जापान के निवेश प्रस्तावों में सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन विशेष प्रबंधन दल का गठन किया जाएगा।
जापान और भारत को विस्तारवाद की वैश्विक प्रवृत्तियों के बीच विकासवाद के लिए एक ताकत बनना चाहिए।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज घोषणा की कि जापान के वित्तीय प्रस्तावों में मदद करने के लिए सीधे प्रधानमंत्री के कार्यालय के अधीन एक विशेष प्रबंधन दल स्थापित किया जाएगा। जापान के वाणिज्य और उद्योग चैम्बर एवं जापान-भारत व्यापार सहयोग समिति-निप्पॉन किडनरेन द्वारा उनके सम्मान में दिए गए दोपहर भोज के अवसर पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि व्यापार प्रस्तावों की समीक्षा के लिए जापान द्वारा चयनित दो नामजद व्यक्ति निर्णय लेने वाले दल का हिस्सा होंगे।
उन्होंने उल्लेख किया कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में शायद उनका जापानी व्यापार जगत के साथ बहुत महत्वपूर्ण संबंध रहा है। उन्होंने कहा कि वह सुशासन, व्यापार सुविधा और नीतियों को सरल बनाने की नीतियों के महत्व को समझते हैं। उन्होंने जापान के व्यवसायियों और निवेशकों को अनावश्यक देरी समाप्त करने के लिए नीति संचालित निर्णय लिए जाने का आश्वासन दिया। अपनी सरकार के पहले सौ दिनों की पहल पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों को सरल बनाने के कदम की व्यापक सराहना हुई है। वर्ष 2014-15 की पहली तिमाही में 5.7 प्रतिशत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि से एक बड़ी सकारात्मक भावना का सृजन हुआ है। भारत और जापान दोनों देशों की सरकारों को मिले स्पष्ट जनादेश से राजनीतिक स्थिरता पैदा हुई है और इससे द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह चाहते हैं कि भारत कौशल विकास के लिए जापानी मॉडल का अनुसरण करे, ताकि इसके जनसांख्यिकीय लाभ से कुशल कामगारों की वैश्विक आवश्यकता को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रबंधन के जापानी सिद्धांतों को शुरू करने का कदम उठाने की पहल उन्होंने ही की थी।
जापान के व्यवसायियों से भारत में निवेश करने का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत-जापान संबंधों को न केवल व्यापार बल्कि इससे आगे ले जाना है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी एशिया की सदी होगी। लेकिन आश्चर्य व्यक्त किया कि यह कैसे दिखेगी। इस सदी के लोगों की उम्मीद को पूरा करने के लिए भारत और जापान को बड़ी भूमिका निभानी होगी।
विकास वाद बनाम और विस्तार वाद के दृष्टिकोण की रूप रेखा बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत और जापान को दुनिया को बुद्ध की राह दिखानी चाहिए और विकास के लिए एक शक्ति के रूप में कार्य करना चाहिए। उनके साथ भारत के व्यापार जगत की कौन-कौन सी हस्ती जापान आई है इस बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि ये सभी लोग भारत को आगे ले जाने में भागीदार हैं। अब भारत और जापान को एशिया और विश्व अपनी भागीदार निभानी चाहिए।
Exhorting Japanese business to invest in India, the Prime Minister said India-Japan relations go much further than just commerce. He noted that the 21st century will be Asia’s century, but wondered how it would look like? He said that for meeting the aspirations of people in this century, India and Japan have a big role to play.
Outlining the approaches for Development (Vikaswaad) vs Expansionism (Vistarwaad), he said India and Japan must show the way of Buddha to the world, and act as a force for development.
Saying that the Who’s Who of India’s business had come to Japan with him, the Prime Minister said they were his partners in taking India forward. Now, he said, India and Japan should be partners, for Asia and the world.