Quote"आजादी के इस अमृत काल में श्री भगवान राम जैसी संकल्पशक्ति, देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी"
Quote"भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में जिन मूल्यों को गढ़ा, वह सबका साथ-सबका विकास की प्रेरणा है और सबका विश्वास-सबका प्रयास का आधार है"
Quote"राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते, राम कर्तव्य भावना से मुख नहीं मोड़ते"
Quote"हमारे संविधान की जिस मूलप्रति पर भगवान राम का चित्र अंकित है, संविधान का वह पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है"
Quote"पिछले आठ वर्षों में, देश ने हीन भावना की बेड़ियों को तोड़ा है और भारत के आस्था के केंद्रों के विकास की एक समग्र सोच को सामने रखा है"
Quote"अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है"
Quote"अयोध्या की पहचान एक 'कर्तव्य नगरी' के रूप में विकसित होनी चाहिए"

जय सिया राम।

जय जय सिया राम॥

कार्यक्रम में उपस्थित उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनन्दीबेन पटेल जी, यहां के लोकप्रिय, कर्मयोगी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी, सभी पूज्य संत गण, उपस्थित अन्य सभी प्रबुद्ध जन, श्रद्धालुगण, देवियों और सज्जनों,

श्रीरामलला के दर्शन और उसके बाद राजा राम का अभिषेक, ये सौभाग्य रामजी की कृपा से ही मिलता है। जब श्रीराम का अभिषेक होता है, तो हमारे भीतर भगवान राम के आदर्श और मूल्य और दृढ़ हो जाते हैं। राम के अभिषेक के साथ ही उनका दिखाया पथ और प्रदीप्त हो उठता है। अयोध्या की तो रज-रज में, कण-कण में उनका दर्शन समाहित है। आज अयोध्या की रामलीलाओं के माध्यम से, सरयू आरती के माध्यम से, दीपोत्सव के माध्यम से, और रामायण पर शोध और अनुसंधान के माध्यम से ये दर्शन पूरे विश्व में प्रसारित हो रहा है। मुझे खुशी है कि, अयोध्या के लोग, पूरे उत्तर प्रदेश और देश के लोग इस प्रवाह का हिस्सा बन रहे हैं, देश में जन-कल्याण की धारा को गति दे रहे हैं। मैं इस अवसर पर आपको, देशवासियों को और विश्‍व भर में फैले हुए राम भक्तों को भी हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं प्रभु श्रीराम की पावन जन्मभूमि से सभी देशवासियों को आज छोटी दीपावली के पर्व पर कल की दीपावली की भी हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।

साथियों,

इस बार दीपावली एक ऐसे समय में आई है, जब हमने कुछ समय पहले ही आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं, हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। आजादी के इस अमृतकाल में भगवान राम जैसी संकल्पशक्ति, देश को नई ऊंचाई पर ले जाएगी। भगवान राम ने अपने वचन में, अपने विचारों में, अपने शासन में, अपने प्रशासन में जिन मूल्यों को गढ़ा, वो सबका साथ-सबका विकास की प्रेरणा हैं और सबका विश्वास-सबका प्रयास का आधार भी हैं। अगले 25 वर्षों में विकसित भारत की आकांक्षा लिए आगे बढ़ रहे हम हिंदुस्तानियों के लिए, श्रीराम के आदर्श, उस प्रकाश स्तंभ की तरह हैं, जो हमें कठिन से कठिन लक्ष्यों को हासिल करने का हौसला देंगे।

साथियों,

इस बार लाल किले से मैंने सभी देशवासियों से पंच प्राणों को आत्मसात करने का आह्वान किया है। इन पंच प्राणों की ऊर्जा जिस एक तत्व से जुड़ी हुई है, वो है भारत के नागरिकों का कर्तव्य। आज अयोध्या नगरी में, दीपोत्सव के इस पावन अवसर पर हमें अपने इस संकल्प को दोहराना है, श्रीराम से जितना सीख सकें, सीखना है। भगवान राम, मर्यादा पुरुषोत्तम कहे जाते हैं। मर्यादा, मान रखना भी सिखाती है और मान देना भी सिखाती है। और मर्यादा, जिस बोध की आग्रही होती है, वो बोध कर्तव्य ही है। हमारे धर्मग्रंथों में कहा गया है- “रामो विग्रहवान् धर्मः”॥ अर्थात्, राम साक्षात् धर्म के, यानी कर्तव्य के सजीव स्वरूप हैं। भगवान राम जब जिस भूमिका में रहे, उन्होंने कर्तव्यों पर सबसे ज्यादा बल दिया। वो जब राजकुमार थे, तो ऋषियों की, उनके आश्रमों और गुरुकुलों की सुरक्षा का कर्तव्य निभाया। राज्याभिषेक के समय पर श्रीराम ने एक आज्ञाकारी बेटे का कर्तव्य निभाया। उन्होंने पिता और परिवार के वचनों को प्राथमिकता देते हुए राज्य के त्याग को, वन जाने को अपना कर्तव्य समझकर स्वीकार किया। वो वन में होते हैं, तो वनवासियों को गले लगाते हैं। आश्रमों में जाते हैं, तो माँ सबरी का आशीर्वाद लेते हैं। वो सबको साथ लेकर लंका पर विजय प्राप्त करते हैं, और जब सिंहासन पर बैठते हैं, तो वन के वही सब साथी राम के साथ खड़े होते हैं। क्योंकि, राम किसी को पीछे नहीं छोड़ते। राम कर्तव्यभावना से मुख नहीं मोड़ते। इसीलिए, राम, भारत की उस भावना के प्रतीक हैं, जो मानती है कि हमारे अधिकार हमारे कर्तव्यों से स्वयं सिद्ध हो जाते हैं। इसलिए हमें कर्तव्यों के प्रति समर्पित होने की जरूरत है। और संयोग देखिए, हमारे संविधान की जिस मूलप्रति पर भगवान राम, माँ सीता और लक्ष्मण जी का चित्र अंकित है, संविधान का वो पृष्ठ भी मौलिक अधिकारों की बात करता है। यानी, एक ओर हमारे संवैधानिक अधिकारों की गारंटी, तो साथ ही प्रभु राम के रूप में कर्तव्यों का शाश्वत सांस्कृतिक बोध! इसीलिए, हम जितना कर्तव्यों के संकल्प को मजबूत करेंगे, राम जैसे राज्य की संकल्पना उतनी ही साकार होती जाएगी।

साथियों,

आज़ादी के अमृतकाल में देश ने अपनी विरासत पर गर्व और गुलामी की मानसिकता से मुक्ति का आवाहन किया है। ये प्रेरणा भी हमें प्रभु श्रीराम से मिलती है। उन्होंने कहा था- जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। यानी, वो स्वर्णमयी लंका के सामने भी हीनभावना में नहीं आए, बल्कि उन्होंने कहा कि माँ और मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है। इसी आत्मविश्वास के साथ जब वो अयोध्या में लौटकर आते हैं तब अयोध्या के बारे में कहा जाता है- “नव ग्रह निकर अनीक बनाई। जनु घेरी अमरावति आई”॥ यानी, अयोध्या की तुलना स्वर्ग से की गई है। इसीलिए भाइयों बहनों, जब राष्ट्र निर्माण का संकल्प होता है, नागरिकों में देश के लिए सेवा भाव होता है तो भी और तभी राष्ट्र विकास की असीम ऊंचाइयों को छूता है। एक समय था, जब राम के बारे में, हमारी संस्कृति और सभ्यता के बारे में बात करने तक से बचा जाता था। इसी देश में राम के अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह लगाए जाते थे। उसका परिणाम क्या हुआ? हमारे धार्मिक, सांस्कृतिक स्थान और नगर पीछे छूटते चले गए। हम यहीं अयोध्या के रामघाट पर आते थे तो दुर्दशा देखकर मन दुःखी हो जाता था। काशी की तंगहाली, वो गंदगी और वो गलियाँ परेशान कर देती थी। जिन स्थानों को हम अपनी पहचान का, अपने अस्तित्व का प्रतीक मानते थे, जब वही बदहाल थे, तो देश के उत्थान का मनोबल अपने आप टूट जाता था।

साथियों,

बीते आठ वर्षों में देश ने हीनभावना की इन बेड़ियों को तोड़ा है। हमने भारत के तीर्थों के विकास की एक समग्र सोच को सामने रखा है। हमने राम मंदिर और काशी विश्वनाथ धाम से लेकर केदारनाथ और महाकाल-महालोक तक, घनघोर उपेक्षा के शिकार हमारी आस्था के स्थानों के गौरव को पुनर्जीवित किया है। एक समग्र प्रयास कैसे समग्र विकास का जरिया बन जाता है, आज देश इसका साक्षी है। आज अयोध्या के विकास के लिए हजारों करोड़ों रुपए की नई योजनाएँ शुरू की गई हैं। सड़कों का विकास हो रहा है। चौराहों और घाटों का सौंदर्यीकरण हो रहा है। नए इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहे हैं। यानी अयोध्या का विकास नए आयाम छू रहा है। अयोध्या रेलवे स्टेशन के साथ साथ वर्ल्ड क्लास एयरपोर्ट का निर्माण भी किया जाएगा। यानी, कनेक्टिविटी और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन का लाभ इस पूरे क्षेत्र को मिलेगा। अयोध्या के विकास के साथ साथ रामायण सर्किट के विकास पर भी काम चल रहा है। यानी, अयोध्या से जो विकास अभियान शुरू हुआ, उसका विस्तार आसपास के पूरे क्षेत्र में होगा।

साथियों,

इस सांस्कृतिक विकास के कई सामाजिक और अंतर्राष्ट्रीय आयाम भी हैं। श्रृंगवेरपुर धाम में निषादराज पार्क का निर्माण किया जा रहा है। यहाँ भगवान राम और निषादराज की 51 फीट ऊँची कांस्य प्रतिमा बनाई जा रही है। ये प्रतिमा रामायण के उस सर्वसमावेशी संदेश को भी जन-जन तक पहुंचाएगी जो हमें समानता और समरसता के लिए संकल्पबद्ध करता है। इसी तरह, अयोध्या में क्वीन-हो मेमोरियल पार्क का निर्माण कराया गया है। ये पार्क भारत और दक्षिण कोरिया अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाने के लिए, दोनों देशों के सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करने का एक माध्यम बनेगा। आप कल्पना कर सकते हैं, इस विकास से, पर्यटन की इतनी संभावनाओं से युवाओं के लिए रोजगार के कितने अवसर पैदा होंगे। सरकार ने जो रामायण एक्सप्रेस ट्रेन चलाई है, वो Spiritual Tourism की दिशा में एक बेहतरीन शुरुआत है। आज देश में चारधाम प्रोजेक्ट हो, बुद्ध सर्किट हो, या प्रसाद योजना के तहत चल रहे विकास कार्य हों, हमारा ये सांस्कृतिक उत्कर्ष, नए भारत के समग्र उत्थान का श्रीगणेश है।

साथियों,

आज अयोध्या नगरी से मेरा पूरे देश के लोगों के लिए एक प्रार्थना भी है, एक नम्र निवेदन भी है। अयोध्या भारत की महान सांस्कृतिक विरासत का प्रतिबिंब है। राम, अयोध्या के राजकुमार थे, लेकिन आराध्य वो पूरे देश के हैं। उनकी प्रेरणा, उनकी तप-तपस्या, उनका दिखाया मार्ग, हर देशवासी के लिए है। भगवान राम के आदर्शों पर चलना हम सभी भारतीयों का कर्तव्य है। उनके आदर्शों को हमें निरंतर जीना है, जीवन में उतारना है। और इस आदर्श पथ पर चलते हुए अयोध्या वासियों पर दोहरा दायित्व है। आपकी double responsibility है मेरे अयोध्‍या के भाइयों-बहनों! वो दिन दूर नहीं जब विश्व भर से यहां आने वालों की संख्या अनेक गुना बढ़ जाएगी। जहां कण-कण में राम व्याप्त हों, वहां का जन-जन कैसा हो, वहां के लोगों का मन कैसा हो, ये भी उतना ही अहम है। जैसे राम जी ने सबको अपनापन दिया, वैसे ही अयोध्या वासियों को यहां आने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्वागत अपनत्व से करना है। अयोध्या की पहचान कर्तव्य नगरी के तौर पर भी बननी चाहिए। अयोध्या, सबसे स्वच्छ नगरी हो, यहां के रास्ते चौड़े हों, सुंदरता अप्रतिम हो, इसके लिए योगी जी की सरकार दिव्य दृष्टि के साथ अनेक प्रकल्‍पों को आगे बढ़ा रही है, प्रयास कर रही है। लेकिन इस प्रयास में अयोध्या के लोगों का साथ और बढ़ जाएगा तो अयोध्या जी की दिव्यता भी और निखर जाएगी। मैं चाहूंगा कि जब भी नागरिक मर्यादा की बात हो, नागरिक अनुशासन की बात हो, अयोध्या के लोगों का नाम सबसे आगे आए। मैं अयोध्या की पुण्य भूमि पर प्रभु श्री राम से यही कामना करता हूँ, देश के जन-जन की कर्तव्य शक्ति से भारत का सामर्थ्य शिखर तक पहुंचे। नए भारत का हमारा स्वप्न मानवता के कल्याण का माध्यम बने। इसी कामना के साथ, मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। एक बार फिर सभी देशवासियों को दीपावली की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद!

बोलो- सियावर रामचंद्र की जय !

सियावर रामचंद्र की जय!

सियावर रामचंद्र की जय!

धन्यवाद जी !

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पीएम मोदी का BRICS सेशन में संबोधन: ‘शांति और सुरक्षा तथा ग्लोबल गवर्नेंस में रिफॉर्म’
July 06, 2025

Your Highness,

Excellencies,

नमस्कार!

17th ब्रिक्स समिट के शानदार आयोजन के लिए मैं राष्ट्रपति लूला का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। ब्राजील की अध्यक्षता में ब्रिक्स के अंतर्गत हमारे सहयोग को नई गति और उर्जा मिली है। जो नई ऊर्जा मिली है — वो espresso नहीं, double espresso shot है ! इसके लिए मैं राष्ट्रपति लूला की दूरदर्शिता और उनकी अटूट प्रतिबद्धता की सराहना करता हूँ। इंडोनेशिया के ब्रिक्स परिवार से जुड़ने पर मैं अपने मित्र, राष्ट्रपति प्रबोवो को भारत की ओर सेबहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देता हूँ।

Friends,

Global South अक्सर दोहरे मापदंडों का शिकार रहा है। चाहे विकास की बात हो, संसाधनों का वितरण हो, या सुरक्षा से जुड़े विषय हों, ग्लोबल साउथ के हितों को प्राथमिकता नहीं मिली है। Climate finance, sustainable development, और technology access जैसे विषयों पर Global South को अक्सर token gestures के अलावा कुछ नहीं मिला।

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Friends,

20th सेंचुरी में बने ग्लोबल संस्थानों में मानवता के दो-तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। जिन देशों का, आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है, उन्हें decision making टेबल पर बिठाया नहीं गया है। यह केवल representation का प्रश्न नहीं है, बल्कि credibility और effectiveness का भी प्रश्न है। बिना Global South के ये संस्थाएँ वैसी ही लगती हैं जैसे मोबाइल में सिम तो है, पर नेटवर्क नहीं। यह संस्थान, 21st सेंचुरी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं। विश्व के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे संघर्ष हों, pandemic हों, आर्थिक संकट हों, या cyber और स्पेस में नयी उभरती चुनौतियाँ, इन संस्थानों के पास कोई समाधान नहीं है।

Friends,

आज विश्व को नए multipolar और inclusive world order की जरूरत है। इसकी शुरुआत वैश्विक संस्थानों में व्यापक reforms से करनी होगी। Reforms केवल symbolic नहीं होने चाहिए, बल्कि इनका वास्तविक असर भी दिखना चाहिए। Governance structures, voting rights और leadership positions में बदलाव आना चाहिए। ग्लोबल साउथ के देशों की चुनौतियों को policy-making में प्राथमिकता देनी चाहिए।

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Friends,

ब्रिक्स का विस्तार, नए मित्रों का जुड़ना, इस बात का प्रमाण है कि ब्रिक्स एक ऐसा संगठन है, जो समय के अनुसार खुद को बदलने की क्षमता रखता है। अब यही इच्छाशक्ति हमें UN Security Council, WTO और Multilateral development बैंक्स जैसे संस्थानों में reforms के लिए दिखानी होगी। AI के युग में, जहां हर हफ्ते टेक्नॉलजी update होती है,ऐसे में ग्लोबल इन्स्टिट्युशन का अस्सी वर्ष में एक बार भी update न होना स्वीकार्य नहीं है। इक्कीसवीं सदी की softwares को बीसवीं सदी के type-writers से नहीं चलाया जा सकता !

Friends,

भारत ने सदैव, अपने हितों से ऊपर उठकर मानवता के हित में काम करना, अपना दायित्व समझा है। हम ब्रिक्स देशों के साथ मिलकर, सभी विषयों पर, रचनात्मक योगदान देने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद।