हमारे खिलाड़ियों का संकल्प सराहनीय है। उन्होंने पूरे जुनून के साथ अपने सपनों को सच कर दिखाया है: प्रधानमंत्री 
खेल महाकुंभ से गुजरात की खेल संस्कृति में बड़ा बदलाव हुआ है और इससे प्रोत्साहन मिला है: पीएम मोदी 
हमें ऐसी संस्कृति को अपनाने की जरूरत है जहां खेल की सराहना की जाए: प्रधानमंत्री मोदी

सभी वरिष्ठ महानुभाव और इससे भी ज्यादा हिदुस्तान का नाम रोशन करने वाले मेरे खिलाडी मित्र,

जो लोग इस इलाके से परिचित हैं, 10 साल पहले यह कांकरिया कैसा था। यह डेरी का टूटा-फूटा जर्जर, एक ईमारत और ज्यादातर कुत्ते आकर के घुस जाते थे, ऐसी वीरान बंजर अवस्था में पड़ा था। अगर सपने देखने का सामर्थ्‍य हो तो दुनिया कैसी बदलती है वो यहाँ आप आकर के देख सकते हो। खेल जगत के जितने भी लोग आज यहाँ आए हैं, मैं उनसे आग्रह करूंगा कि बाद में इस पूरे Stadium की सारी Facility देखकर के जाएं और औरों को भी आप प्रेरित करें कि अब हिंदुस्तान में भी वो सारी व्यवस्थाएं विकसित हो रहीं हैं जो हमारे खिलाड़ी दुनिया भर में देखते हैं।

मुझे जब भी हमारे देश के खिलाड़ियों से मिलने का मौका मिला, मैं उनसे जुड़ जाता हूँ, उनसे बड़ी प्यार से बातें करता हूँ, उनसे सुनता हूँ। मैने कभी मेरे देश के खिलाड़ियों के हौसले में कमी नहीं पाई है। उनके परिश्रम में कमी नहीं पाई है। कठिनाईयों के बीच भी दुनिया के सामने भारत का झंडा फहराने के लिए जी जान से जुटने के उनके इरादों में कभी कमी नहीं पाई है। लेकिन कठिनाई यह है कि हमारे पास सामर्थ्यवान युवा पीढ़ी है, यह पूरा New India मेरे सामने हैं, पूरा New India, लेकिन हमारी सोच आप हैरान होंगे इन खिलाड़ियों से तो मैने पूछा नहीं है लेकिन इनको तो अनुभव आया होगा, अगर विमान में जा रहें हैं, ट्रेन में जा रहे हैं, तो लोग उनको पूछते होंगे, परिचय हुआ, क्या करते हो? कोई कहेगा मैं National Game खेलता हूँ। कोई कहेगा मैं International Game खेलता हूँ। तो अगला क्या सवाल आएगा मालूम है? अगला सवाल इनको पूछते हैं, भई तुम खेलते हो, National खेलते हो, International खेलते हो, करते क्या हो? यानि खेलना ये भी देश की सेवा है। जीवन में Carrier का रास्ता है, यह हमारे देश में किसी के गले नहीं उतरता है। इन सबको अनुभव होगा। वो कहेगा कि मैं National खेलता हूँ, तो पूछते है कि अच्छा खेलते हो पर और क्या करते हो? सीमा पर जो जवान खड़ा रहता है और कोई उनको पूछे कि तुम क्या कर रहे हो, तो कहेगा मैं सीमा पर जवान के तरह खड़ा रहता हूँ और फिर कोई उसे पूछे, लेकिन आप काम क्या करते हो? तो उससे बड़ा दुख क्या होगा! मेरे खिलाड़ियों के साथ भी समाज के अंदर यही होता रहता है। और समाज में नहीं परिवार में भी ये लोग भी जब शुरूआत की होगी तब घर में सब कहते होंगे, बस खेलते ही रहोगे कि कुछ पढ़ाई करोगे? कुछ पढ़ना लिखना है कि नहीं करना है? सुबह होती है निकल जाते हो, और कुछ लोग तो पुलेला गोपीचंद को भी कहते होंगे कि अरे भई तु मेरे बच्चों की ज़िंदगी मत बिगाड़।

हमारे देश में यह माहौल है, यह माहौल मुझे बदलना है। खेल व्यक्ति के जीवन में तो कई ऊंचाईयां पाने का अवसर बन चुका है लेकिन उन खिलाड़ियों के माध्यम से 125 सौ करोड़ हिंदुस्तानी अपना माथा उंचा करके दुनिया के सामने जा सकते हैं। दुनिया के किसी भी देश में वहाँ के किसी खिलाड़ी का नाम अगर मैं भाषण में देता हूँ तो 5-5 मिनट तक तालियां बजती रहती है, अगर उस देश के किसी खिलाड़ी का नाम अगर मैं उस देश में बोलता हूँ।

अभी मैं Portugal में था दो दिन पहले, वहाँ के Football के Player को मैने याद किया, सारा-सारा माहौल बदल गया, तालियों से माहौल गूंजने लग गया। खिलाड़ियों के प्रति यह सम्मान, यह आदर, यह हमारे देश की परंपरा होनी चाहिए, हमारे परिवार की परंपरा होनी चाहिए, हमारे देश की यह सामाजिक विरासत के रूप में पनपना चाहिए। व्यवस्थाएं भी विकसित होनी चाहिए। आज मुझे खेल महाकुंभ, उस कार्यक्रम की Launching के App का लोकार्पण करने का अवसर मिला। ज़रूरी नहीं है कि हर कोई National International खिलाड़ी बनें। लेकिन खेलने से ज़िंदगी की मज़ा कुछ और होती है दोस्तो। खेल जीना सीखाता है। खिलाड़ी की ज़िंदगी से एक बात हम बहुत आसानी से सीख सकते हैं। कभी-कभी लोग कहते हैं कि हम राजनेताओं को ज़्यादा कहते हैं कि विजय पचाना सीखना चाहिए। लेकिन मैने देखा है कि खिलाड़ियों ने पराजय को कैसे जी सकते हैं, ये खिलाड़ी के अंदर ताकत होती है और वही उसको विजय का रास्ता तय करके देती है। ये सामर्थ्य खेल जगत में से आता है, खेल के मैदान से आता है। हर पल जय-पराजय का खेल रहता है और ज़िंदगी में जय-पराजय को ही खेल बनाकर के जी लेना, ये भी तो जीवन का बड़ा सौभाग्य होता है, जो इन खिलाड़ियों के सौभाग्य में होता है। हमें व्यवस्थाएं भी विकसित करनी है।

खेल महाकुंभ पिछली बार 30 लाख लोग गुजरात में खेल के मैदान में उतरे थे। यह ज़रूरी नहीं है कि सब Champion होंगे, अगर खेल चलता है तो बगल में जाकर तालियां बजाने से भी खिलाड़ी की ताकत बढ़ती है दोस्तो, उसको हिम्मत मिलती है, उसका हौसला बुलंद हो जाता है। खेल एक स्वाभाविक Culture बनना चाहिए, और इसलिए खेल महाकुंभ जब शुरू किया, आज इतने कम समय के अंदर गुजरात, वर्ना गुजरात के लोग, खेल और गुजरात, यह किसी के दिमाग में fit ही नहीं होता है।

गुजराती यानि School College में पढ़ने जाए तो जेब में 2 Pen लेकर के जाता है और शाम को आते-आते 1 Pen बेचकर के आता है। उसकी रगों में व्यापार होता है। वो कोई भी नई चीज़ लेकर के जाएगा, अपने दोस्तों को दिखाएगा और बेचकर के आएगा। उस गुजरात के अंदर इतनी खेल प्रतिभांए हैं। राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय खेलों में वो अपना करतब दिखा पा रही है, इससे बड़ा आनंद क्या हो सकता है? 25 साल में गुजरात को 10 गोल्ड मेडल मिले, 25 साल में 10, और यह खेल महाकुंभ का परिणाम है कि 1 साल में गुजरात 10 गोल्ड मेडल लेकर के आ गया।

अब हर शहर को, हर जिले को खेल-कूद के लिए आवश्यक मैदान तैयार करना, coaching लाना, अच्छे अपने Students बनाना, स्कूल में Culture बनाना ये धीरे-धीरे उसमें से Percolate होने वाला है। जैसे गुजरात में हमने खेल महाकुंभ किया, अब पूरे देश में ‘खेले इंडिया’ का हम अभियान चलाने वाले हैं। करोड़ो-करोड़ों लोग खेलें और खेल ही है जो ज़िंदगी को खिलने के लिए अवसर देता है और इसलिए आज जब मैने इस Stadium को देखा, क्योंकि मैं प्रारंभ से इससे जुड़ा रहा इसलिए हर पल का पता था। लेकिन देखने के बाद मुझे लगा कि और मैं उदित को कहूंगा कि पूरे दिन में आधा घंटा-एक घंटा School College के युवको को Stadium का Tour कराने का कार्यक्रम बनाना चाहिए। गुजरात सरकार ने भी students को ये stadium देखने के लिए लाना चाहिए। जब वो देखेंगे तो पता चलेगा कि ये कितना बड़ा विज्ञान है। खेल के पीछे कितनी बड़ी ताकत लगती है। आधु‍निक technology खेल में कितना बड़ा role play कर रही है। खेल जगत के लोगों के लिए खानपान पर कितने प्रतिबंध होते हैं। कितनी मर्यादाएं होती हैं। मुझे याद है हमारा पार्थिव, हमारे मित्र का बेटा है तो बचपन से हम इसे अच्‍छी तरह जानते हैं। उसके चाचा, पार्थिव एक अच्‍छा cricketer बनें, सुबह चार बजे स्‍कूटर पर इस बालक को लेकर करके इसके चाचा लगातार stadium जाते थे। लगातार, और पूरी जिंदगी, अपने भाई के बेटे को खिलाड़ी बनाने के लिए सुबह चार बजे उठना, कितनी ही ठंड क्‍यों न हो, स्‍कूटर पर उसको stadium तक ले जाना, वो खेले उसको प्रोत्‍साहित करना, उसमें से एक पार्थिव पटेल पैदा होता है। पूरा परिवार लग जाता है; पूरा परिवार लग जाता है।

आपमें से मैं सबसे आग्रह करूंगा कभी दीपा से मिलिए। ए‍क खिलाड़ी के रूप में तो सारा हिन्‍दुस्‍तान जानता है दीपा को, लेकिन बहुत कम लोगों को पता होगा कि इससे बढि़या मैंने कोई motivator नहीं देखा है। कभी सुनिए उसको, शरीर का आधा हिस्‍सा काम नहीं कर रहा है, लेकिन जब भी बात करती है, नए सपनों की बातें करती है, नए उमंग की बात करती है, नए हौसले की चरितार्थ करने की बात करती है। ये हैं लोग और ये हमारी युवा पीढ़ी के हीरो हैं। इनको ले करके देश में खेल का माहौल बनाना, देश की युवा पीढ़ी को प्रेरित करना है। आवश्‍यक infrastructure खड़ा करना है और पहली बार देश में public private partnership के model से खेल जगत का एक नया model गुजरात ने दिया है। सरकार और उद्योग जगत मिल करके व्‍यापार जगत के मिल करके हमारी नई पीढ़ी के लिए कैसा व्‍यवस्‍था खड़ी कर सकते हैं, इसका एक नमूना है।

और मुझे विश्‍वास है कि आने वाले दिनों में ओलम्पिक के मैदानों में भारत की भी गूंज सुनाई देगी, और अधिक ताकत के साथ सुनाई देगी, और अधिक व्‍यापकता के साथ सुनाई देगी। दुनिया के छोटे-छोटे देश भी ओलम्पिक में सफलता के कारण सारी दुनिया में अपना नाम बना देते हैं; सवा सौ करोड़ का हिनदुस्‍तान भी इन सपनों को पूरा कर सकता है, वो सामर्थ्‍य हमारे देश में है। अवसर चाहिए नौजवानों को, व्‍यवस्‍था चाहिए नौजवानों को और परिवार से पूरा समर्थन चाहिए नौजवानों को। यही नौजवान हमारे देश के भविष्‍य को बदलने का सामर्थ्‍य रखते हैं और इसलिए एक ऐसी व्‍यवस्‍था खड़ी हुई है।

मैं भी देश में जहां-जहां खिलाडि़यों से मिलूंगा मैं उनसे जरूर आग्रह करूंगा कि आप जरा इस व्‍यवस्‍था को देख कर आइए। उसमें क्‍या और सुधार किया जा सकता है, और क्‍या जोड़ा जा सकता है, धीरे-धीरे देश में इस प्रकार की व्‍यवस्‍थाएं कैसे विकसित करें, खेल के मैदान की तरफ लोगों को कैसे आकर्षित करें, वरना आज video game के पीछे हमारा बचपन बर्बाद हो रहा है दोस्‍तो। मुझे खेल के मैदान में बच्‍चे चाहिए, खेल के मैदान में। और मैं कभी स्‍कूलों में जाता था जब गुजरात में था तो मैं स्‍कूलों में जाता था। दो-दो, तीन-तीन दिन लगातार जाता था और बच्‍चों को एक सवाल पूछता था, कि दिन में कितनी बार तेरे शरीर में पसीना निकलता है? कितना दौड़ते हो, पेड़ चढ़ जाते हो कि नहीं चढ़ जाते हो? सीढ़ी कितना तेजी से चढ़ पाओगे? और कभी मुझे दुख होता था, बहुत सारे बच्‍चे कहते थे, नहीं जी, पसीना-वसीना क्‍या होता है? स्‍कूल आते हैं सीधे ही घर चले जाते हैं और फिर कहीं बाहर जाते नहीं हैं।

ये बचपन हमारे लिए उज्‍ज्‍वलता की निशानी नहीं है। ये हम सबका दायित्‍व है कि हमारे परिवार के बच्‍चों को खेल के मैदान से जोड़ें। साधनों के बिना भी खेल खेला जा सकता है। फुटबॉल, मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा है; क्रिकेट में हमने अच्‍छा किया है, गर्व की बात है, करते रहना है। लेकिन फुटबॉल और हॉकी, इसको हम भूल नहीं सकते। मेरा साथी भूटिया यहां बैठा है, इसने देश का नाम रोशन किया है फुटबॉल की दुनिया में। इस बार Under Nineteen, FIFA World Cup इस बार भारत में होने जा रहा है। मैं दुनिया के खिलाडि़यों को इसलिए ला रहा हूं, मेरे देश के जवानों की इच्‍छा जगे। दुनियाभर के‍ खिलाड़ी यहां आएं और इसलिए ये हमारा काम है, हम आने वाले दिनों में क्रिकेट के सिवाय भी बहुत खेल हैं; जिनमें भारत पुन: अपनी महारत हासिल कर सकता है। शूटिंग के क्षेत्र में, तीरंदाजी के क्षेत्र में, वृहत रूप से भारत के नौजवान अच्‍छा कर रहे हैं। और आपने देखा होगा खेल की दुनिया में भी बेटियां, बेटों को परास्‍त कर रही हैं दोस्‍तो। बेटियां नाम रोशन कर रही हैं। एक से बढ़ करके एक काम, हिन्‍दुस्‍तान को गौरव दिलाने का काम हमारे देश की बेटियां कर रही हैं। अगर मेरे देश की बेटियों में ये सामर्थ्‍य है तो उससे बड़ी हमें प्रेरणा क्‍या चाहिए? इससे बड़ी प्रेरणा क्‍या चाहिए?

आइए दोस्‍तों, देशभर के अंदर खेल जीवन का हिस्‍सा बनाने का एक अभियान चलाएं, व्‍यवस्‍था विकसित करें, उद्योग जगत आगे आएं, परिवार आगे आएं, सरकारें आगे आएं, समाज आगे आए और भारत खेल की दुनिया में भी अपना नाम रोशन करे।

इसी एक कामना के साथ मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

ये ऐसा कार्यक्रम है, ‘नया हिन्‍दुस्‍तान’ मेरे सामने बैठा है। यहां से जाने का मन न करे, ऐसा माहौल है। लेकिन यहां से जाते ही रात को 12 बजे Parliament में भारत के भाग्‍य की एक नई दिशा के द्वार वहां खुलने वाले हैं। तो मुझे यहां सीधा Parliament पहुंचना है। लेकिन फिर भी जितना समय था, आप सबके बीच बिताने का अवसर मिला। मैं इन खिलाडि़यों का हृदय से आभारी हूं कि आप लोग आए। क्‍योंकि सचमुच में हमारे शब्‍दों से आपके पसीने की ताकत बहुत है। आपकी मेहनत की ताकत बहुत है। आइए, आगे आइए दोस्‍तो, ये लोग हैं जिन्‍होंने देश का नाम रोशन किया है। और इसमें ताजा-ताजा नाम आपने सुना होगा, श्रीकांत का। श्रीकांत जरा हाथ ऊपर करो। श्रीकांत अभी-अभी, अभी-अभी दुनिया में हिन्‍दुस्‍तान का नाम रोशन करके आया है।

भाइयो, बहनों! ये है हमारे देश की अमानत। हम सब खड़े हो करके तालियों की गूंज से इनका सम्‍मान करें। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Minister welcomes passage of SHANTI Bill by Parliament
December 18, 2025

The Prime Minister, Shri Narendra Modi has welcomed the passage of the SHANTI Bill by both Houses of Parliament, describing it as a transformational moment for India’s technology landscape.

Expressing gratitude to Members of Parliament for supporting the Bill, the Prime Minister said that it will safely power Artificial Intelligence, enable green manufacturing and deliver a decisive boost to a clean-energy future for the country and the world.

Shri Modi noted that the SHANTI Bill will also open numerous opportunities for the private sector and the youth, adding that this is the ideal time to invest, innovate and build in India.

The Prime Minister wrote on X;

“The passing of the SHANTI Bill by both Houses of Parliament marks a transformational moment for our technology landscape. My gratitude to MPs who have supported its passage. From safely powering AI to enabling green manufacturing, it delivers a decisive boost to a clean-energy future for the country and the world. It also opens numerous opportunities for the private sector and our youth. This is the ideal time to invest, innovate and build in India!”