आईआईटी दिल्ली के दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों से कहा कि आपका मकसद समाज को आगे ले जाना और उसकी भलाई होनी चाहिए।
कोविड-19 ने दुनिया को सिखाया है कि ग्लोबलाइजेशन महत्वपूर्ण है लेकिन इसके साथ-साथ आत्मनिर्भरता भी उतनी ही जरूरी है : पीएम मोदी
आज देश, हर क्षेत्र की अधिकतम संभावनाओं को हासिल करने के लिए नए तौर-तरीकों से काम कर रहा है : दीक्षांत समारोह में पीएम मोदी

नमस्‍ते,

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी, श्रीमान रमेश पोखरियाल निशंक जी, श्रीमान संजय धोत्रे जी, Board of Governors के चेयरमैन डॉक्टर आर चिदंबरम जी, IIT Delhi के डायरेक्टर प्रोफेसर वी रामगोपाल राव जी, Board और Senate के सदस्यगण, Faculty Members, Parents, युवा साथियों, देवियों और सज्जनों!!

आज टेक्नॉलॉजी की दुनिया के लिए बहुत अहम दिन है। आज IIT Delhi के माध्यम से देश को 2 हजार से ज्यादा टेक्नोलॉजी के बेहतरीन एक्सपर्ट्स आज देश को मिल रहे हैं। जिन Students को आज डिग्री मिल रही है, उन सभी विद्यार्थी साथियों को, उनके Parents को विशेषरूप से,  उनके Guides, Faculty members, सभी को आज के इस महत्‍वपूर्ण दिवस पर मेरी तरफ से अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

आज, IIT Delhi का 51वां Convocation है और इस वर्ष ये महान संस्थान अपनी Diamond Jubilee भी मना रहा है। IIT Delhi ने इस दशक के लिए अपना vision document भी तैयार किया है। मैं Diamond Jubilee Year और इस दशक के आपके लक्ष्यों के लिए भी आपको अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूँ और भारत सरकार की तरफ से पूर्ण सहयोग का विश्‍वास भी देता हूँ।  

आज, महान वैज्ञानिक डॉक्टर सी.वी. रमण जी की जयंती है। ये बहुत ही शुभ अवसर है आज  convocation का और इनके जन्‍मदिन के साथ जुड़ने का। मै उनको भी आदरपूर्वक नमन करता हूँ। उनका उत्तम काम सदियों तक हम सबको, खासकर मेरे युवा वैज्ञानिक साथियों को प्रेरित करता रहेगा।

साथियों,

कोरोना का ये संकटकाल, ये दुनिया में बहुत बड़े बदलाव लेकर के आया है। Post-Covid World बहुत अलग होने जा रहा है और इसमें सबसे बड़ी भूमिका Technology की ही होगी। साल भर पहले तक किसी ने नहीं सोचा था कि Meetings हों या Exams, viva हो या फिर convocations, सबका स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है। Virtual Reality और Augmented Reality ही Working Reality की जगह लेती चली जा रही है, बनती जा रही है।

You may be feeling your batch is not very lucky. I am sure you are asking yourself- did all this have to happen in our graduating year only? But, think of it differently. You have a first mover advantage. You have more time to learn and adapt to the new norms emerging in the work place and beyond. So, make most use of this. And, think of the brighter side too. You are also a lucky batch. You were able to enjoy rendezvous in your final year on campus. See how different things were last October and this October. You will look back fondly at: All nights in the library and reading room before the exams. Late night paratha at the night-mess, The coffee and muffin between lectures. I am also told IIT-Delhi has two types of friends: College friends. Hostel video games friends. You will surely miss both.

साथियों,

इसके पहले मुझे IIT मद्रास, IIT Bombay और IIT गुवाहाटी की convocations को भी इसी प्रकार से attend करने का अवसर मिला और कहीं पर रूबरू जाने का अवसर मिला। इन सभी जगहों पर मुझे ये समानता दिखी कि हर जगह कुछ न कुछ Innovate हो रहा है। आत्मनिर्भर भारत अभियान की सफलता के लिए ये बहुत बड़ी ताकत है। कोविड-19 ने दुनिया को एक बात और सिखा दी है। Globalization महत्वपूर्ण है लेकिन इसके साथ-साथ Self-Reliance भी उतना ही जरूरी है।

साथियों,

आत्मनिर्भर भारत अभियान आज देश के नौजवानों को, Technocrats को, Tech-enterprise leaders को अनेक नई Opportunities देने का भी एक अहम अभियान है। उनके जो ideas है, innovations हैं वो उनको freely implement कर सके, scale कर सके, market कर सके इसके लिये आज सर्वाधिक अनुकूल वातावरण बनाया गया है। आज भारत अपने युवाओं को ease of doing business देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है ताकि ये युवा अपने innovation से करोड़ों देशवासियों के जीवन में परिवर्तन ला सकें। देश आपको Ease of doing business देगा बस आप एक काम कीजिए, अपनी महारत से, आपके अनुभव से, आपके talent से, आपके innovation से देश अगर आपको ease of doing business देता है, सरकार व्‍यवस्‍थाएँ देता है तो आप इस देश के गरीब से गरीब नागरिकों ease of living देने के लिए नए-नए innovations लेकर के आइए, नई-नई चीज़ें लेकर के आइए।

हाल में, करीब-करीब हर सेक्टर में, जो बड़े रिफॉर्म्स किए गए हैं, उनके पीछे भी यही एक सोच है। पहली बार एग्रीकल्चर सेक्टर में Innovation और नए Start-ups के लिए अनगिनत संभावनाएं बनी हैं। पहली बार स्पेस सेक्टर में प्राइवेट इनवेस्टमेंट के रास्ते खुले हैं। दो दिन पहले ही, BPO सेक्टर के Ease of doing business के लिए भी एक बड़ा रिफॉर्म किया गया है। सरकार ने Other Service Provider- OSP गाइडलाइंस को एकदम Simplify कर दिया है, करीब-करीब सारे Restriction हटा दिये हैं। एक प्रकार से अब सरकार की मौजूदगी महसूस नहीं होगी। हर एक पर भरोसा किया गया है। इससे BPO Industries के लिए कम्प्लायंस का जो Burden रहता है, भांति-भांति के बंधन रहते हैं, सब कुछ कम हो जाएगा। इसके अलावा बैंक गारंटी सहित दूसरी अनेक ज़रूरतों से भी BPO Industry को मुक्त किया गया है। इतना ही नहीं, ऐसे प्रावधान जो Tech Industry को Work From Home या फिर Work From anywhere जैसी सुविधाओं से जो कानून रोकते थे, उन कानूनों को भी हटा दिया गया है। ये देश के IT Sector को Globally और Competitive बनाएगा और आप जैसे Young Talent को और ज्यादा मौके देगा।

साथियों,

आज देश में आपकी एक-एक जरूरतों को समझते हुए, भविष्‍य की आवश्‍यकताओं को समझते हुए, एक के बाद एक निर्णय लिए जा रहे हैं, पुराने नियम बदले जा रहे हैं और मेरी यह सोच है कि पिछली शताब्‍दी के नियम-कानूनों से अगली शताब्‍दी का भविष्‍य तय नहीं हो सकता है। नई शताब्‍दी, नये संकल्‍प। नई शताब्‍दी, नये रीति‍-रिवाज। नई शताब्‍दी, नये कानून। आज भारत उन देशों में है जहां कॉर्पोरेट टैक्स सबसे कम है। Start-up India इस अभियान के बाद से भारत में 50 हज़ार से भी ज्यादा स्टार्ट अप शुरू हुए हैं। सरकार के प्रयासों का असर है कि पिछले पाँच वर्षों में देश में पेटेंट की संख्या 4 गुना हो गई है। ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन में 5 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। इसमें भी फिनटेक के साथ-साथ एग्रो, डिफेंस और मेडिकल सेक्टर से जुड़े स्टार्ट अप्स अब तेज़ी से बढ़ रहे हैं। बीते वर्षों में, 20 से ज्यादा यूनिकॉर्न्स भारतीयों ने भारत में बनाए हैं। जिस तरह देश प्रगति पथ पर बढ़ रहा है, मुझे विश्वास है कि आने वाले एक-दो सालों में इनकी संख्या और बढ़ेगी और हो सकता है आज यहाँ से निकलने वाले जो आप जैसे नौजवान हैं वो उसमें एक नई ऊर्जा भर दें।

साथियों,

Incubation से लेकर funding तक आज स्टार्ट अप्स को अनेक प्रकार की मदद की जा रही है। फंडिंग के लिए 10 हज़ार करोड़ रुपए का Fund of Funds बनाया गया है। 3 साल के लिए Tax Exemption, Self-Certification, Easy exit, जैसी अनेक सुविधाएं स्टार्ट अप्स के लिए दी जा रही हैं। आज हम National Infrastructure Pipeline के तहत 1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश करने की तैयारी है। इससे पूरे देश में State-of-the-art Infrastructure का निर्माण होगा जो वर्तमान और भविष्य दोनों की जरूरतों को पूरा करेगा।

साथियों,

आज देश हर क्षेत्र की अधिकतम संभावनाओं को हासिल करने के लिए नए तौर-तरीकों से काम कर रहा है। आप जब यहाँ से जाएंगे, नई जगह पर काम करेंगे तो आपको भी एक नए मंत्र को लेकर काम करना होगा। ये मंत्र है- Focus on quality; never compromise. Ensure scalability; make your innovations work at a mass scale. Assure reliability; build long-term trust in the market. Bring in adaptability; be open to change and expect un-certainty as way of life. अगर हम इन मूल मंत्रों पर काम करेंगे तो इसकी चमक आपकी पहचान के साथ साथ ब्रांड इंडिया में भी वो अवश्‍य झलकेगी। मैं आपसे इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि ब्रांड इंडिया के सबसे बड़े brand ambassadors आप ही लोग हैं। आप जो काम करेंगे, उससे देश के products को ग्लोबल पहचान मिलेगी। आप जो करेंगे, उससे देश के प्रयासों को गति मिलेगी। गाँव गरीब के लिए देश जो प्रयास कर रहा है, वो प्रयास भी आपके dedication, आपके innovation से ही सिद्ध होने वाला है।

साथियों,

Technology किस तरह हमारी Governance का, गरीब से गरीब तक पहुंचने का सबसे सशक्त माध्यम हो सकती है, ये बीते वर्षों में देश ने कर दिखाया है। आज चाहे घर हो, बिजली हो, Toilet हो, गैस कनेक्शन हो या अब पानी हो, ऐसी हर सुविधाएं Data और Space Technology के सहयोग से पहुंचाई जा रही हैं। आज Birth Certificate से लेकर जीवन प्रमाण Certificate तक की सुविधा, डिजिटली उपलब्ध कराई जा रही है। जनधन-आधार-मोबाइल की ट्रिनिटी JAM, Digi-Lockers जैसी सुविधाएं और अब डिजिटल हेल्थ आईडी के लिए प्रयास, सामान्य नागरिक का जीवन आसान बनाने के लिए देश एक के बाद एक बहुत तेज़ी से अनेक कदम बढ़ा रहा है। टेक्नोलॉजी ने Last Mile Delivery को efficient बनाया है और Corruption का Scope कम किया है। Digital Transactions के मामले में भी भारत दुनिया के कई देशों से बहुत आगे है। भारत के बनाए UPI जैसे प्लेटफॉर्म को अब दुनिया के बड़े-बड़े विकसित भी अपनाना चाहते हैं।

 

साथियों,

हाल में सरकार ने एक और योजना शुरू की है, जिसमें टेक्नोलॉजी बड़ी भूमिका निभा रही है। ये योजना है- स्वामित्व योजना। इसके तहत पहली बार भारत के गांवों में जमीन और प्रॉपर्टी, घर की प्रॉपर्टी इसकी मैपिंग की जा रही है। पहले ये काम अगर होता तो इसमें भी Human Interface एकमात्र माध्यम था। इसलिए गड़बड़ियों की, पक्षपात की, शंकाएं-आशंकाएं भी उसके साथ स्वाभाविक थीं। आपको खुशी होगी क्‍योंकि आप टेक्‍नॉलॉजी की दुनिया के लोग हैं आज ड्रोन के माध्‍यम से ड्रोन टेक्नॉलॉजी का उपयोग करते हुए गांव-गांव में ये मैपिंग हो रही है और गांव के लोग भी इससे पूरी तरह संतुष्ट हैं, उनको भागीदारी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। ये दिखाता है कि भारत का सामान्य से सामान्य नागरिक भी टेक्नॉलॉजी पर कितनी आस्था रख रहा है।

साथियों,

टेक्नॉलॉजी की ज़रूरत और इसके प्रति भारतीयों में आस्था, यही आपके Future को रोशनी दिखाती है। पूरे देश में आपके लिए अपार संभावनाएं हैं, अपार चुनौतियां हैं जिसके समाधान आप ही दे सकते हैं। बाढ़ और Cyclone के समय Post Disaster Management हो, Ground Water Level को कैसे बनाए रखें, इसके लिए प्रभावी टेक्नॉलॉजी हो, Solar Power Generation और बैटरी से जुड़ी टेक्नोलॉजी हो, टेलिमेडिसिन और रिमोट सर्जरी की टेक्नॉलॉजी हो, Big Data analysis हो, ऐसे क्षेत्रों में बहुत काम किया जा सकता है।

साथियों,

मैं एक के बाद एक देश की ऐसी अनेक ज़रूरतें आपके सामने रख सकता हूं। ये जरूरतें नए innovations से पूरी होंगी, आपके ही नए ideas, आपकी ही ऊर्जा, आपके ही प्रयासों से ही ये पूरी हो सकती हैं। इसलिए, मेरा आप सबसे विशेष आग्रह है कि आज आप देश की जरूरतों को पहचानें। जमीन पर जो बदलाव हो रहे हैं, आत्मनिर्भर भारत से जुड़ी सामान्य मानवी की जो आकांक्षाएँ हैं उनसे जुड़ने का काम करें, मैं आपको निमंत्रण देता हूँ। और इसमें आप लोगों का जो Alumni Network है, वो भी बहुत काम आने वाला है।

साथियों,

वैसे भी आप सभी के लिए Alumni meets organize करना बहुत आसान होता है। दूसरे कॉलेजों के Students को अपनी Alumni meet के लिए अक्सर लंबी यात्रा करनी पड़ती है, कॉलेज तक जाना पड़ता है। लेकिन आपके पास एक और बड़ा सरल Option होता है। आप अपनी Alumni meet, कभी भी week-end पर short नोटिस पर Bay Area में भी कर सकते हैं, Silicon Valley में कर सकते हैं, Wall Street में कर सकते हैं, या फिर किसी Government Secretariat में भी आपकी Alumni meet हो सकती है क्‍योंकि आप हर जगह पर मौजूद हैं। बहुत बड़ी मात्रा में आपकी मौजूदगी है। भारत के start-up capitals चाहे वो मुंबई हो, पुणे हो या बेंगलुरू, आपको इन जगहों पर, IIT से पढ़ के निकले लोगों का strong network मिल जाएगा। ये है आपकी success, ये है आपका influence.

Friends,

You are all students with exceptional abilities. After all, you passed one of the toughest exams, the J-E-E, at the age of 17-18! And then you came to IIT. But, there are two things that will enhance your ability even more. One is flexibility. Other is humility. By flexibility, I refer to the possibility to: Stand out And, Fit in. At no point of your life must you shed your identity. Never be a 'Lite Version' of someone or something. Be the original version. Champion whatever values you believe in. At the same time, never hesitate from fitting into a team. Individual efforts have their limits. The way ahead lies in teamwork. Teamwork brings completeness. The second is humility. You must be right-fully proud of your success, your achievements. Very few people have done what you have. This should make you even more down to earth.

Friends,

It is important that one keeps challenging oneself and continues to learn each day. It is also important that you treat yourself as a student for life. Never think that what you know is enough.

हमारे शास्त्रों में कहा गया है- सत्यं ज्ञानं अनन्तं ब्रह्म।

अर्थात, ज्ञान और सत्य ब्रह्म की तरह ही अनंत होते हैं, Infinite होते हैं। जितने नए नए इनोवेशन आप लोग करते हैं, ये सब सत्य का, ज्ञान का ही तो विस्तार है। इसलिए, आपके इनोवेशन में देश के लिए, देशवासियों के लिए, गाँव-ग़रीब के लिये, आत्मनिर्भर भारत के लिए अपार संभावनाएं हैं।

आपका ज्ञान, आपकी Expertise, आपका सामर्थ्य देश के काम आए, इसी विश्वास के साथ फिर से आप सभी को बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभकामनाएं, आपकी माता-पिताओं की आशा-अपेक्षाओं के अनुकुल आपके जीवन की नई यात्रा प्रारंभ हो, आपके गुरूजनों ने जो आपको शिक्षा दी है, दीक्षा दी है वो आपको जीवन में सफल होने के लिए डगर-डगर पर काम आए और जहाँ तक भारत सरकार का सवाल है, भारत गर्व के साथ अपनी demography के लिए गर्व करता है और हमारी demography जब IITians से भरी हुई हो तब वो दुनिया में भी value addition करती है। ये सामर्थ्य के साथ आज एक नई जीवन यात्रा का प्रारंभ कर रहे हैं मेरी तरफ से आपको आपके परिवारजनों को, आपके गुरूजनों को बहुत ही धन्‍यवाद के साथ मैं मेरी वाणी को विराम देता हूँ।

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! 

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भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।