PM Modi, had d foresight 2recognise that Drones are d future of warfare &business.He initiated policy changes,that showed positive results.Restrictive old Drone rules abolished,new schemes in place.India 🇮🇳 is on track 2become a global Drone hub by 2030.! #ModiHaiTohMumkinHaipic.twitter.com/KsDr50mFPB
India's plastics exports surged by 8% in FY 2024–25, reaching $12.5B, despite global challenges. This growth highlights the resilience and innovation of our industries under PM @narendramodi's visionary leadership. A testament to #MakeInIndia's success! 🇮🇳 pic.twitter.com/lRC6qkQcaE
— Zahid Patka (Modi Ka Parivar) (@zahidpatka) May 18, 2025
यह है आत्मनिर्भर भारत का नया रूप! 🇮🇳⁰PM Modi जी के नेतृत्व में DRDO ने समुद्री जल को पीने योग्य बनाने की स्वदेशी तकनीक विकसित की है। यह नई माइन टेक्नोलॉजी हमारी सुरक्षा और सामरिक क्षमताओं को देगा जबरदस्त बल।⁰विज्ञान, सुरक्षा और संकल्प का संगम — यही है नया भारत। 👏🔬💪 pic.twitter.com/PoZ70WZDU9
अब मिलेगा मेहनत का सच्चा मोल! PM @narendramodi जी के नेतृत्व में किसानों को आर्थिक सशक्तिकरण की ओर मजबूत कदम। अब सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक वेयरहाउस रसीद के आधार पर मिलेगा बिना गिरवी रखे ऋण — ✅ किसानों को ₹75 लाख तक ✅ MSME/FPO को ₹200 लाख तकpic.twitter.com/b1BHMgmH6D
Nivruti Rai, CEO & MD highlights India’s incredible transformation—from harnessing the potential of its talented youth to pioneering breakthroughs like UPI and leading the world with historic feats such as the massive Covid vaccination… pic.twitter.com/hUjc7nJUlw
Kudos PM @narendramodi ji for transforming India's railway infrastructure. The Amrit Bharat Station Scheme is a game changer, redeveloping 1300+ stations into vibrant city centres. Looking forward to the inauguration of 100+ redeveloped stations on May 22nd in Bikaner pic.twitter.com/DstDtrJAgy
श्री नारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं: पीएम मोदी
June 24, 2025
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श्री नारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं: प्रधानमंत्री
भारत को ऐसे असाधारण संतों, ऋषियों और समाज सुधारकों का आशीर्वाद प्राप्त है, जो समाज में परिवर्तनकारी बदलाव लाए: प्रधानमंत्री
श्री नारायण गुरु ने सभी प्रकार के भेदभाव से मुक्त समाज की कल्पना की थी, आज परिपूर्णता का दृष्टिकोण अपनाकर देश भेदभाव की हर संभावना को खत्म करने के लिए काम कर रहा है: प्रधानमंत्री
स्किल इंडिया जैसे मिशन युवाओं को सशक्त बना रहे हैं और उन्हें आत्मनिर्भर बना रहे हैं: प्रधानमंत्री
भारत को सशक्त बनाने के लिए हमें आर्थिक, सामाजिक और सैन्य हर मोर्चे पर आगे बढ़ना होगा। आज देश इसी राह पर आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री
ब्रह्मर्षि स्वामी सच्चिदानंद जी, श्रीमठ स्वामी शुभंगा-नंदा जी, स्वामी शारदानंद जी, सभी पूज्य संतगण, सरकार में मेरे साथी श्री जॉर्ज कुरियन जी, संसद के मेरे साथी श्री अडूर प्रकाश जी, अन्य सभी वरिष्ठ महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
आज ये परिसर देश के इतिहास की एक अभूतपूर्व घटना को याद करने का साक्षी बन रहा है। एक ऐसी ऐतिहासिक घटना, जिसने न केवल हमारे स्वतन्त्रता आंदोलन को नई दिशा दी, बल्कि स्वतन्त्रता के उद्देश्य को, आज़ाद भारत के सपने को ठोस मायने दिये। 100 साल पहले श्रीनारायण गुरु और महात्मा गांधी की वो मुलाकात, आज भी उतनी ही प्रेरक है, उतनी ही प्रासंगिक है। 100 साल पहले हुई वो मुलाकात, सामाजिक समरसता के लिए, विकसित भारत के सामूहिक लक्ष्यों के लिए, आज भी ऊर्जा के बड़े स्रोत की तरह है। इस ऐतिहासिक अवसर पर मैं श्रीनारायण गुरु के चरणों में प्रणाम करता हूं। मैं गांधी जी को भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूँ।
भाइयों बहनों,
श्रीनारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं। जो लोग देश और समाज की सेवा के संकल्प पर काम करते हैं, श्रीनारायण गुरु उनके लिए प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। आप सभी जानते हैं कि समाज के शोषित-पीड़ित-वंचित वर्ग से मेरा किस तरह का नाता है। और इसलिए आज भी मैं जब समाज के शोषित, वंचित वर्ग के लिए बड़े निर्णय लेता हूँ, तो मैं गुरुदेव को जरूर याद करता हूँ। 100 साल पहले के वो सामाजिक हालात, सदियों की गुलामी के कारण आईं विकृतियाँ, लोग उस दौर में उन बुराइयों के खिलाफ बोलने से डरते थे। लेकिन, श्रीनारायण गुरु ने विरोध की परवाह नहीं की, वो कठिनाइयों से नहीं डरे, क्योंकि उनका विश्वास समरसता और समानता में था। उनका विश्वास सत्य, सेवा और सौहार्द में था। यही प्रेरणा हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ का रास्ता दिखाती है। यही विश्वास हमें उस भारत के निर्माण के लिए ताकत देता है, जहां अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति हमारी
पहली प्राथमिकता है।
साथियों,
शिवगिरी मठ से जुड़े लोग और संतजन भी जानते हैं कि श्रीनारायण गुरु में और शिवगिरी मठ में मेरी कितनी अगाध आस्था रही है। मैं भाषा तो नहीं समझ पा रहा था, लेकिन पूज्य सच्चिदानंद जी जो बातें बता रहे थे, वो पुरानी सारी बातें याद कर रहे थे। और मैं भी देख रहा था कि उन सब बातों पर आप बड़े भाव विभोर होकर के उसके साथ जुड़ जाते थे। और मेरा सौभाग्य है कि मठ के पूज्य संतों ने हमेशा मुझे अपना स्नेह दिया है। मुझे याद है, 2013 में, तब तो मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था, जब केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा आई थी, तब शिवगिरी मठ के कई पूज्य संत वहाँ फंस गए थे, कुछ भक्त जन भी फंस गए थे। शिवगिरी मठ ने वहाँ फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए भारत सरकार का संपर्क नहीं किया था, प्रकाश जी बुरा मत मानना, शिवगिरी मठ ने मैं एक राज्य का मुख्यमंत्री था, मुझे आदेश दिया और इस सेवक पर भरोसा किया, कि भई ये काम तुम करो। और ईश्चर की कृपा से सभी संत सभी भक्तजन को सुरक्षित मैं ला पाया था।
साथियों,
वैसे भी मुश्किल समय में हमारा सबसे पहला ध्यान उसकी ओर जाता है, जिसे हम अपना मानते हैं, जिस पर हम अपना अधिकार समझते हैं। और मुझे खुशी है कि आप अपना अधिकार मुझ पर समझते हैं। शिवगिरी मठ के संतों के इस अपनेपन से ज्यादा आत्मिक सुख की बात मेरे लिए और क्या होगी?
साथियों,
मेरा आप सबसे एक रिश्ता काशी का भी है। वर्कला को सदियों से दक्षिण की काशी भी कहा जाता है। और काशी चाहे उत्तर की हो या दक्षिण की, मेरे लिए हर काशी मेरी काशी ही है।
साथियों,
मुझे भारत की आध्यात्मिक परंपरा, ऋषियों-मुनियों की विरासत, उसे करीब से जानने और जीने का सौभाग्य मिला है। भारत की ये विशेषता है कि हमारा देश जब भी मुश्किलों के भंवर में फँसता है, कोई न कोई महान विभूति देश के किसी कोने में जन्म लेकर समाज को नई दिशा दिखाती है। कोई समाज के आध्यात्मिक उत्थान के लिए काम करता है। कोई सामाजिक क्षेत्र में समाज सुधारों को गति देता है। श्रीनारायण गुरु ऐसे ही महान संत थे। निवृत्ति पंचकम्’ और ‘आत्मोपदेश शतकम्’ जैसी उनकी रचनाएँ, ये अद्वैत और आध्यात्म के किसी भी स्टूडेंट के लिए गाइड की तरह हैं।
साथियों,
योग और वेदान्त, साधना और मुक्ति श्रीनारायण गुरु के मुख्य विषय थे। लेकिन, वो जानते थे कि कुरीतियों में फंसे समाज का आध्यात्मिक उत्थान उसके सामाजिक उत्थान से ही संभव होगा। इसलिए उन्होंने आध्यात्म को समाज-सुधार और समाज-कल्याण का एक माध्यम बनाया। और श्रीनारायण गुरु के ऐसे प्रयासों से गांधी जी ने भी प्रेरणा पाई, उनसे मार्गदर्शन लिया। गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर जैसे विद्वानों को भी श्रीनारायण गुरु से चर्चा का लाभ मिला।
साथियों,
एक बार किसी ने श्रीनारायण गुरु की आत्मोपदेश शतकम् रमण महर्षि जी को सुनाई थी। उसे सुनकर रमण महर्षि जी ने कहा था- "अवर एल्लाम तेरीन्जवर"। यानी- वो सब कुछ जानते हैं! और उस दौर में, जब विदेशी विचारों के प्रभाव में भारत की सभ्यता, संस्कृति और दर्शन को नीचा दिखाने के षड्यंत्र हो रहे थे, श्रीनारायण गुरु ने हमें ये अहसास कराया कि कमी हमारी मूल परंपरा में नहीं है। हमें अपने आध्यात्म को सही अर्थों में आत्मसात करने की जरूरत है। हम नर में श्रीनारायण को, जीव में शिव को देखने वाले लोग हैं। हम द्वैत में अद्वैत को देखते हैं। हम भेद में भी अभेद देखते हैं। हम विविधता में भी एकता देखते हैं।
साथियों,
आप सभी जानते हैं, श्रीनारायण गुरु का मंत्र था- “ओरु जाति, ओरु मतम्, ओरु दैवम्, मनुष्यनु।” यानी, पूरी मानवता की एकता, जीव मात्र की एकता! ये विचार भारत की जीवन संस्कृति का मूल है, उसका आधार है। आज भारत उस विचार को विश्व कल्याण की भावना से विस्तार दे रहा है। आप देखिए, अभी हाल ही में हमने विश्व योग दिवस मनाया। इस बार योग दिवस की थीम थी- Yoga for
One Earth, One Health. यानी, एक धरती, एक स्वास्थ्य! इसके पहले भी भारत ने विश्व कल्याण के लिए One World, One Health जैसा initiative शुरू किया है। आज भारत sustainable development की दिशा में One Sun, One Earth, One grid जैसे ग्लोबल मूवमेंट को भी लीड कर रहा है। आपको याद होगा, 2023 में भारत ने जब G-20 समिट को होस्ट किया था, हमने उसकी भी थीम रखी थी- "One Earth, One Family, One Future". हमारे इन प्रयासों में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना जुड़ी हुई है। श्रीनारायण गुरु जैसे संतों की प्रेरणा जुड़ी हुई है।
साथियों,
श्रीनारायण गुरु ने एक ऐसे समाज की परिकल्पना की थी- जो भेदभाव से मुक्त हो! मुझे संतोष है कि आज देश सैचुरेशन अप्रोच पर चलते हुए भेदभाव की हर गुंजाइश को खत्म कर रहा है। लेकिन आप 10-11 साल पहले के हालात को याद करिए, आज़ादी के इतने दशक बाद भी करोड़ों देशवासी कैसा जीवन जीने को मजबूर थे? करोड़ों परिवारों के सिर पर छत तक नहीं थी! लाखों गांवों में पीने का साफ पानी नहीं था, छोटी-छोटी बीमारी में भी इलाज कराने का विकल्प नहीं, गंभीर बीमारी हो जाए, तो जीवन बचाने का कोई रास्ता नहीं, करोड़ों गरीब, दलित, आदिवासी, महिलाएं मूलभूत मानवीय गरिमा से वंचित थे! और, ये करोड़ों लोग, इतनी पीढ़ियों से इन कठिनाइयों में जीते चले आ रहे थे, कि उनके मन में बेहतर जिंदगी की उम्मीद तक मर चुकी थी। जब देश की इतनी बड़ी आबादी ऐसी पीड़ा और निराशा में थी, तब देश कैसे प्रगति कर सकता था? और इसलिए, हमने सबसे पहले संवेदनशीलता को सरकार की सोच में ढाला! हमने सेवा को संकल्प बनाया! इसी का परिणाम है कि, हम पीएम आवास योजना के तहत, करोड़ों गरीब-दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित परिवारों को पक्के घर दे पाये हैं। हमारा लक्ष्य हर गरीब को उसका पक्का घर देने का है। और, ये घर केवल ईंट सीमेंट का ढांचा नहीं होता, उसमें घर की संकल्पना साकार होती है, तमाम जरूरी सुविधाएं होती हैं। हम चार दीवारों वाली ईमारत नहीं देते, हम सपनों को संकल्प में बदलने वाला घर देते हैं।
इसीलिए, पीएम आवास योजना के घरों में गैस, बिजली, शौचालय जैसी हर सुविधा सुनिश्चित की जा रही है। जलजीवन मिशन के तहत हर घर तक पानी पहुंचाया जा रहा है। ऐसे आदिवासी इलाकों में, जहां कभी सरकार पहुंची ही नहीं, आज वहाँ विकास की गारंटी पहुँच रही है। आदिवासियों में, उसमें भी जो अतिपिछड़े आदिवासी हैं, हमने उनके लिए पीएम जनमन योजना शुरू की है। उससे आज कितने ही इलाकों की तस्वीर बदल रही है। इसका परिणाम ये है कि, समाज में अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति में भी नई उम्मीद जगी है। वो न केवल अपना जीवन बदल रहा है, बल्कि वो राष्ट्रनिर्माण में भी अपनी मजबूत भूमिका देख रहा है।
साथियों,
श्रीनारायण गुरु ने हमेशा महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया था। हमारी सरकार भी Women Led Development के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारे देश में आज़ादी के इतने साल बाद भी ऐसे कई क्षेत्र थे, जिनमें महिलाओं की एंट्री ही बैन थी। हमने इन प्रतिबंधों को हटाया, नए-नए क्षेत्रों में महिलाओं को अधिकार मिले, आज स्पोर्ट्स से लेकर स्पेस तक हर फील्ड में बेटियाँ देश का नाम रोशन कर रही हैं। आज समाज का हर वर्ग, हर तबका, एक आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत के सपने को, उसमें अपना योगदान कर रहा है। स्वच्छ भारत मिशन, पर्यावरण से जुड़े अभियान, अमृतसरोवर का निर्माण, मिलेट्स को लेकर जागरूकता जैसे अभियान, हम जनभागीदारी की भावना से आगे बढ़ रहे हैं, 140 करोड़ देशवासियों की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं।
साथियों,
श्रीनारायण गुरु कहते थे- विद्या कोंड प्रब्बुद्धर आवुका संगठना कोंड शक्तर आवुका, प्रयत्नम कोंड संपन्नार आवुका"। यानि, “Enlightenment through education, Strength through organization, Prosperity through industry.” उन्होंने खुद भी इस विज़न को साकार करने के लिए महत्वपूर्ण संस्थाओं की नींव रखी थी। शिवगिरी में ही गुरुजी ने शारदा मठ की स्थापना की थी। माँ सरस्वती को समर्पित ये मठ, इसका संदेश है कि शिक्षा ही वंचितों के लिए उत्थान और मुक्ति का माध्यम बनेगी। मुझे खुशी है कि गुरुदेव के उन प्रयासों का आज भी लगातार विस्तार हो रहा है। देश के कितने ही शहरों में गुरुदेव सेंटर्स और श्रीनारायण कल्चरल मिशन मानव हित में काम कर रहे हैं।
साथियों,
शिक्षा, संगठन और औद्योगिक प्रगति से समाज कल्याण के इस विज़न की स्पष्ट छाप, आज हम देश की नीतियों और निर्णयों में भी देख सकते हैं। हमने इतने दशक बाद देश में नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू की है। नई एजुकेशन पॉलिसी न केवल शिक्षा को आधुनिक और समावेशी बनाती है, बल्कि मातृभाषा में पढ़ाई को भी बढ़ावा देती है। इसका सबसे बड़ा लाभ पिछड़े और वंचित तबके को ही हो रहा है।
साथियों,
हमने पिछले एक दशक में देश में इतनी बड़ी संख्या में नई IIT, IIM, AIIMS जैसे संस्थान खोले हैं, जितने आज़ादी के बाद 60 वर्षों में नहीं खुले थे। इसके कारण आज उच्च शिक्षा में गरीब और वंचित युवाओं के लिए नए अवसर खुले हैं। बीते 10 साल में आदिवासी इलाकों में 400 से ज्यादा एकलव्य आवासीय स्कूल खोले गए हैं। जो जनजातीय समाज कई पीढ़ियों से शिक्षा से वंचित थे, उनके बच्चे अब आगे बढ़ रहे हैं।
भाइयों बहनों,
हमने शिक्षा को सीधे स्किल और अवसरों से जोड़ा है। स्किल इंडिया जैसे मिशन देश के युवाओं को आत्मनिर्भर बना रहे हैं। देश की औद्योगिक प्रगति, प्राइवेट सेक्टर में हो रहे बड़े reforms, मुद्रा योजना, स्टैंडअप योजना, इन सबका भी सबसे बड़ा लाभ दलित, पिछड़ा और आदिवासी समाज को हो रहा है।
साथियों,
श्री नारायण गुरु एक सशक्त भारत चाहते थे। भारत के सशक्तिकरण के लिए हमें आर्थिक, सामाजिक और सैन्य, हर पहलू में आगे रहना है। आज देश इसी रास्ते पर चल रहा है। भारत तेज़ी से दुनिया की
तीसरे नंबर की इकॉनॉमी बनने की तरफ बढ़ रहा है। हाल में दुनिया ने ये भी देखा है कि भारत का सामर्थ्य क्या है। ऑपरेशन सिंदूर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की कठोर नीति को दुनिया के सामने एकदम स्पष्ट कर दिया है। हमने दिखा दिया है कि भारतीयों का खून बहाने वाले आतंकियों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है।
साथियों,
आज का भारत देशहित में जो भी हो सकता है और जो भी सही है, उसके हिसाब से कदम उठाता है। आज सैन्य ज़रूरतों के लिए भी भारत की विदेशों पर निर्भरता लगातार कम हो रही है। हम डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भर हो रहे हैं। और इसका प्रभाव हमने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी देखा है। हमारी सेनाओं ने भारत में बने हथियारों से दुश्मन को 22 मिनट में घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया। मुझे विश्वास है, आने वाले समय में मेड इन इंडिया हथियारों का डंका पूरी दुनिया में बजेगा।
साथियों,
देश के संकल्पों को पूरा करने के लिए हमें श्रीनारायण गुरु की शिक्षाओं को जन-जन तक पहुंचाना है। हमारी सरकार भी इस दिशा में सक्रियता के साथ काम कर रही है। हम शिवगिरी सर्किट का निर्माण करके श्रीनारायण गुरु के जीवन से जुड़े तीर्थ स्थानों को जोड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है, उनके आशीर्वाद, उनकी शिक्षाएँ अमृतकाल की हमारी यात्रा में देश को रास्ता दिखाती रहेंगी। हम सब एक साथ मिलकर
विकसित भारत के सपने को पूरा करेंगे। श्रीनारायण गुरू का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे, इसी कामना के साथ, मैं शिवगिरी मठ के सभी संतों को फिर से नमन करता हूं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद! नमस्कारम्!