प्रौद्योगिकी की हमारी समझ केवल हार्डवेयर तक ही सीमित नहीं होनी चाहिए। इसलिए,मानसिकता में बदलाव लाना जरुरी: पीएम मोदी 
पेपरलेस की पहल पर्यावरण को बचाने का काम करेगी और यह भावी पीढ़ियों को हमारी उत्तम सेवा भी होगी: पीएम मोदी 
आईटी + आईटी = आईटी अर्थात “इनफ़ॉर्मेशन टेक्नॉलजी + इंडियन टैलेंट = इंडिया टुमॉरो” : प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज सर्वोच्‍च न्‍यायालय की वेबसाइट पर इंटीग्रेटेड केस मैनेजमेंट इन्‍फॉर्मेशन सिस्‍टम को अपलोड किया जो डिजिटल फाइलिंग- कागज रहित सर्वोच्‍च न्‍यायालय की ओर एक कदम, की शुरुआत को दर्शाता है।

इस अवसर पर बोलते हुए भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश न्‍यायमूर्ति श्री जे. एस. खेहर ने इसी साल 2 अप्रैल को आयोजित इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के 150वीं वर्षगांठ समारोह को याद किया। उन्‍होंने कहा कि उस द‍िन प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने अदालतों के कामकाज को आसान बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल मजबूत आधार बनाया था। आवेदन के डिजिटल फाइलिंग के लाभ के बारे में बताते हुए भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश ने इस पहल को न्‍यायिक प्रणाली में प्रौद्योगिकी के इस्‍तेमाल की दिशा में लगाई गई सबसे बड़ी छलांग बताया।

इस ऐप्लिकेशन पर एक प्रस्‍तुति देते हुए न्‍यायमूर्ति श्री खानविलकर ने कहा कि यह नई पहल 'सबका साथ, सबका विकास' का एक उदाहरण होगी।

केंद्रीय कानून एवं न्‍याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने इस डिजिटल नवाचार के लिए सर्वोच्‍च न्‍यायालय की सराहना की।

इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने वहां एकत्रित लोगों को बुद्ध पूर्णिमा की बधाई दी। उन्‍होंने यह भी स्‍मरण किया कि आज - 10 मई - ही के दिन 1857 में आजादी की पहली लड़ाई की शुरुआत हुई थी।

प्रधानमंत्री ने 2 अप्रैल को इलाहाबाद में मुख्‍य न्‍यायाधीश की उस अपील को भी याद किया जिसमें उन्‍होंने उच्‍च न्‍यायापालिका को अवकाश के दौरान कम से कम कुछ दिन मामलों की सुनवाई करने के लिए कहा था। उन्‍होंने कहा कि वह अपील प्रेरणादायक थी और उन्‍होंने इस संबंध में सर्वोच्‍च न्‍यायालय एवं उच्‍च न्‍यायालयों से काफी उत्‍साहजनक समाचार सुने हैं। उन्‍होंने कहा कि इस उत्‍साह से एक सकारात्‍मक बदलाव आएगा और‍ जिम्‍मेदारी की भावना पैदा होगी। उन्‍होंने यह भी कहा कि इससे आम लोगों में विश्‍वास पैदा होगा जो 'नए भारत' की कुंजी है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रौद्योगिकी को आमतौर पर पहले हार्डवेयर के समकक्ष माना जाता था और इसलिए लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना जरूरी है। उन्‍होंने कहा कि किसी संस्‍थान के भीतर प्रौद्योगिकी को केवल सामूहिक तौर पर ही अपनाया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि कागज रहित पहल से पर्यावरण की सुरक्षा होगी और इसलिए यह भविष्‍य की पीढि़यों के लिए एक अच्‍छी सेवा है।

प्रौद्योगिककी के लाभ के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने हाल में आयोजित 'हैकथॉन' को याद किया जहां भारत सरकार के विभिन्‍न मंत्रालयों में 400 मुद्दों की पहचान की गई थी और उन्‍हें सुलझाने के लिए भारतीय विश्‍वविद्यालयों के 42,000 छात्रों ने 36 घंटे खर्च किए। उन्‍होंने कहा कि मंत्रालयों ने इस पहल के अधिकांश नतीजों को स्‍वीकार किया।

प्रधानमंत्री ने विश्‍वास व्‍यक्‍त किया कि 'सूचना प्रौद्योगिकी' और 'भारतीय प्रतिभा' के मेल से 'कल के भारत' का निर्माण होगा।

प्रौद्योगिकी के बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री ने 'कृत्रिम बौद्धिकता' से पैदा होने वाली संभावनाओं और जटिलताओं के बारे में बताया।

प्रधानमंत्री ने हाल के ऐसे कई अवसरों का जिक्र किया जब विभिन्‍न क्षेत्र के लोग गरीबों की मदद करने के लिए सामने आए। इस संदर्भ में एलपीजी सब्सिडी न लेने की मुहिम 'गिव-इट-अप' की सफलता को याद किया। इसी प्रकार उन्‍होंने देशभर के डॉक्‍टरों की उस पहल को याद किया जिसके तहत उन्‍होंने हर महीने की 9 तारीख को गरीब गर्भवती महिलाओं का उपचार मुफ्त में करने का निर्णय लिया है। उसी तर्ज पर उन्‍होंने वकीलों से भी आग्रह किया कि वे गरीब और जरूरतमंद लोगों को कानूनी सलाह उपलब्‍ध कराने के लिए आगे बढ़ें।

इस अवसर पर न्‍यायमूर्ति श्री दीपक मिश्रा और न्‍यायमूर्ति श्री जे चेलामेश्‍वर भी उपस्थित थे।  

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