जय जगन्नाथ…जय जगन्नाथ! जय मां समली...जय मां पटनेश्वरी...जय मां रामचंडी देवी...जय मां विंध्यवासिनी...जय श्री हरिशंकर...जय श्री नरसिंह नाथ...
भारत माता की...जय !
भगवान जगन्नाथ के आशीर्वाद से मुझे एक बार फिर आपके बीच आने का सौभाग्य मिला है। ओडिशा के लोगों का स्नेह मुझे बार-बार यहां खींच करके ले आ रहा है। 2020-22 के अनेक संकल्पों को लेकर पिछले तीन सप्ताह में तीसरी बार मैं आपके बीच आया हूं। आज भी आप इतनी विशाल संख्या में हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हैं, आपके इस स्नेह को मैं सिर झुकाकर नमन करता हूं। सारस्वत साधक तथा युगपुरुष संत कवि भीम भोई, ‘स्वभाव कवि’ गंगाधर मेहेर, महान स्वाधीनता संग्रामी वीर सुरेन्द्र साय, माधो सिंह एवं हाथी सिंह को...मैं इन सभी महान विभूतियों को नमन करता हूं।
साथियो, इस बलांगीर के सपूत अच्युतानंद साहू को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिनको कायर नक्सलियों ने अपनी हिंसा का निशाना बनाया, और अभी कुछ समय पहले ही मुझे उनकी माता जी, उनके पिता जी और उनके भाई को मिलने का अवसर मिला। बेटे के बलिदान...देश की सेवा करते-करते अपने नौजवान बेटे को राष्ट्र को अर्पित किया, ऐसे वीर माता-पिता को भी मैं प्रणाम करता हूं। दूरदर्शन के माध्यम से देश के लोकतंत्र की तस्वीर दिखाने में जुटे इस युवा साथी की मृत्यु बहुत ही दुखद थी। ऐसे ही बलिदानों ने हिंसा के इस दौर को खत्म करने के हमारे संकल्प को और मजबूत किया है।

बहनो और भाइयो, ये पावन-पवित्र महीना है। विशेष रूप से सूर्य की उपासना का ये महीना है। और ओडिशा तो साक्षात सूर्यदेव की ही धरती है। कोणार्क से निकली रोशनी पूरे भारत को सदियों से रोशन करती रही है। इस पवित्र अवसर पर थोड़ी देर पहले ओडिशा के विकास से जुड़ी1500 करोड़ से अधिक की परियोजनाओं का लोकार्पण, उद्घाटन और शिलान्यास मैंने किया है। इसी के साथ, एक महीने के भीतर-भीतर 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं पर काम या तो शुरू हुआ है या फिर लोकार्पण हो चुका है। मैं ओडिशा के बहनों-भाइयों को पूछना चाहता हूं- क्या कभी किसी ने कल्पना की है कि भारत सरकार इतने कम समय में ओडिशा में 20 हजार करोड़ रुपये के काम...आप कल्पना कर सकते हैं। जरा आप याद रख कर बताओगे, कितना काम? 20 हजार करोड़...कितना...कितना....20 हजार करोड़ रुपये ओडिशा के अंदर विकास में लग जाए…! विकास की इस रफ्तार के लिए, नए ओडिशा के निर्माण की इस नई धारा के लिए मैं आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियो, ये तमाम परियोजनाएं कैसे यहां के जीवन को आसान बनाएगी, रोजगार के नए अवसर पैदा करेगी, इन पर बात करने के साथ ही मैं कुछ सवाल आपके समक्ष उठाना चाहता हूं। ये सवाल हमारी अस्मिता से जुड़े हैं, हमारी आजीविका से जुड़े हैं। आप मेरे सवालों का जवाब देंगे ? मेरे सवाल आप तक पहुंच रहे हैं ? सवाल पूछूं ? साथियो, आप मुझे बताइए, भारत सांस्कृतिक रूप से दुनिया का सिरमौर है कि नहीं है ? हमारी सभ्यता सबसे समृद्ध रही है कि नहीं रही है ? ज्ञान से लेकर विज्ञान तक भारत दुनिया में अव्वल रहा है कि नहीं ? अपनी इस श्रेष्ठता को नई ऊंचाई देने का काम...आप मेरे भाइयो-बहनो बताइए, ये काम हमें करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए ? मुझे आपके आशीर्वाद चाहिए, मुझे ये काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए ?
भाइयो और बहनो, आपको जिसकी समझ है...आप सब हां में जवाब दे रहे हैं। लेकिन, जो ओडिशा के दूर-दराज के लोगों को समझ है, वो दिल्ली में बैठे सल्तनतों के बिरादरियों को पता नहीं है। वे सल्तनत की तरह शासन करते रहे हैं। जो आज भी अपनी सल्तनत को जैसे-तैसे झूठ-प्रपंच से स्थापित करने में जुटे हुए हैं। उनकी बेपरवाही का परिणाम है कि जो हमारी असली संपदा है, जो हमारे पास सैकड़ों वर्षों से प्रचुर मात्रा में रही है, उसका प्रचार-प्रसार तो दूर, ध्यान भी ठीक से नहीं रख पाए। वो संपदा जिससे दुनिया को जलन होती थी, विदेशी आक्रांता जिसे बर्बाद और तबाह करके चले गए, उसके उत्थान और पुनर्निमाण के प्रति उन्होंने वो गंभीरता नहीं दिखाई, जो होनी चाहिए थी। ओडिशा तो हमारे सांस्कृतिक ओजस का अहम हिस्सा रहा है। उड़िया गीत, उड़िया संगीत, ओडिशी नृत्य, उड़िया भाषा का काव्य और साहित्य अप्रतिम है, अद्भुत है। ओडिशा में भारत के गौरवशाली इतिहास हमारी सभ्यता और संस्कृति की बहुमूल्य धरोहरें हैं। ज्यादा दूर क्या जाना, ये बलांगीर के चौंसठयोगिनी के मंदिर, लेहिरीगुड़ी मंदिर, रानीगुड़ी मंदिर, सोमेश्वर मंदिर को ही ले लीजिए, ये सारे अनेक शताब्दियों पहले से बने हुए हैं। ऐसे ही, बौध जिले के नीलमाधव और सिद्धेश्वर मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर हैं। ओडिशा के हर जिले में आस्था के ऐसे महत्वपूर्ण स्थल हैं, जो हमारी सांस्कृतिक संपदा के प्रतीक हैं। दुनिया की सबसे पुरातन सभ्यताओं में से एक हमारी सभ्यता की पहचान हैं। हमारे पूर्वजों के कौशल के प्रमाण हैं।

साथियो, ओडिशा के ऐसे अनेक मंदिरों के नवीनीकरण और सुंदरीकरण- इसका बीड़ा दिल्ली में बैठी हुई भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने उठाया है। पहले क्या हाल था ? इसे अपने ही हाल पर छोड़ दिया गया था। इसी तरह, गौरवशाली और वैभवशाली कलिंग साम्राज्य के महत्वपूर्ण स्थानों पर धूल जमने दी गई। कालाहांडी का असुरगढ़ किला कितना बड़ा राजनीतिक और व्यापारिक केंद्र हुआ था। इसके रख-रखाव को लेकर भी कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। मुझे खुशी है कि आज इन सभी के पुनरुद्धार का काम शुरू किया गया है।
भाइयो और बहनो, भारत की पुरातन पहचान को आधुनिकता के संगम के साथ और प्रखर करने के लिए भारत सरकार संकल्पबद्ध है। राष्ट्रीय गौरव को सर्वोपरि रखने की कटिबद्धता का ही परिणाम है कि भारत के मंदिरों सहित दूसरी जगहों से लूटी या चुराई गई...आपको जानकर खुशी होगी भाइयो-बहनो, एक समय था हमारे देश में से मूर्तियां चुरा ली जाती थी। जबसे हमारी सरकार बनी है, दुनिया के देशों से... जो पुरानी मूर्तियों को चुरा कर ले गए थे, उन मूर्तियों को भारत लाने का सफल प्रयास लगातार चल रहा है। बीते चार वर्षों में इसी प्रकार की अनेक प्राचीन मूर्तियों को विदेशों से भारत लाया जा चुका है।
साथियो, इस संपदा का भान सिर्फ मोदी को ही हुआ है, ऐसा नहीं है। पहले की सरकारों को भी इस गौरवशाली अतीत का पता था। तब भी इन स्थानों को संवारने की मांग उठती थी। अंतर सिर्फ संवेदना का था, संस्कृति के प्रति प्रेम का था, संस्कृति के प्रति समर्पण का था। संस्कृति के लिए संकल्प का था। समग्रता के साथ सोचने वाली सरकार जब आती है, तब कैसा परिणाम आता है, वह हम देख पाते हैं। वो दल, जिन्हें देश ने दशकों तक सरकार चलाने का अवसर दिया, भारत के गौरव को बढ़ाने का मौका दिया। उनके साथ ये आपराधिक भूल हमेशा-हमेशा चिपकी रहेगी। हैरानी की बात ये है कि उन्होंने आज भी इससे सबक नहीं लिया है। अभी तो वो अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का भी विरोध करते हैं, जिसे पूरी दुनिया मनाने लगी है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का गौरव...ये कोई मोदी का गौरव नहीं है। ये तो हमारे गौरवशाली अतीत और हमारे ऋषियों-मनीषियों की सौंपी हुई विरासत है, जिसको आज दुनिया स्वीकार कर रही है। मोदी ने तो बस इतना ही किया कि विश्व के मंचों पर इस आवाज को और बुलंदी दी।
साथियो, ये वो लोग हैं, सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का विरोध किया। वीर शिवाजी के स्मारक पर सवाल उठाए। बाबा साहब भीम राव अंबेडकर के स्मारकों को लेकर भी आलोचनाएं कीं। जब अभी-अभी अंडमान में कुछ द्वीपों का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस और भारत की आजादी के नायकों पर करने का एलान सरकार ने किया, तो इस पर भी इनकी नींद हराम हो गई, उनको तकलीफ होने लगी। भाइयो और बहनो, असल में इनको न तो भारत की असली संपदा की समझ है और न ही टूरिज्म जैसे सेक्टर की ताकत का आभास। जिस स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का ये मजाक उड़ा रहे थे, उसने सरदार पटेल की ऊंचाई को तो प्रस्थापित किया ही है, आज वो देश में पर्यटन के अहम केंद्रों में से एक बन गई है। दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा की वजह से वहां जो आसपास के लोग हैं, उनको रोजगार करने के अवसर मिल रहे हैं। यही टूरिज्म की ताकत है।
साथियो, भारत के पास तो हेरिटेज टूरिज्म की अपार संभावनाएं हैं। उनको नया विस्तार देने का काम हम ओडिशा में भी कर रहे हैं। भाइयो और बहनो, रोजगार के अवसर तब और बनते हैं, जब किसी क्षेत्र की कनेक्टिविटी अच्छी हो। इसलिए केंद्र सरकार यहां पर कनेक्टिविटी बढ़ाने पर भी जोर दे रही है। पिछली बार जब पड़ोस में झारसुगुडाआया था, तो यहां ओडिशा के दूसरे हवाई अड्डे का लोकार्पण किया था। हवाई यातायात के अलावा, ओडिशा सहित पूरे पूर्वी भारत में रेलवे के विस्तार पर भी सरकार का फोकस है। बीते चार-साढ़े चार वर्षों में ओडिशा में रेलवे के विकास के लिए 20 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित किया गया है। अकेले रेलवे में हमारे ओडिशा को 20 हजार करोड़ रुपये का काम...कौन ओडिशावासी इन बातों के लिए गर्व नहीं करेगा ! ये पुरानी सरकार की तुलना में पांच गुना अधिक है। यानी, जितना काम हमने किया, अगर पुरानी सरकार को करना होता तो 25 साल और लग जाते। आपकी दूसरी-तीसरी पीढ़ी आ जाती। इतना ही नहीं, रेल पटरियां बिछाने के मामले में भी हमारी सरकार तीन गुना ज्यादा तेजी से काम कर रही है।
साथियो, आज रेलवे से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का लोकार्पण और उदघाटन हुआ है। बलांगीर से बिचुपली के बीच बनी नई रेल लाइन का शुभारंभ होने के साथ ही इस रूट पर नई ट्रेन भी आज से शुरू हो गई है। इससे न सिर्फ आपका समय बचेगा, बल्कि पैसे की भी बचत होगी। आज जिस रेल लाइन का उदघाटन हुआ है, उसका विस्तार खोरदा तक हो रहा है। जब ये पूरी लाइन तैयार हो जाएगी, तो हावड़ा, चेन्नई से ये क्षेत्र जुड़ जाएगा। तटीय और पश्चिम ओडिशा कनेक्ट हो जाएगा। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों से भुवनेश्वर और पुरी की दूरी भी कम हो जाएगी। साथियो, इसके अलावा, चार और महत्वपूर्ण रेल परियोजनाओं का भी उदघाटन आज किया गया है। ये तमाम सुविधाएं इस पूरे क्षेत्र में आवाजाही को तो आसान बनाएंगी ही, यहां जो हमारी प्राकृतिक संपदा है, उसके उचित विकास में भी सहायक सिद्ध होगी। यहां नए उद्योग लगेंगे। यहां के जो छोटे उद्योग हैं, उनके विकास को गति मिलेगी। इतना ही नहीं, इससे हमारे किसान भाई-बहनों को भी लाभ होगा। अब देश की बड़ी मंडियों तक उनकी पहुंच आसान होगी। वो अपनी उपज फल, फूल, सब्जी आसानी से बड़े बाजार तक भेज पाएंगे।

साथियो, जब हम सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं, तो हमारे आदिवासी अंचलों में रहने वाले बहन-भाइयों पर भी विशेष जोर होता है। आप सभी देश की संपदा के संरक्षक हैं। आपके संरक्षण के कारण ही आज भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर का इतना व्यापक निर्माण हो पा रहा है। मेक इन इंडिया की दुनिया भर में पहचान बन रही है। आदिवासी अधिकारों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने खनन कानून में एक बड़ा संशोधन किया है। जिसके तहत, एक ‘डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड’ बनाया गया है।इस फंड के माध्यम से यह व्यवस्था की गई है कि देश के जो भी खनन वाले राज्य हैं, वहां के लोगों को भी उनकी जमीन से होने वाले लाभ का हिस्सा मिले। हमारे देश में दशकों से खनन का काम हो रहा था। लेकिन, जिस इलाके में हो रहा था, वहां से गरीबी हटती नहीं थी। पहले की किसी सरकार को स्थानीय लोगों की चिंता नहीं हुई। हम पहली ऐसी सरकार हैं, जिन्होंने जहां खनन होता है, वहां के नागरिकों के लिए कुछ हिस्सा फिक्स कर दिया।
भाइयो और बहनो, केंद्र सरकार के फैसले के बाद...इस एक निर्णय के कारण ओडिशा को भी 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि प्राप्त हुई है।कितने..? चार हजार करोड़ ! लेकिन, मुझे आज दुख के साथ कहना है, ये आपलोगों के लिए पैसा है, ओडिशा के आदिवासियों के लिए पैसा है, जहां खनन होता है उस इलाके के विकास के लिए पैसा है। लेकिन, दुख की बात है, चार हजार करोड़ में से यहां की सरकार बहुत कम पैसा खर्च कर पाई है। वो पैसा वैसा का वैसा पड़ा हुआ है। मैं हैरान हूं, यहां की सरकार को हो क्या गया है ? पैसे हैं, लोगों को जरूरत है, लोगों का हक है, लेकिन सरकार सोई है। ओडिशा की सरकार को चाहिए कि आदिवासी हितों के लिए जो ये प्रावधान किया गया है, उसका भरपूर लाभ लोगों को दिलाएं। चुनाव का इंतजार न करो, अरे, लोगों की परेशानी दूर करो, चुनाव तो आएंगे, जाएंगे। ये रुपये पड़े हैं, ये मेरे आदिवासी भाई-बहनों का अधिकार है, जो केंद्र सरकार ने उनको दिया है, कानूनन सुनिश्चित किया गया है।
साथियो, केंद्र की भाजपा सरकार निरंतर इस बात की कोशिश कर रही है कि व्यवस्था से हर उस कमी को दूर किया जाए, जो गरीबों का अधिकार छीनने में मददगार बनती है। भाइयो और बहनो, बीते चार वर्षों में हमारी सरकार ने देश में छह करोड़ से ज्यादा... ये आंकड़ा याद रखोगे आप, याद रखोगे, याद रखोगे बात को ? हमने सरकार में आने के बाद छह करोड़ से ज्यादा फर्जी राशन कार्ड पूरे देश में, फर्जी गैस कनेक्शन, फर्जी गलत नाम से स्कॉलरशिप पाने वाले लोग, गलत नाम से पेंशन हथियाने वाले लोग- ऐसे फर्जी लाभार्थियों को ढूंढ निकाला। ये कौन फर्जी नाम है, कहां है, किसकी मेहरबानी से है, ये सब खोज के निकाला- करीब-करीब छह करोड़ ! सोचिए.. और हिम्मत के साथ.. ये तिजोरी लूटने वाले, बिचौलिए, ये छह करोड़ के नाम से माल खा जाते थे, इन छह करोड़ फर्जी नामों को रद कर दिया। आप सोचिए, पूरे ओडिशा की जितनी आबादी है, उससे ज्यादा, ऐसे फर्जी लोग, कागजी लोग, देश के रुपये चुराए जाते थे, उनके नाम पर चुराए जाते थे। ये वो फायदा उठा रहे थे, जिसके असली हकदार वो बिचौलिए नहीं, वो दलाल नहीं, वो हिन्दुस्तान का नागरिक जिसका हकदार था, आप जिसके हकदार थे, उनके लिए हमने काम किया है। ये ऐसे लोग थे, जो कभी जनमे ही नहीं। लेकिन, इनके नाम से दूसरे लोग, दूसरे बिचौलिए अपनी तिजोरियां भर रहे थे। भाइयो और बहनो, मैं आपको एक उदाहरण देना चाहता हूं। ये बात आप लोगों तक पहुंचाएंगे..ये बात लोगों तक पहुंचाएंगे..घर-घर पहुंचाएंगे..पक्का पहुंचाएंगे..छोटे-छोटे ग्रुप में बैठकर बात करेंगे? तो मैं जरा विस्तार से समझाता हूं आपको। केंद्र सरकार चौबीस-पचीस-तीस रुपये में एक किलो गेहूं खरीद कर.. आप विचार कीजिए, भारत सरकार गेहूं बाजार से खरीदती है, किसान से लेती है, बाजार से लेती है। चौबीस-पचीस-छब्बीस-सत्ताइस रुपये देती है। एक किलो गेहूं का बीस-पचीस रुपये और उसे सिर्फ दो रुपये में राशन की दुकान में गरीब को मिले, इसकी व्यवस्था करती है। यानी, पचीस-सत्ताइस रुपये का गेहूं.. गरीब भूखा न सो जाए, गरीब की थाली खाली न रहे, इसलिए सिर्फ दो रुपये में उसको दिया जाता है। चावल भी केंद्र सरकार तीस-बत्तीस रुपये में खरीदती है, और तीस-बत्तीस रुपये का चावल गरीब कहां से खरीद पाएगा ! वो बेचारा रात को भूखा सो जाएगा ! तो भारत सरकार तीस-बत्तीस रुपये में खरीदा हुआ चावल सिर्फ तीन रुपये में गरीब के लिए पहुंचाती है, गरीब को मिले, इसकी चिंता करती है। लेकिन, ये गेहूं और चावल उस गरीब तक पहुंचने नहीं दिया जाता है। एक समूचा तंत्र ऐसा बना हुआ था, जो फर्जी राशन कार्ड की मदद से अधिकांश अनाज उठवा लेता था, और जब गरीब सस्ता राशन लेने दुकान पर पहुंचता था तो वहां बोर्ड लगा होता था कि सामान सारा बिक गया, माल नहीं है और गरीब बेचारा खाली हाथ लौट आता था। ये गरीब के पेट पर लात मारने का काम होता था, बिचौलिए खा जाते थे, सबकी मिलीभगत हुआ करती थी। हालात ऐसे थे कि केंद्र सरकार द्वारा भेजा गया वही अनाज बाद में वही गरीब दूसरी दुकान से ज्यादा पैसे देकर खरीदने को मजबूर होता था, ताकि रात को बच्चे भूखे न सो जाएं।
आप कल्पना कर सकते हैं कि देश का कितना ज्यादा पैसा बिचौलियों के पास जा रहा था, काले धन में बदल रहा था और कोई सुनवाई नहीं थी, कोई पूछने वाला नहीं था, कोई डर नहीं था। ये लीकेज बंद करने का काम केंद्र की भाजपा सरकार ने किया है। अब जब फर्जी राशन कार्ड से होने वाली लूट बंद हुई है, तो गरीबों को सस्ते राशन का भी रास्ता साफ हुआ है। पिछले चार वर्षों में बिना जनता पर बोझ डाले सरकार ने सस्ते राशनों की कीमतों को स्थिर रखा है। जिसका वो हक था, उसका वो हक सुनिश्चित करने का हमने काम किया है। अब आप मुझे बताइए, इतने सारे.. हजारों करोड़ रुपये जिन-जिन की जेब में जाते थे.. अब मोदी ने ये सब बंद कर दिया, तो ये मोदी पर गुस्सा करेंगे कि नहीं करेंगे, मोदी को गाली देंगे कि नहीं देंगे ! मोदी ने उनकी तो नींद हराम कर दी है, और इसलिए मोदी उनकी आंख में खटकता है। लेकिन, आप मुझे बताइए, इन बेइमानों को मुझे जेल पहुंचाना चाहिए कि नहीं पहुंचाना चाहिए? ये बेईमानी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? गरीब को गरीब का हक मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए?

भाइयो-बहनो, आपने मुझे आशीर्वाद दिया है, इसी काम के लिए, और जी-जान से लगा हूं इस काम में। इसके अलावा, हमारे प्रयासों की वजह से आज देश के सौ प्रतिशत राशन कार्डों का डिजीटलीकरण का काम पूरा हो चुका है। हर दस में से आठ राशन कार्ड को आधार नंबर से जोड़ा जा चुका है। फर्जी गैस कनेक्शन, फर्जी राशन कार्ड, फर्जी नामों को हटाकर.. आपको जान कर खुशी होगी, जो रुपये चोरी होते थे, बेईमान लूट लेते थे, दलालों की जेब में जाता था, हमने 90 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा इन चोर-लुटेरों के पास जाने से बचाने का काम किया है, जो आपके लिए है। आप मुझे बताइये, आपका यह प्रधानसेवक, जब ये लूटपाट बंद कर रहा है, तो उसके अनेक दुश्मन बनेंगे कि नहीं बनेंगे? जिनका लुट गया वो मोदी के दुश्मन बनेंगे कि नहीं बनेंगे? तब मोदी की रक्षा कौन करेगा ? मोदी की रक्षा कौन करेगा? देश के गरीबों की रक्षा कौन करेगा? गरीबों के हक की रक्षा कौन करेगा? मुझे ये लड़ाई करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए? गरीबों का हक बचाना चाहिए कि नहीं बचाना चाहिए? लूट बंद करानी चाहिए कि नहीं करानी चाहिए?
भाइयो-बहनो, 90 हजार करोड़ रुपया जो लूट रहे थे, उसको मैंने रोका है। ये नब्बे हजार करोड़ रुपये पहले जिस-जिस की जेब में जाता था, जिससे वो बड़ी-बड़ी गाड़ियां खरीदते थे, बंगले खरीदते थे, हवाई जहाजों में उड़ते थे, अब ये बंद हो रहा है तो उनको मोदी पर गुस्सा आना बहुत स्वाभाविक है। जिनकी तिजोरी में गरीबों से लूटा हुआ धन जाना बंद हुआ है, वो मुझसे बदला लेने की फिराक में हैं। कोशिश करेंगे लेकिन, आपके आशीर्वाद से वे सारे विफल होने वाले हैं, ये मेरा विश्वास है।
साथियो, आज देश में यही तो हो रहा है, और इसीलिए तो मोदी के खिलाफ झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं, साजिशें की जा रही हैं। इतना ही नहीं, मोदी को रास्ते से हटाने के लिए अब ये लोग इकट्ठे होने लगे हैं। मैं भी भगवान जगन्नाथ की धरती से ऐसे लोगों को कहना चाहता हूं, ये चौकीदार...भगवान जगन्नाथ की धरती से कहना चाहता हूं, ये चौकीदार गरीबों की कमाई को लूटने वालों के सारे खेल बंद करा कर ही रुकने वाला है। जिस-जिस ने गरीबों को लूटा है, उसे ये चौकीदार सजा दिलाकर ही मानेगा।
साथियो, केंद्र सरकार विकास की पंचधारा पर काम कर रही है- बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई। बीते हफ्ते हमारे प्रयास से एक और महत्वपूर्ण कार्य संपन्न हुआ है। ये सीधा ओडिशा के युवाओं से जुड़ा हुआ है। साथियो, सबका साथ सबका विकास तब सुनिश्चित होता है, जब समाज के हर वर्ग को समान अवसर मिले। अवसरों में असमानता से समाज में खाई अधिक बढ़ती है। आजादी के इतिहास में पहली बार, केंद्र की सरकार ने, भाजपा की भारत की सरकार ने इसके लिए एक बहुत बड़ी पहल की है। संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के गरीबों को शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है।
भाइयो-बहनो, इस उत्साह, इस आशीर्वाद के लिए मैं आपका आभारी हूं। एससी-एसटी और ओबीसी को मिले संवैधानिक हक को छुए बिना, छेड़े बिना, छीने बिना ये नया प्रावधान हमने किया है। इससे ओडिशा के सामान्य वर्ग के गरीब परिवारों को अपने सपने पूरे करने में मदद मिलने वाली है। साथियो, इसके अलावा, यहां के आदिवासी बेटे-बेटियों के लिए एकलव्य स्कूलों का निर्माण तेज गति से किया जा रहा है। केंद्र सरकार का प्रयास है कि देश के हर उस ब्लॉक, तहसील या तालुका में जहां आदिवासी आबादी कम से कम बीस हजार हो, वहां एकलव्य स्कूल होना चाहिए। ओडिशा को इन एकलव्य स्कूलों का तो लाभ मिल ही रहा है, केंद्रीय विद्यालय का भी एक नेटवर्क यहां खड़ा किया जा रहा है। आज ही सोनपुर में नए केंद्रीय विद्यालय के लिए शिलान्यास किया गया है। साथियो, आदिवासी युवा के एक और कौशल को बढ़ाने का काम व्यापक स्तर पर हो रहा है। दुनिया की बड़ी आर्थिक ताकत तो हमारा देश बन ही रहा है, साथ में स्पोर्टिंग पावर बनने की दिशा में भी, खेलकूद की दुनिया में भी हमारे कदम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। देश को खेल के मैदान में आगे बढ़ाने में आदिवासी अंचलों के युवाओं का महत्वपूर्ण रोल रहा है, और आगे ये और अधिक बढ़ने वाला है। इसके लिए, आदिवासी क्षेत्रों में खेलों की सुविधाओं का निर्माण किया जा रहा है। केंद्र सरकार की कोशिश है कि आदिवासी युवाओं के खेल कौशल को निखारने के लिए आदिवासी बाहुल्य जिलों में विशेष खेल सुविधाओं का निर्माण हो। इसके लिए हर जिले को आने वाले वर्षों में 5 करोड़ रुपये तक की सहायता का प्रावधान किया गया है। ओडिशा तो वैसे ही भारत को खेलों के अनेक सितारे देता रहा है। केंद्र सरकार के इन कदमों से यहां के नौजवानों का बहुत लाभ होने वाला है।

साथियो, ये हम सभी का प्रयास है कि नया ओडिशा, नया भारत भव्य और दिव्य हो। हमारा यह देश विकास के अपने प्रकाश पुंज से दुनिया को आलोकित करता रहे। बड़े-बड़े जानकार, बड़ी-बड़ी संस्थाएं कह रही हैं कि भारत तेज गति से विकास करने वाला है। ये दौर हमारा है, ये युग हमारा है, बस हमें ईमानदार प्रयास की जरूरत है, निरंतर जुटे रहने की जरूरत है। एक बार फिर, आप सभी को विकास की सभी योजनाओं के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आने वाले त्योहारों के लिए भी आपको अनेक शुभकामनाएं देता हूं।
वंदे उत्कल जननि। भारत माता की...जय ! जय जगन्नाथ ! बहुत-बहुत धन्यवाद !