"A new paradigm to the PPP model involving all stakeholders in decision-making process"
"PM: Wish to change the "ABCD Culture" (Avoid, Bypass, Confuse, Delay) of Government"
"निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी साझीदारों को शामिल करने के पीपीपी मॉडल के नए अध्याय की शुरुआत"
"प्रधानमंत्री सरकार की 'एबीसीडी संस्कृति' (अवॉइड, बाईपास, कन्फ्यूज, डिले) बदलना चाहते हैं"

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महत्वपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी साझीदारों को शामिल करके उनकी सरकार ने पीपीपी ( पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल में नया आयाम जोड़ा है। "मेक इन इंडिया" पर राष्ट्रीय कार्यशाला के प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए नई दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस कार्यशाला में न केवल सभी साझीदार के सरोकारों पर चर्चा की गई बल्कि उन्हें सामूहिक रुप से हल करने के तरीके खोजने के लिए कदम उठाए गए। उन्होंने कहा कि सरकार अभी तक गोपनीय तरीके से काम करती थी लेकिन यह कार्यशाला खुलेपन और वांछित लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मिलकर काम करने का एक उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह "मिनिमम गवर्नमेंट. मेक्सिमम गवर्नेंस" के उनके दृष्टिकोण का एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में जो निर्णय लिए गए सामान्य स्थिति में उनके बारे में फैसले करने वर्षों लग जाते।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार अभी तक जिस जड़ता में काम करती रही है उसे खत्म करना उनके मुख्य लक्ष्यों में से एक रहा है। सितंबर में शुरू किए गए 'मेक इन इंडिया' को दोहराते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन महीनों में सरकारी मशीनरी गतिमान हुई है, और अब यह नियम, कानूनों में बदलाव औऱ काम काज में तेजी लाने के लिए तैयार है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वह सरकार के "एबीसीडी" रवैये यानि "अवॉइड. बाईपास. कन्फ्यूज. डिले" को कामयाबी की "रोड" यानि "रिस्पॉन्सिबिलिटी. ओनरशिप. एकाउंटेबिलिटी. डिसिप्लिन" में बदलना चाहते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि मानव संसाधन का विकास, अविष्कार और शोध सरकार के डीएनए का हिस्सा होना चाहिए और इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट् के समग्र लक्ष्यों को हासिल करने के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर वह जनवरी के पहले सप्ताह में बैंकिग सेक्टर के साथ बैठक करेंगे।

उन्होंने देश के सभी विनिर्माण क्षेत्रों का "अंतरिक्ष" क्षेत्र और भारत के अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की उपलब्धियों से प्रेरणा लेने के आह्वान किया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूरे देश का संतुलित विकास होना चाहिए और ऐसे विशेष प्रयास किए जाने चाहिए जिससे प्रकृतिक संसाधन के मामले में संपन्न पूर्व का विकास भी देश के पश्चिमी भाग की तरह ही होना चाहिए। उन्होंने "ब्रांड इंडिया" को "जीरो डिफेक्ट, जीरो इफैक्ट" यानि त्रुटि रहित और पर्यावरण अनुकूल उत्पादन के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित का आवाहन किया। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि देश में श्रम, पूंजी, मशीनरी, कच्चे माल और खनिजों की अधिक्तम गतिशीलता होनी चाहिए।

प्रधानमंत्री के समक्ष कारोबार करने की सरलता, क्षमता विकास, राजस्व, चमड़ा और चमड़ा उत्पाद, रत्न और आभुषण, कैपिटल गुड्स, ऑटोमोबाइल, ऑटो पार्ट्स, तेल और गैस, ऊर्जा, रसायन और पेट्रो कैमिकल, धातु और सीमेंट, फार्मास्यूटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण, वस्त्र उद्योग, पर्यटन, सूचना प्रौद्योगिकी, एयरोस्पेस और रक्षा, उड्डयन, अंतरिक्ष, शिपिंग, रेलवे, एमएसएमई, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, और मीडिया तथा मनोरंजन आदि विषयों पर वरिष्ठ सराकारी अधिकारियों द्वारा प्रिजेंटेशनस दिए गए।

वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने सभी निर्णयों को अंतिम रुप दिया। राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमति निर्मला सीतारमण ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री का स्वागत किया और उन्हें दी जाने वाली प्रस्तुतियों के बारे में जानकारी दी।

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