प्रधानमंत्री मोदी 23 से 29 सितम्बर तक आयरलैंड और अमेरिका की यात्रा करेंगे
नरेन्द्र मोदी लगभग 60 वर्षों के बाद आयरलैंड का दौरा करने पहले भारतीय प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री मोदी आयरलैंड के प्रधानमंत्री श्री एंडा केनी के साथ वार्ता करेंगे
प्रधानमंत्री आयरलैंड में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे
प्रधानमंत्री मोदी न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास शिखर सम्मेलन को संबोधित करेंगे
प्रधानमंत्री मोदी शांति स्थापना पर राष्ट्रपति ओबामा द्वारा आयोजित एक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे
भारत न्यूयॉर्क में जी-4 देशों के नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका में विश्व के कई नेताओं, औद्योगिक प्रमुखों से मिलेंगे
प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका के दौरे के दौरान 26 और 27 सितंबर को वेस्ट कोस्ट की यात्रा करेंगे
प्रधानमंत्री मोदी फेसबुक मुख्यालय में मार्क जुकरबर्ग के साथ-साथ टाउनहॉल प्रश्नोत्तरी सत्र में भाग लेंगे
प्रधानमंत्री गूगल (अल्फाबेट) परिसर और टेस्ला मोटर्स का दौरा करेंगे
प्रधानमंत्री मोदी यूएसडीओसी और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ अक्षय ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन को संबोधित करेंगे
प्रधानमंत्री मोदी 27 सितंबर को सैन जोस में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी 23 सितंबर, 2015 से 29 सितंबर, 2015 तक आयरलैंड और संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री ने अपने फेसबुक पोस्‍ट में कहा:-

‘23 सितंबर, 2015 को मैं आयरलैंड का दौरा करूंगा। लगभग साठ वर्षों के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का आयरलैंड का यह पहला दौरा है। आयरलैंड में मैं वहां के प्रधानमंत्री श्री एंडा केनी के साथ वार्ता करूंगा। हमें आशा है कि आने वाले वर्षों में आयरलैंड के साथ हमारे आर्थिक संबंध और मजबूत होंगे तथा दोनों देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान और बढ़ेगा। आयरलैंड में मैं भारतीय समुदाय के साथ भी विचार विमर्श करूंगा।

24 सितंबर, 2015 को मैं संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की यात्रा शुरू करूंगा। इस दौरे में उस आधार को मजबूत किया जाएगा, जिसकी बुनियाद अमेरिका की मेरी पिछली यात्रा और इस वर्ष राष्‍ट्रपति ओबामा के भारत आगमन के दौरान रखी गई थी।

मैं संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की यात्रा उस ऐतिहासिक अवसर पर कर रहा हूं जब संयुक्‍त राष्‍ट्र अपना 70वां स्‍थापना वर्ष मना रहा है। भारत संयुक्‍त राष्‍ट्र को बहुत अहमियत देता है। मैंने जुलाई में 193 देशों के शीर्ष नेताओं को पत्र लिखा था, जिसमें संयुक्‍त राष्‍ट्र के एजेंडा और सुधारों के बारे में भारतीय दृष्टिकोण को रेखांकित किया गया था। मुझे प्रसन्‍नता है कि कई देशों के नेताओं ने पत्र का जवाब देकर हमारे दृष्टिकोण की सराहना की थी।

न्‍यूयार्क सिटी में मैं 2015 के उपरांत नए सतत विकास एजेंडा को औपचारिक रूप से स्‍वीकार करने संबंधी संयुक्‍त राष्‍ट्र सतत विकास शीर्ष सम्‍मेलन को संबोधित करूंगा। भारत की संस्‍कृति में समरस्‍ता केंद्रीय हैसियत रखती है, इस आधार पर मुझे प्रसन्‍नता है कि मुझे इस मंच को संबोधित करने का अवसर मिल रहा है। नए लक्ष्‍य, सतत विकास और हमारे प्रमुख कार्यक्रमों से संबंधित भारत के दृष्टिकोण से एकात्‍म रखते हैं।

मैं शांति स्‍थापना पर एक शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा लूंगा, जिसकी मेजबानी राष्‍ट्रपति ओबामा करेंगे। संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति सेनाओं में ऐतिहासिक रूप से भारत का सबसे अधिक योगदान है। एक लाख 80 हजार से अधिक भारतीय सैनिकों ने संयुक्‍त राष्‍ट्र शांति मिशनों में हिस्‍सा लिया है जो किसी भी अन्‍य देश से अधिक है। हमें विश्‍वभर में तैनात अपने शांति बलों पर गर्व है जो कठिन परिस्थितियों में शांति स्‍थापना के कार्य में लगे हुए हैं। मैं शांति के लिए अपना जीवन न्‍यौछावर करने वाले बहादुर पुरूषों और महिलाओं को श्रद्धांजलि दूंगा। मैं शांति स्‍थापना को अधिक प्रभावशाली बनाने संबंधी अपने विचारों को भी प्रस्‍तुत करूंगा। इस वर्ष भारत न्‍यूयार्क में जी-4 के शीर्ष नेताओं का सम्‍मेलन आयोजित कर रहा है। इसमें संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद सुधार मुख्‍य एजेंडा है। संयुक्‍त राष्‍ट्र का 70वां स्‍थापना दिवस ऐसा उचित समय है जब सुधारों पर चर्चा तेज की जाए। अभी हाल में संयुक्‍त राष्‍ट्र आम सभा ने 20 वर्षों के बाद अंतत: दस्‍तावेज को स्‍वीकार कर लिया है, जो इस विषय पर औपचारिक चर्चा का आधार बनेगा। अपनी यात्रा के दौरान मैं विश्‍व के कई नेताओं से मुलाकता करूंगा। इसके साथ ही मैं अग्रणी निवेशकों और वित्‍तीय कंपनियों से भी बातचीत करूंगा। इस अवसर पर वार्ता-दौरान रात्रिभोज का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें फॉर्च्‍यून – 500 कंपनियां उपस्थित होंगी। इसमें भारत में निवेश अवसरों पर चर्चा की जाएगी।

संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान मैं 26 और 27 सितंबर को वेस्‍ट कोस्‍ट जाउंगा, जहां मैं कई कार्यक्रमों में हिस्‍सा लूंगा। लगभग 33 वर्षों के अंतराल के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की वेस्‍ट कोस्‍ट की यात्रा है। यह स्‍थान स्‍टार्ट-अप, नवाचार और प्रौद्योगिकी की धरती है।

मैं श्री मार्क जुकरबर्ग के साथ फेसबुक मुख्‍याल में टाउनहॉल प्रश्‍नोत्‍तरी में हिस्‍सा लूंगा। हम कुछ वैश्विक विषयों के साथ भारत से संबंधित मुद्दों पर भी बातचीत करेंगे, खासतौर से अर्थव्‍यवस्‍था और समाज के मुद्दों पर। इस टाउनहॉल वार्ता को देखने-सुनने से आप मत चूकें। मैंने आप सब को पहले ही आमंत्रित कर दिया है कि आप फेसबुक या ‘नरेंद्र मोदी मोबाइल एप्‍लीकेशन’ के जरिए अपने सवाल पूछ सकते हैं। मैं गूगल (अल्‍फाबेट) परिसर और टेस्‍ला मोटर्स में हाल में किए गए प्रौद्यौगिकीय अभिनव प्रयोगों को भी देखूंगा। मैं यूएसडीओसी और स्‍टेनफोर्ड युनिवर्सिटी सहित नवीकरणीय ऊर्जा गोलमेज वार्ता को भी संबोधित करूंगा।

‘इंडिया-यूएस स्‍टार्ट-अप कनेक्‍ट’ कार्यक्रम के प्रति मैं बहुत उत्‍साहित हूं। भारत विस्‍तृत क्षेत्रों में स्‍टार्ट-अप के केंद्र के रूप में उभर रहा है, और हम इसे आगे ले जाने की इच्‍छा रखते हैं। हम चाहते हैं कि स्‍टार्ट-अप क्षेत्र में विश्‍व हमारी नवाचार क्षमताओं का जायजा ले। इस कार्यक्रम में भारतीय स्‍टार्ट-अप का समूह अपने अभिनव प्रयोगों तथा अमेरिकी स्‍टार्ट-अप उद्योग से अपनी साझेदारियों का प्रदर्शन करेगा। 27 सितंबर को मैं सैन होसे में भारतीय समुदाय के साथ चर्चा करूंगा। भारतीय समुदाय ने भारत-अमेरिका संबंधों को मजबूत बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हमें भारतीय समुदाय की उपलब्धियों पर बहुत गर्व है कि उसने दोनों देशों के समाजों में महान योगदान किया है। मुझे पूरा विश्‍वास है कि मेरे अमेरिकी दौरे से विश्‍व की दो सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच संबंध और गहरे तथा मजबूत होंगे।’

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Gen Z और Gen Alpha भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी: पीएम मोदी
December 26, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा - आज के दिन हम राष्ट्र के गौरव, अदम्य साहस और वीरता के सर्वोच्च आदर्शों के प्रतीक वीर साहिबजादों को याद करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - माता गुजरी जी, श्री गुरु गोविंद सिंह जी और चारों साहिबजादों का साहस और आदर्श प्रत्येक भारतीय को शक्ति प्रदान करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - भारत ने गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त होने का संकल्प लिया है
प्रधानमंत्री ने कहा - जैसे-जैसे भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो रहा है, हमारी भाषाई विविधता शक्ति के स्रोत के रूप में उभर रही है
प्रधानमंत्री ने कहा - जेनरेशन जेड और जेनरेशन अल्फा देश के विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करेगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी अन्नपूर्णा देवी, सावित्री ठाकुर, रवनीत सिंह, हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली सरकार से आए हुए मंत्री महोदय, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां उपस्थित सभी अतिथि और प्यारे बच्चों !

आज देश ‘वीर बाल दिवस’ मना रहा है। अभी वंदे मातरम की इतनी सुंदर प्रस्तुति हुई है, आपकी मेहनत नजर आ रही है।

साथियों,

आज हम उन वीर साहिबजादों को याद कर रहे हैं, जो हमारे भारत का गौरव है। जो भारत के अदम्य साहस, शौर्य, वीरता की पराकाष्ठा है। वो वीर साहिबजादे, जिन्होंने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ दिया, जो क्रूर मुगल सल्तनत के सामने ऐसे चट्टान की तरह खड़े हुए कि मजहबी कट्टरता और आतंक का वजूद ही हिल गया। जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत हो, जिसकी युवा पीढ़ी को ऐसी प्रेरणाएं विरासत में मिली हों, वो राष्ट्र क्या कुछ नहीं कर सकता।

साथियों,

जब भी 26 दिसंबर का ये दिन आता है, तो मुझे ये तसल्ली होती है कि हमारी सरकार ने साहिबजादों की वीरता से प्रेरित वीर बाल दिवस मनाना शुरू किया। बीते 4 वर्षों में वीर बाल दिवस की नई परंपरा ने साहिबजादों की प्रेरणाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। वीर बाल दिवस ने साहसी और प्रतिभावान युवाओं के निर्माण के लिए एक मंच भी तैयार किया है। हर साल जो बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों में देश के लिए कुछ कर दिखाते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इस बार भी, देश के अलग-अलग हिस्सों से आए 20 बच्चों को ये पुरस्कार दिए गए हैं। ये सब हमारे बीच में हैं, अभी मुझे उनसे काफी गप्पे-गोष्टि करने का मौका मिला। और इनमें से किसी ने असाधारण बहादुरी दिखाई है, किसी ने सामाजिक सेवा और पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय काम किया है। इनमें से कुछ विज्ञान और टेक्नोलॉजी में कुछ इनोवेट किया है, तो कई युवा साथी खेल, कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। मैं इन पुरस्कार विजेताओं से कहूंगा, आपका ये सम्मान आपके लिए तो है ही, ये आपके माता-पिता का, आपके टीचर्स और मेंटर्स का, उनकी मेहनत का भी सम्मान है। मैं पुरस्कार विजेताओं को, और उनके परिवारजनों को उज्ज्वल भविष्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये दिन भावना और श्रद्धा से भरा दिन है। साहिबजादा अजीत सिंह जी, साहिबजादा जुझार सिंह जी, साहिबजादा जोरावर सिंह जी, और साहिबजादा फतेह सिंह जी, छोटी सी उम्र में इन्हें उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा। वो लड़ाई भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच थी, वो लड़ाई सत्य बनाम असत्य की थी। उस लड़ाई के एक ओर दशम गुरु श्रीगुरु गोविंद सिंह जी थे, दूसरी ओर क्रूर औरंगजेब की हुकूमत थी। हमारे साहिबजादे उस समय उम्र में छोटे ही थे। लेकिन, औरंगजेब को, उसकी क्रूरता को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वो जानता था, उसे अगर भारत के लोगों को डराकर उनका धर्मांतरण कराना है, तो इसके लिए उसे हिंदुस्तानियों का मनोबल तोड़ना होगा। और इसलिए उसने साहिबजादों को निशाना बनाया।

लेकिन साथियों,

औरंगजेब और उसके सिपाहसालार भूल गये थे, हमारे गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं थे, वो तप, त्याग का साक्षात अवतार थे। वीर साहिबजादों को वही विरासत उनसे मिली थी। इसीलिए, भले ही पूरी मुगलिया बादशाहत पीछे लग गई, लेकिन वो चारों में से एक भी साहिबजादे को डिगा नहीं पाये। साहिबजादा अजीत सिंह जी के शब्द आज भी उनके हौसले की कहानी कहते हैं- नाम का अजीत हूं, जीता ना जाऊंगा, जीता भी गया, तो जीता ना आउंगा !

साथियों,

कुछ दिन पूर्व ही हमने श्रीगुरू तेग बहादुर जी को, उनके तीन सौ पचासवें बलिदान दिवस पर याद किया। उस दिन कुरुक्षेत्र में एक विशेष कार्यक्रम भी हुआ था। जिन साहिबजादों के पास श्री गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान की प्रेरणा हो, वो मुगल अत्याचारों से डर जाएंगे, ये सोचना ही गलत था।

साथियों,

माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और चारों साहिबजादों की वीरता और आदर्श, आज भी हर भारतीय को ताकत देते हैं, हमारे लिए प्रेरणा है। साहिबजादों के बलिदान की गाथा देश में जन-जन की जुबान पर होनी चाहिए थी। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी देश में गुलामी की मानसिकता हावी रही। जिस गुलामी की मानसिकता का बीज अंग्रेज राजनेता मैकाले ने 1835 में बोया था, उस मानसिकता से देश को आजादी के बाद भी मुक्त नहीं होने दिया गया। इसलिए आजादी के बाद भी देश में दशकों तक ऐसी सच्चाइयों को दबाने की कोशिश की गई।

लेकिन साथियों,

अब भारत ने तय किया है कि गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पानी ही होगी। अब हम भारतीयों के बलिदान, हमारे शौर्य की स्मृतियां दबेंगी नहीं। अब देश के नायक-नायिकाओं को हाशिये पर नहीं रखा जाएगा। और इसलिए वीर बाल दिवस को हम पूरे मनोभाव से मना रहे हैं। और हम इतने पर ही नहीं रुके हैं, मैकाले ने जो साजिश रची थी, साल 2035 में उसके 200 साल अब थोड़े समय में हो जाएंगे। इसमें अभी 10 साल का समय बाकी है। इन्हीं 10 सालों में हम देश को पूरी तरह गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। 140 करोड़ देशवासियों का ये संकल्प होना चाहिए। क्योंकि देश जब इस गुलामी की मानसिकता से मुक्त होगा, उतना ही स्वदेशी का अभिमान करेगा, उतना ही आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस अभियान की एक झलक कुछ दिन पहले हमारे देश की पार्लियामेंट में भी दिखाई दी है। अभी संसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों ने हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा, दूसरी भारतीय भाषाओं में लगभग 160 भाषण दिये। करीब 50 भाषण तमिल में हुए, 40 से ज्यादा भाषण मराठी में हुए, करीब 25 भाषण बांग्ला में हुए। दुनिया की किसी भी संसद में ऐसा दृश्य मुश्किल है। ये हम सबके लिए गौरव की बात है। भारत की इस language diversity को भी मैकाले ने कुचलने का प्रयास किया था। अब गुलामी की मानसिकता से मुक्त होते हमारे देश में भाषाई विविधता हमारी ताकत बन रही है।

साथियों,

यहां मेरा युवा भारत संगठन से जुड़े इतने सारे युवा यहां उपस्थित हैं। एक तरह से आप सभी जेन जी हैं, जेन अल्फा भी हैं। आपकी जनरेशन ही भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी। मैं जेन जी की योग्यता, आपका आत्मविश्वास देखता हूं, समझता हूं, और इसलिए आप पर बहुत भरोसा करता हूं। हमारे यहां कहा गया है, बालादपि ग्रहीतव्यं युक्तमुक्तं मनीषिभिः। अर्थात्, अगर छोटा बच्चा भी कोई बुद्धिमानी की बात करे, तो उसे ग्रहण करना चाहिए। यानी, उम्र से कोई छोटा नहीं होता, और कोई बड़ा भी नहीं होता। आप बड़े बनते हैं, अपने कामों और उपलब्धियों से। आप कम उम्र में भी ऐसे काम कर सकते हैं कि बाकी लोग आपसे प्रेरणा लें। आपने ये करके दिखाया है। लेकिन, इन उपलब्धियों को अभी केवल एक शुरुआत के तौर पर देखना है। अभी आपको बहुत आगे बढ़ना है। अभी सपनों को आसमान तक लेकर जाना है। और आप भाग्यशाली हैं, आप जिस पीढ़ी में जन्में हैं, आपकी प्रतिभा के साथ देश मजबूती से खड़ा है। पहले युवा सपने देखने से भी डरते थे, क्योंकि पुरानी व्यवस्थाओं में ये माहौल बन गया था कि कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। चारों तरफ निराशा, निराशा का वातावरण बना दिया गया था। उन लोगों को यहां तक लगने लगा कि भई मेहनत करके क्या फायदा है? लेकिन, आज देश टैलेंट को, प्रतिभा को खोजता है, उन्हें मंच देता है। उनके सपनों के साथ 140 करोड़ देशवासियों की ताकत लग जाती है।

डिजिटल इंडिया की सफलता के कारण आपके पास इंटरनेट की ताकत है, आपके पास सीखने के संसाधन हैं। जो साइंस, टेक और स्टार्टअप वर्ल्ड में जाना चाहते हैं, उनके लिए स्टार्टअप इंडिया जैसे मिशन हैं। जो स्पोर्ट्स में आगे बढ़ रहे हैं, उनके लिए खेलो इंडिया मिशन है। अभी दो ही दिन पहले मैंने सांसद खेल महोत्सव में भी हिस्सा लिया। ऐसे तमाम मंच आपको आगे बढ़ाने के लिए हैं। आपको बस focused रहना है। और इसके लिए जरूरी है कि आप short term popularity की चमक-दमक में न फंसे। ये तब होगा, जब आपकी सोच स्पष्ट होगी, जब आपके सिद्धान्त स्पष्ट होंगे। और इसलिए, आपको अपने आदर्शों से सीखना है, देश की महान विभूतियों से सीखना है। आपको अपनी सफलता को केवल अपने तक सीमित नहीं मानना है। आपका लक्ष्य होना चाहिए, आपकी सफलता देश की सफलता बननी चाहिए।

साथियों,

आज युवाओं के सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर नई पॉलिसी बनाई जा रही हैं। युवाओं को राष्ट्र-निर्माण के केंद्र में रखा गया है। ‘मेरा युवा भारत’, ऐसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से युवाओं को जोड़ने, उन्हें अवसर देने और उनमें लीडरशिप स्किल विकसित कराने का प्रयास किया जा रहा है। स्पेस इकोनॉमी को आगे बढ़ाना, खेलों को प्रोत्साहित करना, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को विस्तार देना, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप के अवसर तैयार करना, इस तरह के हर प्रयास के केंद्र में मेरे युवा साथी ही हैं। हर सेक्टर में युवाओं के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।

साथियों,

आज भारत के सामने परिस्थितियां अभूतपूर्व हैं। आज भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। आने वाले पच्चीस वर्ष भारत की दिशा तय करने वाले हैं। आज़ादी के बाद शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत की क्षमताएं, भारत की आकांक्षाएं और भारत से दुनिया की अपेक्षाएं, तीनों एक साथ मिल रही हैं। आज का युवा ऐसे समय में बड़ा हो रहा है, जब अवसर पहले से कहीं ज्यादा हैं। हम भारत के युवाओं की प्रतिभा, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को बेहतर मौके देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मेरे युवा साथियों,

विकसित भारत की मजबूत नींव के लिए भारत की एजुकेशन पॉलिसी में भी अहम Reforms किए गए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का फोकस 21वीं सदी में लर्निंग के नए तौर-तरीकों पर है। आज फोकस प्रैक्टिकल लर्निंग पर है, बच्चों में रटने के बजाय सोचने की आदत विकसित हो, उनमें सवाल पूछने का साहस और समाधान खोजने की क्षमता आए, पहली बार इस दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे हैं। Multidisciplinary studies, skill-based learning, स्पोर्ट्स को बढ़ावा और टेक्नोलाजी का उपयोग, इनसे स्टूडेंट्स को बहुत मदद मिल रही है। आज देशभर में अटल टिंकरिंग लैब्स में लाखों बच्चे इनोवेशन और रिसर्च से जुड़ रहे हैं। स्कूलों में ही बच्चे रोबोटिक्स, AI, सस्टेनेबिलिटी और डिजाइन थिंकिंग से परिचित हो रहे हैं। इन सारे प्रयासों के साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प दिया गया है। इससे बच्चों को पढ़ाई में आसानी हो रही है, विषयों को समझने में आसानी हो रही है।

साथियों,

वीर साहिबजादों ने ये नहीं देखा था कि रास्ता कितना कठिन है। उन्होंने ये देखा था कि रास्ता सही है या नहीं है। आज उसी भावना की आवश्यकता है। मैं भारत के युवाओं के, और मैं भारत के युवाओं से यही अपेक्षा करता हूं, बड़े सपने देखें, कड़ी मेहनत करें, और अपने आत्मविश्वास को कभी भी कमजोर न पड़ने दें। भारत का भविष्य उसके बच्चों और युवाओं के भविष्य से ही उज्ज्वल होगा। उनका साहस, उनकी प्रतिभा और उनका समर्पण राष्ट्र की प्रगति को दिशा देगा। इसी विश्वास के साथ, इस जिम्मेदारी के साथ और इसी निरंतर गति के साथ, भारत अपने भविष्य की ओर आगे बढ़ता रहेगा। मैं एक बार फिर वीर साहिबजादों को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।