लोकतंत्र के इस मंदिर ने दुनिया भर के अन्य लोकतांत्रिक देशों को सशक्त एवं प्रोत्साहित किया है: अमेरिकी कांग्रेस को पीएम मोदी
मुझे बोलने का अवसर देकर आपने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और उसके 1.25 अरब लोगों को सम्मानित किया है: अमेरिकी कांग्रेस को पीएम मोदी
अमेरिका और भारत के संस्थापक साझा मूल्यों से जुड़े थे: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
हमारे संस्थापकों ने स्वतंत्रता, लोकतंत्र और समानता को केंद्र में रखते हुए एक आधुनिक राष्ट्र का निर्माण किया: प्रधानमंत्री
भारत एक साथ रहता है; भारत एक साथ आगे बढ़ता है और एक साथ जश्न मनाता है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
मेरी सरकार के लिए संविधान एक धर्मग्रन्थ है: अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी
गांधी जी की अहिंसा ने मार्टिन लूथर किंग के शौर्य को प्रेरित किया: प्रधानमंत्री मोदी
इसमें कोई आश्चर्य नहीं जब भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत और अमेरिका को 'स्वाभाविक सहयोगी' बताया
इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि साझा आदर्शों और स्वतंत्रता की समान सोच ने भारत-अमेरिका संबंधों को एक रूप दिया है: अमेरिका में पीएम मोदी
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं जब राष्ट्रपति ओबामा ने हमारे संबंधों को 21वीं सदी की निर्णायक साझेदारी बताया: प्रधानमंत्री मोदी
भारत-अमरीका संबंधों ने इतिहास की असमंजस को दूर किया है। हमारी वार्ता आश्वासन, स्पष्टवादिता और अभिसरण पर आधारित: पीएम मोदी
भारत सीमा पार से आतंकवादियों द्वारा मुंबई पर हमले के बाद अमेरिकी कांग्रेस द्वारा दिखाई गई एकजुटता को कभी भूल नहीं सकता: पीएम मोदी
दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संपर्क काफ़ी मजबूत और दोनों समाज के बीच अत्यंत गहरे सांस्कृतिक संबंध: प्रधानमंत्री मोदी
हमारे दोनों देशों को जोड़ने में तीन लाख भारतीय मूल के अमेरिकियों का भी अद्वितीय योगदान: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी
भारत एक भारी सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। हमारे अरबों नागरिक पहले से ही राजनीतिक रूप से सशक्त: प्रधानमंत्री
मेरा सपना है – विभिन्न सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों के माध्यम से उन्हें सशक्त बनाना: अमेरिकी कांग्रेस को प्रधानमंत्री
मैं भारत के विकास के सभी क्षेत्रों में अमेरिका को एक अपरिहार्य साझेदार के रूप में देखता हूँ:  प्रधानमंत्री मोदी
आप में से कई इस बात पर भी सहमत होंगे कि एक मजबूत और समृद्ध भारत अमेरिका के रणनीतिक हित में है: प्रधानमंत्री
आईए, हम साझा आदर्शों को व्यावहारिक सहयोग में परिवर्तित करने के लिए एक साथ काम करें: अमेरिकी कांग्रेस को प्रधानमंत्री
इसमें कोई शक नहीं कि दोनों देशों के बीच संबंध और बेहतर होने से दोनों देशों को काफ़ी लाभ मिलेगा: अमेरिका में प्रधानमंत्री मोदी
एक मजबूत भारत-अमेरिका साझेदारी विश्व भर में शांति, समृद्धि एवं स्थिरता का मार्ग प्रशस्त कर सकता है: प्रधानमंत्री मोदी 
जो लोग मानवता में विश्वास करते हैं, उन्हें एक साथ आना होगा और आतंकवाद के खतरे के खिलाफ एक स्वर में आवाज़ उठानी होगी: प्रधानमंत्री
आतंकवाद को वैध साबित करने की सोच को ख़त्म करने की ज़रूरत: अमेरिकी कांग्रेस को प्रधानमंत्री
भारत में, हमारे लिए धरती मां के साथ समरसतापूर्वक रहना हमारी आस्था का एक अहम भाग: प्रधानमंत्री मोदी

श्रीमान स्पीकर,
श्रीमान उप राष्ट्रपति,
अमेरिकी कांग्रेस के प्रतिष्ठित सदस्यगण,
देवियों एवं सज्जनों,


मैं अमेरिकी कांग्रेस की इस संयुक्त बैठक को संबोधित करने के लिए दिए गए निमंत्रण से काफी सम्मानित महसूस कर रहा हूं।

इस भव्य कैपीटोल के द्वार खोलने के लिए श्रीमान स्पीकर आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

लोकतंत्र के इस मंदिर ने विश्व भर में अन्य लोकतंत्रों को प्रोत्साहित किया है एवं सशक्त बनाया है।

यह इस महान देश की भावना को अभिव्यक्त करता है, जो अब्राहम लिंकन के शब्दों में स्वतंत्रता में परिकल्पित हुई थी और इस अवधारणा के प्रति समर्पित हुई थी कि सभी व्यक्ति समान हैं।

मुझे यह अवसर देकर, आपने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और इसके 1.25 अरब लोगों को सम्मानित किया है।

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में, यह मेरा सौभाग्य है कि दुनिया के सबसे प्राचीन लोकतंत्र के नेताओं को मैं संबोधित कर रहा हूं।


स्पीकर महोदय,

दो दिन पहले मैंने अपनी यात्रा आरलिंगटन राष्ट्रीय सेमेटरी से शुरू की थी जहां इस महान भूमि के अनेक वीर जवानों की समाधि है।

मैं उनके साहस और आजादी एवं लोकतंत्र के आदर्शों के लिए उनके बलिदान का सम्‍मान करता हूं।

यह इस निर्णायक दिवस की 72वीं वर्षगांठ है।

उस दिन इस महान देश के हजारों जवानों ने स्वतंत्रता की लौ को जलाए रखने के लिए उस सुदूर भूमि के तटों पर जंग लड़ी थी जिसे वे जानते तक नहीं थे।

उन्होंने अपने जीवन का बलिदान किया, ताकि दुनिया आजादी की सांस लेती रहे।

आजादी की इस भूमि और वीर जवानों के इस देश के पुरुषों एवं महिलाओँ द्वारा मानवता की सेवा के लिए दिए गए महान बलिदान की मैं सराहना करता हूं, भारत सराहना करता है।

भारत यह जानता है कि इसका क्या मतलब है, क्योंकि हमारे सैनिकों ने भी इन्हीं आदर्शों के लिए सुदूर स्थित युद्ध भूमि पर अपने जीवन का बलिदान किया है।

यही कारण है कि स्वतंत्रता एवं आजादी के धागों से हमारे दो लोकतंत्र मजबूत बंधन में बंधे हुए हैं।

स्पीकर महोदय,

हमारे इन दोनों राष्ट्रों का इतिहास, संस्कृति एवं आस्थाएं भले ही अलग-अलग हों,

लेकिन लोकतंत्र में हमारी आस्था और हमारे देशवासियों की आजादी इन दोनों राष्ट्रों के लिए एकसमान हैं।

सभी नागरिक समान हैं, यह अनुपम विचार भले ही अमेरिकी संविधान का केन्द्रीय (मुख्य) आधार हो,

लेकिन हमारे संस्थापक भी इसी विश्वास को साझा करते थे और वे भारत के प्रत्येक नागरिक की व्यक्तिगत आजादी चाहते थे।

एक नव स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में हमने जब लोकतंत्र में अपनी आस्था व्यक्त की थी, तो ऐसे अनेक लोग थे जिन्होंने भारत को लेकर संशय व्यक्त किया था।

निश्चित रूप से, हमारी विफलता पर दांव लगाए गए थे

लेकिन भारत की जनता कतई नहीं डगमगाई।

हमारे संस्थापकों ने एक आधुनिक राष्ट्र का सृजन किया, जिसकी अंतरात्मा का सार आजादी, लोकतंत्र और समानता थी।

और ऐसा करते समय उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हम अपनी युगों पुरानी विविधता का उत्सव निरंतर मनाते रहें।

आज

• अपनी समस्त सड़कों एवं संस्थानों
• अपने गांवों एवं शहरों
• सभी आस्थाओं के प्रति समान सम्मान, और
• अपनी सैकड़ों भाषाओं और बोलियों के माधुर्य

के लिहाज से भारत एक है, भारत एक ही देश के रूप में आगे बढ़ रहा है, भारत एक ही देश के रूप में उत्सव मना रहा है।

स्पीकर महोदय,

आधुनिक भारत अपने 70वें वर्ष में है।

मेरी सरकार के लिए, संविधान ही वास्‍तविक पवित्र ग्रंथ है।

और उस पवित्र ग्रंथ में किसी की चाहे जैसी भी पृष्‍ठभूमि रही हो, सभी नागरिकों के लिए समान रूप से विश्‍वास की आजादी, बोलने और मताधिकार, और समानता के अधिकार को मौलिक अधिकारों के रूप में प्रतिस्‍थापित किया गया है।

हमारे 800 मिलियन देशवासी हरेक पांच वर्षों पर अपने मताधिकार के अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं।

लेकिन हमारे सभी 1.25 बिलियन नागरिकों को भय से स्‍वतंत्रता प्राप्‍त है जिसका उपयोग वे अपने जीवन के हर क्षण में करते हैं।

सम्‍मानित सदस्‍यों,

हमारे लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाओं के बीच भागीदारी उस प्रकार से दृष्टिगोचर होती रही है जिसमें हमारे चिंतकों ने एक-दूसरे को प्रभावित किया है और हमारे समाजों की धाराओं को आकार दिया है।

नागरिक असहयोग के थोरोस के विचार ने हमारे राजनीतिक विचारों को प्रभावित किया है।

और इसी प्रकार, भारत के महान संत स्‍वामी विवेकानंद द्वारा मानवता को अंगीकार करने का सर्वाधिक विख्‍यात आह्वान शिकागो में ही किया गया था

गांधीजी के अहिंसा के सिद्धांत ने मार्टिन लूथर के साहस को प्रेरित किया।

आज टाइडल बेसिन में स्थित मार्टिन लूथर किंग स्‍मारक स्‍थल मैसऐचूसैटस एवेन्‍यू में गांधी जी की प्रतिमा से केवल तीन मील की दूरी पर स्थित है।

वाशिंगटन में उनके स्‍मारक स्‍थलों के बीच की यह निकटता उन आदर्शों और मूल्‍यों की प्रगाढ़ता को प्रतिबिम्बित करता है जिनमें उन्‍हें विश्‍वास था।

डॉ. बी आर अम्‍बेडकर की प्रतिभा का परिपोषण एक सदी पहले उन वर्षों में ही किया गया था, जो उन्‍होंने कोलम्बिया यूनिवर्सिटी में व्‍यतीत किए थे।

उन पर अमेरिकी संविधान का प्रभाव, लगभग तीन दशक बाद, भारतीय संविधान के आलेखन में प्रतिबिम्बित हुआ। हमारी स्‍वतंत्रता भी उसी आदर्शवाद से प्रज्‍वलित हुई, जिसने स्‍वतंत्रता के लिए आपके संघर्ष को प्रोत्‍साहित किया।

इसमें कोई आश्‍चर्य की बात नहीं कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत और अमरीका को ‘स्‍वभाविक मित्र’ करार दिया था।

इसमें कोई संदेह नहीं कि आजादी के साझा आदर्शों और समान दर्शन ने ही हमारे रिश्‍तों को आकार दिया था।

इसमें कोई संदेह नहीं कि राष्‍ट्रपति ओबामा ने हमारे संबंधों को 21वीं शताब्‍दी की विशिष्‍ट साझेदारी करार दिया है।

स्पीकर महोदय,

15 वर्ष पहले भारत के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यहां खड़े हुए थे और उन्‍होंने अतीत के ‘हिचकिचाहट के साए’ से बाहर निकलने की अपील की थी।

तब से हमारी मित्रता के पृष्‍ठ एक उल्‍लेखनीय कहानी सुनाते हैं।

आज हमारे संबंध इतिहास की हिचकिचाहटों से उबर चुके हैं।

आराम, स्‍पष्‍टवादिता और अभिसरण हमारे संभाषणों को परिभाषित करते हैं।

चुनावों के चक्र और प्रशासनों के परिवर्तनकाल के जरिए हमारे संबंधों की प्रगाढ़ता और बढ़ी ही है।

और इस रोमांचक यात्रा में अमेरिकी कांग्रेस ने इसके कम्‍पास की तरह कार्य किया है।

आपने हमें बाधाओं को साझेदारी के सेतुओं के रूप में बदलने में सहायता की है।

2008 में, जब कांग्रेस ने भारत-अमेरिका नागरिक नाभिकीय सहयोग समझौते को पारित किया, इसने हमारे संबंधों के रंगों को ही परिवर्तित कर दिया।

हम आपको वहां उस वक्‍त खड़े रहने के लिए धन्‍यवाद देते हैं, जब साझेदारी को आपकी सबसे अधिक आवश्‍यकता थी।

आप दु:ख के क्षणों में भी हमेशा हमारे साथ खड़े रहे हैं।

भारत कभी भी अमेरिकी कांग्रेस द्वारा दिखाई गई एकजुटता को नहीं भूलेगा, जब हमारी सीमा के पार आतंकवादियों ने नवंबर, 2008 में मुम्‍बई पर हमला किया था।


स्पीकर महोदय,

जैसा कि मुझे बताया गया है, अमेरिकी कांग्रेस का काम करने का तरीका बेहद सद्भावपूर्ण है। मुझे ये भी बताया गया कि आप लोग अपने द्विदलिय व्यवस्था के लिए जाने जाते हैं।

इस तरह की व्यवस्था को मानने वाले आपलोग अकेले नहीं हैं।

पहले भी और आज भी मैंने देखा है कि हमारे भारतीय संसद में भी इसी तरह का उत्साह रहता है। सतौर से ऊपरी सदन में हमारी परंपराएं काफी मिलती-जुलती हैं।

स्पीकर महोदय,

जैसा कि ये देश अच्छी तरह जानता है, हर यात्रा का एक पथप्रदर्शक होता है।

पुराने नेताओं ने काफी कम समय में विकास की एक साझेदारी तैयार की, वो भी तब जबकि हमारे बीच इतनी मुलाकातें नहीं होती थी।

नॉर्मन बोरलॉग जैसे प्रतिभावान व्यक्ति भारत में हरित क्रांति और खाद्य क्रांति ले आए। अमेरिकी विश्वविद्यालयों की उत्क्रृष्ठता ने भारतीय तकनीकी और प्रबंधन संस्थाओं को काफी विकसित किया है।

हम अपनी सहभागिता की इस गति को आज और तेज कर सकते हैं। हमारी साझेदारी की स्वीकार्यता पूरी तरह से हमारे लोगों की कोशिशों की वजह से संभव हुई है। हमारी साझेदारी समुद्र की गहराई से लेकर आसमान की ऊंचाई तक नजर आती है।

हमारा विज्ञान और तकनीकी सहयोग स्वास्थ्य, शिक्षा, खाद्य और कृषि के क्षेत्र की पुरानी समस्याओं को खत्म करने में लगातार सहयोग कर रहा है।

वाणिज्य और निवेष के क्षेत्र में हमारी साझेदारी लगातार बढ़ रही है। हमारा अमेरिका के साथ व्यापार किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा है।

हमारे बीच सामान, सेवाओं और पैसों का लेनदेन बढ़ने से दोनों तरफ नौकरियों के मौके बढ़ रहे हैं।

जैसा व्यापार में है, वैसा ही रक्षा क्षेत्र में भी है।

भारत का अमेरिका के साथ सैन्य सहयोग किसी भी दूसरे देश की अपेक्षा ज्यादा है। एक दशक से भी कम अवधि में हमारे रक्षा सामानों की खरीदारी करीब 0 से 10 अरब डॉलर तक पहुंच गई है।

हमारे आपसी सहयोग से हमारे शहरों और वहां के नागरिकों की आतंकवादियों से रक्षा और आधारभूत संरचनाओं को साइबर खतरों से बचाव सुनिश्चित होता है।

जैसा कि मैंने कल राष्ट्रपति ओबामा को बताया था, हमारे बीच असैन्य परमाणु सहयोग एक वास्तविकता है।

स्पीकर महोदय, दोनों देशों के लोगों के बीच संबंध बेहद मजबूत हैं। दोनों देशों के लोगों के बीच बेहद करीबी सांस्कृतिक संबंध रहे हैं।

सीरी ने बताया, भारत की प्राचीन धरोहर योगा का अमेरिका में 30 मिलियन लोग अभ्यास कर रहे हैं। अनुमान के मुताबिक अमेरिका में योगा के लिए झुकने वालों की संख्या कर्व बॉल के लिए झुकने वालों से भी ज्यादा है।

और स्पीकर महोदय, हमने योगा पर कोई प्रज्ञात्मक संपत्ति अधिकार भी नहीं लगाया है।

हमारे 30 लाख भारतीय अमेरिकी दोनों देशों को जोड़ने के लिए एक अद्वितिय और सक्रिय सेतु का काम करते हैं।

आज वो अमेरिका के बेहतरीन सीईओ, शिक्षाविद, अंतरिक्षयात्री, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री, चिकित्सक और यहां तक की अंग्रेजी वर्तनी की प्रतियोगिता के चैंपियन भी हैं।

ये लोग आपकी ताकत हैं। ये लोग भारत की शान भी हैं। ये लोग हमारे दोनों समाजों के प्रतिनिधि की तरह हैं।

स्पीकर महोदय,

आपके इस महान देश के बारे में मेरी समझ सार्वजनिक जीवन में आने से काफी पहले ही विकसित हो गई थी।

पदभार ग्रहण करने से बहुत पहले ही मैं, तट से तट होते हुए 25 से अधिक अमेरिकी राज्य घूम चूका हूँ।

तब मुझे अहसास हुआ की अमेरिका की असली ताकत इसके लोगों के सपनो में और उनकी आकांक्षाओं में है।

स्पीकर महोदय,

आज वही ज़ज्बा भारत में भी उध्वित हो रहा है।

800 मिलियन युवा जो कि खास कर बेसब्र हैं।

भारत में एक बहुत बड़ा सामाजिक-आर्थिक बदलाब आ रहा है।

करोड़ों भारतीय पहले से ही राजनीतिक तौर पर समर्थ हैं। मेरा सपना उन्हें सामाजिक-आर्थिक बदलाव द्वारा आर्थिक रूप से सक्षम करने का है।

2022 में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगांठ है।

मेरी कार्यसूची लंबी और महत्वाकांक्षी है, जिसे आप समझ सकते हैं। इसमें शामिल है..

- एक विस्तृत ग्रामीण अर्थव्यवस्था जिसमें सुदृढ़ कृषि क्षेत्र शामिल है।
- सभी नागरिकों के लिए एक घर और बिजली की व्यस्था
- हमारे लाखों युवाओं को कौशल प्रदान करना
- 100 स्मार्ट शहरों का निर्माण
-एक अरब लोगों को इंटरनेट मुहैया कराना और गांवों को डिजिटल दुनिया से जोड़ना
-21वीं सदी के मुताबिक रेल, सड़क और पोत की आधारभूत संरचना तैयार करना

ये महज हमारी मह्त्वाकांक्षा नहीं हैं बल्कि इन्हें एक तय समय में पूरा करना हमारा लक्ष्य है।

इन सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक सुनियोजित योजना बनाई गई है जिसमें नवीकरण पर हमारा खास ध्यान है।

स्पीकर महोदय, भारत के आगे बढ़ने की इन सभी योजनाओं में मैं अमेरिका को एक अनिवार्य सहयोगी की तरह देखता हूं।

आप सब में से भी ज्यादातर लोग ये मानते हैं कि मजबूत और संपन्न भारत का होना अमेरिका के सामरिक हितों दृष्टि से महत्वपूर्ण है।

आइए साथ मिलकर एक दूसरे के आदर्शों को साझा कर व्यावहारिक सहयोग की दिशा में आगे बढ़े।

इस बात में कोई संदेह नहीं कि इस रिश्ते की मजबूती से दोनों देशों को कई स्तरों पर फायदा पहुंचेगा।

अमेरिकी व्यापार जगत को उत्पादन और निर्माण के लिए आर्थिक विकास के नए क्षेत्रों, वस्तुओं के लिए नए बाजार, कुशल कामगार और वैश्विक जगहों की तलाश है। भारत उसका आदर्श सहयोगी हो सकता है.

भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और 7.6 प्रतिशत प्रतिवर्ष की विकास दर हमारे आपसी समृद्धि के नए अवसर प्रदान कर रही है।

भारत में परिवर्तनकारी अमेरिकी प्रौद्योगिकियों और भारतीय कंपनियों की ओर से संयुक्त राज्य अमेरिका में बढ़ रहा निवेश दोनों का ही हमारे नागरिकों के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ रहा है।

आज, अपने वैश्विक अनुसंधान और विकास केन्द्रों के लिए भारत ही अमेरिकी कंपनियों का पसंदीदा गंतव्य है।

भारत से पूर्व की ओर देखने पर, प्रशांत के पार, हमारे दोनों देशों की नवाचार क्षमता कैलिफोर्निया में आकर एक साथ मिलती है।

यहां अमेरिका की अभिनव प्रतिभा और भारत की बौद्धिक रचनात्मकता भविष्य के नए उद्योगों को आकार देने का काम कर रही हैं।

स्पीकर महोदय,

21वीं सदी अपने साथ महान अवसर लेकर आई है।

हालांकि, यह अपने साथ खुद से जुड़ी अनेकानेक चुनौतियां भी लेकर आई है।

परस्पर निर्भरता बढ़ रही है।

लेकिन जहां एक ओर दुनिया के कुछ हिस्से बढ़ती आर्थिक समृद्धि के द्वीप हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य हिस्से संघर्षों से घि‍र गए हैं।

एशिया में, किसी आपसी सहमति वाली सुरक्षा संरचना का अभाव अनिश्चितता पैदा करता है।

आतंक के खतरे बढ़ते जा रहे हैं और नई चुनौतियां साइबर एवं बाहरी अंतरिक्ष में उभर रही हैं।

और 20वीं सदी में परिकल्पि‍त वैश्विक संस्थान नई चुनौतियों से निपटने या नई जिम्मेदारियां लेने में असमर्थ नजर आ रहे हैं।

अनेकानेक बदलावों एवं आर्थिक अवसरों; बढ़ती अनिश्चितताओं और राजनीतिक जटिलताओं; मौजूदा खतरों और नई चुनौतियों की इस दुनिया में हमारी वचनबद्धता निम्नलिखि‍त को बढ़ावा देकर अहम फर्क ला सकती हैं:

• सहयोग, प्रभुत्व नहीं;
• कनेक्टिविटी, अलगाव नहीं;
• वैश्विक आम जनता के लिए आदर;
• समावेशी व्यवस्था, वंचित रखने वाली नहीं; और सबसे ज्यादा अहम
• अंतरराष्ट्रीय नियमों और मानकों का पालन।

भारत हिंद महासागर क्षेत्र को सुरक्षित रखने संबंधी अपनी जिम्मेदारियां पहले से ही संभाल रहा है।

एक मजबूत भारत-अमेरिकी साझेदारी एशिया से लेकर अफ्रीका तक और हिंद महासागर से लेकर प्रशांत क्षेत्र तक में शांति, समृद्धि और स्थिरता ला सकती है।

यह वाणिज्य के समुद्री मार्गों की सुरक्षा और समुद्र पर नौवहन की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने में भी मदद कर सकती है।

लेकिन, हमारे सहयोग की प्रभावशीलता में वृद्धि तभी होगी जब 20वीं सदी की मानसिकता के साथ तैयार अंतरराष्ट्रीय संस्थान आज की वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करेंगे।

स्पीकर महोदय,

वाशिंगटन डीसी आने से पहले मैं पश्चिमी अफगानिस्तान स्थित हेरात गया था, जहां मैंने अफगान-इंडिया फ्रेंडशिप डैम (अफगान-भारत मित्रता बांध) का शुभारंभ किया। यह पनबिजली परियोजना 42 मेगावाट क्षमता की है, जिसे भारत के सहयोग से बनाया गया है।

मैं बीते साल क्रिसमस पर भी वहां गया था और वहां की संसद को राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह हमारे लोकतांत्रिक संबंधों का प्रमाण है।

अफगानिस्तान ने स्वाभाविक तौर पर अमेरिका के बलिदान को मान्यता दी है, जिससे उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद मिली है। हालांकि क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए किए गए आपके अंशदान को इससे आगे तक सराहा गया है।

भारत ने भी अफगान लोगों के साथ अपनी मित्रता को समर्थन देने के लिए खासा योगदान और बलिदान किया है। एक शांतिपूर्ण और स्थिर व संपन्न अफगानिस्तान का निर्माण करना हमारा साझा उद्देश्य है।

सम्मानित सदस्यों, अभी तक न सिर्फ अफगानिस्तान के लिए, बल्कि दक्षिण एशिया में कहीं भी और वैश्विक स्तर पर भी आतंकवाद बड़ा खतरा बना हुआ है।

पश्चिमी भारत से अफ्रीका की सीमा तक के क्षेत्र में इसके लश्कर-ए-तैय्यबा, तालिबान, आईएसआईएस (ISIS) तक इसके विभिन्न नाम हो सकते हैं। लेकिन इनके लक्ष्य समान हैं-घृणा, हत्या और हिंसा।

भले ही इसकी छाया पूरी दुनिया में है, लेकिन यह भारत के पड़ोस में पनप रहा है।

मैं अमेरिकी कांग्रेस की इस बात के लिए प्रशंसा करता हूं कि वह राजनीतिक लाभ के लिए धर्म और आतंकवाद का इस्तेमाल करने वालों को कड़ा संदेश दे रही है।

उनको पुरस्कृत करने से मना करना, उनके कार्यों के लिए उन्हें जिम्मेवार ठहराने की दिशा में पहला कदम है।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कई स्तरों पर लड़ी जानी है। और सेना, गुप्तचर सेवा या सिर्फ कूटनीति के दम पर यह लड़ाई जीतना संभव नहीं होगा।

स्पीकर महोदय,

हमने इसके खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिक और सैनिकों का बलिदान किया है।

हमारे सुरक्षा सहयोग को मजबूत बनाना वक्त की जरूरत है।

और ऐसी नीति बनाई जाए, जो-

-ऐसे लोगों को अलग-थलग करती हो जो आतंकवाद को शरण, सहयोग और प्रायोजित करते रहे हैं।

-अच्छे और बुरे आतंकवाद के बीच फर्क नहीं करती हो।

-जो धर्म और आतंकवाद को अलग रखे।

और हमें इस में सफल बनाये कि जो मानवता में विश्वास करते हैं, वो सब इस से लड़ने के लिए एकसाथ आएं और इस बुराई के खिलाफ एक सुर में बोलें। आतंकवाद को गैरवैधानिक बनाया जाना चाहिए।

स्पीकर महोदय,

हमारी साझेदारी के फायदे अन्य देशों और क्षेत्रों के को होने के साथ-साथ, हमनें अपनी और हमारी क्षमताओं को मिलाकर एक साथ मिलकर आपदाओं के समय जब मानवीय राहत की जरूरत होती है अन्य वैश्विक चुनौतियों का समाना किया है।

हमारे देश से मीलों दूर हमने यमन से हजारों भारतीयों, अमेरिकियों और अन्य देशों के लोगो को बाहर निकाला था

हमारे पड़ोस में नेपाल में भूकंप मालदीव में जल संकट और हाल ही में श्रीलंका में भू-स्खलन के समय राहत पहुंचाने वाले भारत पहला देश था

भारत संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना कार्यक्रम में सैनिकों को भेजने वाले देशों में से सबसे बड़ा देश भी है।

अकसर भारत और अमेरिका विश्व के विभिन्न हिस्सों में भुखमरी, गरीबी बीमारियों और निरक्षरता से लड़ने के लिए विज्ञानप्रौद्योगिकी और इनोवेशन के क्षेत्र में अपनी शक्तियों को साझा करते हैं।

हमारी साझेदारी की सफलता एशिया से लेकर अफ्रीका तक शिक्षा, सुरक्षा और विकास के लिए नए अवसरों को खोल रही है।

और, पर्यावरण संरक्षण और धरती की देखभाल एक यथार्थ विश्व के निर्माण हेतु हमारे साझा विज़न में मुख्य विषय है

भारत में, हमारे लिए धरती माँ के साथ सौहार्दपूर्वक रहना हमारी प्राचीन मान्यता है।

और, प्रकृति से केवल जरूरत की चीजों को ग्रहण करना हमारी सभ्यता का नैतिक मूल्य है।

इसलिए हमारी साझेदारी का लक्ष्य क्षमताओं के साथ जिम्मेदारियों को संतुलित करना है।

और, यह नवीकरणीय ऊर्जा की उपलब्धता और उसके प्रयोग को बढाने की दिशा में भी केन्द्रित है

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को बनाने की हमारी पहल को अमेरिका का पुरजोर समर्थन इस प्रकार का एक प्रयास है।

हम न सिर्फ हमारे बेहतर भविष्य के लिए एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं बल्कि हम पूरे विश्व के बेहतर भविष्य के लिए काम कर रहे हैं।

जी-20, पूर्वी एशिया सम्मेलन और जलवायु परिवर्तन सम्मेलनों में यह हमारे प्रयासों का लक्ष्य रहा है।


अध्यक्ष महोदय और माननीय सदस्यों,

जैसे-जैसे हमारी साझेदारी घनिष्ठ बनेगी उस दौरान ऐसा भी समय आएगा जब हमारे विचार अलग-अलग होंगे।

लेकिन, हमारे हित और चिंताएं एक समान होने के कारण, निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्वायत्ता और हमारे दृष्टिकोणों में विविधता हमारी साझेदारी के लिए उपयोगी साबित होगी।

हम एक नई यात्रा की शुरूआत करने जा रहे हैं, और नए लक्ष्य बना रहे हैं, इसलिए, हमारा ध्यान न सिर्फ रोजमर्रा के मामलों पर होना चाहिए बल्कि रूपांतरकारी विचारों पर भी होना चाहिए,

जिन विचारों पर ध्य़ान दिया जा सकता है वे हैं:

• हमारे समाजों के लिए सिर्फ धन-दौलत और संपदा न बनाकर नैतिक मूल्यों का भी निर्माण किया जा सकता है.
• हमें सिर्फ तात्कालिक लाभ के लिए कार्य नहीं करना बल्कि दीर्घकालिक फायदों के लिए भी विचार करना चाहिए,
• हमें न सिर्फ अच्छी कार्य प्रणाली के लिए काम करना है बल्कि साझेदारी को बढ़ाने पर भी विचार करना चाहिए।
• हमें न सिर्फ हमारे लोगों के अच्छे भविष्य़ के लिए सोचना चाहिए बल्कि हमें अधिक संयुक्त, एकजुट मानवीय और समृद्ध विश्व के सेतु के रूप में कार्य करना चाहिए,

और हमारी नई साझेदारी की सफलता के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि हम इसे एक नए दृष्टिकोण और संवेदना से देखें,

ऐसा करने से हम इस असाधारण रिश्ते के वादों को महसूस कर सकेंगें।

स्पीकर महोदय,

मेरे अंतिम शब्द और विचार इस बात को पुन: याद दिलाते हैं कि हमारे संबंधों का मुख्य उदेश्य शानदार और प्रभावशाली भविष्य का निर्माण करना है,

पिछले समय की बाधाएं पीछे छुट चुकी हैं और नए भविष्य की दृढ़ स्थापना हो चुकी है,

वाल्ट व्हीटमैन के शब्दो में,

“वादक समूह (The Orchestra) ने अपने यंत्रों को अच्छे से सजा लिया है और छड़ी ने अपना संदेश दे दिया है” (The Orchestra have sufficiently tuned their instruments, the baton has given the signal)

और इसमें मैं जोड़ना चाहूंगा कि अब इस सरगम में एक नयी जुगलबंदी (symphony) बनी है.

इस सम्मान के लिए अध्यक्ष महोदय और माननीय सदस्यों का हार्दिक धन्यवाद बहुत-बहुत धन्यवाद,

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December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
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Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।