प्रधानमंत्री ने राजस्थान उच्च न्यायालय संग्रहालय का उद्घाटन किया
“राष्ट्रीय एकता भारत की न्यायिक प्रणाली की आधारशिला है और इसे मजबूत करने से राष्ट्र और इसकी व्यवस्थाएं और मजबूत होंगी”
“अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम भारतीय न्याय संहिता की भावना को यथासंभव प्रभावी बनाएं”
“हमने सैकड़ों औपनिवेशिक कानूनों को निरस्त किया है जो पूरी तरह अप्रासंगिक हो गए थे”
“भारतीय न्याय संहिता हमारे लोकतंत्र को औपनिवेशिक मानसिकता से मुक्त करती है”
“आज भारत के सपने बड़े हैं और नागरिकों की आकांक्षाएं ऊंची हैं”
“न्यायपालिका ने राष्ट्रीय मुद्दों पर सजग और सक्रिय रहने की नैतिक जिम्मेदारी लगातार निभाई है”
“यह बहुत महत्वपूर्ण है कि विकसित भारत में सभी के लिए सरल, सुलभ और आसान न्याय की गारंटी हो”

कार्यक्रम में उपस्थित राजस्थान के राज्यपाल श्री हरिभाऊ कृष्णराव बागड़े जी, राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा, जस्टिस श्री संजीव खन्ना जी, देश के कानून मंत्री श्री अर्जुनराम मेघवाल जी, राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस श्री मनीन्द्र मोहन श्रीवास्तव जी, अन्य सभी honourable judges, न्याय जगत के सभी महानुभाव, उपस्थित देवियों एवं सज्जनों!

सबसे पहले तो मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं। क्योंकि मुझे यहां पहुंचने में 10 मिनट करीब-करीब मैं लेट हो गया था। क्योंकि मैं महाराष्ट्र से निकला, लेकिन weather के कारण समय पर नहीं पहुंच पाया और इसके लिए मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं।

साथियों,

मुझे ख़ुशी है कि मुझे आज राजस्थान उच्च न्यायालय के प्लेटिनम जुबली समारोह में आप सबके बीच आने का मुझे अवसर मिला है। राजस्थान हाईकोर्ट के 75 वर्ष ऐसे समय में हुए हैं, जब हमारा संविधान भी 75 वर्ष पूरे करने जा रहा है। इसलिए ये अनेक महान लोगों की न्याय-निष्ठा और योगदानों को सेलिब्रेट करने का उत्सव भी है। ये संविधान के प्रति हमारी आस्था का उदाहरण भी है। मैं आप सभी न्यायविदों को, राजस्थान के लोगों को इस अवसर पर बधाई देता हूँ, उन्हें शुभकामनाएँ देता हूँ।

साथियों,

राजस्थान हाईकोर्ट के अस्तित्व से हमारे राष्ट्र की एकता का इतिहास भी जुड़ा है। आप सब जानते हैं, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जब 500 से ज्यादा रियासतों को जोड़कर देश को एक सूत्र में पिरोया था, उसमें राजस्थान की भी कई रियासतें थीं। जयपुर, उदयपुर और कोटा जैसी कई रियासतों के अपने हाईकोर्ट भी थे। इनके इंटिग्रेशन से राजस्थान हाईकोर्ट अस्तित्व में आया। यानी, राष्ट्रीय एकता ये हमारे judicial system का भी founding stone है। ये founding stone जितना मजबूत होगा, हमारा देश और देश की व्यवस्थाएं भी उतनी ही मजबूत होंगी।

साथियों,

मेरा मानना है न्याय हमेशा सरल और स्पष्ट होता है। लेकिन कई बार प्रक्रियाएं उसे मुश्किल बना देती हैं। ये हम सबकी सामूहिक ज़िम्मेदारी है, कि हम न्याय को ज्यादा से ज्यादा सरल और स्पष्ट बनाएं। और मुझे संतोष है कि देश ने इस दिशा में कई ऐतिहासिक और निर्णायक कदम उठाये हैं। हमने पूरी तरह से अप्रासंगिक हो चुके सैकड़ों colonial क़ानूनों को रद्द किया है। आज़ादी के इतने दशक बाद गुलामी की मानसिकता से उबरते हुये देश ने इंडियन पीनल कोड की जगह भारतीय न्याय संहिता को adopt किया है। दंड की जगह न्याय, ये भारतीय चिंतन का आधार भी है। भारतीय न्याय संहिता इस मानवीय चिंतन को आगे बढ़ाती है। भारतीय न्याय संहिता हमारे लोकतन्त्र को colonial mindset से आज़ाद कराती है। न्याय संहिता की ये मूलभावना ज्यादा से ज्यादा प्रभावी बने, ये दायित्व अब हम सभी के सामने है।

साथियों,

बीते एक दशक में हमारा देश तेजी से बदला है। कभी हम 10 साल पहले 10वें पायदान से ऊपर उठकर दुनिया की fifth largest economy बन गए हैं। आज देश के सपने भी बड़े हैं, देशवासियों की आकांक्षाएँ भी बड़ी हैं। इसलिए ये जरूरी है कि हम नए भारत के हिसाब से नए Innovation करें, और अपनी व्यवस्थाओं को आधुनिक बनाएं। ये जस्टिस फॉर ऑल, इसके लिए भी उतना ही जरूरी है। हम देख रहे हैं कि आज technology हमारे judicial system में इतना अहम रोल निभा रही है। आईटी रिवॉल्यूशन से कितना बड़ा बदलाव हो सकता है, हमारा ई-कोर्ट्स प्रोजेक्ट इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट्स कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी हैं। मुझे बताया गया है कि नेशनल जूडिशल डेटा ग्रिड से 26 करोड़ से ज्यादा मुकदमों की जानकारी एक सेंट्रलाइज्ड ऑनलाइन प्लैटफॉर्म पर जुड़ चुकी है। आज पूरे देश की 3 हजार से ज्यादा court complexes और 1200 से ज्यादा जेलें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ गई हैं। और मुझे ख़ुशी है कि राजस्थान भी इस दिशा में काफी तेज गति से काम कर रहा है। यहाँ सैकड़ों अदालतें कम्प्यूटराइज्ड हो चुकी हैं। पेपरलेस कोर्ट्स, ई-फाईलिंग, समन के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्विस, वर्चुअल हियरिंग की व्यवस्था, ये कोई सामान्य बदलाव नहीं हैं। हम एक सामान्य नागरिक के दृष्टिकोण से सोचें तो दशकों से हमारे यहाँ कोर्ट के आगे ‘चक्कर’ शब्द, कोई बुरा मत मानना, चक्कर शब्द mandatory हो गया था। कोर्ट का चक्कर, मुकदमे का चक्कर, यानी एक ऐसा चक्कर जिसमें फंस गए तो कब निकलेंगे कुछ पता नहीं! आज दशकों बाद उस सामान्य नागरिक की पीड़ा को खत्म करने, उस चक्कर को खत्म करने के लिए देश ने प्रभावी कदम उठाए हैं। इससे न्याय को लेकर नई उम्मीद जागी है। इस उम्मीद को हमें बनाए रखना है, लगातार अपनी न्यायिक व्यवस्था में reform करते चलना है।

साथियों,

बीते कई कार्यक्रमों में आप सबके बीच मैंने लगातार मीडिएशन की सदियों पुरानी हमारी व्यवस्था का ज़िक्र किया है। आज देश में कम खर्चीले और त्वरित निर्णयों के लिए Alternative Dispute Mechanism बहुत अहम रास्ता बन रहा है। वैकल्पिक Dispute Mechanism की ये व्यवस्था देश में Ease of Living के साथ ही Ease of Justice को भी बढ़ावा देगी। कानूनों में बदलाव करके, नए प्रावधान जोड़कर सरकार ने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं। न्यायपालिका के सहयोग से ये व्यवस्थाएं और ज्यादा सशक्त होंगी।

साथियों,

हमारी न्यायपालिका ने निरंतर राष्ट्रीय विषयों पर सजगता और सक्रियता की नैतिक ज़िम्मेदारी निभाई है। कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाने का, देश के संवैधानिक एकीकरण का उदाहरण हमारे सामने है। CAA जैसे मानवीय कानून का उदाहरण हमारे सामने है। ऐसे मुद्दों पर राष्ट्रहित में स्वाभाविक न्याय क्या कहता है, ये हमारी अदालतों के निर्णयों से पूरी तरह से स्पष्ट होता रहा है। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक, न्यायपालिका ने अनेकों बार ऐसे विषयों पर ‘राष्ट्र प्रथम’ Nation First के संकल्प को सशक्त किया है। जैसे आपको ध्यान होगा, अभी इसी 15 अगस्त को मैंने लालकिले से सेकुलर सिविल कोड की बात की है। इस मुद्दे पर भले ही कोई सरकार पहली बार इतनी मुखर हुई हो, लेकिन हमारी judiciary दशकों से इसकी वकालत करती आई है। राष्ट्रीय एकता के मुद्दे पर न्यायपालिका का ये स्पष्ट रुख न्यायपालिका पर देशवासियों में भरोसा और बढ़ाएगा।

साथियों,

21वीं सदी के भारत को आगे ले जाने में जो शब्द बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है, वो है इंट्रीग्रेशन। ट्रांसपोर्ट के मोड्स का इंट्रीग्रेशन, डेटा का इंट्रीग्रेशन, हेल्थ सिस्टम का इंट्रीग्रेशन। हमारा विजन है कि देश के जो भी आईटी सिस्टम अलग-अलग काम कर रहे हैं, उन सभी का इंट्रीग्रेशन हो। पुलिस, फॉरेंसिक्स, प्रोसेस सर्विस मैकेनिज्म और सुप्रीम कोर्ट से लेकर जिला अदालतों तक सभी एक साथ जुड़कर काम करें। आज राजस्थान की सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में इस इंटीग्रेशन प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई है। मैं आप सभी को इस प्रोजेक्ट की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल, आज के भारत में गरीब के सशक्तिकरण का tried and tested formula बन रहा है। पिछले 10 वर्षों में इसे लेकर कई ग्लोबल एजेंसीज़ और संस्थाओं ने भारत की भरपूर तारीफ की है। DBT से लेकर UPI तक, कई क्षेत्रों में भारत का काम एक ग्लोबल मॉडल बनकर उभरा है। अपने उसी अनुभव को हमें जस्टिस सिस्टम में भी implement करना है। इस दिशा में, टेक्नोलॉजी और अपनी भाषा में लीगल documents का access, ये गरीब के सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी माध्यम बनेगा। सरकार इसके लिए दिशा नाम के Innovative Solution को भी बढ़ावा दे रही है। हमारे Law Students और अन्य Legal Experts इस अभियान में हमारी मदद कर सकते हैं। इसके अलावा देश में स्थानीय भाषाओं में लीगल डॉक्यूमेंट्स और जजमेंट्स लोगों को मिल सकें, इसके लिए भी काम होने हैं। हमारे सुप्रीम कोर्ट ने इसकी शुरुआत की है। सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन में एक सॉफ्टवेयर बना है, जिससे जूडिशल डॉक्यूमेंट्स 18 भाषाओं में ट्रांसलेट हो सकते हैं। मैं ऐसे सभी प्रयासों के लिए हमारी judiciary की भी सराहना करता हूँ।

साथियों,

मुझे विश्वास है हमारी कोर्ट्स, Ease of Justice को इसी तरह सर्वोच्च प्राथमिकता देती रहेंगी। हम जिस विकसित भारत का स्वप्न लेकर आगे बढ़ रहे हैं, उसमें हर किसी के लिए सरल, सुलभ और सहज न्याय की गारंटी हो, ये बहुत जरूरी है। इसी आशा के साथ, आप सभी को एक बार फिर राजस्थान हाईकोर्ट की प्लेटिनम जुबली की मैं हार्दिक बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Prime Minister condoles the passing of Shri SM Krishna
December 10, 2024

The Prime Minister Shri Narendra Modi today condoled the passing of Shri SM Krishna, former Chief Minister of Karnataka. Shri Modi hailed him as a remarkable leader known for his focus on infrastructural development in Karnataka.

In a thread post on X, Shri Modi wrote:

“Shri SM Krishna Ji was a remarkable leader, admired by people from all walks of life. He always worked tirelessly to improve the lives of others. He is fondly remembered for his tenure as Karnataka’s Chief Minister, particularly for his focus on infrastructural development. Shri SM Krishna Ji was also a prolific reader and thinker.”

“I have had many opportunities to interact with Shri SM Krishna Ji over the years, and I will always cherish those interactions. I am deeply saddened by his passing. My condolences to his family and admirers. Om Shanti.”