Quote'भव्य और गरिमामय स्मृतिवन अमेरिका के 9/11 या हिरोशिमा स्मारक से कम नहीं है'
Quote'पोलैंड सरकार की मदद के पीछे कहीं न कहीं महाराजा दिग्विजय सिंह के दयालु स्वभाव ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई'
Quote'जन शक्ति, ज्ञान शक्ति, जल शक्ति, ऊर्जा शक्ति और रक्षा शक्ति - इन पांच संकल्पों की बुनियाद पर गुजरात नई ऊंचाइयों को छू रहा है'
Quote'सौनी योजना के तहत मां नर्मदा हर कोने तक पहुंच रही हैं'
Quote'महामारी से पैदा हुए संकट से उबारने के लिए 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है'
Quote'जामनगर मैन्युफैक्चरिंग (विनिर्माण) और तटीय विकास के केंद्र के तौर पर उभर रहा है'
Quote‘करीब 33 हजार अनुपालन, नियमों को खत्म कर दिया गया है’

भारत माता की- जय,

भारत माता की- जय,

मंच पर विराजमान गुजरात के लोकप्रिय मृदू एवं मक्कम मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, 2019 के चुनाव में जिन्होंने पूरे हिन्दुस्तान में सबसे ज्यादा मार्जिन से विक्टरी की, वैसे गुजरात प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष और संसद में मेरे साथी श्रीमान सी.आर. पाटिल, गुजरात सरकार के मंत्रिपरिषद के सभी अन्य सदस्यगण, सांसदगण, विधायकगण और विशाल संख्या में पधारे हुए जामनगर के मेरे प्यारे भाईयों और बहनों,

साथियों,

भरूच से जामनगर तक, गुजरात की समृद्धि को, गुजरात के विकास को विस्तार देने का ये अनुभव वाकई अद्भुत है। आज यहां 8 प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। आप सभी को पानी, बिजली, कनेक्टिविटी, से जुड़े इन प्रोजेक्ट्स के लिए बहुत-बहुत बधाई। आज वाल्मीकि समाज के लिए विशेष कम्यूनिटी हॉल का भी लोकार्पण हुआ है। इससे हमारे भाइयों और बहनों को विभिन्न सामाजिक आयोजनों में बहुत मदद मिलेगी।

साथिेयों,

आज जामनगर ने तो कमाल कर दिया। मुझे एयरपोर्ट से यहां आने में देर इसलिए हो गई भाई, कि रास्ते में जो भव्य स्वागत और आर्शीवाद दिया, कभी ना भूल सके ऐसा उत्साह, उमंग और ज्यादा तो मेरे मन को संतोष इस बात का था, खूब बड़े पैमाने पर माताएं-बहनें उपस्थित थी। और बूढ़ी माताएं दुआएं दें, आर्शीवाद दें, उससे बड़ा काशी की धरती पर पुण्य कौन सा है भाई। छोटी काशी का आर्शीवाद और बडी काशी का सांसद। अभी ही नवरात्री गई है, और कोरोना के दो साल में सब ठंडा पड़ गया है। और इस बार तो मैंने देखा गुजरात के कोने-कोने में नवरात्री का आनंद था, और जामनगर ने भी भव्यातिभव्य नवरात्री मनाई। और यह नवरात्री पूरी हुई, दशहरा गया और अब दिवाली की तैयारी भी शुरु कर दी। आपको याद होगा लगभग दो दशक पहले यही समय था जब जामनगर, सौराष्ट्र, कच्छ सहित समग्र गुजरात को भूकंप ने हिला दिया था। ऐसा लग रहा था कि गुजरात मौत की चादर ओढकर सो रहा हो। और दुख के दिन इतने भयंकर थे, उस भूकंप के बाद की पहली नवरात्री, पहली दिवाली गुजरात के किसी भी घर में न तो नवरात्री मनाई गई, न तो दिवाली मनाई गई। भूकंप की त्रासदी इतनी सारी निराशा लेकर आई थी कि लगभग हमने मान लिया था, लोगों ने मान लिया था कि अब गुजरात कभी बैठेगा नहीं। लेकिन यह तो खमीरवंती प्रजा है, खमीरवंती प्रजा है। यहां तो खमीर का ही पढ़ा है ऐसी खमीरवंती प्रजा देखते ही देखते खड़ी हो गई। आत्मविश्वास, संकल्प शक्ति ने निराशा को झकझोर दिया और गुजरात खडा ही नहीं हुआ, देखते ही देखते गुजरात दोड़ने लगा और आज देश को गति देने की ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है। आप देखो, जो कच्छ मौत की चादर ओढ के सोया था, उस कच्छ के विकास को देखने के लिए, कच्छ की जाहोजलाली देखने के लिए, कच्छ की प्रकृति को देखने के लिए देश और दुनिया यहां कच्छ में आती है। और हमारी जामनगर की सेन्चुरी में पक्षी देखने आते है। आज जामनगर आया हूं तब मुझे जामनगरवासीयों से विनंती करनी है, अभी दो महीने पहले ही कच्छ के भुजीया डुंगर पर भूकंप में जिन लोगों को हमने गंवाया, उनकी याद में स्मृतिवन नाम का स्मारक बनाया है, अद्भुत स्मारक बना है। अमेरिका में 9-11 के बाद प्वाइ्ंट जीरो का जो काम हुआ है ना, या जापान में हिरोशीमा का जो काम हुआ है, उसके बाद जो स्मारक बना है उससे जरा भी कम नहीं। ऐसा गुजरात के भूकंप में जिन लोगों को गंवाया उनकी स्मृति में यह स्मृतिवन बना है। उसमें जामनगर में भी जिसने जान गंवाई उनकी याद भी वहां रखी गई है। इसलिए मेरी विनती है कि जिन परिवारो ने अपने स्वजन गंवाए थे, उन सबको एकबार स्मृतिवन जाना चाहिए, और आपके स्वजन का जहां नाम लिखा है, वहां फूल चढाकर आईएगा इतनी विनती है। और जामनगर के किसी भी भाई को कच्छ जाना हो तो भूज में इस स्मृतिवन जाना भूलना नहीं ऐसी मेरी विनती है।

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भाईयो-बहनों,

आज जब जामनगर की धरती पर आया हूं तब बहुत ही गौरव के साथ मुझे जाम साहब महाराजा दिग्विजयसिंह को शत-शत नमन करना है। महाराजा दिग्विजयसिंह ने उनके दयालु स्वभाव और खुद के काम से दूसरे विश्वयुद्ध के समय पोलेन्ड से जो लोगों के साथ संबंध बनाया, उनके नागरिकों को एक वात्सल्य मूर्ति बनकर बड़ा किया। उसका लाभ, उसका फायदा आज भी सारे हिन्दुस्तान को मिल रहा है। अभी युक्रेन में अपने भारत के विधार्थी फंसे थे, हजारों विद्यार्थियों को बम और गोले के बीच से बाहर लाना था। संकट बडा था, परंतु जो कोई हमने संबंध विकसित किए थे उसके कारण बाहर लाए। परंतु बाहर लाने के बाद पोलेन्ड की सरकार ने जो मदद की उसका कारण दिग्विजय सिंह जी का दयालु स्वभाव था। हमारा प्रयत्न है कि जाम साहब के शहर को विकास की नई-नई बुलंदियों पर ले जाना। और विकास कर जामनगर की जाहोजलाली बढाकर सही अर्थ में महाराजा दिग्विजय सिंह जी जाम साहब को सच्ची श्रद्धांजलि दें। और वर्तमान में जाम साहब खत्रुतुल्य सिंह जी उनके तो मेरे उपर बहुत आर्शिवाद रहे हैं। बीच में उनके दर्शन करके आर्शीवाद लेने गया था। हम सब उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु आयुष्य के लिए हंमेशा प्रार्थना करते रहे। और उनका मार्गदर्शन हमे मिलता रहे। साथीयों, जामनगर क्रिकेट की दुनिया में अपना झंडा गाड़ के रखा है़। जामनगर क्रिकेट कि दुनिया में आज भी भारत का तिरंगा गाड़ के बैठा है। जामनगर और सौराष्ट्र के खिलाड़ियों ने क्रिकेट में बडा दम दिखाया है। और ट्रॉफी जब लेते है ना तब गुजरात की आन-बान-शान का विचार आता है। इतनी सारी प्रतिभा से भरी, सेवा-भावना से धरती को नमन करके हंमेशा आनंद और खुशी होती है। और उसके साथ आपके हृदय की सेवा, निरंतर सेवा करने का जो मेरा प्रण है ना वह भी मजबूत होता है।

 

भाईयों-बहनों,

अभी भूपेन्द्र भाई वर्णन कर रहे थे पंचशक्ति का। यह विकास के पांच संकल्प गुजरात ने अपने आपको मजबूत किया है, और पांच संकल्प हिमालय की ताकत की तरह आज गुजरात को आगे बढ़ा रहे है। पहला संकल्प जनशक्ति, ज्ञानशक्ति, जलशक्ति, उर्जाशक्ति और रक्षाशक्ति इन पांच संकल्पो के स्तंभ पर इस गुजरात की भव्य इमारत मजबूती, मक्कमता के साथ नई उंचाई सर कर रही है। और 20-25 वर्ष पहले हमारा क्या हाल था भाई, याद है कैसे हाल थे। गुजरात के जो 20-25 वर्ष के युवा है, जो बच्चे जन्म ले रहे हैं, वह सब तो भाग्यशाली है कि उन्होंने उनके बड़ों ने जो मुसीबतें देखी, वह मुसीबतें उनके नसीब में नहीं आने दी। हमने पूरे ताकत से इन मुसीबतों से मुक्ति के लिए अभियान चलाया। आच मैं रास्ते में देख रहा था, बहुत ही बड़ी संख्या में युवक-युवती खड़े थे। घर में आप पूछ लेना भाईयों 20-25 साल पहले जामनगर और काठीयावाड़ का क्या हाल था। यहां खेतों में पानी के लिए कितनी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था, बच्चे प्यासे होते थे, तब मां को घड़े लेकर तीन-तीन किलोमीटर दूर पानी भरने जाना पड़ता था। ऐसे दिन हमने देखे हैं भाई। और आज स्थिति ऐसी बदली है कि दुख याद ना आए, घंटो तक टैंकर आएगा, नहीं आएगा, आएगा तो उसकी लाईन में खड़े रहना और उसमें कितनी बार टैंकर के पास पहुंचे तो बोले कि भाई पानी खत्म हो गया। पूरे काठीयावाड़ की यहीं दशा थी।

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एक जमाना ऐसा था मुझे बराबर याद है, तब मैं राजनीति में नहीं था। तब मैंने अखबार में एक फोटो देखी थी, और फोटो जामनगर की थी। और फोटो कौन सी थी? गुजरात के उस समय के मुख्यमंत्री जामनगर आये थे। खास किसके लिए, एक पानी की टंकी की उदघाटन के लिए। और उस पानी की टंकी के उदघाटन का समाचार अखबार के पहले पन्ने पर छपा था। और आज मेरे एक प्रवास में भूतकाल में गुजरात का जो बजट था ना उससे ज्यादा मुल्य का प्रोजेक्ट का लोकार्पण और शिलान्यास कर रहा हुं भाईयों। इससे पता चलेगा कि गुजरात को अब किसी भी हाल में आगे जाने की गति को रुकनी नहीं देनी। अब हमें उंचाई पर छलांग लगानी है। और हमें सिर उठाकर निकलना है भाईयों।

 

जब मैंने पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी ली तब जामनगर के आसपास के हमारे विधायक जब आते थे तब वह क्या लेकर आते थे पता है, सभी पार्टी के विधायक आते थे, ऐसी मांग आती थी कि साहब राहत काम जल्दी शुरु कर दो। हमारे यहां थोडी मिट्टी डालो तो रोड बन जाता था, कच्ची मिट्टी के रोड की मांग विधायक करते थे, आज मेरा विधायक कहता साहब अब तो पेवर रोड चाहिए, पेवर। साहब अब पट्टी नहीं फोरलेन चाहिए, एक जमाना था पानी कि बात आए तब विधायक कहता था साहब मेरे विस्तार में हेन्डपंप डाल दीजीए। और आज सौनी योजना से मां नर्मदा सारे गुजरात की परिक्रम करने निकली है। भाईयों एक जमाना था हम मां नर्मदा की परिक्रमा करके पुण्य कमाते थे, वह माता हम पर खुश हुई है और वह गुजरात के कोने-कोने में परिक्रमा कर लोगों को आर्शीवाद दे रही है। नवचेतना दे रही है, नवउर्जा दे रही है।

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जब मैंने सौनी योजना को लॉन्च किया था राजकोट के सभागृह के अंदर, उस समय विरोध करने वाले हो उन्हें मजा नहीं आया। शुरु हो गये चुनाव आ गया लगता है यह मोदी नया लेकर आ गए। यह सौनी योजना तो मुश्किल है, तब मैंने कहा भाई आप हेन्डपंप से आगे सोच ही नहीं सकते, मैं इतनी बड़ी पाईपलाईन लगाउंगा कि, उसमें से मारुति कार में बैठकर आप सैर कर सके, और आज पाईप लगी, और सौनी योजना जलाशय भर रहे हैं, खेत भर रहे हैं। और इस बार तो मेरे किसान भाईयों को कपास के भाव, मूंगफली के भाव दोनों हाथ में लड्डु है। पहले कभी भी ऐसे भाव नहीं मिले भाई, अब हमारे लालपुर में पानी पहुंचा है, लाखो हेक्टर धरती को पानी मिला है। पाईपलाईन के द्वारा जामनगर, दारिका, राजकोट, पोरबंदर के लाखों लोगों को शुद्ध पीने का पानी मिलेगा।

 

गुजरात में जल जीवन मिशन उसके लिए जो काम हो रहा है और जो गति के साथ काम हो रहा है उसके लिए भूपेन्द्र भाई और उनकी टीम को मेरा अभिनंदन है कि भारत सरकार की योजना को तेज गति गुजरात में लागू करने का काम आपकी सरकार ने किया है। हमारी माताओं-बहनों का आर्शीवाद मिला है क्योंकि पानी का पूरा बोझ माता-बहनों के ऊपर होता है। घर में मेहमान आने वाले हो और पानी की परेशानी हो तब सबसे बड़ी चिंता मेरी मां-बहनों को होती है। और यह मां-बहनों के सिर से घड़ा कौन उतारे यह पुत्र ही उतारेगा भाईयों। आज 100 प्रतिशत पाईप से पानी पहुंचाने का काम हम कर रहे हैं, हर घर जल अभियान इससे ताकत मिलने वाली है।

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हमारी सरकार गरीबों के कल्याण के लिए लगातार काम कर रही है। इस कोरोना काल में हमने पहली चिंता देश के गरीबों की थी। हमने निर्णय लिया कि किसी गरीब के घर में चूल्हा न जले ऐसी स्थिति नहीं चाहिए, जिसके कारण गरीब के घर में मुफ्त में राशन पहुंचाकर इस देश के 80 करोड लोगों को एक भी टाईम भूखा नहीं रहने दिया। और अपने यहां तो अन्न का एक दाना खाया हो तो कोई आर्शीवाद देना भूलता नहीं, और मुझे देश के 80 करोड लोगों का आर्शीवाद मिल रहा है, कोटि-कोटि आर्शीवाद मिल रहा है। आप सबका आर्शीवाद मिल रहा है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना दिसम्बर तक चलने वाली है, किसी भी संकट के समय में गरीब के घर में चूल्हा नहीं बुझना चाहिए।

और दूसरा वन नेशन वन राशन कार्ड, अब हमारा जामनगर, पहले तो जामनगर की पहचान बहुत ही छोटी थी। जैसे छोटी काशी कहे वैसे ही जामनगर भी छोटा ही लगता था। आज तो गांव की भाषा में कहें तो हमारा जामनगर पंचरंगी हो गया है, पंचरंगी। और शहरी भाषा में कहें तो कॉस्मोपॉलिटन पूरा जिला कॉस्मोपॉलिटन हो गया है। देशभर के काम करने वाले लोग आज जामनगर जिले में रोजी-रोटी कमाते है। किसी को भूखा न रहना पड़े उसके लिए वन नेशन वन टेक्नोलोजी के द्वारा बिहार से आया हो, उत्तरप्रदेश आया हो, महाराष्ट्र से आया हो, आंध्रप्रदेश से आया हो, तेलंगाना से आया हो, कर्नाटक से आया हो, उसे राशन की दुकान में उसके गांव में कार्ड हो फिर भी उसे राशन मिलता रहे ऐसा काम हुआ है जिससे उसके घर का चुल्हा जलता रहना चाहिए, ऐसा काम हमने किया है। जामनगर का नाम तो ओईल रिफाईनरी, ओईल ईकोनॉमी कितना बड़ा उर्जा का क्षेत्र देश का 35 प्रतिशत क्रुड ऑयल यह मेरी जामनगर की धरती पर रिफाईन्ड होता है, कौन सा जामनगरवासी है जिसका सिर उंचा ना होता हो। जामनगर में औधोगिक विकास के लिए नरेन्द्र और भूपेन्द्र कि डबल इंजन सरकार बराबर काम में लग गई है। 20 वर्ष पहले अपने शहर में ट्रैफिक का क्या हाल था भाई। अब जामनगर में रोड चौड़े हो, उसकी व्यवस्था विकसित हो, ओवरब्रिज बने, ओवरपास बने, फ्लाईओवर बने बढ़ते शहर की समृद्धि के साथ सामान्य मानवी की सुविधा बढ़े उसके लिए भी काम कर रहे हैं और समुद्र किनारे गुजरात के पश्चिम छोर पर एक कोने में बैठा अकेला जामनगर आज के युग में हमें पाल रहा है।

जामनगर हिन्दुस्तान के कोने-कोने से जुड़ा हुआ होना चाहिए, और इसलिए 26 हजार करोड के खर्च से अमृतसर, भटींडा, जामनगर यह कोरीडोर का निर्माण हो रहा है। यह कोरीडोर जामनगर के पूरे भारत के उत्तर भारत में मजबूती दिलाने का काम करने वाला है। यहां की ताकत, यहां का उत्पादन, यहां के छोटे-बड़े उधोग धंधे जो है उन सबकी पहचान समग्र उत्तर भारत में यह एक रेलवे ट्रेक द्वारा ताकत प्राप्त करने वाली है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश हो, उत्तराखंड हो, हिमाचल हो यानि एक कोरीडोर के द्वारा गुजरात के व्यापार-धंधे और यहां के उत्पादन कम से कम खर्च में, इतना ही नहीं यहां की सब्जियां और फल भी उत्तर भारत तक पहुंचने वाली है। अपने गुजरातियों की एक खूबी है, कि जो बिना काम की चीजें है उसका भी सदुपयोग करने में हम मास्टर है। आम रस खाया हो तो गुठली में से मुखवास बनायें, कुछ भी बिगड़ने नहीं देते। अपने हईपर में 40 मेगावॉट का सोलर पावर प्रोजेक्ट इसका उत्तम उदाहरण है। जो जमीन वेस्टलेन्ड गिनी जाती थी ऐसी जमीन पर यह करतब करके दिखाया है भाई। यानि कि नदी-नाले किनारे की जो जगह हो, जिसका उपयोग नहीं होता, उसको भी हमने उपयोग में ले लिया।

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साथियों,

बात चाहे किसानों के कल्याण की हो, कि गरीबों के जीवन को बेहतर बनाना हो, उधोगो का विकास हो, या फिर ईन्फ्रास्ट्रक्चर की सुविधा बढ़ाना हो। हर क्षेत्र में गुजरात ने विकास की नई मिसाल हासिल की है। और जामनगर ने तो वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। जामनगर में WHO, कोरोना के कारण लोग WHO को पहचानने लगे है, इस WHO का सेन्टर फॉर ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडीसीन अपने जामनगर में है। जामनगर में आयुर्वेद युनिवर्सिटी थी उसके ऊपर यह नया मुकु़ट चढ गया है भाई। आज जामनगर की आयुर्वेद युनिवर्सिटी को राष्ट्रीय युनिवर्सिटी का स्थान मिल गया है। हमारा जामनगर यानि छोटी काशी तो है परंतु हमारा जामनगर सौभाग्य नगर के रूप में भी पहचाना जाता है। हमारे जामनगर में सिंदुर, चुडी, बिंदी, बांधनी यह सब हमारे सौभाग्यनगर की पहचान है। और हमारी सरकार ने तो गुजरात की बांधनी कला का विकास करने के लिए कई नय़े इन्सेन्टीव दिए हैं। हस्तकला सेतु योजना के द्वारा, जामनगर की ब्रास इन्डस्ट्री सरकार की अनेक योजनाएं से फले-फूले, मुझे याद है मैं नया-नया प्रधानमंत्री बना, उस समय जामनगर में चिंता का समाचार आता, सारे भाई मुझे मिलने आते थे। तब ब्रास उधोग को चिंता में से बाहर निकालकर हम आगे बढे है।

भाईयो-बहनों,

हमारा जामनगर हो, राजकोट हो, यह मेरे काठीयावाड़ के इंजीनियरिंग उधोग की ताकत है ना वह छोटी पिन भी बनाते और एरक्राफ्ट के स्पेयर पार्टस भी यहां से बनकर जाते है यह ताकत हमने यहां खड़ी की है।

साथियों,

देश में व्यापार-कारोबार करना आसान बना है। परेशानी कम से कम आए, सरकार की दखल कम हो यहीं मेरा सबसे बड़ा मकसद है। छोटे-छोटे उधोग हैं उसमे सरकार की दखल कम से कम हो वही मेरी प्राथमिकता है। पहले तो सरकार में यह काम मांगो तो फिर से एक फोर्म भरो, दूसरा काम मांगो तो यह फोर्म भरो इतने फोर्म भरो कि कारखाना मे कारकून रखो तो भी खत्म ना हो। वह सिर्फ फोर्म ही भरा करे, परंतु आपको जानकर आनंद होगा, विशेषकर छोटे-छोटे उधोगकारों को आनंद होगा कि 33 हजार छोटे-छोटे compliance मांगती थी जो सरकार उसे मैंने रद्द कर दिया। और इसका सबसे बडा लाभ हमारे MSME सेक्टर को हुआ। इसके सिवाय कायदे-कानून। पहले की सरकार क्या करती थी उससे भगवान बचायें। अपने यहां एैसे कायदे थे कि आपके यहां कारखाने हो और उसमें टॉयलेट-बाथरुम हो, परंतु उसमें हर छह महीने में चूना ना किया हो, और सरकार को कुछ गलत लगा तो छह महीने की सजा बोलो।

एैसे तो कितने सारे नियम थे, अंग्रेजो के जमाने के कायदे चलते थे। मुझे मेरे देश के व्यापारी आलम को जेल में नहीं धकेलना, दो हजार जितने कायदे तो मैंने खत्म किया है। और यहां बैठे व्यापारी मित्रों के ध्यान में और कोई कानून हो तो मुझे बताना मैंने नक्की किया है। बात-बात में जेल में बंद कर दो, यह गुलामी की मानसिकता में से खडी हुई बातें है, उसमें से मुझे मुक्ति दिलाने का मैंने अभियान चलाया है। और यह अभियान चालू रहने वाला है। ‘ईज ओफ डुईंग बिजनेस’ यह मेरी सरकार जितना भार देती है ना, उसकी पहले गिनती ही नही थी। क्योंकि हर एक को टांग अड़ाने को इस टेबल पर जाओ, उस टेबल पर जाओ। यहां आरती करो, वहां पूजा करो, वहां प्रसाद चढ़ाओ यही चलता था। ईज ओफ डुईंग में कायदे में रहकर नियम बदले जिसके कारण दुनियाभर में जो अपनी रैंकिंग थी ना उसमें जबरदस्त उछाल आया। पहले जब में 2014 में आया, प्रधानमंत्री के रूप में आपने सेवा करने भेजा, तब भारत 142 क्रमांक पर था, पांच-छ वर्ष मेहनत करके अभी हम दोड़ते-दोड़ते 63वें नंबर पर पहुंच गये है। और अभी भी जोर लगायेंगे तो 50 से नीचे भी जा सकते है भाई। इतना बडा सुधार यह मात्र कागज पर नहीं, छोटे-बड़े व्यापारी को इसका लाभ मिले धरती पर उसका लाभ मिले ऐसा काम हुआ है।

भारत की स्थिति दुनिया में देखिए साहब, कितने लोगों की सुबह की चाय बिगड़ जाती होगी। दुनिया भर के लोग लिखते है, वर्ल्ड बैंक लिखे, आई.एम.एफ लिखे, बडे-बडे अर्थव्यक्ता लिखते हैं कि भारत जब पूरी दुनिया डूब रही है, इग्लेंड में बीते 50 वर्ष में देखी नहीं ऐसी मंहगाई, अमेरिका में बीते 45 वर्ष में देखी नहीं ऐसी मंहगाई। विकास दर बैठ गया है, ब्याज दर बढ़ गये हैं। पूरी दुनिया में आर्थिक क्षेत्र में उथल-पाथल मच गई है। उसमें एकमात्र भारत है भाई तेज गति से मक्कमता से डग आगे रख रहा है। 2014 पहले भारत दुनिया में अर्थव्यवस्था में 10वें नंबर पर था, और इतने छोटे समय में 10 से छलांग लगाकर 5 वें नंबर पर पहुंच गये । दुनिया की पहली पांच इकोनॉमी में अपना नंबर आ गया है। छह पर से पांच उपर गये तो पूरा देश एक उर्जा से भर गया, कारण क्या था पता है मोदी प्रधानमंत्री है इसलिए नहीं, बात यह है कि पहले यह पांच नंबर पर वह लोग थे जिन्होंने 250 वर्ष अपने ऊपर राज किया था, अपने को गुलाम बनाया था, आज भारत ने उसे पीछे छोड़कर आगे बढ गया है। और इन सब में मात्र सरकार की पीठ थपथपाई नहीं, हम तो खुले दिल के मानवी है और उसके लिए मेरा मजदूर भाई हो, किसान भाई हो, रेहड़ी वाला हो, व्यापार-कारोबार करने वाला हो इन सभी को इसका क्रेडिट जाता है। इन सबके कारण देश आगे बढ़ रहा है, और इस कारण मैं उन्हें सौ-सौ सलाम करता हूं।

साथियों,

गुजरात सरकार ने एक हफ्ते पहले नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी जाहिर की थी, और चारोतरफ उसकी वाह वाही हुई। भूपेन्द्र और उनकी टीम को बहुत बहुत बधाई देता हूं कि ऐसी इंडस्ट्रियल पॉलिसी लाये हैं जो गुजरात को कहीं रुकने नहीं देने वाली। और उसमें नई उधोग नीति, नया स्टार्टअप और माईक्रो इंडस्ट्री उसके लिए भी बहुत ही फायदा कारक व्यवस्था की है। गुजरात के ज्यादा से ज्यादा युवाओं को लाखों की संख्या में रोजगार मिले, मैं चाहता हूं कि गुजरात के युवा इस नई औधोगिक पॉलिसी का लाभ उठाये, अभ्यास करे उनका हाथ पकड़ने के लिए मैं तैयार हूं।

अपने जामनगर के पोर्ट लाईन, अपना समुद्र् किनारा वैविध्यता से भरपूर है। सेंकडों प्रकार की जैव वैविधता और अब भारत ने प्रोजेक्ट डोल्फिन शुरु किया है। चिता का तो देश में जय-जयकार हो गया, अब हम डोल्फिन पर ध्यान देने वाले है, यहां जामनगर में डोल्फिन है, उसके संरक्षण और विकास के लिए योजनाएं बनी है। और उसके कारण जामनगर, दारिका, बेट दारिका पूरे समुद्री तट पर इको टूरिज्म बड़े क्षेत्र के रूप में विकास होना है। और भाईयो-बहनों भूपेन्द्र भाई को मैं मृदु और मक्कम कहता हुं ना उसका अनुभव गुजरात को बराबर हुआ है। समुद्र कि पट्टी पर गेरकायदेसर बांध काम जिन लोगों ने किया था, चुपचाप सफासट। और मजा देखो जब मक्कम मन का मानवी लीडरशीप करता है तब नीचे तक पता चल जाता है तब कोई भी विरोध बिना पोटली बांधकर भाई आपका है ले लीजिए। यह मक्कमता का परिणाम है, और इतना ही नहीं पूरे गुजरात के समुद्र किनारे पर सफाई करा रहे हैं भूपेन्द्र भाई। कानून-व्यवस्था के पालन में ही सबका भला है, और गुजरात ने बीते 20 सालों में शांति देखी है। उसके कारण समृद्धि के द्वार खुले है भाईयों, एकता के संकल्प के साथ कंधे से कंधा मिलाकर गुजरात चल रहा है। पहले तो रोज दंगे होते थे, जामनगर भी इसमें शामिल था आज उन सबमें से हम मुक्त हो गये हैं, आज गुजरात में नरेन्द्र-भूपेन्द्र की डबल इंजन सरकार, तमाम योजनाएं तेज गति से चल रही हैं। और यह गति बनाए रखनी है, और यह विकास योजनाएं जामनगर और सौराष्ट्र का स्तंभ बना है। मैं विश्वास करता हुं कि युवाओं, वृद्धों के जीवन में शांति आए, इसके लिए हम काम कर रहे है।

भाईयो-बहनों,

जामनगर के धरती को अभिनंदन, आप सभी को अभिनंदन। और फिर से एक पूरे रास्ते में माताएं-बहनें जो आर्शीवाद दे रही थीं, उनके दर्शन से जीवन धन्य हो जाए, आज मेरे लिए धन्यता का दिन है। इतना सारा आर्शीवाद, उनका भी मैं आभार मानता हूं, दोनो हाथ उपर कर मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की- जय, भारत माता की – जय।

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Quoteआइए, इस योग दिवस को मानवता के लिए योग 2.0 के आरंभ के रूप में मनाएं, जहां आंतरिक शांति वैश्विक नीति बन जाती है: प्रधानमंत्री

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, मेरे परम मित्र चंद्रबाबू नायडू गारू, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी, के. राममोहन नायडू जी, प्रतापराव जाधव जी, चंद्रशेखर जी, भूपति राजू श्रीनिवास वर्मा जी, राज्य के डिप्टी सीएम पवन कल्याण गारू, अन्य महानुभाव और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! आप सबको नमस्कार!

देश और दुनियाभर के सभी लोगों को इंटरनेशनल योग डे की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज 11वीं बार पूरा विश्व 21 जून को एक साथ योग कर रहा है। योग का सीधा-साधा अर्थ होता है जुड़ना और ये देखना सुखद है कि कैसे योग ने पूरे विश्व को जोड़ा है। मैं बीते एक दशक में योग की यात्रा को जब देखता हूं, तो बहुत कुछ याद आता है। वो दिन जब संयुक्त राष्ट्र में भारत ने प्रस्ताव रखा कि 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मान्यता मिले और तब कम से कम समय में दुनिया के 175 देश हमारे इस प्रस्ताव के साथ खड़े हुए। आज की दुनिया में ऐसी एकजुटता, ऐसा समर्थन सामान्य घटना नहीं है। ये सिर्फ एक प्रस्ताव का समर्थन भर नहीं था, ये मानवता के भले के लिए दुनिया का सामूहिक प्रयास था। आज 11 साल बाद, हम देख रहे हैं कि योग दुनियाभर में करोड़ों लोगों की जीवन शैली का हिस्सा बन चुका है। मुझे गर्व होता है, जब मैं देखता हूँ कि हमारे दिव्यांग साथी ब्रेल में योग शास्त्र पढ़ते हैं, वैज्ञानिक अंतरिक्ष में योग करते हैं, गांव-गांव में युवा साथी योग ओलंपियाड में भाग लेते हैं। यहां सामने देखिये, ये नेवी के सभी जहाजों में भी अभी बहुत शानदार योगा कार्यक्रम चल रहा है। चाहे सिडनी ओपेरा हाउस की सीढ़ियाँ हों, या एवरेस्ट की चोटी हो, या फिर समंदर का विस्तार हो, हर जगह से एक ही संदेश आता है— योग सभी का है, और सभी के लिए है। Yoga is for Everyone, Beyond Boundaries, Beyond Backgrounds, Beyond age or ability.

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साथियों,

आज मुझे इस बात की खुशी है कि हम सभी विशाखापट्टनम में हैं। ये शहर प्रकृति और प्रगति, दोनों की संगम स्थली है। यहां के लोगों ने इतना अच्छा आयोजन किया है। मैं चंद्रबाबू नायडू गारु और पवन कल्याण गारू को बधाई देता हूं, आपके नेतृत्व में आंध्र प्रदेश ने योगांध्रा अभियान का एक शानदार initiative लिया। मैं विशेष तौर पर नारा लोकेश गारू के प्रयासों की भी विशेष प्रशंसा करना चाहता हूं। योग का सोशल सेलिब्रेशन कैसे होना चाहिए, समाज के हर वर्ग को कैसे जोड़ना चाहिए, ये उन्होंने बीते एक डेढ़ महीने के इस योगांध्रा अभियान में करके दिखाया है, और इसके लिए भाई लोकेश अनेक अनेक बधाई के पात्र हैं। और मैं तो देशवासियों को भी कहूंगा कि ऐसे अवसरों को आप किस प्रकार से सामाजिक स्तर पर गहराई से ले जाया जा सकता है, भाई लोकेश ने जो काम किया है, उसको एक नमूने के रूप में देखना चाहिए।

साथियों,

मुझे बताया गया है कि योगांध्रा अभियान से दो करोड़ से ज्यादा लोग जुड़े हैं। पब्लिक पार्टिसिपेशन की यही वो स्पिरिट है, जो विकसित भारत का मुख्य आधार है। जब जनता खुद आगे बढ़कर किसी मुहिम को थाम लेती है, किसी लक्ष्य को Own कर लेती है, तो उस लक्ष्य की प्राप्ति से हमें कोई रोक नहीं पाता। जनता-जनार्दन की ये सद-इच्छा औऱ आपके प्रयास यहां इस आयोजन में हर तरफ नजर आ रहे हैं।

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Friends,

The theme of this year’s International Day of Yoga is ‘Yoga for One Earth, One Health’. This theme reflects a deep truth. The health of every entity on Earth is interconnected. Human well-being depends on the health of the soil that grows our food, on the rivers that give us water, on the health of the animals that share our eco-systems, on the plants that nourish us. Yoga awakens us to this inter-connected-ness. Yoga leads us on a journey towards oneness with the world. It teaches us that we are not isolated individuals but part of nature. Initially we learn to take good care of our own health and wellness. Gradually, our care and concern extends to our environment, society and planet. Yoga is a great personal discipline . At the same time, it is a system that takes us from Me to We.

साथियों,

Me to We’ का ये भाव ही भारत की आत्मा का सार है। जब व्यक्ति अपने हित से ऊपर उठकर समाज की सोचता है, तभी पूरी मानवता का हित होता है। भारत की संस्कृति हमें सिखाती है, सर्वे भवन्तु सुखिनः, यानी सभी का कल्याण ही मेरा कर्तव्य है। ‘मैं’ से ‘हम’ की ये यात्रा ही सेवा, समर्पण और सह-अस्तित्व का आधार है। यही सोच सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।

साथियों,

दुर्भाग्य से आज पूरी दुनिया किसी न किसी तनाव से गुजर रही है। कितने ही क्षेत्रों में अशांति और अस्थिरता बढ़ रही है। ऐसे में योग से हमें शांति की दिशा मिलती है। Yoga is the pause button that humanity needs to breathe to balance to become whole gain.

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मैं विश्व समुदाय से आज के इस महत्वपूर्ण अवसर पर एक आग्रह करूंगा। Let this Yoga Day mark the beginning of Yoga for Humanity 2.O, where Inner Peace becomes Global Policy. जहां योग सिर्फ personal practice न रहे, बल्कि global partnership का माध्यम बने। जहां हर देश, हर समाज, योग को जीवनशैली और लोकनीति का हिस्सा बनाए। जहां हम मिलकर एक शांत, संतुलित और sustainable विश्व को गति दें। जहां योग, विश्व को टकराव से सहयोग, और तनाव से समाधान की ओर ले जाए।

साथियों,

विश्व में योग के प्रसार के लिए भारत, योग की साइंस को आधुनिक रिसर्च से और अधिक सशक्त कर रहा है। देश के बड़े-बड़े मेडिकल संस्थान योग पर रिसर्च में जुटे हैं। योग की वैज्ञानिकता को आधुनिक चिकित्सा पद्धति में स्थान मिले, ये हमारा प्रयास है। हम देश के मेडिकल और रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स में, योगा के क्षेत्र में एविडेंस बेस्ड थेरेपी को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस दिशा में दिल्ली के एम्स ने भी बहुत अच्छा काम करके दिखाया है। एम्स की रिसर्च में सामने आया है कि योग की Cardiac और न्यूरोलॉजी डिस्ऑर्डर्स के उपचार और वूमन हेल्थ और Mental Well-being में अहम भूमिका है।

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साथियों,

National Ayush Mission के ज़रिए भी योग और वेलनेस के मंत्र को आगे बढ़ाया जा रहा है। डिजिटल टेक्नोलॉजी ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है। Yoga Portal और YogAndhra Portal के ज़रिए, देशभर में 10 लाख से अधिक इवेंट्स का रजिस्ट्रेशन हुआ है। आज देश के कोने-कोने में इतनी सारी जगहों पर आयोजन हो रहे हैं। ये भी दिखाता है कि योग का दायरा कितना ज्यादा बढ़ रहा है।

साथियों,

हम सभी जानते हैं, आज हील इन इंडिया का मंत्र भी दुनिया में काफी पॉपुलर हो रहा है। भारत-दुनिया के लिए हीलिंग का बेस्ट डेस्टिनेशन बन रहा है। योग की इसमें भी बड़ी भूमिका है। मुझे खुशी है कि योग के लिए Common Yoga Protocol बनाया गया है। Yoga Certification Board के साढ़े छह लाख से अधिक trained वॉलंटियर्स, करीब 130 मान्यता प्राप्त संस्थान और मेडिकल कॉलेजों में 10 दिन का योग मॉड्यूल, ऐसे अनेक प्रयास, एक होलिस्टिक इकोसिस्टम तैयार कर रहे हैं। देशभर में हमारे जो आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, वहां trained योग टीचर तैनात किए जा रहे हैं। दुनियाभर के लोगों को भारत के इस वेलनेस इकोसिस्टम का फायदा मिले, इसलिए विशेष ई-आयुष वीज़ा दिए जा रहे हैं।

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साथियों,

आज योग दिवस पर मैं ओबेसिटी की तरफ भी फिर से सभी का ध्यान आकर्षित करना चाहूंगा। बढ़ती ओबेसिटी पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा चैलेंज है। मैंने मन की बात कार्यक्रम में भी, इस पर विस्तार से चर्चा की थी। इसके लिए अपने खान-पान में 10 परसेंट ऑयल कम करने का चैलेंज भी शुरु किया था। मैं एक बार फिर देशवासियों से, दुनियाभर के लोगों को इस चैलेंज से जुड़ने का आह्वान करता हूं। अपने खाने में कैसे हम कम से कम 10 परसेंट ऑयल कंजम्शन कम करें, इसके लिए जागरूकता फैलानी है। ऑयल की खपत कम करना, unhealthy diet से बचना और योग करना, ये बेहतर फिटनेस की जड़ी बूटी है।

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साथियों,

आइए, हम सब मिलकर योग को एक जन आंदोलन दोलन बनाएं। एक ऐसा आंदोलन, जो विश्व को शांति, स्वास्थ्य और समरसता की ओर ले जाए। जहां हर व्यक्ति दिन की शुरुआत योग से करे और जीवन में संतुलन पाए। जहां हर समाज योग से जुड़े और तनाव से मुक्त हो। जहां योग मानवता को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम बने। और जहां ‘Yoga for One Earth, One Health’ एक वैश्विक संकल्प बन जाए। एक बार फिर आंध्र के नेतृत्व को बधाई देते हुए, आंध्र के लोगों को बधाई देते हुए और विश्वभर में फैले हुए योग practitioners और योग प्रेमियों को बधाई देते हुए, आप सबको अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्यवाद!