हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा होना चाहिए, जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो : प्रधानमंत्री मोदी
न्याय के जो आदर्श भारतीय संस्कारों का जो हिस्सा रहे हैं, वो न्याय हर भारतीय का अधिकार है : प्रधानमंत्री मोदी
डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेजी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है : प्रधानमंत्री मोदी

नमस्‍कार,

देश के कानून मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद जी, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी जी, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह जी, गुजरात हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस श्रीमान विक्रम नाथ जी, गुजरात सरकार के मंत्रीगण, गुजरात हाइकोर्ट के सभी सम्मानित जजेज़, भारत के Solicitor General श्री तुषार मेहता जी, Advocate General गुजरात श्री कमल त्रिवेदी जी, 'बार' के सभी सम्मानित सदस्यगण, देवियों और सज्जनों !

गुजरात हाइकोर्ट की diamond jubilee के इस अवसर पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। पिछले 60 वर्षों में अपनी कानूनी समझ, अपनी विद्वता और बौद्धिकता से गुजरात हाइकोर्ट और बार, दोनों ने ही एक विशिष्ट पहचान बनाई है। गुजरात हाइकोर्ट ने सत्य और न्याय के लिए जिस कर्तव्यनिष्ठा से काम किया है, अपने संवैधानिक कर्तव्यों के लिए जो तत्परता दिखाई है, उसने भारतीय न्याय व्यवस्था और भारत के लोकतन्त्र, दोनों को ही मजबूत किया है। गुजरात हाइकोर्ट की इस अविस्मरणीय यात्रा की स्मृति में आज एक डाक टिकट जारी किया गया है। मैं इस अवसर पर न्याय-जगत से जुड़े आप सभी महानुभावों को, गुजरात की जनता को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। माननीय, हमारे संविधान में Legislature, Executive और Judiciary, उनको दी गई ज़िम्मेदारी हमारे संविधान के लिए प्राणवायु की तरह है। 

 आज हर देशवासी पूरे संतोष से ये कह सकता है कि हमारी judiciary ने- न्यायपालिका ने, संविधान की प्राणवायु की सुरक्षा का अपना दायित्व पूरी दृढ़ता से निभाया है। हमारी judiciary ने हमेशा संविधान की रचनात्मक और सकारात्मक व्याख्या करके खुद संविधान को भी मजबूत किया है। देशवासियों के अधिकारों की रक्षा हो, निजी स्वतन्त्रता का प्रश्न हो, या ऐसी परिस्थितियाँ रही हों, जब देशहित को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी हो, Judiciary ने अपने इन दायित्वों को समझा भी है, और निभाया भी है। आप सभी भी भली-भांति जानते हैं कि भारतीय समाज में Rule of law सदियों से सभ्यता और सामाजिक तानेबाने का, हमारे संस्‍कार का आधार रहा है। हमारे प्राचीन ग्रन्थों में कहा गया है- 'न्यायमूलं सुराज्यं स्यात्' यानी, सुराज्य की जड़ ही न्याय में है, rule of law में है। ये विचार आदिकाल से हमारे संस्कारों का भी हिस्सा रहा है, इसी मंत्र ने हमारे स्वतन्त्रता संग्राम को भी नैतिक ताकत दी, और यही विचार हमारे संविधान निर्माताओं ने भी संविधान निर्माण के समय सबसे ऊपर रखा था। हमारे संविधान की प्रस्तावना rule of law के इसी संकल्प की अभिव्यक्ति है। आज हर एक देशवासी को गर्व है कि हमारे संविधान की इस भावना को, इन मूल्यों को हमारी न्यायपालिका ने निरंतर ऊर्जा दी है, दिशा दी है।

न्यायपालिका के प्रति इस भरोसे ने हमारे सामान्य से सामान्य मानवी के मन में एक आत्मविश्वास जगाया है, सच्चाई के लिए खड़े होने की उसे ताकत दी है। और जब हम आज़ादी से अब तक देश की इस यात्रा में judiciary के योगदान की चर्चा करते हैं, तो इसमें 'बार' के योगदान की चर्चा भी आवश्यक होती है। हमारी न्याय व्यवस्था की ये गौरवशाली इमारत 'बार' के ही पिलर पर खड़ी है। दशकों से हमारे देश में 'बार' और judiciary मिलकर ही न्याय के मूलभूत उद्देश्यों को पूरा कर रहे हैं। हमारे संविधान ने न्याय की जो धारणा सामने रखी है, न्याय के जो आदर्श भारतीय संस्कारों का हिस्सा रहे हैं, वो न्याय हर भारतीय का अधिकार है। इसलिए ये judiciary और सरकार दोनों का ही दायित्व है कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में वो मिलकर world class justice system खड़ा करें। हमारा जस्टिस सिस्टम ऐसा होना चाहिए जो समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के लिए भी सुलभ हो, जहां हर व्यक्ति के लिए न्याय की गारंटी हो, और समय से न्याय की गारंटी हो।

आज न्यायपालिका की तरह ही सरकार भी इस दिशा में अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। भारत के लोकतन्त्र ने, हमारी न्यायपालिका ने कठिन से कठिन समय में भी भारतीय नागरिकों के न्याय के अधिकार को सुरक्षित रखा है। कोरोना वैश्विक महामारी के समय हमें इसका उत्तम उदाहरण फिर एक बार देखने को मिला है। इस आपदा में अगर एक ओर देश ने अपना सामर्थ्य दिखाया, तो दूसरी ओर हमारी न्यायपालिका ने भी अपने समर्पण और कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया है। गुजरात हाइकोर्ट ने जिस तरह lockdown के शुरुआती दिनों में ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करना शुरू कर दिया, जिस तरह SMS call-out, मुकदमों की e-filing, और 'Email My Case Status' की सेवा शुरू की गई, कोर्ट के डिस्प्ले बोर्ड की यूट्यूब पर स्ट्रीमिंग शुरू की गई, हर दिन judgments और orders वेबसाइट पर अपलोड किए गए, इन सबने ये सिद्ध किया है कि हमारा जस्टिस सिस्टम कितना adaptive है, और न्याय के लिए उसके प्रयासों का विस्तार कितना ज्यादा है। मुझे बताया गया है कि गुजरात हाइकोर्ट तो इस दौरान court proceedings की live streaming करने वाला भी पहला कोर्ट बना है, और open court की जिस अवधारणा पर लंबे समय से चर्चा होती रही है, उसे भी गुजरात हाइकोर्ट ने साकार करके दिखाया है। हमारे लिए ये संतोष का विषय है कि, कानून मंत्रालय ने e-Courts Integrated Mission Mode Project के तहत जो डिजिटल इनफ्रास्ट्रक्चर को खड़ा किया था, उसने इतने कम समय में हमारे courts को virtual court के तौर पर काम करने में मदद की। डिजिटल इंडिया मिशन आज बहुत तेजी से हमारे जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बना रहा है।

आज देश में 18 हजार से ज्यादा कोर्ट्स computerized हो चुकी हैं। सुप्रीम कोर्ट से विडियो कॉन्फ्रेंसिंग और टेली कॉन्फ्रेंसिंग को legal sanctity मिलने के बाद से सभी अदालतों में e-proceeding में तेजी आई है। ये सुनकर हम सभी का गौरव बढ़ता है कि हमारा सुप्रीम कोर्ट खुद भी आज दुनिया में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा सबसे ज्यादा सुनवाई करने वाला सुप्रीम कोर्ट बन गया है। हमारे हाइकोर्ट्स और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स भी Covid के टाइम में ज्यादा विडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुनवाई कर चुके हैं। केसेस की e-filling की सुविधा ने भी 'ease of justice' को एक नया आयाम दिया है। इसी तरह आज हमारी अदालतों में हर केस के लिए एक Unique Identification Code और QR code दिया जा रहा है। इससे न केवल केस से जुड़ी हर जानकारी हासिल करने में आसानी हुई है, बल्कि इसने National Judicial Data Grid की भी एक प्रकार से मजबूत नींव रखी है। National Judicial Data Grid के जरिए lawyers और litigants केवल क्लिक मात्र से सभी केसेस और orders देख सकते हैं। ये ease of justice न केवल हमारे नागरिकों के ease of living को बढ़ा रहा है, बल्कि इससे देश में 'ease of doing business' भी बढ़ा है। इससे विदेशी निवेशकों में ये भरोसा जगा है कि भारत में उनके न्यायिक अधिकार सुरक्षित रहेंगे। 2018 की अपनी doing business report में World bank ने भी National Judicial Data Grid की प्रशंसा की है।

माननीय,

आने वाले दिनों में भारत में 'ease of justice' और भी तेजी से बढ़े, इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट की e-committee, NIC के साथ मिलकर काम कर रही है। मजबूत सुरक्षा के साथ साथ cloud based infrastructure जैसी सुविधाओं को शामिल करने पर काम हो रहा है। हमारे जस्टिस सिस्टम को future ready बनाने के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं में artificial intelligence के इस्तेमाल की संभावनाओं को भी, AI की संभावनाओं को भी तलाशा जा रहा है। Artificial intelligence से judiciary की efficiency भी बढ़ेगी और स्पीड भी बढ़ेगी। इन प्रयासों में देश का आत्मनिर्भर भारत अभियान बड़ी भूमिका निभाने वाला है। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत भारत के अपने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग प्लेटफ़ार्म्स को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। देश में डिजिटल डिवाइड को कम करने के लिए, सामान्य लोगों की मदद के लिए हाइकोर्ट्स और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स में e-सेवा केंद्र भी खोले जा रहे हैं। हम सभी ने देखा है कि महामारी के इस कठिन समय में ऑनलाइन ई-लोकअदालत भी एक new normal बन गई हैं। 

संयोग से, ये गुजरात ही था जहां 35-40 साल पहले जूनागढ़ में पहली लोक अदालत लगाई गई थी। आज ई-लोकअदालत समयबद्ध और सुविधापूर्ण न्याय का एक बड़ा माध्यम बन रही हैं। देश के 24 राज्यों में अब तक लाखों मुकदमे ई-लोकअदालतों में आ चुके हैं, और उनका निपटारा भी हो रहा है। यही गति, यही सुविधा और यही विश्वास आज हमारी न्यायिक व्यवस्था की मांग है। गुजरात एक और बात के लिए भी अपने योगदान के लिए गर्व करता रहा है, गुजरात पहला राज्‍य था जिसने evening court की परंपरा शुरू की थी और गरीबों की भलाई के लिए अनेक initiative लिये थे। किसी भी समाज में नियमों और नीतियों की सार्थकता न्याय से ही होती है। न्याय से ही नागरिकों में निश्चिंतता आती है, और एक निश्चिंत समाज ही प्रगति के बारे में सोचता है, संकल्‍प लेता है और पुरुषार्थ करके प्रगति की ओर बढ़ता है। मुझे विश्वास है कि हमारी न्यायपालिका, न्यायपालिका से जुड़े आप सभी वरिष्ठ सदस्य हमारे संविधान की न्यायशक्ति को निरंतर सशक्त करते रहेंगे। न्याय की इसी शक्ति से हमारा देश आगे बढ़ेगा, और आत्मनिर्भर भारत का सपना हम सब अपने प्रयत्‍नों से, अपने पुरुषार्थ से, हमारी सामूहिक शक्‍ति से, हमारी संकल्‍प शक्‍ति से, हमारी अविरत साधना से, हम सिद्ध करके रहेंगे। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी को एक बार फिर डायमंड जुबली की बहुत-बहुत बधाई। अनेक-अनेक शुभकामनाएं।

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भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है: रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान पीएम मोदी
December 05, 2025

Your Excellency, My Friend, राष्ट्रपति पुतिन,
दोनों देशों के delegates,
मीडिया के साथियों,
नमस्कार!
"दोबरी देन"!

आज भारत और रूस के तेईसवें शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है। उनकी यात्रा ऐसे समय हो रही है जब हमारे द्विपक्षीय संबंध कई ऐतिहासिक milestones के दौर से गुजर रहे हैं। ठीक 25 वर्ष पहले राष्ट्रपति पुतिन ने हमारी Strategic Partnership की नींव रखी थी। 15 वर्ष पहले 2010 में हमारी साझेदारी को "Special and Privileged Strategic Partnership” का दर्जा मिला।

पिछले ढाई दशक से उन्होंने अपने नेतृत्व और दूरदृष्टि से इन संबंधों को निरंतर सींचा है। हर परिस्थिति में उनके नेतृत्व ने आपसी संबंधों को नई ऊंचाई दी है। भारत के प्रति इस गहरी मित्रता और अटूट प्रतिबद्धता के लिए मैं राष्ट्रपति पुतिन का, मेरे मित्र का, हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

Friends,

पिछले आठ दशकों में विश्व में अनेक उतार चढ़ाव आए हैं। मानवता को अनेक चुनौतियों और संकटों से गुज़रना पड़ा है। और इन सबके बीच भी भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है।परस्पर सम्मान और गहरे विश्वास पर टिके ये संबंध समय की हर कसौटी पर हमेशा खरे उतरे हैं। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नई ऊँचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है। इसे साकार करने के लिए आज हमने 2030 तक के लिए एक Economic Cooperation प्रोग्राम पर सहमति बनाई है। इससे हमारा व्यापार और निवेश diversified, balanced, और sustainable बनेगा, और सहयोग के क्षेत्रों में नए आयाम भी जुड़ेंगे।

आज राष्ट्रपति पुतिन और मुझे India–Russia Business Forum में शामिल होने का अवसर मिलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि ये मंच हमारे business संबंधों को नई ताकत देगा। इससे export, co-production और co-innovation के नए दरवाजे भी खुलेंगे।

दोनों पक्ष यूरेशियन इकॉनॉमिक यूनियन के साथ FTA के शीघ्र समापन के लिए प्रयास कर रहे हैं। कृषि और Fertilisers के क्षेत्र में हमारा करीबी सहयोग,food सिक्युरिटी और किसान कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इसे आगे बढ़ाते हुए अब दोनों पक्ष साथ मिलकर यूरिया उत्पादन के प्रयास कर रहे हैं।

Friends,

दोनों देशों के बीच connectivity बढ़ाना हमारी मुख्य प्राथमिकता है। हम INSTC, Northern Sea Route, चेन्नई - व्लादिवोस्टोक Corridors पर नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ेंगे। मुजे खुशी है कि अब हम भारत के seafarersकी polar waters में ट्रेनिंग के लिए सहयोग करेंगे। यह आर्कटिक में हमारे सहयोग को नई ताकत तो देगा ही, साथ ही इससे भारत के युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनेंगे।

उसी प्रकार से Shipbuilding में हमारा गहरा सहयोग Make in India को सशक्त बनाने का सामर्थ्य रखता है। यह हमारेwin-win सहयोग का एक और उत्तम उदाहरण है, जिससे jobs, skills और regional connectivity – सभी को बल मिलेगा।

ऊर्जा सुरक्षा भारत–रूस साझेदारी का मजबूत और महत्वपूर्ण स्तंभ रहा है। Civil Nuclear Energy के क्षेत्र में हमारा दशकों पुराना सहयोग, Clean Energy की हमारी साझा प्राथमिकताओं को सार्थक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है। हम इस win-win सहयोग को जारी रखेंगे।

Critical Minerals में हमारा सहयोग पूरे विश्व में secure और diversified supply chains सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है। इससे clean energy, high-tech manufacturing और new age industries में हमारी साझेदारी को ठोस समर्थन मिलेगा।

Friends,

भारत और रूस के संबंधों में हमारे सांस्कृतिक सहयोग और people-to-people ties का विशेष महत्व रहा है। दशकों से दोनों देशों के लोगों में एक-दूसरे के प्रति स्नेह, सम्मान, और आत्मीयताका भाव रहा है। इन संबंधों को और मजबूत करने के लिए हमने कई नए कदम उठाए हैं।

हाल ही में रूस में भारत के दो नए Consulates खोले गए हैं। इससे दोनों देशों के नागरिकों के बीच संपर्क और सुगम होगा, और आपसी नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। इस वर्ष अक्टूबर में लाखों श्रद्धालुओं को "काल्मिकिया” में International Buddhist Forum मे भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आशीर्वाद मिला।

मुझे खुशी है कि शीघ्र ही हम रूसी नागरिकों के लिए निशुल्क 30 day e-tourist visa और 30-day Group Tourist Visa की शुरुआत करने जा रहे हैं।

Manpower Mobility हमारे लोगों को जोड़ने के साथ-साथ दोनों देशों के लिए नई ताकत और नए अवसर create करेगी। मुझे खुशी है इसे बढ़ावा देने के लिए आज दो समझौतेकिए गए हैं। हम मिलकर vocational education, skilling और training पर भी काम करेंगे। हम दोनों देशों के students, scholars और खिलाड़ियों का आदान-प्रदान भी बढ़ाएंगे।

Friends,

आज हमने क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। यूक्रेन के संबंध में भारत ने शुरुआत से शांति का पक्ष रखा है। हम इस विषय के शांतिपूर्ण और स्थाई समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत सदैव अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और आगे भी रहेगा।

आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत और रूस ने लंबे समय से कंधे से कंधा मिलाकर सहयोग किया है। पहलगाम में हुआ आतंकी हमला हो या क्रोकस City Hall पर किया गया कायरतापूर्ण आघात — इन सभी घटनाओं की जड़ एक ही है। भारत का अटल विश्वास है कि आतंकवाद मानवता के मूल्यों पर सीधा प्रहार है और इसके विरुद्ध वैश्विक एकता ही हमारी सबसे बड़ी ताक़त है।

भारत और रूस के बीच UN, G20, BRICS, SCO तथा अन्य मंचों पर करीबी सहयोग रहा है। करीबी तालमेल के साथ आगे बढ़ते हुए, हम इन सभी मंचों पर अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।

Excellency,

मुझे पूरा विश्वास है कि आने वाले समय में हमारी मित्रता हमें global challenges का सामना करने की शक्ति देगी — और यही भरोसा हमारे साझा भविष्य को और समृद्ध करेगा।

मैं एक बार फिर आपको और आपके पूरे delegation को भारत यात्रा के लिए बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ।