प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुवाहाटी में लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन किया। असम की संपर्क व्यवस्था, आर्थिक विस्तार और वैश्विक भागीदारी में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आज असम और पूर्वोत्तर के विकास और प्रगति का उत्सव है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि जब प्रगति का प्रकाश लोगों तक पहुंचता है, तो जीवन के हर मार्ग पर नई ऊंचाइयों को छूने का सिलसिला शुरू हो जाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि असम की धरती से उनका गहरा लगाव, यहां की जनता का प्यार और स्नेह तथा विशेष रूप से असम और पूर्वोत्तर की माताओं और बहनों का स्नेह तथा अपनापन उन्हें निरंतर प्रेरित करता है और इस क्षेत्र के विकास के लिए सामूहिक संकल्प को मजबूत करता है। उन्होंने कहा कि आज असम के विकास में एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत रत्न भूपेन हजारिका के शब्दों का हवाला देते हुए श्री मोदी ने कहा कि इसका अर्थ है कि शक्तिशाली ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे जगमगाएंगे, अंधकार की हर दीवार टूट जाएगी और यह निश्चित रूप से हो सकेगा क्योंकि यह राष्ट्र का संकल्प और दृढ़ प्रतिज्ञा है।
श्री मोदी ने भूपेन हजारिका की पंक्तियों को केवल गीत नहीं बल्कि असम से प्रेम करने वाले हर महान व्यक्तित्व का दृढ़ संकल्प बताया। उन्होंने कहा कि आज यह संकल्प पूरा हो रहा है। श्री मोदी ने कहा कि जिस प्रकार ब्रह्मपुत्र नदी की प्रचंड धारा कभी नहीं रुकती, उसी प्रकार केंद्र और राज्य सरकार के नेतृत्व में असम में विकास की धारा निरंतर प्रवाहित हो रही है। उन्होंने कहा कि लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई हवाई अड्डे पर नए टर्मिनल भवन का उद्घाटन इसी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री ने इस नए टर्मिनल भवन के लिए असम की जनता और राष्ट्र को बधाई दी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ समय पहले उन्हें असम के प्रथम मुख्यमंत्री और राज्य के गौरव का स्रोत गोपीनाथ बोरदोलोई की प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि श्री बोरदोलोई ने असम की पहचान, भविष्य और हितों से कभी समझौता नहीं किया। श्री मोदी ने कहा कि श्री बोरदोलोई की प्रतिमा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी और उनमें असम के लिए गहरा गौरव पैदा करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, “आधुनिक हवाईअड्डे और उन्नत कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा किसी भी राज्य के लिए नई संभावनाओं और अवसरों के द्वार खोलते हैं और जनता के बीच बढ़ते विश्वास और भरोसे के स्तंभ के रूप में खड़े हैं।” उन्होंने कहा कि जब लोग असम में शानदार राजमार्गों और हवाईअड्डों का निर्माण देखते हैं, तो वे स्वयं स्वीकार करते हैं कि असम के लिए सही मायने में न्याय की शुरुआत हो चुकी है। प्रधानमंत्री ने इसकी तुलना अतीत से करते हुए कहा कि पिछली सरकारों के एजेंडे में असम और पूर्वोत्तर का विकास कभी नहीं था। उन्होंने बताया कि पिछली सरकारों के नेता कहते थे, “असम और पूर्वोत्तर कौन जाता है?” और इस क्षेत्र में आधुनिक हवाईअड्डों, राजमार्गों और बेहतर रेलवे की आवश्यकता पर सवाल उठाते थे। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि इसी मानसिकता के कारण विपक्ष ने दशकों तक पूरे क्षेत्र की उपेक्षा की।
श्री मोदी ने कहा कि विपक्ष द्वारा पिछले छह-सात दशकों में की गई गलतियों को उनके नेतृत्व में धीरे-धीरे सुधारा जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्षी नेता पूर्वोत्तर का दौरा करें या न करें, असम और इस क्षेत्र में आने पर उन्हें स्वयं अपने लोगों के बीच होने का अहसास होता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि उनके लिए असम का विकास न केवल एक आवश्यकता है, बल्कि एक जिम्मेदारी और जवाबदेही भी है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले ग्यारह वर्षों में असम और पूर्वोत्तर के लिए लाखों-करोड़ों रुपये की विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि असम प्रगति कर रहा है और नए मुकाम हासिल कर रहा है। उन्होंने संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि असम भारतीय न्याय संहिता को लागू करने वाला देश का नंबर एक राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि असम ने 50 लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाकर एक रिकॉर्ड भी बनाया है। श्रे मोदी ने इसकी तुलना पिछली सरकार के दौर से की, जब रिश्वत या सिफारिश के बिना सरकारी नौकरी पाना असंभव था। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज हजारों युवाओं को ऐसी प्रथाओं के बिना नौकरियां मिल रही हैं। श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार के नेतृत्व में असम की संस्कृति को हर मंच पर बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने 13 अप्रैल 2023 की ऐतिहासिक घटना को याद किया, जब गुवाहाटी स्टेडियम में 11,000 से अधिक कलाकारों ने एक साथ बिहू नृत्य प्रस्तुत किया था, जिसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया था। उन्होंने कहा कि ऐसे नए रिकॉर्ड बनाकर असम तेजी से प्रगति कर रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि इस नए टर्मिनल भवन से गुवाहाटी और असम की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, जिससे प्रतिवर्ष 12 लाख से अधिक लोग यात्रा कर सकेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि इससे असम में पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी और श्रद्धालुओं के लिए मां कामाख्या के दर्शन करना आसान हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस नए हवाई अड्डे के टर्मिनल में कदम रखना विकास और विरासत के मंत्र का सही अर्थ दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि हवाई अड्डे को असम की प्रकृति और संस्कृति को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, जिसमें हरियाली और व्यवस्थाएं एक इनडोर जंगल का आभास कराती हैं। उन्होंने कहा कि इसका डिजाइन चारों ओर प्रकृति से जुड़ा हुआ है ताकि प्रत्येक यात्री को शांति और आराम का अनुभव हो। उन्होंने निर्माण में बांस के विशेष उपयोग पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बांस असम के जीवन का अभिन्न अंग है, जो शक्ति और सुंदरता दोनों का प्रतीक है। श्री मोदी ने यह भी याद दिलाया कि उनकी सरकार ने 2017 में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए भारतीय वन अधिनियम, 1927 में संशोधन किया था, जिसके अंतर्गत गैर-वन क्षेत्रों में उगने वाले बांस को कानूनी रूप से "वृक्ष" के बजाय "पौधे" के रूप में पुनर्वर्गीकृत किया गया था। उन्होंने कहा कि इस कदम के परिणामस्वरूप आज एक नए टर्मिनल के रूप में एक अद्भुत संरचना का निर्माण हुआ है।

प्रधानमंत्री ने बुनियादी ढांचे के विकास पर जोर देते हुए कहा कि यह एक महत्वपूर्ण संदेश देता है, जिससे उद्योगों को बढ़ावा मिलता है, निवेशकों को कनेक्टिविटी में विश्वास मिलता है और स्थानीय उत्पादों के लिए वैश्विक बाजारों तक पहुंचने के रास्ते खुलते हैं। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इससे युवाओं को सबसे अधिक भरोसा मिलता है, जिनके लिए नए अवसर सृजित होते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "आज असम असीमित संभावनाओं की इस उड़ान पर आगे बढ़ रहा है।"
श्री मोदी ने कहा कि आज भारत के लिए विश्व का नजरिया बदल गया है और भारत की भूमिका में भी परिवर्तन आया है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत अब विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है। उन्होंने सवाल उठाया कि यह उपलब्धि मात्र 11 वर्षों में कैसे हासिल हुई। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक अवसंरचना के विकास ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत वर्ष 2047 के लिए तैयारी कर रहा है और विकसित राष्ट्र बनने के अपने संकल्प को पूरा करने के लिए अवसंरचना पर विशेष ध्यान दे रहा है। उन्होंने रेखांकित किया कि इस व्यापक विकास अभियान का सबसे महत्वपूर्ण पहलू प्रत्येक राज्य और प्रत्येक क्षेत्र की भागीदारी है। उन्होंने कहा कि सरकार वंचितों को प्राथमिकता दे रही है और यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रत्येक राज्य एक साथ प्रगति करे और विकसित भारत के अभियान में योगदान दे। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि असम और पूर्वोत्तर इस अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक्ट ईस्ट पॉलिसी के माध्यम से पूर्वोत्तर को प्राथमिकता दी गई है और आज असम भारत के पूर्वी प्रवेश द्वार के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि असम भारत को आसियान देशों से जोड़ने वाले सेतु की भूमिका निभा रहा है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि यह शुरुआत बहुत आगे तक जाएगी और असम कई क्षेत्रों में विकसित भारत का इंजन बनेगा।

श्री मोदी ने जोर देते हुए कहा, “असम और पूरा पूर्वोत्तर क्षेत्र भारत के विकास का नया द्वार बन रहा है।” उन्होंने बताया कि बहुआयामी कनेक्टिविटी की परिकल्पना ने इस क्षेत्र की स्थिति और दिशा दोनों को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि असम में नए पुलों के निर्माण की गति, नए मोबाइल टावरों की स्थापना की रफ्तार और हर विकास परियोजना की गति सपनों को हकीकत में बदल रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बने पुलों ने असम को कनेक्टिविटी के मामले में नई ताकत और आत्मविश्वास दिया है। प्रधानमंत्री ने बताया कि आजादी के बाद के छह से सात दशकों में यहां केवल तीन बड़े पुल बने थे, लेकिन पिछले दशक में चार नए विशाल पुलों का निर्माण पूरा हो चुका है, साथ ही कई ऐतिहासिक परियोजनाएं भी आकार ले रही हैं। उन्होंने कहा कि बोगीबील और धोला-सादिया जैसे सबसे लंबे पुलों ने असम को रणनीतिक रूप से और मजबूत बनाया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि रेल संपर्क में भी क्रांतिकारी बदलाव आया है और बोगीबील पुल के निर्माण से ऊपरी असम और देश के बाकी हिस्सों के बीच की दूरी काफी कम हो गई है। उन्होंने कहा कि गुवाहाटी से न्यू जलपाईगुड़ी तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ने यात्रा का समय काफी कम कर दिया है। श्री मोदी ने बताया कि जलमार्गों के विकास से असम को भी काफी लाभ हो रहा है। उन्होंने कहा कि माल ढुलाई में 140 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे यह साबित होता है कि ब्रह्मपुत्र केवल एक नदी नहीं बल्कि आर्थिक शक्ति का स्रोत है। उन्होंने कहा कि पांडू में पहला जहाज मरम्मत केंद्र विकसित किया जा रहा है और वाराणसी से डिब्रूगढ़ तक चलने वाली गंगा विलास क्रूज को लेकर लोगों के उत्साह ने पूर्वोत्तर को वैश्विक क्रूज पर्यटन मानचित्र पर मजबूती से स्थापित कर दिया है।
श्री मोदी ने असम और पूर्वोत्तर को विकास से वंचित रखने के लिए पिछली सरकारों की आलोचना करते हुए कहा कि देश को सुरक्षा, एकता और अखंडता के मामले में भारी कीमत चुकानी पड़ी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि विपक्ष के शासन में पूर्वोत्तर क्षेत्र में दशकों तक हिंसा व्याप्त रही, जबकि पिछले 10-11 वर्षों में इसे समाप्त करने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जहां कभी पूर्वोत्तर में हिंसा और रक्तपात का बोलबाला था, वहीं आज 4-जी और 5-जी तकनीक के माध्यम से डिजिटल कनेक्टिविटी इन क्षेत्रों तक पहुंच रही है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कभी हिंसाग्रस्त माने जाने वाले जिले अब विकास के लिए महत्वाकांक्षी जिलों के रूप में उभर रहे हैं और आने वाले समय में यही क्षेत्र औद्योगिक गलियारे बनेंगे। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि पूर्वोत्तर के प्रति एक नया आत्मविश्वास जागा है । श्री मोदी ने इसे अधिक मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री ने कहा कि असम और पूर्वोत्तर के विकास में सफलता इसलिए भी मिल रही है क्योंकि सरकार इस क्षेत्र की पहचान और संस्कृति की रक्षा कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विपक्ष ने इस पहचान को मिटाने की साजिश रची और यह साजिश कुछ वर्षों तक ही सीमित नहीं रही। उन्होंने कहा कि इस कुकर्म की जड़ें आजादी से पहले के युग तक जाती हैं, जब मुस्लिम लीग और ब्रिटिश सरकार भारत के विभाजन की तैयारी कर रही थीं और उस समय असम को अविभाजित बंगाल यानी पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की भी योजना थी। श्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस इस साजिश का हिस्सा बनने जा रही थी, लेकिन श्री बोरदोलोई जी ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े होकर असम की पहचान को नष्ट करने की इस साजिश का विरोध किया और असम को देश से अलग होने से बचाया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उनकी पार्टी हर देशभक्त का सम्मान करने के लिए दलीय सीमाओं से ऊपर उठती है। श्री मोदी ने कहा कि श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में जब उनकी सरकार सत्ता में आई, तो बोरदोलोई जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता से पहले श्री बोरदोलोई जी ने असम को बचाया था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद की पहली सत्ता ने एक बार फिर असम विरोधी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां शुरू कर दीं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने धार्मिक तुष्टीकरण के जरिए अपना वोट बैंक बढ़ाने की साजिश रची और बंगाल तथा असम में घुसपैठियों को खुली छूट दी। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की जनसांख्यिकी बदल गई और इन घुसपैठियों ने जंगलों और जमीनों पर अतिक्रमण कर लिया है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर बल दिया कि इसके परिणामस्वरूप पूरे असम राज्य की सुरक्षा और पहचान खतरे में पड़ गई।
श्री मोदी ने कहा कि श्री हिमंत बिस्व सरमा के नेतृत्व वाली सरकार असम के संसाधनों को अवैध और राष्ट्र विरोधी अतिक्रमणों से मुक्त कराने के लिए अथक प्रयास कर रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि असम के संसाधनों का लाभ असम की जनता को मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने घुसपैठ रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं और अवैध घुसपैठियों को हटाने के लिए पहचान प्रक्रिया जारी है।

प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि विपक्ष और उनके गठबंधन ने खुलेआम राष्ट्रविरोधी एजेंडा अपनाया है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय घुसपैठियों को हटाने की बात कह चुका है। उन्होंने कहा कि ये पार्टियां घुसपैठियों के बचाव में बयान जारी कर रही हैं और उनके वकील अदालत में उनसे समझौता करने की गुहार लगा रहे हैं। श्री मोदी ने कहा कि जब चुनाव आयोग निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए एसआईआर प्रक्रिया चला रहा है, तब ये समूह इसका विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि ऐसे लोग असम के भाइयों और बहनों के हितों की रक्षा नहीं करेंगे और दूसरों को उनकी जमीन और जंगलों पर कब्जा करने देंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि उनकी राष्ट्रविरोधी मानसिकता अतीत के हिंसा और अशांति को फिर से जन्म दे सकती है। श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि इसलिए सतर्क रहना, असम की जनता का एकजुट रहना और असम के विकास को पटरी से उतरने से रोकने के विपक्ष के षड्यंत्रों को विफल करना आवश्यक है।
श्री मोदी ने कहा, “आज पूरी दुनिया उम्मीद भरी निगाहों से भारत की ओर देख रही है और भारत के भविष्य का नया सूर्योदय पूर्वोत्तर से ही शुरू होगा।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इसके लिए साझा सपनों को साकार करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है, जिसमें असम का विकास सर्वोपरि है। प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि ये संयुक्त प्रयास असम को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे और एक विकसित भारत के सपने को साकार करेंगे। अपने संबोधन के समापन में प्रधानमंत्री ने नए टर्मिनल के उद्घाटन पर एक बार फिर हार्दिक बधाई दी।
असम के राज्यपाल श्री लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, असम के मुख्यमंत्री श्री हिमंत बिस्व सरमा, केंद्रीय मंत्री श्री सरबानंद सोनोवाल, श्री के राममोहन नायडू, श्री मुरलीधर मोहोल और श्री पवित्र मार्गेरिटा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि
गुवाहाटी में हाल ही में बनकर तैयार हुआ लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का एकीकृत नया टर्मिनल भवन लगभग 1.4 लाख वर्ग मीटर में फैला हुआ है और इसे प्रतिवर्ष 1.3 करोड़ यात्रियों की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है। रनवे, एयरफील्ड सिस्टम, एप्रन और टैक्सीवे में किए गए व्यापक उन्नयन से यह और भी बेहतर हो गया है।
भारत का पहला प्रकृति-थीम वाला हवाई अड्डा टर्मिनल, "बांस के बाग" की थीम पर आधारित है। इसका डिज़ाइन असम की जैव विविधता और सांस्कृतिक विरासत से प्रेरित है। टर्मिनल में पूर्वोत्तर से प्राप्त लगभग 140 मीट्रिक टन बांस का अभूतपूर्व उपयोग किया गया है, जो काजीरंगा से प्रेरित हरे-भरे परिदृश्य, जापी रूपांकनों, प्रतिष्ठित गैंडे के प्रतीक और कोपो फूल को प्रतिबिंबित करने वाले 57 बाग-प्रेरित स्तंभों से पूरित है। एक अनूठा "आकाश वन" आने वाले यात्रियों को एक गहन, वन-जैसे अनुभव प्रदान करता है। इस वन में लगभग एक लाख स्वदेशी प्रजातियों के पौधे हैं।
यह टर्मिनल यात्रियों की सुविधा और डिजिटल नवाचार के क्षेत्र में नए मानक स्थापित करता है। तेज़ और सहज सुरक्षा जांच के लिए फुल-बॉडी स्कैनर, डिजियात्रा-सक्षम संपर्क रहित यात्रा, स्वचालित सामान प्रबंधन, त्वरित आव्रजन और एआई-संचालित हवाई अड्डा संचालन जैसी सुविधाएं निर्बाध, सुरक्षित और कुशल यात्रा सुनिश्चित करती हैं।
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Modern airports and advanced connectivity infrastructure serve as gateways to new possibilities and new opportunities for any state. pic.twitter.com/E7fs1kgCQK
— PMO India (@PMOIndia) December 20, 2025
Today, Assam and the entire North East are emerging as the new gateway to India's development. pic.twitter.com/6IR2FaTi5x
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The North East will lead India's future growth. pic.twitter.com/1uURYScmQc
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