5,000 वर्ष से अधिक पुरानी अपनी उत्पत्ति के साथ, आयुर्वेद, चिकित्सा की एक समग्र प्रणाली के रूप में विकसित हुआ है जो न केवल शारीरिक बीमारियों का समाधान करता है बल्कि मन, शरीर और आत्मा के बीच सामंजस्य का पोषण भी करता है। भारत के विविध परिदृश्य में, आयुर्वेद एक समय-सम्मानित उपचार परंपरा के रूप में विकसित हुआ है, जो प्राकृतिक उपचार, आहार संबंधी दिशानिर्देशों और जीवनशैली प्रथाओं का एक अनूठा मिश्रण पेश करता है जिसका उद्देश्य, संतुलन और जीवन-शक्ति को बहाल करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में, आयुर्वेद ने आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में अपने सिद्धांतों को एकीकृत करने, अनुसंधान को बढ़ावा देने और इसे राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों मोर्चों पर ओवरऑल वेलनेस के प्रतीक के रूप में स्थापित करने के नए प्रयासों के साथ पुनर्जागरण का अनुभव किया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया है, इसे न केवल एक चिकित्सा प्रणाली के रूप में बल्कि भारतीय परंपरा और लोकाचार के एक अभिन्न पहलू - जीवन के एक वास्तविक ढंग के रूप में चित्रित किया है। भारत को आयुर्वेद की जन्मभूमि के रूप में मान्यता देते हुए, पीएम मोदी ने इसके वैश्विक प्रभाव को बढ़ाने के लिए अटूट प्रतिबद्धता व्यक्त की है। भारत, आयुर्वेद के वैश्विक पदचिह्न का विस्तार करने के लिए कदम उठा रहा है, जो प्राचीन ज्ञान और समकालीन वैश्विक कल्याण प्रतिमानों के सामंजस्यपूर्ण मिश्रण का प्रतीक है। कल्याण और रोकथाम की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव को रेखांकित करते हुए, पीएम मोदी ने आबादी के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एकीकृत और समग्र चिकित्सा प्रणालियों के महत्व को दोहराया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा भारत में वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र स्थापित करने की घोषणा का स्वागत किया। इस निर्णय से दुनिया भर के छात्रों को आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा का अध्ययन करने के लिए भारत आने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने समसामयिक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए देश के स्वास्थ्य एजेंडे को व्यापक पद्धतियों, एकीकृत चिकित्सा प्रणालियों को आपस में जोड़ने की दिशा में आगे बढ़ाया है। उन्होंने उनके योगदान के महत्व पर बल देते हुए 21वीं सदी में साक्ष्य-आधारित अनुसंधान संरचनाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया है।

महामारी के दौरान, आयुर्वेदिक उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ गई, जिसमें उल्लेखनीय 45 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। प्रधानमंत्री मोदी ने इस उछाल को भारतीय मसालों, जैसे अदरक, हल्दी, लौंग आदि और दुनिया भर में आयुर्वेदिक समाधानों में नए विश्वास के प्रमाण के रूप में मनाया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तत्कालीन चल रहे स्वास्थ्य संकट के दौरान, केवल आयुर्वेद के उपयोग से परे देश के भीतर और वैश्विक स्तर पर आयुष में उन्नत अनुसंधान को शामिल करने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा कि आयुर्वेद अब एक विकल्प नहीं है बल्कि देश की राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और हस्तक्षेप का एक मूलभूत स्तंभ है। उन्होंने दो प्रमुख आयुर्वेद संस्थानों को बधाई देते हुए उनसे आधुनिक चिकित्सा में उभरते अवसरों और चुनौतियों के अनुरूप नए पाठ्यक्रम तैयार करने का आग्रह किया। इसके अलावा, उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MoHRD) और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से "वोकल फॉर लोकल" पहल में अपने योगदान के माध्यम से आयुर्वेद को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करने के लिए पोस्ट-डॉक्टरल और डॉक्टरेट अध्ययन को बढ़ाने का आह्वान किया। वेलनेस की अनिवार्यता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने आयुष्मान भारत योजना के हिस्से के रूप में देश भर में 1.5 लाख स्वास्थ्य और वेलनेस केंद्रों की स्थापना की कल्पना की है। इनमें से 12,500 केंद्र विशेष रूप से आयुष वेलनेस पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिससे एकीकृत चिकित्सा प्रणालियों को बढ़ावा मिलेगा।

भारत सरकार ने वैकल्पिक चिकित्सा को बढ़ावा देने में सराहनीय प्रयास किए हैं, विशेष रूप से आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक प्रणालियों के समर्थन और विकास के माध्यम से, जिन्हें सामूहिक रूप से आयुष के रूप में जाना जाता है। कई पहलें और नीतियां वैकल्पिक चिकित्सा को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एकीकृत करने की सरकार की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं।

दिसंबर 2022 में, देश में आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी में विशेषज्ञता वाले तीन प्रतिष्ठित राष्ट्रीय आयुष संस्थानों की स्थापना हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने गोवा में अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान, गाजियाबाद में राष्ट्रीय यूनानी चिकित्सा संस्थान और दिल्ली में राष्ट्रीय होम्योपैथी संस्थान का उद्घाटन किया।

गोवा के पणजी में 9वीं विश्व आयुर्वेद कांग्रेस (WAC) के समापन समारोह के दौरान, प्रधानमंत्री मोदी ने 'डेटा आधारित साक्ष्य' के दस्तावेजीकरण के लिए चल रहे प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया। आयुर्वेद के सकारात्मक परिणामों को स्वीकार करते हुए, उन्होंने समर्थन साक्ष्य में पिछली कमी पर ध्यान दिया। आधुनिक वैज्ञानिक मापदंडों का उपयोग करके दावों को मान्य करने के लिए चिकित्सा डेटा, अनुसंधान और पत्रिकाओं को समेकित करने के महत्व पर जोर देते हुए, उन्होंने व्यापक साक्ष्य की आवश्यकता पर जोर दिया।

वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 के उद्घाटन समारोह के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ''भारत की टिकाऊ खाद्य संस्कृति हजारों वर्षों की यात्रा का परिणाम है। हमारे पूर्वजों ने आयुर्वेद को आम लोगों की भोजन शैली से जोड़ा था। भारत की पहल पर खाद्य संस्कृति विकसित हुई, योग दिवस ने योग को दुनिया के हर कोने तक पहुंचाया, उसी तरह अब मोटा अनाज भी दुनिया के हर कोने तक पहुंचेगा।''

2016 से, आयुष मंत्रालय हर साल धन्वंतरि जयंती (धनतेरस) पर 'आयुर्वेद दिवस' मनाता है, जो समकालीन स्वास्थ्य परिदृश्य में आयुर्वेद के निरंतर विकास और मान्यता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।

इस अवसर पर, भारत के प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया:

“धनतेरस के शुभ अवसर पर, हम आयुर्वेद दिवस भी मनाते हैं। यह उन इनोवेटर्स और प्रैक्टिसनर्स को सलाम करने का अवसर है जो इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिकता के साथ मिश्रित कर रहे हैं, आयुर्वेद को विश्व स्तर पर नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। अभूतपूर्व अनुसंधान से लेकर गतिशील स्टार्टअप तक, आयुर्वेद कल्याण के नए रास्ते आगे बढ़ा रहा है। आयुर्वेद का समर्थन करना भी वोकल फॉर लोकल होने का एक जीवंत उदाहरण है।”

सरकार ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सा की वैश्विक मान्यता बढ़ाने के लिए भी कदम उठाए हैं। आयुर्वेद, विशेष रूप से, दुनिया भर में मान्यता प्राप्त कर चुका है, 30 से अधिक देशों ने इसे पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता दी है। यह अंतरराष्ट्रीय मान्यता वैकल्पिक चिकित्सा की प्रभावकारिता को प्रदर्शित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए राजनयिक प्रयासों, सहयोग और प्रचार गतिविधियों का परिणाम है।

इसके अलावा, मुख्यधारा के स्वास्थ्य देखभाल फ्रेमवर्क में आयुष का एकीकरण विभिन्न नीतियों और पहलों के माध्यम से स्पष्ट है। विश्व के सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में से एक, 'आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना', अब तक 2023 में लगभग 9.38 करोड़ आयुष्मान कार्ड बनाकर सफल साबित हो चुकी है। इस योजना में पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को भी शामिल किया गया है, जिससे वैकल्पिक चिकित्सा जनता के एक बड़े वर्ग के लिए अधिक सुलभ हो गई है। पीएम मोदी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला है कि आयुर्वेद उपचार से परे है, और यह कल्याण पर भी जोर देता है। उन्होंने यहां तक कहा कि दुनिया, पारंपरिक चिकित्सा की ओर लौट रही है, योग और आयुर्वेद विश्व स्तर पर नई आशा प्रदान करते हैं, जिससे भारत में मेडिकल टूरिज्म की अपार वृद्धि का पता चलता है। आयुष पर ध्यान देने के साथ मेडिकल वैल्यू टूरिज्म को बढ़ावा देना और स्वास्थ्य सेवाओं की तलाश करने वालों के लिए आयुष वीजा की सुविधा, वैकल्पिक चिकित्सा में भारत को ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करने के सरकार के प्रयासों को प्रदर्शित करती है।

इस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने आयुर्वेद को बढ़ावा देने, पारंपरिक चिकित्सा को मुख्यधारा की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में एकीकृत करने के सरकारी प्रयासों का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटन किए गए तीन राष्ट्रीय आयुष संस्थानों की स्थापना, आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसी पारंपरिक प्रणालियों में शिक्षा, अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सरकार का व्यापक दृष्टिकोण घरेलू पहलों से परे है, जैसा कि आयुर्वेद के वैश्विक प्रचार से पता चलता है। 30 से अधिक देशों द्वारा आयुर्वेद को पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के रूप में मान्यता देना, राजनयिक प्रयासों और सहयोग का प्रमाण है, जो भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर वैकल्पिक चिकित्सा में अग्रणी के रूप में स्थापित करता है। इन प्रयासों के साथ, आयुर्वेद की विश्वसनीयता और स्वीकार्यता के लिए साक्ष्य-आधारित प्रथाओं पर सरकार का ध्यान महत्वपूर्ण है।

डेटा आधारित साक्ष्य पर जोर देने जैसी पहलें, पारंपरिक प्रथाओं के आधुनिकीकरण की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करती हैं, उन्हें समकालीन वैज्ञानिक मानकों के साथ जोड़ती हैं। आयुष पर जोर देने के साथ मेडिकल वैल्यू टूरिज्म को बढ़ावा देने और आयुष वीजा को सुगम बनाने से भारत की समग्र स्वास्थ्य सेवा का वैश्विक केंद्र बनने की प्रतिबद्धता और भी मजबूत होती है। कुल मिलाकर, ये प्रयास प्राचीन आयुर्वेदिक ज्ञान को समकालीन चिकित्सा पद्धतियों के साथ मिलाकर स्वास्थ्य सेवा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व और सरकार की पहलें, न केवल भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करती हैं, बल्कि वैकल्पिक चिकित्सा और मेडिकल टूरिज्म को बढ़ावा देने में देश को एक प्रगतिशील शक्ति के रूप में भी स्थापित करती हैं, जो न केवल अपने नागरिकों के कल्याण में बल्कि दुनिया भर से समग्र स्वास्थ्य समाधान चाहने वालों के लिए भी योगदान देती हैं।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।