग हर घर में LED बल्ब इस्तेमाल हो रहे हैं और लोगों का बिजली का बिल भी कम हो रहा है। अनेकों घरों में जो मध्‍यम वर्ग, निम्‍न मध्‍यम वर्ग के परिवार हैं, हर महीने 500-600 रुपए तक बिजली बिल कम हुआ है।

साथियों,

इसी प्रकार से हमने मोबाइल फोन सस्ता किया, इंटरनेट सस्ता किया, गांव-गांव में कॉमन सर्विस सेंटर खोले जा रहे हैं, अनेक सुविधाएं गांव में पहुंची हैं। अब गांव के आदमी को रेलवे का रिजर्वेशन कराना हो तो उसे शहर नहीं आना पड़ता, एक दिन खराब नहीं करना पड़ता, 100-200-300 रुपया बस का किराया नहीं देना पड़ता। वो अपने गांव में ही कॉमन सर्विस सेंटर से ऑनलाइन रेलवे का बुकिंग करवा सकता है। उसी प्रकार से आपने देखा होगा अब उत्तराखंड में होम स्टे, लगभग हर गांव में उसकी बात पहुंच चुकी है। अभी कुछ समय पहले मुझे उत्तराखंड के लोगों से बात करने का मौका भी मिला था, जो बहुत सफलता के साथ होम स्टे चला रहे हैं। जब इतने यात्री आएंगे, पहले की तुलना में दोगुना-तीन गुना यात्री आना शुरू हुआ है। जब इतने यात्री आएंगे, तो होटल की उपलब्धता का सवाल भी स्वाभाविक है और रातों रात इतने होटल भी नहीं बन सकते लेकिन हर घर में एक कमरा बनाया जा सकता है अच्छी सुविधाओं के साथ बनाया जा सकता है। और मुझे विश्वास है, उत्तराखंड, होमस्टे बनाने में, सुविधाओं के विस्तार में, पूरे देश को एक नई दिशा दिखा सकता है।

साथियों,

इसी तरह का परिवर्तन हम देश के हर कोने में ला रहे हैं। इस तरह के परिवर्तन से देश 21वीं सदी में आगे बढ़ेगा, इसी तरह का परिवर्तन उत्तराखंड के लोगों को आत्मनिर्भर बनाएगा।

साथियों,

समाज की जरूरत के लिए कुछ करना और वोटबैंक बनाने के लिए कुछ करना, दोनों में बहुत बड़ा फर्क होता है। जब हमारी सरकार गरीबों को मुफ्त घर बनाकर देती है, तो वो उसके जीवन की सबसे बड़ी चिंता दूर करती है। जब हमारी सरकार गरीबों को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देती है, तो वो उसकी जमीन बिकने से बचाती है, उसे कर्ज के कुचक्र में फंसने से बचाती है। जब हमारी सरकार कोरोना काल में हर गरीब को मुफ्त अनाज सुनिश्चित करती है तो वो उसे भूख की मार से बचाने का काम करती है। मुझे पता है कि देश का गरीब, देश का मध्यम वर्ग, इस सच्चाई को समझता है। तभी हर क्षेत्र, हर राज्य से हमारे कार्यों को, हमारी योजनाओं को जनता जनार्दन का आशीर्वाद मिलता है और हमेशा मिलता रहेगा।

साथियों,

आज़ादी के इस अमृत काल में, देश ने जो प्रगति की रफ़्तार पकड़ी है वो अब रुकेगी नहीं, अब थमेगी नहीं और ये थकेगी भी नहीं, बल्कि और अधिक विश्वास और संकल्पों के साथ आगे बढ़ेगी। आने वाले 5 वर्ष उत्तराखंड को रजत जयंती की तरफ ले जाने वाले हैं। ऐसा कोई लक्ष्य नहीं जो उत्तराखंड हासिल नहीं कर सकता। ऐसा कोई संकल्प नहीं जो इस देवभूमि में सिद्ध नहीं हो सकता। आपके पास धामी जी के रूप में युवा नेतृत्व भी है, उनकी अनुभवी टीम भी है। हमारे पास वरिष्‍ठ नेताओं की बहुत बड़ी श्रृंखला है। 30-30 साल, 40-40 साल अनुभव से निकले हुए नेताओं की टीम है जो उत्तराखंड के उज्‍जवल भविष्‍य के लिए समर्पित है।

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और मेरे प्‍यारे भाईयों-बहनों,

जो देशभर में बिखर रहे हैं, वो उत्तराखंड को निखार नहीं सकते हैं। आपके आशीर्वाद से विकास का ये डबल इंजन उत्तराखंड का तेज़ विकास करता रहेगा, इसी विश्वास के साथ, मैं फिर से आप सबको बधाई देता हूं। आज जब देव भूमि में आया हूँ, वीर माताओ की भूमि में आया हूँ, तो कुछ भाव पुष्प, कुछ श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ, मैं कुछ पंक्तियों के साथ अपनी बात समाप्त करता हूं-

जहाँ पवन बहे संकल्प लिए,

जहाँ पर्वत गर्व सिखाते हैं,

जहाँ ऊँचे नीचे सब रस्ते

बस भक्ति के सुर में गाते हैं

उस देव भूमि के ध्यान से ही

उस देव भूमि के ध्यान से ही

मैं सदा धन्य हो जाता हूँ

है भाग्य मेरा,

सौभाग्य मेरा,

मैं तुमको शीश नवाता हूँ।

मैं तुमको शीश नवाता हूँ।

और धन्य धन्य हो जाता हूँ।

तुम आँचल हो भारत माँ का

जीवन की धूप में छाँव हो तुम

बस छूने से ही तर जाएँ

सबसे पवित्र वो धरा हो तुम

बस लिए समर्पण तन मन से

मैं देव भूमि में आता हूँ

मैं देव भूमि में आता हूँ

है भाग्य मेरा

सौभाग्य मेरा

मैं तुमको शीश नवाता हूँ

मैं तुमको शीश नवाता हूँ।

और धन्य धन्य हो जाता हूँ।

जहाँ अंजुली में गंगा जल हो

जहाँ हर एक मन बस निश्छल हो

जहाँ गाँव गाँव में देश भक्त

जहाँ नारी में सच्चा बल हो

उस देवभूमि का आशीर्वाद लिए

मैं चलता जाता हूँ

उस देवभूमि का आशीर्वाद लिए

मैं चलता जाता हूँ

है भाग्य मेरा

सौभाग्य मेरा

मैं तुमको शीश नवाता हूँ

मैं तुमको शीश नवाता हूँ

और धन्य धन्य हो जाता हूँ

मंडवे की रोटी

हुड़के की थाप

हर एक मन करता

शिवजी का जाप

ऋषि मुनियों की है

ये तपो भूमि

कितने वीरों की

ये जन्म भूमि

में देवभूमि में आता हूँ

मैं तुमको शीश नवाता हूँ

और धन्य धन्य हो जाता हूँ

मैं तुमको शीश नवाता हूँ

और धन्य धन्य हो जाता हूँ

मेरे साथ बोलिये, भारत माता की जय ! भारत माता की जय ! भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद !

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June 15, 2025

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