प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने वैक्सीन विकसित करने, दवाओं की खोज, रोग-निदान और परीक्षण की दिशा में भारत के प्रयासों की मौजूदा स्थिति की विस्तृत समीक्षा की। भारतीय वैक्सीन कंपनियां अपनी गुणवत्ता, विनिर्माण क्षमता और वैश्विक स्‍तर पर अपनी मौजूदगी के लिए जानी जाती हैं। इसके अलावा, अब तो भारतीय वैक्सीन कंपनियां शुरुआती चरण के वैक्सीन विकास अनुसंधान में अन्‍वेषकों (इनोवेटर) के रूप में भी अपना व्‍यापक प्रभाव डालने लगी हैं। इसी तरह, भारतीय शिक्षाविद और स्टार्ट-अप्‍स भी इस क्षेत्र में अग्रणी की भूमिका में उभर चुके हैं। 30 से भी अधिक भारतीय वैक्सीन (टीका) फि‍लहाल कोरोना वैक्सीन के विकास के विभिन्न चरणों में हैं। यही नहीं, कुछ वैक्सीन तो परीक्षण के चरणों में भी पहुंच गई हैं।

इसी तरह, दवाओं के विकास में तीन तरह के दृष्टिकोण पर विचार किया जा रहा है। पहला, मौजूदा दवाओं का प्रयोजन पुनः तय करना। इस श्रेणी में कम से कम चार दवाओं का संश्लेषण और परीक्षण किया जा रहा है। दूसरा, बेहतरीन प्रदर्शन संबंधी अभिकलन दृष्टिकोण को प्रयोगशाला (लैब) में सत्यापन के साथ जोड़ते हुए नई दवाओं और अणुओं के विकास में तेजी लाई जा रही है। तीसरा, पौधों के अर्क और उत्पादों के सामान्य वायरल रोधी गुणों का पता लगाने के लिए उनकी गहन जांच की जा रही है।

रोग-निदान एवं परीक्षण के क्षेत्र में कई शैक्षणिक अनुसंधान संस्थानों और स्टार्ट-अप्‍स ने आरटी-पीसीआर दृष्टिकोण और एंटीबॉडी का पता लगाने के लिए नए परीक्षण (टेस्‍ट) विकसित किए हैं। इसके अलावा, देश भर की प्रयोगशालाओं को आपस में जोड़ देने से इन दोनों ही प्रकार के परीक्षणों की क्षमता में व्‍यापक वृद्धि हुई है। परीक्षण के लिए अभिकर्मकों (रीएजेंट) के आयात की समस्या को भारतीय स्टार्ट-अप्‍स और उद्योग जगत के कंसोर्टियम ने दूर कर दिया है, क्‍योंकि वे वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा कर रहे हैं। वर्तमान में इसके तहत दिए जा रहे विशेष जोर से इस क्षेत्र में एक मजबूत दीर्घकालिक उद्योग के विकसित होने की उम्‍मीद बढ़ गई है।

प्रधानमंत्री द्वारा की गई समीक्षा के दौरान शिक्षाविदों, उद्योग जगत एवं सरकार की ओर से अभूतपूर्व एकजुटता दिखाने की बात को रेखांकित किया गया। इसके साथ ही त्वरित एवं दक्ष नियामकीय प्रक्रिया के साथ संयोजन भी हुआ। प्रधानमंत्री ने इच्छा जताई कि इस तरह के बेहतरीन समन्वय और गति को दरअसल एक मानक परिचालन प्रक्रिया में शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि साझा प्रयास से जो काम संकट में संभव हो सकता है उसे विज्ञान संबंधी हमारे रोजमर्रा के कामकाज का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

दवाओं की खोज में कंप्यूटर विज्ञान, रसायन शास्‍त्र और जैव प्रौद्योगिकी के वैज्ञानिकों के एकजुट होने की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि इस विषय पर एक हैकाथॉन आयोजित किया जाना चाहिए, जिसके तहत कंप्यूटर विज्ञान को प्रयोगशाला में होने वाले संश्लेषण और परीक्षण से जोड़ने पर विशेष जोर दिया जाए। इस हैकाथॉन के सफल अभ्‍यर्थियों की सेवाएं स्टार्ट-अप्‍स ले सकते हैं, ताकि इस दिशा में आगे विकास करने के साथ-साथ इसके स्‍तर को भी बढ़ाया जा सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि बुनियादी विज्ञान से लेकर अप्‍लायड साइंस तक के वैज्ञानिकों ने जिस अभिनव और मूल तरीके से उद्योग जगत के साथ एकजुटता दिखाई है वह अत्‍यंत अत्‍साहवर्धक है। इस तरह के गर्व, मौलिकता और उद्देश्य की भावना दरअसल हमारी प्रगति में आगे भी दिखती रहनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि ठीक यही भावना होने पर हम भी विज्ञान के क्षेत्र में किसी का अनुसरण करने के बजाय दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ में शुमार हो सकते हैं।

 

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