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“आजादी के बाद के लंबे कालखंड में आरोग्य पर, स्वास्थ्य सुविधाओं पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितनी देश को जरूरत थी, और नागरिकों को उचित इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता था
जिससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती थी और वित्तीय बोझ पड़ता था” “आज केंद्र और राज्य में ऐसी सरकार है जो गरीब, दलित, शोषित-वंचित, पिछड़े, मध्यम वर्ग, सभी का दर्द समझती है”
"पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के माध्यम से देश के कोने-कोने में उपचार से लेकर महत्वपूर्ण अनुसंधान तक सेवाओं के लिए एक समग्र इकोसिस्टम का निर्माण किया जाएगा"
"पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन स्वास्थ्य के साथ-साथ आत्मनिर्भरता का भी माध्यम है"
“आज काशी का हृदय वही है, मन वही है, लेकिन काया को सुधारने का ईमानदारी से प्रयास हो रहा है”
“आज बीएचयू में तकनीक से लेकर स्वास्थ्य तक अभूतपूर्व सुविधाएं तैयार हो रही हैं। देशभर से यहां युवा साथी पढ़ाई के लिए आ रहे हैं”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का शुभारंभ किया। उन्होंने वाराणसी के लिए लगभग 5,200 करोड़ रुपये की विभिन्न विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश की राज्यपाल और मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया एवं डॉ. महेंद्र नाथ पांडे, राज्य मंत्री और जनप्रतिनिधियों सहित अन्य लोग भी उपस्थित थे।

 

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि देश ने कोरोना महामारी के खिलाफ अपनी लड़ाई में कोविड-19 टीके की 100 करोड़ खुराक का एक अहम पड़ाव हासिल किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से, मां गंगा के अविरल प्रताप से, काशीवासियों के अखंड विश्वास से, सबको वैक्सीन-मुफ्त वैक्सीन का अभियान सफलता से आगे बढ़ रहा है।”

प्रधानमंत्री ने इस बात को लेकर दुःख व्यक्त किया कि आजादी के बाद के लंबे कालखंड में आरोग्य पर, स्वास्थ्य सुविधाओं पर उतना ध्यान नहीं दिया गया, जितनी देश को जरूरत थी, और नागरिकों को उचित इलाज के लिए दर-दर भटकना पड़ता था जिससे उनकी स्थिति बिगड़ जाती थी और वित्तीय बोझ पड़ता था। इससे मध्यम वर्ग और गरीब लोगों के दिलों में इलाज को लेकर लगातार चिंता बनी हुई है। जिनकी सरकारें लंबे समय तक देश में रहीं, उन्होंने देश की स्वास्थ्य प्रणाली के सर्वांगीण विकास के बजाय इसे सुविधाओं से वंचित रखा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन का उद्देश्य इस कमी को दूर करना है। इसका उद्देश्य अगले चार-पांच वर्षों में महत्वपूर्ण स्वास्थ्य नेटवर्क को गांव से लेकर प्रखंड, जिले से लेकर क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर तक मजबूत करना है। नए मिशन के तहत सरकार द्वारा की गई पहल का वर्णन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के स्वास्थ्य क्षेत्र की अलग-अलग खामियों से निपटने के लिए आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के तीन बड़े पहलू हैं। पहला, डायग्नोस्टिक और ट्रीटमेंट के लिए विस्तृत सुविधाओं के निर्माण से जुड़ा है। इसके तहत गांवों और शहरों में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं, जहां बीमारियों को शुरुआत में ही डिटेक्ट करने की सुविधा होगी। इन सेंटरों में फ्री मेडिकल कंसलटेशन, फ्री टेस्ट, फ्री दवा जैसी सुविधाएं मिलेंगी। गंभीर बीमारी के लिए 600 जिलों में 35 हजार नए क्रिटिकल केयर संबंधी बेड जोड़े जा रहे हैं और 125 जिलों में रेफरल सुविधाएं दी जाएंगी।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि योजना का दूसरा पहलू, रोगों की जांच के लिए टेस्टिंग नेटवर्क से जुड़ा है। इस मिशन के तहत, बीमारियों की जांच, उनकी निगरानी कैसे हो, इसके लिए जरूरी बुनियादी ढांचे का विकास किया जाएगा। देश के 730 जिलों को इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लैब और तीन हजार प्रखंडों को ब्लॉक पब्लिक हेल्थ यूनिट मिलेगी। इसके अलावा, पांच क्षेत्रीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र, 20 मेट्रोपोलिटन यूनिट और 15 बीएसएल प्रयोगशालाएं इस नेटवर्क को और मजबूत करेंगी।

 

प्रधानमंत्री के अनुसार तीसरा पहलू, महामारी का अध्ययन करने वाले मौजूदा शोध संस्थानों के विस्तार से जुड़ा है। मौजूदा 80 वायरल डायग्नोस्टिक और अनुसंधान प्रयोगशालाओं को मजबूत किया जाएगा, जैव सुरक्षा स्तर की 15 प्रयोगशालाएं संचालित की जाएंगी, चार नए राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान और एक राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की स्थापना की जा रही है। दक्षिण एशिया स्थित डब्ल्यूएचओ क्षेत्रीय अनुसंधान मंच भी इस नेटवर्क को मजबूत करेगा। उन्होंने कहा, "इसका मतलब है, पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन के माध्यम से देश के हर कोने में उपचार से लेकर महत्वपूर्ण अनुसंधान तक सेवाओं के लिए एक समग्र इकोसिस्टम का निर्माण किया जाएगा।"

प्रधानमंत्री ने इन उपायों से रोजगार की संभावनाओं पर प्रकाश डाला और कहा कि पीएम आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन स्वास्थ्य के साथ-साथ आत्मनिर्भरता का भी माध्यम है। उन्होंने कहा, “यह समग्र स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने के प्रयास का एक हिस्सा है। जिसका अर्थ है स्वास्थ्य सेवा जो सभी के लिए सस्ती और सुलभ हो।” श्री मोदी ने कहा कि समग्र स्वास्थ्य सेवा स्वास्थ्य के साथ-साथ कल्याण पर भी ध्यान केंद्रित करती है। स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन, उज्ज्वला, पोषण अभियान, मिशन इंद्रधनुष जैसी योजनाओं ने करोड़ों लोगों को बीमारी से बचाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आयुष्मान भारत योजना के तहत दो करोड़ से अधिक गरीबों को मुफ्त इलाज मिला और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के माध्यम से स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं का समाधान किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज केंद्र और राज्य में ऐसी सरकार है जो गरीब, दलित, शोषित-वंचित, पिछड़े, मध्यम वर्ग, सभी का दर्द समझती है। उन्होंने कहा, “हम देश में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जिस तेजी के साथ नए मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं, उसका बहुत अच्छा प्रभाव मेडिकल की सीटों और डॉक्टरों की संख्या पर पड़ेगा। ज्यादा सीटें होने की वजह से अब गरीब माता-पिता का बच्चा भी डॉक्टर बनने का सपना देख सकेगा और उसे पूरा कर सकेगा।

प्रधानमंत्री ने पवित्र शहर काशी की पुरानी दुर्दशा का उल्लेख करते हुए कहा कि लोग शहर के बुनियादी ढांचे की दयनीय स्थिति को लेकर लगभग हार मान चुके थे। चीजें बदलीं और आज काशी का हृदय वही है, मन वही है, लेकिन काया को सुधारने का ईमानदारी से प्रयास हो रहा है। उन्होंने कहा, “जितना काम वाराणसी में पिछले सात साल में हुआ है, उतना पिछले कई दशकों में नहीं हुआ।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि बीते सालों की एक और बड़ी उपलब्धि अगर काशी की रही है, तो वह है बीएचयू (बनारस हिंदू विश्वविद्यालय) का फिर से दुनिया में श्रेष्ठता की तरफ अग्रसर होना। उन्होंने कहा, “आज तकनीक से लेकर स्वास्थ्य तक, बीएचयू में अभूतपूर्व सुविधाएं तैयार की जा रही हैं। देशभर से यहां युवा साथी पढ़ाई के लिए आ रहे हैं।”

पिछले पांच वर्षों में वाराणसी में खादी और दूसरे कुटीर उद्योग के उत्पादन में 60 प्रतिशत की वृद्धि और उनके उत्पादों की बिक्री में 90 प्रतिशत की वृद्धि की सराहना करते हुए, प्रधानमंत्री ने एक बार फिर देशवासियों से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और 'वोकल फोर लोकल' का मंत्र अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोकल का मतलब सिर्फ दीये जैसे कुछ उत्पाद नहीं हैं, बल्कि उसका मतलब ऐसे किसी भी उत्पाद से है जो देशवासियों की मेहनत का नतीजा है तथा जिसे त्योहारों के मौसम में सभी देशवासियों से प्रोत्साहन एवं संरक्षण की जरूरत है।

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Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism: PM Modi
May 27, 2023
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“Tamil Nadu has been a bastion of Indian nationalism”
“Under the guidance of Adheenam and Raja Ji we found a blessed path from our sacred ancient Tamil Culture - the path of transfer of power through the medium of Sengol”
“In 1947 Thiruvaduthurai Adheenam created a special Sengol. Today, pictures from that era are reminding us about the deep emotional bond between Tamil culture and India's destiny as a modern democracy”
“Sengol of Adheenam was the beginning of freeing India of every symbol of hundreds of years of slavery”
“it was the Sengol which conjoined free India to the era of the nation that existed before slavery”
“The Sengol is getting its deserved place in the temple of democracy”

नअनैवरुक्कुम् वणक्कम्

ऊँ नम: शिवाय, शिवाय नम:!

हर हर महादेव!

सबसे पहले, विभिन्न आदीनम् से जुड़े आप सभी पूज्य संतों का मैं शीश झुकाकर अभिनंदन करता हूं। आज मेरे निवास स्थान पर आपके चरण पड़े हैं, ये मेरे लिए बहुत सौभाग्य की बात है। ये भगवान शिव की कृपा है जिसकी वजह से मुझे एक साथ आप सभी शिव भक्तों के दर्शन करने का मौका मिला है। मुझे इस बात की भी बहुत खुशी है कि कल नए संसद भवन के लोकार्पण के समय आप सभी वहां साक्षात आकर के आशीर्वाद देने वाले हैं।

पूज्य संतगण,

हम सभी जानते हैं कि हमारे स्वतंत्रता संग्राम में तमिलनाडु की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वीरमंगई वेलु नाचियार से लेकर मरुदु भाइयों तक, सुब्रह्मण्य भारती से लेकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ जुड़ने वाले अनेकों तमिल लोगों तक, हर युग में तमिलनाडु, भारतीय राष्ट्रवाद का गढ़ रहा है। तमिल लोगों के दिल में हमेशा से मां भारती की सेवा की, भारत के कल्याण की भावना रही है। बावजूद इसके, ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत की आजादी में तमिल लोगों के योगदान को वो महत्व नहीं दिया गया, जो दिया जाना चाहिए था। अब बीजेपी ने इस विषय को प्रमुखता से उठाना शुरू किया है। अब देश के लोगों को भी पता चल रहा है कि महान तमिल परंपरा और राष्ट्रभक्ति के प्रतीक तमिलनाडु के साथ क्या व्यवहार हुआ था।

जब आजादी का समय आया, तब सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक को लेकर प्रश्न उठा था। इसके लिए हमारे देश में अलग-अलग परंपराएं रही हैं। अलग-अलग रीति-रिवाज भी रहे हैं। लेकिन उस समय राजाजी और आदीनम् के मार्गदर्शन में हमें अपनी प्राचीन तमिल संस्कृति से एक पुण्य मार्ग मिला था। ये मार्ग था- सेंगोल के माध्यम से सत्ता हस्तांतरण का। तमिल परंपरा में, शासन चलाने वाले को सेंगोल दिया जाता था। सेंगोल इस बात का प्रतीक था कि उसे धारण करने वाले व्यक्ति पर देश के कल्याण की जिम्मेदारी है और वो कभी कर्तव्य के मार्ग से विचलित नहीं होगा। सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर तब 1947 में पवित्र तिरुवावडुतुरै आदीनम् द्वारा एक विशेष सेंगोल तैयार किया गया था। आज उस दौर की तस्वीरें हमें याद दिला रही हैं कि तमिल संस्कृति और आधुनिक लोकतंत्र के रूप में भारत की नियति के बीच कितना भावुक और आत्मीय संबंध रहा है। आज उन गहरे संबंधों की गाथा इतिहास के दबे हुए पन्नों से बाहर निकलकर एक बार फिर जीवंत हो उठी है। इससे उस समय की घटनाओं को समझने का सही दृष्टिकोण भी मिलता है। और इसके साथ ही, हमें ये भी पता चलता है कि सत्ता के हस्तांतरण के इस सबसे बड़े प्रतीक के साथ क्या किया गया।

मेरे देशवासियों,

आज मैं राजाजी और विभिन्न आदीनम् की दूरदर्शिता को भी विशेष तौर पर नमन करूंगा। आदीनम के एक सेंगोल ने, भारत को सैकड़ों वर्षों की गुलामी के हर प्रतीक से मुक्ति दिलाने की शुरुआत कर दी थी। जब भारत की आजादी का प्रथम पल आया, आजादी का प्रथम पल, वो क्षण आया, तो ये सेंगोल ही था, जिसने गुलामी से पहले वाले कालखंड और स्वतंत्र भारत के उस पहले पल को आपस में जोड़ दिया था। इसलिए, इस पवित्र सेंगोल का महत्व सिर्फ इतना ही नहीं है कि ये 1947 में सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक बना था। इस सेंगोल का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसने गुलामी के पहले वाले गौरवशाली भारत से, उसकी परंपराओं से, स्वतंत्र भारत के भविष्य को कनेक्ट कर दिया था। अच्छा होता कि आजादी के बाद इस पूज्य सेंगोल को पर्याप्त मान-सम्मान दिया जाता, इसे गौरवमयी स्थान दिया जाता। लेकिन ये सेंगोल, प्रयागराज में, आनंद भवन में, Walking Stick यानि पैदल चलने पर सहारा देने वाली छड़ी कहकर, प्रदर्शनी के लिए रख दिया गया था। आपका ये सेवक और हमारी सरकार, अब उस सेंगोल को आनंद भवन से निकालकर लाई है। आज आजादी के उस प्रथम पल को नए संसद भवन में सेंगोल की स्थापना के समय हमें फिर से पुनर्जीवित करने का मौका मिला है। लोकतंत्र के मंदिर में आज सेंगोल को उसका उचित स्थान मिल रहा है। मुझे खुशी है कि अब भारत की महान परंपरा के प्रतीक उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा। ये सेंगोल इस बात की याद दिलाता रहेगा कि हमें कर्तव्य पथ पर चलना है, जनता-जनार्दन के प्रति जवाबदेह बने रहना है।

पूज्य संतगण,

आदीनम की महान प्रेरक परंपरा, साक्षात सात्विक ऊर्जा का प्रतीक है। आप सभी संत शैव परंपरा के अनुयायी हैं। आपके दर्शन में जो एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना है, वो स्वयं भारत की एकता और अखंडता का प्रतिबिंब है। आपके कई आदीनम् के नामों में ही इसकी झलक मिल जाती है। आपके कुछ आदीनम् के नाम में कैलाश का उल्लेख है। ये पवित्र पर्वत, तमिलनाडु से बहुत दूर हिमालय में है, फिर भी ये आपके हृदय के करीब है। शैव सिद्धांत के प्रसिद्ध संतों में से एक तिरुमूलर् के बारे में कहा जाता है कि वो कैलाश पर्वत से शिव भक्ति का प्रसार करने के लिए तमिलनाडु आए थे। आज भी, उनकी रचना तिरुमन्दिरम् के श्लोकों का पाठ भगवान शिव की स्मृति में किया जाता है। अप्पर्, सम्बन्दर्, सुन्दरर् और माणिक्का वासगर् जैसे कई महान संतों ने उज्जैन, केदारनाथ और गौरीकुंड का उल्लेख किया है। जनता जनार्दन के आशीर्वाद से आज मैं महादेव की नगरी काशी का सांसद हूं, तो आपको काशी की बात भी बताऊंगा। धर्मपुरम आदीनम् के स्वामी कुमारगुरुपरा तमिलनाडु से काशी गए थे। उन्होंने बनारस के केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर की स्थापना की थी। तमिलनाडु के तिरुप्पनन्दाळ् में काशी मठ का नाम भी काशी पर रखा गया है। इस मठ के बारे में एक दिलचस्प जानकारी भी मुझे पता चली है। कहा जाता है कि तिरुप्पनन्दाळ् का काशी मठ, तीर्थयात्रियों को बैकिंग सेवाएं उपलब्ध कराता था। कोई तीर्थयात्री तमिलनाडु के काशी मठ में पैसे जमा करने के बाद काशी में प्रमाणपत्र दिखाकर वो पैसे निकाल सकता था। इस तरह, शैव सिद्धांत के अनुयायियों ने सिर्फ शिव भक्ति का प्रसार ही नहीं किया बल्कि हमें एक दूसरे के करीब लाने का कार्य भी किया।

पूज्य संतगण,

सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद भी तमिलनाडु की संस्कृति आज भी जीवंत और समृद्ध है, तो इसमें आदीनम् जैसी महान और दिव्य परंपरा की भी बड़ी भूमिका है। इस परंपरा को जीवित रखने का दायित्व संतजनों ने तो निभाया ही है, साथ ही इसका श्रेय पीड़ित-शोषित-वंचित सभी को जाता है कि उन्होंने इसकी रक्षा की, उसे आगे बढ़ाया। राष्ट्र के लिए योगदान के मामले में आपकी सभी संस्थाओं का इतिहास बहुत गौरवशाली रहा है। अब उस अतीत को आगे बढ़ाने, उससे प्रेरित होने और आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करने का समय है।

पूज्य संतगण,

देश ने अगले 25 वर्षों के लिए कुछ लक्ष्य तय किए हैं। हमारा लक्ष्य है कि आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समावेशी विकसित भारत का निर्माण हो। 1947 में आपकी महत्वपूर्ण भूमिका से कोटि-कोटि देशवासी पुन: परिचित हुए हैं। आज जब देश 2047 के बड़े लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रहा है तब आपकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। आपकी संस्थाओं ने हमेशा सेवा के मूल्यों को साकार किया है। आपने लोगों को एक-दूसरे से जोड़ने का, उनमें समानता का भाव पैदा करने का बड़ा उदाहरण पेश किया है। भारत जितना एकजुट होगा, उतना ही मजबूत होगा। इसलिए हमारी प्रगति के रास्ते में रुकावटें पैदा करने वाले तरह-तरह की चुनौतियां खड़ी करेंगे। जिन्हें भारत की उन्नति खटकती है, वो सबसे पहले हमारी एकता को ही तोड़ने की कोशिश करेंगे। लेकिन मुझे विश्वास है कि देश को आपकी संस्थाओं से आध्यात्मिकता और सामाजिकता की जो शक्ति मिल रही है, उससे हम हर चुनौती का सामना कर लेंगे। मैं फिर एक बार, आप मेरे यहां पधारे, आप सबने आशीर्वाद दिये, ये मेरा सौभाग्य है, मैं फिर एक बार आप सबका हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, आप सबको प्रणाम करता हूँ। नए संसद भवन के लोकार्पण के अवसर पर आप सब यहां आए और हमें आशीर्वाद दिया। इससे बड़ा सौभाग्य कोई हो नहीं सकता है और इसलिए मैं जितना धन्यवाद करूँ, उतना कम है। फिर एक बार आप सबको प्रणाम करता हूँ।

ऊँ नम: शिवाय!

वणक्कम!