हमारा विजन गांवों को विकास और अवसर के जीवंत केंद्रों में बदलकर ग्रामीण भारत को सशक्त बनाना है: प्रधानमंत्री
हमने हर गांव में बुनियादी सुविधाओं की गारंटी के लिए अभियान शुरू किया है: प्रधानमंत्री
हमारी सरकार की नीयत, नीतियां और निर्णय ग्रामीण भारत को नई ऊर्जा के साथ सशक्त बना रहे हैं: प्रधानमंत्री
आज, भारत सहकारी संस्थाओं के जरिए समृद्धि हासिल करने में लगा हुआ है: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का उद्घाटन किया। इस महोत्सव की थीम ‘विकसित भारत 2024 के लिए एक प्रतिस्कंदी ग्रामीण भारत का निर्माण करना’ है। इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने सभी लोगों को 2025 की हार्दिक शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि वर्ष की शुरुआत में ग्रामीण भारत महोत्सव का भव्य आयोजन भारत की विकास यात्रा की झलक प्रस्तुत कर रहा है और इसकी पहचान बना रहा है। उन्होंने इस आयोजन के लिए नाबार्ड और अन्य सहयोगियों को बधाई दी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम में से जो लोग गांवों में पैदा हुए और पले-बढ़े हैं, वे गांवों की क्षमता को जानते हैं। उन्होंने कहा कि गांव की आत्मा उन लोगों में भी बसती है, जो गांवों में रहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि जो लोग गांवों में रहे हैं, वे गांव का सच्चा जीवन जीना भी जानते हैं। श्री मोदी ने कहा कि वे भाग्यशाली हैं कि उनका बचपन एक छोटे से शहर में साधारण परिवेश में बीता। उन्होंने कहा कि बाद में जब वे शहर से बाहर निकले तो उन्होंने ग्रामीण इलाकों में समय बिताया। प्रधानमंत्री ने कहा, "मैंने कठिनाइयों का अनुभव किया है और गांव की संभावनाओं से भी परिचित हूं।" उन्होंने कहा कि बचपन से ही उन्होंने देखा है कि हालांकि गांव के लोग मेहनती होते हैं, लेकिन पूंजी की कमी के कारण वे सही अवसरों से चूक जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीणों के पास विभिन्न क्षेत्रों में विविध क्षमताएं होने के बावजूद, वे अपनी बुनियादी सुविधाओं को पूरा करने की तलाश में खो जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों के सामने प्राकृतिक आपदाओं, बाजारों तक पहुंच की कमी जैसी कई चुनौतियां हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी को देखने के बाद, उन्होंने अपने मन को दृढ़ किया और चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रोत्साहित हुए। उन्होंने आगे कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में किए जा रहे विकास कार्य गांवों से मिले सबक और अनुभवों से प्रेरित हैं। श्री मोदी ने कहा कि 2014 से वे लगातार ग्रामीण भारत की सेवा में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, “ग्रामीण भारत के लोगों के लिए सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना मेरी सरकार की प्राथमिकता है।” उन्होंने कहा कि उनका विजन एक सशक्त ग्रामीण भारत सुनिश्चित करना, ग्रामीणों को पर्याप्त अवसर प्रदान करना, पलायन को कम करना और गांवों के लोगों के जीवन को आसान बनाना है। इसलिए, उन्होंने कहा, सरकार ने बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक गांव में एक कार्यक्रम लागू किया है। श्री मोदी ने इस बात पर रोशनी डाली कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत हर घर में शौचालय उपलब्ध कराया गया, ग्रामीण भारत के करोड़ों लोगों को पीएम आवास योजना के तहत पक्के घर दिए गए और जल जीवन मिशन के तहत गांवों में लाखों घरों को सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल सुनिश्चित किया गया।

प्रधानमंत्री ने कहा, "आज डेढ़ लाख से ज़्यादा आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएँ मुहैया कराई जा रही हैं।" उन्होंने कहा कि डिजिटल प्रौद्योगिकी की मदद से टेलीमेडिसिन ने गांवों में बेहतरीन डॉक्टरों और अस्पतालों का विकल्प सुनिश्चित किया है। उन्होंने आगे कहा कि ई-संजीवनी के ज़रिए टेलीमेडिसिन से ग्रामीण इलाकों के करोड़ों लोगों को फ़ायदा हुआ है। श्री मोदी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया आश्चर्य कर रही थी कि भारत के गांव कैसे इससे निपटेंगे। उन्होंने कहा कि हालांकि, सरकार ने यह सुनिश्चित किया कि हर गांव में आखिरी व्यक्ति तक टीके पहुँचें।

प्रधानमंत्री ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए ग्रामीण समाज के हर वर्ग पर विचार करने वाली आर्थिक नीतियां बनाने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्हें खुशी है कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने गांव के हर वर्ग के लिए विशेष नीतियां बनाई हैं और फैसले लिए हैं। श्री मोदी ने कहा कि कुछ दिन पहले ही कैबिनेट ने पीएम फसल बीमा योजना को एक और साल के लिए बढ़ाने को मंजूरी दी और डीएपी पर सब्सिडी जारी रखने का फैसला किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार की मंशा, नीतियां और फैसले ग्रामीण भारत में नई ऊर्जा का संचार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने ग्रामीणों को उनके गांवों में अधिकतम आर्थिक सहायता प्रदान करने, उन्हें खेती में संलग्न करने और रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर पैदा करने के लक्ष्य को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए किसानों को करीब 3 लाख करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली है। यह देखते हुए कि पिछले 10 वर्षों में कृषि ऋण की राशि में 3.5 गुना वृद्धि हुई है, श्री मोदी ने कहा कि अब पशुपालकों और मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, देश में 9,000 से अधिक किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को वित्तीय सहायता मिल रही है। उन्होंने आगे बताया कि सरकार ने पिछले 10 वर्षों में कई फसलों के लिए एमएसपी में लगातार वृद्धि की है।

श्री मोदी ने स्वामित्व योजना जैसे अभियान शुरू किए जाने पर प्रकाश डाला, जिसके माध्यम से ग्रामीणों को संपत्ति के कागजात मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए कई नीतियां लागू की गई हैं। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि एमएसएमई को क्रेडिट लिंक गारंटी योजना से लाभ मिला है, जिसका लाभ एक करोड़ से अधिक ग्रामीण एमएसएमई को मिला है। उन्होंने कहा कि आज ग्रामीण युवाओं को मुद्रा योजना, स्टार्ट-अप इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं से समर्थन मिल रहा है।

प्रधानमंत्री ने ग्रामीण परिदृश्य को बदलने में सहकारी संस्थाओं के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारत सहकारी संस्थाओं के ज़रिए समृद्धि की राह पर है और इस उद्देश्य को ध्यान में रख कर 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की गई थी। उन्होंने कहा कि किसानों और ग्रामीणों को उनके उत्पादों का बेहतर मूल्य मिले, यह सुनिश्चित करने के लिए लगभग 70,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को कम्प्यूटरीकृत किया जा रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि के अलावा, हमारे गांवों में लोहारी, बढ़ईगीरी और मिट्टी के बर्तन बनाने जैसी कई पारंपरिक कलाएं और कौशल प्रचलित रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन व्यवसायों ने ग्रामीण और स्थानीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, लेकिन पहले इन्हें नजरअंदाज किया जाता था। उन्होंने कहा कि उनके कौशल को बढ़ाने और किफायती सहायता प्रदान करने के लिए विश्वकर्मा योजना लागू की जा रही है, जिससे लाखों विश्वकर्मा कारीगरों को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है।

श्री मोदी ने कहा, "जब इरादे नेक हों, तो नतीजे संतोषजनक होते हैं।" उन्होंने कहा कि देश अब पिछले 10 वर्षों में की गई कड़ी मेहनत का लाभ उठा रहा है। हाल ही में हुए एक बड़े सर्वेक्षण का हवाला देते हुए, जिसमें कई महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए, श्री मोदी ने कहा कि 2011 की तुलना में ग्रामीण भारत में खपत लगभग तीन गुना बढ़ गई है, जो दर्शाता है कि लोग अपनी पसंदीदा वस्तुओं पर अधिक खर्च कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले, ग्रामीणों को अपनी आय का 50 प्रतिशत से अधिक भोजन पर खर्च करना पड़ता था, लेकिन आजादी के बाद पहली बार ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन पर खर्च 50 प्रतिशत से कम हो गया है। उन्होंने समझाया कि इसका मतलब है कि लोग अब अन्य इच्छाओं और जरूरतों पर खर्च कर रहे हैं, जिससे उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

सर्वेक्षण से एक और महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर प्रकाश डालते हुए, जिसमें पता चला कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच खपत का अंतर कम हुआ है, प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि पहले यह माना जाता था कि शहरी व्यक्ति गांवों के लोगों की तुलना में अधिक खर्च कर सकते हैं, लेकिन निरंतर प्रयासों से यह असमानता कम हो गई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ग्रामीण भारत की कई सफलता की कहानियाँ हमें प्रेरित करती हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि ये उपलब्धियां पिछली सरकारों के कार्यकाल में भी हासिल की जा सकती थीं, लेकिन आजादी के बाद दशकों तक लाखों गांव बुनियादी जरूरतों से वंचित रहे। उन्होंने बताया कि एससी, एसटी और ओबीसी की अधिकांश आबादी गांवों में रहती है और पिछली सरकारों ने उनकी उपेक्षा की। इससे गांवों से पलायन हुआ, गरीबी बढ़ी और ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच की खाई बढ़ती गई। सीमावर्ती गांवों को देश का आखिरी गांव मानने की पिछली धारणा का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने उन्हें पहले गांव का दर्जा दिया है और उनके विकास के लिए जीवंत गांव योजना शुरू की है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सीमावर्ती गांवों के विकास से वहां के निवासियों की आय बढ़ रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जिन लोगों को पहले नजरअंदाज किया जाता था, अब उनकी सरकार उन्हें प्राथमिकता दे रही है। प्रधानमंत्री ने आदिवासी क्षेत्रों के विकास के लिए पीएम जनमन योजना शुरू करने का जिक्र किया, जिससे दशकों से विकास से वंचित क्षेत्रों को समान अधिकार सुनिश्चित हुए। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में उनकी सरकार ने पिछली सरकारों की कई गलतियों को सुधारा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सरकार ग्रामीण विकास के जरिए राष्ट्रीय विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इन प्रयासों के परिणामस्वरूप पिछले 10 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। उन्होंने भारतीय स्टेट बैंक के एक हालिया अध्ययन का उल्लेख किया, जिसमें पता चला है कि भारत में ग्रामीण गरीबी 2012 में लगभग 26 प्रतिशत से घटकर 2024 में 5 प्रतिशत से भी कम हो गई है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग दशकों से गरीबी उन्मूलन के नारे लगा रहे हैं, लेकिन अब देश में गरीबी में वास्तविक कमी देखी जा रही है।

भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका और इस भूमिका को बढ़ाने के लिए सरकार के प्रयासों पर जोर देते हुए, श्री मोदी ने कहा कि महिलाएं बैंक सखी और बीमा सखी के रूप में ग्रामीण जीवन को फिर से परिभाषित कर रही हैं और स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से एक नई क्रांति का नेतृत्व कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गांवों में 1.15 करोड़ महिलाएं लखपति दीदी बन चुकी हैं और सरकार का लक्ष्य 3 करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाना है। उन्होंने कहा कि दलित, वंचित और आदिवासी समुदायों की महिलाओं के लिए विशेष योजनाएं भी लागू की जा रही हैं।

ग्रामीण बुनियादी ढांचे पर अभूतपूर्व ध्यान केंद्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अधिकांश गांव अब राजमार्गों, एक्सप्रेसवे और रेलवे से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पिछले 10 वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 4 लाख किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, "डिजिटल बुनियादी ढांचे के मामले में गांव 21वीं सदी के आधुनिक गांव बन रहे हैं"। उन्होंने कहा कि 94 प्रतिशत से अधिक ग्रामीण परिवारों के पास अब टेलीफोन या मोबाइल फोन और बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच है और गांवों में यूपीआई जैसी विश्व स्तरीय प्रौद्योगिकी उपलब्ध है। श्री मोदी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कॉमन सर्विस सेंटरों की संख्या 2014 से पहले 1 लाख से भी कम से बढ़कर आज 5 लाख से अधिक हो गई है, जो दर्जनों सरकारी सेवाएं ऑनलाइन प्रदान करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह बुनियादी ढांचा गांव के विकास को गति दे रहा है, रोजगार के अवसर पैदा कर रहा है और गांवों को राष्ट्र की प्रगति के साथ एकीकृत कर रहा है।

स्वयं सहायता समूहों से लेकर किसान क्रेडिट कार्ड तक विभिन्न पहलों की सफलता में नाबार्ड के वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि नाबार्ड देश के लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहेगा। उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) की ताकत और किसानों की उपज के लिए बेहतर मूल्य सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने अधिक एफपीओ बनाने और उस दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि दूध उत्पादन वर्तमान में किसानों को सबसे अधिक लाभ प्रदान कर रहा है। उन्होंने देश भर में पहुंच के साथ अमूल जैसी 5-6 और सहकारी समितियां स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश मिशन मोड में प्राकृतिक खेती को आगे बढ़ा रहा है और इस पहल में अधिक किसानों को शामिल करने का आग्रह किया। श्री मोदी ने देश भर में अपने उत्पादों की मांग को पूरा करने के लिए स्वयं सहायता समूहों को सूक्ष्म और लघु उद्योगों (एमएसएमई) से जोड़ने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इन उत्पादों की उचित ब्रांडिंग और मार्केटिंग की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने जीआई उत्पादों की गुणवत्ता, पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर ध्यान देने के महत्व पर भी बल दिया।

ग्रामीण आय में विविधता लाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए प्रधानमंत्री ने सिंचाई को किफायती बनाने, सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने, अधिक ग्रामीण उद्यम बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए प्राकृतिक खेती के लाभों को अधिकतम करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस दिशा में समयबद्ध प्रयास करने का आग्रह किया।

श्री मोदी ने आग्रह किया कि पूरे गांव को सामूहिक रूप से अपने गांव में बने अमृत सरोवर की देखभाल करनी चाहिए। उन्होंने चल रहे 'एक पेड़ माँ के नाम' अभियान का उल्लेख किया और इस पहल में भाग लेने वाले प्रत्येक ग्रामीण को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने गांव की पहचान में सद्भाव और प्रेम के महत्व पर भी प्रकाश डाला। यह देखते हुए कि कुछ लोग जाति के नाम पर समाज में जहर फैलाने और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, श्री मोदी ने इन साजिशों को विफल करने और गांव की साझा संस्कृति को संरक्षित करने का आग्रह किया।

अपने भाषण का समापन करते हुए प्रधानमंत्री ने गांवों को सशक्त बनाने की दिशा में निरंतर काम करने और संकल्पों को हर गांव तक पहुंचाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने विश्वास जताया कि गांवों के विकास से ही एक विकसित भारत का निर्माण होगा।

इस अवसर पर केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री श्री पंकज चौधरी सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

पृष्ठभूमि

ग्रामीण भारत की उद्यमशीलता की भावना और सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाते हुए, ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का आयोजन 4 से 9 जनवरी तक किया रहा है। इस महोत्सव का विषय होगा ‘विकसित भारत 2047 के लिए एक प्रतिस्कंदी ग्रामीण भारत का निर्माण’ और इसका आदर्श वाक्य है “गांव बढ़े, तो देश बढ़े”। महोत्सव का उद्देश्य ग्रामीण भारत की उद्यमशीलता की भावना और सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाना है।

महोत्सव का उद्देश्य विभिन्न चर्चाओं, कार्यशालाओं और मास्टरक्लास के माध्यम से ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाना, आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था बनाना और ग्रामीण समुदायों के भीतर नवाचार को बढ़ावा देना है। इसके उद्देश्यों में वित्तीय समावेशन को संबोधित करके और टिकाऊ कृषि प्रथाओं का समर्थन करके उत्तर-पूर्व भारत पर विशेष ध्यान देने के साथ ग्रामीण आबादी के बीच आर्थिक स्थिरता और वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देना शामिल हैं।

महोत्सव का एक महत्वपूर्ण फोकस उद्यमिता के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना; सहयोगात्मक और सामूहिक ग्रामीण बदलाव के लिए रोडमैप बनाने हेतु सरकारी अधिकारियों, विचारकों, ग्रामीण उद्यमियों, कारीगरों और विविध क्षेत्रों के हितधारकों को एक साथ लाना; ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी और नवीन प्रथाओं का लाभ उठाने के बारे में चर्चाओं को प्रोत्साहित करना और जीवंत प्रदर्शनों और प्रदर्शनियों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करना है।

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असम ने विकास की नई गति पकड़ी है: पीएम मोदी
December 21, 2025
असम ने विकास की नई गति पकड़ी है-प्रधानमंत्री
हमारी सरकार किसानों के कल्याण को अपने सभी प्रयासों के केंद्र में रख रही है-प्रधानमंत्री मोदी
कृषि को बढ़ावा देने और किसानों का समर्थन करने के लिए प्रधानमंत्री धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन जैसी पहलें शुरू की गई हैं- प्रधानमंत्री
'सबका साथ, सबका विकास' की परिकल्पना से प्रेरित होकर हमारे प्रयासों ने गरीबों के जीवन को बदल दिया है-प्रधानमंत्री मोदी

उज्जनिर रायज केने आसे? आपुनालुकोलोई मुर अंतोरिक मोरोम आरु स्रद्धा जासिसु।

असम के गवर्नर लक्ष्मण प्रसाद आचार्य जी, मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा जी, केंद्र में मेरे सहयोगी और यहीं के आपके प्रतिनिधि, असम के पूर्व मुख्यमंत्री, सर्बानंद सोनोवाल जी, असम सरकार के मंत्रीगण, सांसद, विधायक, अन्य महानुभाव, और विशाल संख्या में आए हुए, हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए हुए, मेरे सभी भाइयों और बहनों, जितने लोग पंडाल में हैं, उससे ज्यादा मुझे वहां बाहर दिखते हैं।

सौलुंग सुकाफा और महावीर लसित बोरफुकन जैसे वीरों की ये धरती, भीमबर देउरी, शहीद कुसल कुवर, मोरान राजा बोडौसा, मालती मेम, इंदिरा मिरी, स्वर्गदेव सर्वानंद सिंह और वीरांगना सती साध`नी की ये भूमि, मैं उजनी असम की इस महान मिट्टी को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ।

साथियों,

मैं देख रहा हूँ, सामने दूर-दूर तक आप सब इतनी बड़ी संख्या में अपना उत्साह, अपना उमंग, अपना स्नेह बरसा रहे हैं। और खासकर, मेरी माताएँ बहनें, इतनी विशाल संख्या में आप जो प्यार और आशीर्वाद लेकर आईं हैं, ये हमारी सबसे बड़ी शक्ति है, सबसे बड़ी ऊर्जा है, एक अद्भुत अनुभूति है। मेरी बहुत सी बहनें असम के चाय बगानों की खुशबू लेकर यहां उपस्थित हैं। चाय की ये खुशबू मेरे और असम के रिश्तों में एक अलग ही ऐहसास पैदा करती है। मैं आप सभी को प्रणाम करता हूँ। इस स्नेह और प्यार के लिए मैं हृदय से आप सबका आभार करता हूँ।

साथियों,

आज असम और पूरे नॉर्थ ईस्ट के लिए बहुत बड़ा दिन है। नामरूप और डिब्रुगढ़ को लंबे समय से जिसका इंतज़ार था, वो सपना भी आज पूरा हो रहा है, आज इस पूरे इलाके में औद्योगिक प्रगति का नया अध्याय शुरू हो रहा है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने यहां अमोनिया–यूरिया फर्टिलाइज़र प्लांट का भूमि पूजन किया है। डिब्रुगढ़ आने से पहले गुवाहाटी में एयरपोर्ट के एक टर्मिनल का उद्घाटन भी हुआ है। आज हर कोई कह रहा है, असम विकास की एक नई रफ्तार पकड़ चुका है। मैं आपको बताना चाहता हूँ, अभी आप जो देख रहे हैं, जो अनुभव कर रहे हैं, ये तो एक शुरुआत है। हमें तो असम को बहुत आगे लेकर के जाना है, आप सबको साथ लेकर के आगे बढ़ना है। असम की जो ताकत और असम की भूमिका ओहोम साम्राज्य के दौर में थी, विकसित भारत में असम वैसी ही ताकतवर भूमि बनाएंगे। नए उद्योगों की शुरुआत, आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण, Semiconductors, उसकी manufacturing, कृषि के क्षेत्र में नए अवसर, टी-गार्डेन्स और उनके वर्कर्स की उन्नति, पर्यटन में बढ़ती संभावनाएं, असम हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। मैं आप सभी को और देश के सभी किसान भाई-बहनों को इस आधुनिक फर्टिलाइज़र प्लांट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ देता हूँ। मैं आपको गुवाहटी एयरपोर्ट के नए टर्मिनल के लिए भी बधाई देता हूँ। बीजेपी की डबल इंजन सरकार में, उद्योग और कनेक्टिविटी की ये जुगलबंदी, असम के सपनों को पूरा कर रही है, और साथ ही हमारे युवाओं को नए सपने देखने का हौसला भी दे रही है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में देश के किसानों की, यहां के अन्नदाताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। इसलिए हमारी सरकार किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए दिन-रात काम कर रही है। यहां आप सभी को किसान हितैषी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। कृषि कल्याण की योजनाओं के बीच, ये भी जरूरी है कि हमारे किसानों को खाद की निरंतर सप्लाई मिलती रहे। आने वाले समय में ये यूरिया कारख़ाना यह सुनिश्चित करेगा। इस फर्टिलाइज़र प्रोजेक्ट पर करीब 11 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यहां हर साल 12 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा खाद बनेगी। जब उत्पादन यहीं होगा, तो सप्लाई तेज होगी। लॉजिस्टिक खर्च घटेगा।

साथियों,

नामरूप की ये यूनिट रोजगार-स्वरोजगार के हजारों नए अवसर भी बनाएगी। प्लांट के शुरू होते ही अनेकों लोगों को यहीं पर स्थायी नौकरी भी मिलेगी। इसके अलावा जो काम प्लांट के साथ जुड़ा होता है, मरम्मत हो, सप्लाई हो, कंस्ट्रक्शन का बहुत बड़ी मात्रा में काम होगा, यानी अनेक काम होते हैं, इन सबमें भी यहां के स्थानीय लोगों को और खासकर के मेरे नौजवानों को रोजगार मिलेगा।

लेकिन भाइयों बहनों,

आप सोचिए, किसानों के कल्याण के लिए काम बीजेपी सरकार आने के बाद ही क्यों हो रहा है? हमारा नामरूप तो दशकों से खाद उत्पादन का केंद्र था। एक समय था, जब यहां बनी खाद से नॉर्थ ईस्ट के खेतों को ताकत मिलती थी। किसानों की फसलों को सहारा मिलता था। जब देश के कई हिस्सों में खाद की आपूर्ति चुनौती बनी, तब भी नामरूप किसानों के लिए उम्मीद बना रहा। लेकिन, पुराने कारखानों की टेक्नालजी समय के साथ पुरानी होती गई, और काँग्रेस की सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजा ये हुआ कि, नामरूप प्लांट की कई यूनिट्स इसी वजह से बंद होती गईं। पूरे नॉर्थ ईस्ट के किसान परेशान होते रहे, देश के किसानों को भी तकलीफ हुई, उनकी आमदनी पर चोट पड़ती रही, खेती में तकलीफ़ें बढ़ती गईं, लेकिन, काँग्रेस वालों ने इस समस्या का कोई हल ही नहीं निकाला, वो अपनी मस्ती में ही रहे। आज हमारी डबल इंजन सरकार, काँग्रेस द्वारा पैदा की गई उन समस्याओं का समाधान भी कर रही है।

साथियों,

असम की तरह ही, देश के दूसरे राज्यों में भी खाद की कितनी ही फ़ैक्टरियां बंद हो गईं थीं। आप याद करिए, तब किसानों के क्या हालात थे? यूरिया के लिए किसानों को लाइनों में लगना पड़ता था। यूरिया की दुकानों पर पुलिस लगानी पड़ती थी। पुलिस किसानों पर लाठी बरसाती थी।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस ने जिन हालातों को बिगाड़ा था, हमारी सरकार उन्हें सुधारने के लिए एडी-चोटी की ताकत लगा रही है। और इन्होंने इतना बुरा किया,इतना बुरा किया कि, 11 साल से मेहनत करने के बाद भी, अभी मुझे और बहुत कुछ करना बाकी है। काँग्रेस के दौर में फर्टिलाइज़र्स फ़ैक्टरियां बंद होती थीं। जबकि हमारी सरकार ने गोरखपुर, सिंदरी, बरौनी, रामागुंडम जैसे अनेक प्लांट्स शुरू किए हैं। इस क्षेत्र में प्राइवेट सेक्टर को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। आज इसी का नतीजा है, हम यूरिया के क्षेत्र में आने वाले कुछ समय में आत्मनिर्भर हो सके, उस दिशा में मजबूती से कदम रख रहे हैं।

साथियों,

2014 में देश में सिर्फ 225 लाख मीट्रिक टन यूरिया का ही उत्पादन होता था। आपको आंकड़ा याद रहेगा? आंकड़ा याद रहेगा? मैं आपने मुझे काम दिया 10-11 साल पहले, तब उत्पादन होता था 225 लाख मीट्रिक टन। ये आंकड़ा याद रखिए। पिछले 10-11 साल की मेहनत में हमने उत्पादन बढ़ाकर के करीब 306 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच चुका है। लेकिन हमें यहां रूकना नहीं है, क्योंकि अभी भी बहुत करने की जरूरत है। जो काम उनको उस समय करना था, नहीं किया, और इसलिए मुझे थोड़ा एक्स्ट्रा मेहनत करनी पड़ रही है। और अभी हमें हर साल करीब 380 लाख मीट्रिक टन यूरिया की जरूरत पड़ती है। हम 306 पर पहुंचे हैं, 70-80 और करना है। लेकिन मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं, हम जिस प्रकार से मेहनत कर रहे हैं, जिस प्रकार से योजना बना रहे हैं और जिस प्रकार से मेरे किसान भाई-बहन हमें आशीर्वाद दे रहे हैं, हम हो सके उतना जल्दी इस गैप को भरने में कोई कमी नहीं रखेंगे।

और भाइयों और बहनों,

मैं आपको एक और बात बताना चाहता हूं, आपके हितों को लेकर हमारी सरकार बहुत ज्यादा संवेदनशील है। जो यूरिया हमें महंगे दामों पर विदेशों से मंगाना पड़ता है, हम उसकी भी चोट अपने किसानों पर नहीं पड़ने देते। बीजेपी सरकार सब्सिडी देकर वो भार सरकार खुद उठाती है। भारत के किसानों को सिर्फ 300 रुपए में यूरिया की बोरी मिलती है, उस एक बोरी के बदले भारत सरकार को दूसरे देशों को, जहां से हम बोरी लाते हैं, करीब-करीब 3 हजार रुपए देने पड़ते हैं। अब आप सोचिए, हम लाते हैं 3000 में, और देते हैं 300 में। यह सारा बोझ देश के किसानों पर हम नहीं पड़ने देते। ये सारा बोझ सरकार खुद भरती है। ताकि मेरे देश के किसान भाई बहनों पर बोझ ना आए। लेकिन मैं किसान भाई बहनों को भी कहूंगा, कि आपको भी मेरी मदद करनी होगी और वह मेरी मदद है इतना ही नहीं, मेरे किसान भाई-बहन आपकी भी मदद है, और वो है यह धरती माता को बचाना। हम धरती माता को अगर नहीं बचाएंगे तो यूरिया की कितने ही थैले डाल दें, यह धरती मां हमें कुछ नहीं देगी और इसलिए जैसे शरीर में बीमारी हो जाए, तो दवाई भी हिसाब से लेनी पड़ती है, दो गोली की जरूरत है, चार गोली खा लें, तो शरीर को फायदा नहीं नुकसान हो जाता है। वैसा ही इस धरती मां को भी अगर हम जरूरत से ज्यादा पड़ोस वाला ज्यादा बोरी डालता है, इसलिए मैं भी बोरी डाल दूं। इस प्रकार से अगर करते रहेंगे तो यह धरती मां हमसे रूठ जाएगी। यूरिया खिला खिलाकर के हमें धरती माता को मारने का कोई हक नहीं है। यह हमारी मां है, हमें उस मां को भी बचाना है।

साथियों,

आज बीज से बाजार तक भाजपा सरकार किसानों के साथ खड़ी है। खेत के काम के लिए सीधे खाते में पैसे पहुंचाए जा रहे हैं, ताकि किसान को उधार के लिए भटकना न पड़े। अब तक पीएम किसान सम्मान निधि के लगभग 4 लाख करोड़ रुपए किसानों के खाते में भेजे गए हैं। आंकड़ा याद रहेगा? भूल जाएंगे? 4 लाख करोड़ रूपया मेरे देश के किसानों के खाते में सीधे जमा किए हैं। इसी साल, किसानों की मदद के लिए 35 हजार करोड़ रुपए की दो योजनाएं नई योजनाएं शुरू की हैं 35 हजार करोड़। पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन, इससे खेती को बढ़ावा मिलेगा।

साथियों,

हम किसानों की हर जरूरत को ध्यान रखते हुए काम कर रहे हैं। खराब मौसम की वजह से फसल नुकसान होने पर किसान को फसल बीमा योजना का सहारा मिल रहा है। फसल का सही दाम मिले, इसके लिए खरीद की व्यवस्था सुधारी गई है। हमारी सरकार का साफ मानना है कि देश तभी आगे बढ़ेगा, जब मेरा किसान मजबूत होगा। और इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं।

साथियों,

केंद्र में हमारी सरकार बनने के बाद हमने किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से पशुपालकों और मछलीपालकों को भी जोड़ दिया था। किसान क्रेडिट कार्ड, KCC, ये KCC की सुविधा मिलने के बाद हमारे पशुपालक, हमारे मछली पालन करने वाले इन सबको खूब लाभ उठा रहा है। KCC से इस साल किसानों को, ये आंकड़ा भी याद रखो, KCC से इस साल किसानों को 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद दी गई है। 10 लाख करोड़ रुपया। बायो-फर्टिलाइजर पर GST कम होने से भी किसानों को बहुत फायदा हुआ है। भाजपा सरकार भारत के किसानों को नैचुरल फार्मिंग के लिए भी बहुत प्रोत्साहन दे रही है। और मैं तो चाहूंगा असम के अंदर कुछ तहसील ऐसे आने चाहिए आगे, जो शत प्रतिशत नेचुरल फार्मिंग करते हैं। आप देखिए हिंदुस्तान को असम दिशा दिखा सकता है। असम का किसान देश को दिशा दिखा सकता है। हमने National Mission On Natural Farming शुरू की, आज लाखों किसान इससे जुड़ चुके हैं। बीते कुछ सालों में देश में 10 हजार किसान उत्पाद संघ- FPO’s बने हैं। नॉर्थ ईस्ट को विशेष ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार ने खाद्य तेलों- पाम ऑयल से जुड़ा मिशन भी शुरू किया। ये मिशन भारत को खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर तो बनाएगा ही, यहां के किसानों की आय भी बढ़ाएगा।

साथियों,

यहां इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में हमारे टी-गार्डन वर्कर्स भी हैं। ये भाजपा की ही सरकार है जिसने असम के साढ़े सात लाख टी-गार्डन वर्कर्स के जनधन बैंक खाते खुलवाए। अब बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने की वजह से इन वर्कर्स के बैंक खातों में सीधे पैसे भेजे जाने की सुविधा मिली है। हमारी सरकार टी-गार्डन वाले क्षेत्रों में स्कूल, रोड, बिजली, पानी, अस्पताल की सुविधाएं बढ़ा रही है।

साथियों,

हमारी सरकार सबका साथ सबका विकास के मंत्र के साथ आगे बढ़ रही है। हमारा ये विजन, देश के गरीब वर्ग के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लेकर आया है। पिछले 11 वर्षों में हमारे प्रयासों से, योजनाओं से, योजनाओं को धरती पर उतारने के कारण 25 करोड़ लोग, ये आंकड़ा भी याद रखना, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं। देश में एक नियो मिडिल क्लास तैयार हुआ है। ये इसलिए हुआ है, क्योंकि बीते वर्षों में भारत के गरीब परिवारों के जीवन-स्तर में निरंतर सुधार हुआ है। कुछ ताजा आंकड़े आए हैं, जो भारत में हो रहे बदलावों के प्रतीक हैं।

साथियों,

और मैं मीडिया में ये सारी चीजें बहुत काम आती हैं, और इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं मैं जो बातें बताता हूं जरा याद रख के औरों को बताना।

साथियों,

पहले गांवों के सबसे गरीब परिवारों में, 10 परिवारों में से 1 के पास बाइक तक होती नहीं थी। 10 में से 1 के पास भी नहीं होती थी। अभी जो सर्वे आए हैं, अब गांव में रहने वाले करीब–करीब आधे परिवारों के पास बाइक या कार होती है। इतना ही नहीं मोबाइल फोन तो लगभग हर घर में पहुंच चुके हैं। फ्रिज जैसी चीज़ें, जो पहले “लग्ज़री” मानी जाती थीं, अब ये हमारे नियो मिडल क्लास के घरों में भी नजर आने लगी है। आज गांवों की रसोई में भी वो जगह बना चुका है। नए आंकड़े बता रहे हैं कि स्मार्टफोन के बावजूद, गांव में टीवी रखने का चलन भी बढ़ रहा है। ये बदलाव अपने आप नहीं हुआ। ये बदलाव इसलिए हुआ है क्योंकि आज देश का गरीब सशक्त हो रहा है, दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले गरीब तक भी विकास का लाभ पहुंचने लगा है।

साथियों,

भाजपा की डबल इंजन सरकार गरीबों, आदिवासियों, युवाओं और महिलाओं की सरकार है। इसीलिए, हमारी सरकार असम और नॉर्थ ईस्ट में दशकों की हिंसा खत्म करने में जुटी है। हमारी सरकार ने हमेशा असम की पहचान और असम की संस्कृति को सर्वोपरि रखा है। भाजपा सरकार असमिया गौरव के प्रतीकों को हर मंच पर हाइलाइट करती है। इसलिए, हम गर्व से महावीर लसित बोरफुकन की 125 फीट की प्रतिमा बनाते हैं, हम असम के गौरव भूपेन हजारिका की जन्म शताब्दी का वर्ष मनाते हैं। हम असम की कला और शिल्प को, असम के गोमोशा को दुनिया में पहचान दिलाते हैं, अभी कुछ दिन पहले ही Russia के राष्ट्रपति श्रीमान पुतिन यहां आए थे, जब दिल्ली में आए, तो मैंने बड़े गर्व के साथ उनको असम की ब्लैक-टी गिफ्ट किया था। हम असम की मान-मर्यादा बढ़ाने वाले हर काम को प्राथमिकता देते हैं।

लेकिन भाइयों बहनों,

भाजपा जब ये काम करती है तो सबसे ज्यादा तकलीफ काँग्रेस को होती है। आपको याद होगा, जब हमारी सरकार ने भूपेन दा को भारत रत्न दिया था, तो काँग्रेस ने खुलकर उसका विरोध किया था। काँग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा था कि, मोदी नाचने-गाने वालों को भारत रत्न दे रहा है। मुझे बताइए, ये भूपेन दा का अपमान है कि नहीं है? कला संस्कृति का अपमान है कि नहीं है? असम का अपमान है कि नहीं है? ये कांग्रेस दिन रात करती है, अपमान करना। हमने असम में सेमीकंडक्टर यूनिट लगवाई, तो भी कांग्रेस ने इसका विरोध किया। आप मत भूलिए, यही काँग्रेस सरकार थी, जिसने इतने दशकों तक टी कम्यूनिटी के भाई-बहनों को जमीन के अधिकार नहीं मिलने दिये! बीजेपी की सरकार ने उन्हें जमीन के अधिकार भी दिये और गरिमापूर्ण जीवन भी दिया। और मैं तो चाय वाला हूं, मैं नहीं करूंगा तो कौन करेगा? ये कांग्रेस अब भी देशविरोधी सोच को आगे बढ़ा रही है। ये लोग असम के जंगल जमीन पर उन बांग्लादेशी घुसपैठियों को बसाना चाहते हैं। जिनसे इनका वोट बैंक मजबूत होता है, आप बर्बाद हो जाए, उनको इनकी परवाह नहीं है, उनको अपनी वोट बैंक मजबूत करनी है।

भाइयों बहनों,

काँग्रेस को असम और असम के लोगों से, आप लोगों की पहचान से कोई लेना देना नहीं है। इनको केवल सत्ता,सरकार और फिर जो काम पहले करते थे, वो करने में इंटरेस्ट है। इसीलिए, इन्हें अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ज्यादा अच्छे लगते हैं। अवैध घुसपैठियों को काँग्रेस ने ही बसाया, और काँग्रेस ही उन्हें बचा रही है। इसीलिए, काँग्रेस पार्टी वोटर लिस्ट के शुद्धिकरण का विरोध कर रही है। तुष्टीकरण और वोटबैंक के इस काँग्रेसी जहर से हमें असम को बचाकर रखना है। मैं आज आपको एक गारंटी देता हूं, असम की पहचान, और असम के सम्मान की रक्षा के लिए भाजपा, बीजेपी फौलाद बनकर आपके साथ खड़ी है।

साथियों,

विकसित भारत के निर्माण में, आपके ये आशीर्वाद यही मेरी ताकत है। आपका ये प्यार यही मेरी पूंजी है। और इसीलिए पल-पल आपके लिए जीने का मुझे आनंद आता है। विकसित भारत के निर्माण में पूर्वी भारत की, हमारे नॉर्थ ईस्ट की भूमिका लगातार बढ़ रही है। मैंने पहले भी कहा है कि पूर्वी भारत, भारत के विकास का ग्रोथ इंजन बनेगा। नामरूप की ये नई यूनिट इसी बदलाव की मिसाल है। यहां जो खाद बनेगी, वो सिर्फ असम के खेतों तक नहीं रुकेगी। ये बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वी उत्तर प्रदेश तक पहुंचेगी। ये कोई छोटी बात नहीं है। ये देश की खाद जरूरत में नॉर्थ ईस्ट की भागीदारी है। नामरूप जैसे प्रोजेक्ट, ये दिखाते हैं कि, आने वाले समय में नॉर्थ ईस्ट, आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। सच्चे अर्थ में अष्टलक्ष्मी बन के रहेगा। मैं एक बार फिर आप सभी को नए फर्टिलाइजर प्लांट की बधाई देता हूं। मेरे साथ बोलिए-

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

और इस वर्ष तो वंदे मातरम के 150 साल हमारे गौरवपूर्ण पल, आइए हम सब बोलें-

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।

वंदे मातरम्।