प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत न केवल अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित कर रहा है, बल्कि साइंस, टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में भी उल्लेखनीय प्रगति कर रहा है। इस प्रतिबद्धता के अनुरूप, सरकार ने निजी क्षेत्र के नेतृत्व वाले रिसर्च, डेवलपमेंट और इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए ₹20,000 करोड़ आवंटित किए हैं - जो एक अभूतपूर्व कदम है।
इस पहल के तहत, सरकार अगली पीढ़ी के स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करके समर्थन देने के लिए ‘डीप टेक फंड ऑफ फंड्स’ शुरू कर रही है। यह रणनीतिक निर्णय भारत को तकनीकी प्रगति के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने और अत्याधुनिक क्षेत्रों में देश की आत्मनिर्भरता को मजबूत करने में मदद करेगा।
शोध को और बढ़ावा देने के लिए, पीएम रिसर्च फेलोशिप योजना अगले पांच वर्षों में आईआईटी और आईआईएससी जैसे प्रमुख संस्थानों में उन्नत अध्ययन का समर्थन करने के लिए 10,000 फेलोशिप प्रदान करेगी। इस महत्वपूर्ण निवेश का उद्देश्य तकनीकी सफलताओं और इनोवेशन को बढ़ावा देना है।
खाद्य और पोषण सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए सरकार ने भारत के दूसरे जीन बैंक की स्थापना की घोषणा की है, जिसमें 10 लाख जर्मप्लाज्म लाइनें शामिल हैं। यह पहल न केवल कृषि स्थिरता को बढ़ाएगी बल्कि जलवायु परिवर्तन से संबंधित चुनौतियों और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में भी मदद करेगी।
बजट में National Geospatial Mission की भी शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य महत्वपूर्ण Geospatial इंफ्रास्ट्रक्चर और डेटा फ्रेमवर्क का विकास करना है, जिससे मानचित्रण, रसद और शहरी नियोजन में प्रगति संभव हो सके।
पिछले एक दशक में प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंच पर भारत की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को उभारने के लिए सक्रिय रूप से काम किया है। विरासत संरक्षण के लिए टेक्नोलॉजी का लाभ उठाते हुए, सरकार ने अब ‘ज्ञान भारतम मिशन’ शुरू करने की प्रतिबद्धता जताई है, जो शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहकर्ताओं के सहयोग से 1 करोड़ से अधिक प्राचीन पांडुलिपियों का दस्तावेजीकरण, डिजिटलीकरण और संरक्षण करने की एक राष्ट्रव्यापी पहल है।
छात्रों में वैज्ञानिक सोच विकसित करने के प्रयास में, सरकार ने अगले पांच वर्षों में स्कूलों में 50,000 अटल टिंकरिंग लैब स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इसके अतिरिक्त, भारतनेट परियोजना के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों के सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी मिलेगी।
इन पहलों का प्रभाव स्पष्ट है - आईआईटी में छात्र नामांकन 2014 में 65,000 से दोगुना होकर 2024 में 1.35 लाख हो गया है, जो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा को और बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ‘भारतीय भाषा पुस्तक पहल’ शुरू की है, जो उच्च शिक्षा और स्कूलों के लिए भारतीय भाषाओं में डिजिटल पुस्तकों की उपलब्धता को सुगम बनाएगी। इसके अतिरिक्त, वैश्विक विशेषज्ञों के सहयोग से, युवाओं को ‘मेक फॉर इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ पहल के लिए आवश्यक कौशल से लैस करने के लिए कौशल विकास में उत्कृष्टता के लिए पाँच राष्ट्रीय केंद्र स्थापित किए जाएँगे। ये केंद्र पाठ्यक्रम डिजाइन, प्रशिक्षक प्रशिक्षण, प्रमाणन रूपरेखा और आवधिक समीक्षा पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बजट में एआई उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। इसके अलावा, भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है।
सरकार छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (SMRs) के रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए 20,000 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ ‘परमाणु ऊर्जा मिशन’ भी शुरू कर रही है। इसका लक्ष्य 2033 तक पाँच स्वदेशी एसएमआर विकसित करना है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा को महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़ाएगा।
बजट 2025 भारत के विकास के अगले चरण की नींव रखता है, यह सुनिश्चित करता है कि इनोवेशन और टेक्नोलॉजी राष्ट्रीय विकास में सबसे आगे रहें। इन साहसिक कदमों के साथ, 2047 तक विकसित भारत के लिए पीएम मोदी का सपना लगातार वास्तविकता बन रहा है।