Q. प्रधानमंत्री जी, बधाई हो, आप वर्ष 2023 के इंडिया टुडे न्यूज़मेकर हैं। आप इस बारे में कैसा महसूस करते हैं?

वर्ष 2023 के न्यूज़मेकर के सम्मान के लिए धन्यवाद। मेरे लिए, इस वर्ष कई न्यूज़मेकर रहे हैं: हमारे किसान जो रिकॉर्ड कृषि उत्पादन का नेतृत्व कर रहे हैं और विश्व स्तर पर मिलेट क्रांति ला रहे हैं; हमारे लोग जिन्होंने G20 को पूरे देश में बड़ी सफलता दिलाई; हमारे विश्वकर्मा जो अपने कौशल से सफलता की राह तय कर रहे हैं; हमारे एथलीट जिन्होंने एशियाई खेलों, एशियाई पैरा खेलों और अन्य टूर्नामेंटों में हमें गौरवान्वित किया; हमारे युवा जो नये कीर्तिमान रच रहे हैं, चाहे स्टार्टअप का क्षेत्र हो या विज्ञान का क्षेत्र हो; हमारी नारी शक्ति जो सभी क्षेत्रों में नई सीमाएं छू रही है, खासकर अब जबकि महिला नेतृत्व वाले विकास के माध्यम से सशक्तिकरण की एक नई कहानी लिखी जा रही है। मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे कई वर्षों से देश के लोगों की सेवा करने का अवसर मिला है। इस दौरान, हमने कई सफलताएं और चुनौतियों का सामना भी किया है।

Q. ये चुनौतियां क्या थीं?

2023 में भारत का तेजी से उदय बहुत महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि यह विकसित भारत की हमारी यात्रा की दिशा तय करता है। हमने अपने देश की अप्रकट क्षमता को उजागर किया है। वैश्विक मंचों पर, भारत की उपस्थिति और योगदान की अब मांग की जाती है। एक ऐसे देश से जो खुद को पीछे छूटा हुआ महसूस करता था, से अब हम एक ऐसा देश बन गए हैं जो आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहा है। एक ऐसे देश से जो विभिन्न मंचों में आवाज की तलाश करता था, हम एक ऐसा देश बन गए हैं जो नए वैश्विक मंचों का नेतृत्व और निर्माण करता है। आज, विश्व की आम सहमति स्पष्ट है: यह भारत का अवसर है।

|

Q. 2023 में आप अब तक की यात्रा से संतुष्ट हैं और क्या यह वर्ष आपके और देश के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है?

सिर्फ एक साल के आधार पर, मेरे काम को मापना सही नहीं होगा। मेरा विजन और योजनाएं धीरे-धीरे और लगातार आगे बढ़ते हैं। जब मैं कोई चीज़ शुरू करता हूं, तो मुझे पता होता है कि मैं आखिर में कहां पहुंचना चाहता हूं। लेकिन मैं शुरुआत में ही कोई मंजिल या खाका नहीं बनाता। इसलिए आज आप जो देख रहे हैं, वह पूरी तस्वीर नहीं है। असल में, इससे कहीं बड़ी तस्वीर धीरे-धीरे सामने आएगी। मैं बड़े पैमाने पर काम करता हूं। एक कलाकार की तरह, मैं एक बिंदु से शुरू करता हूं, जहाँ पूरी तस्वीर दिखाई नहीं देती है।

Q. हमें आपके इस अनूठे विजन के कुछ उदाहरण दीजिए?

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (गुजरात में) का उदाहरण लें। जब मैंने घोषणा की कि हम 182 फुट की प्रतिमा बनाएंगे, तो कई लोगों ने सोचा कि इसका गुजरात विधानसभा में 182 सीटों से कुछ लेना-देना है। कुछ वर्गों ने सोचा कि चुनाव से पहले एक समुदाय को खुश करने के लिए ऐसा किया गया। लेकिन देखिए कि कैसे यह एक समग्र टूरिज्म इकोसिस्टम में विकसित हुआ है, जिसमें हर आयु वर्ग और रुचियों के लोगों के लिए कुछ न कुछ है। कुछ दिन पहले, इसे देखने एक दिन में 80,000 सैलानी पहुंचे, यह इसकी लोकप्रियता का स्तर है। मैंने केवल एक चीज का वादा किया था, लेकिन मैंने वहां दर्जनों चीजें दीं। यह मेरा काम करने का तरीका है। जब भारत मंडपम् पर काम शुरू हुआ तो किसी ने नहीं सोचा था कि यहां G20 का आयोजन होगा। लेकिन मैं एक योजना के साथ काम कर रहा था। अगर मैं नए संसद भवन या गरीबों के लिए 4 करोड़ घरों की दिशा में काम करता हूँ, तो मैं इसे समान योजना और समर्पण के साथ करता हूँ।

|

Q. 2023 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना रहा। आपकी आर्थिक नीतियों को आकार देने में किन प्रमुख कारकों ने भूमिका निभाई?

अनुभव के मामले में मेरे जीवन में एक अनूठी यात्रा रही है। मैंने 23 साल (गुजरात और केंद्र में) सरकार के प्रमुख के रूप में कार्य किया है, लेकिन इससे पहले 30 वर्षों तक मैंने देश के विभिन्न हिस्सों की यात्रा की थी और लोगों के बीच रहा था। मैं खुद को जीवन भर का छात्र मानता हूं और दूसरों के अनुभवों और ज्ञान से सीखने में विश्वास करता हूं। तो, एक तरह से, मैं भाग्यशाली हूं कि मेरा जमीनी संपर्क मजबूत है।

Q. तो आपका मैनेजमेंट स्टाइल क्या है?

पॉलिसी-मेकिंग के प्रति मेरा नजरिया थोड़ा अलग है। मैं सभी अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों को सुनता हूं और उनकी सलाह, मेरे 'जमीनी अनुभव' और देश की ‘वास्तविक हकीकत’ के मेल के माध्यम से अपनी नीतियों और रणनीतियों को तैयार करता हूं। मेरे जमीनी जुड़ाव के परिणामस्वरूप, मेरे पास मजबूत दृढ़ विश्वास है। मैं कुछ भी, अच्छा लगे इस लिए नहीं करता, बल्कि उससे अच्छा हो, इसलिए करता हूं। गरीबी में पले-बढ़े और जमीनी स्तर पर लोगों से जुड़े रहने का सौभाग्य मिलने से मुझे इस बात की जानकारी है कि सुधारों को, लोगों के जीवन को बेहतर बनाने पर कैसे फोकस करना चाहिए, न कि केवल सुर्खियों पर। ऐसे ही दर्जनों सुधारों, जिनका लक्ष्य लोगों के जीवन को बेहतर बनाना, उनका जीवन आसान बनाना, उनके व्यापार को आसान बनाना था, के परिणामस्वरूप भारत की विकास यात्रा ने तेजी पकड़ी है। हम संसाधनों के अधिकतम उपयोग और परिणाम-केन्द्रित निगरानी में विश्वास करते हैं। हम जन आंदोलनों के माध्यम से राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में विश्वास करते हैं।

|

Q. आप स्वच्छता और सफाई जैसे कठिन मुद्दों को क्यों उठाते हैं और स्वतंत्रता दिवस के संबोधन पर भी उनके बारे में क्यों बोलते हैं?

मक्खन पर लकीर तो सब करते हैं। करनी है तो पत्थर पर लकीर करो। कठिन है तो क्या हुआ, शुरुआत तो करें। मैं इस सोच में यकीन करता हूं, जिससे मुझे कठिन और असुविधाजनक लक्ष्यों को साधने का दृढ़ विश्वास मिलता है।

Q. आप यह कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं कि भारत 5 ट्रिलियन डॉलर के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाए?

इस बारे में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड खुद बोलता है। 2001 में जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री बना, तो उसकी अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 26 बिलियन डॉलर (2.17 लाख करोड़ रुपये) था। जब मैं प्रधानमंत्री बनने के लिए गुजरात से आया, तब गुजरात की अर्थव्यवस्था का आकार 133.5 बिलियन डॉलर (11.1 लाख करोड़ रुपये) हो गया था। और विभिन्न नीतियों और सुधारों के परिणामस्वरूप, आज गुजरात की अर्थव्यवस्था लगभग 260 बिलियन डॉलर (21.6 लाख करोड़ रुपये) है। इसी तरह, जब मैं 2014 में प्रधानमंत्री बना, तो भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 2 ट्रिलियन डॉलर (167 लाख करोड़ रुपये) था और 2023-24 के अंत में भारत का जीडीपी 3.75 ट्रिलियन डॉलर (312 लाख करोड़ रुपये) से अधिक होगा। मेरा 23 साल का ट्रैक रिकॉर्ड बताता है कि यह एक हासिल होने योग्य लक्ष्य है।

|

Q. विपक्ष का कहना है कि महंगाई और नौकरियों की कमी से गरीबों पर असर पड़ रहा है। आप इन आलोचकों को क्या कहेंगे?

आइए आरोपों को किनारे रखें और तथ्यों पर चर्चा करें। दो साल तक चली सदी की सबसे बड़ी महामारी और वैश्विक संघर्षों के कारण ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित होने और यहां तक कि दुनिया भर में मंदी का दबाव पैदा होने के बावजूद, भारत ने उल्लेखनीय लचीलापन दिखाया है। भारी बाधाओं, वैश्विक संकटों, सप्लाई चेन टूटने और बुनियादी चीजों की वैश्विक कीमतों पर असर डालने वाले भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद, 2014-15 से 2023-24 (नवंबर तक) तक औसत मुद्रास्फीति केवल 5.1 प्रतिशत थी, जबकि 2004-14 के 10 वर्षों के दौरान यह 8.2 प्रतिशत थी। बताइए, कौन सी मुद्रास्फीति अधिक है, 5.1 प्रतिशत या 8.2 प्रतिशत?

Q. रोजगार सृजन के बारे में क्या कहेंगे?

जहां तक रोजगार सृजन की बात है तो यह मेरी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता रही है। हमारे सभी प्रयास इस उद्देश्य लिए तैयार किये गये हैं। यह सर्वविदित है कि इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश का विकास और रोजगार पर कई गुना प्रभाव पड़ता है। इसलिए, हमने पूंजी निवेश परिव्यय में लगातार वृद्धि की है। 2023-24 के बजट में इसे 2013-14 के 1.9 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये कर दिया है। मेरा मानना है कि आपको अपने पाठकों को यह बताना चाहिए कि यह खर्च कैसे उत्पादक है और आम आदमी के लिए कितने सारे अवसर पैदा करता है। साथ ही यह भी देखें कि हमारे आसपास क्या हो रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण अभूतपूर्व गति से हो रहा है, और सभी क्षेत्र 10 साल पहले की तुलना में बहुत बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।

|

Q. आपने रोज़गार के संदर्भ में जिस इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की बात की, उसके नतीजे क्या हैं?

जब भारत ने 10 साल से भी कम समय में मेट्रो लाइनों की लंबाई 248 किमी से बढ़ाकर 905 किमी कर दी, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? जब भारत ने 10 साल से भी कम समय में हवाई अड्डों की संख्या 74 से बढ़ाकर 149 कर दी, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? जब मेडिकल कॉलेजों की संख्या 10 साल से भी कम समय में 387 से बढ़कर 706 हो गई, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? अगर 2014 से पहले की तुलना में सड़कों का निर्माण दोगुना हो गया है, तो क्या इससे रोजगार नहीं बढ़े? अगर पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है, तो क्या इससे रोजगार नहीं पैदा हो रहे हैं? अगर 2014 के बाद कृषि उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, तो क्या इससे आजीविका के अधिक अवसर नहीं मिले हैं? यही कारण है कि हाल के वर्षों में श्रम बाजारों में बेरोजगारी दर में गिरावट देखी गई है, जो 2018-19 के 5.8% से घटकर 2022-23 में 3.2% हो गई है। इसके साथ ही श्रम बल भागीदारी दर में भी वृद्धि हुई है, जो 2018-19 के 50.2% से बढ़कर 2022-23 में 57.9% हो गई है। 31 मार्च, 2022 तक EPFO के 277.4 मिलियन सदस्य थे, जबकि 31 मार्च, 2014 को यह संख्या 117.8 मिलियन थी।

Q. भाजपा ने हाल ही में जीते गए तीन राज्यों के लिए नए चेहरों का चयन किया है, एक ट्रेंड जो आपने पीएम बनने के बाद से स्थापित किया है। इसके पीछे की सोच क्या है?

यह कोई नया चलन नहीं है। वास्तव में, मैं भाजपा के भीतर इस व्यवस्था का सबसे अच्छा उदाहरण हूं। जब मैं गुजरात का सीएम बना, तो मेरे पास कोई पूर्व प्रशासनिक अनुभव नहीं था और मैं विधानसभा के लिए भी नहीं चुना गया था। हां, यह एक नई परिपाटी की तरह लग सकता है, क्योंकि आज अधिकांश अन्य पार्टियां परिवारवादी हैं।

|

Q. भाजपा इन तथाकथित परिवारवादी पार्टियों से किस प्रकार भिन्न है?

परिवारवादी पार्टियों को ऐसे लोकतांत्रिक बदलाव पसंद नहीं आते। भाजपा में एक साथ कई पीढ़ियों के नेतृत्व को पनपाने की क्षमता है। भाजपा के अध्यक्षों को देखिए, हर कुछ सालों में नए चेहरे दिखते हैं। हमारी पार्टी एक कैडर-आधारित पार्टी है जो एक स्पष्ट मिशन से प्रेरित है। हम सभी ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और समर्पण तथा कड़ी मेहनत के बल पर पदों पर पहुंचे। यही प्रतिबद्धता है जिस कारण देश, खासकर युवा, भाजपा के साथ एक मजबूत संबंध महसूस करता है। लोकतंत्र में नई पीढ़ियों और नए लोगों को अवसर देना आवश्यक है। यह लोकतांत्रिक बदलाव ही लोकतंत्र को जीवंत बनाता है। यही बदलाव हमारी पार्टी को भी जीवंत बनाता है और हमारे कार्यकर्ताओं में आशा और उम्मीदें जगाए रखता है। उन्हें लगता है कि वे भी अपनी मेहनत से पार्टी में ऊपर उठ सकते हैं। हमारी पार्टी अलग-अलग प्रयोग करने की आदी है। गुजरात में, हमने मंत्रालयों में सभी नए चेहरों को चुना। दिल्ली में, हमने स्थानीय निगम चुनावों में सभी नए चेहरों को चुना।

Q. भाजपा किसी भी बड़े दक्षिणी और पूर्वी राज्य में सत्ता में नहीं है। सही मायनों में एक अखिल भारतीय पार्टी बनने के लिए भाजपा का गेमप्लान क्या है?

यह गलत आकलन है, आप चीजों को बहुत ज्यादा सरल बना रहे हैं। भाजपा के गठन के समय से ही, हम कौन हैं और किसका प्रतिनिधित्व करते हैं, इस पर इस तरह की बनावटी राय सुनते आ रहे हैं। कभी हमें ब्राह्मण-बनिया पार्टी कहा गया, तो कभी सिर्फ हिंदी भाषी क्षेत्रों की पार्टी। हमें यहां तक कहा गया कि हमारा समर्थन सिर्फ शहरों में है। हालांकि, एक के बाद एक चुनावों में हमने इन लेबलों को गलत साबित किया है।

|

Q. यह किस तरह से गलत आकलन है?

आज देश का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां हमारे दल का समर्थन न हो। केरल में स्थानीय निकायों से लेकर कई राज्यों में मुख्य विपक्षी दल होने तक, हमारी पार्टी जनता के बीच मजबूती से काम कर रही है। बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में हम मुख्य विपक्षी दल हैं। बिहार में तो लोगों ने हमें जबरदस्त समर्थन और जनादेश दिया था। छह महीने पहले तक कर्नाटक में हमारी सरकार थी। आज भी पुडुचेरी में हमारी सरकार है। हम वर्तमान में 16 राज्यों में शासन करते हैं और आठ में मुख्य विपक्षी दल हैं। 2014 में पूर्वोत्तर में शून्य उपस्थिति से अब हम छह पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार में हैं, जिनमें नगालैंड और मेघालय जैसे ईसाई बहुसंख्यक राज्य शामिल हैं। इसके अलावा, लोकसभा सीटों की संख्या के मामले में दक्षिण भारत में हम सबसे बड़ी पार्टी हैं। 1984 में 2 लोकसभा सीटों से शुरू होकर अब 303 सीटों तक के सफर पर गौर करें। क्या हम देश के सभी हिस्सों के लोगों के समर्थन और ताकत के बिना राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभर सकते थे?

Q. हालिया विधानसभा चुनावों के प्रमुख प्रचारक के रूप में, आपकी रैलियों ने निर्णायक अंतर पैदा किया...

यहां आपका आकलन अधूरा है। भाजपा एक कैडर-आधारित पार्टी है। मतदान बूथ तक भाजपा के पास समर्पित कार्यकर्ताओं का एक बड़ा नेटवर्क है। हर स्तर पर, हमारे पास ऐसा नेतृत्व है जो लोगों के बीच संवाद स्थापित करता है। जीत सभी के संयुक्त प्रयासों से आती है। इसलिए, मुझे इसका श्रेय देना अनुचित होगा। यह श्रेय हमारे कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का है।

|

Q. 2024 के आम चुनाव के लिए 'मोदी गारंटी' क्या है?

मेरे लिए, गारंटी सिर्फ शब्द या चुनावी वादे नहीं है, बल्कि दशकों की मेरी कड़ी मेहनत का फल है। ये समाज के प्रति संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है। जब मैं ‘गारंटी’ की बात करता हूं, तो मैं खुद को उसमें बांधता हूं। ये मुझे सोने नहीं देती, मुझे और कठिन परिश्रम करने के लिए प्रेरित करती है, मुझे देश के लोगों के लिए अपना सब कुछ खपा देने के लिए प्रेरित करती है। इसलिए कृपया गारंटी का शब्दकोश अर्थ न खोजें।

Q. तो आपकी गारंटी की परिभाषा क्या है?

केवल वही व्यक्ति जिसने गरीबी का अनुभव किया है, समझ सकता है कि एक गरीब व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ाने वाली सबसे बड़ी ताकत उसका विश्वास, उसकी आशा है। गरीबों का यही विश्वास मुझे आगे बढ़ाता है। मोदी अपना सब कुछ खपा देगा लेकिन अपने गरीब भाई-बहनों का भरोसा नहीं टूटने देगा। मोदी की गारंटी चुनाव जीतने के लिए बनाया गया फॉर्मूला नहीं है, मोदी की गारंटी गरीबों का विश्वास है। आज देश का हर गरीब जानता है कि मोदी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा। आज हर गरीब व्यक्ति जानता है कि अतीत में राजनीतिक दलों ने कैसे उनका भरोसा तोड़ा है। लेकिन वे यह भी जानते हैं कि मोदी की गारंटी पर भरोसा किया जा सकता है। गरीबों का यही विश्वास मुझे भी ऊर्जा देता है-भले ही मैं खुद को पूरी तरह से थका दूं या अपनी सीमा से आगे निकल जाऊं, मैं इस भरोसे का हनन नहीं होने दूंगा।

|

Q. क्या आप 2024 में हैट्रिक बनाने को लेकर आश्वस्त हैं? वे कौन से बड़े मुद्दे हैं जो इस आम चुनाव के नतीजे तय करेंगे?

2024 की जहां तक बात है, यह मेरे विश्वास का प्रश्न नहीं है। मेरे हाथ में बस यही है कि मैं लोगों की सेवा में अपना सब कुछ लगा दूं। मैं इसे पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ करने की कोशिश कर रहा हूं। लेकिन आज लोगों, विशेषज्ञों, राय बनाने वालों और मीडिया के दोस्तों के बीच भी एक सहमति है कि हमारे देश को मिली-जुली सरकार की जरूरत नहीं है। मिली-जुली सरकारों के कारण होने वाली अस्थिरता के कारण हमने 30 साल खो दिए हैं। लोगों ने मिली-जुली सरकारों के दौर में सुशासन की कमी, तुष्टीकरण की राजनीति, भ्रष्टाचार देखा है। इससे लोगों में निराशा और आत्मविश्वास की कमी आई और दुनिया में भारत की छवि खराब हुई। इसलिए, स्वाभाविक रूप से लोगों की पसंद भाजपा है।

Q. अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अब कानूनी रूप से इस मुद्दे पर विराम लगा दिया है। चुनाव कराने और राज्य का दर्जा बहाल करने सहित राजनीतिक समाधान के लिए अब किन कदमों की आवश्यकता है?

देश के सामने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाया गया कानूनी विराम मुद्दा नहीं है। लोगों की समस्या एक अस्थायी प्रावधान को समाप्त करने में हुई देरी से है। नेहरूजी द्वारा संसद में यह कहने के बावजूद कि "घिसते घिसते घिस जाएगा", सात दशकों तक जम्मू-कश्मीर के लोगों, खासकर महिलाओं और वंचित समुदायों के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया। अनुच्छेद 370 हमेशा के लिए हटने के साथ, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग पहली बार अपने भाग्य को अपने हाथों से गढ़ने के लिए स्वतंत्र हैं। भारत का संविधान, जो सामाजिक रूप से कमजोर समूहों के अधिकारों की रक्षा करता है, उन पर पूरी तरह से लागू होता है। जम्मू-कश्मीर की महिलाएं आज खेल से लेकर उद्यमिता तक विभिन्न क्षेत्रों में उभर रही हैं। नए उद्योग खुल रहे हैं। आतंकवाद रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है जबकि पर्यटन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच रहा है। वहां अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम, जैसे G20 बैठकें, हो चुकी हैं और दुनिया ने इस क्षेत्र के आतिथ्य एवं प्राचीन सुंदरता का अनुभव किया है।

|

Q. जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति सुनिश्चित करने के लिए आप क्या कर रहे हैं?

सरकार ने बहुआयामी रणनीति अपनाई है जिसमें सुरक्षा, विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर और मानव पूंजी में निवेश तथा सुधारों के जरिए सरकारी प्रक्रियाओं की कम्प्लीट रीइंजीनियरिंग शामिल है। हम क्षेत्र के लोगों के लिए उनके जीवन स्तर में सुधार, आर्थिक विकास को बढ़ावा और रोजगार के अवसर पैदा करके टिकाऊ शांति, स्थिरता और समृद्धि सुनिश्चित करने के रास्ते पर हम तेजी से अग्रसर हैं। जम्मू-कश्मीर पहले ही राष्ट्रीय स्तर पर हमारी संसद में प्रतिनिधित्व करता है। स्थानीय स्तर पर, पहली बार हम लोकतंत्र को जमीनी स्तर तक ले जाने में सफल रहे हैं। राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रणाली स्थापित की गई है और जमीनी स्तर पर 35,000 नेता चुने गए हैं। हम इन चुनावों के महत्व को कम क्यों आंकते हैं? लोकतंत्र हो, विकास हो या गतिशीलता, आज जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोग हर क्षेत्र में चौतरफा प्रगति देख रहे हैं।

Q. मोदी सरकार ने अंतरिक्ष खोज के अलावा सेमीकंडक्टर चिप मैन्युफैक्चरिंग और अन्य महत्वपूर्ण एवं इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज को एक बड़ा प्रोत्साहन दिया है। भारत को इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनाने और टेक्नोलॉजी सुपरपावर बनने के लिए हमें और क्या करने की आवश्यकता है?

मुझे खुशी है कि आपने इन क्षेत्रों में हमारे प्रयासों को देखा है। दुर्भाग्य से, 30 वर्षों तक सत्ता में बैठे लोग सिर्फ सरकारें चला रहे थे, राष्ट्र नहीं। सेमीकंडक्टर मिशन को हमें 30 साल पहले ही शुरू कर देना चाहिए था। हम पहले ही देर कर चुके हैं। वे लगातार हमारे लोगों की क्षमता और उनकी योग्यताओं पर संदेह करते रहे। हमारे लोगों में जबरदस्त क्षमताएं हैं, चाहे वह रिसर्च में हो या डिजाइन में। हमने परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भी काफी सफलता हासिल की है। दुनिया अब ब्रह्मोस मिसाइल जैसे उत्पादों के माध्यम से डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में हमारी गतिशीलता को देख रही है। मेरा मानना है कि भारत में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए सभी जरूरी योग्यताएं हैं। इसके लिए हम नीतियों, प्रोत्साहनों और कौशल विकास के सही मिश्रण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमने अपने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग मिशन में बड़ी छलांग लगाई है। हमारा ध्यान अब इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के पूरे इकोसिस्टम को भारत में लाने पर है, जिसमें पूरी वैल्यू चेन शामिल है। हम इसके लिए एक अनुकूल और सक्षम वातावरण बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

|

Q. और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस?

हम चाहते हैं कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में भी अग्रणी हो। हम अपनी खुद की कंप्यूटिंग पावर पर काम करेंगे, जिसमें लार्ज इंडीजेनस लैंग्वेज मॉडल्स शामिल हैं, जो भारतीय भाषाओं की विविधता और हमारी जरूरतों को ध्यान में रखते हैं। टेक्नोलॉजी में इस नेतृत्व के लिए मानसिकता में बदलाव की भी आवश्यकता है। आज, क्लासेज से लेकर बोर्डरूम तक, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रगतिशील और स्थिर नीतियों के साथ-साथ इनोवेशन एवं पूंजी की आसान उपलब्धता पर ध्यान केंद्रित किया जाए। याद रखें, आज का इनोवेशन कल का उद्योग है। और यह उद्योग ही है जो निवेश और आय में वृद्धि लाता है।

Q. अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों की बात करें तो, आपने G20 की सफल अध्यक्षता और ग्लोबल साउथ के मुद्दों को सामने लाने के लिए दुनिया भर में प्रशंसा हासिल की है। 2023 में हासिल दिल्ली की बढ़त बरकरार रखने के लिए देशों को अब क्या करना होगा?

हमारी G20 अध्यक्षता ऐसे समय आई जब दुनिया, आपस में जुड़ी कई चुनौतियों का सामना कर रही थी। मुझे खुशी है कि हम वैश्विक एजेंडे में मानव-केंद्रित विकास पर ध्यान केंद्रित करने में सफल रहे। हमने विकसित और विकासशील देशों को एक राय बनाने के लिए प्रेरित किया, जिससे बहुपक्षीयवाद को नया जीवन मिला। विशेष रूप से विकासशील देश धीमी वैश्विक विकास, बढ़ते कर्ज, जलवायु परिवर्तन और भू-राजनीतिक संघर्षों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। हमारी अध्यक्षता ग्लोबल साउथ को वैश्विक विमर्श में उचित स्थान देने का मंच बन गई। नई दिल्ली में अफ्रीकन यूनियन को G20 में स्थायी सदस्य के रूप में शामिल करना एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिसने 55 अफ्रीकी देशों को आवाज दी। भारत की अध्यक्षता के दौरान G20 पहले से ज्यादा मजबूत और उद्देश्यपूर्ण बनकर वैश्विक एजेंडे को अधिक प्रभावी ढंग से आकार दे रहा है। यह सतत विकास लक्ष्यों, LiFE (लाइफ स्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट), डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, खाद्य सुरक्षा और पोषण, रिन्यूएबल एनर्जी, महत्वपूर्ण खनिजों, वैश्विक स्वास्थ्य, स्किल्ड माइग्रेशन पाथवेज, क्लाइमेट और डेवलपमेंट फाइनेंस, बहुपक्षीय विकास बैंकों में सुधार आदि सहित महत्वपूर्ण परिणामों में स्पष्ट होता है। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि G20 समिट में हमारे इतने सारे निर्णय और पहल आगे बढ़ाए जा रहे हैं। इसी उद्देश्य के साथ हमने अपनी G20 अध्यक्षता समाप्त होने से पहले ही वर्चुअल मोड में दूसरा G20 लीडर्स समिट भी आयोजित किया। इसके अलावा, हमने नवंबर 2023 में दूसरा वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट भी आयोजित किया।

|

Q. इन बैठकों में की गई समीक्षा का क्या नतीजा निकला?

मुझे यह देखकर खुशी हुई कि नई दिल्ली में G20 की एनर्जी और क्लाइमेट पर हासिल कई उपलब्धियों, जैसे 2030 तक ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता को तिगुना करना, हाइड्रोजन को फ्यूल के रूप में विकसित करना और क्लाइमेट तथा एनर्जी फाइनेंस को आगे बढ़ाने जैसी प्रतिबद्धताओं को दुबई के COP28 समिट में भी दोहराया गया और आगे बढ़ाया गया। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर G20 का संदेश, जो प्रो-इनोवेशन गवर्नेंस और रेगुलेशन पर था, पिछले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों, जिसमें इस महीने की शुरुआत में आयोजित AI पर वैश्विक साझेदारी सम्मेलन भी शामिल है, में मजबूती से स्थापित हो गया है। बहुपक्षीय विकास बैंकों (MDBs) में सुधार, क्लाइमेट और डेवलपमेंट फाइनेंस को बढ़ाने में मदद करना तथा MDBs को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण बनाना, अब अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों के एजेंडे के केंद्र में हैं। हमारी अध्यक्षता के दौरान बनाए गए महिला-नेतृत्व विकास, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और स्टार्ट-अप्स पर मैकेनिज्म, ब्राजील के G20 अध्यक्षता द्वारा आगे बढ़ाए जा रहे हैं। भारत, G20 ट्रोइका के सदस्य के रूप में, पिछले वर्ष की उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए रचनात्मक योगदान देगा और हमारे लोगों तथा हमारे ग्रह की शांति और समृद्धि के लिए सामूहिक कदम उठाएगा।

Q. आपकी प्रसिद्ध उक्ति है कि यह युद्ध का युग नहीं है। यूक्रेन के अलावा, गाजा युद्ध और अन्य छोटे संघर्ष उग्र रूप से जारी हैं। भारत ने इन संकटों के दौरान चतुराई से संतुलन बनाने की भूमिका निभाई। क्या इस वैश्विक अराजकता से बाहर निकलने का कोई 'मोदी रास्ता' है?

मेरा हमेशा से मानना रहा है कि भय और दबाव से मुक्त माहौल में ईमानदार बातचीत और कूटनीति, मतभेदों को सुलझाने का पसंदीदा रास्ता होना चाहिए। चाहे यूक्रेन हो या गाजा, हमारा दृष्टिकोण इसी विश्वास से गाइडेड रहा है। हम आतंकवादियों या हिंसा को एजेंडा तय नहीं करने दे सकते। जिन लोगों की संघर्ष पैदा करने में कोई भूमिका नहीं थी, वे अक्सर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनसे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। कूटनीति को प्रधानता देने का मतलब यह नहीं है कि जब आतंकवाद और क्षेत्रीय संप्रभुता की बात आती है तो हम समझौता कर लें।

Q. हमारे पड़ोसियों, विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन को लेकर हमारी क्या नीति है?

पड़ोसियों के साथ व्यवहार को लेकर मेरा तरीका यह है कि आवश्यकता पड़ने पर रचनात्मक और सहयोगी बनें और जरूरत पड़ने पर समान रूप से दृढ़ और अडिग रहें। पहल और चुनौतियों दोनों पर, आप अतीत के साथ अंतर देख सकते हैं।

Q. आने वाले समय में, आपकी सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए किन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी कि भारत 2047 तक विकसित देश बन जाए?

यदि आप बारीकी से देखें, तो जिस दौर में हम जी रहे हैं, उसमें इतिहास के साथ एक खास समानता नजर आती है। सौ साल पहले, स्वतंत्रता प्राप्त करने के बारे में आशावाद था। 1922 से 1947 तक की अवधि तक, हर कोई स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान देना चाहता था। कुछ ने खादी कातकर योगदान दिया, कुछ ने विभिन्न आंदोलनों में भाग लेकर हर संभव योगदान दिया। अगले 25 साल देश के लिए महत्वपूर्ण हैं। मैं लोगों में इसी तरह का आशावाद देखता हूं कि जब हम आजादी के 100 साल मनाएंगे तब तक भारत को एक विकसित देश बना दिया जाएगा। यह ऊर्जा मेरी प्रेरक शक्ति है। हम ज्ञान (GYAN) पे ध्यान देंगे, ज्ञान को सम्मान देंगे, तो विकसित भारत बनेगा। (यदि हम ज्ञान पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इसका सम्मान करते हैं, तो हम एक विकसित राष्ट्र बन जाएंगे) GYAN का अर्थ है G से गरीब, Y से युवा, A से अन्नदाता, N से नारीशक्ति। भारत के पास जनसांख्यिकीय लाभ है। इस लाभ को उत्पादकता और आर्थिक विकास में बदला जाना चाहिए।

Q. आप भारत के पास मौजूद इन लाभों को किस प्रकार भुनाने का विचार रखते हैं?

2047 तक भारत को विकसित बनाने में मेरी सबसे बड़ी प्राथमिकता हमारे युवाओं के लिए अच्छा स्वास्थ्य और फिटनेस सुनिश्चित करना और उन्हें उचित कौशल से लैस करना होगा। कौशल विकास हमारे स्कूलों से शुरू होता है, जहां प्रत्येक कक्षा युवा मस्तिष्कों को नया सोचने और समस्याओं को हल करने के लिए तैयार करने की क्षमता रखती है। इस प्रकार, हम राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)-2020 के माध्यम से एक ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित कर रहे हैं जो हमारे बच्चों को 21 वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती है, जो उन्हें बाधाओं को अवसरों में बदलने के लिए सिखाती है।

Q. उद्योग और निवेश के प्रति आपका दृष्टिकोण क्या होगा?

छोटे और मझोले आकार के कारोबारों का समर्थन और बढ़ावा तथा उनकी उत्पादकता में सुधार करना हमारी प्राथमिकता है। बड़े पैमाने पर उच्च उत्पादकता और उच्च मजदूरी वाली नौकरियां पैदा करने के लिए इन उद्यमों के आकार में वृद्धि अहम है। हम उन्हें आसान पूंजी, टेक्नोलॉजी तक पहुंच, अधिक अवसर और अधिक रेगुलेटरी मजबूती प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। 2047 तक 'विकसित देश' बनने दी दिशा में बढ़ते भारत को डाइवर्स और इनोवेटिव स्रोतों के माध्यम से निवेश की आवश्यकता होगी। भारत के वित्तीय क्षेत्र और पूंजी बाजार को कौशल, क्षमता और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के संदर्भ में तैयार करना होगा ताकि यह भारत की निवेश जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो सके। देश में एक सुविधाजनक कारोबारी इकोसिस्टम बनाने के लिए आवश्यक कारकों के अलावा, हम भारत के निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। यह इनोवेशन और आर्थिक रूप से परिष्कृत उत्पादों के उत्पादन को प्रोत्साहित करेगा। गवर्नेंस रिफॉर्म मेरे दिल के करीब है। परफॉरमेंस एकाउंटेबिलिटी और कैपेसिटी बिल्डिंग, प्रभावी शासन के दो स्तंभ हैं जिन्हें हम मजबूत करेंगे।

Q. व्यक्तिगत तौर पर देखें तो आप 22 साल से अधिक समय से नेतृत्व के प्रमुख पदों पर हैं, चाहे वह मुख्यमंत्री के रूप में हो या अब प्रधानमंत्री के रूप में। अपनी सफलता के मंत्र और आपने जो महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं, उस पर क्या कहेंगे?

मेरी सफलताएं सार्वजनिक हैं और मेरे प्रयास भी। इसलिए लोग सफलता के मंत्र निकालने के लिए स्वतंत्र हैं। एक चीज जिसका मैंने पालन किया है, वह है: राष्ट्र प्रथम। एक कार्यकर्ता के रूप में, एक मुख्यमंत्री के रूप में और एक प्रधानमंत्री के रूप में मैंने जो कुछ भी किया है, मैंने हमेशा राष्ट्र को प्रथम रखा है। मैंने जो भी फैसला लिया है वह राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर लिया है। अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि मैंने अमुक कठिन निर्णय कैसे लिया। मुझे यह, यह मुश्किल नहीं लगता क्योंकि मैं अपने सभी फैसले ‘नेशन फर्स्ट’ के दृष्टिकोण से लेता हूं।

Q. आने वाले नए साल के लिए आपकी विश-लिस्ट क्या है?

मैं विश-लिस्ट में विश्वास करने वाला व्यक्ति नहीं हूं, बल्कि मैं ऐसा व्यक्ति हूं जो अपने लिए एक वर्क-लिस्ट में यकीन रखता है

Source: इंडिया टुडे

Explore More
हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
How The Indian Auto Sector Is Driving $5 Trillion Economy Dream

Media Coverage

How The Indian Auto Sector Is Driving $5 Trillion Economy Dream
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत, दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है: पीएम मोदी
June 28, 2025
QuoteI extend my heartiest congratulations and best wishes to you for hoisting the flag of India in space: PM
QuoteScience and Spirituality, both are our Nation’s strength: PM
QuoteThe success of Chandrayaan mission and your historic journey renew interest in science among the children and youth of the country: PM
QuoteWe have to take Mission Gaganyaan forward, we have to build our own space station and also land Indian astronauts on the Moon: PM
QuoteYour historic journey is the first chapter of success of India's Gaganyaan mission and will give speed and new vigour to our journey of Viksit Bharat: PM
QuoteIndia is going to open doors of new possibilities of space for the world: PM

प्रधानमंत्री: शुभांशु नमस्कार!

शुभांशु शुक्ला: नमस्कार!

प्रधानमंत्री: आप आज मातृभूमि से, भारत भूमि से, सबसे दूर हैं, लेकिन भारतवासियों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में भी शुभ है और आपकी यात्रा नए युग का शुभारंभ भी है। इस समय बात हम दोनों कर रहे हैं, लेकिन मेरे साथ 140 करोड़ भारतवासियों की भावनाएं भी हैं। मेरी आवाज में सभी भारतीयों का उत्साह और उमंग शामिल है। अंतरिक्ष में भारत का परचम लहराने के लिए मैं आपको हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं। मैं ज्यादा समय नहीं ले रहा हूं, तो सबसे पहले तो यह बताइए वहां सब कुशल मंगल है? आपकी तबीयत ठीक है?

|

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! बहुत-बहुत धन्यवाद, आपकी wishes का और 140 करोड़ मेरे देशवासियों के wishes का, मैं यहां बिल्कुल ठीक हूं, सुरक्षित हूं। आप सबके आशीर्वाद और प्यार की वजह से… बहुत अच्छा लग रहा है। बहुत नया एक्सपीरियंस है यह और कहीं ना कहीं बहुत सारी चीजें ऐसी हो रही हैं, जो दर्शाती है कि मैं और मेरे जैसे बहुत सारे लोग हमारे देश में और हमारा भारत किस दिशा में जा रहा है। यह जो मेरी यात्रा है, यह पृथ्वी से ऑर्बिट की 400 किलोमीटर तक की जो छोटे सी यात्रा है, यह सिर्फ मेरी नहीं है। मुझे लगता है कहीं ना कहीं यह हमारे देश के भी यात्रा है because जब मैं छोटा था, मैं कभी सोच नहीं पाया कि मैं एस्ट्रोनॉट बन सकता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में आज का भारत यह मौका देता है और उन सपनों को साकार करने का भी मौका देता है। तो यह बहुत बड़ी उपलब्धि है मेरे लिए और मैं बहुत गर्व feel कर रहा हूं कि मैं यहां पर अपने देश का प्रतिनिधित्व कर पा रहा हूं। धन्यवाद प्रधानमंत्री जी!

प्रधानमंत्री: शुभ, आप दूर अंतरिक्ष में हैं, जहां ग्रेविटी ना के बराबर है, पर हर भारतीय देख रहा है कि आप कितने डाउन टू अर्थ हैं। आप जो गाजर का हलवा ले गए हैं, क्या उसे अपने साथियों को खिलाया?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! यह कुछ चीजें मैं अपने देश की खाने की लेकर आया था, जैसे गाजर का हलवा, मूंग दाल का हलवा और आम रस और मैं चाहता था कि यह बाकी भी जो मेरे साथी हैं, बाकी देशों से जो आए हैं, वह भी इसका स्वाद लें और चखें, जो भारत का जो rich culinary हमारा जो हेरिटेज है, उसका एक्सपीरियंस लें, तो हम सभी ने बैठकर इसका स्वाद लिया साथ में और सबको बहुत पसंद आया। कुछ लोग कहे कि कब वह नीचे आएंगे और हमारे देश आएं और इनका स्वाद ले सकें हमारे साथ…

प्रधानमंत्री: शुभ, परिक्रमा करना भारत की सदियों पुरानी परंपरा है। आपको तो पृथ्वी माता की परिक्रमा का सौभाग्य मिला है। अभी आप पृथ्वी के किस भाग के ऊपर से गुजर रहे होंगे?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी! इस समय तो मेरे पास यह इनफॉरमेशन उपलब्ध नहीं है, लेकिन थोड़ी देर पहले मैं खिड़की से, विंडो से बाहर देख रहा था, तो हम लोग हवाई के ऊपर से गुजर रहे थे और हम दिन में 16 बार परिक्रमा करते हैं। 16 सूर्य उदय और 16 सनराइज और सनसेट हम देखते हैं ऑर्बिट से और बहुत ही अचंभित कर देने वाला यह पूरा प्रोसेस है। इस परिक्रमा में, इस तेज गति में जिस हम इस समय करीब 28000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहे हैं आपसे बात करते वक्त और यह गति पता नहीं चलती क्योंकि हम तो अंदर हैं, लेकिन कहीं ना कहीं यह गति जरूर दिखाती है कि हमारा देश कितनी गति से आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री: वाह!

शुभांशु शुक्ला: इस समय हम यहां पहुंचे हैं और अब यहां से और आगे जाना है।

प्रधानमंत्री: अच्छा शुभ अंतरिक्ष की विशालता देखकर सबसे पहले विचार क्या आया आपको?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, सच में बोलूं तो जब पहली बार हम लोग ऑर्बिट में पहुंचे, अंतरिक्ष में पहुंचे, तो पहला जो व्यू था, वह पृथ्वी का था और पृथ्वी को बाहर से देख के जो पहला ख्याल, वो पहला जो thought मन में आया, वह ये था कि पृथ्वी बिल्कुल एक दिखती है, मतलब बाहर से कोई सीमा रेखा नहीं दिखाई देती, कोई बॉर्डर नहीं दिखाई देता। और दूसरी चीज जो बहुत noticeable थी, जब पहली बार भारत को देखा, तो जब हम मैप पर पढ़ते हैं भारत को, हम देखते हैं बाकी देशों का आकार कितना बड़ा है, हमारा आकार कैसा है, वह मैप पर देखते हैं, लेकिन वह सही नहीं होता है क्योंकि वह एक हम 3D ऑब्जेक्ट को 2D यानी पेपर पर हम उतारते हैं। भारत सच में बहुत भव्य दिखता है, बहुत बड़ा दिखता है। जितना हम मैप पर देखते हैं, उससे कहीं ज्यादा बड़ा और जो oneness की फीलिंग है, पृथ्वी की oneness की फीलिंग है, जो हमारा भी मोटो है कि अनेकता में एकता, वह बिल्कुल उसका महत्व ऐसा समझ में आता है बाहर से देखने में कि लगता है कि कोई बॉर्डर एक्जिस्ट ही नहीं करता, कोई राज्य ही नहीं एक्जिस्ट करता, कंट्रीज़ नहीं एक्जिस्ट करती, फाइनली हम सब ह्यूमैनिटी का पार्ट हैं और अर्थ हमारा एक घर है और हम सबके सब उसके सिटीजंस हैं।

प्रधानमंत्री: शुभांशु स्पेस स्टेशन पर जाने वाले आप पहले भारतीय हैं। आपने जबरदस्त मेहनत की है। लंबी ट्रेनिंग करके गए हैं। अब आप रियल सिचुएशन में हैं, सच में अंतरिक्ष में हैं, वहां की परिस्थितियां कितनी अलग हैं? कैसे अडॉप्ट कर रहे हैं?

शुभांशु शुक्ला: यहां पर तो सब कुछ ही अलग है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग की हमने पिछले पूरे 1 साल में, सारे systems के बारे में मुझे पता था, सारे प्रोसेस के बारे में मुझे पता था, एक्सपेरिमेंट्स के बारे में मुझे पता था। लेकिन यहां आते ही suddenly सब चेंज हो गया, because हमारे शरीर को ग्रेविटी में रहने की इतनी आदत हो जाती है कि हर एक चीज उससे डिसाइड होती है, पर यहां आने के बाद चूंकि ग्रेविटी माइक्रोग्रेविटी है absent है, तो छोटी-छोटी चीजें भी बहुत मुश्किल हो जाती हैं। अभी आपसे बात करते वक्त मैंने अपने पैरों को बांध रखा है, नहीं तो मैं ऊपर चला जाऊंगा और माइक को भी ऐसे जैसे यह छोटी-छोटी चीजें हैं, यानी ऐसे छोड़ भी दूं, तो भी यह ऐसे float करता रहा है। पानी पीना, पैदल चलना, सोना बहुत बड़ा चैलेंज है, आप छत पर सो सकते हैं, आप दीवारों पर सो सकते हैं, आप जमीन पर सो सकते हैं। तो पता सब कुछ होता है प्रधानमंत्री जी, ट्रेनिंग अच्छी है, लेकिन वातावरण चेंज होता है, तो थोड़ा सा used to होने में एक-दो दिन लगते हैं but फिर ठीक हो जाता है, फिर normal हो जाता है।

|

प्रधानमंत्री: शुभ भारत की ताकत साइंस और स्पिरिचुअलिटी दोनों हैं। आप अंतरिक्ष यात्रा पर हैं, लेकिन भारत की यात्रा भी चल रही होगी। भीतर में भारत दौड़ता होगा। क्या उस माहौल में मेडिटेशन और माइंडफूलनेस का लाभ भी मिलता है क्या?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बिल्कुल सहमत हूं। मैं कहीं ना कहीं यह मानता हूं कि भारत already दौड़ रहा है और यह मिशन तो केवल एक पहली सीढ़ी है उस एक बड़ी दौड़ का और हम जरूर आगे पहुंच रहे हैं और अंतरिक्ष में हमारे खुद के स्टेशन भी होंगे और बहुत सारे लोग पहुंचेंगे और माइंडफूलनेस का भी बहुत फर्क पड़ता है। बहुत सारी सिचुएशंस ऐसी होती हैं नॉर्मल ट्रेनिंग के दौरान भी या फिर लॉन्च के दौरान भी, जो बहुत स्ट्रेसफुल होती हैं और माइंडफूलनेस से आप अपने आप को उन सिचुएशंस में शांत रख पाते हैं और अपने आप को calm रखते हैं, अपने आप को शांत रखते हैं, तो आप अच्छे डिसीजंस ले पाते हैं। कहते हैं कि दौड़ते हो भोजन कोई भी नहीं कर सकता, तो जितना आप शांत रहेंगे उतना ही आप अच्छे से आप डिसीजन ले पाएंगे। तो I think माइंडफूलनेस का बहुत ही इंपॉर्टेंट रोल होता है इन चीजों में, तो दोनों चीजें अगर साथ में एक प्रैक्टिस की जाएं, तो ऐसे एक चैलेंजिंग एनवायरमेंट में या चैलेंजिंग वातावरण में मुझे लगता है यह बहुत ही यूज़फुल होंगी और बहुत जल्दी लोगों को adapt करने में मदद करेंगी।

प्रधानमंत्री: आप अंतरिक्ष में कई एक्सपेरिमेंट कर रहे हैं। क्या कोई ऐसा एक्सपेरिमेंट है, जो आने वाले समय में एग्रीकल्चर या हेल्थ सेक्टर को फायदा पहुंचाएगा?

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, मैं बहुत गर्व से कह सकता हूं कि पहली बार भारतीय वैज्ञानिकों ने 7 यूनिक एक्सपेरिमेंट्स डिजाइन किए हैं, जो कि मैं अपने साथ स्टेशन पर लेकर आया हूं और पहला एक्सपेरिमेंट जो मैं करने वाला हूं, जो कि आज ही के दिन में शेड्यूल्ड है, वह है Stem Cells के ऊपर, so अंतरिक्ष में आने से क्या होता है कि ग्रेविटी क्योंकि एब्सेंट होती है, तो लोड खत्म हो जाता है, तो मसल लॉस होता है, तो जो मेरा एक्सपेरिमेंट है, वह यह देख रहा है कि क्या कोई सप्लीमेंट देकर हम इस मसल लॉस को रोक सकते हैं या फिर डिले कर सकते हैं। इसका डायरेक्ट इंप्लीकेशन धरती पर भी है कि जिन लोगों का मसल लॉस होता है, ओल्ड एज की वजह से, उनके ऊपर यह सप्लीमेंट्स यूज़ किए जा सकते हैं। तो मुझे लगता है कि यह डेफिनेटली वहां यूज़ हो सकता है। साथ ही साथ जो दूसरा एक्सपेरिमेंट है, वह Microalgae की ग्रोथ के ऊपर। यह Microalgae बहुत छोटे होते हैं, लेकिन बहुत Nutritious होते हैं, तो अगर हम इनकी ग्रोथ देख सकते हैं यहां पर और ऐसा प्रोसेस ईजाद करें कि यह ज्यादा तादाद में हम इन्हें उगा सके और न्यूट्रिशन हम प्रोवाइड कर सकें, तो कहीं ना कहीं यह फूड सिक्योरिटी के लिए भी बहुत काम आएगा धरती के ऊपर। सबसे बड़ा एडवांटेज जो है स्पेस का, वह यह है कि यह जो प्रोसेस है यहां पर, यह बहुत जल्दी होते हैं। तो हमें महीनों तक या सालों तक वेट करने की जरूरत नहीं होती, तो जो यहां के जो रिजल्‍ट्स होते हैं वो हम और…

प्रधानमंत्री: शुभांशु चंद्रयान की सफलता के बाद देश के बच्चों में, युवाओं में विज्ञान को लेकर एक नई रूचि पैदा हुई, अंतरिक्ष को explore करने का जज्बा बढ़ा। अब आपकी ये ऐतिहासिक यात्रा उस संकल्प को और मजबूती दे रही है। आज बच्चे सिर्फ आसमान नहीं देखते, वो यह सोचते हैं, मैं भी वहां पहुंच सकता हूं। यही सोच, यही भावना हमारे भविष्य के स्पेस मिशंस की असली बुनियाद है। आप भारत की युवा पीढ़ी को क्या मैसेज देंगे?

शुभांशु शुक्ला: प्रधानमंत्री जी, मैं अगर मैं अपनी युवा पीढ़ी को आज कोई मैसेज देना चाहूंगा, तो पहले यह बताऊंगा कि भारत जिस दिशा में जा रहा है, हमने बहुत बोल्ड और बहुत ऊंचे सपने देखे हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए, हमें आप सबकी जरूरत है, तो उस जरूरत को पूरा करने के लिए, मैं ये कहूंगा कि सक्सेस का कोई एक रास्ता नहीं होता कि आप कभी कोई एक रास्ता लेता है, कोई दूसरा रास्ता लेता है, लेकिन एक चीज जो हर रास्ते में कॉमन होती है, वो ये होती है कि आप कभी कोशिश मत छोड़िए, Never Stop Trying. अगर आपने ये मूल मंत्र अपना लिया कि आप किसी भी रास्ते पर हों, कहीं पर भी हों, लेकिन आप कभी गिव अप नहीं करेंगे, तो सक्सेस चाहे आज आए या कल आए, पर आएगी जरूर।

प्रधानमंत्री: मुझे पक्का विश्वास है कि आपकी ये बातें देश के युवाओं को बहुत ही अच्छी लगेंगी और आप तो मुझे भली-भांति जानते हैं, जब भी किसी से बात होती हैं, तो मैं होमवर्क जरूर देता हूं। हमें मिशन गगनयान को आगे बढ़ाना है, हमें अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भारतीय एस्ट्रोनॉट की लैंडिंग भी करानी है। इन सारे मिशंस में आपके अनुभव बहुत काम आने वाले हैं। मुझे विश्वास है, आप वहां अपने अनुभवों को जरूर रिकॉर्ड कर रहे होंगे।

शुभांशु शुक्ला: जी प्रधानमंत्री जी, बिल्कुल ये पूरे मिशन की ट्रेनिंग लेने के दौरान और एक्सपीरियंस करने के दौरान, जो मुझे lessons मिले हैं, जो मेरी मुझे सीख मिली है, वो सब एक स्पंज की तरह में absorb कर रहा हूं और मुझे यकीन है कि यह सारी चीजें बहुत वैल्युएबल प्रूव होंगी, बहुत इंपॉर्टेंट होगी हमारे लिए जब मैं वापस आऊंगा और हम इन्हें इफेक्टिवली अपने मिशंस में, इनके lessons अप्लाई कर सकेंगे और जल्दी से जल्दी उन्हें पूरा कर सकेंगे। Because मेरे साथी जो मेरे साथ आए थे, कहीं ना कहीं उन्होंने भी मुझसे पूछा कि हम कब गगनयान पर जा सकते हैं, जो सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने बोला कि जल्द ही। तो मुझे लगता है कि यह सपना बहुत जल्दी पूरा होगा और मेरी तो सीख मुझे यहां मिल रही है, वह मैं वापस आकर, उसको अपने मिशन में पूरी तरह से 100 परसेंट अप्लाई करके उनको जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मुझे पक्का विश्वास है कि आपका ये संदेश एक प्रेरणा देगा और जब हम आपके जाने से पहले मिले थे, आपके परिवारजन के भी दर्शन करने का अवसर मिला था और मैं देख रहा हूं कि आपके परिवारजन भी सभी उतने ही भावुक हैं, उत्साह से भरे हुए हैं। शुभांशु आज मुझे आपसे बात करके बहुत आनंद आया, मैं जानता हूं आपकी जिम्मे बहुत काम है और 28000 किलोमीटर की स्पीड से काम करने हैं आपको, तो मैं ज्यादा समय आपका नहीं लूंगा। आज मैं विश्वास से कह सकता हूं कि ये भारत के गगनयान मिशन की सफलता का पहला अध्याय है। आपकी यह ऐतिहासिक यात्रा सिर्फ अंतरिक्ष तक सीमित नहीं है, ये हमारी विकसित भारत की यात्रा को तेज गति और नई मजबूती देगी। भारत दुनिया के लिए स्पेस की नई संभावनाओं के द्वार खोलने जा रहा है। अब भारत सिर्फ उड़ान नहीं भरेगा, भविष्य में नई उड़ानों के लिए मंच तैयार करेगा। मैं चाहता हूं, कुछ और भी सुनने की इच्छा है, आपके मन में क्योंकि मैं सवाल नहीं पूछना चाहता, आपके मन में जो भाव है, अगर वो आप प्रकट करेंगे, देशवासी सुनेंगे, देश की युवा पीढ़ी सुनेगी, तो मैं भी खुद बहुत आतुर हूं, कुछ और बातें आपसे सुनने के लिए।

|

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी! यहां यह पूरी जर्नी जो है, यह अंतरिक्ष तक आने की और यहां ट्रेनिंग की और यहां तक पहुंचने की, इसमें बहुत कुछ सीखा है प्रधानमंत्री जी मैंने लेकिन यहां पहुंचने के बाद मुझे पर्सनल accomplishment तो एक है ही, लेकिन कहीं ना कहीं मुझे ये लगता है कि यह हमारे देश के लिए एक बहुत बड़ा कलेक्टिव अचीवमेंट है। और मैं हर एक बच्चे को जो यह देख रहा है, हर एक युवा को जो यह देख रहा है, एक मैसेज देना चाहता हूं और वो यह है कि अगर आप कोशिश करते हैं और आप अपना भविष्य बनाते हैं अच्छे से, तो आपका भविष्य अच्छा बनेगा और हमारे देश का भविष्य अच्छा बनेगा और केवल एक बात अपने मन में रखिए, that sky has never the limits ना आपके लिए, ना मेरे लिए और ना भारत के लिए और यह बात हमेशा अगर अपने मन में रखी, तो आप आगे बढ़ेंगे, आप अपना भविष्य उजागर करेंगे और आप हमारे देश का भविष्य उजागर करेंगे और बस मेरा यही मैसेज है प्रधानमंत्री जी और मैं बहुत-बहुत ही भावुक और बहुत ही खुश हूं कि मुझे मौका मिला आज आपसे बात करने का और आप के थ्रू 140 करोड़ देशवासियों से बात करने का, जो यह देख पा रहे हैं, यह जो तिरंगा आप मेरे पीछे देख रहे हैं, यह यहां नहीं था, कल के पहले जब मैं यहां पर आया हूं, तब हमने यह यहां पर पहली बार लगाया है। तो यह बहुत भावुक करता है मुझे और बहुत अच्छा लगता है देखकर कि भारत आज इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पहुंच चुका है।

प्रधानमंत्री: शुभांशु, मैं आपको और आपके सभी साथियों को आपके मिशन की सफलता के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। शुभांशु, हम सबको आपकी वापसी का इंतजार है। अपना ध्यान रखिए, मां भारती का सम्मान बढ़ाते रहिए। अनेक-अनेक शुभकामनाएं, 140 करोड़ देशवासियों की शुभकामनाएं और आपको इस कठोर परिश्रम करके, इस ऊंचाई तक पहुंचने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। भारत माता की जय!

शुभांशु शुक्ला: धन्यवाद प्रधानमंत्री जी, धन्यवाद और सारे 140 करोड़ देशवासियों को धन्यवाद और स्पेस से सबके लिए भारत माता की जय!