विष्णु महायज्ञ में मंदिर दर्शन, परिक्रमा और पूर्णाहुति की
राष्ट्र के निरंतर विकास और गरीबों के कल्याण के लिए भगवान श्री देवनारायण जी से आशीर्वाद मांगा
“भारत को भौगोलिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और वैचारिक रूप से तोड़ने के बहुत प्रयास हुए, लेकिन भारत को कोई भी ताकत समाप्त नहीं कर पाई”
"भारत की हजारों वर्षों की यात्रा में समाजशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका रही है; यह भारतीय समाज की ताकत और प्रेरणा है, जो राष्ट्र की अमरता को बरकरार रखती है"
"भगवान देवनारायण ने जो रास्ता दिखाया है, वह 'सबका साथ' से 'सबका विकास' का है; आज देश इसी रास्ते पर चल रहा है”
“देश, समाज के हर उस वर्ग को सशक्त करने का प्रयास कर रहा है, जो उपेक्षित रहा है, वंचित रहा है”
"राष्ट्रीय रक्षा हो या संस्कृति का संरक्षण, गुर्जर समाज ने हर काल में रक्षक की भूमिका निभाई है"
"नया भारत पिछले दशकों की गलतियों को सुधार रहा है और अपने गुमनाम नायकों का सम्मान कर रहा है"

मालासेरी डूंगरी की जय, मालासेरी डूंगरी की जय!
साडू माता की जय, साडू माता की जय!

सवाईभोज महाराज की जय, सवाईभोज महाराज की जय!

देवनारायण भगवान की जय, देवनारायण भगवान की जय!

 

साडू माता गुर्जरी की ई तपोभूमि, महादानी बगड़ावत सूरवीरा री कर्मभूमि, और देवनारायण भगवान री जन्मभूमि, मालासेरी डूँगरी न म्हारों प्रणाम।

श्री हेमराज जी गुर्जर, श्री सुरेश दास जी, दीपक पाटिल जी, राम प्रसाद धाबाई जी, अर्जुन मेघवाल जी, सुभाष बहेडीया जी, और देशभर से पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

आज इस पावन अवसर पर भगवान देवनारायण जी का बुलावा आया और जब भगवान देवनारायण जी का बुलावा आए और कोई मौका छोड़ता है क्या? मैं भी हाजिर हो गया। और आप याद रखिये, ये कोई प्रधानमंत्री यहां नहीं आया है। मैं पूरे भक्तिभाव से आप ही की तरह एक यात्री के रूप में आर्शीवाद लेने आया हूं। अभी मुझे यज्ञशाला में पूर्णाहूति देने का भी सौभाग्य मिला। मेरे लिए ये भी सौभाग्य का विषय है कि मुझ जैसे एक सामान्य व्यक्ति को आज आपके बीच आकर के भगवान देवनारायण जी का और उनके सभी भक्तों का आशीर्वाद प्राप्त करने का ये पुण्य प्राप्त हुआ है। भगवान देवनारायण और जनता जनार्दन, दोनों के दर्शन करके मैं आज धन्य हो गया हूं। देशभर से यहां पधारे सभी श्रद्धालुओं की भांति, मैं भगवान देवनारायण से अनवरत राष्ट्रसेवा के लिए, गरीबों के कल्याण के लिए आशीर्वाद मांगने आया हूं।

 

साथियों,

ये भगवान देवनारायण का एक हज़ार एक सौ ग्यारहवां अवतरण दिवस है। सप्ताहभर से यहां इससे जुड़े समारोह चल रहे हैं। जितना बड़ा ये अवसर है, उतनी ही भव्यता, उतनी दिव्यता, उतनी ही बड़ी भागीदारी गुर्जर समाज ने सुनिश्चित की है। इसके लिए मैं आप सभी को बधाई देता हूं, समाज के प्रत्येक व्यक्ति के प्रयास की सराहना करता हूं।

 

भाइयों और बहनों,

भारत के हम लोग, हज़ारों वर्षों पुराने अपने इतिहास, अपनी सभ्यता, अपनी संस्कृति पर गर्व करते हैं। दुनिया की अनेक सभ्यताएं समय के साथ समाप्त हो गईं, परिवर्तनों के साथ खुद को ढाल नहीं पाईं। भारत को भी भौगोलिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और वैचारिक रूप से तोड़ने के बहुत प्रयास हुए। लेकिन भारत को कोई भी ताकत समाप्त नहीं कर पाई। भारत सिर्फ एक भूभाग नहीं है, बल्कि हमारी सभ्यता की, संस्कृति की, सद्भावना की, संभावना की एक अभिव्यक्ति है। इसलिए आज भारत अपने वैभवशाली भविष्य की नींव रख रहा है। और जानते हैं, इसके पीछे सबसे बड़ी प्रेरणा, सबसे बड़ी शक्ति क्या है? किसकी शक्ति से, किसके आशीर्वाद से भारत अटल है, अजर है, अमर है?

 

मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

ये शक्ति हमारे समाज की शक्ति है। देश के कोटि-कोटि जनों की शक्ति है। भारत की हजारों वर्षों की यात्रा में समाजशक्ति की बहुत बड़ी भूमिका रही है। हमारा ये सौभाग्य रहा है कि हर महत्वपूर्ण काल में हमारे समाज के भीतर से ही एक ऐसी ऊर्जा निकलती है, जिसका प्रकाश, सबको दिशा दिखाता है, सबका कल्याण करता है। भगवान देवनारायण भी ऐसे ही ऊर्जापुंज थे, अवतार थे, जिन्होंने अत्याचारियों से हमारे जीवन और हमारी संस्कृति की रक्षा की। देह रूप में मात्र 31 वर्ष की आयु बिताकर, जनमानस में अमर हो जाना, सर्वसिद्ध अवतार के लिए ही संभव है। उन्होंने समाज में फैली बुराइयों को दूर करने का साहस किया, समाज को एकजुट किया, समरसता के भाव को फैलाया। भगवान देवनारायण ने समाज के विभिन्न वर्गों को साथ जोड़कर आदर्श व्यवस्था कायम करने की दिशा में काम किया। यही कारण है कि भगवान देवनारायण के प्रति समाज के हर वर्ग में श्रद्धा है, आस्था है। इसलिए भगवान देवनारायण आज भी लोकजीवन में परिवार के मुखिया की तरह हैं, उनके साथ परिवार का सुख-दुख बांटा जाता है।

 

भाइयों और बहनों,

भगवान देवनारायण ने हमेशा सेवा और जनकल्याण को सर्वोच्चता दी। यही सीख, यही प्रेरणा लेकर हर श्रद्धालु यहां से जाता है। जिस परिवार से वे आते थे, वहां उनके लिए कोई कमी नहीं थी। लेकिन सुख-सुविधा की बजाय उन्होंने सेवा और जनकल्याण का कठिन मार्ग चुना। अपनी ऊर्जा का उपयोग भी उन्होंने प्राणी मात्र के कल्याण के लिए किया।

 

भाइयों और बहनों,

‘भला जी भला, देव भला’। ‘भला जी भला, देव भला’। इसी उद्घोष में, भले की कामना है, कल्याण की कामना है। भगवान देवनारायण ने जो रास्ता दिखाया है, वो सबके साथ से सबके विकास का है। आज देश इसी रास्ते पर चल रहा है। बीते 8-9 वर्षों से देश समाज के हर उस वर्ग को सशक्त करने का प्रयास कर रहा है, जो उपेक्षित रहा है, वंचित रहा है। वंचितों को वरीयता इस मंत्र को लेकर के हम चल रहे हैं। आप याद करिए, राशन मिलेगा या नहीं, कितना मिलेगा, ये गरीब की कितनी बड़ी चिंता होती थी। आज हर लाभार्थी को पूरा राशन मिल रहा है, मुफ्त मिल रहा है। अस्पताल में इलाज की चिंता को भी हमने आयुष्मान भारत योजना से दूर कर दिया है। गरीब के मन में घर को लेकर, टॉयलेट, बिजली, गैस कनेक्शन को लेकर चिंता हुआ करती थी, वो भी हम दूर कर रहे हैं। बैंक से लेन-देन भी कभी बहुत ही कम लोगों के नसीब होती थी। आज देश में सभी के लिए बैंक के दरवाज़े खुल गए हैं।

 

साथियों,

पानी का क्या महत्व होता है, ये राजस्थान से भला बेहतर कौन जान सकता है। लेकिन आज़ादी के अनेक दशकों बाद भी देश के सिर्फ 3 करोड़ परिवारों तक ही नल से जल की सुविधा थी। 16 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को पानी के लिए संघर्ष करना पड़ता था। बीते साढ़े 3 वर्षों के भीतर देश में जो प्रयास हुए हैं, उसकी वजह से अब 11 करोड़ से ज्यादा परिवारों तक पाइप से पानी पहुंचने लगा है। देश में किसानों के खेत तक पानी पहुंचाने के लिए भी बहुत व्यापक काम देश में हो रहा है। सिंचाई की पारंपरिक योजनाओं का विस्तार हो या फिर नई तकनीक से सिंचाई, किसान को आज हर संभव मदद दी जा रही है। छोटा किसान, जो कभी सरकारी मदद के लिए तरसता था, उसे भी पहली बार पीएम किसान सम्मान निधि से सीधी मदद मिल रही है। यहां राजस्थान में भी किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 15 हजार करोड़ रुपए से अधिक सीधे उनके बैंक खातों में भेजे गए हैं।

 

साथियों,

भगवान देवनारायण ने गौसेवा को समाज सेवा का, समाज के सशक्तिकरण का माध्यम बनाया था। बीते कुछ वर्षों से देश में भी गौसेवा का ये भाव निरंतर सशक्त हो रहा है। हमारे यहां पशुओं में खुर और मुंह की बीमारियां, खुरपका और मुंहपका, कितनी बड़ी समस्या थी, ये आप अच्छी तरह जानते हैं। इससे हमारी गायों को, हमारे पशुधन को मुक्ति मिले, इसलिए देश में करोड़ों पशुओं के मुफ्त टीकाकरण का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। देश में पहली बार गौ-कल्याण के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग बनाया गया है। राष्ट्रीय गोकुल मिशन से वैज्ञानिक तरीकों से पशुपालन को प्रोत्साहित करने पर बल दिया जा रहा है। पशुधन हमारी परंपरा, हमारी आस्था का ही नहीं, बल्कि हमारे ग्रामीण अर्थतंत्र का भी मजबूत हिस्सा है। इसलिए पहली बार पशुपालकों के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी गई है। आज पूरे देश में गोबरधन योजना भी चल रही है। ये गोबर सहित खेती से निकलने वाले कचरे को कंचन में बदलने का अभियान है। हमारे जो डेयरी प्लांट हैं- वे गोबर से पैदा होने वाली बिजली से ही चलें, इसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं।

 

साथियों,

पिछले वर्ष स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मैंने लाल किले से पंच प्राणों पर चलने का आग्रह किया था। उद्देश्य यही है कि हम सभी अपनी विरासत पर गर्व करें, गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलें और देश के लिए अपने कर्तव्यों को याद रखें। अपने मनीषियों के दिखाए रास्तों पर चलना और हमारे बलिदानियों, हमारे शूरवीरों के शौर्य को याद रखना भी इसी संकल्प का हिस्सा है। राजस्थान तो धरोहरों की धरती है। यहां सृजन है, उत्साह और उत्सव भी है। परिश्रम और परोपकार भी है। शौर्य यहां घर-घर के संस्कार हैं। रंग-राग राजस्थान के पर्याय हैं। उतना ही महत्व यहां के जन-जन के संघर्ष और संयम का भी है। ये प्रेरणा स्थली, भारत के अनेक गौरवशाली पलों की व्यक्तित्वों की साक्षी रही है। तेजा-जी से पाबू-जी तक, गोगा-जी से रामदेव-जी तक, बप्पा रावल से महाराणा प्रताप तक, यहां के महापुरुषों, जन-नायकों, लोक-देवताओं और समाज सुधारकों ने हमेशा देश को रास्ता दिखाया है। इतिहास का शायद ही कोई कालखंड है, जिसमें इस मिट्टी ने राष्ट्र के लिए प्रेरणा ना दी हो। इसमें भी गुर्जर समाज, शौर्य, पराक्रम और देशभक्ति का पर्याय रहा है। राष्ट्ररक्षा हो या फिर संस्कृति की रक्षा, गुर्जर समाज ने हर कालखंड में प्रहरी की भूमिका निभाई है। क्रांतिवीर भूप सिंह गुर्जर, जिन्हें विजय सिंह पथिक के नाम से जाना जाता है, उनके नेतृत्व में बिजोलिया का किसान आंदोलन आज़ादी की लड़ाई में एक बड़ी प्रेरणा था। कोतवाल धन सिंह जी और जोगराज सिंह जी, ऐसे अनेक योद्धा रहे हैं, जिन्होंने देश के लिए अपना जीवन दे दिया। यही नहीं, रामप्यारी गुर्जर, पन्ना धाय जैसी नारीशक्ति की ऐसी महान प्रेरणाएं भी हमें हर पल प्रेरित करती हैं। ये दिखाता है कि गुर्जर समाज की बहनों ने, गुर्जर समाज की बेटियों ने, कितना बड़ा योगदान देश और संस्कृति की सेवा में दिया है। और ये परंपरा आज भी निरंतर समृद्ध हो रही है। ये देश का दुर्भाग्य है कि ऐसे अनगिनत सेनानियों को हमारे इतिहास में वो स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो हकदार थे, जो उन्हें मिलना चाहिए था। लेकिन आज का नया भारत बीते दशकों में हुई उन भूलों को भी सुधार रहा है। अब भारत की संस्कृति और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, भारत के विकास में जिसका भी योगदान रहा है, उसे सामने लाया जा रहा है।

 

साथियों,

आज ये भी बहुत जरूरी है कि हमारे गुर्जर समाज की जो नई पीढ़ी है, जो युवा हैं, वो भगवान देवनारायण के संदेशों को, उनकी शिक्षाओं को, और मजबूती से आगे बढ़ाएं। ये गुर्जर समाज को भी सशक्त करेगा और देश को भी आगे बढ़ने में इससे मदद मिलेगी।

 

साथियों,

21वीं सदी का ये कालखंड, भारत के विकास के लिए, राजस्थान के विकास के लिए बहुत अहम है। हमें एकजुट होकर देश के विकास के लिए काम करना है। आज पूरी दुनिया भारत की ओर बहुत उम्मीदों से देख रही है। भारत ने जिस तरह पूरी दुनिया को अपना सामर्थ्य दिखाया है, अपना दमखम दिखाया है, उसने शूरवीरों की इस धरती का भी गौरव बढ़ाया है। आज भारत, दुनिया के हर बड़े मंच पर अपनी बात डंके की चोट पर कहता है। आज भारत, दूसरे देशों पर अपनी निर्भरता कम कर रहा है। इसलिए ऐसी हर बात, जो हम देशवासियों की एकता के खिलाफ है, उससे हमें दूर रहना है। हमें अपने संकल्पों को सिद्ध कर दुनिया की उम्मीदों पर खरा उतरना है। मुझे पूरा विश्वास है कि भगवान देनारायण जी के आशीर्वाद से हम सब जरूर सफल होंगे। हम कड़ा परिश्रम करेंगे, सब मिलकर करेंगे, सबके प्रयास से सिद्धि प्राप्त होकर रहेगी। और ये भी देखिए कैसा संयोग है। भगवान देवनारायण जी का 1111वां अवतरण वर्ष उसी समय भारत की जी-20 की अध्यक्षता और उसमें भी भगवान देवनारायण का अवतरण कमल पर हुआ था, और जी-20 का जो Logo है, उसमें भी कमल के ऊपर पूरी पृथ्वी को बिठाया है। ये भी बड़ा संयोग है और हम तो वो लोग हैं, जिसकी पैदाइशी कमल के साथ हुई है। और इसलिए हमारा आपका नाता कुछ गहरा है। लेकिन मैं पूज्य संतों को प्रणाम करता हूं। इतनी बड़ी तादाद में यहां आशीर्वाद देने आए हैं। मैं समाज का भी हृदय से आभार व्यक्त करता हूं कि एक भक्त के रूप में मुझे आज यहां बुलाया, भक्तिभाव से बुलाया। ये सरकारी कार्यक्रम नहीं है। पूरी तरह समाज की शक्ति, समाज की भक्ति उसी ने मुझे प्रेरित किया और मैं आपके बीच पहुंच गया। मेरी आप सब को अनेक-अनेक शुभकामनाएं हैं।

जय देव दरबार! जय देव दरबार! जय देव दरबार!

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PM Modi congratulates Shri Devendra Fadnavis on taking oath as Maharashtra's Chief Minister
December 05, 2024
Congratulates Shri Eknath Shinde and Shri Ajit Pawar on taking oath as Deputy Chief Ministers
Assures all possible support from Centre in furthering development in Maharashtra

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has congratulated Shri Devendra Fadnavis on taking oath as Chief Minister of Maharashtra. He also congratulated Shri Eknath Shinde and Shri Ajit Pawar on taking oath as Deputy Chief Ministers. Shri Modi assured all possible support from the Centre in furthering development in Maharashtra.

The Prime Minister posted on X:

“Congratulations to Shri Devendra Fadnavis Ji on taking oath as Maharashtra's Chief Minister.

Congratulations to Shri Eknath Shinde Ji and Shri Ajit Pawar Ji on taking oath as the Deputy Chief Ministers of the state.

This team is a blend of experience and dynamism, and it is due to this team's collective efforts that the Mahayuti has got a historic mandate in Maharashtra. This team will do everything possible to fulfil the aspirations of the people of the state and to ensure there is good governance.

I assure all possible support from the Centre in furthering development in Maharashtra.”