भू-राजनीति, पारंपरिक और गैर-पारंपरिक चुनौतियां से क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृ्द्धि के लिए उत्पन्न हुए खतरे का सामना कर रहे हैं: पूर्व एशिया सम्मेलन में प्रधानमंत्री
हमारे पड़ोस में एक ऐसा देश है जिसका सारा प्रतिस्पर्धा लाभ पूरी तरह से आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसके प्रसार पर टिका हुआ हैः प्रधानमंत्री
समुद्री संसाधनों की सुरक्षा के लिए भागीदारी के निर्माण, पर्यावरण क्षरण को रोकने और नीली अर्थव्यवस्था के दोहन के लिए भारत अपनी विशेषज्ञता साझा कर सकता है: प्रधानमंत्री
भारत आरसीईपी के कार्यान्वयन को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैः प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओस में 11वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा खुले और बहुलवादी समाज के लिए आतंकवाद सबसे गंभीर चुनौती है और इसका सामना करने के लिए संयुक्त प्रयास की जरूरत है।

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हमारे पड़ोस में एक ही ऐसा देश है जो पूरी तरह से आतंकवाद को बढ़ावा में लगा हुआ है। यह शांति के क्षेत्र का संकुचित कर हिंसा के क्षेत्र को बढ़ावा दे रहा है, साथ ही सभी लोगों की शांति और समृद्धि को भी खतरे में डाल रहा है।'

दक्षिण चीन सागर पर भारत का नजरिया रखते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत समुद्री संसाधनों की सुरक्षा में अपनी भागीदारी, पर्यावरण क्षरण के रोकथाम और नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए अपनी विशेषज्ञता को साझा कर सकता है। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता व्यक्त की और भारत के मदद करने के समन्वित दृष्टिकोण और प्रतिक्रियाओं के पहल की घोषणा की।

उन्होंने कहा कि भारत क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) के कार्यान्वयन के समर्थन के प्रति कटिबद्ध है। क्षेत्र में चल रहे आर्थिक एकीकरण को और ज्यादा मजबूती देने के लिए भारत एपेक में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। प्रधानमंत्री ने पूर्व एशिया समिट के अप्रसार पर बयान का जिक्र करते हुए कहा भारत इसके उद्देंश्यों की मजबूती देने के लिए प्रतिबद्ध है जोकि दृष्टिकोण में समानताओं को रेखांकित करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं की सदस्यता और सामूहिक विनाश के हथियारों के पूर्ण उन्मूलन और निरीक्षण के अनुसरण के लिए प्रतिबद्ध है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत पूर्व एशिया समिट के ढांचे के अंतर्गत क्षेत्र के साझा लक्ष्य, सामरिक राजनीतिक और आर्थिक प्राथमिकताओं के प्रति हमेशा दृढ़ रहेगा।

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कैबिनेट ने दिल्ली मेट्रो के फेज V (A) प्रोजेक्ट के अंतर्गत तीन नए कॉरिडोर्स को स्वीकृति दी
December 24, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिल्ली मेट्रो के फेज-V (ए) परियोजना के हिस्से के रूप में तीन नए कॉरिडोर को मंजूरी दी है: 1. आर.के. आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ (9.913 किमी), 2. एरोसिटी से आई.जी.डी. एयरपोर्ट टी-1 (2.263 किमी) और 3. तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज (3.9 किमी)। यह 16.076 किलोमीटर लंबी परियोजना राष्ट्रीय राजधानी के भीतर कनेक्टिविटी को और बेहतर बनाएगी। दिल्ली मेट्रो के फेज-V (ए) की कुल लागत 12014.91 करोड़ रुपये है, जिसे भारत सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय वित्त पोषण एजेंसियों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा।

सेंट्रल विस्टा कॉरिडोर सभी कर्तव्य भवनों को कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिससे इस क्षेत्र के कार्यालय जाने वालों और आगंतुकों को सीधे ऑफिस तक पहुंचने में आसानी होगी। इस कनेक्टिविटी से दैनिक आधार पर लगभग 60,000 कार्यालय जाने वाले कर्मचारियों और 2 लाख आगंतुकों को लाभ होगा। ये कॉरिडोर प्रदूषण और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को और कम करेंगे, जिससे जीवन जीने की सुगमता में वृद्धि होगी।

विवरण:

आर.के. आश्रम मार्ग – इंद्रप्रस्थ सेक्शन, बॉटनिकल गार्डन - आर.के. आश्रम मार्ग कॉरिडोर का विस्तार होगा। यह सेंट्रल विस्टा क्षेत्र को मेट्रो कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिसका वर्तमान में पुनर्विकास किया जा रहा है। एयरोसिटी – आईजीडी एयरपोर्ट टर्मिनल 1 और तुगलकाबाद – कालिंदी कुंज सेक्शन, एरोसिटी-तुगलकाबाद कॉरिडोर का विस्तार होंगे। यह विस्तार हवाई अड्डे की कनेक्टिविटी को राष्ट्रीय राजधानी के दक्षिणी हिस्सों जैसे तुगलकाबाद, साकेत, कालिंदी कुंज आदि क्षेत्रों के साथ मजबूत करेगा। इन विस्तारों में कुल 13 स्टेशन शामिल होंगे, जिनमें से 10 स्टेशन भूमिगत और 03 स्टेशन एलिवेटेड होंगे।

पूरा होने के बाद, कॉरिडोर-1 यानी आर.के. आश्रम मार्ग से इंद्रप्रस्थ (9.913 किमी) पश्चिमी, उत्तरी और पुरानी दिल्ली की सेंट्रल दिल्ली के साथ कनेक्टिविटी में सुधार करेगा। वहीं अन्य दो कॉरिडोर— एयरोसिटी से आईजीडी एयरपोर्ट टी-1 (2.263 किमी) और तुगलकाबाद से कालिंदी कुंज (3.9 किमी)— दक्षिण दिल्ली को साकेत, छतरपुर आदि के माध्यम से घरेलू हवाई अड्डे टर्मिनल-1 से जोड़ेंगे, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के भीतर कनेक्टिविटी में जबरदस्त वृद्धि होगी।

फेज-V (ए) परियोजना के ये मेट्रो विस्तार मध्य दिल्ली और घरेलू हवाई अड्डे तक दिल्ली मेट्रो नेटवर्क की पहुंच बढ़ाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती मिलेगी। मजेंटा लाइन और गोल्डन लाइन के ये विस्तार सड़कों पर भीड़भाड़ को कम करेंगे। इस प्रकार, मोटर वाहनों के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी।

आरके आश्रम मार्ग - इंद्रप्रस्थ सेक्शन पर जो स्टेशन बनेंगे, वे हैं: आर.के. आश्रम मार्ग, शिवाजी स्टेडियम, सेंट्रल सेक्रेटेरिएट, कर्तव्य भवन, इंडिया गेट, वॉर मेमोरियल - हाई कोर्ट, बड़ौदा हाउस, भारत मंडपम, और इंद्रप्रस्थ।

तुगलकाबाद – कालिंदी कुंज सेक्शन के स्टेशन सरिता विहार डिपो, मदनपुर खादर और कालिंदी कुंज होंगे, जबकि एयरोसिटी स्टेशन को आगे आईजीडी टी-1 स्टेशन से जोड़ा जाएगा।

फेज-IV का निर्माण कार्य, जिसमें 111 किमी लंबाई और 83 स्टेशन शामिल हैं, वर्तमान में प्रगति पर है। आज की स्थिति के अनुसार, फेज-IV के (3 प्राथमिकता वाले) कॉरिडोर का लगभग 80.43 प्रतिशत सिविल निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। फेज-IV के इन तीनों प्राथमिकता वाले कॉरिडोर के दिसंबर 2026 तक चरणों में पूरा होने की संभावना है।

आज, दिल्ली मेट्रो प्रतिदिन औसतन 65 लाख यात्रियों को सर्विस देती है। अब तक की सर्वाधिक यात्रा का रिकॉर्ड 8 अगस्त 2025 को 81.87 लाख दर्ज किया गया है। दिल्ली मेट्रो समयपालन, विश्वसनीयता और सुरक्षा जैसे एमआरटीएस के मुख्य मानकों में उत्कृष्टता का प्रतीक बनकर शहर की जीवनरेखा बन गई है।

वर्तमान में दिल्ली और एनसीआर में डीएमआरसी द्वारा लगभग 395 किमी लंबाई वाली कुल 12 मेट्रो लाइनों का संचालन किया जा रहा है, जिनमें 289 स्टेशन शामिल हैं। आज, दिल्ली मेट्रो भारत का सबसे बड़ा मेट्रो नेटवर्क है और दुनिया के सबसे बड़े मेट्रो नेटवर्कों में से भी एक है।