पीएम मोदी ने अमर उजाला को दिए विशेष साक्षात्कार में खुद को देवभूमि का सेवक बताते हुए कहा कि दशकों तक पहाड़ों, खासकर उत्तराखंड की उपेक्षा हुई। कांग्रेस की सरकारों का देवभूमि के हित से कभी कोई वास्ता न रहा। उनके लिए उत्तराखंड सिर्फ फोटो खिंचवाने की जगह रह गई थी।

सुंदर व अकूत प्राकृतिक संपदा वाले उत्तराखंड में गांव खाली हो रहे हैं। नई पीढ़ी पहाड़ में रहना नहीं चाहती। पलायन नहीं रुक रहा है। उनके सुरक्षित भविष्य के लिए केंद्र की ओर से क्या योजना है।

जवाब : मैंने अध्यात्म के एक जिज्ञासु के रूप में और बाद में भाजपा कार्यकर्ता के रूप में काफी समय उत्तराखंड में बिताया है। यहां के लोगों के साथ पहाड़ की समस्याओं को जिया है। इसलिए, उत्तराखंड को लेकर मेरा दृष्टिकोण बहुत संवेदनशील है। जहां तक पहाड़ की परेशानियों का प्रश्न है, ये एक दिन में पैदा हुईं समस्याएं नहीं हैं। दशकों तक पहाड़ों की उपेक्षा हुई है। कांग्रेस सरकारों के लिए उत्तराखंड सिर्फ फोटो खिंचवाने की जगह रह गई थी, इसलिए यहां के लोगों को अलग राज्य की मांग करनी पड़ी थी। अटलजी के समय भाजपा सरकार ने इस सोच के साथ अलग उत्तराखंड राज्य बनाया था कि यहां विकास पर फोकस होगा। लेकिन, उसके बाद केंद्र में काफी समय कांग्रेस की सरकार रही, राज्य में भी कांग्रेस बीच-बीच में आती रही। कांग्रेस के पास यहां के लोगों के विकास का विजन ही नहीं है। हमारी सरकार देवभूमि के विकास के एक बड़े विजन को लेकर आगे चल रही है। पहाड़, प्रकृति, पर्यावरण, पानी, पर्यटन हम हर विषय के लिए बहुत गंभीर रहे हैं। हम यहां पर कनेक्टिविटी बढ़ाने, निवेश और उच्च शिक्षा के संस्थान बढ़ाने और रोजगार के अवसर बढ़ाने पर फोकस कर रहे हैं। दिसंबर, 2023 में उत्तराखंड इन्वेस्टर्स समिट कराए जाने के पीछे भी यही उद्देश्य था।

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों से युवाओं के पलायन का मुख्य कारण अवसरों की कमी थी। हम यहां नए-नए अवसर बना रहे हैं। नए शिक्षा संस्थान स्थापित कर रहे हैं, ताकि उन्हें दूर न जाना पड़े। ऊधम सिंह नगर में एम्स का सैटेलाइट सेंटर, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, हरिद्वार के मेडिकल कॉलेज, देवप्रयाग का संस्कृत महाविद्यालय, विभिन्न जिलों में पीएमश्री स्कूल... सभी संस्थान पहाड़ में ही शिक्षा के अवसर उपलब्ध कराएंगे। मानसखंड मंदिरमाला मिशन से पर्यटन के साथ रोजगार के लाखों अवसर पैदा होंगे। इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट और होम स्टे भी रोजगार पैदा कर रहे हैं।

कुछ सालों में सुदूर पहाड़ों तक एयर कनेक्टिविटी मजबूत हुई है। चारधाम यात्रियों और श्रद्धालुओं को हेली सुविधा उपलब्ध कराई गई है, लेकिन सड़क मार्ग की राह अभी कठिन है। पहाड़ों तक रेललाइन व योजनाएं कब तक मूर्त रूप ले पाएंगी।

10 वर्षों में हमारी सरकार के प्रयासों से उत्तराखंड ही नहीं, देशभर में कनेक्टिविटी का विस्तार हुआ है। अब तो मानस खंड के तीर्थ स्थानों जैसे आदि कैलाश, ओम पर्वत दर्शन के लिए भी सरकार ने हेलिकॉप्टर सेवाएं शुरू कर दी हैं। पिथौरागढ़ के लिए हवाई सेवाएं शुरू हो चुकी हैं। बेहतर कनेक्टिविटी और डिजिटल सुविधाओं की वजह से लोगों का पर्यटन के साथ तीर्थाटन में भी रुझान बढ़ा है। यह बात भी सही है कि उत्तराखंड के लिए विकास कार्यों को भारी प्राकृतिक चुनौतियों से जूझना पड़ता है। इसलिए, भाजपा सरकार उत्तराखंड के विकास को केवल सड़क और हाईवे बनाने के सीमित नजरिये से नहीं देख रही है। हम विकास के साथ ट्रांसपोर्ट के वैकल्पिक माध्यमों पर भी काम कर रहे हैं। हम हेली सुविधाओं के साथ-साथ संवेदनशील क्षेत्रों में रोपवे जैसे वैकल्पिक माध्यमों का विकास भी कर रहे हैं। यमुनोत्री, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब में रोप-वे बनने से बहुत सुविधा हो जाएगी। कर्णप्रयाग-ऋषिकेश सेक्शन पर रेलवे लाइन का काम पूरा होने के बाद बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम तक पहुंचना और आसान हो जाएगा। 700 करोड़ की लागत से देहरादून में झाझड़ा-आशारोड़ी लिंक रोड का निर्माण किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि पहले देश के पास संसाधनों की कमी थी, ऐसा नहीं है कि पहले देश के पास सामर्थ्य नहीं था। कमी थी तो सत्ता में बैठे लोगों के विजन में, इच्छाशक्ति में।

कनेक्टिविटी का विस्तार होने से अब न कुमाऊं के लिए दिल्ली दूर है, न गढ़वाल के लिए। पर्यटन और सुविधा के लिए केदारनाथ, हेमकुंड साहिब समेत कई तीर्थ स्थानों के लिए हेलिकॉप्टर सेवा भी बेहतर हुई है। आवागमन के वैकल्पिक माध्यमों पर भी काम हो रहा है। चारधाम परियोजना के तहत केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री को 900 किमी लंबे हाईवे से जोड़ा जा रहा है। वंदे भारत ट्रेन की सुविधा शुरू होने से देहरादून से दिल्ली का सफर पांच घंटे से कम समय में पूरा हो रहा है।

उत्तराखंड को लगातार प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलनी पड़ती है। उत्तराखंड खासकर पहाड़ी राज्यों के लिए कोई दीर्घकालिक योजना, जो सुरक्षा प्रदान करे।

भारत ने पिछली सरकारों की तुलना में आपदा प्रबंधन में अपनी क्षमताओं का अभूतपूर्व विस्तार किया है। हमारी ट्रेनिंग, तैयारी, तरीके अंतरराष्ट्रीय स्तर के हैं। हम प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम से कम करने की दिशा में लगातार प्रयास कर रहे हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में हाईवे जैसे मेगा प्रोजेक्ट्स हों या पीएम आवास योजना के तहत बन रहे घर हों, दोनों में ही आपदा प्रतिरोध का, आपदा लचीलापन का ध्यान रखा जा रहा है।

गुजरात का सीएम रहते हुए मुझे कई प्राकृतिक आपदाओं से निपटने का अनुभव है। मैं जानता हूं कि अगर बचाव और पुनर्वास के काम में राजनीतिक दखलअंदाजी न हो, तो काम बहुत तेज गति से होता है। 2013 में केदारनाथ में आपदा आई थी, तब पीड़ितों तक राहत सामग्री पहुंचने में देरी हो रही थी। इसकी वजह यह थी कि कांग्रेस के शाही परिवार के लोग राहत सामग्री के साथ अपना नाम, अपनी तस्वीर चाहते थे। कुछ महीने पहले उत्तराखंड में कुछ श्रमिक भाई टनल में फंस गए थे। तब केंद्र, राज्य और स्थानीय प्रशासन ने एक यूनिट की तरह काम किया। सीएम पुष्कर धामी खुद टनल में श्रमिकों का हौसला बढ़ा रहे थे। इसी सामंजस्य से चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन सफल रहा।

आपको उत्तराखंड की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के ब्रांड एंबेसडर के तौर पर देखा जाता है। पर्यटकों की सुविधाओं के लिए भविष्य की क्या कार्ययोजना है।

उत्तराखंड के ब्रांड एंबेसडर तो यहां के लोग ही हैं। मैं सिर्फ इस देवभूमि का सेवक हूं। यह दशक उत्तराखंड का दशक है। मेरे इस विश्वास के पीछे ठोस आधार है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन संस्कृति, यहां के लोगों की मेहनत उत्तराखंड को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाएगी। मेरी कोशिश है कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए उत्तराखंड पहुंचना आसान बनाया जाए और यहां से वे अच्छे अनुभव लेकर लौटें। नई रेल लाइन, हाईवे, पावर प्लांट, पेयजल योजना, शहरी विकास, वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़ी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। 2017 तक केदारनाथ में एक साल में पांच लाख श्रद्धालु पहुंचने का रिकॉर्ड था। सुविधाएं बढ़ने के बाद पिछले वर्ष करीब 20 लाख श्रद्धालु आए।

उत्तराखंड की पहचान नारी शक्ति के तौर पर भी है। राज्य की आर्थिकी और महिलाओं की मजबूती के लिए और क्या किया जाना है, ताकि पहाड़ आबाद हों।

मैं उत्तराखंड की महिलाओं को मां नंदा के रूप में देखता हूं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाएं परिवार की रीढ़ हैं। इनसे मुझे समर्पण भाव से अपने काम में लगे रहने की प्रेरणा मिलती है। 10 वर्षों में हमने ये सुनिश्चित किया है कि महिलाएं भी भारत की विकास गाथा का हिस्सा बनें। हमारी योजनाओं ने महिलाओं के जीवन में सुविधाओं को बढ़ाया है। हमारी सरकार ने 12 करोड़ शौचालय बनाए हैं। उत्तराखंड में भी पांच लाख से ज्यादा परिवारों में महिलाओं के लिए इज्जत घर बनाए गए हैं। उज्ज्वला योजना के तहत उत्तराखंड में भी करीब साढ़े पांच लाख माताओं-बहनों को धुआंमुक्त रसोई की सुविधा मिली है। जल जीवन मिशन की वजह से 13 लाख से ज्यादा परिवारों को आसानी से पीने का साफ पानी मिलने लगा है। उत्तराखंड के लोगों की आवाज उठाने के लिए, यहां की आकांक्षाओं को संसद में रखने के लिए मजबूत उम्मीदवार उतारे हैं। ये अनुभवी और जमीन से जुड़े नेता हैं। भाजपा के विजन को आगे बढ़ाएंगे और उत्तराखंड को विकसित राज्य बनाने के लिए समर्पित रहेंगे।

Source: Amar Ujala

Explore More
हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
India is one of the fastest growing luxury watch markets: H. Moser & Cie. CEO

Media Coverage

India is one of the fastest growing luxury watch markets: H. Moser & Cie. CEO
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Prime Minister condoles the loss of lives due to a road accident in Pithoragarh, Uttarakhand
July 15, 2025

Prime Minister Shri Narendra Modi today condoled the loss of lives due to a road accident in Pithoragarh, Uttarakhand. He announced an ex-gratia of Rs. 2 lakh from PMNRF for the next of kin of each deceased and Rs. 50,000 to the injured.

The PMO India handle in post on X said:

“Saddened by the loss of lives due to a road accident in Pithoragarh, Uttarakhand. Condolences to those who have lost their loved ones in the mishap. May the injured recover soon.

An ex-gratia of Rs. 2 lakh from PMNRF would be given to the next of kin of each deceased. The injured would be given Rs. 50,000: PM @narendramodi”