Q. प्रधानमंत्री जी, बधाई हो, आप वर्ष 2023 के इंडिया टुडे न्यूज़मेकर हैं। आप इस बारे में कैसा महसूस करते हैं?

वर्ष 2023 के न्यूज़मेकर के सम्मान के लिए धन्यवाद। मेरे लिए, इस वर्ष कई न्यूज़मेकर रहे हैं: हमारे किसान जो रिकॉर्ड कृषि उत्पादन का नेतृत्व कर रहे हैं और विश्व स्तर पर मिलेट क्रांति ला रहे हैं; हमारे लोग जिन्होंने G20 को पूरे देश में बड़ी सफलता दिलाई; हमारे विश्वकर्मा जो अपने कौशल से सफलता की राह तय कर रहे हैं; हमारे एथलीट जिन्होंने एशियाई खेलों, एशियाई पैरा खेलों और अन्य टूर्नामेंटों में हमें गौरवान्वित किया; हमारे युवा जो नये कीर्तिमान रच रहे हैं, चाहे स्टार्टअप का क्षेत्र हो या विज्ञान का क्षेत्र हो; हमारी नारी शक्ति जो सभी क्षेत्रों में नई सीमाएं छू रही है, खासकर अब जबकि महिला नेतृत्व वाले विकास के माध्यम से सशक्तिकरण की एक नई कहानी लिखी जा रही है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे कई वर्षों से देश के लोगों की सेवा करने का अवसर मिला है। इस दौरान, हमने कई सफलताएं और चुनौतियों का सामना भी किया है।

Q. ये चुनौतियां क्या थीं?

2023 में भारत का तेजी से उदय बहुत महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि यह विकसित भारत की हमारी यात्रा की दिशा तय करता है। हमने अपने देश की अप्रकट क्षमता को उजागर किया है। वैश्विक मंचों पर, भारत की उपस्थिति और योगदान की अब मांग की जाती है। एक ऐसे देश से जो खुद को पीछे छूटा हुआ महसूस करता था, से अब हम एक ऐसा देश बन गए हैं जो आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहा है। एक ऐसे देश से जो विभिन्न मंचों में आवाज की तलाश करता था, हम एक ऐसा देश बन गए हैं जो नए वैश्विक मंचों का नेतृत्व और निर्माण करता है। आज, विश्व की आम सहमति स्पष्ट है: यह भारत का अवसर है।

Q. 2023 में आप अब तक की यात्रा से संतुष्ट हैं और क्या यह वर्ष आपके और देश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है?

सिर्फ एक साल के आधार पर, मेरे काम को मापना सही नहीं होगा। मेरा विजन और योजनाएं धीरे-धीरे और लगातार आगे बढ़ते हैं। जब मैं कोई चीज़ शुरू करता हूं, तो मुझे पता होता है कि मैं आखिर में कहां पहुंचना चाहता हूं। लेकिन मैं शुरुआत में ही कोई मंजिल या खाका नहीं बनाता। इसलिए आज आप जो देख रहे हैं, वह पूरी तस्वीर नहीं है। असल में, इससे कहीं बड़ी तस्वीर धीरे-धीरे सामने आएगी। मैं बड़े पैमाने पर काम करता हूं। एक कलाकार की तरह, मैं एक बिंदु से शुरू करता हूं, जहाँ पूरी तस्वीर दिखाई नहीं देती है।

Q. हमें आपके इस अनूठे विजन के कुछ उदाहरण दीजिए?

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (गुजरात में) का उदाहरण लें। जब मैंने घोषणा की कि हम 182 फुट की प्रतिमा बनाएंगे, तो कई लोगों ने सोचा कि इसका गुजरात विधानसभा में 182 सीटों से कुछ लेना-देना है। कुछ वर्गों ने सोचा कि चुनाव से पहले एक समुदाय को खुश करने के लिए ऐसा किया गया। लेकिन देखिए कि कैसे यह एक समग्र टूरिज्म इकोसिस्टम में विकसित हुआ है, जिसमें हर आयु वर्ग और रुचियों के लोगों के लिए कुछ न कुछ है। कुछ दिन पहले, इसे देखने एक दिन में 80,000 सैलानी पहुंचे, यह इसकी लोकप्रियता का स्तर है। मैंने केवल एक चीज का वादा किया था, लेकिन मैंने वहां दर्जनों चीजें दीं। यह मेरा काम करने का तरीका है। जब भारत मंडपम् पर काम शुरू हुआ तो किसी ने नहीं सोचा था कि यहां G20 का आयोजन होगा। लेकिन मैं एक योजना के साथ काम कर रहा था। अगर मैं नए संसद भवन या गरीबों के लिए 4 करोड़ घरों की दिशा में काम करता हूँ, तो मैं इसे समान योजना और समर्पण के साथ करता हूँ।

Q. 2023 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहा। आपकी आर्थिक नीतियों को आकार देने में किन प्रमुख कारकों ने भूमिका निभाई?

अनुभव के मामले में मेरे जीवन में एक अनूठी यात्रा रही है। मैंने 23 साल (गुजरात और केंद्र में) सरकार के प्रमुख के रूप में कार्य किया है, लेकिन इससे पहले 30 वर्षों तक मैंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की थी और लोगों के बीच रहा था। मैं खुद को जीवन भर का छात्र मानता हूं और दूसरों के अनुभवों और ज्ञान से सीखने में विश्वास करता हूं। तो, एक तरह से, मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा जमीनी संपर्क मजबूत है।

Q. तो आपका मैनेजमेंट स्टाइल क्या है?

पॉलिसी-मेकिंग के प्रति मेरा नजरिया थोड़ा अलग है। मैं सभी अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों को सुनता हूं और उनकी सलाह, मेरे 'जमीनी अनुभव' और देश की ‘वास्तविक हकीकत’ के मेल के माध्यम से अपनी नीतियों और रणनीतियों को तैयार करता हूं। मेरे जमीनी जुड़ाव के परिणामस्वरूप, मेरे पास मजबूत दृढ़ विश्वास है। मैं कुछ भी, अच्छा लगे इस लिए नहीं करता, बल्कि उससे अच्छा हो, इसलिए करता हूं। गरीबी में पले-बढ़े और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े रहने का सौभाग्य मिलने से मुझे इस बात की जानकारी है कि सुधारों को, लोगों के जीवन को बेहतर बनाने पर कैसे फोकस करना चाहिए, न कि केवल सुर्खियों पर। ऐसे ही दर्जनों सुधारों, जिनका लक्ष्य लोगों के जीवन को बेहतर बनाना, उनका जीवन आसान बनाना, उनके व्यापार को आसान बनाना था, के परिणामस्वरूप भारत की विकास यात्रा ने तेजी पकड़ी है। हम संसाधनों के अधिकतम उपयोग और परिणाम-केन्द्रित निगरानी में विश्वास करते हैं। हम जन आंदोलनों के माध्यम से राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में विश्वास करते हैं।

Q. आप स्वच्छता और सफाई जैसे कठिन मुद्दों को क्यों उठाते हैं और स्वतंत्रता दिवस के संबोधन पर भी उनके बारे में क्यों बोलते हैं?

मक्खन पर लकीर तो सब करते हैं। करनी है तो पत्थर पर लकीर करो। कठिन है तो क्या हुआ, शुरुआत तो करें। मैं इस सोच में यकीन करता हूं, जिससे मुझे कठिन और असुविधाजनक लक्ष्यों को साधने का दृढ़ विश्वास मिलता है।

Q. आप यह कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए?

इस बारे में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड खुद बोलता है। 2001 में जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना, तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 26 बिलियन डॉलर (2.17 लाख करोड़ रुपये) था। जब मैं प्रधानमंत्री बनने के लिए गुजरात से आया, तब गुजरात की अर्थव्यवस्था का आकार 133.5 बिलियन डॉलर (11.1 लाख करोड़ रुपये) हो गया था। और विभिन्न नीतियों और सुधारों के परिणामस्वरूप, आज गुजरात की अर्थव्यवस्था लगभग 260 बिलियन डॉलर (21.6 लाख करोड़ रुपये) है। इसी तरह, जब मैं 2014 में प्रधानमंत्री बना, तो भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2 ट्रिलियन डॉलर (167 लाख करोड़ रुपये) था और 2023-24 के अंत में भारत का जीडीपी 3.75 ट्रिलियन डॉलर (312 लाख करोड़ रुपये) से अधिक होगा। मेरा 23 साल का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि यह एक हासिल होने योग्य लक्ष्य है।

Q. विपक्ष का कहना है कि महंगाई और नौकरियों की कमी से गरीबों पर असर पड़ रहा है। आप इन आलोचकों को क्या कहेंगे?

आइए आरोपों को किनारे रखें और तथ्यों पर चर्चा करें। दो साल तक चली सदी की सबसे बड़ी महामारी और वैश्विक संघर्षों के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होने और यहां तक कि दुनिया भर में मंदी का दबाव पैदा होने के बावजूद, भारत ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है। भारी बाधाओं, वैश्विक संकटों, सप्लाई चेन टूटने और बुनियादी चीजों की वैश्विक कीमतों पर असर डालने वाले भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद, 2014-15 से 2023-24 (नवंबर तक) तक औसत मुद्रास्फीति केवल 5.1 प्रतिशत थी, जबकि 2004-14 के 10 वर्षों के दौरान यह 8.2 प्रतिशत थी। बताइए, कौन सी मुद्रास्फीति अधिक है, 5.1 प्रतिशत या 8.2 प्रतिशत?

Q. रोजगार सृजन के बारे में क्या कहेंगे?

जहां तक रोजगार सृजन की बात है तो यह मेरी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। हमारे सभी प्रयास इस उद्देश्य लिए तैयार किये गये हैं। यह सर्वविदित है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश का विकास और रोजगार पर कई गुना प्रभाव पड़ता है। इसलिए, हमने पूंजी निवेश परिव्यय में लगातार वृद्धि की है। 2023-24 के बजट में इसे 2013-14 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। मेरा मानना है कि आपको अपने पाठकों को यह बताना चाहिए कि यह खर्च कैसे उत्पादक है और आम आदमी के लिए कितने सारे अवसर पैदा करता है। साथ ही यह भी देखें कि हमारे आसपास क्या हो रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण अभूतपूर्व गति से हो रहा है, और सभी क्षेत्र 10 साल पहले की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

Q. आपने रोज़गार के संदर्भ में जिस इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की बात की, उसके नतीजे क्या हैं?

जब भारत ने 10 साल से भी कम समय में मेट्रो लाइनों की लंबाई 248 किमी से बढ़ाकर 905 किमी कर दी, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? जब भारत ने 10 साल से भी कम समय में हवाई अड्डों की संख्या 74 से बढ़ाकर 149 कर दी, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? जब मेडिकल कॉलेजों की संख्या 10 साल से भी कम समय में 387 से बढ़कर 706 हो गई, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? अगर 2014 से पहले की तुलना में सड़कों का निर्माण दोगुना हो गया है, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? अगर पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, तो क्या इससे रोजगार नहीं पैदा हो रहे हैं? अगर 2014 के बाद कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, तो क्या इससे आजीविका के अधिक अवसर नहीं मिले हैं? यही कारण है कि हाल के वर्षों में श्रम बाजारों में बेरोजगारी दर में गिरावट देखी गई है, जो 2018-19 के 5.8% से घटकर 2022-23 में 3.2% हो गई है। इसके साथ ही श्रम बल भागीदारी दर में भी वृद्धि हुई है, जो 2018-19 के 50.2% से बढ़कर 2022-23 में 57.9% हो गई है। 31 मार्च, 2022 तक EPFO के 277.4 मिलियन सदस्य थे, जबकि 31 मार्च, 2014 को यह संख्या 117.8 मिलियन थी।

Q. भाजपा ने हाल ही में जीते गए तीन राज्यों के लिए नए चेहरों का चयन किया है, एक ट्रेंड जो आपने पीएम बनने के बाद से स्थापित किया है। इसके पीछे की सोच क्या है?

यह कोई नया चलन नहीं है। वास्तव में, मैं भाजपा के भीतर इस व्यवस्था का सबसे अच्छा उदाहरण हूं। जब मैं गुजरात का सीएम बना, तो मेरे पास कोई पूर्व प्रशासनिक अनुभव नहीं था और मैं विधानसभा के लिए भी नहीं चुना गया था। हां, यह एक नई परिपाटी की तरह लग सकता है, क्योंकि आज अधिकांश अन्य पार्टियां परिवारवादी हैं।

Q. भाजपा इन तथाकथित परिवारवादी पार्टियों से किस प्रकार भिन्न है?

परिवारवादी पार्टियों को ऐसे लोकतांत्रिक बदलाव पसंद नहीं आते। भाजपा में एक साथ कई पीढ़ियों के नेतृत्व को पनपाने की क्षमता है। भाजपा के अध्यक्षों को देखिए, हर कुछ सालों में नए चेहरे दिखते हैं। हमारी पार्टी एक कैडर-आधारित पार्टी है जो एक स्पष्ट मिशन से प्रेरित है। हम सभी ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और समर्पण तथा कड़ी मेहनत के बल पर पदों पर पहुंचे। यही प्रतिबद्धता है जिस कारण देश, खासकर युवा, भाजपा के साथ एक मजबूत संबंध महसूस करता है। लोकतंत्र में नई पीढ़ियों और नए लोगों को अवसर देना आवश्यक है। यह लोकतांत्रिक बदलाव ही लोकतंत्र को जीवंत बनाता है। यही बदलाव हमारी पार्टी को भी जीवंत बनाता है और हमारे कार्यकर्ताओं में आशा और उम्मीदें जगाए रखता है। उन्हें लगता है कि वे भी अपनी मेहनत से पार्टी में ऊपर उठ सकते हैं। हमारी पार्टी अलग-अलग प्रयोग करने की आदी है। गुजरात में, हमने मंत्रालयों में सभी नए चेहरों को चुना। दिल्ली में, हमने स्थानीय निगम चुनावों में सभी नए चेहरों को चुना।

Q. भाजपा किसी भी बड़े दक्षिणी और पूर्वी राज्य में सत्ता में नहीं है। सही मायनों में एक अखिल भारतीय पार्टी बनने के लिए भाजपा का गेमप्लान क्या है?

यह गलत आकलन है, आप चीजों को बहुत ज्यादा सरल बना रहे हैं। भाजपा के गठन के समय से ही, हम कौन हैं और किसका प्रतिनिधित्व करते हैं, इस पर इस तरह की बनावटी राय सुनते आ रहे हैं। कभी हमें ब्राह्मण-बनिया पार्टी कहा गया, तो कभी सिर्फ हिंदी भाषी क्षेत्रों की पार्टी। हमें यहां तक कहा गया कि हमारा समर्थन सिर्फ शहरों में है। हालांकि, एक के बाद एक चुनावों में हमने इन लेबलों को गलत साबित किया है।

Q. यह किस तरह से गलत आकलन है?

आज देश का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां हमारे दल का समर्थन न हो। केरल में स्थानीय निकायों से लेकर कई राज्यों में मुख्य विपक्षी दल होने तक, हमारी पार्टी जनता के बीच मजबूती से काम कर रही है। बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में हम मुख्य विपक्षी दल हैं। बिहार में तो लोगों ने हमें जबरदस्त समर्थन और जनादेश दिया था। छह महीने पहले तक कर्नाटक में हमारी सरकार थी। आज भी पुडुचेरी में हमारी सरकार है। हम वर्तमान में 16 राज्यों में शासन करते हैं और आठ में मुख्य विपक्षी दल हैं। 2014 में पूर्वोत्तर में शून्य उपस्थिति से अब हम छह पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार में हैं, जिनमें नगालैंड और मेघालय जैसे ईसाई बहुसंख्यक राज्य शामिल हैं। इसके अलावा, लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में दक्षिण भारत में हम सबसे बड़ी पार्टी हैं। 1984 में 2 लोकसभा सीटों से शुरू होकर अब 303 सीटों तक के सफर पर गौर करें। क्या हम देश के सभी हिस्सों के लोगों के समर्थन और ताकत के बिना राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर सकते थे?

Q. हालिया विधानसभा चुनावों के प्रमुख प्रचारक के रूप में, आपकी रैलियों ने निर्णायक अंतर पैदा किया...

यहां आपका आकलन अधूरा है। भाजपा एक कैडर-आधारित पार्टी है। मतदान बूथ तक भाजपा के पास समर्पित कार्यकर्ताओं का एक बड़ा नेटवर्क है। हर स्तर पर, हमारे पास ऐसा नेतृत्व है जो लोगों के बीच संवाद स्थापित करता है। जीत सभी के संयुक्त प्रयासों से आती है। इसलिए, मुझे इसका श्रेय देना अनुचित होगा। यह श्रेय हमारे कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का है।

Q. 2024 के आम चुनाव के लिए 'मोदी गारंटी' क्या है?

मेरे लिए, गारंटी सिर्फ शब्द या चुनावी वादे नहीं है, बल्कि दशकों की मेरी कड़ी मेहनत का फल है। ये समाज के प्रति संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है। जब मैं ‘गारंटी’ की बात करता हूं, तो मैं खुद को उसमें बांधता हूं। ये मुझे सोने नहीं देती, मुझे और कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है, मुझे देश के लोगों के लिए अपना सब कुछ खपा देने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए कृपया गारंटी का शब्दकोश अर्थ न खोजें।

Q. तो आपकी गारंटी की परिभाषा क्या है?

केवल वही व्यक्ति जिसने गरीबी का अनुभव किया है, समझ सकता है कि एक गरीब व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ाने वाली सबसे बड़ी ताकत उसका विश्वास, उसकी आशा है। गरीबों का यही विश्वास मुझे आगे बढ़ाता है। मोदी अपना सब कुछ खपा देगा लेकिन अपने गरीब भाई-बहनों का भरोसा नहीं टूटने देगा। मोदी की गारंटी चुनाव जीतने के लिए बनाया गया फॉर्मूला नहीं है, मोदी की गारंटी गरीबों का विश्वास है। आज देश का हर गरीब जानता है कि मोदी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा। आज हर गरीब व्यक्ति जानता है कि अतीत में राजनीतिक दलों ने कैसे उनका भरोसा तोड़ा है। लेकिन वे यह भी जानते हैं कि मोदी की गारंटी पर भरोसा किया जा सकता है। गरीबों का यही विश्वास मुझे भी ऊर्जा देता है-भले ही मैं खुद को पूरी तरह से थका दूं या अपनी सीमा से आगे निकल जाऊं, मैं इस भरोसे का हनन नहीं होने दूंगा।

Q. क्या आप 2024 में हैट्रिक बनाने को लेकर आश्वस्त हैं? वे कौन से बड़े मुद्दे हैं जो इस आम चुनाव के नतीजे तय करेंगे?

2024 की जहां तक बात है, यह मेरे विश्वास का प्रश्न नहीं है। मेरे हाथ में बस यही है कि मैं लोगों की सेवा में अपना सब कुछ लगा दूं। मैं इसे पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ करने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन आज लोगों, विशेषज्ञों, राय बनाने वालों और मीडिया के दोस्तों के बीच भी एक सहमति है कि हमारे देश को मिली-जुली सरकार की जरूरत नहीं है। मिली-जुली सरकारों के कारण होने वाली अस्थिरता के कारण हमने 30 साल खो दिए हैं। लोगों ने मिली-जुली सरकारों के दौर में सुशासन की कमी, तुष्टीकरण की राजनीति, भ्रष्टाचार देखा है। इससे लोगों में निराशा और आत्मविश्वास की कमी आई और दुनिया में भारत की छवि खराब हुई। इसलिए, स्वाभाविक रूप से लोगों की पसंद भाजपा है।

Q. अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अब कानूनी रूप से इस मुद्दे पर विराम लगा दिया है। चुनाव कराने और राज्य का दर्जा बहाल करने सहित राजनीतिक समाधान के लिए अब किन कदमों की आवश्यकता है?

देश के सामने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाया गया कानूनी विराम मुद्दा नहीं है। लोगों की समस्या एक अस्थायी प्रावधान को समाप्त करने में हुई देरी से है। नेहरूजी द्वारा संसद में यह कहने के बावजूद कि "घिसते घिसते घिस जाएगा", सात दशकों तक जम्मू-कश्मीर के लोगों, खासकर महिलाओं और वंचित समुदायों के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया। अनुच्छेद 370 हमेशा के लिए हटने के साथ, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग पहली बार अपने भाग्य को अपने हाथों से गढ़ने के लिए स्वतंत्र हैं। भारत का संविधान, जो सामाजिक रूप से कमजोर समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है, उन पर पूरी तरह से लागू होता है। जम्मू-कश्मीर की महिलाएं आज खेल से लेकर उद्यमिता तक विभिन्न क्षेत्रों में उभर रही हैं। नए उद्योग खुल रहे हैं। आतंकवाद रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है जबकि पर्यटन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है। वहां अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम, जैसे G20 बैठकें, हो चुकी हैं और दुनिया ने इस क्षेत्र के आतिथ्य एवं प्राचीन सुंदरता का अनुभव किया है।

Q. जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कर रहे हैं?

सरकार ने बहुआयामी रणनीति अपनाई है जिसमें सुरक्षा, विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव पूंजी में निवेश तथा सुधारों के जरिए सरकारी प्रक्रियाओं की कम्प्लीट रीइंजीनियरिंग शामिल है। हम क्षेत्र के लोगों के लिए उनके जीवन स्तर में सुधार, आर्थिक विकास को बढ़ावा और रोजगार के अवसर पैदा करके टिकाऊ शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के रास्ते पर हम तेजी से अग्रसर हैं। जम्मू-कश्मीर पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर हमारी संसद में प्रतिनिधित्व करता है। स्थानीय स्तर पर, पहली बार हम लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक ले जाने में सफल रहे हैं। राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली स्थापित की गई है और जमीनी स्तर पर 35,000 नेता चुने गए हैं। हम इन चुनावों के महत्व को कम क्यों आंकते हैं? लोकतंत्र हो, विकास हो या गतिशीलता, आज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग हर क्षेत्र में चौतरफा प्रगति देख रहे हैं।

Q. मोदी सरकार ने अंतरिक्ष खोज के अलावा सेमीकंडक्टर चिप मैन्युफैक्चरिंग और अन्य महत्वपूर्ण एवं इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज को एक बड़ा प्रोत्साहन दिया है। भारत को इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने और टेक्नोलॉजी सुपरपावर बनने के लिए हमें और क्या करने की आवश्यकता है?

मुझे खुशी है कि आपने इन क्षेत्रों में हमारे प्रयासों को देखा है। दुर्भाग्य से, 30 वर्षों तक सत्ता में बैठे लोग सिर्फ सरकारें चला रहे थे, राष्ट्र नहीं। सेमीकंडक्टर मिशन को हमें 30 साल पहले ही शुरू कर देना चाहिए था। हम पहले ही देर कर चुके हैं। वे लगातार हमारे लोगों की क्षमता और उनकी योग्यताओं पर संदेह करते रहे। हमारे लोगों में जबरदस्त क्षमताएं हैं, चाहे वह रिसर्च में हो या डिजाइन में। हमने परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी काफी सफलता हासिल की है। दुनिया अब ब्रह्मोस मिसाइल जैसे उत्पादों के माध्यम से डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में हमारी गतिशीलता को देख रही है। मेरा मानना है कि भारत में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सभी जरूरी योग्यताएं हैं। इसके लिए हम नीतियों, प्रोत्साहनों और कौशल विकास के सही मिश्रण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने अपने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग मिशन में बड़ी छलांग लगाई है। हमारा ध्यान अब इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के पूरे इकोसिस्टम को भारत में लाने पर है, जिसमें पूरी वैल्यू चेन शामिल है। हम इसके लिए एक अनुकूल और सक्षम वातावरण बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

Q. और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?

हम चाहते हैं कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भी अग्रणी हो। हम अपनी खुद की कंप्यूटिंग पावर पर काम करेंगे, जिसमें लार्ज इंडीजेनस लैंग्वेज मॉडल्स शामिल हैं, जो भारतीय भाषाओं की विविधता और हमारी जरूरतों को ध्यान में रखते हैं। टेक्नोलॉजी में इस नेतृत्व के लिए मानसिकता में बदलाव की भी आवश्यकता है। आज, क्लासेज से लेकर बोर्डरूम तक, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रगतिशील और स्थिर नीतियों के साथ-साथ इनोवेशन एवं पूंजी की आसान उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित किया जाए। याद रखें, आज का इनोवेशन कल का उद्योग है। और यह उद्योग ही है जो निवेश और आय में वृद्धि लाता है।

Q. अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की बात करें तो, आपने G20 की सफल अध्यक्षता और ग्लोबल साउथ के मुद्दों को सामने लाने के लिए दुनिया भर में प्रशंसा हासिल की है। 2023 में हासिल दिल्ली की बढ़त बरकरार रखने के लिए देशों को अब क्या करना होगा?

हमारी G20 अध्यक्षता ऐसे समय आई जब दुनिया, आपस में जुड़ी कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। मुझे खुशी है कि हम वैश्विक एजेंडे में मानव-केंद्रित विकास पर ध्यान केंद्रित करने में सफल रहे। हमने विकसित और विकासशील देशों को एक राय बनाने के लिए प्रेरित किया, जिससे बहुपक्षीयवाद को नया जीवन मिला। विशेष रूप से विकासशील देश धीमी वैश्विक विकास, बढ़ते कर्ज, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्षों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। हमारी अध्यक्षता ग्लोबल साउथ को वैश्विक विमर्श में उचित स्थान देने का मंच बन गई। नई दिल्ली में अफ्रीकन यूनियन को G20 में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करना एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिसने 55 अफ्रीकी देशों को आवाज दी। भारत की अध्यक्षता के दौरान G20 पहले से ज्यादा मजबूत और उद्देश्यपूर्ण बनकर वैश्विक एजेंडे को अधिक प्रभावी ढंग से आकार दे रहा है। यह सतत विकास लक्ष्यों, LiFE (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट), डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य सुरक्षा और पोषण, रिन्यूएबल एनर्जी, महत्वपूर्ण खनिजों, वैश्विक स्वास्थ्य, स्किल्ड माइग्रेशन पाथवेज, क्लाइमेट और डेवलपमेंट फाइनेंस, बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार आदि सहित महत्वपूर्ण परिणामों में स्पष्ट होता है। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि G20 समिट में हमारे इतने सारे निर्णय और पहल आगे बढ़ाए जा रहे हैं। इसी उद्देश्य के साथ हमने अपनी G20 अध्यक्षता समाप्त होने से पहले ही वर्चुअल मोड में दूसरा G20 लीडर्स समिट भी आयोजित किया। इसके अलावा, हमने नवंबर 2023 में दूसरा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट भी आयोजित किया।

Q. इन बैठकों में की गई समीक्षा का क्या नतीजा निकला?

मुझे यह देखकर खुशी हुई कि नई दिल्ली में G20 की एनर्जी और क्लाइमेट पर हासिल कई उपलब्धियों, जैसे 2030 तक ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को तिगुना करना, हाइड्रोजन को फ्यूल के रूप में विकसित करना और क्लाइमेट तथा एनर्जी फाइनेंस को आगे बढ़ाने जैसी प्रतिबद्धताओं को दुबई के COP28 समिट में भी दोहराया गया और आगे बढ़ाया गया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर G20 का संदेश, जो प्रो-इनोवेशन गवर्नेंस और रेगुलेशन पर था, पिछले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, जिसमें इस महीने की शुरुआत में आयोजित AI पर वैश्विक साझेदारी सम्मेलन भी शामिल है, में मजबूती से स्थापित हो गया है। बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDBs) में सुधार, क्लाइमेट और डेवलपमेंट फाइनेंस को बढ़ाने में मदद करना तथा MDBs को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाना, अब अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के एजेंडे के केंद्र में हैं। हमारी अध्यक्षता के दौरान बनाए गए महिला-नेतृत्व विकास, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और स्टार्ट-अप्स पर मैकेनिज्म, ब्राजील के G20 अध्यक्षता द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे हैं। भारत, G20 ट्रोइका के सदस्य के रूप में, पिछले वर्ष की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए रचनात्मक योगदान देगा और हमारे लोगों तथा हमारे ग्रह की शांति और समृद्धि के लिए सामूहिक कदम उठाएगा।

Q. आपकी प्रसिद्ध उक्ति है कि यह युद्ध का युग नहीं है। यूक्रेन के अलावा, गाजा युद्ध और अन्य छोटे संघर्ष उग्र रूप से जारी हैं। भारत ने इन संकटों के दौरान चतुराई से संतुलन बनाने की भूमिका निभाई। क्या इस वैश्विक अराजकता से बाहर निकलने का कोई 'मोदी रास्ता' है?

मेरा हमेशा से मानना रहा है कि भय और दबाव से मुक्त माहौल में ईमानदार बातचीत और कूटनीति, मतभेदों को सुलझाने का पसंदीदा रास्ता होना चाहिए। चाहे यूक्रेन हो या गाजा, हमारा दृष्टिकोण इसी विश्वास से गाइडेड रहा है। हम आतंकवादियों या हिंसा को एजेंडा तय नहीं करने दे सकते। जिन लोगों की संघर्ष पैदा करने में कोई भूमिका नहीं थी, वे अक्सर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनसे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। कूटनीति को प्रधानता देने का मतलब यह नहीं है कि जब आतंकवाद और क्षेत्रीय संप्रभुता की बात आती है तो हम समझौता कर लें।

Q. हमारे पड़ोसियों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन को लेकर हमारी क्या नीति है?

पड़ोसियों के साथ व्यवहार को लेकर मेरा तरीका यह है कि आवश्यकता पड़ने पर रचनात्मक और सहयोगी बनें और जरूरत पड़ने पर समान रूप से दृढ़ और अडिग रहें। पहल और चुनौतियों दोनों पर, आप अतीत के साथ अंतर देख सकते हैं।

Q. आने वाले समय में, आपकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी कि भारत 2047 तक विकसित देश बन जाए?

यदि आप बारीकी से देखें, तो जिस दौर में हम जी रहे हैं, उसमें इतिहास के साथ एक खास समानता नजर आती है। सौ साल पहले, स्वतंत्रता प्राप्त करने के बारे में आशावाद था। 1922 से 1947 तक की अवधि तक, हर कोई स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देना चाहता था। कुछ ने खादी कातकर योगदान दिया, कुछ ने विभिन्न आंदोलनों में भाग लेकर हर संभव योगदान दिया। अगले 25 साल देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। मैं लोगों में इसी तरह का आशावाद देखता हूं कि जब हम आजादी के 100 साल मनाएंगे तब तक भारत को एक विकसित देश बना दिया जाएगा। यह ऊर्जा मेरी प्रेरक शक्ति है। हम ज्ञान (GYAN) पे ध्यान देंगे, ज्ञान को सम्मान देंगे, तो विकसित भारत बनेगा। (यदि हम ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इसका सम्मान करते हैं, तो हम एक विकसित राष्ट्र बन जाएंगे) GYAN का अर्थ है G से गरीब, Y से युवा, A से अन्नदाता, N से नारीशक्ति। भारत के पास जनसांख्यिकीय लाभ है। इस लाभ को उत्पादकता और आर्थिक विकास में बदला जाना चाहिए।

Q. आप भारत के पास मौजूद इन लाभों को किस प्रकार भुनाने का विचार रखते हैं?

2047 तक भारत को विकसित बनाने में मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता हमारे युवाओं के लिए अच्छा स्वास्थ्य और फिटनेस सुनिश्चित करना और उन्हें उचित कौशल से लैस करना होगा। कौशल विकास हमारे स्कूलों से शुरू होता है, जहां प्रत्येक कक्षा युवा मस्तिष्कों को नया सोचने और समस्याओं को हल करने के लिए तैयार करने की क्षमता रखती है। इस प्रकार, हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)-2020 के माध्यम से एक ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित कर रहे हैं जो हमारे बच्चों को 21 वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है, जो उन्हें बाधाओं को अवसरों में बदलने के लिए सिखाती है।

Q. उद्योग और निवेश के प्रति आपका दृष्टिकोण क्या होगा?

छोटे और मझोले आकार के कारोबारों का समर्थन और बढ़ावा तथा उनकी उत्पादकता में सुधार करना हमारी प्राथमिकता है। बड़े पैमाने पर उच्च उत्पादकता और उच्च मजदूरी वाली नौकरियां पैदा करने के लिए इन उद्यमों के आकार में वृद्धि अहम है। हम उन्हें आसान पूंजी, टेक्नोलॉजी तक पहुंच, अधिक अवसर और अधिक रेगुलेटरी मजबूती प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। 2047 तक 'विकसित देश' बनने दी दिशा में बढ़ते भारत को डाइवर्स और इनोवेटिव स्रोतों के माध्यम से निवेश की आवश्यकता होगी। भारत के वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजार को कौशल, क्षमता और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के संदर्भ में तैयार करना होगा ताकि यह भारत की निवेश जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सके। देश में एक सुविधाजनक कारोबारी इकोसिस्टम बनाने के लिए आवश्यक कारकों के अलावा, हम भारत के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। यह इनोवेशन और आर्थिक रूप से परिष्कृत उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा। गवर्नेंस रिफॉर्म मेरे दिल के करीब है। परफॉरमेंस एकाउंटेबिलिटी और कैपेसिटी बिल्डिंग, प्रभावी शासन के दो स्तंभ हैं जिन्हें हम मजबूत करेंगे।

Q. व्यक्तिगत तौर पर देखें तो आप 22 साल से अधिक समय से नेतृत्व के प्रमुख पदों पर हैं, चाहे वह मुख्यमंत्री के रूप में हो या अब प्रधानमंत्री के रूप में। अपनी सफलता के मंत्र और आपने जो महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं, उस पर क्या कहेंगे?

मेरी सफलताएं सार्वजनिक हैं और मेरे प्रयास भी। इसलिए लोग सफलता के मंत्र निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। एक चीज जिसका मैंने पालन किया है, वह है: राष्ट्र प्रथम। एक कार्यकर्ता के रूप में, एक मुख्यमंत्री के रूप में और एक प्रधानमंत्री के रूप में मैंने जो कुछ भी किया है, मैंने हमेशा राष्ट्र को प्रथम रखा है। मैंने जो भी फैसला लिया है वह राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर लिया है। अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि मैंने अमुक कठिन निर्णय कैसे लिया। मुझे यह, यह मुश्किल नहीं लगता क्योंकि मैं अपने सभी फैसले ‘नेशन फर्स्ट’ के दृष्टिकोण से लेता हूं।

Q. आने वाले नए साल के लिए आपकी विश-लिस्ट क्या है?

मैं विश-लिस्ट में विश्वास करने वाला व्यक्ति नहीं हूं, बल्कि मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो अपने लिए एक वर्क-लिस्ट में यकीन रखता है

Source: इंडिया टुडे

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Prime Minister Condemns Terrorist Attack in Australia
December 14, 2025
PM condoles the loss of lives in the ghastly incident

Prime Minister Shri Narendra Modi has strongly condemned the ghastly terrorist attack carried out today at Bondi Beach, Australia, targeting people celebrating the first day of the Jewish festival of Hanukkah.

Conveying profound grief over the tragic incident, Shri Modi extended heartfelt condolences on behalf of the people of India to the families who lost their loved ones. He affirmed that India stands in full solidarity with the people of Australia in this hour of deep sorrow.

Reiterating India’s unwavering position on the issue, the Prime Minister stated that India has zero tolerance towards terrorism and firmly supports the global fight against all forms and manifestations of terrorism.

In a post on X, Shri Modi wrote:

“Strongly condemn the ghastly terrorist attack carried out today at Bondi Beach, Australia, targeting people celebrating the first day of the Jewish festival of Hanukkah. On behalf of the people of India, I extend my sincere condolences to the families who lost their loved ones. We stand in solidarity with the people of Australia in this hour of grief. India has zero tolerance towards terrorism and supports the fight against all forms and manifestations of terrorism.”