भारत अपने क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। भारत दुनिया के हर हिस्से में बसे हर भारतीय में मौजूद है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत में वार्षिक प्रवासी भारतीय दिवस में मलाया-भारतीय का सबसे बड़ा दल है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत की आजादी की लड़ाई में मलाया-भारतीयों का बलिदान और संघर्ष भी शामिल है: प्रधानमंत्री मोदी
हर भारतीय की ओर से मैं भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले सभी अज्ञात मलाया-भारतीयों का सम्मान करता हूँ: प्रधानमंत्री
मलाया भारतीय महात्मा गांधी के जीवन और उनके लक्ष्यों से अत्यंत प्रेरित थे: प्रधानमंत्री मोदी
आपकी विरासत की भूमि भारत ने आजादी के बाद से कई उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं: प्रधानमंत्री मोदी
भारत सिर्फ एकजुट ही नहीं है बल्कि इसकी विविधता ही इसकी ताकत है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत एक गौरवान्वित लोकतांत्रिक राष्ट्र है जहाँ के 1.25 अरब लोगों के पास अभी अपनी पूर्ण क्षमता दिखाने का अवसर है: प्रधानमंत्री मोदी
भारत आज दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है; हमारी विकास दर प्रति वर्ष करीब 7.5% है: प्रधानमंत्री
हम सभी स्तरों पर भ्रष्टाचार समाप्त कर रहे हैं। हमारा शासन नीतियों और प्रणालियों से संचालित: प्रधानमंत्री मोदी
हमारे लिए ख़ुशी की बात है कि मलेशिया हमारे सबसे मजबूत भागीदारों और इस क्षेत्र में हमारे करीबी मित्रों में से एक है: प्रधानमंत्री मोदी
हमें आतंकवाद से धर्म को अलग करने की ज़रूरत; समृद्ध भविष्य के लिए शांति एकमात्र नींव है: प्रधानमंत्री मोदी

वणक्कम

मेरे प्यारे मित्रो, भाइयो और बहनो

अनगलिल पालार तमिलनट्टी सरनथावरगल

आपमें से कई लोग तमिलनाडु के हैं।

अनगल अनैवरुक्कुम वणक्कम। सभी को वणक्कम।

इंडियाविन वलारचियिल तमिलनट्टिन पांगु मुक्‍कइम

भारत के विकास में तमिलनाडु की अहम भूमिका है।

नमस्‍कार,

मुझे मलेशिया आकर बहुत खुशी हो रही है। आपके बीच इस विशाल पंडाल में उपस्‍थित होने में मुझे अत्‍यंत हर्ष हो रहा है।

मेरे लिए भारत सिर्फ सरहदों का नाम नहीं है। भारत विश्‍व के हर भाग में मौजूद हर भारतीय के मन में है। भारत आपमें वास करता है।

आज आपके बीच आकर मुझे महान तमिल संत थिरूवल्‍लुवर की पंक्‍तियां याद आती हैं:

‘मित्रता केवल चेहरे पर मुस्‍कान नहीं होती। मित्रता मुस्‍कुराते हुए हृदय की गहराइयों में महसूस की जाती है।’

महात्‍मा गांधी ने एक बार कहा था कि वे थिरूवल्‍लुवर की कृति थिरूकुर्रल को मूल रूप में पढ़ने के लिए तमिल सीखना चाहते हैं, क्‍योंकि ज्ञान का जो खजाना उनके पास है, वह कोई और नहीं दे सकता।

मैं जब भी मलेशिया आया हूं मुझे मित्रता के बारे में संत की कही बात महसूस होती है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं यहां भारत के प्रधानमंत्री की हैसियत से आऊं या बिना इस पद के।

मैंने हमेशा यही मित्रता और स्‍वागत प्राप्‍त किया है। मलय-भारतियों का प्रेम और मित्रता मेरे हृदय में विशेष स्‍थान रखते हैं।

पीढ़ियों पहले आपके कई पूर्वज एक अनजाने देश में आए थे।

आप में से कई लोग अभी हाल में यहां आए हैं।

जब भी आप यहां आए, जिन परिस्‍थितियों में भी यहां आए, समय या दूरी ने आपके मन में भारत के प्रति प्रेम कम नहीं होने दिया।

मैं इसे उत्‍सवों के रंगों और प्रकाश में देखता हूं। वे हमेशा की तरह चमकदार हैं।

मैं इसे संगीत, नर्तकों की भाव-भंगिमाओं, मंदिर की घंटियों और प्रार्थना के उच्‍चारण में पाता हूं।

और, भारत में वार्षिक प्रवासी भारतीय दिवस में मलय-भारतियों की तादाद सबसे अधिक होती है।

और, मलय-भारतीय ‘वाईब्रैंट गुजरात’ को और शानदार बनाते हैं।

भारत और मलेशिया पहले एक ही उपनिवेशी शक्‍ति के अधीन थे। हम दोनों एक दशक के अंतराल में ही आजाद हुए।

और, आजाद भारत मलय-भारतियों के प्रति कृतज्ञ है। भारत के स्‍वतंत्रता संग्राम का गौरव मलय-भारतियों के संघर्षों और बलिदानों से लिखा गया है।

आपके हजारों पूर्वज नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ थे और इंडियन नेशनल आर्मी में शामिल हुए थे। असंख्‍य महिलाएं घर की सुख-सुविधाएं छोड़कर नेताजी सुभाष बोस के साथ कदम मिलाकर चली थीं।

आज मैं कैप्‍टन लक्ष्‍मी सहगल की सहयोगी पुअन श्री कैप्‍टन जानकी अथी नाहप्‍पन को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। वे भारतीय स्‍वतंत्रता संघर्ष की एक अन्‍य महान विभूति रानी झांसी के नाम पर रखी गई ब्रिगेड की सदस्‍य थीं।

मैं हर भारतीय की तरफ से उन सभी गुमनाम मलय-भारतियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्‍होंने आत्‍मबलिदान किया ताकि आजाद भारत का उदय हो सके। उनके बच्‍चों और पौत्रों-नातियों को हृदय से धन्‍यवाद देता हूं।

और, आज यहां कुआलालंपूर में हम अपने भारतीय सांस्‍कृतिक केंद्र का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर रख रहे हैं।

70 वर्ष पूर्व त्रासद और घातक विश्‍व युद्ध समाप्‍त हुआ था।

मैं असंख्‍य भारतीय फौजियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्‍होंने मलेशिया के जंगी मैदानों में अपना बलिदान दिया।

शहीद होने वाले फौजियों में सबसे अधिक संख्‍या सिखों की थी।

उनका खून हमेशा के लिए मलेशिया की मिट्टी में शामिल हो गया है। दोनों देशों के लिए युद्ध ने अहम भूमिका अदा की है। और, मलेशिया की धरती पर गिरे उनके रक्‍त ने दोनों देशों को एक अमिट बंधन में बांध दिया है।

उनकी बहादुरी और कर्तव्‍यपरायणता आज भारत में पंजाब रेजीमेंट, जाट रेजीमेंट और डोगरा रेजीमेंट की सर्वोच्‍च भावना में विद्यमान है।

हम मलेशिया की सरकार के साथ मिलकर यह विचार कर रहे हैं कि पेराक में कंपार युद्धभूमि में शहीद फौजियों की स्‍मृति में एक युद्ध स्मारक का निर्माण करें।

भाईयो और बहनो,

मलय-भारतीय एक तरफ नेताजी के आह्वान पर बहादुरी और जुनून के साथ आगे बढ़ रहे थे और उसी दौरान वे महात्‍मा गांधी के जीवन और मिशन से भी प्रेरित हो रहे थे।

मैं महात्‍मा गांधी की शहादत के कुछ वर्षों के अंदर ही ‘गांधी मेमोरियल हॉल’ बनाने के लिए सुनगई पेटानी के भारतीय समुदाय को सलाम करता हूं।

आप उनसे कभी नहीं मिले थे। महात्‍मा गांधी कभी मलेशिया नहीं आए। लेकिन, उन्‍होंने आपके हृदय को छुआ।

और, एक समुदाय के रूप में आपने मिलजुल कर अपने प्रयासों से यह स्‍मारक बनाया। उनकी स्‍मृति के सम्मान में, उनके सिद्धांतों के सम्‍मान में, उन्‍होंने भारत की मातृभूमि और मानवता के लिए जो कुछ भी किया, उसके सम्‍मान में आपने उनकी स्‍मृति में स्‍मारक का निर्माण किया।

ऐसे कुछ कार्य हैं जो बहुत हृदयस्‍पर्शी हैं : मौन श्रद्धांजलि को आप लोगों ने कार्य रूप में परिवर्तित किया और एक जीवंत स्‍मारक निर्मित किया।

और, मुझे यह घोषणा करते हुए गौरव का अनुभव हो रहा है कि हम ‘गांधी मेमोरियल हॉल’ में गांधी जी की मूर्ति स्‍थापित करेंगे।

आपका सेवा भाव भी बहुत दृढ़ है। और, 2001 में जब मेरे राज्‍य गुजरात में भूकंप आया था, तब मलय-भारतियों ने आगे बढ़कर पीड़ितों की मदद करने के लिए अपने दम पर राहत राशि एकत्र की थी।

स्‍वतंत्रता संग्राम में अपने महान योगदान से लेकर अपनी संस्‍कृति को समृद्ध बनाने तक भारत हमेशा आपके दिलों में विराजमान रहा है।

हमारे मन में आपका एक विशेष स्‍थान है।

मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनो,

भारत की भावना आपके कार्यों में परिलक्षित होती है।

आप भारत की विविधता, भाषाओं, धर्मों और संस्‍कृतियों का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। और, आप समरसता की भावना के साथ मिलजुल कर रहते हैं, न केवल अन्‍य मलय-भारतियों के साथ बल्‍कि सभी मलेशिया वासियों के साथ।

आपकी उपलब्‍धियों पर हमें गर्व होता है। आपने बहुत परिश्रम किया है।  आपने सम्‍मान और शान के साथ अपने जीवन को संवारा है।

और, पीढ़ी दर पीढ़ी आपने राजनीति, सार्वजनिक जीवन, सरकारी और प्रोफेशनल सेवाओं में बहुत उपलब्‍धियां अर्जित की हैं।

आपने व्‍यापार में समृद्धि हासिल की है और खेत-बागान का विकास किया है।

आपने मलेशिया को एक उत्‍कृष्‍ट आधुनिक राष्‍ट्र और आर्थिक रूप से संपन्‍न बनाने में योगदान किया है।

और, आप भारत और मलेशिया संबंधों को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

मलेशिया के केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री डॉ. सुब्रमण्‍यम के योगदान से यह स्‍पष्‍ट होता है। मलय-भारतीय चिकित्‍सक भी हैं, और इस तरह आज एक मलय-भारतीय इस पद पर सुशोभित है।

और, मुझे इस बात की प्रसन्‍नता है कि एक प्रतिष्‍ठित मलय-भारतीय दातू सामी वेल्‍लु भारत और दक्षिण एशिया के सम्बंध में संरचना सहयोग के लिए विशेष दूत हैं।

मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनो,

आप दोनों देशों के बीच मित्रता के जीते-जागते सेतु हैं।

आप भारत और मलेशिया जैसे प्राचीन देशों के बीच संपर्क के परिचायक हैं।

कोरोमंडल और कलिंग के तटों से समुद्री मार्ग के जरिए मलेशिया के साथ व्‍यापार और संस्‍कृति का आदान-प्रदान होता रहा है।

जब व्‍यापार की बात हो, तब गुजराती पीछे नहीं रह सकता है। इसलिए गुजराती भी कारोबार में शामिल हो गए हैं।

केदाह राज्‍य की बुजंग घाटी के अवशेषों में हमें तमिलनाडु के महान पल्‍लव और चोल राजवंशों का गौरव नजर आता है।

मसाला-मार्ग के जरिए हम दोनों एक-दूसरे से जुड़े थे, वहीं से हमारे भोजन में भी वही स्‍वाद आया है।

भिक्षुओं के पद चिन्‍हों में हमारे संबंध देखे जा सकते हैं, जिन्‍होंने बुद्ध की भूमि से शांति का संदेश दक्षिण-पूर्व एशिया पहुंचाया था।

यह हमारी विरासत की समृद्धि है। यही हमारे आधुनिक संपर्क की प्राचीन बुनियाद है।

आज मुझे रामकृष्‍ण मिशन जाने का और वहां स्‍वामी विवेकानंद की मूर्ति का अनावरण करने का सम्‍मान प्राप्‍त हुआ।

यह व्‍यक्‍तिगत रूप से मेरे लिए एक गहरा आध्‍यात्‍मिक क्षण था।  मुझे यह भी स्‍मरण हुआ कि एक सदी से अधिक समय पहले इसी रास्‍ते से होकर स्‍वामी विवेकानंद अमेरिका की अपनी महान यात्रा पर निकले थे।

वहां उन्‍होंने भारत की प्राचीन दृष्‍टि का उल्‍लेख करते हुए विश्‍व एकता का मर्मस्‍पर्शी संदेश दिया था। उन्‍होंने एशियाई संवेदनाओं का उल्‍लेख किया था, जो हमारे एशियाई शताब्‍दी के सपने को पूरा करने के लिए बहुत आवश्‍यक है।

आज जब विश्‍व में बड़ी चुनौतियां सामने हैं, तब मलेशिया की धरती पर उनकी मूर्ति पूरी दुनिया को वे मूल्‍य याद कराती है, जो हमारे समाजों को विभाजित करने वाली खामियों को दूर करने के लिए जरूरी हैं।

और, कल प्रधानमंत्री नजीब और मैं एक साथ ब्रिकफील्‍ड्स में लिटिल इंडिया में तोराना गेट का उद्घाटन करेंगे।

यह भारत की तरफ से मलेशिया को उपहार है और भारत के प्रसिद्ध सांची स्‍तूप की तरह बना है, जो 2000 साल पहले निर्मित किया गया था। यह विश्‍व में सर्वाधिक सम्‍मानित बौद्ध स्‍थलों में से एक है।

अत: जो भी लिटिल इंडिया आएगा उसे शांति का संदेश मिलेगा। उसे मनुष्‍यों और प्रकृति के बीच समरसता का संदेश मिलेगा तथा हमारे दो महान देशों के लोगों के बीच संबंधों का संदेश मिलेगा।

इसके अलावा मूर्ति और गेट मलेशिया की विविधता और समरसता के प्रति सम्‍मान हैं।

मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनो,

मलेशिया की उपलब्‍धियां महान हैं। मलेशिया ने छह दशकों पहले आजादी प्राप्‍त की थी और इस देश के तीन करोड़ लोगों के पास आज गर्व करने के लिए बहुत कुछ है।

उसने गरीबी को लगभग समाप्‍त कर दिया। आज बुनियादी सुविधाएं पूरी आबादी को प्राप्‍त हैं। उसने शत प्रतिशत साक्षरता प्राप्‍त कर लिया है। और, सबको आवश्‍यकतानुसार रोजगार उपलब्‍ध है।

उसका पर्यटन क्षेत्र फल-फूल रहा है। और, उसने प्रकृति के सुंदर उपहारों को संभालकर रखा है।

उसका बुनियादी ढांचा विश्‍व स्‍तरीय है। वह ‘आसान व्‍यापार’ की श्रेणी में बहुत ऊपर है। और, पांच दशकों के दौरान उसने औसत विकास दर 6 प्रतिशत वार्षिक कायम कर रखी है।

और, बेशक यह किसी भी देश के लिए शानदार उपलब्‍धि है।

मलेशिया का एक प्रसिद्ध पर्यटन सूत्र-वाक्‍य है : ‘मलेशिया, वास्‍तविक एशिया’

मलेशिया इस कसौटी पर खरा उतरता है, वहां अनेकता में एकता मौजूद है, वहां परंपरा और आधुनिकता का शानदार मेल है, वहां नवाचार और मेहनत है तथा वहां क्षेत्र में शांति के लिए कार्य किया जाता है।

मित्रो,

आपके वतन भारत ने आजादी के बाद उल्‍लेखनीय उपलब्‍धियां हासिल की हैं।

भारत राष्‍ट्र को उपनिवेश ने कमजोर किया, आजादी के समय देश ने विभाजन सहा।

यह देश अद्वितीय विविधता और विशाल सामाजिक तथा राजनैतिक चुनौतियों का देश है।

सवाल किया जाता था कि क्‍या यह नवजात राष्‍ट्र विकसित भी हो पाएगा ?  कुछ लोग उसका विकास नहीं चाहते थे।

आज भारत न सिर्फ एक है बल्‍कि अपनी विविधता से मजबूती भी हासिल करता है।

ऐसे कई देश हैं, जहां शुरुआत में लोकतंत्र की बड़ी उम्‍मीदें थी, लेकिन वे सारी उम्‍मीदें धरी की धरी रह गईं।

भारत एक गौरवशाली लोकतांत्रिक राष्‍ट्र है। यहां 1.25 अरब लोगों को मताधिकार प्राप्‍त है।

यह एक युवा देश है, जहां 80 करोड़ युवा 35 वर्ष से कम आयु के हैं।

यह ऐसा राष्‍ट्र है जहां सभी नागरिकों को संविधान के तहत समान अधिकार प्राप्‍त हैं, जिनकी अदालतें और सरकार सुरक्षा करती हैं।

हमने कई उपलब्‍धियां प्राप्‍त की हैं। हम खाद्यान, फल, सब्‍जी और दूध के अग्रणी उत्‍पादक हैं।

हमारे वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं कि लोगों की जीवन शैली में सुधार हो। इसके लिए वे अंतरिक्ष अनुसंधान भी कर रहे हैं।

हमने ऊर्जा और चिकित्‍सा के लिए परमाणु शक्‍ति की महारत हासिल कर ली है।

हम टीकों और दवाओं को विकसित कर रहे हैं ताकि स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं गरीब से गरीब लोगों तक पहुंच सकें।

हमारे यहां विश्‍व में सर्वश्रेष्‍ठ सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ तैयार होते हैं।

हमारे यहां दुनिया में सेवाएं देने के लिए डॉक्‍टर और इंजीनियर तैयार होते हैं।

और, हम ऐसे उत्‍पाद बना रहे हैं जो विश्‍व बाजार में पहुंच रहे हैं।

हमारे विदेशी संबंध विश्‍व में शांति स्‍थापित कर रहे हैं।

भारतीय सशस्‍त्र बल क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता में योगदान करते हैं। वे बिना राष्‍ट्रीयता पूछे सभी मानवीय आपदाओं में सहायता करते हैं।

और, हमारे सशस्‍त्र बल पूरी दुनिया में शांति मिशनों में हिस्‍सा लेते हैं।

हमें यहां तक लाने के लिए हम अपने नेताओं की पिछली पीढ़ियों को धन्‍यवाद देते हैं।

लेकिन, हमें पता है कि हमें अभी बहुत दूर जाना है। हम जिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और जिन लक्ष्‍यों को प्राप्‍त करने का प्रयास कर रहे हैं, उन्‍हें गांवों और शहरों में देखा जा सकता है।

मेरी सरकार को परिवर्तन के लिए जनादेश मिला है:

हम अपने लोगों को आधुनिक अर्थव्‍यवस्‍था के लाभ पहुंचा रहे हैं, बैंक और बीमा तक उनकी पहुंच बना रहे हैं और इस तरह गरीबी का उन्‍मूलन कर रहे हैं। हम लोगों को केवल अंतहीन कार्यक्रमों से बांध नहीं रहे हैं।

दुनिया में किस जगह चंद महीनों में ही एक करोड़ 90 लाख बैंक खाते खुले हैं ?

हम लोगों को कौशल और शिक्षा के जरिए सशक्‍त बना रहे हैं।

हम ऐसा माहौल बना रहे हैं, जहां उद्योग फले-फूलें और लोगों को अपनी आय बढ़ाने के अवसर मिलें।

हम ऐसा बुनियादी ढांचा तैयार कर रहे हैं जहां लोगों को छत, पानी, स्‍वच्‍छता, बिजली, स्‍कूल और चिकित्‍सा जैसी बुनियादी सुविधाएं मिलें और इन सुविधाओं तक सबकी पहुंच हो।

हम व्‍यापार बढ़ा रहे हैं। और, हम एक राष्‍ट्रीय डिजीटल संरचना तैयार कर रहे हैं ताकि विचारों, सूचनाओं और संपर्क, व्‍यापार, नवाचार का साईबर स्‍पेस में मुक्‍त प्रवाह संभव हो सके।

हम अपनी रेल को देश में एक नई आर्थिक क्रांति का वाहक बना रहे हैं। और, हम अपने बंदरगाहों एवं हवाई अडडों को समृद्धि के मार्ग में रूपांतरित कर रहे हैं।

और, हमने अपने नगरों को स्‍वच्‍छ एवं स्‍वस्‍थ बनाने, अपनी नदियों का पुनर्निमाण करने और हमारे गांवों को रख-रखाव करने का संकल्‍प किया है।

और, हम प्रकृति के खजानों को पर्यटकों के लिए आनंद उठाने तथा भविष्‍य की पीढियों को दिखाने के लिए संरक्षित रखेंगे।

और, यह सारा कुछ आसान नहीं है। आखिर हम 1.25 अरब लोगों, 500 से अधिक बडे नगरों और छह लाख गांवों की बात कर रहे हैं।

लेकिन, हमें भारतीयों की प्रतिभा एवं उद्यम में विश्‍वास है। हमें अपने लोगों के संयुक्‍त हाथों की ताकत में भरोसा है।

इसलिए, ऐसा हो रहा है। परिवर्तन के चक्र ने घूमना प्रारंभ कर दिया है। और अब उसमें गति आ रही है।

और, यह आंकडों में प्रदर्शित होना शुरू हो गया है।

भारत आज विश्‍व में सबसे तेज गति से बढने वाली अहम अर्थव्‍यवस्‍था है। मैं जानता हूं कि आपको इस पर गर्व महसूस होता है।

हमारी आर्थिक विकास दर 7.5 फीसदी की है पर आगे आने वर्षों में इसमें और तेजी आएगी।

विश्‍व के प्रत्‍येक प्रमुख संस्‍थान ने भारत की तेज विकास दर पर अपना दांव लगा रखा है। ऐसा उस समय है जब इस क्षेत्र के कुछ हिस्‍सों समेत दुनिया के शेष देश मंदी से जूझ रहे हैं।

नगरों में एक परिवर्तन है। गांवों में गति दिख रही है। और, हमारे नागरिकों, विशेष रूप से युवाओं में आत्‍म विश्‍वास दिख रहा है।

और जिस प्रकार से सरकार काम कर रही है, उसमें भी बदलाव दिख रहा है।

हम सरकार को पारदर्शी और जबावदेह बना रहे हैं। हम सभी स्‍तरों से भ्रष्‍टाचार को समाप्‍त कर रहे हैं। हम सरकार को नीतियों और प्रणालियों से चला रहे हैं, व्‍यक्ति विशेषों के निर्णयों से नहीं।

हम सरकार और नागरिकों के एक दूसरे से संपर्क करने के तरीके में बदलाव ला रहे हैं। और केंद्र तथा राज्‍य सरकारें एक दूसरे के साथ मिल कर काम कर रही हैं।

राज्‍य अब एक दूसरे के साथ प्रतिस्‍पर्धा कर रहे हैं। यह स्‍वस्‍थ प्रवृत्ति है।

मेरे प्‍यारे भाईयों,

हम एक अंत:निर्भर विश्‍व में रहते हैं। दूर के किसी देश में क्‍या होता है, उसका प्रभाव अन्‍य स्‍थान पर श्रमिकों की आजीविका पर पड सकता है।

संयुक्‍त राष्‍ट्र या विश्‍व व्‍यापार संगठन के सम्‍मेलन कक्ष में लिए जाने वाले फैसले भारत के किसी गांव में एक किसान के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं।

दुनिया के एक हिस्‍से की जीवन शैली विश्‍व के दूसरे हिस्‍से में जलवायु एवं कृषि को प्रभावित करती है।

हमें एक दूसरे के बाजारों एवं संसाधनों की आवश्‍यकता है।

इसलिए, हमारी राष्‍ट्रीय प्रगति हमारे अंतरराष्‍ट्रीय साझीदारों की ताकत एवं सफलता पर निर्भर करेगी।

हमें मित्रों एवं साझीदारों को ढूंढने  के लिए दूर जाने की आवश्‍यकता नहीं है।

दक्षिण पूर्व एशिया जमीन एवं समुद्र में हमारा पडोसी है। यह दुनिया के सबसे गतिशील एवं शांतिपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यह संस्‍कृति, प्रतिभा, उद्यम एवं कडी मेहनत का क्षेत्र है।

भारत के सभी दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ शानदार संबंध हैं।

हमारी आसियान के साथ एक मजबूत साझीदारी है। मैं अभी तुरंत भारत-आसियान सम्‍मेलन में भाग लेकर आया हूं।

यही वह क्षेत्र है जहां हमारे सभी आर्थिक संबंध तेजी से बढ रहे हैं। और यह सर्वाधिक संख्‍या में भारतीय पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

मित्रों,

मुझे यह कह कर प्रसन्‍नता हो रही है कि मलेशिया हमारे सबसे मजबूत साझीदारों एवं क्षेत्र के हमारे सबसे घनिष्‍ठ मित्रों में से एक है।

बुनियादी ढांचा क्षेत्र में मलेशिया की कंपनियां शानदार हैं। मलेशिया के बाहर उनकी सबसे अधिक उपस्थिति भारत में है।

मलेशिया के निवेशक विश्‍व के दूसरे सबसे बडे दूरसंचार बाजार – भारत में उपस्थित हैं।

भारतीय कंपनी इरकॉन मलेशिया के रेल बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में मदद कर रही है।

मलेशिया में भारत की 150 से अधिक कंपनियां हैं। यहां भारत की आईटी क्षेत्र की 50 से अधिक कंपनियां हैं।

मलेशिया आसियान में हमारे सबसे बडे व्‍यापारिक साझीदारों में से एक है, लेकिन हमें इसे और अधिक बढाने की आवश्‍यकता है।

भारत मलेशिया में पर्यटकों के सबसे बडे स्‍त्रोतों में से एक है। प्रत्‍येक सप्‍ताह भारत और मलेशिया को 170 हवाई उडानें जोडती हैं।

आयुर्वेद एवं यूनानी जैसी पारंपरिक चिकित्‍सा पद्धति में हमारी सबसे अच्‍छी साझीदारियों में से एक मलेशिया के साथ है।

हम अपने नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए भी घनिष्‍ठतापूर्वक साथ मिल कर काम करते हैं।

हमारे मजबूत प्रतिरक्षा संबंध हैं। भारतीय वायु सेना ने दो वर्षों तक मलेशिया की वायु सेना में अपने साझीदारों को प्रशिक्षित किया है।

हम वायु एवं जमीन तथा समुद्र में जो कि हमारा नभ है, एक साथ मिल कर अभ्‍यास करते हैं।

हमारी सुरक्षा एजेंसियां आतंकवाद के खिलाफ साथ मिल कर काम करती हैं। मैं मलेशिया सरकार को हमारे मजबूत सुरक्षा सहयोग के लिए धन्‍यवाद देना चाहता हूं।

आतंकवाद आज विश्‍व में सबसे बडा संकट है। इसकी कोई सीमा नहीं है। यह लोगों को अपने ध्‍येय के लिए उकसाने में धर्म के नाम का इस्‍तेमाल करता है। लेकिन यह गलत है।

और, यह सभी धर्मों के लोगों को मारता है। हमें धर्म को आतंक से अलग करना होगा।

अंतर केवल ऐसे लोगों के बीच है जो मानवता में विश्‍वास करते हैं और जो नहीं करते हैं।

मैंने पहले भी यह कहा है और अब भी यहां यह कहूंगा। विश्‍व को निश्चित रूप से हमारे समय की इस सबसे बडी चुनौती का सामना एक साथ मिल कर करना होगा।

हम खुफिया सहयोग को मजबूत बना सकते हैं। हम सैन्‍य बल का उपयोग कर सकते हैं। हम मजबूत सहयोग के लिए अंतरराष्‍ट्रीय कानूनी प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं।

लेकिन जब मैं कहता हूं कि विश्‍व को अनिवार्य रूप से एक साथ मिल कर काम करना चाहिए, तो यह केवल सुरक्षा सहयोग के लिए नहीं है।

इसका अर्थ यह सुनिश्चित करना भी है कि कोई भी देश आतंकवाद का इस्‍तेमाल न करे या उसे बढावा न दे। कोई शरण स्‍थली न हो। कोई वित्‍त पोषण न हो। कोई हथियार न हो।

लेकिन हमें अपने समाजों के भीतर काम करना होगा तथा युवाओं के साथ मिलकर काम करना होगा। हमें अभिभावकों, समुदायों एवं धार्मिक विद्वानों के समर्थन की जरूरत है। और हमें यह सुनिश्चित करना है कि इंटरनेट भर्ती का आधार न बन सके।

हमें अपने क्षेत्र में शांतिपूर्ण संबंधों, आपसी समझदारी एवं परस्‍पर सहयोग को बढावा देना है। शांति ही एक समृद्ध भविष्‍य का एकमात्र आधार है।

हमारे कई समान हित एवं साझा चुनौ‍तियां हैं। इसलिए, क्षेत्र के सभी देश, चाहे वे बडे हों या छोटे, को यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिल कर काम करना चाहिए कि हमारे राष्‍ट्र सुरक्षित रहें, हमारे समुद्र सुरक्षित एवं व्‍यापार के लिए मुक्‍त रहें और हमारी अर्थव्‍यवस्‍थाएं प्रगति करें।

मित्रों,

मैं हमारे संबंधों को और आगे ले जाने के लिए कल महामहिम प्रधानमंत्री नजीब के साथ मुलाकात करूंगा।

भारत और मलेशिया को घनिष्‍ठ संबंधों से काफी लाभ प्राप्‍त होगा।

हम जो कुछ करना पसंद करेंगे, आप इसका हिस्‍सा होंगे।

आप भारत और मलेशिया के बीच के संबंधों में और अधिक प्राण और ताकत का संचार करेंगे।

हम प्रगति की ओर भारत की यात्रा और इस विशेष संबंध को और आगे ले जाने में हमेशा आपके सहयोग की कामना करेंगे।

लेकिन हम उस प्रेम एवं स्‍नेह को और अधिक महत्‍व देते हैं जो हमें एक साथ बांधे रखता है। क्‍योंकि यह अमूल्‍य है और मूल्‍य के किसी भी माप के बाहर है।

आपने दूरी एवं विनियमनों की कठिनाइयों के बावजूद हमसे संपर्क बनाए रखा। आप हमारी धरोहर की खिडकी हैं और हमारी प्रगति के प्रतिबिंब हैं।

आप भारत और आपके देश के बीच के सेतु हैं।

आप भारत में परिवारों एवं समुदायों का समर्थन करते हैं। आप में से कई लोग एक बच्‍ची को उसके स्‍कूल का रास्‍ता ढूंढने और एक मां को स्‍वास्‍थ्‍य की सुविधा प्रदान करने में मदद करते हैं।

आप ऐसा किसी पुरस्‍कार को पाने या सुर्खियां बटोरने की लालसा के बगैर करते हैं। इसलिए हमें अवश्‍य ही वह करना चाहिए जो हम आपके लिए कर सकते हैं।

हमने ओसीआई एवं पीआईओ कार्डों का विलय कर दिया है और वीजा को जीवन पर्यंत बना दिया है। इसके अतिरिक्‍त, भारतीय मूल का चौथी पीढी तक का युवा अब ओसीआई के लिए योग्‍य है। यह खासकर, मलय भारतीयों जैसे लोगों के लिए मददगार है जिनके पूर्वज यहां कई पीढी पहले आए थे।

अब अवयस्‍क बच्‍चे, जो विदेशी नागरिक हैं तथा विदेशी पति या पत्‍नी भी ओसीआई दर्जा प्राप्‍त कर सकते हैं।

हमने ई-वीसा लागू किया है जिसने यात्रा को और सरल बना दिया है।

यहां, मलेशिया में हमने नौ वीसा संग्रह केंद्रों की स्‍थापना की है। श्रमिकों के लिए कुछ खास देशों में जाने को सुरक्षित एवं सरल बनाने के लिए एक ई-माइग्रेट पेार्टल बनाया गया है। यह अधिकारियों को विदेशी नियोक्‍ताओं के बारे में भी सावधान करता है जिनके खिलाफ मामले लंबित हैं।

विदेशों में मुसीबतग्रस्‍त भारतीय महिलाओं की मदद करने के लिए एक भारतीय समुदाय कल्‍याण कोष तथा निधि भी है।

कई बार भारत से आने वाले श्रमिकों को यहां कठिनाइयों का सामना करना पडता है। उनकी सुरक्षा एवं उनका कल्‍याण हमारी मुख्‍य चिंताओं में से है।

पिछले वर्ष, हमने 8,000 से अधिक भारतीय श्रमिकों को सुरक्षित देश लौटने में मदद की।

मलेशिया में, 1954 में ऐसे मलेशियाई-भारतीय छात्रों को वित्‍तीय सहायता प्रदान करने के लिए एक भारत-छात्र ट्रस्‍ट फंड की स्‍थापना की गई थी जिनके पास पढने के लिए कोई साधन नहीं था।

इस फंड की जरूरत मलेशिया में भारतीय समुदाय के एक वर्ग को अभी भी है। हमें ट्रस्‍ट फंड की राशि के अतिरिक्‍त, लगभग 10 लाख डॉलर की मंजूरी की घोषणा करने में खुशी हो रही है।

आपके हजारों बच्‍चे डॉक्‍टर बनने के लिए भारत जाते हैं। हालांकि डॉक्‍टर हमारे समाजों के लिए एक अहम आवश्‍यकता हैं, मैं उम्‍मीद करता हूं कि आपको अन्‍य क्षेत्रों में भी शिक्षा पाने का अवसर प्राप्‍त होगा।

भारत एवं मलेशिया को हमारे दोनों देशों द्वारा प्रदत्‍त डिग्रियों को तत्‍काल मान्‍यता देनी चाहिए। प्रधानमंत्री नजीब के साथ मुलाकात के दौरान मैं इस मुद्दे को उठाने की भी उम्‍मीद करता हूं।

निष्‍कर्ष के रूप में, मुझे कहने दीजिए कि आपके मूल्‍यों, समाज में आपके रहने के तरीके एवं आपकी उपलब्धियों को लेकर हम कितना गौरवान्वित महसूस करते हैं। चुनौतियां हमेशा बनी रहती हैं लेकिन वहां सपने भी रहते हैं।

और आगे आने वाली हरेक पीढी का निर्धारण उनकी सफलताओं से होता है न कि उनकी चुनौतियों से।

इसलिए, मैं आपसे आग्रह करता हूं कि आप अपने लिए, मलेशिया के लिए और हमारे दोनों देशों के लिए अपने सपनों को पालें।

मैं मानवता के एक बडे प्रतीक, भारत के एक महान पुत्र के शब्‍दों के साथ आपसे विदा लेना चाहता हूं जो तमिलनाडू के तट से आया था।

आधुनिक भारत के जनकों में से एक, पूर्व राष्‍ट्रपति स्‍वर्गीय एपीजे अब्‍दुल कलाम यहां 2008 में आए थे।

वह यहां बार बार आना चाहते थे, लेकिन ईश्‍वर की इच्‍छा कुछ और थी। पर उनका जीवन, उनके संदेश और उनके सपने हमेशा ही प्रेरणा के स्‍त्रोत बने रहेंगे।

उन्‍होंने कहा, ‘ विशेष रूप से युवा पीढी को मेरा संदेश यह है कि वे अलग हट कर सोचने की हिम्‍मत करें,

अन्‍वेषण करने, जिस राह पर कोई नहीं गया, वहां जाने की हिम्‍मत करें,

असंभव की खोज करने की हिम्‍मत करें, और समस्‍याओं को जीतने की हिम्‍मत करें तथा सफलता पाएं।

इसलिए, अपनी सफलता में याद रखें कि आपके लिए प्रसन्‍न और गौरवान्वित होने वाले केवल मलेशिया के लोग नहीं हैं बल्कि 1.25 अरब भारतीय भी हैं।

भगवान आप पर कृपा करे। धन्‍यवाद

वनक्‍कम, नमस्‍ते।

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भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।