मोबाइल का आविष्कार क्या 2014 के बाद हुआ था? 2014 के पहले भी मोबाइल थे, जिन लोगों ने इतने साल राज किया, उनके समय में सिर्फ 2 ही मोबाइल फैक्ट्रियां क्यों थीं: प्रधानमंत्री मोदी
मैं लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का हमेशा से ही आग्रही रहा हूं, डिजिटल इंडिया, टेक्नोलॉजी की मदद से उसी भावना को साकार करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है: पीएम मोदी
मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आने वाले चुनावों में हमारा एजेंडा है – विकास, तेज गति से विकास और सबके लिए विकास: प्रधानमंत्री
हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं: प्रधानमंत्री मोदी
हमारा चुनाव चिन्ह- 'कमल' है। वे जितना अधिक कीचड़ फेकेंगे, उतना ही हम ज्यादा खिलेंगे: पीएम मोदी
गरीब ही गरीबी को परास्त कर सकता है। पहले की सरकारों में गरीब उनकी चुनावी वोटबैंक का हिस्सा था, वो चाहते ही नहीं थे कि गरीबी हटे, लेकिन अब गरीब जाग गया है: प्रधानमंत्री
आज ये लोग OROP की बातें कर रहे हैं, दशकों से ये मामला पेंडिंग था, तब क्यों कुछ नहीं किया। जब हमने OROP लागू कर दिया, तब जाकर वे कह रहे हैं कि हम देंगे: प्रधानमंत्री मोदी
आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि आज लाखों कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से करोड़ों भारतीयों का न सिर्फ जीवन आसान हुआ है, बल्कि उनका भविष्य भी संवर रहा है: पीएम मोदी

नमस्कार,
हमलोगों के बीच हो रहे लगातार संवाद की एक और कड़ी में मैं आप सभी कार्यकर्ता भाइयों-बहनों का हृदय से स्वागत कर सकता हूं। मेरे साथआज बैतूल, मछलीशहर, महासमुंद,राजसमंद और सतना लोकसभा क्षेत्र के कार्यकर्ता आज जुड़े हैं।

साथियो,संवाद के महत्त्व को समझने के लिए आज से बेहतर दिन कौन सा हो सकता है। आज हमारे देश के लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जन्मजयंती है। देश की एकता के लिए उन्होंने जो काम किया, जिसका गौरव हर हिंदुस्तानी करता है। अनेक राजे-रजवाड़ों को इस महान भारत के कार्य में जोड़ दिया। और ये सारी बातें अन्योन्य विश्वास, अन्योन्य संवाद उसी का परिणाम थीं। संवाद की एक बहुत बड़ी ताकत होती है और जब मैं कार्यकर्ताओं से संवाद करता हूं, तो मुझे धरती की बहुत सी जानकारियां मिलती हैं। मैं भी आपके बीच हूं, इसका आनंद ले सकता हूं।
मुझे लगता है बैतूल वालों को सुनाई नहीं दे रहा है...वहां से वो इशारा कर रहे हैं...सुनाई दे रहा है कि नहीं दे रहा है...हां, अब हाथ ऊपर किया...आइए बैतूल के लोगों से हम ही सुन लें... अब क्या करें... बताइए

देखिए हमारी ज्योति धुर्वे जी वहां मौजूद हैं। हमारे विधायक – भाई कुंवर विजयशाह, संजय शाह, चैतराम मानेकर, चन्द्रशेखर देशमुख, हेमंत विजय, महेन्द्र सिंह चौहान, मंगल सिंह धुर्वे जी...और मैंने सुना है, अब तो आपके यहां पासपोर्ट सेवा केंद्र भी खुल चुका है… इसके लिए भी मैं आप सबको बधाई देता हूं। और मुझे बताया गया है कि हाईवे का काम भी काफी अच्छी गति से, तेज चल रहा है। मुझे बताया गया कि यहां के district hospital की क्षमता भी काफी बढ़ी है और अब तो बैतूल के remote forest area से भी लोग इस अस्पताल का लाभ उठा रहे हैं। बिजली भी इंटीरियर लोगों के घरों तक पहुंचना शुरू हुआ है। तो मैं जब बैतूल की दूर-सुदूर जंगलों के विस्तार की खबर सुनता हूं, तो मुझे अच्छा लगता है।
आइए, कौन सवाल पूछना चाहता है, कुछ कहना चाहता है।

परसराम धुर्वे–सर, आज आप सरदार पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण करके आ रहे हैं, आपको कैसा लग रहा है?
पीएम मोदी- वाह (हंसते हैं...)बताइए आप, मेरी जगह पर आप होतेतो कैसा लगता। धुर्वे जी आपको कैसा लगता।
परसराम धुर्वे- सर, मैं अपने आपको बहुत आनंदित महसूस करता और इससे बड़ी उपलब्धि मेरे जीवन में नहीं होती।

पीएम मोदी– बिल्कुल-बिल्कुल, आपने मेरे दिल की बात बता दी। जो सपना संजोया हो, मन में एक इच्छा हो कि कुछ ऐसा होना चाहिए और जब अपने सामने वो हो जाता है और खुद उसका हिस्सा बन जाते हैं, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि इसका आनंद कितना अद्भुत होता है। मन को संतोष कितना मिलता है। मेरे लिए आज का दिन वैसा ही है। एक सपना सच होता अपनी आंखों के सामने देखा। और मुझे गुजरात से बाहर निकले करीब साढ़े चार साल हो गए।

लेकिन मुझे खुशी है कि मेरे वहां से निकलने के बाद भी वहां एक ऐसी टीम है जिस टीम ने जी-जान लगाकर इस काम को पूरा किया। और मैं एक कार्यकर्ता के नाते ये मानता हूं कि हम रहें या न रहें लेकिन हम ऐसी चीजें विकसित करें, कार्यकर्ताओं की ऐसी टोली बनाएं, साथियों की ऐसी टोली बनाएं कि हम वहां मौजूद हों या ना हों, फिर भी काम हो जाए। आज मुझे गुजरात में सपना साकार होने का तो आनंद है ही लेकिन मेरी गैरहाजिरी में वहां जो टीम है, उसने इस काम को करके दिखाया, ये मेरे लिए अनेक गुना आनंद देता है। मेरे जीवन का एक सबसे बड़ा काम है कि मैं लाखों कार्यकर्ताओं को तैयार करूं, अलग-अलग जिम्मेवारियों के लिए तैयार करूं, उन जिम्मेवारियों को निभाने की उनके अंदर क्षमता आए। आज गुजरात की टीम ने वो करके दिखाया है और देश भर में भी मैं देख रहा हूं कि हमारे कार्यकर्ताओं की टोलियां हर स्तर पर इस प्रकार के सफल काम कर रही हैं। तो आप कल्पना कर सकते हैं, मेरे लिए आज मन को एक बहुत ही संतोष देने वाला पल है।

और वर्तमान पीढ़ी भी शायद इस बात का मूल्यांकन नहीं कर पाएगी। जब आजसे 25-30 साल के बाद इन घटनाओं का मूल्यांकन होगा, तब पता चलेगा। जिस समय सरदार साहब ने राजे-रजवाड़ों का एकीकरण किया तो उस समय आजादी की ऐसी उमंग थी कि उस घटना की तरफ ध्यान गया नहीं। लेकिन आज छोटे-छोटे मसलों पर जब लड़ाइयां हो जाती हैं, पानी के मसले पर लड़ाई हो जाती है, भाषा के मसले पर लड़ाई हो जाती है, खानपान पर लड़ाई हो जाती है, तब लगता है कि सरदार साहब ने कितना बड़ा काम किया है। वैसा ही आज शायद बहुत लोगों को अंदाज नहीं आएगा।

कुछ लोगों को लगेगा कि चलो भाई टेक्नोलॉजी है, बड़ी इमारत बन गई है, बड़ा स्टैच्यू बन गया है लेकिन 25-30 साल के बाद इतिहास को देखने के लिए हमारी नई पीढ़ी वहां पहुंचेगी। तब उनका सीना इतना चौड़ा हो जाएगा। यानि ये आने वाले युगों का काम हुआ है। आप कल्पना कर सकते हैं कि कितना आनंद होगा। तो मुझे अच्छा लगा धुर्वे जी। आपने जरूर आज टीवी पर पूरा कार्यक्रम देखा होगा, लेकिन मैं आग्रह करूंगा आप सबसे कि जैसे ही वहां चुनाव से खाली हो जाओ सब लोग जरूर जाइए। वहां सरदार साहब के चरणों में जाकर के नमन करके आ जाइए। जाएंगे ना। अच्छा और भी कोई बात करना चाहते हैं।

नरेंद्र गणेकर- राहुल गांधी जी जगह-जगह सभा करके कहते हैं कि हर जिले में मोबाइल बनाने की फैक्ट्री लगानी चाहिए। लेकिन कांग्रेस पार्टी इस सच्चाई को क्यों नकार रही है कि पहले से ही भारत देश मोबाइल बनाने के क्षेत्र में अग्रणी देश बन चुका है?

पीएम मोदी– अरे आप चिंता मत कीजिए, वो बैतूल आएंगे, तो बैतूल में भी बोल देंगे ऐसा...(हंसते हैं...)। देखिए पहले एक ग्रामोफोन रिकॉर्ड आती थी तो कभी-कभी वो ग्रामोफोन रिकॉर्ड में वो पिन अटक जाती थी। और जब पिन अटक जाती थी तो कुछ ही शब्द बार-बार, बार- बारवोरिकॉर्डिंग में सुनाई पड़ते थे। तो ऐसे कुछ लोग होते हैं जिनकी पिन अटक जाती है,तो एक चीज दिमाग में भर जाती है, तो बोलते रहते हैं। तो आपको इसका मजा लेना चाहिए जी!आनंद लीजिए! ये चुनाव के माहौल में आपाधापी में कुछ आपको खुशी के पल मिलते हैं, तो आनंद लीजिए ना!टेंशन मत रखिए ऐसी चीजों का।और इनको ये मालूम नहीं है,वक्त बदल चुका है जी। जनता को आप मूर्ख समझना बंद कर दीजिए। इस प्रकार की बचकाना बातें किसी के गले नहीं उतरतीं। लोग मजाक उड़ाते हैं।

आज भारत जब मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में वर्ल्ड लीडर बन चुका है,तब ये लोग मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग का गाना बजा रहे हैं। मोबाइल का आविष्कार क्या 2014 में मोदी प्रधानमंत्री बना उसके बाद हुआ क्या?क्या 2014 के पहले भी मोबाइल थे कि नहीं थे? जिन लोगों नेइतने साल राज किया, उनके समय में देश में दो ही मोबाइल फैक्ट्रियां थीं, और हमारे आने के बाद चार साल में कहां पहुंचे मालूम है? आज100 से भी अधिक कंपनियां मोबाइल बना रही हैं देश में।

ये लोग वन रैंक वन पेंशन की बातें कर रहे हैं। इतने दशकों तक उनकी सरकार रही, सेना के जवान 40 साल से मांग करते रहे, उनको सुनने की फुर्सत नहीं थी, करने की तो बात छोड़ो।अब जब हमने कर दिया तो वो परेशान हैं कि फौज के लोग भी इनके साथ हो गए हैं, फौज के लोग भी मोदी को बहुत प्यार कर रहे हैं। अब इसकी तो कोई दवाई है नहीं भाई। इसलिए अच्छा यही है कि झूठ पे झूठ, झूठ पे झूठ, ये जो सिलसिला चला है बस उसका मजा लेते रहिए और लोगों के बीच में भी मजा लेके बात करते रहिए। हम अपने काम पर बढ़ें वही सबसे बड़ी बात होगी।

आइए, हम मछलीशहर चलते हैं। मछलीशहर के हमारे सांसद भाई रामचरित्र दिखाई दे रहे हैं मुझे। वहां के विधायक –डॉ हरेंद्र प्रसाद जी,भाई दिनेश चौधरी जी, अवधेश सिंह जी...
और देखिए शहर का नाम भी मछलीशहर है और हमारे सांसद महोदय भी मछुआरा समुदाय से आते हैं, और हमेशा हंसते रहते हैं, दौड़ते रहते हैं। काम करने में बड़े माहिर हैं हमारे सांसद महोदय। चलिए मुझे अच्छा लगा इतनी बड़ी भीड़ देखकर के। देखिए, मछलीशहर में कई बड़े पॉवर प्रोजेक्ट्स पर आजकल काम चल रहा है और इसी के साथ-साथ सड़क निर्माण का काम भी काफी तेजी से हो रहा है।

आइए मछली शहर से कौन बात करेगा।
हां सर सुजित राय, रामपुर मंडल से बोल रहे हैं
पीएम मोदी- हां सुजित राय जी बताइए
सुजित राय–सर आज आप देश को इतना बड़ा स्टैच्यू दिए हैं। इसके लिए मैं देश की तरफ से और अपनी मछलीशहर लोकसभा की तरफ से बहुत-बहुत बधाई देते हैं।

पीएम मोदी– धन्यवाद भैया, धन्यवाद।

सुजित राय- सर, मेरा एक प्रश्न है कि 1 जुलाई, 2015 को आपकी तरफ से डिजिटल इंडिया का एक बहुत बड़ा परिवर्तन दिया गया। और इसको विपक्ष के लोग कहते हैं कि यह सिर्फ स्लोगन है, इसका जनमानस पर कोई प्रत्यक्ष-परोक्षप्रभाव नहीं है। सर, इसके बारे में आप बताएं, जिससे हम लोगों को अच्छी तरह से बता पाएं इसकी उपलब्धियां सर।

पीएम मोदी- देखिए, एक बात आप लिखकर के रखिए कि कांग्रेस के लोग जिन मुद्दों पर जोर-जोर से हमारे खिलाफ झूठ बोलते हैं इसका मतलब ये हुआ,उस काम में हम सफल हो गए। अगर हम सफल ना होते तो वो बोलते ही नहीं। वो बोल इसलिए रहे हैं कि उनको डर लग रहा है कि देखिए हम तो पार्लियामेंट में डिजिटल का विरोध करते थे, अनाप-शनाप बोलते थे और हिंदुस्तान का गांव भी अब तो डिजिटल होने लग गया है। और मैं लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने का हमेशा से ही आग्रही रहा हूं। डिजिटल इंडिया, टेक्नोलॉजी की मदद से उसी भावना को साकार करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

आज गांव में किसी को घर बैठे-बैठे स्कॉलरशिप उसके बैंक एकाउंट में जमा हो जाती है, बुजुर्ग व्यक्ति कोपेंशन मिल जाती है, मैं देख रहा हूं इन दिनों कुछ बच्चे रेलवे स्टेशन पर जब वाई-फाई अच्छा होता है, तो वहां जाकर के पढ़ाई करते हैं और अच्छ-अच्छे एग्जाम पास कर रहे हैं। उनके जीवन में परिवर्तन आ रहा है।आपको जानकर के प्रसन्नता होगी कि आज लाखों कॉमन सर्विस सेंटर के माध्यम से करोड़ों भारतीयों का न सिर्फ जीवन आसान हुआ है, बल्कि उनका भविष्य भी संवर रहा है। इन सेंटर्स पर दूर-दराज के गांवों के लोग भी सरकार की योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं। क्या इससे हमारे गांवों, छोटे शहरों, कस्बों के गरीब, जरूरतमंदों का जीवन सरल नहीं हो रहा है क्या?

पहले तो ऐसा हाल थाबुजुर्गों का...वो जिंदा है, इसका प्रमाण पत्र देने के लिए इधर-उधर अफसरों के पास जूते घिसने पड़ते थे। अब डिजिटल इंडिया की मदद से, जीवन प्रमाण के माध्यम से वह घर बैठे-बैठे ऐसा कर सकता है। जीवन प्रमाण से आज करोड़ों पेंशनर्स जुड़ चुके हैं। यही नहीं, पहले बुजुर्गों को पेंशन के लिए बैंकों के चक्कर काटने पड़ते थे, आज उन्हें घर बैठे उनके बैंक एकाउंट में पेंशन पहुंच जाती है।

पहले एक विद्यार्थी और उसके मां-बाप को स्कॉलरशिप के लिए किन-किन मुसीबतों से गुजरना पड़ता था, कितने बिचौलिये घुस जाते थे। आज नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल पर यह सहज-सुलभ रूप से उपलब्ध है। इस पोर्टल से लाखों विद्यार्थी इसका लाभ ले रहे हैं। सारी की सारी राशि सीधे उनके खाते में पहुंच जाती है।
पहले अगर किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करनी होती थी, तो गांव में इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। लेकिन आज वाई-फाई और ऑनलाइन स्टडी ने युवाओं की इस सबसे बड़ी परेशानी का हल कर दिया है।

मनरेगा की योजना तो पहले से ही चली आ रही है। लेकिन पहले क्या होता था। आप काम तो अपने गांव में करते हैं, लेकिन अपने पैसे लेने के लिए आपको कई-कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता था, ऊपर से बिचौलिये भी कुछ पैसे मार लेते थे। लेकिन आज टेक्नोलॉजी की मदद से मजदूरी आसानी से मिल जाती है।

यानि आज डिजिटल इंडिया कदम-कदम पर हमारे जीवन को बदलने में मदद कर रहा है। आज लगभग 1 लाख 20 हजार ग्राम पंचायतें ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क से जुड़ चुकी हैं। हमारे आने से पहले 2014 में जो सरकार थी उस समय कितना था मालूम है? अभी 1 लाख 20 हजार गांव...उससे भी ज्यादा, उस समय सिर्फ 60 गांव में...60 से भी कम पंचायतों तक ही ऑप्टिकल फाइबर पहुंचा था। कहां 60 और कहां 1 लाख 20 हजार गांव! ये है डिजिटल!इसी का परिणाम है कि आज छोटे- बड़े शहरों में, यहां तक कि गांवों में भी बीपीओ खुल रहे हैं, जहां युवाओं को न सिर्फ रोजगार मिल रहा है, बल्कि उनकी जो स्किल है, उसको भी बल मिल रहा है। आज मैं जब डिजिटल इंडिया से हम सबके जीवन में आ रहे परिवर्तन को देखता हूं, तो मन को बहुत ही सुखद अनुभूति मिलती है।

आज लोगों का समय बच रहा है, पैसे बच रहे हैं, चीजें भी फास्ट हो रही हैं, तो भाजपा कार्यकर्ता होने के नाते हम सबका ये दायित्व है कि डिजिटल इंडिया की वजह से आए इस परिवर्तन के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को अवगत कराएं। ताकि जो सरकार की योजनाओं से अब भी वंचित रह गए हैं, उन्हें भी इनका लाभ मिल सके।आप भी इसका फायदा उठाइए।
आइए और कोई हैं जो बात करना चाहते हैं।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी को मेरा सादर प्रणाम और मैं बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई देता हूं आज के इस ऐतिहासिक कार्य के लिए, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के लिए।
पीएम मोदी– थैक यू...थैंकयू...क्या शुभ नाम भैया
संजय सिंह सरमेरा नाम, मंडल उपाध्यक्ष
पीएम मोदी– हां संजय बताइए

संजय सिंह- हां सर, मेरा प्रश्न है, हमारे गांव के बगल का एक व्यक्ति हमको पासपोर्ट बनवाने के लिए दिया था और पासपोर्ट एक हफ्ते के अंदर बनके आ गया उनका। उन्होंने कहा भईपहले तो बहुत चक्कर लगाना पड़ता था कि ऐसे कैसे संभव हो गया कि बहुत जल्दी से मेरा कार्य हो गया। तो मैंने कहा कि इस बारे में कुछ प्रधानमंत्री से पूछूं।

पीएम मोदी– आपको कैसा लगा जब ये आपके पड़ोस वाले मित्र ने ये कहा कि मुझे पासपोर्ट इतनी जल्दी से मिल गया, ये सुनकर के संजय आपको कैसे लगा?
संजय सिंह- सर ये तो मुझे बहुत खुशी हुई, बहुत अच्छा लगा।
पीएम मोदी– अच्छा उसने ये बतायाकि येसरकार के कारण से हुआ है?
संजय सिंह– हां सर ये तो बताया है कि सरकार का इसमें बहुत बड़ा रोल है।
पीएम मोदी– उसने ये बताया कि मोदी जी ने कुछ ऐसी नीतियां बनाईं, जिसके कारण हो रहा है? अच्छा आपने इस बात को कितने लोगोंको बताया कि आपके दोस्त ने इतनी खुशी जाहिर की, ये बात आपने कितने लोगों को बताई?

संजय सिंह– मैंने अपने मंडल के सारे लोगों को बताया, अब भी बता रहा हूं सारे लोगों को इस मीडिया के माध्यम से।
पीएम मोदी– देखिए, समस्या हम भाजपा कार्यकर्ताओं की क्या है, मैं बताता हूं। हम ऐसी अच्छी बातें बार-बार जो बोलनी चाहिए वो बोलते नहीं हैं। बार-बार बोलना चाहिए, जो मिले उसको बोलनाचाहिए, बताते रहना चाहिए,देखो भाई पहले तो पासपोर्ट का नामोनिशान नहीं था, पुलिसवाला आता था फलानां आता था, कौन सा दफ्तर है येभी पता नहीं चलता था। अब ऐसी सरकार आई है कि घर बैठे हफ्ते भर के अंदर पासपोर्ट बन जाता है।

यह एक ऐसा बदलाव है, और वो तब आता हैजब हमारे पास एक संवेदनशील और जनता जनार्दन की सेवा में सदैव तत्पर सरकार होती है। यही वजह है कि पासपोर्ट ही नहीं, इसी तरह की कई और सेवाएं भी लोगों को जल्दी और आसानी से मिलना संभव हो पाया है। चाहे वो गैस हो, चाहे डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर हो, छात्रवृत्ति हो।जब इतना बदलाव हो रहा है, तो कार्यकर्ताओं को देश में हो रहे इस बदलाव को अपने बूथ के लोगों को बताना चाहिए। और मैं तो कहूंगा क्या करना चाहिए। बूथ के लोगों की मीटिंग करनी चाहिएऔर वहां आपको दोस्त को ले जाना चाहिए और उस दोस्त को कहना चाहिए, बताओ भाई तुम्हें क्या फायदा हुआ, बोलो सबके सामने। वो जब सबके सामने बोलेगा, तो लोग कहेंगे कि हां यार ये काम हो रहा है। जिसे गैस का कनेक्शन मिल गया सब लोगों को इकट्ठा करो और उसको बोलो, क्या आपको पैसा देना पड़ा, भ्रष्टाचार करना पड़ा,ये करना पड़ा, बताओ सच। जब लोग बोलना शुरू कर जाएंगे। तो लोग थोड़ा सा ज्यादा करते हैं।

पीएम मोदी- तो अब करेंगे ये काम संजय?
संजय- जी।
पीएम मोदी- धीमे बोल रहे हो यार!
संजय- सर, मैं तो मानता हूं, ये कलियुग का स्वर्णिम युग है आपका।

पीएम मोदी- देखिए भैया, मैं और आप...हम मानें इससे चलता नहीं है। ये बातें बार-बार बुलवानी चाहिए और मैं तो कार्यकर्ताओं को कहूंगा जिनको गैस कनेक्शन मिला है, उसमें ऐसे 50 घर होंगे, 100 घर होंगे, 25 घर होंगे सबको इकट्ठा करके उनको बोलो, भई कैसा पहले था, अब कैसा हुआ जरा बताओ।उसका मोबाइल फोन पर वीडियो उतारो और वीडियो मुझे भेज दो। मैं देखूंगा।उसी प्रकार से किसी को पासपोर्ट मिल गया, किसी को स्कॉलरशिप मिल गई, किसी के घर में बिजली का लट्टू लग गया उनसे बुलवाइए, बिठाकर के उसका मोबाइल फोन पर वीडियो ले लीजिए और वो फिर मुझे भेजिए। देखिए इसका मजा और होता है... करेंगे? सबके सब जरा हाथ ऊपर करके बताइए।

(कार्यकर्ता भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारे लगाते हैं...)

पीएम मोदी- चलिए आपका उत्साह देखते ही बनता है। मैं आपकासबका धन्यवाद करता हूं। आइए हम महासमुंद चलते हैं।

देखिए महासमुंद में हमारे सांसद श्रीमान चंदू लाल साहू...बैठिए चंदूलाल जी बैठिए...
हमारे अजय चंद्राकर जी, संतोष उपाध्याय, गोवर्धन सिंह माझी, चुन्नी लाल और श्रीमती रूपकुमारी चौधरी जी,राम लाल चौहान जी।
जय जोहार!

मुझे बताया गया कि सन् 1900 में राजिम रेल लाइन को यातायात के लिए खोला गया था, यानि कि आज से 118 साल पहले खोला गया। 118 साल बाद अब रायपुर-धमतरी नैरोगेज रेल लाइन को ब्रॉडगेज में तब्दील करने का काम शुरू किया गया है। 118 साल लग गए। क्या अब भी ऐसे लोगों के लिए कुछ कहना पड़ेगा क्या? हमने आकर के चार साल के भीतर-भीतर इस काम को आगे कर दिया है। आइए, कौन कोई कुछ कहना चाहता है आपके यहां से।
शरद पारकर- माननीय प्रधानमंत्री जी, जय जोहार!
पीएम मोदी– जय जोहार!
शरद पारकर- माननीय प्रधानमंत्री जी, आपसे मेरा एक सवाल है। अनेक राज्यों में अभी चुनाव सामने आ रहे हैं, इसमें हमारा एजेंडा क्या होना चाहिए?
पीएम मोदी–चलिए आपने सवाल पूछा है। हमारा तीन एजेंडा होना चाहिए, याद रखेंगे...याद रखेंगे?
शरद– जी
पीएम मोदी- जरा सब लोग बताएं ना बैठे हैं इतने सारे लोग, बताइए याद रखेंगे?

(कार्यकर्ता हाथ उठाकर हामी भरते हैं)...जी

पीएम मोदी- देखिए पहला एजेंडा है विकास, दूसरा एजेंडा है तेज गति से विकास, तीसरा एजेंडा है सबके लिए विकास। बस यही हमारा एजेंडा है...(हंसते हैं...)।
देखिए, भाजपा अकेली पार्टी है, जो विकास के मुद्दे पर देश के चुनाव को लेकर के गई है। और हम देश के सभी राजनीतिक दलों को मजबूर करेंगे कि विकास की बात कीजिए, जनता जनार्दन की अपेक्षाओं की बात कीजिए और उसमें कौन क्या काम करता है, पहले आप कैसे करते थे, हम कैसे कर रहे हैं, तुलना कीजिए। दोस्तो, हम कई गुना अच्छा कर रहे हैं, ज्यादा कर रहे हैं, तेज गति से कर रहे हैं और सामान्य मानवी को उसका फायदा नजर आ रहा है। भाजपा के कारण ही आज विकास एक महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा हो गया है।

हम सबको भी पुरानी सारी बातें याद रखनी चाहिए। पहले की सरकारों में क्या था, अब क्याहुआ है। पहले रोड एक दिन में कितने बनते थे, अब कितने बनते हैं। पहले गांवों को बिजली कैसे पहुंचती थी, अब कैसे पहुंचती है। ये जब तक हम पुराना लोगों को याद नहीं कराएंगे, तो नया ध्यान में नहीं आएगा क्योंकि लोग पुराना भूल जाते हैं। मुझे बराबर याद है, जब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री बनके गया था, नया-नया था, तो जो भी मुझे मिलता था, वो कहता था, मोदी जी एक काम कीजिए। सिर्फ शाम को खाना खाते समय बिजली मिल जाए ना, बस इतना कर दीजिए। फिर हम काम पे लग गए। तीन साल के भीतर-भीतर चौबीसों घंटे बिजली देना शुरू कर दिया।

लेकिन अभी जो बच्चे 15 साल, 18 साल, 20 साल के हुए हैं, उन बेचारों को मालूम ही नहीं है कि पहले खाना खाते समय बिजली नहीं होती थी। तो मुझे उनको बार-बार याद कराना पड़ता है कि पहले ऐसी सरकारें थीं कि शाम को खाना खाते समय भी बिजली नहींमिलती थी। आपको भी पुरानी सरकारों ने जो दुर्दशा की है, ये भी बार-बार याद कराना पड़ेगा और उसकी तुलना में आपने कितना अच्छा किया है, वह भी समझाना पड़ेगा।

मध्यप्रदेश हो, छत्तीसगढ़ हो या फिर राजस्थान, तीनों राज्यों में हमारी सरकारों ने विकास की नई-नई ऊंचाइयों को छुआ है।मध्य प्रदेश को ही लीजिए। आज से डेढ़ दशक पहले तक राज्य के लोगों को बीमारू राज्य होने का ताना झेलना पड़ता था। और तब तो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ एक था। लेकिन आपने देखा अब छत्तीसगढ़ भी बीमारू की लिस्ट में नहीं रहा है, मध्य प्रदेश भी बीमारू की लिस्ट में नहीं रहा है। रमन सिंह ने इधर काम करके दिखाया, शिवराज जी ने उधर काम करके दिखाया। और एक ही बात विकास...विकास...विकास। लगातार विकास, तेज गति से विकास, सबके लिए विकास, इसी मंत्र को लेकर के चलिए और मुझे विश्वास है कि जनता इस बात को देख रही है। हमें बस जनता के पास पहुंचना है। आइए कोई और भी पूछनाचाहता है।

नागेंद्र साहू- प्रधानमंत्री जी जय जोहार!जय छत्तीसगढ़!
पीएम मोदी- जय जोहार!
नागेंद्र साहू- जय जोहार!मैं सबसे पहले आपको उन लाखों गरीब परिवारों की तरफ से धन्यवाद देना चाहता हूं, जिनका प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान बन रहा है और बन गयाहै। क्योंकि मैंने देखा है, मेरे गांव में ही 15-20 साल से लोगों को देखा है कि एक ही मकान में कई लोग रहते थे लेकिन उनका खपड़ैल का था उसको भी सुधार नहीं पा रहे थे, वो जिंदगी में कभी मकान नहीं बना सकते थे।उनका पक्का मकान का सपना पूरा हुआ है।

पीएम मोदी- चलिए मुझे खुशी हुई किआपके गांव के लोगों का घर बनाने का सपनापूरा हो रहा है। देखिए, गरीब परिवार हो, मध्यम वर्ग का परिवार हो, थोड़ी सी आय हो या ज्यादा आय हो हर, इंसान का एक सपना होता है उसका खुद का घर, अपनी मालिकी का घर।ये हर किसी का सपना होता है और एक बार घर होजाता है ना तो फिर और चीजें वो करना शुरू कर देता है। पैसे बचाने लग जाता है, नई-नई चीजें लाना शुरू कर देता है, पर्दे लगाएगा एक दो कुर्सियां ले आएगा, घर में कुर्सी नहीं तो दरी ले आएगा। धीरे-धीरे उसकी जिंदगी बदलना शुरू हो जाता है। और इसलिए मैं जरूर मानता हूं कि आपने गांव में जो बदलाव आया है इसको नोटिस किया। अब मेरा नागेन्द्र जी आपसे आग्रह है, हर गांव में ये मैं भाजपा के कार्यकर्ताओं से आग्रह करूंगा। साहू जी करेंगे?
नागेंद्र साहू- जी
पीएम मोदी- आप अकेले नहीं सब बताओ..करेंगे?
(कार्यकर्ता हाथ उठाकर हामी भरते हैं)

पीएम मोदी- जिन-जिन घरों में गरीबों को घर मिला है उनका एक छोटा सम्मेलन कीजिए।25 लोग होंगे, 50 होंगे, 100 लोग होंगे, इकट्ठा करो और उनसे बुलवाओ कि घर नहीं था तब क्या हाल था, घर मिल गया तो हालक्या है?क्या घर पाने मे उनको दिक्कतआई क्या। क्या येमोदी सरकार ने सामने आकर के ढूंढ़कर के घर दिया कि नहीं दिया।ये बातें उनसे करो तब जाकर के...वरना उनको तो ये पता ही नहीं है कि घर किसने दिया। ये आपलोगों का काम है, उसको पक्का करना चाहिए। तो मैं आपका बहुत धन्यवाद करता हूं नागेंद्र जी। चलिए, हम कहीं और चलते हैं काफी बातें हो गईं आप लोगों के साथ। आइए, आगे बढ़ते हैं...बहुत धन्यवाद भैया। आइए, अब हम राजसमंद चलतेहैं...

राजसमंद...हमारे सांसद हरि ओम सिंह राठौड़, विधायक हमारी किरण जी, सुरेंद्र सिंह राठौड़, हरि सिंह रावत, शंकर सिंहजी, सुखाराम जी, ज्ञानचंद पारख जी, सुरेंद्र गोयल जी

राजसमंद के कुंभलगढ़ को...पता है ना आप सबको! नहीं पता है, कहां पता है! हाथ ऊपर करो किसको पता है। देखिए, कुंभलगढ़ किले कोयूनेस्को ने विश्व विरासत की सूची-व‌र्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल किया है।इसके लिए मैं आप सबको बधाई देता हूं। ये कुंभलगढ़ और उसके आसपास तो कई सारी रेल परियोजनाएं और सड़क परियोजनाओं का काम बड़ी तेज गति से चल रहा है। वहां लोग देखते होंगे, उसकी चर्चा भी करते होंगे। चलिएआइए, राजसमंद से कौन क्या कुछ पूछना चाहता है।

करन सिंह- वंदे मातरम
पीएम मोदी- वंदे मातरम
करन सिंह - ऐसा क्यों है कि अब भारतीय प्रधानमंत्री कोSeoul Peace Prize और Champion of earth जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हो रहे हैं, जबकि पहले भारतीय प्रधानमंत्री को Under Achiever बुलाया जाता था?

पीएम मोदी– इसका मतलब यह हुआ कि राजसमंद के इलाके के दूर-सुदूर के गांवों में भी आप लोग सभी खबरों पर ध्यान रखते हैं, ऐसा लगता है। वरना ये इंटरनेशनल प्राइज क्या होता है, ये सम्मान क्या होता है, हमारा कार्यकर्ता तो ऐसी चीजें बहुत जल्दी भूलजाता है। आपने याद रखा और इसबात का स्मरण किया, मुझे अच्छा लगा। लेकिन मैं भी आप ही की तरह भारतीय जनता पार्टी का एक छोटा सा कार्यकर्ता हूंऔर एक कार्यकर्ता के नाते हम लोगों को जो जिम्मेवारी मिलती है, उसको हम जी-जान से पूरा करने का प्रयास करते हैं। और वास्तव में देखा जाए तो इन सम्मानों का हकदार अगर कोई है तो वे हमारे हिंदुस्तान के 130 करोड़ भारतवासी हैं, हमारे देशवासी हैं, जिन्होंने राष्ट्र की समृद्धि के लिए अपनी मातृभूमि को अपने खून-पसीने से सींचा है।सरकारें इसे अकेले हासिल नहीं कर सकती हैं। यह केवल तब प्राप्त किया जा सकता है, जब सरकार और लोग आपस में भागीदार बनकर के काम करते हैं। Public, Private के साथ-साथ PeoplePartnership, ये बहुत जरूरी होती है।

आज जो चैम्पियन ऑफ अर्थ अवॉर्ड है, तो सरकार एनवायरमेंट के लिए कमिटेड हो सकती है, नीति बना सकती है, लेकिन 130 करोड़ भारतवासियों का साथ न हो, तो क्या पर्यावरण सुधर सकता है क्या? सरकार कहती रहे पराली मत जलाओ, पराली मत जलाओ और लोग जलाते रहेंगे तो पर्यावरण बदलेगा क्या। ये सब इसलिए संभव है कि लोग अब करने लगे हैं, और इसलिए इसके सच्चे हकदार हमारे देश के नागरिक हैं और पर्यावरण संरक्षण को लेकर आज जो भी बदलाव हो रहा है, उसकी मूल प्रेरणा हमारी अपनी संस्कृति ही है, जो सदियों से हमें प्रकृति से प्रेम करना सिखाती रही है।

हमारे देश में प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर किस प्रकार रहा जाता है, इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हमारे आदिवासी समुदाय के लोग हैं। देश की जनजातियां, उनके रीति-रिवाज, उनकी परंपराएं हर चीज...प्रकृति के साथ सदियों से अदभुत मेलजोल रहा है और ये सह अस्तित्व की भावना से आज भी जी रहे हैं। हमें उनसे सीखना चाहिए।
आज भारत के नागरिक जिस प्रकार निरंतर कठिन परिश्रम और ईमानदारी से अपने कार्यों में जुटे हैं, इससे देश पूरी दुनिया में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है।
-हम दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं। छह नंबर पर पहुंच गए हैं और पांच पर जाने के लिए लगातार लगे हुए हैं और देखिए आपलोग होकर रहेगा।

-देखिए, मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में हमारा दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा स्थान है।
-हम स्टील उत्पादन में विश्व के शीर्ष तीन देशों में पहुंच चुके हैं।
-हमारे खिलाड़ी रिकॉर्ड बना रहे हैं और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में नए-नए इतिहास रच रहे हैं।
-हम सामूहिक रूप से हमारे गरीब भाइयों और बहनों को पहले की तुलना में तेजी से गरीबी से बाहर निकलने में मदद कर रहे हैं।
-अपने एक-पर-एक स्टार्ट-अप के लिए हमारे युवा दिमाग की आज दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
-आजस्टार्ट-अप का इकोसिस्टम छोटे शहरों तक फैल गया है।

-भारत International Solar Alliance का नेतृत्व कर रहा है और दुनिया को टिकाऊ और सामंजस्यपूर्ण विकास मॉडल की राह दिखा रहा है।
न्यू इंडिया-2022 के, आजादी के 75 साल होंगे, सपने को पूरा करने के लिए हम हर दिन नए-नए Milestones स्थापित कर रहे हैं। क्या आपको लगता है कि यह सब सिर्फ मोदी की वजह से संभव हो सकता है? जी नहीं, ये सिर्फ मोदी के कारण नहीं हो रहा है। भारत में कभी भी प्रतिभाओं की कमी नहीं रही। हम सभी को मालूम है कि ये बहुरत्न वसुंधरा है लेकिन पिछली सरकारों में क्या हुआ, मैं ना बोलूं उतना ज्यादा अच्छा है। हमारा तो प्रयास यही है कि देश कैसे प्रगति करे, हर परिवार का कैसे विकास हो, समाज के हर भूभाग का विकास...क्षेत्र का विकास। बस इन्हीं बातों पर हम जुड़े हुए हैं और इसी के कारण परिणाम नजर आ रहा है। आइए, वहां कोई और भी हैं जो शायद कोई सवाल करना चाहते हैं।

प्रदीप काबरा–माननीय प्रधानमंत्री जी, सबसे पहले तो आपको बहुत-बहुत बधाई। मैं टीवी स्क्रीन पर साक्षात सरदार वल्लभभाई पटेल के दर्शन कर रहा हूं। मेरे माननीय प्रधानमंत्री जी के रूप में मैं आपको श्रीनाथद्वारा दर्शन के लिए पूरे राजसमंद जिले की तरफ से सादर आमंत्रित कर रहा हूं। मेरा सवाल है जब कांग्रेस के नेता आपके बारे में आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करते हैं, तो हमें बहुत गुस्सा आता है। हाल ही में उन्होंने चोर, नमक हराम, डेंगू मच्छर, बिच्छू जैसी चीजें तक कह दीं। हमें इसका जवाब कैसे देना चाहिए?

पीएम मोदी- सबसे पहले तो काबरा जी, आपने मुझे नाथद्वारा के दर्शन के लिए निमंत्रण दिया, राजसमंद जिले के सब लोगों ने निमंत्रण दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत आभारी हूं। काबरा जी आप तो भलीभांति जानते हैं, जब मैं गुजरात था, तब तो बड़ा सहज था वहां आना-जाना, हमलोग बहुत बार वहां आते रहते थे और राजभोग का भी लाभ लेते रहते थे… (हंसते हैं)..(कार्यकर्ता तालियां बजाते हैं)....लेकिन खैर अब जिम्मेवारियां ऐसी बदल गई हैं कि शायद पहुंच नहीं पाते हैं लेकिन भगवान का आशीर्वाद बना रहता है, इसके कारण सही मार्ग पर चलते रहते हैं, काम करते रहते हैं। अब मुझे बताइए जिसके पास जो होता है, वही वो दे सकता है। अगर मेरे पास पत्थर होगा, तो मैं किसी को पत्थर दूंगा, मेरे पास हीरे-जवाहरात होंगे, तो मैं किसी को हीरे-जवाहरात दूंगा। अब उनके पास गालियां ही भरी पड़ी हैं, तो वो नहीं देंगे, तो क्या देंगे भाई! और मुझे खुशीहैऔर मुझे संतोष है कि मैं उनके काम आ रहा हूं। उनका दिन भर गुस्सा मुझको गालियां देकर के निकलता है, तो शाम को घर में जाकर के बच्चों के साथ शाम उनकी अच्छी बीतती है। तो मुझे इतना आनंद होता है कि कांग्रेस के सारे मेरे मित्र दिन भर मुझे इतनी गालियां दें, इतनी गालियां दें, उनका सारा गुस्सा निकल जाए और जब घर जाएं, तब शांत मन से जाएं। बीवी, बच्चों के साथ, मां-बाप के साथ प्यार से बैठें, शाम को साथ में खाना खाएं।

मेरे कांग्रेस के भाई भी अगर उनकी शाम हंसी-खुशी की निकलेगी तो वो भी तो मेरे देश के भाई हैं, वो भी तोमेरे देश के नागरिक हैं। तो उनके पास जो है, वो वो देते हैं।हमारे पास क्या है, हमारे पास प्रेम है...हमारे पास देश के गरीबों की चिंता है। हमारे पास देश को बदलने के सपने हैं, हम उसको लेकर के आगे बढ़ेंगे। हमारे पास देने के लिए मेहनत है, पसीना है, त्याग है, तपस्याहै, उसको लेकर हम चलेंगे और हम उसी को देंगे। और दूसरी बात आप तो जानते हैं, हमारा सिंबल कमल है और कमल कहां खिलता है, काबरा जी कमल कहां खिलता है, कीचड़ में खिलता है ना! ये जितना ज्यादा कीचड़ उछालेंगे कमल उतना ही ज्यादा खिलेगा। और इसलिए आप उनकी बातों को इतना ही लोगों को बताइए भई उनके पास जो है वो देते हैं, हमारे पास जो है वो हम देंगे। न हम गाली देंगे, न हम झूठ बोलेंगे, न हम आरोप लगाएंगे और उनकी शाम अच्छी हो, इसके लिए हम उनको शुभकामनाएं देते रहेंगे। बस ऐसे ही प्यार से जिया करो।

आइए, हम सतना चलते हैं। सतना में सबसे बात करते हैं। नमस्कार।
(कार्यकर्ता नारे लगाते हैं–नरेन्द्र मोदी जिन्दाबाद, नरेन्द्र मोदी जिन्दाबाद)

सतना...हमारे सांसदश्री गणेश सिंह...गणेश जी आपको और आपकी टीम को बहुत-बहुत धन्यवाद। वहां हमारे शंकरलाल तिवारी जी, हमारे नारायण त्रिपाठी जी, भाई हर्ष नारायण सिंह जी...
देखिए, 2014 में लोकसभा चुनावों के दौरान मुझे सतना आने का अवसर मिला था और मैंने वहां एक विशाल जनसभा को संबोधित किया था। और मैने सुना, यहां की लाखों महिलाओं को प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन प्राप्त हुआ है औरदिव्यांग जनों को मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल भी मिल गई है। इसके लिए मैं आपके इसक्षेत्र के सब लोगों को बधाई देता हूं। और मुझे यह बताया गया कि यहां प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र की स्थापना भी हो गई है, जिससे हजारों युवाओं को मदद मिल रही है और सौभाग्य योजना के तहत 40 हजार से भी ज्यादा घरों में बिजली पहुंची है आपके यहां। ढाई लाख से अधिक लोगों को बीमा मिला है। अनगिनत बातें मैं आपके विषय में सुनना चाहता हूं, मुझे खुशी होती है। आइए, मैं आपसे आज कुछ जानना चाहूंगा। कौन सवाल पूछना चाहता है। यहां के सांसद जी और कार्यकर्ता गरीबों के लिए नि:शुल्क सेवा प्रदान करने वाला अस्पताल चला रहेहैं। मैं इसके लिए उन्हें बधाई देता हूं।

मोनिका दाहिया– माननीय प्रधानमंत्री जो को मेरा प्रणाम।

पीएम मोदी- नमस्ते।

मोनिका दाहिया– मैं अपने सांसद जी के माध्यम से, जिला सतना की ओर से आपको बधाई देती हूं कि मुझे यहां बात करने कामौका मिला है, पूरे सतना जिले को मिला है मौका। प्रधानमंत्री जी, मेरा प्रश्न ये है कि आपके अथक प्रयासों से देश में गरीबों की जनसंख्या बहुत तेजी से घट रही है। इसकी वजह से लोगों का जीवनस्तर बहुत तेजी से सुधर रहा है। देश में ‘गरीबी हटाओ’ का नारा कांग्रेस का था, पर आपके माध्यम से इसे सफल बनाया गया है और सफल हो रहा है, इसके लिए मैं आभार व्यक्त करती हूं।

पीएममोदी–मोनिका जी, मैं सबसे पहले तो आपका अभिनंदन करता हूं कि आप एक छोटे से गांव की सरपंच हैं लेकिन इतने स्पष्ट शब्दों में, साफ तरीके से अपनी बात बता रही हो, इसके लिए तो मैं पहले आपको बहुत बधाई देता हूं। मुझे गर्व होता है कि मेरी पार्टी के पास गांव स्तर पर ऐसी महिला कार्यकर्ताएं हैं जिनके दिमाग में सारी बातें साफ हैं और गरीबों के लिए कुछ करने का इरादा है। तो मोनिका जी सबसे पहले आपको बधाई। अब बात आई...ये बात सही है कि आजादी के इतने सालों के बाद कोई भी इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि हमारे देश से गरीबी हटाने के लिए अगर पहले सार्थक प्रयास हुए होते, तो हम गरीबी पर विजय प्राप्त कर चुके होते। आज कोई भी गरीब मां-बाप अपनी संतानों को विरासत में गरीबी देकर के जाना नहीं चाहता है। हर मां-बाप चाहता है कि उनके नसीब में जैसी जिंदगी थी..थी, जैसे जीना पड़ा..जी लिया, लेकिन बच्चों को ऐसी जिंदगी जीने के लिए मजबूर नहीं करेंगे। ऐसा हर मां-बाप चाहता है। तो उसे चाहिए क्या। उसे अवसर चाहिए, उसे डगर-डगर पर कोई हाथ पकड़ने वाला चाहिए।

गरीब ही गरीबी को परास्त कर सकता है। पहले की सरकारों की गलती सबसे बड़ी ये थी कि उनके लिए ‘गरीब’, ये शब्द चुनावी वोट बैंक का हिस्सा था। उनके लिए गरीबों को गरीब बनाए रखना उनके राजनीतिक फायदे में था और इसलिए वे कभी नहीं चाहते थे कि गरीबी हटे क्योंकिगरीबी हटेगी तो उनके मतदाता कम होंगे, उनके मतदाता कम होंगे, तो उनकी सरकार चली जाएगी, इस डर से।लेकिन देश का गरीब भी अब टीवी देखता है, समाचार सुनता है, बातें सुनता है, एक राज्य से दूसरे राज्य जाता है, एक शहर से दूसरे शहर जाता है, बदलती हुई चीजें देखता है, तो वो भी अब जाग गया है। और गरीब को अगर हम सशक्त बनाते हैं, तो सरकारों से पहले गरीब खुद गरीबी को खत्म करके गरीबी से बाहर निकल सकता है। हमने जो रास्ता अपनाया है वो गरीबों के सशक्तिकरण का है। गरीब ही गरीबी के खिलाफ लड़ने वाली मेरी फौज का सबसे बड़ा सिपाही है। उसी को मैं ताकतवर बना रहा हूं। उसको घर मिलता है, तो सम्मान से जीने लगता है, उसको बिजली का लट्टू जल जाता है, तो सम्मान के साथ बराबरी का अनुभव करता है। उसके बच्चों को अच्छे स्कूलों में पढ़ाई मिलजाती है, वो विश्वास से खड़ा हो जाता है। उसके घर के अंदर गैस का चूल्हा आ जाता है, तो उसे लगता है देखिए, पहले जिसके घर में गाड़ी थी उसके घर में गैस का चूल्हा था, अब मैं गरीब हूं, लेकिन मेरे घर में भी गैस का चूल्हा है, मैं भी तुम्हारी बराबरी का हूं।

जब गरीब का बैंक का खाता खुल जाता है, गरीब भी बैंक के दरवाजे पर जाने लग जाता है, तो वो भी छाती ठोक के खड़ा हो जाता है, अरे तुम कौन होते हो, तुम बैंक में जाते हो, मैं भी बैंक में जा रहा हूं। ये जो विश्वास पैदा होता है ना, वो गरीबी को खत्म करता है और हमने येविश्वास पैदा करने का काम किया है। हमने ऐसी व्यवस्थाएं दी हैं ताकि गरीब ताकतवर बन जाए। तो मैं समझता हूं, हम सही रास्ते पर हैं। और आपने देखा होगा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये मानागया है कि भारत में तेज गति से भीषण गरीबी से लोग बाहर निकल रहे हैं, गरीबी के दायरे से बाहर आ रहे हैं। सबके लिए खुशी की बात है और जब गांव की एक सरपंच अपने गांव की गरीबी में बदलाव देख रही है, तो मुझे विश्वास है कि हम सही रास्ते पर हैं और हम सचमुच में इस देश को निर्धारित समय में गरीबी से मुक्ति दिला सकते हैं, और गरीबों कीताकत से ही कर सकते हैं। तो मैं फिर एक बार मोनिका जी आपको बधाई देता हूं और आपकी पूरी टीम को भी बधाई देता हूं। आइए, वहां से कोई और भी बात करना चाहते हैं क्या।

अमोल सिंह– माननीय प्रधानमंत्री महोदय प्रणाम।
पीएम मोदी- नमस्ते
अमोल सिंह- सतना में मेडिकल कॉलेज की सौगात मिलने पर आपको बधाई। श्रीमान मैं ये जानना चाहता हूं कि कल हमलोगों ने देखा कि आप जापान में थे और आज सरदार वल्लभभाई पटेल के भव्य स्टैच्यू का उद्घाटन करने के बाद आज यहां हम सब लोगों से रूबरू हो रहे हैं। घंटों खड़े हैं, इसकी ताकत आपको कहां से मिलतीहै?

पीएम मोदी– अमोल जी बैठिए, बैठिए अमोल जी, आप मत थक जाइए!ये आपकी बात सही है, मैं कल सुबह करीब साढ़े तीन बजे रात में जापान से आया था।उसके बाद इटली के प्रधानमंत्री यहां आए थे, तो दिन भर इटली के साथ हमारी मीटिंग चल रही थी और शाम को अमेरिका से एक एक डेलीगेशन आया था, उनके साथ भी विस्तार से बातचीत करनी थी। और फिर मुझे आज सुबह सरदार वल्लभभाई की जन्मजयंती निमित्त गुजरात जाना था। तो मैं कल देर रात गुजरात पहुंच गया था और आज सुबह गुजरात के पूर्वी इलाके में राजपीपला...केवड़िया...जब आप ही चाहते हैंकि मैं मजदूरी करूं, तोफिर मुझे करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए। देखिए,हजारों कार्यकर्ता और उनका परिवार चौबीसों घंटे दिन-रात देखे बिना काम करते हैं कि नहीं करते हैं?कभी भोजन भी नहीं प्राप्त कर पाते हैं, कभी उनके पास व्हिकल नहीं होता है।

कभी बस के पीछे, ट्रक में बैठकर के जाते हैं। आपने तो कुशाभाऊठाकरे को बड़े निकट से देखा है। कुशाभाऊ कितनी मेहनत करते थे। हमारी चार-चार पीढ़ियां मेहनत कर करके येपार्टी को यहां तक लाई है। आप मुझे बताइए, अगर मुझे आपलोगों ने यही संस्कार दिए हैं, यही मुझे सिखाया है तो मैं सो कैसे पा सकता हूं, मैं आराम कैसे कर सकता हूं। भाई मैं भी तो आप ही की तरह एक कार्यकर्ता हूं। दूसरा देखिएआपको...मैं प्रधानमंत्री हूं, इसलिए आपका ध्यान गया कि मैं रात में तीन-साढ़े तीन बजे आया, फिर ये मीटिंग की, वो मीटिंग की, ये सब टीवी पर आया, इसलिए आपको पता चला।आपने कभी, रक्षाबंधन हो, दीपावली हो, होली हो, किसी पुलिस के जवान जो चौराहे पर खड़ा है, उसको जाकर के कंधे पे हाथ रखकर के पूछा उसको कि अरे भैया ये त्योहार का दिन है,तुम्हारी बहन होगी, तुम्हारे हाथ पर राखी नहीं है, क्या तुम नहीं गए, तो वो कहेगा, नहीं भाई साहब मेरी ड्यूटी है। क्या उसको देखकर के हमें लगता है कि नहीं लगता है कि ये पुलिस का जवान कितने घंटे से खड़ा है, अपनी ड्यूटी कर रहा है। क्या वो हमें प्रेरणा देगा कि नहीं देगा। हमारे देश का जवान सीमा पर, परिवार से दूर, छोटे-छोटे बच्चे घर में हैं और वो सीमा पर तैनात है, थोड़ा पल भर हम उसको याद करेंगे।आप मुझे बताइए, हमें भी उसकी तरह काम करने की प्रेरणा मिलेगी कि नहीं मिलेगी।

कभी आप देखिए किसी मजदूर को, बच्चों का पेट भरने के लिए वो कितनी मेहनत करता है, दिन रात दौड़ता है। उसको देखते हैं, हमें लगता है, अरे भाई हम तो कुछ नहीं कर रहे हैं। और ये हमारा किसान कितनी भयंकर गर्मी में खेत जोतने में लग जाता है, बारिश का इंतजार करता है और भीगता हुआ उमर 50 हो, 60 हो, 70 हो, वो तीन महीने-चार महीने खेत के अंदर घूमता रहता है। उसको याद करते हैं तब लगता है अगर मेरा देशवासी दौड़ रहा तो देश का प्रधानमंत्री भी, उसे दौड़ना ही चाहिए,दिन-रात जुटना चाहिए। उसे एक मिनट भी आराम करने का हक नहीं है। और मैंने एक बार लाल किले से कहा था, अगर आप 10 घंटे काम करेंगे तो मैं 11 घंटे करूंगा, अगर आप 20 घंटे काम करेंगे, तो मैं 21 घंटे काम करूंगा। मैं कभी काम करने में पीछे नहीं रहूंगा क्योंकि देश ने मुझे जो जिम्मा दिया है, ये जिम्मा मुझे पूरा करना है। और ये भारतीय जनता पार्टी के हर कार्यकर्ता का स्वभाव होना चाहिए, हमारे दायित्व को पूरा करने के लिए समय का पल-पल शरीर का कण-कण हमें जोत देना चाहिए, लगा देना चाहिए।अमोल जीआप भी लगा दीजिए और वहां बैठे हुए आप भी लगा दीजिए और आपके आशीर्वाद से मैं भी लगाता रहूंगा।

धन्यवाद अमोल जी, अच्छा लगा आप सब कार्यकर्ताओं से बहुत बातचीत करने का मौका मिला। सरदार साहब का स्मरण करते हुए हम चल पड़े... अनेक-अनेक, भांति-भांति की बातें की लेकिन एक बात सही है कि आपलोग जानकारियां पक्की रखिए। हो सके तो एक छोटी डायरी रखिए। सही आंकड़े बोलने चाहिए। सही बात बोलनी चाहिए और लोगों को विश्वास बनेगा कि हां भाई ये काम हुआ है। हम क्या करते हैं, ये सब याद रख लेते हैं, वैसा नहीं है...सब चीजें लिखकर...और देखिए नरेन्द्र मोदी ऐप अगर आप डाउनलोड करोगे तो नरेन्द्र मोदी ऐप में सारी जानकारियां हैं, लेटेस्ट जानकारियां हैं।

आप किसी भी डिबेट में उसको मोबाइल पर देखके डिबेट कर सकते हैं। और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, आप सिर्फ नमो ऐप को देखोगे, कोई आपके सामने डिबेट में जीत नहीं सकता है। इतनी जानकारी आपके मोबाइल फोन में है। आपमें से कितने लोग हैं जिन्होंने नरेन्द्र मोदी ऐप को डाउनलोड किया हुआ है, जरा हाथ ऊपर कीजिए तो..सबके सब..बैतूल में जरा कम दिख रहे हैं भई... क्या हाल है...हां अब दिखाई दे रहे हैं। देखें कितने लोग हैं, जो कम से कम डेली 15 मिनट नरेन्द्र मोदी ऐप की खबरें आगे लोगों को पहुंचाते हैं? कितने लोग हैं जरा हाथ ऊपर करो…देखिए ये काम होना चाहिए...जरा बैतूल के लोग क्या हो गया आपलोगों को...सुनाई दे रहा क्या...हां अब सुनाई दे रहा है।

अच्छा आपने देखा होगाअब नमो ऐप के ऊपर एक अभी डोनेशन लेने की प्रक्रिया चल रही है भारतीय जनता पार्टी के लिए। आपको मालूम है क्या?कितनों को मालूम है कि नरेन्द्र मोदी ऐपपर अब डोनेशन लिया जाता है...जरा हाथ ऊपर कीजिए। अच्छा बहुत कम लोगों को जानकारी है। मैं ये तो पूछता नहीं हूं कि आपमें से कितनों ने दिया। देखिए, नरेन्द्र मोदी ऐप पर आप जाएंगे तो आप 5 रु, 10 रु, 50 रु, 100 रु, 500 रु, 1000 रु तक डोनेशन दे सकते हैं। आपने देखा होगा, पिछले दिनों मैंने भी 1000 रु दिया था। 1000 रु से ज्यादाउसमें दे नहीं सकते। मेरा आप सबसे आग्रह है कि आप सब इस धनतेरस के दिन एक 15 दिन अभियान चलाइए। अधिक से अधिक लोगों से, भले 5 रु दें, 10 रु दें लेकिन ये नरेन्द्र मोदी ऐप के माध्यम से लोगों को डोनेशन देने की आदत डालिए। भारतीय जनता पार्टी के खाते में वो जमाहोगा।

छोटी-छोटी रकम क्यों न हो लेकिन ये भारतीय जनता पार्टी की ताकत को बढ़ाता है, हमारे विश्वास को वो बढ़ाता है। तो आप लोग करेंगे इस काम को। जरा हाथ ऊपर करके बताइएमुझे...पक्का करेंगे। देखिए, ये मोबाइल फोन ऐसी चीज है कि मैं यहां से देख सकता हूंकि बैतूल से कितनों ने किया, रामजसमंद से कितनों ने किया,महासमुंद से कितनो ने किया, मछलीशहर से किसने किया, सब पता चलता है मुझे। तो मैं आशा करता हूं कि आप सब इस काम को आगे बढ़ाएं। और मुझे बहुत अच्छा लगा, आप सबसे मिलकर के बात करने का और जब आपलोगों से बात करता हूं, तो सारी थकान उतर जाती है। फिर एक बार फ्रेश हो जाता हूं। नया काम करने के लिए उमंग आ जाती है। तो मुझे अच्छा लगा, आप लोग इतना समय निकालकर के आए। सबसे बात करने का मौका मिला।

मेरी आप सबको दीपावली की एडवांस में बहुत-बहुत शुभकामना है। आपका परिवार का भी ये दिवाली का पर्व बहुत अच्छा जाए। बड़ी खुशी का, आनंद का उत्सव बना रहे। आपके सारे सपने पूरे हों।
बहुत-बहुत धन्यवाद। नमस्कार।

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PM chairs Fifth National Conference of Chief Secretaries in Delhi
December 28, 2025
Viksit Bharat is synonymous with quality and excellence in governance, delivery and manufacturing: PM
PM says India has boarded the ‘Reform Express’, powered by the strength of its youth
PM highlights that India's demographic advantage can significantly accelerate the journey towards Viksit Bharat
‘Made in India’ must become a symbol of global excellence and competitiveness: PM
PM emphasises the need to strengthen Aatmanirbharta and strengthen our commitment to 'Zero Effect, Zero Defect’
PM suggests identifying 100 products for domestic manufacturing to reduce import dependence and strengthen economic resilience
PM urges every State must to give top priority to soon to be launched National Manufacturing Mission
PM calls upon states to encourage manufacturing, boost ‘Ease of Doing Business’ and make India a Global Services Giant
PM emphasises on shifting to high value agriculture to make India the food basket of the world
PM directs States to prepare roadmap for creating a global level tourism destination

Prime Minister Narendra Modi addressed the 5th National Conference of Chief Secretaries in Delhi, earlier today. The three-day Conference was held in Pusa, Delhi from 26 to 28 December, 2025.

Prime Minister observed that this conference marks another decisive step in strengthening the spirit of cooperative federalism and deepening Centre-State partnership to achieve the vision of Viksit Bharat.

Prime Minister emphasised that Human Capital comprising knowledge, skills, health and capabilities is the fundamental driver of economic growth and social progress and must be developed through a coordinated Whole-of-Government approach.

The Conference included discussions around the overarching theme of ‘Human Capital for Viksit Bharat’. Highlighting India's demographic advantage, the Prime Minister stated that nearly 70 percent of the population is in the working-age group, creating a unique historical opportunity which, when combined with economic progress, can significantly accelerate India's journey towards Viksit Bharat.

Prime Minister said that India has boarded the “Reform Express”, driven primarily by the strength of its young population, and empowering this demographic remains the government’s key priority. Prime Minister noted that the Conference is being held at a time when the country is witnessing next-generation reforms and moving steadily towards becoming a major global economic power.

He further observed that Viksit Bharat is synonymous with quality and excellence and urged all stakeholders to move beyond average outcomes. Emphasising quality in governance, service delivery and manufacturing, the Prime Minister stated that the label "Made in India' must become a symbol of excellence and global competitiveness.

Prime Minister emphasised the need to strengthen Aatmanirbharta, stating that India must pursue self-reliance with zero defect in products and minimal environmental impact, making the label 'Made in India' synonymous with quality and strengthen our commitment to 'Zero Effect, Zero Defect.’ He urged the Centre and States to jointly identify 100 products for domestic manufacturing to reduce import dependence and strengthen economic resilience in line with the vision of Viksit Bharat.

Prime Minister emphasised the need to map skill demand at the State and global levels to better design skill development strategies. In higher education too, he suggested that there is a need for academia and industry to work together to create high quality talent.

For livelihoods of youth, Prime Minister observed that tourism can play a huge role. He highlighted that India has a rich heritage and history with a potential to be among the top global tourist destinations. He urged the States to prepare a roadmap for creating at least one global level tourist destination and nourishing an entire tourist ecosystem.

PM Modi said that it is important to align the Indian national sports calendar with the global sports calendar. India is working to host the 2036 Olympics. India needs to prepare infrastructure and sports ecosystem at par with global standards. He observed that young kids should be identified, nurtured and trained to compete at that time. He urged the States that the next 10 years must be invested in them, only then will India get desired results in such sports events. Organising and promoting sports events and tournaments at local and district level and keeping data of players will create a vibrant sports environment.

PM Modi said that soon India would be launching the National Manufacturing Mission (NMM). Every State must give this top priority and create infrastructure to attract global companies. He further said that it included Ease of Doing Business, especially with respect to land, utilities and social infrastructure. He also called upon states to encourage manufacturing, boost ‘Ease of Doing Business’ and strengthen the services sector. In the services sector, PM Modi said that there should be greater emphasis on other areas like Healthcare, education, transport, tourism, professional services, AI, etc. to make India a Global Services Giant.

Prime Minister also emphasized that as India aspires to be the food basket of the world, we need to shift to high value agriculture, dairy, fisheries, with a focus on exports. He pointed out that the PM Dhan Dhanya Scheme has identified 100 districts with lower productivity. Similarly, in learning outcomes States must identify the lowest 100 districts and must work on addressing the issues around the low indicators.

PM also urged the States to use Gyan Bharatam Mission for digitization of manuscripts. He said that States may start a Abhiyan to digitize such manuscripts available in States. Once these manuscripts are digitized, Al can be used for synthesizing the wisdom and knowledge available.

Prime Minister noted that the Conference reflects India’s tradition of collective thinking and constructive policy dialogue, and that the Chief Secretaries Conference, institutionalised by the Government of India, has become an effective platform for collective deliberation.

Prime Minister emphasised that States should work in tandem with the discussions and decisions emerging from both the Chief Secretaries and the DGPs Conferences to strengthen governance and implementation.

Prime Minister suggested that similar conferences could be replicated at the departmental level to promote a national perspective among officers and improve governance outcomes in pursuit of Viksit Bharat.

Prime Minister also said that all States and UTs must prepare capacity building plan along with the Capacity Building Commission. He said that use of Al in governance and awareness on cyber security is need of the hour. States and Centre have to put emphasis on cyber security for the security of every citizen.

Prime Minister said that the technology can provide secure and stable solutions through our entire life cycle. There is a need to utilise technology to bring about quality in governance.

In the conclusion, Prime Minister said that every State must create 10-year actionable plans based on the discussions of this Conference with 1, 2, 5 and 10 year target timelines wherein technology can be utilised for regular monitoring.

The three-day Conference emphasised on special themes which included Early Childhood Education; Schooling; Skilling; Higher Education; and Sports and Extracurricular Activities recognising their role in building a resilient, inclusive and future-ready workforce.

Discussion during the Conference

The discussions during the Conference reflected the spirit of Team India, where the Centre and States came together with a shared commitment to transform ideas into action. The deliberations emphasised the importance of ensuring time-bound implementation of agreed outcomes so that the vision of Viksit Bharat translates into tangible improvements in citizens’ lives. The sessions provided a comprehensive assessment of the current situation, key challenges and possible solutions across priority areas related to human capital development.

The Conference also facilitated focused deliberations over meals on Heritage & Manuscript Preservation and Digitisation; and Ayush for All with emphasis on integrating knowledge in primary healthcare delivery.

The deliberations also emphasised the importance of effective delivery, citizen-centric governance and outcome-oriented implementation to ensure that development initiatives translate into measurable on-ground impact. The discussions highlighted the need to strengthen institutional capacity, improve inter-departmental coordination and adopt data-driven monitoring frameworks to enhance service delivery. Focus was placed on simplifying processes, leveraging technology and ensuring last-mile reach so that benefits of development reach every citizen in a timely, transparent and inclusive manner, in alignment with the vision of Viksit Bharat.

The Conference featured a series of special sessions that enabled focused deliberations on cross-cutting and emerging priorities. These sessions examined policy pathways and best practices on Deregulation in States, Technology in Governance: Opportunities, Risks & Mitigation; AgriStack for Smart Supply Chain & Market Linkages; One State, One World Class Tourist Destination; Aatmanirbhar Bharat & Swadeshi; and Plans for a post-Left Wing Extremism future. The discussions highlighted the importance of cooperative federalism, replication of successful State-level initiatives and time-bound implementation to translate deliberations into measurable outcomes.

The Conference was attended by Chief Secretaries, senior officials of all States/Union Territories, domain experts and senior officers in the centre.