"Government accepts recommendations of the 14th Finance Commission"
"Record increase in devolution of resources to states "
"PM: Our Government has decided to devolve maximum money to states and allow them the required freedom to plan the course of states’ development"
"सरकार ने वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार किया"
"राज्यों को दिए जाने वाले विभाज्य पूल में रिकार्ड बढोतरी"
"प्रधानमंत्री: हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्यों को अधिक से अधिक पैसा हस्तांतरित किया जाए एवं राज्य सरकारों को अपने-अपने राज्यों के विकास की दिशा तय करने की स्वतंत्रता दी जाए"

प्रधानमंत्री ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र के द्वारा सूचित किया है कि सरकार ने १४वें वित्त आयोग की सिफारिशों को पूर्णतया स्वीकार कर लिया है. प्रधानमंत्री के पत्र का मूल पाठ निम्नलिखित है:

"आपको ज्ञात है कि जब से हमारी सरकार ने कार्यभार संभाला है, मैं अपनी संघीय शासन प्रणाली को मजबूत करने और Cooperative federalism को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत हूं। देशवासियों की अपनी सरकारों से बड़ी अपेक्षाएं हैं और वे इंतजार करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए, हम शुरू से ही त्वरित और समावेशी विकास की प्रक्रिया के प्रति कटिबद्ध रहे हैं। देश की विविधता को देखते हुए, हम समझते हैं कि वास्तविक और गतिशील संघीय शासन के माध्यम से ही इस उद्देश्य को शीघ्रता और समग्रता के साथ हासिल किया जा सकता है।

मेरा दृढ़ विश्वास है कि सशक्त राज्य ही सशक्त भारत की आधारशिला हैं। जब मैं मुख्य मंत्री था, तब भी मैं यही कहता था कि देश की प्रगति राज्यों की प्रगति पर निर्भर करती है। इसलिए, हमारी सरकार राज्यों को हर संभव तरीके से सशक्त बनाने के लिए कटिबद्ध है। हमारा यह भी मानना है कि वित्तीय अनुशासन को ध्यान में रखते हुए, राज्यों को, अधिक वित्तीय मजबूती और स्वायत्तता के साथ अपने कार्यक्रम और योजनाएं तैयार करने की छूट दी जानी चाहिए। हमें विश्वास है कि इसके बगैर, स्थानीय विकास की जरूरतों को पूरा नहीं किया जा सकता है और पिछड़े समुदायों और क्षेत्रों को मुख्यधारा में नहीं लाया जा सकता है।

इसे ध्यान में रखते हुए हमने योजना आयोग की जगह नीति आयोग बनाया है। इसके पीछे हमारा उद्देश्य यह है कि यह एक ऐसा common forum हो, जिसके जरिए विकास के राष्ट्रीय विजन को आगे बढ़ाया जा सके। इस विजन से, और उसे हासिल करने में जो कदम हमने उठाने हैं, उनसे हमारे लोगों की विकास की अपेक्षाएं पूरी करने में मदद मिलेगी।

इस संदर्भ में हमने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को पूर्णतया स्वीकार किया है, हालांकि इससे केन्द्र की वित्त व्यवस्था पर भारी दबाव पड़ता है। 14वें वित्त आयोग ने राज्यों को दिए जाने वाले विभाज्य पूल से अंतरण में 10% की रिकार्ड बढोतरी की है। पिछले वित्त आयोगों द्वारा इसमें मामूली वृद्धि की गई थी। वर्ष 2014-15 की तुलना में राज्यों को 2015-16 में कुल हस्तांतरण काफी अधिक होगा। स्वाभाविक है कि इससे केन्द्र सरकार के उपयोग हेतु काफी कम धन बचेगा। लेकिन, हमने 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को एक सकारात्मक भावना के साथ लिया है क्योंकि इनसे आपके हाथ मजबूत होंगे और आप अपनी योजनाओं को अपनी प्राथमिकताओं और जरूरतों के अनुसार तैयार कर क्रियान्वित कर सकेंगे।

अपनी सिफारिशों में 14वें वित्त आयोग ने वित्तीय राजस्व व्यय के पैटर्न में बुनियादी बदलाव किया है। राज्य के योजना राजस्व खर्च के लिए दी जाने वाली सारी केन्द्रीय सहायता को राज्य के राजस्व खर्च का हिस्सा माना गया है और इसी आधार पर

हस्तांतरण निर्धारित किया गया है। वित्त आयोग की रिपार्ट के पैरा 7.43 में इसका स्पष्टीकरण किया गया है। जैसा कि 14वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के पैरा 8.6 और 8.7 में उल्लेख है, राज्यों का भी अधिकतर यही विचार रहा है कि ज्यादातर संसाधन, कर-अंतरण के रूप में मिले और केन्द्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) की संख्या कम की जाए। इस प्रकार, केन्द्र सरकार से अनुदानों और योजनाओं से आधारित सहायता से हटकर कर-अंतरण की दिशा में बदलाव किया गया है। इसलिए विभाज्य पूल का 42% अंतरण हो रहा है।

14वें वित्त आयोग के अनुसार राज्य योजना राजस्व का समस्त व्यय, राज्यों को हस्तांतरित किए गए संसाधनों से पूरा किया जाएगा। इतने बड़े हस्तांरतण के बावजूद हमने निर्णय लिया है कि हम राष्ट्रीय प्राथमिकता वाले उच्चतम क्षेत्रों, जैसे गरीबी उन्मूलन, MNREGA, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, कृषि और कुछ अन्य क्षेत्रों को सहायता देते रहेंगे।

आप इस बात से सहमत होंगे कि 14वें वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर हम जटिल केन्द्र प्रायोजित योजना और 'One size fits all' के दृष्टिकोण से हट रहे हैं। कई वर्षों से राज्य इस अवधारणा का विरोध करते आ रहे हैं। देश की आयोजना प्रक्रिया में लंबे समय से चली आ रही इन कमियों और चिंताओं को स्वीकार करते हुए हमारी सरकार ने निर्णय लिया है कि राज्यों को अधिक से अधिक पैसा हस्तांतरित कर, उन्हें अपनी राज्य की विकास की दिशा तय करने की स्वतंत्रता दी जाए। हस्तांतरित किये जा रहे 10% अतिरिक्त संसाधन आपको यह स्वतंत्रता देगें।

इस संदर्भ में, जब आपके पास भरपूर संसाधन हैं, मैं चाहूंगा कि आप वर्तमान में चल रही केंद्र द्वारा सहायता प्राप्त योजनाओं और कार्यक्रमों की नई दृष्टि से समीक्षा करें। राज्य अपनी आवश्यकता अनुसार इन योजनाओं और कार्यक्रमों को जारी रखने या उनमें परिवर्तन करने के लिए स्वतंत्र हैं। इस कार्य में, केंद्र सरकार, विशेषकर नीति आयोग, राज्यों को रणनीति तैयार करने तथा इसके कार्यान्वयन में विचार, ज्ञान एवं तकनीक के जरिए सहायता करेगा।

ये सभी कदम co-operative federalism के मेरे वादे को पूरा करने का हिस्सा हैं। जैसा कि आप देख चुके हैं, हमने राष्ट्रीय प्राथमिकताओं की चर्चा एवं नियोजन में राज्यों को साथ लेकर चलना प्रारंभ कर दिया है। हम केंद्र और राज्यों द्वारा खर्च किए गए हरेक पैसे का सर्वाधिक परिणाम हासिल करने हेतु ऐसा कर रहे हैं। टीम इंडिया की इसी भावना के साथ सभी मुख्यमंत्रियों को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल में बराबर का भागीदार बनाया गया है। Co-operative federalism, जो कि सच्चा और वास्तविक federalism है, के माध्यम से देश को तीव्र और समावेशी विकास की राह पर ले जाने की यह हमारी रणनीति है।

हम अपने इस निर्णय के साथ इस बात से भी प्रसन्न हैं कि संसाधन सही जगह जा रहे हैं। गरीबी का उन्मूलन, नौकरियों का सृजन; लोगों को घर, पीने का पानी, सड़कें, स्कूल, अस्पताल और बिजली की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए यह संसाधन राज्यों को जा रहे हैं। ऐसा इस देश में पहले कभी नहीं हुआ है।

इसके अतिरिक्त, हाल ही में हमने खनिजों पर रॉयल्टी की दरों को बदला है जिससे कई राज्यों को लाभ मिलेगा। कोयला और अन्य खनिजों में जो पारदर्शी नीलामी की प्रक्रिया चल रही है, उससे खनिज और कोयला समृद्ध राज्यों को 1 लाख करोड़ रूपये से अधिक की राजस्व प्राप्ति होगी। खनिज संसाधनों से समृद्ध होने के बावजूद, कम विकसित पूर्वी भारत को इसके कारण विशेष लाभ होगा। पूर्वी राज्यों को देश के अन्य हिस्सों के बराबरी में आने के लिए यह एक अवसर है।

अब संसाधनों की न कोई समस्या है और न होगी। परन्तु हमारी नीतियों की दिशा और इरादे तथा उन्हें कार्यान्वित करने की हमारी क्षमता एक मुद्दा है। आप इस बात से सहमत होंगे कि केंद्र और राज्य के स्तर पर धन, देश की मुख्य समस्याओं को दूर करने के लिए व्यय होना चाहिए। हमारा ध्यान गरीबों, किसानों, आम नागरिकों, नौजवानों और बच्चों पर केंद्रित होना चाहिए। जिन कारणों से वे अपनी पूर्ण क्षमता का उपयोग नहीं कर पाते, उन्हें दूर करना ही हमारी चुनौती है।

हमारे देश की आर्थिक विकास यात्रा में यह एक स्वर्णिम अवसर है। मेरे द्वारा हाल ही में की गई सभी विदेश यात्राओं से यह बात सामने आई है कि भारत में और यहां निवेश करने में दुनिया आशावादी है। हर कोई भारत की विकास यात्रा में सहभागी बनना चाहता है। यह केवल केंद्र सरकार के लिए ही नहीं बल्कि पूरे भारत के लिए एक बड़ा अवसर है।

अपने देश के विकास की प्रक्रिया में एक ऊंची छलाँग लगाने का हम लक्ष्य रखें। आपके राज्य तथा देश के समक्ष चुनौतियों को परिभाषित कर उनके निराकरण हेतु समय, ऊर्जा और संसाधन लगाने में आपका सहयोग और सहभागिता मिले, इस उद्देश्य से मैं आपको यह पत्र लिख रहा हूं। मैं आशा करता हूं कि प्रत्येक राज्य अपनी प्राथमिकताओं के लिए योजना बनाकर संसाधनों का उपयोग इन प्राथमिकताओं की पूर्ति हेतु करेगा। हमें कार्यक्रमों और परियोजनाओं का मूल्यांकन करने के लिए ठोस प्रणाली भी अपनानी चाहिए। इस प्रयास में मैं आपके साथ काम करूंगा। हमें साथ मिलकर कार्यों की गुणवत्ता तथा उनके तीव्र कार्यान्वयन से संबंधित मापदण्ड स्थापित करने होंगे।

हम सब इस दिशा में मिलकर काम करें। इस संबंध में मैं किसी भी समय परामर्श के लिए उपलब्ध रहूंगा।"

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कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के फेज V (A) प्रोजेक्ट के अंतर्गत तीन नए कॉरिडोर्स को स्वीकृति दी
December 24, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली मेट्रो के फेज-V (ए) परियोजना के हिस्से के रूप में तीन नए कॉरिडोर को मंजूरी दी है: 1. आर.के. आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ (9.913 किमी), 2. एरोसिटी से आई.जी.डी. एयरपोर्ट टी-1 (2.263 किमी) और 3. तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज (3.9 किमी)। यह 16.076 किलोमीटर लंबी परियोजना राष्ट्रीय राजधानी के भीतर कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगी। दिल्ली मेट्रो के फेज-V (ए) की कुल लागत 12014.91 करोड़ रुपये है, जिसे भारत सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण एजेंसियों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।

सेंट्रल विस्टा कॉरिडोर सभी कर्तव्य भवनों को कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिससे इस क्षेत्र के कार्यालय जाने वालों और आगंतुकों को सीधे ऑफिस तक पहुंचने में आसानी होगी। इस कनेक्टिविटी से दैनिक आधार पर लगभग 60,000 कार्यालय जाने वाले कर्मचारियों और 2 लाख आगंतुकों को लाभ होगा। ये कॉरिडोर प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को और कम करेंगे, जिससे जीवन जीने की सुगमता में वृद्धि होगी।

विवरण:

आर.के. आश्रम मार्ग – इंद्रप्रस्थ सेक्शन, बॉटनिकल गार्डन - आर.के. आश्रम मार्ग कॉरिडोर का विस्तार होगा। यह सेंट्रल विस्टा क्षेत्र को मेट्रो कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिसका वर्तमान में पुनर्विकास किया जा रहा है। एयरोसिटी – आईजीडी एयरपोर्ट टर्मिनल 1 और तुगलकाबाद – कालिंदी कुंज सेक्शन, एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर का विस्तार होंगे। यह विस्तार हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी को राष्ट्रीय राजधानी के दक्षिणी हिस्सों जैसे तुगलकाबाद, साकेत, कालिंदी कुंज आदि क्षेत्रों के साथ मजबूत करेगा। इन विस्तारों में कुल 13 स्टेशन शामिल होंगे, जिनमें से 10 स्टेशन भूमिगत और 03 स्टेशन एलिवेटेड होंगे।

पूरा होने के बाद, कॉरिडोर-1 यानी आर.के. आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ (9.913 किमी) पश्चिमी, उत्तरी और पुरानी दिल्ली की सेंट्रल दिल्ली के साथ कनेक्टिविटी में सुधार करेगा। वहीं अन्य दो कॉरिडोर— एयरोसिटी से आईजीडी एयरपोर्ट टी-1 (2.263 किमी) और तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज (3.9 किमी)— दक्षिण दिल्ली को साकेत, छतरपुर आदि के माध्यम से घरेलू हवाई अड्डे टर्मिनल-1 से जोड़ेंगे, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के भीतर कनेक्टिविटी में जबरदस्त वृद्धि होगी।

फेज-V (ए) परियोजना के ये मेट्रो विस्तार मध्य दिल्ली और घरेलू हवाई अड्डे तक दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की पहुंच बढ़ाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती मिलेगी। मजेंटा लाइन और गोल्डन लाइन के ये विस्तार सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करेंगे। इस प्रकार, मोटर वाहनों के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।

आरके आश्रम मार्ग - इंद्रप्रस्थ सेक्शन पर जो स्टेशन बनेंगे, वे हैं: आर.के. आश्रम मार्ग, शिवाजी स्टेडियम, सेंट्रल सेक्रेटेरिएट, कर्तव्य भवन, इंडिया गेट, वॉर मेमोरियल - हाई कोर्ट, बड़ौदा हाउस, भारत मंडपम, और इंद्रप्रस्थ।

तुगलकाबाद – कालिंदी कुंज सेक्शन के स्टेशन सरिता विहार डिपो, मदनपुर खादर और कालिंदी कुंज होंगे, जबकि एयरोसिटी स्टेशन को आगे आईजीडी टी-1 स्टेशन से जोड़ा जाएगा।

फेज-IV का निर्माण कार्य, जिसमें 111 किमी लंबाई और 83 स्टेशन शामिल हैं, वर्तमान में प्रगति पर है। आज की स्थिति के अनुसार, फेज-IV के (3 प्राथमिकता वाले) कॉरिडोर का लगभग 80.43 प्रतिशत सिविल निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। फेज-IV के इन तीनों प्राथमिकता वाले कॉरिडोर के दिसंबर 2026 तक चरणों में पूरा होने की संभावना है।

आज, दिल्ली मेट्रो प्रतिदिन औसतन 65 लाख यात्रियों को सर्विस देती है। अब तक की सर्वाधिक यात्रा का रिकॉर्ड 8 अगस्त 2025 को 81.87 लाख दर्ज किया गया है। दिल्ली मेट्रो समयपालन, विश्वसनीयता और सुरक्षा जैसे एमआरटीएस के मुख्य मानकों में उत्कृष्टता का प्रतीक बनकर शहर की जीवनरेखा बन गई है।

वर्तमान में दिल्ली और एनसीआर में डीएमआरसी द्वारा लगभग 395 किमी लंबाई वाली कुल 12 मेट्रो लाइनों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें 289 स्टेशन शामिल हैं। आज, दिल्ली मेट्रो भारत का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क है और दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्कों में से भी एक है।