चित्रा त्रिपाठी- गंगा का ये किनारा है, जहां से हर-हर महादेव के नारे लग रहे हैं। तो नरेंद्र मोदी जी के लिए भी नारे लग रहे हैं। मां गंगा के साथ काशी के साथ, आपका ये जो रिश्ता है वो क्या कहलाता है? नामांकन का मौका है, पूजा-पाठ करके, मां गंगा को प्रणाम करके आप आ रहे हैं।

पीएम मोदी- एक तो आज दो अवसर हैं, गंगा सप्तमी है और इसी दिन मां गंगा का प्राकट्य हुआ था और यही दिन है जिस दिन शिवजी ने उनका जो रौद्र रूप था, उसको अपनी जटाओं में समा लिया और फिर धीरे धीरे धीरे धीरे जनहित में मां गंगा को प्रवाहित किया। धरती पर आने में तो देर लगी थी, लेकिन प्राकट्य महोत्सव था आज। तो ऐसा एक शुभ अवसर है। दूसरा मैं अनुभव करता था, जब पहली बार मेरी पार्टी ने मुझे यहां चुनाव लड़ने के लिए कहा तो मैं कह रहा था कि भाई, और शायद मेरे मन से निकला था, मां गंगा ने बुलाया है। लेकिन 10 साल का मेरा जो यहां से नाता रहा है, तो मेरी एक पुरानी दुनिया थी उससे उसने मुझे लिंक कर दिया और फिर मैं एक बार गंगा की गोद में समा गया।

 

चित्रा त्रिपाठी- मां गंगा ने गोद ले लिया है आपको?

पीएम मोदी- और इसलिए मैं हमेशा ये भाव रखता हूं कि मां गंगा ने मुझे गोद लिया है और मां के जाने के बाद मुझे यह भाव और ज्यादा तीव्र हो गया है। मेरे रग-रग में, मेरे भाव विश्व में, मां गंगा ने उस रिक्तता को भरा है।

 

चित्री त्रिपाठी- मां को याद करते हुए आप इतने भावुक हो रहे हैं प्रधानमंत्री जी... ये जो आपकी भावना है मां गंगा ने एक वक्त पर आपको बुलाया और फिर आप काशीवासी ही होकर रह गए। यहां के लोगों का जिस तरह से प्यार, स्नेह आपको मिलता है और मां गंगा का आशीर्वाद। काशी वाले तो ये भी कहते हैं कि अगर रानी अहिल्याबाई के बाद किसी ने काशी नगरी को बदलने का काम किया है, इसको विकास की तीव्रता देने का काम किया है तो वो नरेंद्र मोदी हैं।

पीएम मोदी- मैं काशीवासियों का आभारी हूं। वो इस भाव से इस काम को देख रहे हैं। लेकिन जब 10 साल पहले मैं आया था तो एक जनप्रतिनिधि बनने के लिए यहां के लोगों को मतदाता के रूप में नागरिक के रूप में देख कर के आया था। लेकिन 10 साल में उन नागरिकों ने, उन काशीवासियों ने मुझे देखते ही देखते बनारसी ही बना दिया।

 

चित्रा त्रिपाठी- आप पूरे बनारसिया ही हो गए हैं... रोड शो के दौरान जिस तरह का जनसैलाब उमड़ा हुआ था। आपकी एक नजर लोगों पर पड़ जाए उसके लिए लोग व्याकुल हुए चले जा रहे थे। तो ये जो लोगों की भावना है आपके प्रति वो क्या बताती है, काशी में जब आप आते हैं और बनारसिया हो जाते हैं?

पीएम मोदी- इसका मूल्यांकन मैं नहीं कर सकता हूं, लेकिन मैं इतना कह सकता हूं कि भारत के नागरिकों के अंदर एक आध्यात्मिक प्रवाह अविरत बहता रहता है और वही भारत की आत्मा है। वो अलग-अलग लोगों के व्यवहार में किसी न किसी रूप में प्रकट होती है। और मुझे जब लोग इतना प्यार देते हैं, इतना आशीर्वाद देते हैं। तो मैं उसमें मुझे नहीं देखता, न ही मेरे सामर्थ्य को देखता हूं, न ही मेरे कुछ किए कामों को देखता हूं। जब वो मुझे आशीर्वाद देते हैं भक्ति भाव की अभिव्यक्ति करते हैं तो मुझे लगता है कि शायद मेरी जिम्मेवारी बहुत बढ़ गई है। मेरा दायित्व दिनों-दिन बढ़ रहा है और जब समाज का छोटे से छोटा व्यक्ति और परिवार का छोटे से छोटा बच्चा समान रूप से भाव व्यक्त करता है तो मुझे लगता है कि पहला मुझसे कोई गलती ना हो जाए। दूसरा मेरे मन में भाव रहता है ये भाजपा नहीं है जी लेकिन तब मुझे लगता है कि शायद परमात्मा ने स्वयं ने मुझे किसी काम के लिए भेजा है और परमात्मा ने भारत भूमि को चुना, परमात्मा ने मुझे चुना और एक प्रकार से मैं अब सारे बंधनों से विरक्त होकर के हर काम को परमात्मा की पूजा समझ कर के करता हूं। ईश्वर की आराधना समझ के करता हूं और जब मैं ईश्वर के रूप की बात करता हूं तो वो ईश्वर जो हमने किसी ने देखा नहीं है। निराकार है। दूसरा मैं जनता-जनार्दन को भी ईश्वर का रूप मानता हूं। 140 करोड़ देशवासी को ईश्वर का रूप मान कर के परमात्मा ने मुझे जितना जीवन दिया है उसकी एक-एक क्षण एक-एक पल और शरीर का एक-एक कण सिर्फ और सिर्फ मां भारती के लिए है। 140 करोड़ देशवासियों के लिए है और यही मेरी ईश्वर की आराधना है।

 

चित्रा त्रिपाठी- अब देश के लोग ये जानना चाहते हैं कि एक नरेंद्र मोदी जो बड़े और कड़े फैसले लेने के लिए जाते हैं, दुनियाभर में जिनके धाक है, जिन्होंने अपने निर्णयों से लोगों को चौंका दिया है और जब काशी में आते हैं नरेंद्र मोदी तो बिल्कुल किसी छोटे बालक की तरह उनकी आंखें भरी होती हैं। वो मां की बात कहते हुए भावुक हो उठते हैं उनकी जो जुबान है वो सोचने लगती है कि क्या बोला जाए। तो ये जो दो अलग-अलग नरेंद्र मोदी हैं इसको आप...

पीएम मोदी- अलग-अलग नहीं है। मैं कंपेरिजन मेरी नहीं कर रहा हूं, लेकिन जो मैंने सीखा है उससे मैं समझा सकता हूं। आप श्री कृष्ण को गायों के बीच देखें और श्री कृष्ण को अर्जुन का रथ चलाते देखिए, आपको दो रूप दिखेंगे लेकिन कृष्ण एक हैं, कृष्ण अलग नहीं हैं।

 

चित्रा त्रिपाठी- अलग-अलग घाटों से हम होते हुए जा रहे हैं। 88 घाट हैं इस पूरी काशी नगरी में, नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत आपकी ओर से बहुत ज्यादा काम करवाया गया और यहां पर घाटों की साफ सफाई अपने आप में लोगों को आकर्षित भी करती है। 2017 और 18 का जो काशी में आने वाले लोगों का आंकड़ा था वो तकरीबन 62 लाख था, 2022-23 में वो पहुंचकर 7 करोड़ हो गया है और काशी के लोग बताते हैं कि जब जब मोदी यहां आते हैं तब तब पर्यटकों की तादाद श्रद्धालुओं की तादाद बढ़ती चली जाती है।

पीएम मोदी- हमारे देश में दुर्भाग्य से भारत के सामर्थ्य को नकारा गया। इतना ही नहीं उसको एक प्रकार से नीचा दिखाने का भरपूर प्रयास हुआ। 140 करोड़ का देश, हर बेटे की इच्छा रहती है कि मैं, मेरे मां-बाप को गंगा स्नान कराऊंगा। मेरे मां-बाप को चार धाम यात्रा कराऊंगा। अब मैं अध्यात्म, भावुकता सब छोड़ दूं। लेकिन मैं कमर्शियल माइंड से सोचूं, फाइनेंसियल माइंड से सोचूं। 140 करोड़ का मार्केट जो गंगा जाना चाहता है, जो चारधाम जाना चाहता है, जो द्वादश ज्योतिर्लिंग जाना चाहता है, जो अष्ट गणेश की पूजा करना चाहता है, जो 51 शक्ति पीठ जाना चाहता है, इतना बड़ा और वही तो इस देश के मालिक हैं उन्हीं के तो टैक्स से देश चलता है। क्या उनको शुद्ध पानी नहीं मिलना चाहिए? उनको सफाई नहीं मिलनी चाहिए? क्या उनको टॉयलेट की सुविधा नहीं मिलनी चाहिए? उनको रात गुजारनी है, तो अच्छी व्यवस्था नहीं मिलनी चाहिए? उनको इंटरनेट कनेक्शन, कनेक्टिविटी नहीं मिलनी चाहिए? और मैं मानता हूं ये उनका हक है। क्योंकि ये धार्मिक स्थान है इसलिए मेरे देश के लोगों का हक मैं छीन लूं ये मुझे गवारा नहीं है। तो मैंने इसमें इकोनॉमी भी देखी है और इसमें मैंने भविष्य भी देखा है और जब आप अपनी चीजों को सम्मान करते हैं, गौरव करते हैं, तब जाकर के दुनिया करती है। और G-20 समिट में मैंने एक प्रयोग किया कि मैं G-20 को मोदी तक सीमित नहीं रखूंगा। मैं G-20 को दिल्ली तक सीमित नहीं रखूंगा। मैं G-20 को देश के अलग-अलग स्थानों पर 200 मीटिंग करके ले गया। और उसका परिणाम ये हुआ कि G-20 का काम तो हुआ लेकिन दुनिया को और सारे डिसीजन मेकिंग लोग आते थे यहां, करीब 1 लाख लोग आए थे। दुनिया के महत्त्वपूर्ण देशों के निर्णय प्रक्रिया के जो महत्व के लोग होते हैं करीब 1 लाख लोग आए थे। और उन 1 लाख लोगों ने ये सारा देश देखा। तो उनको जो बाहर के हैं उनको लगता है, अच्छा ये देश ऐसा है। इतनी विविधताओं से भरा हुआ है। तो मैंने मेरे देश का ब्रांडिंग करने के लिए भी G-20 का उपयोग किया। विश्व के कोई नेता आते हैं मैं उनसे गंगा आरती करवाता हूं। उसमें मुझे क्या? मैं इनका हिंदू करण नहीं कर रहा हूं। मैं उनको प्रकृति के प्रति हमारा प्यार क्या है। हम प्रकृति के प्रति कितने समर्पित हैं। हम प्रकृति से संघर्ष करने वाले लोग नहीं हैं, हम प्रकृति का विनाश करने वाले लोग नहीं हैं, हम प्रकृति का संरक्षण करने वाले लोग हैं। हम प्रकृति का संवर्धन करने वाले लोग हैं। और दुनिया जो ग्लोबल वार्मिंग की चिंता करती है ना, मैं गंगा आरती कराकर के उनको सिखाता हूं कि ग्लोबल वार्मिंग की समस्या का समाधान प्रकृति के प्रति भक्ति में है।

 

चित्रा त्रिपाठी- और उसका असर भी हम सब लोगों ने देखा है। फिलहाल अलग-अलग हिस्सों से गुजरते हुए हम चले जा रहे हैं, आगे बाबा विश्वनाथ का वो धाम आ जाएगा जिसका कायाकल्प करने का काम आपकी ओर से किया गया और 70 हजार लोग एक बार आके वहां पर दर्शन कर सकते हैं। इतना भव्य बनाया गया है। तो बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद 400 पार के लिए मिल रहा है क्या?

पीएम मोदी- एक तो मेरा मूलतः ये फिलॉसफी, चिंतन है कि अब जैसे मेरे यहां गुजरात में जाएंगे तो वलसाड के दूर जंगलों में एक आदिवासी मंदिर है, आदिवासी लोग वहां आते हैं। मोगरा और समथिंग नाम है मैं भूल गया और लाखों लोग आते हैं। एक टॉयलेट नहीं, वो पेड़ के नीचे सोते थे तो मैंने सबसे पहला उसको रिनोवेट किया था। तब से मुझे लगा ये एक बड़ी ताकत है और एक प्रकार से आदिवासी समाज ने मुझे प्रेरणा दी। दूसरी एक घटना मेरे लिए बड़ी इमोशनल हो गई। मैं जब 2017 का यहां असेंबली का चुनाव था तो मेरा यहां काशी में रोड शो था और दूसरे दिन मेरी सोमनाथ में सोमनाथ ट्रस्ट की मीटिंग थी। तो मैं यहां काशी रोड शो करके रात को गुजरात जाकर के सोना था तो गांधीनगर गया। तो मैंने सोचा मेरी मां का... मेरे भाई कह रहे थे कि यहीं रास्ते में घर पड़ता है, तो मैंने कहा कि देर हो गई लेकिन मां के पैर छूकर के जाऊंगा। मां के पास गया और मां को मिलता था तो पहला सवाल रहता था 8:00 बजे सुबह मिलो तब भी, दोपहर को मिलो तो भी, रात को मिलो तब भी....खाना खाया ये पहला सवाल मां का। फिर कहां से आए हो। मैंने कहा मां मैं काशी से आया हूं। अच्छा तुम काशी गए थे, मेरे लिए आश्चर्य था उस समय उनकी उम्र 93-94 होगी। उन्होंने कहा कि तुम वो काशी विश्वनाथ जाते हो कि नहीं जाते हो? मैंने कहा मां तुम्हें काशी विश्वनाथ शब्द कैसे याद है? बोली नहीं मैं गई हूं। बोली 40-50 साल पहले गई थी तेरे पिताजी ले गए थे। तो बोली वही मंदिर ना जो लोगों के घरों में जैसे जाते हैं गलियों में... जैसे किसी घर में जा रहे हैं मिलने के लिए और फिर पता चलता है ये तो मंदिर है। तो बोली अभी भी ऐसा ही है क्या। मैंने कहा हां मां ऐसा ही है। तो बोली, तुम क्यों बैठे हो, क्या करते हो तुम। ये मुझे पूछा। मैंने कहा मैं वहीं से आ रहा हूं और तुम्हारे लिए प्रसाद देने आया हूं और मैंने कहा मुझे सुबह यहां से सोमनाथ जाना है। बोली वो तो मुझे बराबर याद है, बोली किसी के घर में जैसे गली में जाते हैं ऐसा है। मेरी मां पढ़ी लिखी नहीं थी। उनको ये विश्वनाथ याद रहना, उनको पूरा दृश्य याद रहना 40-50 साल के बाद। वैसे मेरी मां की मेमोरी बहुत शार्प थी आखरी तक मैंने देखा बहुत शार्प थी। तो एक और दूसरा मेरी मां के एक वाक्य मैं कभी भूल नहीं सकता और वही मां जब 100 साल की हुई और उनका 100 का जन्मदिन था। मैं मां के पैर छूने गया था। हम कभी जन्मदिन वगैरह तो मनाए नहीं जीवन में। तो मैंने मां को कहा मां मेरे लिए कुछ कहो तुम मैं क्या करूं? तो मेरी मां ने एक जो वाक्य कहा शायद बड़े-बड़े पंडितों के लिए भी बड़ा मुश्किल होगा। ज्यादा वो बोली नहीं उसने कहा देख भाई दो चीजें ध्यान रख, अच्छा इसके साथ मैं एक और बात कहता हूं। पहली बार जब मेरा मुख्यमंत्री बनना तय हुआ, तो मैं दिल्ली से गुजरात गया तो मैंने सोचा पहले मां को मिलके बताऊं कि मेरी नौकरी बदल रही है। तो मैं गया मां को कहा मैं गुजरात आ रहा हूं।

 

चित्रा त्रिपाठी- आपने कहा नौकरी बदल रही है?

पीएम मोदी- मैं मां के पास गया। मैंने कहा मां मैं गुजरात... अच्छा अच्छा तुम गुजरात आ जाओगे? तो उनकी खुशी यही थी कि मैं गुजरात आ रहा हूं। फिर मैंने कहा मुझे ऐसा एक काम मिला है कि मैं काम करूं। अच्छा तो बोले एक काम देखना। गुजराती में शब्द है लाच, रिश्वत के लिए बोलते हैं। बोली देखिए दो काम जरूर करो, लाच लेना नहीं और गरीब को भूलना नहीं। ये दो बातें कही। 100 साल के उम्र के समय इतने साल मुख्यमंत्री, इतने साल प्रधानमंत्री रहने के बाद गया। तो मां को मैं मिलने गया 100 साल की उम्र में। मैंने कहा मां आज 100 का जन्मदिन है मुझे भी तो कुछ आप आदेश दीजिए। तो मां ने कहा देखो भाई दो काम संभाल के करो। मैंने कहा क्या? एक, काम करो बुद्धि से। जीवन जियो शुद्धि से। तो मैंने मेरे भतीजे को कहा, टैप कर लो। ये वाक्य कोई कवि भी नहीं निकाल सकता है। तो ये दोनों चीजें मैं जोड़ के देखता हूं कि उनके अंदर एक सातत्य था, एक विरक्त भाव था, और वो अपने बेटे को अपनी पर्सनल प्रॉपर्टी कभी मानती नहीं थी, पर्सनल प्रॉपर्टी कभी नहीं माना उसने। वो मान के चली कि ठीक है मैंने जन्म दिया है।

 

चित्रा त्रिपाठी- देश के लिए काम करेंगे?

पीएम मोदी- अब देखिए मैं गांधीनगर में रहता था। मेरी मां 2 किलोमीटर दूर एक कमरे वाले घर में रहती थी। मैंने कहा यहां आकर के अगर तुम रहोगी तो रह सकती हो। मेरे यहां सरकारी मकान है, कमरा है। उसने कहा मैं तो रह लूंगी तेरे काम का क्या होगा? मैं तेरे काम को बिगाड़ने के लिए नहीं हूं और वो नहीं आई यानि उनके मन में रहता था कि उसका बेटा अपने दायित्व को पूरा करे।

 

चित्रा त्रिपाठी- हां बिलकुल, और मां के जीवन की अमिट छाप आप पर दिखाई भी देती है। और मौजूदा वक्त में हम सब जानते हैं कि मां-बहनों का प्यार दुलार आपको कितना मिलता है। कहीं भी आप जाते हैं बड़े-बड़े होर्डिंग्स और पोस्टर लेकर लोग आ जाते हैं। आंसुओं की बौछार सी हो जाती है जब मां-बहनें आपको अपने पास देखती हैं तो। इसका इंपैक्ट किस तरह से देख रहे हैं और मुझे लगता है कुछ ऐसे राजनीतिक सवाल मैं जरूर करूं क्योंकि आपके विरोधियों के बड़े सारे सवाल हैं आपके लिए। तो मैं अब आ जाती हूं उत्तर प्रदेश में हम हैं आपने भव्य रोड शो कर लिया है और यूपी की 2014 में 71 सीटें हमने देखी थी, आपने जीती थी 2014 में। 62 सीटें 2019 में जीती थी। अब 2024 के लिए क्या है लक्ष्य उत्तर प्रदेश को लेकर आपका?

पीएम मोदी- हम 400 पार के लक्ष्य को लेकर के चल रहे हैं। और ये 400 पार ये देश ने कहा है हमको करने के लिए। और मेरी भावना और देश के आदेश के बीच बराबर से ट्यूनिंग है। उत्तर प्रदेश तो खैर हमें भरपूर आशीर्वाद देगा ही देगा। कोई कमी नहीं रहने देगा, कांग्रेस का खाता भी नहीं खुलेगा।

 

चित्रा त्रिपाठी- यहां पे खाता भी नहीं खुलेगा कांग्रेस का?

पीएम मोदी- कांग्रेस का खाता भी नहीं खुलेगा।

 

चित्रा त्रिपाठी- रायबरेली से तो राहुल गांधी मैदान में हैं।

पीएम मोदी- वो मीडिया के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण परिवार है और मीडिया के लोग उस परिवार को बहुत संभाल भी रहे हैं और शायद उनकी कुछ मजबूरियां रही होंगी पिछले 7-8 साल में तो वो संभालें। मुझे उसके लिए कुछ कहना नहीं है। मैं तो जमीन का आदमी हूं गरीब मां का बेटा हूं।

 

चित्रा त्रिपाठी- और ये भी कह रहे हैं आप 40 सीटों के आसपास रहेगी कांग्रेस तो क्या दक्षिण भारत से उसका सूपड़ा साफ होने जा रहा है मतलब राजनीतिक पंडित इस तरह के सवाल पूछ रहे हैं।

पीएम मोदी- मैं साफ मानता हूं वो वायनाड क्यों छोड़ना पड़ा उनको? क्यों भागना पड़ा? वो पराजय देख चुके हैं और वायनाड से भागने के बाद रायबरेली आने के निर्णय के पहले उन्होंने अपनी भाषा टोन बहुत ही तीखा कर दिया है और अनाप-शनाप चीजें बोल रहे हैं। तो केरल ने उनको बहुत सबक सिखा दिया है। केरल शायद उनको पहचान गया है। उत्तर प्रदेश के लोगों ने हमेशा चलो भाई बड़े उदार चरित लोग हैं यहां के तो उन्होंने चलाया अब वो कहते तुम हमें दगा दे कर के भाग गए थे। चलो भाई अमेठी से हार गए एक बार भी आए थे क्या? मान ली हार गए एक बार भी आए थे क्या?

 

चित्रा त्रिपाठी- यहां सपा के साथ है वो?

पीएम मोदी- ऐसा है किसके साथ हैं वो, पहले भी सपा, बसपा, कांग्रेस तीनों निकल चुके थे। ये दो नौजवान भी पहले रील उतारते थे ट्रक पर चढ़ कर के काली बंडी, जैकेट पहन कर के। लेकिन उत्तर प्रदेश की जनता इन दोनों को पहचान गई है और उत्तर प्रदेश की जनता ये परिवारवाद को स्वीकार नहीं कर सकती अब। उसने देखा है कि एक अल्टरनेट मॉडल है, जो उत्तर प्रदेश के जीवन को बदल पाता है और योगी जी के नेतृत्व में चीज हुई है। परिवर्तन आया है और उसका असर है और मुझे याद है जब मेरी मां ने मुझे कहा था ना काशी का तो मैंने कहा मां मैं कुछ नहीं कर पाया क्योंकि यहां सपा की सरकार है तो उनको मालूम नहीं था सपा क्या होता है लेकिन मैंने ये चुनाव में हम जीतेंगे। उसके बाद मैं कर पाऊंगा क्योंकि हमें मालूम है तो लोगों को पता है भई हां बीजेपी की सरकार होना दिल्ली में बीजेपी की सरकार होना उत्तर प्रदेश का सबसे उत्तम भाग्य है।

 

चित्रा त्रिपाठी- आप योगी जी की तारीफ कर रहे हैं कि वो बहुत अच्छा काम कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के लिए?

पीएम मोदी- मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसी टीम मिली है हर राज्य में चाहे विपक्ष में हो तो भी और सरकार में हो तो भी, चाहे मुख्यमंत्री हो तो भी चाहे मंत्री हो तो भी, हर कोई सिद्धांतों के आधार पर मूल्यों के आधार पर जी जान से जुटे रहते हैं। तो मेरे लिए गर्व की बात है कि मेरे पास ऐसे सैकड़ों होनहार लोग हैं।

 

चित्रा त्रिपाठी- महाराष्ट्र और बंगाल क्या चैलेंज बनेगा बीजेपी के लिए और महाराष्ट्र में शरद पवार जी का बयान आया है उन्होंने कहा है कि छोटी-छोटी पार्टियां कांग्रेस में आगामी वक्त में विलय कर लेंगी उनके बयान को कैसे देखते हैं आप?

पीएम मोदी- देखिए उनका बयान आया बारामती के चुनाव के बाद। और शरद पवार का बयान है तो मतलब उसमें कोई न कोई महत्व है। और मैं पक्का मानता हूं शरद पवार मान चुके हैं कि मान्य विपक्ष बनना भी संभव नहीं है कांग्रेस के लिए। और इसलिए छोटी-छोटी पार्टी अगर मर्ज कर देती हैं तो हो सकता है मान्य विपक्ष के लिए जो नंबर चाहिए वो उनको मिल जाएगा और इसलिए वो मान्य विपक्ष की दिशा में जाना चाहते हैं और इसलिए शायद वो इस बात में लगे हुए हैं कि मान्य विपक्ष बनाने के लिए इन सबको मर्ज कर दिया जाए।

 

चित्रा त्रिपाठी- मुझे पता है बहुत कड़ी धूप है लेकिन छोटे-छोटे जल्दी-जल्दी और सवाल कर लेती हूं।

पीएम मोदी- धूप मेरी जिंदगी में बहुत बड़ा वो नहीं रखती है क्योंकि मैंने जिंदगी इसी प्रकार से जी है। मैं सुख वैभव में कभी जिया नहीं हूं।

 

चित्रा त्रिपाठी- इतनी ताकत कहां से आती है। मैं देखती हूं सुबह-सुबह आपका कार्यक्रम शुरू हो जाता है। अलग-अलग जगहों पर जाकर आप रैली को संबोधित करते हैं। फिर शाम को रोड शो करते हैं फिर रात में मीटिंग करते हैं। इतनी जो ताकत हैं वो कहां से आती है?

पीएम मोदी- इसके सैकड़ों कारण हो सकते हैं लेकिन मैं जो कन्वींस हो चुका हूं, मैं खुद कन्वींस हो चुका हूं। मुझे दुनिया को कन्वींस करने की जरूरत नहीं है। परमात्मा ने मुझे भेजा है, परमात्मा ने मेरे से काम लेना तय किया है। ये ऊर्जा भी परमात्मा देता है, प्रेरणा भी परमात्मा देता है, पुरुषार्थ करने की दिशा भी परमात्मा देता है, ये सब कुछ ऊपर वाले की कृपा है।

 

चित्रा त्रिपाठी- इसीलिए राम मंदिर का निर्माण आपने करवाया और उसके बाद वहां पर रामलला की भव्य प्राण प्रतिष्ठा हुई?

पीएम मोदी- राम मंदिर का निर्माण मोदी ने करवाया ऐसा दावा करना गलत होगा। 500 साल तक एक संकल्प को लेकर ये देश जिया है। अनेकों पीढ़ियों ने बलिदान दिया है। अगर इसका श्रेय जाता है तो 500 साल तक तपस्या करने वाले, संघर्ष करने वाले, बलिदान करने वाले, मेरे देश के सभी महापुरुषों को, मेरे देश के जन जनार्दन को, इसका श्रेय जाता है। लेकिन परमात्मा ने और जनता ने मुझे निमित्त बनाया शायद वो ईश्वर की कृपा है।

 

चित्रा त्रिपाठी- चुनाव में मुद्दा रहेगा राम मंदिर का?

पीएम मोदी- चुनाव में राम मंदिर पहले भी मुद्दा नहीं था। आज भी नहीं है, भविष्य में नहीं रहेगा। राम मंदिर श्रद्धा का मुद्दा है। जिन्होंने राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकरा दिया उनको डर लगता है कि अब ये पाप हमें मार देगा। वो चिंता में हैं।

 

चित्रा त्रिपाठी- आप जिस आत्मविश्वास के साथ अपनी बात कहते हैं, यहां पर एक दो जल्दी-जल्दी से सवाल और मैं पूछूंगी। ये आत्मविश्वास आपने कहा कि जनता जनार्दन का प्यार मिलता है। परीक्षा पे चर्चा हमने अक्सर आपकी देखी है। अभी परीक्षा चल रही है 378 सीटों पर चुनाव गुजर चुके हैं। हर चुनाव में आप इस देश का एजेंडा तय करते हैं। तो अब जो तीन चरण के चुनाव हैं उसके लिए क्या है एजेंडा आपका?

पीएम मोदी- कल ही 10वीं और 12वीं की परीक्षा के परिणाम आए हैं और जो उत्तीर्ण हुए हैं, उनको मेरी बहुत शुभकामनाएं हैं। और जो उत्तीर्ण होने में थोड़े पीछे रह गए हैं मैं उनके लिए कहूंगा कि निराश मत होना जीवन में। यही सब कुछ नहीं होता है और इसलिए मैं दसवीं 12वीं के सभी बच्चों को और उनके माता-पिता को भी कहूंगा कि आप उनका हौसला बुलंद कीजिए। जहां तक मेरा सवाल है मैं इसे मेरी कसौटी नहीं मानता। ये जनता जनार्दन खुद को कस रही है। जनता सोच रही है कि हम ऐसा क्या करें ताकि मोदी दुनिया में भारत की साख और बढ़ाए। हम ऐसे मोदी को कितना मजबूत करें, ताकि मोदी कभी थके नहीं, रुके नहीं, झुके नहीं, तो जनता जनार्दन उन्होंने जो 400 पार का संकल्प लिया है उसकी पूर्ति के लिए जनता-जनार्दन जी जान से जुटी हुई है।

 

चित्रा त्रिपाठी- अब मैं आ जाती हूं, आपने कहा कि लोग ही इसके लिए तैयारी कर रहे हैं, कुछ अंतरराष्ट्रीय मुद्दों दुनिया की आपने बात कही है। अब बड़ा सवाल ये है कल जब मैं रोड शो कवर कर रही थी, आप अलग-अलग हिस्सों से आगे की ओर बढ़ रहे थे उस दौरान रूस से लौटे हुए कुछ छात्रों से मेरी मुलाकात हुई जो आपके प्रति अपने बड़े इमोशंस के साथ भावनाएं प्रकट कर रहे थे। ये जो रूस यूक्रेन वॉर के दौरान छात्रों को बाहर लेकर आने को लेकर यहां पर अक्सर विपक्षी दल आप पर निशाना साधते रहते हैं तो कैसे उनको जवाब देंगे? कैसे ये संभव हो पाया था, क्या किया था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने?

पीएम मोदी- मैं समझता हूं कि इसकी गहराइयां मेरे विदेश मंत्री जी ने बहुत डिटेल में कह दी है और मैं बार-बार क्रेडिट ले रहा हूं, ऐसी कोशिश हो कोई माने इसलिए मेरा मौन रहना ही अच्छा है। मैं खुश हूं कि कम से कम जो विद्यार्थी वापस आए उनको पता है कि कैसे आए, उनके मां-बाप को पता है कैसे आए, देशवासियों को पता है कैसे आए, मेरे लिए वही काफी है। मुझे अपने शब्दों में क्या कहने की जरूरत है।

 

चित्रा त्रिपाठी- यहां पर पाकिस्तान का आपने जिक्र किया था जिसके बाद बहुत ज्यादा चर्चा हुई थी चूड़ियां पहनाने को लेकर, उस पर क्या कहेंगे प्रधानमंत्री जी आप? देश से लेकर विदेश तक उसकी चर्चा हो रही थी।

पीएम मोदी- ऐसा है उनको पूछना चाहिए, उनको पूछना चाहिए।

 

चित्रा त्रिपाठी- 400 पार का आप नारा दे रहे हैं और जी-7 से जो इटली में होने जा रहा है 4 तारीख को जब यहां रिजल्ट आ जाएगा जून तो उसके बाद है।

पीएम मोदी- मुझे ऑलरेडी निमंत्रण आ चुका है और मैं कार्यक्रम बना रहा हूं।

 

चित्रा त्रिपाठी- तो आप जाएंगे वहां पर?

पीएम मोदी- जी हां, शपथ समारोह हो कर के मेरा जाना हो जाएगा।

 

चित्रा त्रिपाठी- और अबकी बार 400 पार ये नारा बिल्कुल कायम है?

पीएम मोदी- ये नारा नहीं है। ये देश की जनता का संकल्प है इसको नारा मत मानिए।

चित्रा त्रिपाठी- जी...

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December 18, 2025

नमस्ते!
अहलन व सहलन !!!

ये युवा जोश आपकी एनर्जी यहां का पूरा atmosphere चार्ज हो गया है। मैं उन सब भाई बहनों को भी नमस्कार करता हूँ, जो जगह की कमी के कारण, इस हॉल में नहीं हैं, और पास के हॉल में स्क्रीन पर यह प्रोग्राम लाइव देख रहें हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं, कि यहाँ तक आएं और अंदर तक नहीं आ पाएं तोह उनके दिल में क्या होता होगा।

साथियों,

मैं मेरे सामने एक मिनी इंडिया देख रहा हूं, मुझे लगता है यहां बहुत सारे मलयाली भी हैं।

सुखम आणो ?

औऱ सिर्फ मलयालम नहीं, यहां तमिल, तेलुगू, कन्नड़ा और गुजराती बोलने वाले बहुत सारे लोग भी हैं।

नलमा?
बागुन्नारा?
चेन्ना-गिद्दिरा?
केम छो?

साथियों,

आज हम एक फैमिली की तरह इकट्ठा हुए हैं। आज हम अपने देश को, अपनी टीम इंडिया को सेलिब्रेट कर रहे हैं।

साथियों,

भारत में हमारी diversity, हमारी संस्कृति का मजबूत आधार है। हमारे लिए हर दिन एक नया रंग लेकर आता है। हर मौसम एक नया उत्सव बन जाता है। हर परंपरा एक नई सोच के साथ आती है।

और यही कारण है कि हम भारतीय कहीं भी जाएं, कहीं भी रहें, हम diversity का सम्मान करते हैं। हम वहां के कल्चर, वहां के नियम-कायदों के साथ घुलमिल जाते हैं। ओमान में भी मैं आज यही होते हुए अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं।

यह भारत का डायस्पोरा co-existence का, co-operation का, एक लिविंग Example बना हुआ है।

साथियों,

भारत की इसी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का एक और अद्भुत सम्मान हाल ही में मिला है। आपको शायद पता होगा, यूनेस्को ने दिवाली को Intangible Cultural Heritage of Humanity में शामिल किया है।

अब दिवाली का दिया हमारे घर को ही नहीं, पूरी दुनिया को रोशन करेगा। यह दुनिया भर में बसे प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का विषय है। दिवाली की यह वैश्विक पहचान हमारी उस रोशनी की मान्यता है, जो आशा, सद्भाव, और मानवता के संदेश को, उस प्रकाश को फैलाती है।

साथियों,

आज हम सब यहां भारत-ओमान "मैत्री पर्व” भी मना रहे हैं।

मैत्री यानि:
M से maritime heritage
A से Aspirations
I से Innovation
T से Trust and technology
R से Respect
I से Inclusive growth

यानि ये "मैत्री पर्व,” हम दोनों देशों की दोस्ती, हमारी शेयर्ड हिस्ट्री, और prosperous future का उत्सव हैं। भारत और ओमान के बीच शताब्दियों से एक आत्मीय और जीवंत नाता रहा है।

Indian Ocean की Monsoon Winds ने दोनों देशों के बीच ट्रेड को दिशा दी है। हमारे पूर्वज लोथल, मांडवी, और तामरालिप्ति जैसे पोर्ट्स से लकड़ी की नाव लेकर मस्कट, सूर, और सलालाह तक आते थे।

और साथियों,

मुझे खुशी है कि मांडवी टू मस्कट के इन ऐतिहासिक संबंधों को हमारी एंबेसी ने एक किताब में भी समेटा है। मैं चाहूंगा कि यहां रहने वाला हर साथी, हर नौजवान इसको पढ़े, और अपने ओमानी दोस्तों को भी ये गिफ्ट करे।

अब आपको लगेगा की स्कूल में भी मास्टरजी होमवर्क देते हैं, और इधर मोदीजी ने भी होमवर्क दे दिया।

साथियों,

ये किताब बताती है कि भारत और ओमान सिर्फ Geography से नहीं, बल्कि Generations से जुड़े हुए हैं। और आप सभी सैकड़ों वर्षों के इन संबंधों के सबसे बड़े Custodians हैं।

साथियों,

मुझे भारत को जानिए क्विज़ में ओमान के participation बारे में भी पता चला है। ओमान से Ten thousand से अधिक लोगों ने इस क्विज में participate किया। ओमान, ग्लोबली फोर्थ पोज़िशन पर रहा है।

लेकिन में तालियां नहीं बजाऊंगा। ओमान तो नंबर एक पे होना चाहिए। मैं चाहूँगा कि ओमान की भागीदारी और अधिक बढ़े, ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोग जुड़ें। भारतीय बच्चे तो इसमें भाग ज़रूर लें। आप ओमान के अपने दोस्तों को भी इस क्विज़ का हिस्सा बनने के लिए मोटिवेट करें।

साथियों,

भारत और ओमान के बीच जो रिश्ता ट्रेड से शुरू हुआ था, आज उसको education सशक्त कर रही है। मुझे बताया गया है कि यहां के भारतीय स्कूलों में करीब फोर्टी सिक्स थाउज़ेंड स्टूड़ेंट्स पढ़ाई कर रहे हैं। इनमें ओमान में रहने वाले अन्य समुदायों के भी हज़ारों बच्चे शामिल हैं।

ओमान में भारतीय शिक्षा के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। ये हम दोनों देशों के संबंधों का एक बहुत बड़ा पड़ाव है।

साथियों,

भारतीय स्कूलों की ये सफलता His Majesty the Late सुल्तान क़ाबूस के प्रयासों के बिना संभव नहीं थी। उन्होंने Indian School मस्कत सहित अनेक भारतीय स्कूलों के लिए ज़मीन दी हर ज़रूरी मदद की।

इस परंपरा को His Majesty सुल्तान हैथम ने आगे बढ़ाया।

वे जिस प्रकार यहां भारतीयों का सहयोग करते हैं, संरक्षण देते हैं, इसके लिए मैं उनका विशेष तौर पर आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

आप सभी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम से भी परिचित हैं। यहां ओमान से काफी सारे बच्चे भी इस प्रोग्राम से जुड़ते हैं। मुझे यकीन है, कि यह चर्चा आपके काम आती होगी, पैरेंट्स हों या स्टूडेंट्स, सभी को stress-free तरीके से exam देने में हमारी बातचीत बहुत मदद करती है।

साथियों,

ओमान में रहने वाले भारतीय अक्सर भारत आते-जाते रहते हैं। आप भारत की हर घटना से अपडेट रहते हैं। आप सभी देख रहे हैं कि आज हमारा भारत कैसे प्रगति की नई गति से आगे बढ़ रहा है। भारत की गति हमारे इरादों में दिख रही है, हमारी परफॉर्मेंस में नज़र आती है।

कुछ दिन पहले ही इकॉनॉमिक ग्रोथ के आंकड़े आए हैं, और आपको पता होगा, भारत की ग्रोथ 8 परसेंट से अधिक रही है। यानि भारत, लगातार दुनिया की Fastest growing major economy बना हुआ है। ये तब हुआ है, जब पूरी दुनिया चुनौतियों से घिरी हुई है। दुनिया की बड़ी-बड़ी economies, कुछ ही परसेंट ग्रोथ अचीव करने के लिए तरस गई हैं। लेकिन भारत लगातार हाई ग्रोथ के पथ पर चल रहा है। ये दिखाता है कि भारत का सामर्थ्य आज क्या है।

साथियों,

भारत आज हर सेक्टर में हर मोर्चे पर अभूतपूर्व गति के साथ काम कर रहा है। मैं आज आपको बीते 11 साल के आंकड़े देता हूं। आपको भी सुनकर गर्व होगा।

यहां क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में, स्टूडेंट्स और पेरेंट्स आए हैं, तो शुरुआत मैं शिक्षा और कौशल के सेक्टर से ही बात करुंगा। बीते 11 साल में भारत में हज़ारों नए कॉलेज बनाए गए हैं।

I.I.T’s की संख्या सोलह से बढ़कर तेईस हो चुकी है। 11 वर्ष पहले भारत में 13 IIM थे, आज 21 हैं। इसी तरह AIIMs की बात करुं तो 2014 से पहले सिर्फ 7 एम्स ही बने थे। आज भारत में 22 एम्स हैं।

मेडिकल कॉलेज 400 से भी कम थे, आज भारत में करीब 800 मेडिकल कॉलेज हैं।

साथियों,

आज हम विकसित भारत के लिए अपने एजुकेशन और स्किल इकोसिस्टम को तैयार कर रहे हैं। न्यू एजुकेशन पॉलिसी इसमें बहुत बड़ी भूमिका निभा रही है। इस पॉलिसी के मॉडल के रूप में चौदह हज़ार से अधिक पीएम श्री स्कूल भी खोले जा रहे हैं।

साथियों,

जब स्कूल बढ़ते हैं, कॉलेज बढ़ते हैं, यूनिवर्सिटीज़ बढ़ती हैं तो सिर्फ़ इमारतें नहीं बनतीं देश का भविष्य मज़बूत होता है।

साथियों,

भारत के विकास की स्पीड और स्केल शिक्षा के साथ ही अन्य क्षेत्रों में भी दिखती है। बीते 11 वर्षों में हमारी Solar Energy Installed Capacity 30 गुना बढ़ी है, Solar module manufacturing 10 गुना बढ़ी है, यानि भारत आज ग्रीन ग्रोथ की तरफ तेजी से कदम आगे बढ़ा रहा है।

आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा फिनटेक इकोसिस्टम है। दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा Steel Producer है। दूसरा सबसे बड़ा Mobile Manufacturer है।

साथियों,

आज जो भी भारत आता है तो हमारे आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को देखकर हैरान रह जाता है। ये इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि बीते 11 वर्षों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर पांच गुना अधिक निवेश किया है।

Airports की संख्या double हो गई है। आज हर रोज, पहले की तुलना में डबल स्पीड से हाइवे बन रहे हैं, तेज़ गति से रेल लाइन बिछ रही हैं, रेलवे का इलेक्ट्रिफिकेशन हो रहा है।

साथियों,

ये आंकड़े सिर्फ उपलब्धियों के ही नहीं हैं। ये विकसित भारत के संकल्प तक पहुंचने वाली सीढ़ियां हैं। 21वीं सदी का भारत बड़े फैसले लेता है। तेज़ी से निर्णय लेता है, बड़े लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ता है, और एक तय टाइमलाइन पर रिजल्ट लाकर ही दम लेता है।

साथियों,

मैं आपको गर्व की एक और बात बताता हूं। आज भारत, दुनिया का सबसे बड़ा digital public infrastructure बना रहा है।

भारत का UPI यानि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस, दुनिया का सबसे बड़ा रियल टाइम डिजिटल पेमेंट सिस्टम है। आपको ये बताने के लिए कि इस पेमेंट सिस्टम का स्केल क्या है, मैं एक छोटा सा Example देता हूं।

मुझे यहाँ आ कर के करीब 30 मिनट्स हुए हैं। इन 30 मिनट में भारत में यूपीआई से फोर्टीन मिलियन रियल टाइम डिजिटल पेमेंट्स हुए हैं। इन ट्रांजैक्शन्स की टोटल वैल्यू, ट्वेंटी बिलियन रुपीज़ से ज्यादा है। भारत में बड़े से बड़े शोरूम से लेकर एक छोटे से वेंडर तक सब इस पेमेंट सिस्टम से जुड़े हुए हैं।

साथियों,

यहां इतने सारे स्टूडेंट्स हैं। मैं आपको एक और दिलचस्प उदाहरण दूंगा। भारत ने डिजीलॉकर की आधुनिक व्यवस्था बनाई है। भारत में बोर्ड के एग्ज़ाम होते हैं, तो मार्कशीट सीधे बच्चों के डिजीलॉकर अकाउंट में आती है। जन्म से लेकर बुढ़ापे तक, जो भी डॉक्युमेंट सरकार जेनरेट करती है, वो डिजीलॉकर में रखा जा सकता है। ऐसे बहुत सारे डिजिटल सिस्टम आज भारत में ease of living सुनिश्चित कर रहे हैं।

साथियों,

भारत के चंद्रयान का कमाल भी आप सभी ने देखा है। भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है, जो मून के साउथ पोल तक पहुंचा है, सिर्फ इतना ही नहीं, हमने एक बार में 104 सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च करने का कीर्तिमान भी बनाया है।

अब भारत अपने गगनयान से पहला ह्युमेन स्पेस मिशन भी भेजने जा रहा है। और वो समय भी दूर नहीं जब अंतरिक्ष में भारत का अपना खुद का स्पेस स्टेशन भी होगा।

साथियों,

भारत का स्पेस प्रोग्राम सिर्फ अपने तक सीमित नहीं है, हम ओमान की स्पेस एस्पिरेशन्स को भी सपोर्ट कर रहे हैं। 6-7 साल पहले हमने space cooperation को लेकर एक समझौता किया था। मुझे बताते हुए खुशी है कि, ISRO ने India–Oman Space Portal विकसित किया है। अब हमारा प्रयास है कि ओमान के युवाओं को भी इस स्पेस पार्टनरशिप का लाभ मिले।

मैं यहां बैठे स्टूडेंट्स को एक और जानकारी दूंगा। इसरो, "YUVIKA” नाम से एक स्पेशल प्रोग्राम चलाता है। इसमें भारत के हज़ारों स्टूडेंट्स space science से जुड़े हैं। अब हमारा प्रयास है कि इस प्रोग्राम में ओमानी स्टूडेंट्स को भी मौका मिले।

मैं चाहूंगा कि ओमान के कुछ स्टूडेंट्स, बैंगलुरु में ISRO के सेंटर में आएं, वहां कुछ समय गुज़ारें। ये ओमान के युवाओं की स्पेस एस्पिरेशन्स को नई बुलंदी देने की बेहतरीन शुरुआत हो सकती है।

साथियों,

आज भारत, अपनी समस्याओं के सोल्यूशन्स तो खोज ही रहा है ये सॉल्यूशन्स दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन कैसे बेहतर बना सकते हैं इस पर भी काम कर रहा है।

software development से लेकर payroll management तक, data analysis से लेकर customer support तक अनेक global brands भारत के टैलेंट की ताकत से आगे बढ़ रहे हैं।

दशकों से भारत IT और IT-enabled services का global powerhouse रहा है। अब हम manufacturing को IT की ताक़त के साथ जोड़ रहे हैं। और इसके पीछे की सोच वसुधैव कुटुंबकम से ही प्रेरित है। यानि Make in India, Make for the World.

साथियों,

वैक्सीन्स हों या जेनरिक medicines, दुनिया हमें फार्मेसी of the World कहती है। यानि भारत के affordable और क्वालिटी हेल्थकेयर सोल्यूशन्स दुनिया के करोड़ों लोगों का जीवन बचा रहे हैं।

कोविड के दौरान भारत ने करीब 30 करोड़ vaccines दुनिया को भेजी थीं। मुझे संतोष है कि करीब, one hundred thousand मेड इन इंडिया कोविड वैक्सीन्स ओमान के लोगों के काम आ सकीं।

और साथियों,

याद कीजिए, ये काम भारत ने तब किया, जब हर कोई अपने बारे में सोच रहा था। तब हम दुनिया की चिंता करते थे। भारत ने अपने 140 करोड़ नागरिकों को भी रिकॉर्ड टाइम में वैक्सीन्स लगाईं, और दुनिया की ज़रूरतें भी पूरी कीं।

ये भारत का मॉडल है, ऐसा मॉडल, जो twenty first century की दुनिया को नई उम्मीद देता है। इसलिए आज जब भारत मेड इन इंडिया Chips बना रहा है, AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर मिशन मोड पर काम कर रहा है, तब दुनिया के अन्य देशों में भी उम्मीद जगती है, कि भारत की सफलता से उन्हें भी सहयोग मिलेगा।

साथियों,

आप यहां ओमान में पढ़ाई कर रहे हैं, यहां काम कर रहे हैं। आने वाले समय में आप ओमान के विकास में, भारत के विकास में बहुत बड़ी भूमिका निभाएंगे। आप दुनिया को लीडरशिप देने वाली पीढ़ी हैं।

ओमान में रहने वाले भारतीयों को असुविधा न हो, इसके लिए यहां की सरकार हर संभव सहयोग दे रही है।

भारत सरकार भी आपकी सुविधा का पूरा ध्यान रख रही है। पूरे ओमान में 11 काउंसलर सर्विस सेंटर्स खोले हैं।

साथियों,

बीते दशक में जितने भी वैश्विक संकट आए हैं, उनमें हमारी सरकार ने तेज़ी से भारतीयों की मदद की है। दुनिया में जहां भी भारतीय रहते हैं, हमारी सरकार कदम-कदम पर उनके साथ है। इसके लिए Indian Community Welfare Fund, मदद पोर्टल, और प्रवासी भारतीय बीमा योजना जैसे प्रयास किए गए हैं।

साथियों,

भारत के लिए ये पूरा क्षेत्र बहुत ही स्पेशल है, और ओमान हमारे लिए और भी विशेष है। मुझे खुशी है कि भारत-ओमान का रिश्ता अब skill development, digital learning, student exchange और entrepreneurship तक पहुंच रहा है।

मुझे विश्वास है आपके बीच से ऐसे young innovators निकलेंगे जो आने वाले वर्षों में India–Oman relationship को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे। अभी यहां भारतीय स्कूलों ने अपने 50 साल celebrate किए हैं। अब हमें अगले 50 साल के लक्ष्यों के साथ आगे बढ़ना है। इसलिए मैं हर youth से कहना चाहूंगा :

Dream big.
Learn deeply.
Innovate boldly.

क्योंकि आपका future सिर्फ आपका नहीं है, बल्कि पूरी मानवता का भविष्य है।

आप सभी को एक बार फिर उज्जवल भविष्य की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद!
Thank you!