हमारी सरकार नौकरशाही में काम करने के तरीकों में बदलाव लाने पर जोर दे रही है, इसे उत्तरदायी बना रही है: प्रधानमंत्री मोदी 
आईसीजे के चुनाव में भारत की सफलता से पता चलता है कि अन्य देशों के बीच भारत की साख बढ़ रही है: पीएम मोदी 
डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसान देश के किसी कोने से अपने उत्पाद ऑनलाइन बेच सकता है: प्रधानमंत्री 
अब गरीबों को स्वास्थ्य और जीवन बीमा कम लागत पर मिल रहा है: प्रधानमंत्री मोदी 
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (पीएमयूवाई) ने करोड़ों महिलाओं के जीवन में बदलाव लाने का काम किया है: पीएम मोदी 
एलईडी बल्ब योजना के माध्यम से मध्यम आय वाले परिवारों की 14,000 करोड़ रुपये तक की बचत हुई है: प्रधानमंत्री 
विदेशों में जब चुनाव होते हैं तो वहां भी भारतीयों का प्रभाव देखने को मिलता है, विदेशों में भी 'अबकी बार ट्रंप सरकार' या 'अबकी बार कैमरून सरकार' जैसे नारे सुनाई पड़ते हैं: प्रधानमंत्री मोदी 
भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने जिस रास्ते को चुना है, उसके लिए मुझे बड़ी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ सकती है, लेकिन फिर भी मैं इसके लिए तैयार हूं: हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट में पीएम मोदी

शोभना भारतिया जी,

उपस्थित सभी महानुभाव,

भाइयों और बहनों,

मुझे फिर एक बार आप लोगों के बीच आने का मौका मिला है। बहुत से जाने-पहचाने चेहरे भी दिख रहे हैं। हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप और उसके पाठकों का बहुत-बहुत आभार मुझे फिर से बुलाने के लिए।

साथियों, दो साल पहले जब मैं इस समिट में आया था, तो विषय था- “Towards a Brighter India”, सिर्फ दो साल, सिर्फ दो साल में, हम आज “The Irreversible Rise of India” पर बात कर रहे हैं। ये सिर्फ विषय का बदलाव नहीं है। ये देश की सोच में आए बदलाव, देश के आत्मविश्वास में आए बदलाव का प्रतीक है।

अगर हम देश को एक संपूर्णता में देखें, एक Living Entity की तरह देखें, तो आज जो Positive Attitude हमारे देश में आया है, वो पहले कभी नहीं था। मुझे नहीं याद पड़ता, देश के गरीबों ने, नौजवानों ने, महिलाओं ने, किसानों ने, शोषितों-वंचितों ने अपने सामर्थ्य, अपने संसाधन, अपने सपनों पर इतना भरोसा, पहले कभी किया था।

ये भरोसा अब आया है। हम सब सवा सौ करोड़ भारतीयों ने मिलकर इसके लिए दिन-रात एक किया है। देशवासियों का अपने आप पर भरोसा, देश पर भरोसा…. किसी भी देश को ऊँचाइयों पर ले जाने का यही मंत्र है।

आज गीता जयंती है, गीता में बड़ी स्पष्टता से कहा है –

उद्धरेत आत्मन आत्मानम न आत्मानं अवसादयेत आत्मेव-आत्मनो बंधु आत्मेव रिपुर आत्मना

स्वयं को ऊपर उठाओ नकारात्मक विचार को टालो
आप ही स्वयं के मित्र हो और आप ही स्वयं के शत्रु

और इसीलिये भगवान बुद्ध ने भी कहा था -

‘अप्प दीपो भव’अर्थात अपना प्रकाश स्वयं बनो।

सवा सौ करोड़ देशवासियों का बढ़ता भरोसा, इस देश के विकास की एक मज़बूत नीव बन रही है। इस हॉल में बैठे हर एक व्यक्ति से लेकर इस होटल के बाहर जो व्यक्ति ऑटो चला रहा है,

कहीं रिक्शा खींच रहा है, कहीं खेत में टूटे हुए किनारे को ठीक कर रहा है, कहीं बर्फ में रातभर पहरा देने के बाद अब किसी टेंट में सो रहा है, उसने अपने हिस्से की तपस्या की है। ऐसे हर भारतीय की तपस्या ही है जिसकी वजह से हम “Towards a Brighter India”, से आगे बढ़कर Irreversible Rise of India पर बात कर रहे हैं।

साथियों, 2014 में देश के लोगों ने सिर्फ सरकार बदलने के लिए वोट नहीं दिया था। 2014 में वोट दिया गया था देश बदलने के लिए। सिस्टम में ऐसे बदलाव लाने के लिए, जो स्थाई हों, परमानेंट हों, Irreversible हों। स्वतंत्रता के इतने वर्षों बाद भी हमारे सिस्टम की कमजोरी, हमारे देश की सफलता में आड़े आ रही थी।

ये एक ऐसा सिस्टम था, जो देश की क्षमताओं के साथ न्याय नहीं कर पा रहा था। हर तरफ देश में किसी ना किसी व्यक्ति को इस सिस्टम से लड़ना पड़ रहा था। ये मेरा प्रयास ही नहीं, कमिटमेंट भी है कि लोगों की सिस्टम से ये लड़ाई बंद हो, उनकी जिंदगी में Irreversible Change आए, Ease of Living बढ़े।

छोटी-छोटी चीजों के लिए, रेल-बस का टिकट कराने के लिए, गैस के कनेक्शन के लिए, बिजली के कनेक्शन के लिए, अस्पताल में भर्ती होने के लिए, पासपोर्ट पाने के लिए, इनकम टैक्स रीफंड पाने के लिए उन्हें परेशान ना होना पड़े।

साथियों, इस सरकार के लिए Corruption Free, Citizen-Centric और Development Friendly Eco-system सबसे बड़ी प्राथमिकता है। नीतियों पर आधारित, तकनीक पर आधारित, पारदर्शिता पर आधारित एक ऐसा Eco-system जिसमें गड़बड़ी होने की, लीकेज की, गुंजाइश कम से कम हो।

अगर मैं जनधन योजना की ही बात करूं, तो ये गरीबों की जिंदगी में ऐसा बदलाव लाई है, जो पहले कोई सोच भी नहीं सकता था। जिस गरीब को पहले बैंक के दरवाजे से दुत्कार कर भगा दिया जाता था, उसके पास अपना बैंक अकाउंट है। जिनके जनधन अकाउंट खुल रहे हैं, उन्हें Rupay Debit Card भी दिए जा रहे हैं। सवा सौ करोड़ लोगों के हमारे देश में ऐसे लोगों की संख्या 30 करोड़ से ज्यादा है।

उस गरीब के आत्म-विश्वास के बारे में सोचिए, जब वो बैंक में जाकर पैसे जमा कराता है, जब वो Rupay Debit कार्ड का इस्तेमाल करता है। ये आत्म-विश्वास, ये हौसला, अब परमानेंट है, उसे कोई बदल नहीं सकता।

ऐसे ही उज्जवला योजना है। गांव में रहने वाली तीन करोड़ से ज्यादा महिलाओं की जिंदगी इस योजना ने हमेशा-हमेशा के लिए बदल दी है। उन्हें सिर्फ मुफ्त गैस कनेक्शन नहीं मिला, उन्हें सुरक्षा मिली है, सेहत मिली है, परिवार के लिए समय मिला है।

ऐसी करोड़ों महिलाओं की जिंदगी में आए बदलाव के बारे में भी सोचिए, जो बदलाव स्वच्छ भारत मिशन की वजह से आया है। सरकार ने सिर्फ शौचालय नहीं बनाए हैं, बल्कि उनकी करोड़ों महिलाओं को, बेटियों को उस पीड़ा से मुक्ति दिलाई है, जिसे वो शाम के इंतजार में बर्दाश्त करती रहती थीं।

कुछ लोग थोड़ी सी गंदगी की फोटो खींचकर बहस करते रहेंगे, लिखते रहेंगे, टीवी पर दिखाते रहेंगे, लेकिन लोगों को पता है कि इस अभियान ने जमीन पर किस तरह का Irreversible बदलाव ला दिया है।

भाइयों और बहनों, मुझे नहीं मालूम कि इस हॉल में बैठे कितने व्यक्ति इससे Relate कर पाएंगे, लेकिन जितना आप यहां से जाने के बाद पार्किंग टिप के तौर पर देंगे, उससे बहुत कम में आज गरीब की जिंदगी का बीमा हो जाता है।

सोचिए, सिर्फ एक रुपए महीना पर दुर्घटना बीमा, और 90 पैसे प्रतिदिन के प्रीमियम पर जीवन बीमा। आज देश के 15 करोड़ से ज्यादा गरीब सरकार की इन योजनाओं से जुड़ चुके हैं। इन योजनाओं के तहत गरीबों को लगभग 1800 करोड़ रुपए की claim राशि दी जा चुकी है। इतने रुपए किसी और सरकार ने दिए होते तो उसे मसीहा बनाकर प्रस्तुत कर दिया गया होता।

लेकिन गरीबों के लिए इतना बड़ा काम हुआ, मुझे नहीं लगता इस पर किसी ने ध्यान दिया होगा। ये भी एक सच है जिसे मैं स्वीकार करके चलता हूं। एक और उदाहरण LED बल्ब का है। पहले की सरकार में जो LED बल्ब तीन सौ-साढ़े तीन सौ का बिकता था, वो अब एक मध्यम वर्ग के परिवार को लगभग 50 रुपए में उपलब्ध है। उजाला योजना शुरू होने के बाद से देश में अब तक लगभग 28 करोड़ LED बल्ब बिक चुके हैं। इन बल्बों से लोगों को 14 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की अनुमानित बचत हो चुकी है।

ऐसा भी नहीं है कि बचत पर, बिजली बिल कम होने पर कुछ समय में फुल स्टॉप लग जाएगा। जो बचत हो रही है, वो होती ही रहेगी। ये बचत भी अब परमानेंट है।

भाइयों और बहनों, पहले ही सरकारों को ऐसा करने से किसी ने रोक रखा था या नहीं, ये मैं नहीं जानता। लेकिन इतना जानता हूं कि सिस्टम में स्थाई परिवर्तन लाने फैसले लेने से, देशहित में फैसला लेने से, किसी के रोके नहीं रुकेंगे।

जो लोग इस बात पर यकीन करते हैं कि देश जादू की छड़ी घुमाकर नहीं बदला जा सकता, वो हताशा और निराशा से भरे हुए हैं। ये अप्रोच हमें कुछ भी नया करने से, innovative करने से रोकती है।

ये अप्रोच हमें फैसला लेने से रोकती है। इसलिए इस सरकार की अप्रोच इससे बिल्कुल अलग है। जैसे यूरिया की नीम कोटिंग की ही बात करें। पहले की सरकार में यूरिया की 35 प्रतिशत नीम कोटिंग होती थी। जबकि पूरे सिस्टम को पता था कि 35 प्रतिशत नीम कोटिंग करेंगे तो कोई फायदा नहीं होगा। यूरिया का डायवर्जन रोकना है, फैक्ट्रियों में जाने से रोकना है, तो उसकी सौ प्रतिशत नीम कोटिंग करनी ही होगी। लेकिन ये फैसला पहले नहीं हुआ। इस सरकार ने फैसला लिया यूरिया की पूरी तरह नीम कोटिंग का।

भाइयों और बहनों, इस फैसले से ना सिर्फ यूरिया का डायवर्जन रुका है, बल्कि उसकी अपनी efficiency बढ़ गई है। अब किसान को उतनी ही जमीन के लिए कम यूरिया डालना पड़ता है। इतना ही नहीं, कम यूरिया डालने के बावजूद उसकी पैदावार बढ़ रही है।

ऐसे ही, अब हम देश में एक डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं जिस पर आकर किसी भी जगह का किसान कहीं से भी अपनी फसल बेच सके। ये देश में बहुत बड़ा व्यवस्था परिवर्तन होने जा रहा है। e-Nam यानि इलेक्ट्रॉनिक नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट से अब तक देश की साढ़े चार सौ से ज्यादा मंडियों को ऑनलाइन जोड़ा जा चुका है। भविष्य में ये प्लेटफॉर्म किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत दिलाने में बहुत मदद करेगा।

अभी हाल ही में सरकार ने देश के एग्रीकल्चर सेक्टर में supply chain को मजबूत करने के लिए, storage सिस्टम को मजबूत करने के लिए “प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना” की शुरुआत की है। इस योजना का मकसद है कि खेत या बाग़ में पैदा होने के बाद जो अनाज या फल मंडी तक पहुंचने से पहले खराब हो जाता है, उसे बचाया जाए। सरकार इस योजना के तहत फूड प्रोसेसिंग सेक्टर को भी मजबूत कर रही है ताकि किसान का खेत एक इंडस्ट्रियल यूनिट की तरह भी काम करें।

फूड पार्क पर, फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी आधुनिक तकनीक पर, नए गोदामों पर, एग्रो-प्रोसेसिंग का पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर सरकार 6 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने जा रही है।

भाइयों और बहनों, समय के साथ ऑर्गैनिक फॉर्मिंग और ऑर्गैनिक प्रॉडक्ट्स की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। सिक्किम की तरह ही देश के कई और राज्यों में 100 प्रतिशत आर्गेनिक State बनने की क्षमता है। विशेषकर हमारे हिमालयन राज्यों में इसे और बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए भी सरकार 10 हजार कलस्टर बनाकर उनमें आर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की योजना पर काम कर रही है।

अभी हाल ही में हमने एक और बड़ा फैसला लिया है। भाइयों और बहनों, अब तक बांस को देश के एक कानून में पेड़ माना जाता था। इस वजह से बांस काटने को लेकर किसानों को बहुत दिक्कत आती थी। अब सरकार ने बांस को पेड़ की लिस्ट से हटा दिया है।

इसका फायदा देश के दूर-दराज इलाके और खासकर उत्तर पूर्व के किसानों को होगा जो Bamboo फर्नीचर, हैंडी-क्राफ्ट के काम में लगे हुए हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि पहले की सरकार द्वारा बनाए गए एक और कानून में बांस को पेड़ नहीं माना गया था।

ये विरोधाभास दस-बारह साल बाद अब दूर किया गया है। साथियों, हमारी सरकार में holistic approach के साथ फैसले लिए जाते हैं। देश की आवश्यकताओं को समझते हुए फैसले लिए जाते हैं। इस तरह के फैसले पहले नहीं लिए जा रहे थे, इसलिए देश का हर व्यक्ति चिंता में था। वो देश को आंतरिक बुराइयों से मुक्त देखने के साथ ही, नई व्यवस्थाओं के निर्माण को भी होते हुए देखना चाहता था।

भाइयों और बहनों, हमारे यहां जो सिस्टम था उसने भ्रष्टाचार को ही शिष्टाचार बना दिया था। कालाधन ही देश के हर बड़े सेक्टर को कंट्रोल कर रहा था। 2014 में देश के सवा सौ करोड़ों ने इस व्यवस्था को बदलने के लिए वोट दिया था। उन्होंने वोट दिया था देश को लगी बीमारियों के परमानेंट इलाज के लिए, उन्होंने वोट दिया था न्यू इंडिया बनाने के लिए।

Demonetization के बाद देश में जिस तरह का behavioural change आया है उसे आप खुद महसूस कर रहे होंगे। स्वतंत्रता के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब भ्रष्टाचारियों को कालेधन के लेन-देन से पहले डर लग रहा है। उनमें पकड़े जाने का भय आया है। जो कालाधन पहले पैरेलल इकॉनॉमी का आधार था, वो Demonetization के बाद Formal Economy में आया है।

बड़ी बात ये भी है कि बैंकिंग सिस्टम में वापस आया ये पैसा अपने साथ सबूत भी लाया है। देश को जो डेटा मिला है, वो किसी खजाने से कम नहीं है। इसी डेटा की माइनिंग से पता चला है कि हमारे देश में एक ही address पर चार-चार सौ, पाँच-पाँच सौ कंपनियां चल रही थीं और एक-एक कंपनी ने दो-दो हजार बैंक अकाउंट खुलवाए हुए थे। ये अजीब विरोधाभास नहीं था क्या? एक तरफ गरीब को बैंक में एक अकाउंट खुलवाने में दिक्कत आती थी और दूसरी तरफ एक कंपनी आसानी से हजारों अकाउंट खुलवा लेती थी।

नोटबंदी के दौरान इन अकाउंट्स में भी जो हेर-फेर किया गया, वो पकड़ में आ रहा है। अब तक ऐसी लगभग सवा दो लाख कंपनियों को de-register किया जा चुका है। इन कंपनियों में जो डायरेक्टर थे, जिनकी जिम्मेदारी थी कि ये कंपनियां सही तरीके से काम करें, उनकी भी जिम्मेदारी फिक्स की गई है। उनके अब किसी और कंपनी में डायरेक्टर बनने पर रोक लगा दी गई है।

साथियों, ये एक ऐसा कदम है, जो हमारे देश में स्वस्थ और स्वच्छ कॉरपोरेट कल्चर को और मजबूत करेगा। GST लागू होना भी देश की आर्थिक स्वच्छता के लिए महत्वपूर्ण कदम है। 70 वर्ष में जो व्यवस्था बन गई थी, कारोबार करने में जो कमजोरियां थीं, जो मजबूरियां थीं, उन्हें पीछे छोड़कर देश अब आगे बढ़ चला है।

GST से भी देश में Transparency का एक नया अध्याय शुरू हुआ है। ज्यादा से ज्यादा व्यापारी भी इस ईमानदार सिस्टम से जुड़ रहे हैं। साथियों, ऐसे ही एक Irreversible Change को आधार नंबर से मदद मिल रही है। आधार एक ऐसी शक्ति है जिससे ये सरकार गरीबों के अधिकार को सुनिश्चित कराना चाहती है।

सस्ता राशन, स्कॉलरशिप, दवाई का खर्च, पेंशन, सरकार की तरफ से मिलने वाली सब्सिडी, गरीबों तक पहुंचाने में आधार की बड़ी भूमिका है। आधार के साथ मोबाइल और जनधन अकाउंट की ताकत जुड़ जाने से एक ऐसी व्यवस्था का निर्माण हुआ है, जिसके बारे में कुछ साल पहले तक सोचा भी नहीं जा सकता था। एक ऐसी व्यवस्था जो Irreversible है।

पिछले तीन वर्षों में आधार की मदद से करोड़ों फर्जी नाम सिस्टम से हटाए गए हैं। अब तो बेनामी संपत्ति के खिलाफ भी ये एक बड़ा हथियार बनने जा रहा है।

भाइयों और बहनों, इस सरकार में सरकारी खरीद के पुराने तरीके को भी पूरी तरह बदला जा चुका है। हमने एक नई व्यवस्था विकसित की है गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस GeM के नाम से।

सरकार में अब इसी के जरिए टेंडर दिए जा रहे हैं और सरकारी सामान की खरीद हो रही है। अब कॉटेज इंडस्ट्री वाला भी, छोटे-छोटे हैंडीक्राफ्ट बनाने वाला भी, Home Made सामान बनाने वाला भी GeM के माध्यम से सरकार को अपना सामान बेच सकता है।

भाइयों और बहनों, हम एक ऐसी व्यवस्था की तरफ बढ़ रहे हैं जिसमें कालाधन पैदा करना, सिस्टम की कमजोरी की वजह से भ्रष्टाचार करने की संभावना कम से कम रह जाएगी।

जिस दिन देश में ज्यादातर खरीद-फरोख्त, पैसे के लेन-देन का एक Technical और Digital Address होने लग गया, उस दिन से Organised Corruption काफी हद तक थम जाएगा। मुझे पता है, इसकी मुझे राजनीतिक तौर पर कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी, लेकिन उसके लिए भी मैं तैयार हूं।

साथियों, जब योजनाओं में गति होती है, तभी देश में प्रगति आती है। कुछ तो परिवर्तन आया होगा जिसकी वजह से सरकार की तमाम योजनाओं की स्पीड बढ़ गई है। साधन वही हैं, संसाधन वहीं हैं, लेकिन सिस्टम में रफ्तार आ गई है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि सरकार ब्यूरोक्रेसी में भी एक नई कार्य-संस्कृति डवलप कर रही है। उसे ज्यादा responsive बना रही है।

• आज इसी का नतीजा है कि जहां पिछली सरकार में हर रोज 11 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनते थे, अब एक दिन में 22 किलोमीटर से ज्यादा नेशनल हाईवे का निर्माण होता है।

• पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में गांवों में 80 हजार किलोमीटर सड़क बनी थी, हमारी सरकार के तीन सालों में 1 लाख 20 हजार किलोमीटर सड़क बनी है। • पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ था, इस सरकार के तीन वर्षों में ये 2100 किलोमीटर से ज्यादा तक पहुंच गया है।

• पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में 2500 किलोमीटर रेल लाइन का बिजलीकरण हुआ था, इस सरकार के तीन सालों में 4300 किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइन का बिजलीकरण हुआ है।

• पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में लगभग 1 लाख 49 हजार करोड़ का capital expenditure किया गया था, इस सरकार के तीन वर्षों में लगभग 2 लाख 64 हजार करोड़ रुपए का capital expenditure किया गया है।

• पिछली सरकार के आखिरी के तीन वर्षों में कुल 12 हजार मेगावॉट की Renewable Energy की नई क्षमता जोड़ी गई थी, इस सरकार के तीन सालों में 22 हजार मेगावॉट से ज्यादा Renewable Energy की नई क्षमता को ग्रिड पावर से जोड़ा गया है।

• पिछली सरकार की तुलना में शिपिंग इंडस्ट्री में विकास की बात करें तो पहले जहां कार्गो हैंडलिंग की ग्रोथ Negative थी, वहीं इस सरकार के तीन सालों में 11 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हुई है।

साथियों, अगर बिल्कुल जमीनी स्तर पर जाकर चीजों को ठीक नहीं किया गया होता, तो क्या ये गति आ पाती? सरकार ये फैसले ले पाती? नहीं। बड़े और स्थाई परिवर्तन ऐसे ही नहीं आते उसके लिए पूरे सिस्टम में बदलाव करने पड़ते हैं। जब ये बदलाव होते हैं तभी देश सिर्फ तीन साल में Ease Of Doing Business की रैकिंग में 142 से 100 पर पहुंच जाता है।

भाइयों और बहनों, आप सभी को पता है, 2014 में जब हम आए तो हमें विरासत में क्या मिला था? अर्थव्यवस्था की हालत, गवर्नेंस की हालत, Fiscal Order और बैंकिंग सिस्टम की हालत, सब बिगड़ी हुई थी। आप लोगों को तब कम शब्दों में यही बात कहनी होती थी, Headline में लिखना होता था, तो कहते थे, Policy Paralysis...।

सोचिए, हमारा देश Fragile Five में गिना जाता था। दुनिया के तमाम देश सोचते थे कि अर्थव्यवस्था के संकट से हम तो उबर लेंगे लेकिन ये Fragile Five खुद तो डूबेंगे ही हमें भी ले डूबेंगे।

आज Globally भारत कहां खड़ा है, किस स्थिति में है, आप उससे भली-भांति परिचित हैं। बड़े हों या छोटे, दुनिया के ज्यादातर देश आज भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहते हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत अपना प्रभाव लगातार बढ़ा रहा है। अब तो रुकना नहीं है, आगे ही बढ़ते जाना है।

साथियों, जब एक राष्ट्र आत्मविश्वास के साथ खड़ा होता है, तो Irreversible और Reversible मायने नहीं रखता। जब एक राष्ट्र आत्मविश्वास के साथ अपने कदम बढ़ाता है, फैसले लेता है, तो वो होता है, जो पिछले 70 साल में नहीं हुआ।

International Court of Justice के चुनाव में भारत की सफलता पूरे विश्व की सोच में आते हुए बदलाव का प्रतीक है। भाइयों और बहनों, जब योग को United Nations में सर्वसम्मति से मान्यता मिलती है, तब उसका Irreversible Rise दिखता है।

जब भारत की पहल पर International Solar Alliance का गठन होता है, तब उसका Irreversible Rise दिखता है।

साथियों, हमारी सरकार ने डिप्लोमेसी को Humanism से जोड़ा है, मानवीय संवेदनाओं से जोड़ा है। जब नेपाल में भूकंप आता है तो सबसे पहले भारत बचाव और सहायता कार्य में लग जाता है। जब श्रीलंका में बाढ़ आती है तो भारत की नौसेना तत्परता से मदद के लिए सबसे पहले पहुँच जाती है। जब मालदीव में पानी का संकट आता है तो भारत से जहाज़ भर-भर के पानी पहुंचाया जाता है। जब यमन में संकट आता है तो भारत अपने चार हज़ार से अधिक नागरिकों को ही नहीं बचाता बल्कि, 48 और देशों के दो हज़ार व्यक्तियों को भी सुरक्षित निकाल लाता है। ये भारत की बढ़ती हुई साख और बढ़ते हुए विश्वास का परिणाम है कि आज विदेश में रह रहे भारतीयो अपना माथा और ऊँचा करके सामने वाले से बात कर रहे हैं।

जब विदेश में “अबकी बार कैमरन सरकार” और “अबकी बार ट्रंप सरकार” के नारे गूंजते हैं, तो ये भारतीयों के सामर्थ्य की स्वीकृति होती है। भाइयों और बहनों, जब हर संगठन, हर समाज, हर व्यक्ति अपने सामर्थ्य को समझते हुए, अपने स्तर पर बदलाव की शुरुआत करेगा, तभी न्यू इंडिया का सपना पूरा होगा। न्यू इंडिया का ये सपना सिर्फ मेरा नहीं है, आपका भी है। आज समय की मांग है कि राष्ट्र निर्माण से जुड़ी हर संस्था देश की आवश्यकताओं को समझते हुए, देश के सामने मौजूद चुनौतियों को समझते हुए, अपने स्तर पर कुछ संकल्प करे।

2022 में, जब देश अपनी स्वतंत्रता के 75 वर्ष का पर्व मनाएगा, तब तक हमें इन संकल्पों को पूरा करना है। मैं आप लोगों को खुद तो कोई सलाह दे नहीं सकता, लेकिन हम सभी के प्रिय, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम की एक बात याद दिलाना चाहता हूं। उन्होंने कहा था -

“हमारे यहां का मीडिया इतना Negative क्यों है? आखिर ऐसा क्यों है कि भारत में हम अपनी ही क्षमताओं और उपलब्धियों से शर्मिंदा रहते हैं? हम इतने महान देश हैं, हमारे पास सफलता की इतनी अद्भुत कहानियां हैं, फिर भी हम उन्हें स्वीकार करने से मना कर देते हैं। आखिर ऐसा क्यों है”?

उन्होंने ये बात कई साल पहले कही थी। आप विद्वत जनों को ठीक लगे तो इस पर कभी अपने यहां से मीनारों में, न्यूज रूमों में चर्चा जरूर करिएगा। मुझे उम्मीद है आप भी जो बदलाव करेंगे, वो Irreversible होंगे।

मेरा इस मंच से देश के पूरे मीडिया जगत को आग्रह है, आप खुद भी संकल्प लीजिए, दूसरों को भी प्रेरित करिए। जैसे आपने स्वच्छ भारत अभियान को अपना मानकर, उसे एक जन-आंदोलन में बदलने में सक्रिय भूमिका निभाई है, वैसे ही संकल्प से सिद्धि की इस यात्रा में भी आगे बढ़कर साथ चलिए।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। एक बार फिर हिंदुस्तान टाइम्स ग्रुप को इस आयोजन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्यवाद,

जय हिंद !!!

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December 06, 2025
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Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।