प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)-III का शुभारंभ किया
"अगले 25 वर्ष 130 करोड़ भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं"
"हिमाचल को आज डबल इंजन वाली सरकार की क्षमता का एहसास है जिसने राज्य में विकास की गति को दोगुना कर दिया है"
"पहाड़ी क्षेत्रों में, दुर्गम क्षेत्रों में तेजी से विकास का महायज्ञ जारी है"
“आपका (लोगों का) आदेश मेरे लिए सर्वोच्च है, आप मेरे आलाकमान हैं"
"विकास के ऐसे कार्य तभी होते हैं जब सेवा भावना प्रबल हो"
"अध्यात्म और पर्यटन की शक्ति को केवल डबल इंजन वाली सरकार पहचानती है"

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज हिमाचल प्रदेश के चंबा में दो जलविद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखी और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)-III का शुभारंभ किया।

इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि दो दिन पहले उन्होंने महाकाल की नगरी की यात्रा की और आज वह मणि महेश्वर की शरण में आए हैं। प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र के एक शिक्षक से प्राप्त पत्र को भी याद किया जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ चंबा का विवरण साझा किया था। इस पत्र को प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में भी साझा किया गया था।

प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि उन्हें चंबा और अन्य दूर-दराज के गांवों के लिए सड़क संपर्क और रोजगार सृजन पर कई परियोजनाओं को शुरू करने का अवसर मिला है। हिमाचल प्रदेश में अपने प्रवास के दिनों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज यह कहावत बदल रही है कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी पहाड़ के काम नहीं आती। उन्होंने कहा कि अब पहाड़ के युवा इस क्षेत्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएंगे।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले 25 वर्ष 130 करोड़ भारतीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के अमृत काल का शुभारंभ हो चुका है, इस दौरान हमें भारत को विकसित देश बनाने का लक्ष्य हासिल करना है। आने वाले कुछ महीनों में हिमाचल की स्थापना के 75 वर्ष भी पूरे होने जा रहे हैं, अर्थात जब भारत आजादी के 100 वर्षों का महोत्सव मनाएगा, तब हिमाचल भी अपनी स्थापना के 100 वर्ष का उत्सव मनाएगा। प्रधानमंत्री ने विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इसीलिए आने वाले 25 वर्षों का प्रत्येक दिन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

 

प्रधानमंत्री ने उन दिनों को याद किया जब दिल्ली में हिमाचल प्रदेश का बहुत कम प्रभाव था और इसकी मांगों और अनुरोधों को नजरअंदाज कर दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप आस्था के महत्वपूर्ण स्थल और चंबा जैसे प्राकृतिक सौंदर्य स्थल भी विकास की दौड़ में पिछड़ गए थे। श्री मोदी ने बताया कि आकांक्षी जिले के रूप में इस पर विशेष ध्यान दिया गया क्योंकि वे चंबा की क्षमता से परिचित थे। उन्होंने एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना के अंतर्गत केरल के बच्चों के हिमाचल आने पर भी प्रसन्नता व्यक्त की।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल को आज डबल इंजन वाली सरकार की शक्ति का एहसास है जिसने राज्य में विकास गति को दोगुना कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारें केवल उन क्षेत्रों में सेवाएं प्रदान करती थीं जहां काम का बोझ और तनाव कम रहता था और राजनीतिक लाभ अधिक होता था। परिणामस्वरूप, दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों की विकास दर काफी कम रही। श्री मोदी ने कहा कि सड़क हो, बिजली हो या फिर पानी, इन सेवाओं का लाभ ऐसे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सबसे अंत में मिलता था लेकिन डबल इंजन सरकार की कार्यशैली बाकी से अलग है। हमारी प्राथमिकता यह है कि लोगों के जीवन को कैसे आसान बनाया जाए। इसलिए हम जनजातीय और पहाड़ी इलाकों पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। उन्होंने गैस कनेक्शन, पाइप से जल, स्वास्थ्य सेवाएं, आयुष्मान भारत और सड़क संपर्क प्रदान करने जैसे उपायों को सूचीबद्ध किया जो दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों में जीवन को बदल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम गांवों में वेलनेस सेंटर बना रहे हैं, तो साथ ही जिलों में भी मेडिकल कॉलेज खोल रहे हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे पर्यटन की रक्षा के लिए टीकाकरण में हिमाचल को प्राथमिकता दी गई थी। श्री मोदी ने देश में सबसे तेजी से शत-प्रतिशत टीकाकरण के लक्ष्य तक पहुंचने के लिए मुख्यमंत्री और उनकी टीम की सराहना की।

 

ग्रामीण सड़कों के निर्माण के बारे में बात करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 तक, आजादी के बाद से 1800 करोड़ की लागत से 7000 किमी की लंबाई वाली ग्रामीण सड़कों का निर्माण किया गया था, लेकिन पिछले 8 वर्षों में, 5000 करोड़ वित्तीय परिव्यय के साथ, 12000 किमी सड़कों का निर्माण किया गया है। उन्होंने बताया कि आज शुरू की गई योजनाओं से 3000 किमी ग्रामीण सड़कें बनेंगी।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि वे दिन गए जब हिमाचल प्रदेश अनुरोध लेकर दिल्ली आया करता था। अब हिमाचल नई परियोजनाओं के बारे में जानकारी और इसकी प्रगति और अपने अधिकारों की मांगों के विवरण के साथ आता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों का आदेश उनके लिए सर्वोच्च है। राज्य के लोग उनके आलाकमान हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह इसे अपना सौभाग्य मानते हैं इसलिए लोगों की सेवा करने का अलग ही आनंद है और इससे उन्हें ऊर्जा मिलती है।

 

पिछले 8 वर्षों में विकास को रेखांकित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों में, दुर्गम क्षेत्रों में और पूरे देश में जनजातीय क्षेत्रों में तेजी से विकास का महायज्ञ जारी है। श्री मोदी ने बताया कि इसका लाभ केवल हिमाचल के चंबा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि पांगी-भरमौर, छोटा-बड़ा भंगाल, गिरीमपार, किन्नौर और लाहौल-स्पीति जैसे क्षेत्रों में भी इसका लाभ मिल रहा है। उन्होंने आकांक्षी जिलों की विकास रैंकिंग में दूसरा स्थान हासिल करने के लिए चंबा को बधाई दी।

 

जनजातीय समुदायों के विकास पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने बताया कि सरकार ने सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को जनजाति का दर्जा देने का एक और ऐतिहासिक फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि यह दिखाता है कि उनकी सरकार जनजातियों के विकास को कितनी प्राथमिकता दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हिमाचल और केंद्र की पिछली सरकारों ने केवल चुनाव के समय ही दूरस्थ और जनजातीय गांवों के बारे में सोचा था, लेकिन आज की डबल इंजन वाली सरकार निरंतर लोगों की सेवा करने का प्रयास करती है। कोरोना महामारी के दौरान गरीब परिवारों को राहत देने के सरकार के प्रयासों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने निशुल्क राशन कार्यक्रम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि दुनिया भारत को आश्चर्य से देखती है कि सरकार पिछले डेढ़ साल से देश में 80 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है। श्री मोदी ने भारत में कोविड टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता पर भी प्रकाश डाला और इसकी सफलता का श्रेय स्वास्थ्य विभाग के कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी को दिया। श्री मोदी ने कहा कि विकास के ऐसे कार्य तभी संभव होते हैं जब सेवा भावना मजबूत हो।

 

रोजगार के मामले में पहाड़ी और जनजातीय क्षेत्रों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार इस क्षेत्र की क्षमता को यहां के लोगों की शक्ति में बदलने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जनजातीय इलाकों में पानी और जंगल की संपत्ति अमूल्य है। प्रधानमंत्री ने कहा कि चंबा देश के उस क्षेत्र से संबंधित है जहां जलविद्युत का उत्पादन शुरू हुआ था। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि आज जिन परियोजनाओं की आधारशिला रखी गई है, उनसे बिजली उत्पादन के क्षेत्र में चंबा और हिमाचल की हिस्सेदारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि चंबा से उत्पन्न बिजली से हिमाचल को करोड़ों रुपये का आर्थिक लाभ मिलेगा और यहां के युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष भी उन्हें ऐसी 4 बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखने का अवसर मिला था। कुछ दिन पहले ही बिलासपुर में प्रारंभ हुए हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज से हिमाचल के युवाओं को भी फायदा होगा।

 

बागवानी, पशुपालन, शिल्प और कला में हिमाचल की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने फूलों, चंबा के चुख, राजमा मदरा, चंबा चप्पल, चंबा थाल और पांगी की थांगी जैसे स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्वयं सहायता समूहों की प्रशंसा की। उन्होंने इन उत्पादों को देश की विरासत बताया। वोकल फॉर लोकल का उदाहरण देते हुए, प्रधानमंत्री ने स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के प्रयासों के लिए स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की सराहना की। प्रधानमंत्री ने बताया कि एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत हिमाचल में बनने वाले उत्पादों को भी बढ़ावा दिया जा रहा है और वह इन उत्पादों को विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास करते हैं, ताकि हिमाचल का नाम पूरी दुनिया में विख्यात हो और उत्पादों के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जानकारी मिल सके।

 

प्रधानमंत्री ने कहा कि डबल इंजन वाली सरकार एक ऐसी सरकार है जो अपनी संस्कृति, विरासत और आस्था का सम्मान करती है। चंबा समेत पूरा हिमाचल आस्था और विरासत की भूमि है। हिमाचल प्रदेश के विरासत और पर्यटन का उल्लेख करते हुए, प्रधानमंत्री ने कुल्लू में दशहरा महोत्सव की अपनी यात्रा का स्मरण करते हुए कहा कि हमारे पास एक तरफ विरासत और दूसरी तरफ पर्यटन है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता और पर्यटन संपदा के मामले में डलहौजी और खज्जियार जैसे पर्यटन स्थल हिमाचल के लिए प्रेरणा शक्ति बनने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि केवल डबल इंजन वाली सरकार ही इस शक्ति को पहचानती है। हिमाचल ने अपना मन बना लिया है कि अब पुराने रिवाज को बदल कर नई परंपरा का शुभारंभ करना है।

 

विशाल सभा को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस विशाल सभा के रूप में वह हिमाचल के विकास और संकल्पों की शक्ति को देखते हैं। उन्होंने हिमाचल प्रदेश के लोगों के संकल्पों और सपनों को अपना निरंतर समर्थन देने का आश्वासन भी दिया।

इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री श्री अनुराग सिंह ठाकुर, संसद सदस्य श्री किशन कपूर, सुश्री इंदु गोस्वामी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री सुरेश कश्यप सहित अन्य गणमान्य भी उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री ने 48 मेगावाट चंजू-III हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट और 30 मेगावाट देवथल चंजू हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट दो जलविद्युत परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इन दोनों परियोजनाओं से वार्षिक 270 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन होगा और हिमाचल प्रदेश को इन परियोजनाओं से लगभग 110 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त होने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री ने राज्य में लगभग 3125 किलोमीटर सड़कों के उन्नयन के लिए हिमाचल प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई)-III का भी शुभारंभ किया। केंद्र सरकार द्वारा इस चरण के तहत राज्य के 15 सीमावर्ती और दूर-दराज के ब्लॉकों में 440 किलोमीटर सड़कों के उन्नयन के लिए 420 करोड़ से अधिक रुपये स्वीकृत किए गए हैं।

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Prime Minister Highlights Sanskrit Wisdom in Doordarshan’s Suprabhatam
December 09, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi today underscored the enduring relevance of Sanskrit in India’s cultural and spiritual life, noting its daily presence in Doordarshan’s Suprabhatam program.

The Prime Minister observed that each morning, the program features a Sanskrit subhāṣita (wise saying), seamlessly weaving together values and culture.

In a post on X, Shri Modi said:

“दूरदर्शनस्य सुप्रभातम् कार्यक्रमे प्रतिदिनं संस्कृतस्य एकं सुभाषितम् अपि भवति। एतस्मिन् संस्कारतः संस्कृतिपर्यन्तम् अन्यान्य-विषयाणां समावेशः क्रियते। एतद् अस्ति अद्यतनं सुभाषितम्....”