उन्होंने उच्च सदन में उपराष्ट्रपति का स्वागत किया
“मैं सशस्त्र सेना झंडा दिवस के अवसर पर सदन के सभी सदस्यों की ओर से सशस्त्र बलों को सलाम करता हूं”
“हमारे उपराष्ट्रपति एक किसान पुत्र हैं और उन्होंने एक सैनिक स्कूल में पढ़ाई की है, वह जवानों और किसानों के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं”
“अमृत काल की इस यात्रा में हमारे लोकतंत्र, हमारी संसद और हमारी संसदीय व्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका होगी”
“आपका जीवन इस बात का प्रमाण है कि कोई सिर्फ सुविधा-संपन्न साधनों से ही नहीं बल्कि अभ्यास और सिद्धियों से कुछ भी हासिल कर सकता है”
“मार्गदर्शन करना ही नेतृत्व की वास्तविक परिभाषा है और राज्यसभा के संदर्भ में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है”
“सदन में गंभीर लोकतांत्रिक चर्चा लोकतंत्र की जननी के रूप में हमारे गौरव को और मजबूती देगी”

आदरणीय सभापति जी,

आदरणीय सभी सम्‍मानीय वरिष्‍ठ सांसदगण,

सबसे पहले मैं आदरणीय सभापति जी, आपको इस सदन की तरफ से और पूरे देश की तरफ से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आपने एक सामान्‍य परिवार से आ करके संघर्षों के बीच जीवन यात्रा को आगे बढ़ाते हुए आप जिस स्‍थान पर पहुंचे हैं, वो देश के कई लोगों के लिए अपने-आप में एक प्रेरणा का कारण है। इस उच्‍च सदन में, इस गरिमामय आसन को आप सुभोभित कर रहे हैं और मैं कहूंगा कि किठाणा के लाल, उनकी जो उपलब्धियां देश देख रहा है तो देश की खुशी का ठिकाना नहीं है।

आदरणीय सभापति जी,

ये सुखद अवसर है कि आज Armed Forces Flag Day भी है।

आदरणीय सभापति जी,

आप तो झुंझुनू से आते हैं, झुंझुनू वीरों की भूमि है। शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा, जिसने देश की सेवा में अग्रिम भूमिका न निभाई हो। और ये भी सोने में सुहागा है कि आप स्‍वयं भी सैनिक स्‍कूल के विद्यार्थी रहे हैं। तो किसान के पुत्र और सैनिक स्‍कूल के विद्यार्थी के रूप में मैं देखता हूं कि आप में किसान और जवान, दोनों समाहित हैं।

मैं आपकी अध्‍यक्षता में इस सदन से सभी देशवासियों को Armed Forces Flag Day की भी शुभकामनाएं देता हूं। मैं इस सदन के सभी आदरणीय सदस्‍यों की तरफ से देश के Armed Forces को सैल्‍यूट करता हूं।

सभापति महोदय,

आज संसद का ये उच्‍च सदन एक ऐसे समय में आपका स्‍वागत कर रहा है, जब देश दो महत्‍वपूर्ण अवसरों का साक्षी बना है। अभी कुछ ही दिन पहले दुनिया ने भारत को जी-20 समूह की मेजबानी का दायित्व सौंपा है। साथ ही, ये समय अमृतकाल के आरंभ का समय है। ये अमृतकाल एक नए विकसित भारत के निर्माण का कालखंड तो होगा ही, साथ ही भारत इस दौरान विश्‍व के भविष्‍य की दिशा तय करने पर भी बहुत अहम भूमिका निभाएगा।

आदरणीय सभापति जी,

भारत की इस यात्रा में हमारा लोकतंत्र, हमारी संसद, हमारी संसदीय व्‍यवस्‍था, उसकी भी एक बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका रहेगी। मुझे खुशी है कि इस महत्‍वपूर्ण कालखंड में उच्‍च सदन को आपके जैसा सक्षम और प्रभावी नेतृत्‍व मिला है। आपके मार्गदर्शन में हमारे सभी सदस्‍यगण अपने कर्तव्‍यों का प्रभावी पालन करेंगे, ये सदन देश के संकल्‍पों को पूरा करने का प्रभावी मंच बनेगा।

आदरणीय सभापति महोदय,

आज आप संसद के उच्‍च सदन के मुखिया के रूप में अपनी नई जिम्‍मेदारी का औपचारिक आरंभ कर रहे हैं। इस उच्‍च सदन के कंधों पर भी जो जिम्‍मेदारी है उसका भी सबसे पहला सरोकार देश के सबसे निचले पायदान पर खड़े सामान्‍य मानवी के हितों से ही जुड़ा है। इस कालखंड में देश अपने इस दायित्‍व को समझ रहा है और उसका पूरी जिम्‍मेदारी से पालन कर रहा है।

आज पहली बार महामहिम राष्‍ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश की गौरवशाली आदिवासी विरासत हमारा मार्गदर्शन कर रही है। इसके पहले भी श्री रामनाथ कोविंद जी ऐसे ही वंचित समाज से निकलकर देश के सर्वोच्‍च पद पर पहुंचे थे। और अब एक किसान के बेटे के रूप में आप भी करोड़ों देशवासियों की, गांव-गरीब और‍ किसान की ऊर्जा का प्रतिनिधित्‍व कर रहे हैं।

आदरणीय सभापति जी,

आपका जीवन इस बात का प्रमाण है कि सिद्धि सिर्फ साधनों से नहीं, साधना से मिलती है। आपने वो समय भी देखा है, जब आप कई किलोमीटर पैदल चल कर स्‍कूल जाया करते थे। गांव, गरीब, किसान के लिए आपने जो किया वो सामाजिक जीवन में रह रहे हर व्‍यक्ति के लिए एक उदाहरण है।

आदरणीय सभापति जी,

आपके पास सीनियर एडवोकेट के रूप में तीन दशक से ज्‍यादा का अनुभव है। मैं विश्‍वास से कह सकता हूं कि सदन में आप कोर्ट की कमी महसूस नहीं करेंगे, क्‍योंकि राज्‍यसभा में बहुत बड़ी मात्रा में वो लोग ज्‍यादा हैं, जो आपको सुप्रीम कोर्ट में मिला करते थे और इसलिए वो मूड और मिजाज भी आपको यहां पर जरूर अदालत की याद दिलाता रहेगा।

आपने विधायक से लेकर सांसद, केन्‍द्रीय मंत्री, गवर्नर तक की भूमिका में भी काम किया है। इन सभी भूमिकाओं में जो एक बात कॉमन रही, वो है देश के विकास और लोकतांत्रिक मूल्‍यों के लिए आपकी निष्‍ठा। निश्चित तौर पर आपके अनुभव देश और लोकतं‍त्र के लिए बहुत ही महत्‍वपूर्ण हैं।

आदरणीय सभापति जी,

आप राजनीति में रहकर भी दलगत सीमाओं से ऊपर उठकर सबको साथ जोड़कर काम करते रहे हैं। उपराष्‍ट्रपति के चुनाव में भी आपके लिए सबका वो अपनापन हमने स्‍पष्‍ट रूप से देखा। मतदान के 75 पर्सेंट वोट प्राप्‍त करके जीत हासिल करना अपने-आप में अहम रहा है।

आदरणीय सभापति जी,

हमारे यहां कहा जाता है- नयति इति नायक: - अर्थात् जो हमें आगे ले जाए, वही नायक है। आगे लेकर जाना ही नेतृत्‍व की वास्‍तविक परिभाषा है। राज्‍यसभा के संदर्भ में ये बात और महत्‍वपूर्ण हो जाती है, क्‍योंकि सदन पर लोकतांत्रिक निर्णयों को और भी रिफाइंड तरीके से आगे बढ़ाने की जिम्‍मेदारी है। इसलिए जब आपके जैसा जमीन से जुड़ा नेतृत्‍व इस सदन को मिलता है, तो मैं मानता हूं कि ये सदन के हर सदस्‍य के लिए सौभाग्‍य है।

आदरणीय सभापति जी,

राज्‍यसभा देश की महान लोकतांत्रिक विरासत की एक संवाहक भी रही है और उसकी शक्ति भी रही है। हमारे कई प्रधानमंत्री ऐसे हुए, जिन्‍होंने कभी न कभी राज्‍यसभा सदस्‍य के रूप में कार्य किया है। अनेक उत्‍कृष्‍ट नेताओं की संसदीय यात्रा राज्‍यसभा से शुरू हुई थी। इसलिए इस सदन की गरिमा को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए एक मजबूत जिम्‍मेदारी हम सभी के ऊपर है।

आदरणीय सभापति जी,

मुझे विश्‍वास है कि आपके मार्गदर्शन में ये सदन अपनी इस विरासत को, अपनी इस गरिमा को आगे बढ़ायेगा, नई ऊंचाइयां देगा। सदन की गंभीर चर्चाएं, लोकतांत्रिक विमर्श, लोकतंत्र की जननी के रूप में हमारे गौरव को और अधिक ताकत देंगे।

आदरणीय सभापति महोदय जी,

पिछले सत्र तक हमारे पूर्व उपराष्‍ट्रपति जी और पूर्व सभापति जी इस सदन का मार्गदर्शन करते थे और उनकी शब्‍द रचनाएं, उनकी तुकबंदी सदन को हमेशा प्रसन्‍न रखती थी, ठहाके लेने के लिए बड़ा अवसर मिलता था। मुझे विश्‍वास है कि आपका जो हाजिर जवाबी स्‍वभाव है वो उस कमी को कभी खलने नहीं देगा और आप सदन को वो लाभ भी देते रहेंगे।

इसी के साथ मैं पूरे सदन की तरफ से, देश की तरफ से, मेरी तरफ से आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

धन्‍यवाद।

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प्रधानमंत्री ने एनसीसी के कैडेटों, एनएसएस के स्वयंसेवकों, जनजातीय मेहमानों और झांकियों से जुड़े कलाकारों के साथ बातचीत की
January 24, 2025
प्रधानमंत्री ने एक अभिनव तरीके से बातचीत की, व्यक्तिगत रूप से प्रतिभागियों के साथ खुलकर जुड़े
प्रधानमंत्री ने ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संदेश पर प्रकाश डाला, प्रतिभागियों से अन्य राज्यों के लोगों के साथ बातचीत करने का आग्रह किया
प्रधानमंत्री ने युवाओं को राष्ट्र निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया, विकसित भारत के सपने को साकार करने हेतु कर्तव्यों को पूरा करने के महत्व पर जोर दिया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज लोक कल्याण मार्ग स्थित अपने आवास पर आगामी गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा बनने वाले एनसीसी के कैडेटों, एनएसएस के स्वयंसेवकों, जनजातीय मेहमानों और झांकियों से जुड़े कलाकारों के साथ बातचीत की। इस बातचीत के बाद भारत की समृद्ध संस्कृति एवं विविधता को प्रदर्शित करने वाले जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

अतीत की परंपराओं से हटकर, प्रधानमंत्री ने प्रतिभागियों के साथ एक अभिनव तरीके से बातचीत की। वह प्रतिभागियों के साथ अनौपचारिक तरीके से खुलकर जुड़े।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय एकता एवं विविधता के महत्व पर जोर दिया और सभी प्रतिभागियों से ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करने हेतु विभिन्न राज्यों के लोगों के साथ बातचीत करने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इस तरह की बातचीत समझ एवं एकता को बढ़ावा देती है, जो देश की प्रगति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जिम्मेदार नागरिक के रूप में कर्तव्यों को पूरा करना विकसित भारत के सपने को साकार करने की कुंजी है। उन्होंने सभी से एकजुट रहने और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से राष्ट्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध रहने का आग्रह किया। उन्होंने युवाओं को माई भारत पोर्टल पर पंजीकरण करने और राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाली गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अनुशासन, समय की पाबंदी और सुबह जल्दी उठने जैसी अच्छी आदतों को अपनाने के महत्व के बारे में भी बताया और डायरी लेखन को प्रोत्साहित किया।

बातचीत के दौरान, प्रधानमंत्री ने सरकार की कुछ प्रमुख पहलों पर चर्चा की जो लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर रही हैं। उन्होंने 3 करोड़ “लखपति दीदी” बनाने की पहल के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। एक प्रतिभागी ने अपनी मां की कहानी साझा की, जिन्हें इस योजना से लाभ हुआ, जिससे उनके उत्पादों का निर्यात संभव हो सका। प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि कैसे भारत में डेटा की किफायती दरों ने कनेक्टिविटी के मामले में आमूल परिवर्तन ला दिया है और डिजिटल इंडिया को सशक्त बनाया है, जिससे लोगों को आपस में जुड़े रहने में मदद मिली है और अवसरों में वृद्धि हुई है।

स्वच्छता के महत्व पर चर्चा करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर 140 करोड़ भारतीय स्वच्छता बनाए रखने का संकल्प ले लें तो भारत हमेशा स्वच्छ रहेगा। उन्होंने ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के महत्व के बारे में भी बताया और सभी से अपनी मां को समर्पित करते हुए पेड़ लगाने का आग्रह किया। उन्होंने फिट इंडिया मूवमेंट पर चर्चा की और सभी से योग करने के लिए समय निकालने तथा फिटनेस एवं कल्याण पर ध्यान केन्द्रित करने को कहा, जो एक मजबूत एवं स्वस्थ राष्ट्र के लिए बेहद आवश्यक है।

प्रधानमंत्री ने विदेशी प्रतिभागियों से भी बातचीत की। इन प्रतिभागियों ने इस कार्यक्रम में भाग लेने पर प्रसन्नता व्यक्त की, भारत के आतिथ्य की प्रशंसा की और अपनी यात्राओं से जुड़े सकारात्मक अनुभव साझा किए।