मैं सनातन हस्तियों, जिनकी धरती पर आज हम खड़े हैं, उनके पूर्वजों, विगत एवं वर्तमान, को नमन करते हुए अपनी बात शुरू करना चाहता हूं।

प्रीमियर श्री न्यूमैन जी,

क्वींसलैंड के आर्थिक दिग्गजों के साथ ब्रेकफास्ट बैठक का आयोजन करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

इस दावत में बड़ी संख्या में शामिल हुए लोगों के बीच मैं खुद को बहुत सम्मानित और प्रोत्साहित महसूस कर रहा हूं।

जी 20 बैठक की शानदार मेजबानी के लिए मैं क्वींसलैंड और ब्रिस्बेन को मुबारकबाद देता हूं। पिछले कुछ दिनों में आपने दिखा दिया है कि आपका शहर दुनिया का एक बेहतरीन शहर है।

क्वींसलैंड की अर्थव्यवस्था न सिर्फ पर्यटन, संसाधन और कृषि के क्षेत्र में अपनी पारंपरिक दृढ़ता के आधार पर, बल्कि उन्नत प्रौद्योगिकी और सेवा क्षेत्र में अपने निवेश के दम पर भी बढि़या तरीके से काम कर रही है।

क्वींसलैंड में व्यापार, सरकार और आपके नेतृत्व को इसके लिए साधुवाद।

मैं यहां आकर अनेक कारणों से खुश हूं।

पहला, मैंने न सिर्फ राष्ट्रीय राजधानियों के मध्य, बल्कि राज्यों के बीच परस्पर संबंधों पर सदैव जोर दिया है।

प्रीमियर न्यूमैन जी, आप और आपकी सरकार ने भारत के साथ आर्थिक अवसरों को आगे बढ़ाने के लिए बहुत काम किया है।

आपने भारत में कई व्यापारिक शिष्टमंडल भेजे हैं। इसी सितम्बर में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में क्वींसलैंड-गुजरात ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन हुआ था। मैं स्वाभाविक रूप से प्रसन्न हूं कि क्वींसलैंड अपनी बुनियादी ढांचागत क्षमताओं के प्रदर्शन के लिए जनवरी 2015 में जीवंत गुजरात में भाग लेगा।

मैं जानता हूं कि आप गुजरात के प्रति पक्षपाती नहीं हैं, बल्कि आप कोलकाता, दिल्ली और अन्य जगहों पर भी अपने प्रतिनिधिमंडल भेज रहे हैं।

दूसरा कारण है कि आज भारत आपका चौथा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है, हमारे लिए क्वींसलैंड एक प्रमुख निवेश स्थान के रूप में उभर रहा है।

हम कोयला खनन में आस्ट्रेलिया के 16 अरब डॉलर के निवेश को संभव बनाने के लिए आपके प्रयासों का स्वागत करते हैं।

यह वार्ता भारत-आस्ट्रेलिया के बीच परस्पर सहयोग के नए मानक तय करेगी, कि ऊर्जा व अन्य महत्वपूर्ण संसाधनों के क्षेत्र में भारत की आवश्यकता पूरी करने में आस्ट्रेलिया और क्वींसलैंड कैसे जीवंत भागीदार हो सकते हैं।

क्वींसलैंड भारत के विकास में, विशेषकर - ऊर्जा, खनिज संसाधन, कृषि और खाद्य सुरक्षा, शिक्षा और उन्नत प्रोद्योगिकी के कुछ क्षेत्रों में महत्वपूर्ण सहभागी हो सकता है।

हमने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए बड़े पैमाने पर सुधारात्मक कदम उठाए हैं।

नीति के क्षेत्र में :

* हमने रेलवे, रक्षा और बीमा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश कानूनों में ढील दी है।

* हमने रेलवे में सुधार के लिए एक आयोग का गठन किया है, जिसे सरकार के ही एक अन्य विभाग के रूप में जाना जाता रहा है – ऐसा पहली बार हुआ है।

* हमने श्रम सुधार शुरू किए हैं।

* हमने कोयला, प्राकृतिक गैस और डीजल जैसे ईंधन के क्षेत्र में अपनी नीतियों में बड़े बदलाव किये हैं।

प्रक्रिया के क्षेत्र में :

* सरकार की कार्यपद्धति को बदला है। सुशासन बदलाव का प्रारभिक बिंदु है। यह व्यवसाय के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि आम नागरिक के लिए।

* हमने सरकार की पारदर्शिता को सुनिश्चित करने के लिए गैर जरूरी कानूनों-नियमों को समाप्त किया है और प्रक्रियाओं को आसान एवं छोटा बना दिया है।

* व्यापार को आसान बनाने पर ध्यान दिया गया है।

* हम राज्य सरकारों और यहां तक कि जिलों और गांवों के साथ भी साझेदारी कर रहे हैं।

* डिजिटल इंडिया अभियान शुरू किया गया है।

* सुविधा प्रकोष्ठ स्थापित कर दिए गए हैं।

संस्थानों के बारे में :

* कौशल विकास के लिए नया विभाग स्थापित किया है।

* औद्योगिक गलियारों के लिए विशेष प्राधिकरण बनाया गया है।

* एकीकृत आवेदन प्रक्रिया के लिए सातों दिन चौबीसों घंटे चलने वाले ईबिज पोर्टल की स्थापना की है।

* निर्णयों पर अमल की करीबी निगरानी करना।

* व्यय सुधार आयोग की स्थापना।

पहल के संदर्भ में :

* भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए एक नए मिशन 'मेक इन इंडिया' का शुभारंभ।

* विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे का निर्माण।

* 100 स्मार्ट शहर, 50 शहरों में मेट्रो प्रोजेक्ट, 500 शहरों के लिए आधुनिक अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था।

* हरेक की पहुंच वाली सस्ती स्वास्थ्य देखभाल सेवा, 2019 तक सभी के लिए साफ-सफाई, हर व्यक्ति के लिए छत तथा हर घर में बिजली।

• स्वच्छ ऊर्जा - सौर ऊर्जा पर विशेष ध्यान, ऊर्जा दक्षता

• जल संरक्षण

• स्वच्छ गंगा कार्यक्रम, जो एक प्रमुख शहरी नवीकरण और पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रम है।

मैं आपसे सहयोग के लिए यहां महान अवसर देख रहा हूं। मैं उनमें से कुछ पर प्रकाश डालना चाहता हूं।

• कोयला पहले ही भारत का एक प्रमुख निर्यात वस्तु है। मैं सामान्य रूप से संसाधनों में व्यापक संभावना देखता हूं क्योंकि भारत का औद्योगिक क्षेत्र गति अर्जित करता है और विकास करता है।

• हम भी क्वींसलैंड से द्रवीकृत प्राकृतिक गैस का आयात शुरू कर सकते हैं।

• आप खनन और खनन प्रौद्योगिकियों, सेवाओँ और उपकरण, खनन परामर्श, खनन सुरक्षा, कोयला वाशरीज और खनन प्रबंधन के अऩेक क्षेत्रों में अग्रणी हैं।

• मैं आपको भारत में भागीदारी के लिए आमंत्रित करता हूं। हमने अपनी नीतियों को पारदर्शी और उम्मीद के अनुसार बनाया है। हमने अपनी प्रक्रियाओं को स्पष्ट और सरल बनाया है।

• क्वींसलैंड भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूत बनाने में भी भागीदार बन सकता है। हमने फलों और सब्जियों का भारी मात्रा में और उर्वरकों का कुछ मात्रा में आयात किया है।

• कृषि आपूर्ति श्रृंखला के मूल ढांचे और खाद्य प्रसंस्करण के विकास के लिए उपज और कृषि उत्पादकता में सुधार लाने के लिए हमें एकीकृत भागीदारी और संयुक्त अनुसंधान की जरूरत है। यह मेरी सरकार के लिए एक प्रमुख प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।

• मूल ढांचा – जिसमें हमारा अगले पांच वर्षों के दौरान एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक निवेश करने का लक्ष्य है।

• प्रौद्योगिकी के उन्नत क्षेत्रों जैसे- जैव प्रौद्योगिकी और विमानन क्षेत्र में क्वींसलैंड की ताकत सहयोग के लिए व्यापक अवसर उपलब्ध कराने का प्रस्ताव करती है।

• हम सूचना और संचार प्रौद्योगिकी तथा जीवन और व्यापार के सभी क्षेत्रों में इसके बढ़ते अनुप्रयोग के क्षेत्र में मजबूत सहक्रियाओं का विकास कर सकते हैं। मुझे उम्मीद हैं कि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियां इस अच्छी पहुंच का लाभ उठाएंगी। इसके विपरीत डिजिटल इंडिया व्यापक अवसरों का प्रस्ताव करता है।

• क्वींसलैंड पर्यटन क्षेत्र में अपनी सफलता पर गर्व कर सकता है। भारतीय निवेशक आपका भागीदार बनने के इच्छुक होंगे क्योंकि अधिक से अधिक भारतीय आपके राज्य के असीम सौंदर्य और आतिथ्य के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।

• आप भारत की बढ़ती शहरी आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की स्मार्ट, टिकाऊ और रहने योग्य शहर बसाने की महत्वाकांक्षी योजनाओं में शामिल हो सकते हैं। यह उम्मीद है कि वर्ष 2025 में विश्व की शहरी जनसंख्या का लगभग दस प्रतिशत हिस्सा भारत में ही होगा।

• आप निर्यात के लिए और उसे वापस आस्ट्रेलिया में आयात के लिए भारत को एक विनिर्माण केन्द्र बना सकते हैं।

• हम कौशल विकास, शिक्षा, अनुसंधान विकास में नजदीकी सहयोग को बढ़ावा दें। आपके विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों ने भारत और आस्ट्रेलिया के बीच बढ़ते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधों में पहले से ही महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

आस्ट्रेलिया-भारत सामरिक अऩुसंधान कोष के तहत दोनों देशों के मध्य सहयोग एक सच्चाई है।• मैं जानता हूं कि आप में से अधिकांश को भारत में उपलब्ध अवसरों के बारे में पता है और आपने बाजार का अवलोकन किया है। आपकी शुरुआत भारत में कुछ अलग पाने से ही होगी।• इन अवसरों तक पहुंचने के लिए अब अनिश्चित, अप्रत्याशित रास्तों पर चलने और बाधाओं को पार करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। • आप न केवल अवसरों को भागीदारी में बदलने में समर्थ होंगे बल्कि आप ऐसा उस माहौल में कर सकेंगे जो आपके व्यापार को सरल बनाने में मददगार है।

• मैं अंत में यह बात कहता हूं कि आस्ट्रेलिया और भारत के संबंध व्यापक हैं और उनमें आर्थिक सहयोग, बढ़ती सुरक्षा और सामरिक भागीदारी और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बढ़ता हुआ सहयोग शामिल है, जो हमारे क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।

• मैं आपके विचारों को सुनने का उत्सुक हूं। मैं यह सुनिश्चित करूंगा कि हमारी टीम उनका अनुसरण करे। मैं आज सुबह यहां आने के लिए आप सभी को धन्यवाद देता हूं और आज का दिन आपके लिए बहुत मंगलमय हो, यह कामना करता हूं। धन्यवाद।

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Gen Z और Gen Alpha भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी: पीएम मोदी
December 26, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा - आज के दिन हम राष्ट्र के गौरव, अदम्य साहस और वीरता के सर्वोच्च आदर्शों के प्रतीक वीर साहिबजादों को याद करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - माता गुजरी जी, श्री गुरु गोविंद सिंह जी और चारों साहिबजादों का साहस और आदर्श प्रत्येक भारतीय को शक्ति प्रदान करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - भारत ने गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त होने का संकल्प लिया है
प्रधानमंत्री ने कहा - जैसे-जैसे भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो रहा है, हमारी भाषाई विविधता शक्ति के स्रोत के रूप में उभर रही है
प्रधानमंत्री ने कहा - जेनरेशन जेड और जेनरेशन अल्फा देश के विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करेगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी अन्नपूर्णा देवी, सावित्री ठाकुर, रवनीत सिंह, हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली सरकार से आए हुए मंत्री महोदय, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां उपस्थित सभी अतिथि और प्यारे बच्चों !

आज देश ‘वीर बाल दिवस’ मना रहा है। अभी वंदे मातरम की इतनी सुंदर प्रस्तुति हुई है, आपकी मेहनत नजर आ रही है।

साथियों,

आज हम उन वीर साहिबजादों को याद कर रहे हैं, जो हमारे भारत का गौरव है। जो भारत के अदम्य साहस, शौर्य, वीरता की पराकाष्ठा है। वो वीर साहिबजादे, जिन्होंने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ दिया, जो क्रूर मुगल सल्तनत के सामने ऐसे चट्टान की तरह खड़े हुए कि मजहबी कट्टरता और आतंक का वजूद ही हिल गया। जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत हो, जिसकी युवा पीढ़ी को ऐसी प्रेरणाएं विरासत में मिली हों, वो राष्ट्र क्या कुछ नहीं कर सकता।

साथियों,

जब भी 26 दिसंबर का ये दिन आता है, तो मुझे ये तसल्ली होती है कि हमारी सरकार ने साहिबजादों की वीरता से प्रेरित वीर बाल दिवस मनाना शुरू किया। बीते 4 वर्षों में वीर बाल दिवस की नई परंपरा ने साहिबजादों की प्रेरणाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। वीर बाल दिवस ने साहसी और प्रतिभावान युवाओं के निर्माण के लिए एक मंच भी तैयार किया है। हर साल जो बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों में देश के लिए कुछ कर दिखाते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इस बार भी, देश के अलग-अलग हिस्सों से आए 20 बच्चों को ये पुरस्कार दिए गए हैं। ये सब हमारे बीच में हैं, अभी मुझे उनसे काफी गप्पे-गोष्टि करने का मौका मिला। और इनमें से किसी ने असाधारण बहादुरी दिखाई है, किसी ने सामाजिक सेवा और पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय काम किया है। इनमें से कुछ विज्ञान और टेक्नोलॉजी में कुछ इनोवेट किया है, तो कई युवा साथी खेल, कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। मैं इन पुरस्कार विजेताओं से कहूंगा, आपका ये सम्मान आपके लिए तो है ही, ये आपके माता-पिता का, आपके टीचर्स और मेंटर्स का, उनकी मेहनत का भी सम्मान है। मैं पुरस्कार विजेताओं को, और उनके परिवारजनों को उज्ज्वल भविष्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये दिन भावना और श्रद्धा से भरा दिन है। साहिबजादा अजीत सिंह जी, साहिबजादा जुझार सिंह जी, साहिबजादा जोरावर सिंह जी, और साहिबजादा फतेह सिंह जी, छोटी सी उम्र में इन्हें उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा। वो लड़ाई भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच थी, वो लड़ाई सत्य बनाम असत्य की थी। उस लड़ाई के एक ओर दशम गुरु श्रीगुरु गोविंद सिंह जी थे, दूसरी ओर क्रूर औरंगजेब की हुकूमत थी। हमारे साहिबजादे उस समय उम्र में छोटे ही थे। लेकिन, औरंगजेब को, उसकी क्रूरता को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वो जानता था, उसे अगर भारत के लोगों को डराकर उनका धर्मांतरण कराना है, तो इसके लिए उसे हिंदुस्तानियों का मनोबल तोड़ना होगा। और इसलिए उसने साहिबजादों को निशाना बनाया।

लेकिन साथियों,

औरंगजेब और उसके सिपाहसालार भूल गये थे, हमारे गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं थे, वो तप, त्याग का साक्षात अवतार थे। वीर साहिबजादों को वही विरासत उनसे मिली थी। इसीलिए, भले ही पूरी मुगलिया बादशाहत पीछे लग गई, लेकिन वो चारों में से एक भी साहिबजादे को डिगा नहीं पाये। साहिबजादा अजीत सिंह जी के शब्द आज भी उनके हौसले की कहानी कहते हैं- नाम का अजीत हूं, जीता ना जाऊंगा, जीता भी गया, तो जीता ना आउंगा !

साथियों,

कुछ दिन पूर्व ही हमने श्रीगुरू तेग बहादुर जी को, उनके तीन सौ पचासवें बलिदान दिवस पर याद किया। उस दिन कुरुक्षेत्र में एक विशेष कार्यक्रम भी हुआ था। जिन साहिबजादों के पास श्री गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान की प्रेरणा हो, वो मुगल अत्याचारों से डर जाएंगे, ये सोचना ही गलत था।

साथियों,

माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और चारों साहिबजादों की वीरता और आदर्श, आज भी हर भारतीय को ताकत देते हैं, हमारे लिए प्रेरणा है। साहिबजादों के बलिदान की गाथा देश में जन-जन की जुबान पर होनी चाहिए थी। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी देश में गुलामी की मानसिकता हावी रही। जिस गुलामी की मानसिकता का बीज अंग्रेज राजनेता मैकाले ने 1835 में बोया था, उस मानसिकता से देश को आजादी के बाद भी मुक्त नहीं होने दिया गया। इसलिए आजादी के बाद भी देश में दशकों तक ऐसी सच्चाइयों को दबाने की कोशिश की गई।

लेकिन साथियों,

अब भारत ने तय किया है कि गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पानी ही होगी। अब हम भारतीयों के बलिदान, हमारे शौर्य की स्मृतियां दबेंगी नहीं। अब देश के नायक-नायिकाओं को हाशिये पर नहीं रखा जाएगा। और इसलिए वीर बाल दिवस को हम पूरे मनोभाव से मना रहे हैं। और हम इतने पर ही नहीं रुके हैं, मैकाले ने जो साजिश रची थी, साल 2035 में उसके 200 साल अब थोड़े समय में हो जाएंगे। इसमें अभी 10 साल का समय बाकी है। इन्हीं 10 सालों में हम देश को पूरी तरह गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। 140 करोड़ देशवासियों का ये संकल्प होना चाहिए। क्योंकि देश जब इस गुलामी की मानसिकता से मुक्त होगा, उतना ही स्वदेशी का अभिमान करेगा, उतना ही आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस अभियान की एक झलक कुछ दिन पहले हमारे देश की पार्लियामेंट में भी दिखाई दी है। अभी संसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों ने हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा, दूसरी भारतीय भाषाओं में लगभग 160 भाषण दिये। करीब 50 भाषण तमिल में हुए, 40 से ज्यादा भाषण मराठी में हुए, करीब 25 भाषण बांग्ला में हुए। दुनिया की किसी भी संसद में ऐसा दृश्य मुश्किल है। ये हम सबके लिए गौरव की बात है। भारत की इस language diversity को भी मैकाले ने कुचलने का प्रयास किया था। अब गुलामी की मानसिकता से मुक्त होते हमारे देश में भाषाई विविधता हमारी ताकत बन रही है।

साथियों,

यहां मेरा युवा भारत संगठन से जुड़े इतने सारे युवा यहां उपस्थित हैं। एक तरह से आप सभी जेन जी हैं, जेन अल्फा भी हैं। आपकी जनरेशन ही भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी। मैं जेन जी की योग्यता, आपका आत्मविश्वास देखता हूं, समझता हूं, और इसलिए आप पर बहुत भरोसा करता हूं। हमारे यहां कहा गया है, बालादपि ग्रहीतव्यं युक्तमुक्तं मनीषिभिः। अर्थात्, अगर छोटा बच्चा भी कोई बुद्धिमानी की बात करे, तो उसे ग्रहण करना चाहिए। यानी, उम्र से कोई छोटा नहीं होता, और कोई बड़ा भी नहीं होता। आप बड़े बनते हैं, अपने कामों और उपलब्धियों से। आप कम उम्र में भी ऐसे काम कर सकते हैं कि बाकी लोग आपसे प्रेरणा लें। आपने ये करके दिखाया है। लेकिन, इन उपलब्धियों को अभी केवल एक शुरुआत के तौर पर देखना है। अभी आपको बहुत आगे बढ़ना है। अभी सपनों को आसमान तक लेकर जाना है। और आप भाग्यशाली हैं, आप जिस पीढ़ी में जन्में हैं, आपकी प्रतिभा के साथ देश मजबूती से खड़ा है। पहले युवा सपने देखने से भी डरते थे, क्योंकि पुरानी व्यवस्थाओं में ये माहौल बन गया था कि कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। चारों तरफ निराशा, निराशा का वातावरण बना दिया गया था। उन लोगों को यहां तक लगने लगा कि भई मेहनत करके क्या फायदा है? लेकिन, आज देश टैलेंट को, प्रतिभा को खोजता है, उन्हें मंच देता है। उनके सपनों के साथ 140 करोड़ देशवासियों की ताकत लग जाती है।

डिजिटल इंडिया की सफलता के कारण आपके पास इंटरनेट की ताकत है, आपके पास सीखने के संसाधन हैं। जो साइंस, टेक और स्टार्टअप वर्ल्ड में जाना चाहते हैं, उनके लिए स्टार्टअप इंडिया जैसे मिशन हैं। जो स्पोर्ट्स में आगे बढ़ रहे हैं, उनके लिए खेलो इंडिया मिशन है। अभी दो ही दिन पहले मैंने सांसद खेल महोत्सव में भी हिस्सा लिया। ऐसे तमाम मंच आपको आगे बढ़ाने के लिए हैं। आपको बस focused रहना है। और इसके लिए जरूरी है कि आप short term popularity की चमक-दमक में न फंसे। ये तब होगा, जब आपकी सोच स्पष्ट होगी, जब आपके सिद्धान्त स्पष्ट होंगे। और इसलिए, आपको अपने आदर्शों से सीखना है, देश की महान विभूतियों से सीखना है। आपको अपनी सफलता को केवल अपने तक सीमित नहीं मानना है। आपका लक्ष्य होना चाहिए, आपकी सफलता देश की सफलता बननी चाहिए।

साथियों,

आज युवाओं के सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर नई पॉलिसी बनाई जा रही हैं। युवाओं को राष्ट्र-निर्माण के केंद्र में रखा गया है। ‘मेरा युवा भारत’, ऐसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से युवाओं को जोड़ने, उन्हें अवसर देने और उनमें लीडरशिप स्किल विकसित कराने का प्रयास किया जा रहा है। स्पेस इकोनॉमी को आगे बढ़ाना, खेलों को प्रोत्साहित करना, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को विस्तार देना, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप के अवसर तैयार करना, इस तरह के हर प्रयास के केंद्र में मेरे युवा साथी ही हैं। हर सेक्टर में युवाओं के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।

साथियों,

आज भारत के सामने परिस्थितियां अभूतपूर्व हैं। आज भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। आने वाले पच्चीस वर्ष भारत की दिशा तय करने वाले हैं। आज़ादी के बाद शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत की क्षमताएं, भारत की आकांक्षाएं और भारत से दुनिया की अपेक्षाएं, तीनों एक साथ मिल रही हैं। आज का युवा ऐसे समय में बड़ा हो रहा है, जब अवसर पहले से कहीं ज्यादा हैं। हम भारत के युवाओं की प्रतिभा, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को बेहतर मौके देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मेरे युवा साथियों,

विकसित भारत की मजबूत नींव के लिए भारत की एजुकेशन पॉलिसी में भी अहम Reforms किए गए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का फोकस 21वीं सदी में लर्निंग के नए तौर-तरीकों पर है। आज फोकस प्रैक्टिकल लर्निंग पर है, बच्चों में रटने के बजाय सोचने की आदत विकसित हो, उनमें सवाल पूछने का साहस और समाधान खोजने की क्षमता आए, पहली बार इस दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे हैं। Multidisciplinary studies, skill-based learning, स्पोर्ट्स को बढ़ावा और टेक्नोलाजी का उपयोग, इनसे स्टूडेंट्स को बहुत मदद मिल रही है। आज देशभर में अटल टिंकरिंग लैब्स में लाखों बच्चे इनोवेशन और रिसर्च से जुड़ रहे हैं। स्कूलों में ही बच्चे रोबोटिक्स, AI, सस्टेनेबिलिटी और डिजाइन थिंकिंग से परिचित हो रहे हैं। इन सारे प्रयासों के साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प दिया गया है। इससे बच्चों को पढ़ाई में आसानी हो रही है, विषयों को समझने में आसानी हो रही है।

साथियों,

वीर साहिबजादों ने ये नहीं देखा था कि रास्ता कितना कठिन है। उन्होंने ये देखा था कि रास्ता सही है या नहीं है। आज उसी भावना की आवश्यकता है। मैं भारत के युवाओं के, और मैं भारत के युवाओं से यही अपेक्षा करता हूं, बड़े सपने देखें, कड़ी मेहनत करें, और अपने आत्मविश्वास को कभी भी कमजोर न पड़ने दें। भारत का भविष्य उसके बच्चों और युवाओं के भविष्य से ही उज्ज्वल होगा। उनका साहस, उनकी प्रतिभा और उनका समर्पण राष्ट्र की प्रगति को दिशा देगा। इसी विश्वास के साथ, इस जिम्मेदारी के साथ और इसी निरंतर गति के साथ, भारत अपने भविष्य की ओर आगे बढ़ता रहेगा। मैं एक बार फिर वीर साहिबजादों को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।