Quoteएक्सप्रेसवे से प्रदूषण कम होगा और दिल्ली एनसीआर के लोगों को इसका लाभ मिलेगा और जाम की समस्या में कमी आएगी: प्रधानमंत्री मोदी
Quote125 करोड़ भारतीयों के जीवन को ऊपर उठाने के लिए यह आवश्यक है कि हम आधुनिक आधारभूत संरचना विकसित करें: पीएम मोदी
Quoteहम महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहे हैं, उज्ज्वला और मुद्रा योजना के माध्यम से महिलाओं के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ रहा है: प्रधानमंत्री
Quoteहम डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर से 5 स्थानों को पंचतीर्थ के रूप में विकसित कर रहे हैं; हम दलितों और वंचितों को मजबूत कर रहे हैं: प्रधानमंत्री मोदी
Quoteविपक्ष कमजोर वर्गों और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए उठाए गए कदमों का मजाक उड़ाते हैं, वे जो लोगों के बीच झूठ फैला रहे है: पीएम मोदी

भारत माता की जय

इतनी विशाल संख्या में पधारे हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों।

चार वर्ष पहले आपने अपार समर्थन के साथ मुझे पूरे देश की सेवा करने का अवसर दिया। मई कि इस गर्मी में और जब दोपहर को सूरज इतना तप रहा है। आपका इतनी बड़ी संख्या में हम सबको आशीर्वाद देने के लिये आना इस बात का गवाह है कि चार साल में हमारे सरकार देश को सही दिशा में ले जाने में सफल रही। भाइयों और बहनों इतना स्नेह इतना प्यार तब होता है, जब सेवक से उसका विधाता खुश होता है। आज भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए सरकार के चार साल पूरे होने पर आपका ये प्रधान सेवक फिर आपके सामने नतमस्तक हो कर के सवा सौ करोड़ देशवासियों का अभिवादन करता है। 
साथियों आज बागपत पश्चिम उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर वालों के लिये एक बहुत बड़ा दिवस है। दो बड़ी सड़क परियोजनाओं का आज लोकार्पण किया गया है। एक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे का पहला चरण और दूसरा ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे।

ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे पर 11 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गए। जबकि दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे के अभी के हिस्से पर लगभग साढ़े 800 करोड़ रुपये खर्च किये गए हैं। ये पूरा प्रोजेक्ट लगभग 5000 करोड़ रुपये का है। आज जब इस नई सड़क पर चलने का मुझे अवसर मिला तो अनुभव किया कि 14 लेन का सफर दिल्ली एनसीआर के लोगों के जीवन को कितना सुगम बनाने वाला है। कहीं कोई रुकावट नहीं। एक से एक आधुनिक टैक्नीक का इस्तेमाल कॉन्क्रीट के साथ हरियाली का भी मेल।

भाइयों और बहनों सिर्फ 18 महीनों में ये काम पूरा हुआ है। आज 14 लेन की 9 किलोमीटर सड़क का लोकार्पण हुआ है। लेकिन इस नौ किलोमीटर का भी कितना महत्व है। वो दिल्ली के पटपड़गंज, मयूर विहार, गाज़ियाबाद, इन्द्रापुरम, वैशाली और नोएडा के लोगों को भली भांति पता है। साथियों जिस रफ्तार से ये 9 किलोमीटर की सड़क बनी है। उसी रफ्तार से मेरठ तक इस पूरे एक्सप्रेस-वे का काम करके जल्द ही दूसरे चरण को भी जनता के लिये समर्पित किया जाएगा। और जब ये पूरा हो जाएगा, तो मेरठ से दिल्ली की दूरी सिर्फ 40-45 मिनट्स रह जाएगी।

साथियों दिल्ली एनसीआर में सिर्फ जाम की ही समस्या नहीं है प्रदूषण की भी एक बहुत बड़ी समस्या है। जो साल दर साल और विकराल रूप लेती जा रही है। प्रदूषण की समस्या का एक कारण दिल्ली में आने जाने वाली गाड़ियां और लम्बे ट्राफिक जाम हैं। हमारी सरकार ने इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए दिल्ली के चारों और एक्सप्रेस-वे से एक घेरा बनाने का बेड़ा उठाया। ये दो चरणों में बनाया जा रहा है। इसमें से एक चरण यानी ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का अभी थोड़ी देर पहले मुझे लोकार्पण करने का अवसर मिला। भाइयों बहनों दिल्ली के अंदर आज जितनी गाड़ियां पहुंचती है। उसमें से अब लगभग 30 प्रतिशत की कमी आ जाएगी। वो बाहर से बाहर निकल जाएगी। ना सिर्फ बड़ी गाड़ियां और ट्रक बल्कि 50 हजार से अधिक कारों को भी अब दिल्ली शहर के अंदर प्रवेश करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। ऐसी व्यवस्था इससे निर्माण हुई है। इतना ही नहीं ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे अपने आप में देश का पहला एक्सप्रेस –वे है जो एक्सिस कंट्रोल रॉ ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस –वे है। ये सड़क सिर्फ 500 दिन में बनकर तैयार हुई है। साथियों ये दोनों जो बड़े प्रोजेक्ट आज आप सभी की सेवा के लिये तैयार हैं। ये पूरी तरह से आधुनिक टेक्नोलोजी से लेस है। बिजली की जरूरत भी यहां सोलर एनर्जी सौर ऊर्जा से पूरी की जाएगी। यानी समय की भी बचत, प्रदूषण भी कम, ईंधन भी कम पश्चिम यूपी से दिल्ली दूध, सब्जी, अनाज पहुंचाना भी अब आसान हो जाएगा।

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भाइयों बहनों सवा सौ करोड़ देशवासियों का जीवन स्तर ऊपर उठाने में देश के आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर की बहुत बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है और यही सबका साथ सबका विकास का रास्ता है। क्योंकि इन्फ्रास्ट्रक्चर जात-पात, पंथ, सम्प्रदाय, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब, ये किसी में भेदभाव नहीं करता है। इससे सबके लिये बराबरी के अवसर पैदा होते हैं। इसलिये हमारी सरकार ने हाईवे, रेलवे, एयरवे बोटरवे हाईवे और बिजली से जुड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर पर सबसे अधिक ध्यान दिया है। साथियों बीते चार वर्षों में तीन लाख करोड़ से अधिक खर्च हमने 28 हजार किलोमीटर से अधिक के नए हाईवे बनाने के लिये किया है। चार वर्ष पहले तक जहां एक दिन में और मैं चाहूंगा कि आप भी इस बात को ध्यान से सुनें और मेरे देश के नागरिक भी सुनें। चार वर्ष पहले तक जहां एक दिन में सिर्फ 12 किलोमीटर हाईवे बनते थे। आज लगभग 27 किलोमीटर हाईवे एक दिन में बनते हैं। इस वर्ष के बजट में भारत माला प्रोजेक्ट के तहत पांच लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके तहत लगभग 35 हजार किलोमीटर हाईवे का निर्माण हो रहा है। हाईवे ही नहीं रेलवे में भी अभूतपूर्व काम हो रहा है। जहां रेलवे की कनेक्टिविटी नहीं थी, वहां तेजी से रेल नेटवर्क बिछाया जा रहा है। सिंगल लाइनों को डबल में बदलना, मीटर गेज को ब्रॉड गेज में बदलना, इस काम को तेज गति से हम कर रहे हैं। ट्रेनों की स्पीड भी बढ़ाई जा रही है। लगभग साढ़े पांच हजार मानव रहित क्रॉसिंग को बीते चार वर्षों में हमनें हटा दिया है। भाइयों बहनों हवाई सेवा को सस्ता करने और देश में नए हवाई रूट शुरू करने के लिये उड़ान योजना चलाई जा रही है। पिछले वर्ष लगभग दस करोड़ लोगों ने हवाई सफर किया यानी एसी ट्रेन में रेलवे के एयरकंडीशन डिब्बे में जितनों ने यात्रा की उससे ज्यादा लोगों ने हवाई जहाज में यात्रा की ये मैं हिन्दुस्तान की चार साल की कथा बता रहा हूं। हवाई चप्पल पहनने वाला भी हवाई जहाज में जाय ये सपना लेकर के काम कर रहे हैं। देश के जलशक्ति का भी पूरा इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है। देश में सौ से ज्यादा नए वॉटर वेज बनाए जा रहे हैं। यहां यूपी में भी गंगा जी में भी जहाज चलने लगे हैं। गंगा जी के माध्यम से यूपी सीधा – सीधा समुद्र से जुड़ने वाला है। जल्द ही मालवाहक जहाज यूपी में बना सामान बड़े – बड़े पोर्ट तक पहुंचाने के लिये सामर्थ्यवान हो जाएगा। गंगा जी की तरह यमुना जी को लेकर भी एक बाद एक नई योजनाएँ बनाई जा रही हैं।

साथियों जहां-जहां ट्रांस्पोर्ट की ये सुविधा खड़ी की जा रही है। वहां – वहां नए उद्योगों के अवसर भी तैयार किये जा रहे हैं। इसी सोच के साथ इस साल बजट में उत्तर प्रदेश में डिफेंस इंडस्ट्रियल कोरिडोर के निर्माण का भी ऐलान किया गया है। इस कोरिडोर का विस्तार आगरा, अलीगढ़, लखनऊ, कानपूर, झांसी और चित्रकूट तक ये विस्तार होगा। अकेले ये कोरिडोर करीब – करीब ढाई लाख लोगों के लिये रोजगार के नए अवसर सृजित करेगा।

साथियों न्यू इंडिया के तमाम नई व्यवस्थाएँ देश के युवाओं, मध्यम वर्गीय आशाओं अपेक्षाओं के आधार पर खड़ी की जा रही है। देश के हर गांव को इन्टरनेट से जोड़ने के लिये भारत नेट योजना के तहत काम तेज गति से आगे बढ़ रहा है। हमारी सरकार की रफ्तार का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि कांग्रेस सरकार जहां अपने चार साल में ये भी जैसे मैंने आपको हाईवे निर्माण का आंकड़ा दिया था। ये भी आंकड़ा जरा नोट करने जैसा है। कांग्रेस की यूपीए सरकार अपने चार साल में 59 पंचायतें यानी करीब – करीब 60 पंचायतों में ही ऑप्टिकल फाइबर से उसे जोड़ पाई थी। 59 वहां हमनें एक लाख से अधिक पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ दिया है। कहां चार साल में 60 से भी कम गांव और कहां चार साल में एक लाख गांव। काम कैसे होता है। मेरा देश भली भाँति से अनुभव कर रहा है। मेक इन इंडिया के माध्यम से देश में मैन्युफैक्चरिंग उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसका परिणाम यह हूआ कि चार वर्ष पहले देश में सिर्फ दो मोबाईल फोन बनाने वाली फैक्टरियां थीं। आप अनुमान लगा सकते हैं आज कहां पहुंचे हैं । आपको जानकर के खुशी होगी। उनके जमाने में दो फैक्टरियां मोबाइल फोन बनाती थी। आज 120 फैक्टरी मोबाइल फोन बना रही है। और उसमें तो कई तो यहां एनसीआर में ही हैं। जिनसे अनेक युवाओं को भी रोजगार मिला है। कुछ तो शायद यहां मौजूद भी होंगे।

साथियों रोजगार निर्माण में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग जिन्हें हम एमएसएमई भी कहते हैं। उनका बहुत बड़ा योगदान है। खेती के बाद एमएसएमई सैक्टर में ही रोजगार के सबसे ज्यादा अवसर उपलब्ध होते हैं। और यूपी में तो करीब-करीब 50 लाख छोटे – छोटे लघु उद्योगों का जाल है। इन उद्योगों का और विस्तार हो, इसके लिये केन्द्र और उत्तर प्रदेश सरकार मिलकर के काम कर रही है। केन्द्र सरकार ने एमएसएमई सैक्टर को टैक्स में भी भारी छूट देकर रखी हुई है। उत्तर प्रदेश की बीजेपी सरकार ने एक बड़ा महत्वपूर्ण इनिशिएटिव योगी जी की सरकार ने लिया है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण है। यूपी सरकार की इस योजना को केन्द्र सरकार के स्किल इंडिया मिशन, स्टैंडअप इंडिया, स्टार्टअप इंडिया मिशन और प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना के साथ हमनें उसका सहयोग देने का एक पूरा रोड मैप बनाया है। साथियों बेहतर बिजनेस और कारोबार तब होता है जब सुरक्षा व्यवस्था सही हो। यहां पश्चिम उत्तर प्रदेश में तो आप साक्षात गवाह हैं कि पहले क्या स्थिति थी। लेकिन अब योगी जी की नेतृत्व वाली सरकार में अपराधी खुद सरेंडर कर रहे हैं। अब अपराधी खुद आगे से कोई अपराध नहीं करेंगे उसके शपथ लेने लगे हैं। और मैं योगी जी को और मनोहर लाल जी को दोनों एक को इस बात के लिये बधाई देता हूं। उन्होंने उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच कानून व्यवस्था के मुद्दे पर इतना बढ़िया संकलन किया एक दूसरे को इतना बढ़िया संपर्कसूत्र से जोड़ा है कि पहले क्रिमिनल यहां खेल खेलते थे वहां भाग जाते थे। वहां खेल खेलते थे यहां शरण ले लेते थे। अब उनके सारे रास्ते इन दोनों ने बंद कर दिये हैं। मैं दोनों को बधाई देता हूं।

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भाईयों बहनों हम महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण- इस बात को हम प्राथमिकता दे रहे हैं। स्वच्छ भारत अभियान के तहत मैंने देश में साढ़े 7 करोड़ शौचालय हो। या फिर उज्ज्वला योजना के तहत दिये गए चार करोड़ गैस कनेक्शन हों। इन्होंने महिलाओं के जीवन को आसान बनाने की बहुत बड़ी सेवा की है। वहीं मुद्रा योजना के तहत जो लगभग 13 करोड़ लोन दिये गए हैं। उनमें 75 प्रतिशत से अधिक महिला उद्यमों को ये लोन मिले हैं। कोई कल्पना कर सकता है। हिन्दुस्तान में मुद्रा योजना की 13 करोड़ लोन में से लोन लेने वाली 75 प्रतिशत मेरे देश की बेटियां हैं, बहनें हैं, माताएं हैं। बीते चार वर्ष में हमनें बेटियों को सम्मान दिया। और उन्हें और सशक्त बनाया। साथियों महिलाओं के साथ-साथ दलितों और पिछड़ों के सशक्तिकरण के और उनके सम्मान के लिये बीते चार वर्ष में हमनें एक के बाद एक कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। चाहे वो स्वरोजगार हो या फिर सामाजिक सुरक्षा आज अनेक योजनाएँ इस दिशा में काम कर रही है। मुद्रा योजना के माध्यम से जो लोन दिया गया है उसमें आधे से ज्यादा लोन दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों को मिला है। स्टैंडअप इंडिया के जरिये भी दलितों को महिलाओं को उद्यमी की एक नई योजना से लाभ मिला है। ये हमारे सरकार के लिये सौभाग्य की बात है कि हमने बाबासाहेब आम्बेडकर जी से जुड़े पांच स्थान पंच तीर्थ के रूप में विकसित किया है। साथियों मैं आपको अनुभव के आधार पर कह सकता हूं कि जिनके मन में स्वार्थ है वे सिर्फ घडियाली आंसू बहाने वाली राजनीति करते आए हैं। वो लोकलुभाव राजनीति करते आए हैं। लेकिन जो सही मायनों में दलित, पीड़ित, सोशित, वंचित, उपेक्षित अगर उनके हितों में सोचता है तो वो लोक हित की राजनीति करता है, लोकरंजक राजनीति नहीं करता है। दलित और पिछड़े भाई-बहनों के लिये अवसरों के साथ-साथ उनकी सुरक्षा और न्याय के लिए भी बीते चार वर्षों में कई महत्वपूर्ण निर्णय किये गए हैं।

दलितों पर आदिवासियों पर अत्याचार के कानूनों को हमने और कड़ा किया है। दलितों पर होने वाले अत्याचारों की लिस्ट को 22 अलग – अलग अपराधों से बढ़ाकर के 47 तक हमनें उसका विस्तार कर दिया है। दलितों के अत्याचार से जुड़े मामलों की तेज सुनवाई के लिये स्पेशल कोर्ट का गठन किया जा रहा है।

भाइयों और बहनों सरकार ने पिछड़ी जातियों के सब कैटागराइजेशन के लिये एक कमीशन का गठन करने का निर्णय लिया है। सरकार चाहती है कि ओबीसी समुदाय में जो अति पिछड़े हैं उन्हें सरकार और शिक्षण संस्थाओं में तय सीमा में रहते हुए आरक्षण का और अधिक फायदा प्राप्त हो। और इसलिये ओबीसी समुदाय में सब कैटगरी बनाने के लिये हमने कमीशन का भी निर्माण किया। साथियों सरकार को ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा तक देना चाहती थी। और ओबीसी समाज की ये मांग पिछले बीस पच्चीस साल से चल रही थी। लेकिन वो यूपीए में बैठी हुई सरकार को इसकी परवाह नहीं थी। हमनें उसके लिये कानून लाया। पार्लियामेंट में ओबीसी कमीशन को संविधान अधिकार मिले इसके लिए अहम कानून लाये। लेकिन कांग्रेस पार्टी के लोगों को ये गवारा नहीं था। उनके सहयोगी दलों को गवारा नहीं था। और इसलिये वो रोड़ा बनकर के खड़े हो गए। और उस कानून को अभी तक लटकाए बैठे हैं। लेकिन मैं ओबीसी समाज को विश्वास दिलाता हूं। जो कदम उठाया है उसे मोदी पूरा करके रहने वाला है। भाइयों और बहनों सच्चाई ये है कि गरीबों के लिए, दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों के लिए जो भी कार्य किया जाता है, कांग्रेस और उसके साथ चलने वाले दल या तो उसमें रोड़े अटकाने लगते हैं, इन्हें देश का विकास भी मजाक लगता है। उन्हें स्वच्छ भारत के लिए किया गया काम मजाक लगता है, उन्हें गरीब महिला के लिए बनाया गया शौचालय मजाक लगता है। जब हमारी सरकार गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन देती है, तो भी ये उसका मजाक उड़ाते हैं। जब गरीब के लिए बैंक खाते खुलते हैं तो भी ये गरीब विरोधी मानसिकता वाले इसकी भी मजाक उड़ाते हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में सत्ता देखने के आदी ये लोग गरीब के लिए किए जा रहे हर काम को मजाक समझते हैं। कैबिनेट के दस्तावेज को फाड़कर फेंकने वाले लोग, संसद में पास सर्वसम्मिति से पास कानून की इज्जत भी करना उचित नहीं मानते हैं।

आज देश के लोग देख रहे हैं कि अपने सियासी फायदे के लिए ये लोग सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भी खुलेआम झूठ बोलने की हिम्मत करते हैं। ये लोग यह भी नहीं सोचते कि उनके झूठ की वजह से देश में किस तरह की अस्थिरता का माहौल पैदा हो सकता है। चाहे दलितों पर अत्याचार से जुड़े कानून की बात हो या फिर आरक्षण की बात हो, झूठ बोलकर, अफवाह फैलाकर ये लोगों को भ्रमित करने की साजिश करते हैं। मैं तो सुन रहा हूं अब उन्होंने नया झूठ मैदान में उतारा है। और शायद इस इलाकों के लोग तक पहुंच भी गया होगा। और उन्होंने झूठ चलाया है। और वो किसानों के बीच में पहुंचा रहे हैं। और झूठ ऐसा फैलाया जा रहा है कि जो किसान खेत ठेके पर या बंटाई पर देगा, उससे 18 प्रतिशत जीएसटी लिया जाएगा। चुनाव में पराजय हुए लोग राजनीति करने की कुछ तो सीमा करिए। इतना झूठ... मेरे देश के किसान को गुमराह कर रहे हो। आपको पता नहीं आप कितना बड़ा पाप कर रहे हो। मैं अपने किसान भाइयों से कहना चाहता हूं कि ऐसी किसी अफवाह पर ध्यान नहीं दें, बल्कि जो अफवाह फैला रहे हैं उनके खिलाफ शिकायत करें। और मैं आपको वादा करता हूं ऐसे झूठ खेल खेलने वालों को कानून काम करके रहेगा।

साथियों, हमारी सरकार ग्रामोदय से भारत उदय की अवधारणा पर काम कर रही है। जब हम ग्रामोदय की बात करते हैं तो उसका केंद्र बिंदु मेरे देश का अन्नदाता, मेरा किसान है। मेरे गांव का छोटा कारीगर है मेरे गांव का खेत हर मजदूर है। इस वर्ष बजट में गांव और खेती से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए 14 लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है।

इसके अलावा यूरिया की शत प्रतिशत नीम कोटिंग, प्रधानमंत्री सिंचाई परियोजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के दायरे में विस्तार से भी किसान को एक गारंटी देता है लाभ पहुंचा है। किसान को लागत का डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य भी हमारी सरकार ने सुनिश्चित करना तय किया है। और मैं हमारे दोनों मुख्यमंत्रियों को बधाई देता हूं कि उन्होंने एमएसई के नए नियमों के तहत किसानों से जितना माल खरीद सकते हैं खरीदने के लिये योजना बनाई है और भूतकाल के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। दोनों हमारे किसानों को समर्पित सरकारों को दोनों मुख्यमंत्रियों को मैं बधाई देता हूं।

खेत से निकलकर बाजार तक पहुंचने से पहले किसानों की उपज बर्बाद न हो, इसके लिए 6 हजार करोड़ रुपए के निवेश वाली प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना पर काम किया जा रहा है। ये योजना पश्चिम यूपी के आलू पैदा करने वाले किसान हैं उनको सबसे ज्यादा मदद करने की ताकत रखती है। इस बजट में जिस Operation Green का ऐलान किया गया है, वो भी नई सप्लाई चेन व्यवस्था से जुड़ा हुआ है। ये फल, फूल और सब्जियां पैदा करने वाले यहां के किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी साबित होगा।

भाइयों और बहनों, ऑर्गैनिक खेती, मधुमक्खी पालन, सोलर फार्म, ऐसे तमाम आधुनिक विकल्पों को बढ़ावा दिया जा रहा है। खेती के इन सब-सेक्टर्स में काम करने वाले किसानों को कर्ज मिलने में और आसानी हो, इस पर भी विस्तृत रूप से योजनाएं बनाई गई है।

यहां के गन्ना किसानों के लिए भी हमारी सरकार निरंतर कार्य कर रही है। पिछले वर्ष ही हमने गन्ने का समर्थन मूल्य लगभग 11 प्रतिशत बढ़ाया। इससे गन्ने के 5 करोड़ किसानों को सीधा लाभ हुआ था। इथेनॉल से जुड़ी पॉलिसी में बड़ा बदलाव करते हुए अब पेट्रोल में इथेनॉल की 10 प्रतिशत ब्लेन्डिंग को भी स्वीकृति दी जा चुकी है। गन्ना किसानों को चीनी मिलों से बकाया मिलने में देरी न हो, इससे जुड़ा एक बड़ा फैसला हाल में लिया गया है। सरकार ने तय किया है कि प्रति क्विंटल गन्ने पर 5 रुपए 50 पैसे की आर्थिक मदद चीनी मिलों को दी जाएगी। लेकिन, लेकिन ये चीनी मिलों के मालिक के हाथ में नहीं जाएगी। इसमें भी किस तरह का खेल होता था ये हमें पता है और इसलिये हमने तय किया कि ये राशि चीनी मिलों को देने की बजाय सीधी सीधी गन्ना किसानों के बैंक अकाउंट में जमा कर दी जाएगी। इससे गन्ना किसानों का पैसा चीनी मिलों में नहीं फंसेगा। मैं यहां के गन्ना किसानों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सरकार उनकी दिक्कतों के प्रति संवेदनशील है और बहुत कड़ाई के साथ गन्ना किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

भाइयों और बहनों, गांव के विकास के साथ-साथ हम हमारे शहरों को भी 21वीं सदी के हिसाब से तैयार कर रहे हैं। स्मार्टसिटी मिशन, अमृत योजना के माध्यम से शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया जा रहा है। शहरों में रहने वाले गरीब-मध्यम वर्ग के लोगों को अपना घर मिले इसके लिए हम बड़े स्तर पर प्रयास कर रहे हैं, कांग्रेस की सरकारों की तुलना में कहीं ज्यादा तेजी से ये काम भी हम कर रहे हैं। साल 2004 से लेकर 2014 के 10 वर्षों में कुल साढ़े 13 लाख घर शहरों में निर्माण के लिए मंजूर किए गए, पिछले चार वर्षों में हमने 46 लाख घर स्वीकृत कर दिये हैं। पचास लाख के करीब पहुंच गए हैं। कांग्रेस ने 10 वर्षों में यानि 3 गुना से अधिक काम हमने किया है। कांग्रेस ने 10 वर्षों में साढ़े 5 लाख घरों की चाबियां शहर के लोगों को सौंपी हैं। जबकि हमारी सरकार ने सिर्फ 4 वर्षों के भीतर-भीतर 8 लाख से अधिक शहरी लाभार्थी को रहने के लिये घर की चाबी दे दी।

भाइयों और बहनों, बढ़ती आबादी की चुनौतियों से निपटने के लिए भी शहरी व्यवस्थाओं को तैयार किया जा रहा है। एक परिवार के 38 साल के राज में कैसे शहरों का बे-तरतीब विकास हुआ, बिना योजना के योजना के बढ़ते चले गए, ये देश ने समस्याओं की जड़ कहां है ये भली भांति देखा है।न शहरों से सीवर का पानी निकालने की व्यवस्था, न पानी साफ करने की। हमारी नदियों का काम क्या हो गया शहर की गंदगी को बहाकर समुद्र तक के नदियां ही खींच के ले रही है। विशेषकर हमारी हमारी मां गंगा तो बढ़ती हुई आबादी और बढ़ते हुए औद्यौगिक प्रदूषण से पस्त पड़ रही थीं। इसलिए ही इस सरकार में नमामि-गंगे कार्यक्रम शुरू किया गया। सरकार ने प्राथमिकता सिर्फ गंगा की सफाई को ही नहीं दी, बल्कि अब ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि शहरों से निकलने वाली गंदगी भी गंगा में नहीं जानी चाहिए। सरकार द्वारा अब तक लगभग 21 हजार करोड़ की 200 से अधिक परियोजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है। इसके अलावा गंगा तट के किनारे बने गांवों को प्राथमिकता के आधार पर खुले में शौच से मुक्त बनाया जा रहा है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल, जिन पाँच राज्यों से गंगाजी होकर गुजरती हैं, वहां गंगा किनारे के कई गांव इस मिशन में बहुत सफल हो चुके हैं।

साथियों, गंगा सफाई पर देश में पहले भी बहुत बड़ी-बड़ी बातें हुई हैं। लेकिन ये सरकार बातों में नहीं, काम करके उसको सिद्ध करने पर रखती है। यही हमारी कार्यसंस्कृति है, यही हमारी पूंजी है। जनता की कमाई का एक एक पैसा जनता पर खर्च हो, इसका ध्यान रखा जा रहा है। इसलिए, हम यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि जो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाये जाये वो ठीक से चले, क्योंकि ये भी एक कांग्रेस कल्चर रहा है कि प्लांट तो बनाये जाते थे, लेकिन न तो वो अपनी क्षमता से काम करते थे और न ही लंबे समय तक चल पाते। गंगा जी से जुड़ी अहम परियोजनाओं से भी अब कांग्रेस कल्चर को हटाने का कार्य किया जा रहा है।

साथियों, अब जो भी प्लांट बनाए जा रहे हैं, उसके साथ - साथ ये भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि वो 15 साल के बाद की आवश्यकताओं को भी ध्यान में रखकर के किया जाए। यानि हमारा जोर सिर्फ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने पर ही नहीं बल्कि उन्हें चलाने पर भी है।

भाइयों और बहनों, जिन्होंने 70 साल देश के साथ, देश के गरीबों के साथ, मध्यम वर्ग, किसानों-नौजवानों के साथ छल किया, उन्हें भ्रम में रखा, उन्हें धोखा दिया, वो अब एनडीए सरकार पर जनता का विश्वास देख काफी बौखलए हैं। उनको परेशानी है कि चार साल के बाद इतनी गर्मी में इतना बड़ा जन सैलाब उनको सोने नहीं देता है। सच्चाई ये है कि इन्हें न कभी देश के लोकतंत्र पर विश्वास रहा है और न ही संविधान के तहत चल रही संस्थाओं पर विश्वास। पिछले 4 साल में बार-बार उनकी ये मानसिकता खुलकर के सामने आई है। देश की सर्वोच्च अदालत पर कैसे इन लोगों ने विश्वास का संकट खड़ा किया, ये देश ने पिछले दिनों देखा।

देश के चुनाव आयोग को, EVM को कैसे इन्होंने शक के दायरे में खड़ा किया, ये भी देश भलीभांति जानता है। देश के रिजर्व बैंक को, उसकी नीतियों पर भी उन्होंने कैसे सवालिया निशान खड़ा किया। विश्वास का संकट पैदा करने का पाप किया ये भी हमने देखा है। देश की जो एजेंसियां, उनके काले कारनामों की जांच कर रही हैं, ये उसे भी कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। और तो और, अब तो उन्हें देश का मीडिया भी पक्षपाती नजर आने लगा है।

भाइयों और बहनों, एक परिवार की पूजा करने वाले कभी लोकतंत्र की पूजा नहीं कर सकते। ये सर्जिकल स्ट्राइक करने वाली देश की सेना के साहस को भी नकारते हैं। जब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भारत की तारीफ करती हैं, तो ये उन पर भी डंडा लेकर दौड़ पड़ते हैं। देश की जो एजेंसिया इनके समय में विकास के आंकड़े देती थीं, वही एजेंसियां जब, उसी तरीके से नए सरकार के आंकड़े देती है तो कहती हैं कि देश में तेजी से विकास हो रहा है, तो ये उनकी विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाने लगते हैं। यहां तक विदेश से आया कोई मेहमान भी इस सरकार की तारीफ में कुछ बोल देता है, तो सारी मर्यादा ताक पर रखते हुए उस पर भी ये लोग सवाल खड़े कर देते हैं आलोचना कर देते हैं।

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साथियों, देश की जनता का विश्वास जिन लोगों से उठ चुका हो, वो इतना बौखला जाएंगे, उनके परेशानी का कारण आप भी जानते हैं मैं भी जानता हूं। मोदी के विरोध में देश का विरोध करने लगेंगे, इसकी उम्मीद कम से कम मुझे तो नहीं थी। लेकिन जिसके पास आपका विश्वास हो, आपका आशीर्वाद हो, देश के सवा सौ करोड़ लोगों का विश्वास हो, वो इन लोगों के लाख आक्रमण से भी न कभी डिगता है न कभी रुकता है न कभी थकता है।

साथियों, मेरे देशवासियों आप हर चीज को बराबर तलाश करके देख लीजिये उस तरफ अब कौन लोग हैं इस तरफ कौन लोग हैं। जरा बराबर जांच कर देख लीजिए उस तरफ वो लोग हैं। उनके लिए, उनका परिवार ही देश है, मेरे लिए, मेरा देश ही मेरा परिवार है। देश के सवा सौ करोड़ लोग ही मेरे परिवार के सदस्य हैं। कमाने के लिए मेरे पास सिर्फ आपका आशीर्वाद है आपका प्यार है आपका विश्वास है। करने के लिए मेरे पास सिर्फ और सिर्फ सवा सौ करोड़ देशवासियों की सेवा है। आप सभी के सहयोग से, सवा सौ करोड़ देशवासियों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने से एक भारत, श्रेष्ठ भारत का हमारा संकल्प और मजबूत होकर रहेगा। आप भारी संख्या में यहां आए, इसके लिए मैं आपका बहुत बहुत धन्यवाद देता हूं। और आज जिन रोड का लोकार्पण हुआ है। इसका महत्व सिर्फ इस इलाके से नहीं 21वीं सदी का हिन्दुस्तान कैसा हो सकता है। इसका ये सैम्पल है। जो आपके घर के किनारे पर है।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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QuoteI extend my heartiest congratulations and best wishes to you for hoisting the flag of India in space: PM
QuoteScience and Spirituality, both are our Nation’s strength: PM
QuoteThe success of Chandrayaan mission and your historic journey renew interest in science among the children and youth of the country: PM
QuoteWe have to take Mission Gaganyaan forward, we have to build our own space station and also land Indian astronauts on the Moon: PM
QuoteYour historic journey is the first chapter of success of India's Gaganyaan mission and will give speed and new vigour to our journey of Viksit Bharat: PM
QuoteIndia is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM

प्रधानमंत्री: शुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्ला: नमस्कार!

प्रधानमंत्री: आप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

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शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्री: शुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री: वाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्री: शुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

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प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

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शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!