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भारत की ऊर्जा योजना का उद्देश्य ऊर्जा न्याय सुनिश्चित करना है : पीएम मोदी
हमारी योजना 'वन नेशन, वन गैस ग्रिड' को प्राप्त करने और गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर शिफ्ट करने की है: पीएम
भारत जलवायु परिवर्तन से जुड़ी प्रतिबद्धता की दिशा में आगे बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चौथे भारत ऊर्जा मंच सेरावीक में उद्घाटन भाषण दिया। फोरम के इस संस्करण की थीम ‘बदलती दुनिया में भारत का ऊर्जा भविष्य’ है।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में ऊर्जा की कमी नहीं है और ऊर्जा के मामले में इसका भविष्य काफी उज्जवल और सुरक्षित है। उन्होंने इस बात को विस्तार देते हुए कहा कि ऊर्जा की मांग में एक तिहाई तक की गिरावट, दामों में अस्थिरता, निवेश संबंधित निर्णयों पर प्रभाव, अगले कुछ सालों में वैश्विक स्तर पर ऊर्जा की मांग में कमी का अनुमान जैसी चुनौतियों के बावजूद भारत ऊर्जा के अग्रणी उपभोक्ता के रूप में उभरा है और आने वाले समय में यह अपनी ऊर्जा खपत को लगभग दोगुना करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि घरेलू विमानन के मामले में भारत तीसरा सबसे बड़ा और सबसे तेजी से आगे बढ़ता विमानन का बाजार है और 2024 तक भारतीय वाहकों के जहाजी बेड़े का आकार 600 से 1200 तक करने का अनुमान है।

उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि ऊर्जा की पहुंच किफायती और विश्वसनीय होनी चाहिए। तब ही सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र लोगों को सशक्त बनाता है और लोगों के रहन सहन को आसान बनाने में मदद करता है। इसके साथ ही उन्होंने इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार की पहलों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इन पहलों ने विशेषतौर पर ग्रामीण लोगों, मध्यम वर्ग और महिलाओं की बहुत मदद की है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की ऊर्जा योजना का लक्ष्य सतत विकास के लिए भारत की प्रतिबद्धताओं का पालन करते हुए ऊर्जा न्याय को सुनिश्चित करना है। इसका मतलब है कि भारतीयों के जीवन में सुधार के लिए कम कार्बन फुटप्रिंट के साथ अधिक ऊर्जा की आवश्यकता है। उन्होंने भारत के ऊर्जा क्षेत्र को विकास केंद्रित, उद्योगों के अनुकूल और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनने की बात कही। उन्होंने कहा कि इसी वजह से भारत नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों का विस्तार करने वाले सबसे सक्रिय देशों में से एक है।

उन्होंने उन पहलों का भी जिक्र किया जिन्होंने भारत को स्वच्छ ऊर्जा में निवेश के लिए सबसे आकर्षक उभरता बाजार बनाया है जैसे कि पिछले 6 सालों में 36 करोड़ से ज्यादा एलईडी बल्बों का वितरण, एलईडी बल्बों की लागत 10 गुना तक कम करना और 1.1 करोड़ से ज्यादा स्मार्ट एलईडी स्ट्रीट लाइट्स लगाना। उन्होंने कहा कि इन पहलों की वजह से हर साल लगभग 60 बिलियन यूनिट ऊर्जा की बचत होती है, सालाना ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 4.5 करोड़ टन की कार्बन डाइऑक्साइड की गिरावट आई है और इससे एक साल में लगभग 24000 करोड़ की बचत हो रही है।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा कि भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने के लिए सही दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया जिसे अब बढ़ाकर 2030 तक 450 गीगावाट कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बाकी औद्योगिक दुनिया के मुकाबले सबसे कम कार्बन उत्सर्जन वाले देशों में से एक होने के बावजूद भारत जलवायु परिवर्तन से अपनी लड़ाई के प्रयास जारी रखेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले छह सालों में ऊर्जा क्षेत्र में सुधार में तेजी आई है। उन्होंने पिछले कुछ समय में किए गए कई महत्वपूर्ण सुधारों के बारे में बताया जैसे कि अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति में सुधार, राजस्व से उत्पादन को बढ़ाने पर फोकस शिफ्ट करना, पारदर्शिता और सुगठित प्रक्रिया पर फोकस करना और रिफाइनिंग की क्षमता को 2025 तक 250 से 400 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष तक बढ़ाने की योजना। उन्होंने कहा कि घरेलू गैस का उत्पादन सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है और यह एक राष्ट्र एक गैस ग्रिड के जरिए प्राप्त किया जाएगा ताकि देश को गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर आगे बढ़ाया जाए।

प्रधानमंत्री ने समुदाय से कच्चे तेल के मूल्य निर्धारण को अधिक जिम्मेदार बनाने का आग्रह किया। उन्होंने समुदाय से तेल और गैस, दोनों के लिए पारदर्शी और लचीले बाजार के निर्माण की अपील भी की। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक गैस के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने और गैस के बाजार मूल्य निर्धारण में एकरूपता लाने के लिए, सरकार प्राकृतिक गैस मार्केटिंग सुधार लेकर आई जो कि ई-बोली के जरिए प्राकृतिक गैस की बिक्री को स्वतंत्रता प्रदान करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि भारत का पहला ऑटोमेटेड राष्ट्रीय स्तर गैस ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इस साल जून में लॉन्च हुआ जो कि गैस के बाजार मूल्य के निर्धारण की मानक प्रक्रिया तय करता है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार आत्मनिर्भर भारत के विजन के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने आगे कहा कि आत्म निर्भर भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए फोर्स मल्टिप्लायर का काम करेगी और ऊर्जा सुरक्षा इन प्रयासों के मूल में समाहित है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों ने इस चुनौतीभरे समय में भी तेल और गैस मूल्य श्रृंखला में निवेश बढ़ाकर सकारात्मक परिणाम देने शुरू कर दिए हैं और अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह के संकेत दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार वैश्विक ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण खिलाड़ियों के साथ रणनीतिक और व्यापक ऊर्जा संबंध बढ़ा रही है। उन्होंने आगे कहा कि भारत के नेबरहुड फर्स्ट नीति के एक हिस्से के तौर पर, पारस्परिक लाभ हेतु पड़ोसी देशों के साथ ऊर्जा कॉरिडोर के विकास को प्राथमिकता दी गई है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जिस प्रकार भगवान सूर्य के रथ को सात घोड़े चलाते थे, उसी तरह भारत के ऊर्जा मैप के भी सात प्रमुख संचालक हैः

1. गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए हमारे प्रयासो में तेजी लाना।

2. जीवाश्म ईंधन विशेष रूप से पेट्रोलियम और कोयले का स्वच्छ उपयोग।

3. जैव-ईंधन हेतु घरेलू स्रोतों पर निर्भरता।

4. 2030 तक 450 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त करना।

5. गतिशीलता को डी-कार्बोनाइज (गैर-कार्बन उत्पन्न) करने के लिए बिजली के योगदान को बढ़ाना।

6. हाइड्रोजन सहित उभरते ईंधनों की ओर बढ़ना।

7. सभी ऊर्जा प्रणालियों में डिजिटल नवाचार बढ़ाना।

उन्होंने कहा कि पिछले छह सालों में जो मजबूत ऊर्जा नीतियां लागू हुई हैं, वह आगे भी जारी रहेंगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ऊर्जा मंच- सेरावीक उद्योग, सरकार और समाज के बीच एक महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म के रूप में काम कर रहा है और कामना की कि यह कॉन्फ्रेंस भविष्य की बेहतर ऊर्जा के लिए उपयोगी साबित होगी।

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