प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी हाल की म्यांमार, आस्ट्रेलिया तथा फीजी यात्रा पर ब्लॉग लिखा है। प्रधानमंत्री के ब्लॉग पोस्ट को https://www.narendramodi.in/pm-blogs-on-his-visit-to-myanmar-australia-and-fiji/ पर पढ़ा जा सकता है।

प्रस्तुत है प्रधानमंत्री के ब्लॉग का मूलपाठ

प्रिय मित्रों,

19 तारीख की शाम को मेरी म्यांमार आस्ट्रेलिया और फीजी की यात्रा समाप्त हो गई। मैं स्वदेश लौटते समय पिछले 10 दिनों के बारे में सोच रहा था- हमने क्या हासिल किया, भारत के लिए क्या परिणाम रहे। ठीक इसी समय मेंने अपने ब्लॉग के जरिए आप से अपनी यात्रा की बात साझा करने के बारे में सोचा।

सबसे पहले, इस यात्रा की ऐतिहासिक अनूठेपन को समझना आवश्यक है।

ऑस्ट्रेलिया के संबंध में पिछले 28 वर्षों में किसी प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय यात्रा थी। फीजी ने 33 साल बाद ऐसी यात्रा देखी एक ओर आईटी और संचार क्रांति से दुनिया निकट आयी है तो दूसरी ओर तीन दशकों तक हम स्वयं में महत्वपूर्ण इन दो देशों के तट पर नहीं पहुंच पाये हैं।

मैंने सोचा कि यह बदलना चाहिए।

मैंने फीजी में स्वयं आयोजित प्रशांत द्वीपों के नेताओं की बैठक सहित पाँच बैठकों में भाग लिया और विश्व के 38 नेताओं से मिला। पूर्ण द्विपक्षीय बैठकों की संख्या 20 रही। वास्तव में मेरे पास विश्व के सभी हिस्सों के नेताओं से मिलने का अवसर था। यह बैठकें खुले माहौल में हुई व्यापक रहीं और लाभदायक साबित हुई। हम अनेक विषयों पर आगे बढ़े। मैं कई तरह के कारोबारी नेताओं से भी मिला।

मैंने इन द्विपक्षीय बैठकों में एक बात देखी-कि विश्व नये सम्मान और अपार उत्साह से भारत को देख रहा है। मैं एक ऐसा वैश्विक समुदाय देखता हूं जो भारत के साथ काम में लिए काफी रूचि रखता है।

प्रत्येक नेताओं के साथ हमने बातचीत की कि कैसे हमारे संबंध लंबे, विविध और व्यापक हों। व्यापार और वाणिज्य को मजूबत बनाना, भारत की और उद्योग को आकर्षित करना बातचीत का उद्देश्य रहा। मैं अनेक नेताओं से मिला जो हमारी "मेक इन इंडिया" पहल को लेकर उत्साहित थे और वे भारत आने तथा भारत की और से प्रस्तुत व्यापक और विविध अवसरों का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हैं। मैं इसे सकारात्मक संकेत मानता हूं। पहला यह कि इससे भारत की युवाओं को अनेक अवसर मिलेंगे और ये मौके उन्हें चमकने में सही दिशा देंगे। दुनिया के विकास की गति को ध्यान में रखते हुए ऐसी दिशा आवश्यक हो गई है। अनेक विश्व नेताओं ने अगली पीढ़ी की अवसंरचना तथा स्मार्ट शहर बनाने की हमारी योजना में रुचि दिखाई।

मुझे इस यात्रा के दौरान ऑस्ट्रेलिया और फीजी की संसदों को संबोधित करने का अवसर मिला। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र से आने के कारण लोकतंत्र के इन मंदिरों में आकर हमेशा खुशी होती है और इन चारदिवारियो के भीतर से आये विचारों को साझा करने में प्रसन्नता होती है। दो लोकतांत्रिक देशों के संबंधों से मजबूद कोई और संबंध नहीं होता। मुझे एक और इन देशों के विभिन्न राजनीतिक नेताओं तक पहुंचने का मौका मिला तो दूसरी ओर सहयोग के नये अवसर खुले। वहां के सांसद भारत को लेकर उत्साहित थे। दोनों संसदों में संबोधन किसी भारतीय प्रधानमंत्री के लिए पहले थे। वास्तव में मुझे बताया गया कि फीजी के संसद में मेरा संबोधन विश्व के किसी नेता का पहला संबोधन है। यह व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं लेकिन यह विश्व समुदाय की नज़रों में भारत के 125 करोड़ लोगों के सम्मान को दिखाता है।

भारत ने जी-20 शिखर बैठक में विश्व समुदाय के समक्ष कालेधन के अस्तित्व और उसे वापस लाने का मुद्दा रखा।

मुझे खुशी है कि विश्व समुदाय ने इस विषय पर ध्यान दिया क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जो चुनिन्दा रूप से किसी एक देश को प्रभावित नहीं करता। कालेधन का खतरा विश्व शांति और सौहर्द्ध को अस्थिर करने की क्षमता रखता है। कालाधन आतंकवाद, मनी लॉड्रिंग (धन शोधन) एवं नशीले पदार्थों के व्यापार को अपने साथ लाता है। विधि के शासन के प्रति लोकतंत्र के रूप में दृढ़ प्रतिबद्धता के कारण इस खतरे से लड़ने का दायित्व सामूहिक है और इस विषय को उठाने के लिए जी-20 से अच्छा कोई अवसर नहीं था। सरकारी विज्ञप्ति में इस विषय की चर्चा से हमारे प्रयास फलिभूत हुए।

आशियान शिखर बैठक आशियान देशों के नेतृत्व के साथ काम करने का अवसर था। हमने देशों के समूह और प्रत्येक व्यक्तिगत देश के रूप में गहराई से काम करने के बारे में विचार-विमर्श किया।

यह मेरी मान्यता है कि आशियान और भारत एक साथ नयी सीमाओं की संभावना तलाश सकते हैं। हमारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध हैं और साथ-साथ अपनी युवाओं का उत्साह और ऊर्जा भी है।

मैंने मलेशिया के प्रधानमत्री रजक से किफायती मकानों के बारे में चर्चा की। ब्रूनेई के सुलतान से ऊर्जा विषयों तथा सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली एच सिंग लूंग के साथ शहरी विकास के विषयों पर बातचीत की।

मैं फीजी में प्रशांत द्वीप के देशो के नेताओं से मिला। यह क्षेत्र हमारे लिए महत्वपूर्ण है। मुझे इन प्रत्येक देशों से द्विपक्षीय संबंधो को मजबूत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण और ठोस कदम उठाने की खुशी है। इन देशों के साथ हम बहुत कुछ कर सकते हैं और उनसे बहुत कुछ सीख सकते हैं।

मैं जहां भी गया मुझे लोगों का अपार स्नेह दिखा। मैं तीन देशों के मेजबान नेताओं-राष्ट्रपति थिन सिन, प्रधानमंत्री अबोट और प्रधानमंत्री बैनी मरामा का अत्यंत आभारी हूं। उनकी साथ मेरी व्यक्तिगत मुलाकातों में एक दूसरे देशों के संबंधों को आगे ले जाने पर भी बातचीत हुई। राष्ट्रपति थिन सिन के साथ मेरी बातचीत 3सी- कल्चर (संस्कृति) कल्चर कॉमर्स (वाणिज्य) और कनेक्टिविटी (संपर्क) पर केन्द्रित रही। मैं और प्रधानमंत्री एबोट ऊर्चा, संस्कृति एवं सुरक्षा के विषय पर काफी आगे बढ़े और परमाणु ऊर्जा विषय पर हम सकारात्मरूप से हम आगे बढ़ रहे हैं। सुरक्षा सहयोग के लिए बना ढांचा ऑस्ट्रेलिया के साथ बढ़ते सुरक्षा संबंधों की सटीक मान्यता है। अगले वर्ष ऑस्ट्रेलिया की कंपनियों को भारत आने में आकर्षित करने के लिए 'मेक इन इंडिया' रोड शो किया जाएगा। ऑस्ट्रेलिया के बिजनेस नेताओ के साथ बैठक में मैंने भारत में निवेश करने की उनकी इच्छा और उत्सुकता देखी और इस तरह के रोड शो इस संदर्भ में बहुत मूल्यवान होगा।

मुझे व्यक्तिगत रूप से भारतीय समुदाय का स्नेह छू गया। चाहे म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया फीजी हो मैं शब्दों में उनकी गर्मजोशी का वर्णन नहीं कर सकता। मैंने देखा कि उन्हें भारत और भारत में हो रहे परिवर्तनों पर गर्व है। जैसा कि मैंने सिडनी में भारतीय समुदाय के कार्यक्रम में कहा था, हम लोगों की आकांक्षाओं के प्रति पूरी तरह सचेत हैं और उनके सपनों का भारत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।

मैंने जब आगमन पर बीजा सुविधा तथा ऑस्ट्रेलिया और फीजी में ओसीआई और पीआईओ के विलय की घोषणा कि तो भारतीय डायसपोरा के लोगों के चेहरे पर अपार खुशी थी। हमारा उद्देश्य डायसपोरा को अपनी विकास यात्रा का अभिन्न भाग बनाना है और पिछले कुछ महीनों से इस संबंध में हमारे सक्रिय प्रयास हुए हैं। हम एक वातावरण बनाना चाहते हैं जहां हमारा डायसपोरा भी यह महसूस करे की वे भारत के विकास में योगदान कर सकते हैं। इसी कारण मैंने अप्रवासी भारतीयों से www.mygov.in पर विचारों के आदान-प्रदान जारी रखने का आग्रह किया।

मुझे प्रतिष्ठित मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड स्वागत समारोह याद आ रहा है। प्रधानमंत्री एबोट के विशेषरूप से विमान से मेलबर्न पहुंचने और मेजबानी करने के लिए आभारी हूं जिसमें कपिल देव, सुनील गावस्कर, वीवीएस लक्ष्मण, ऐलेन बोर्डर, स्टीव वॉ, डीन जोन्स एवं ग्लेन मैकग्रैथ शामिल हुए।

मित्रों, पिछली कुछ दिनों कि मेरी पूर्व यात्रा यह याद दिलाने वाली है कि विश्व हमसे क्या अपेक्षा रखता है। मैंने उनकी आंखों में शांतिपूर्ण, स्थायी और विकसित विश्व समुदाय के लिए भारत की भूमिका देखने की लालसा देखी।

मैंने पूरे विश्व में तेजी से हो रहे परिवर्तनों की गति को देखते हुए अपने युवाओं की ऊर्जा भी देखी। मुझे, अति सावधानीपूर्वक, विश्वास है कि विश्वमंच पर भारत सकारात्मक बदलावा ला सकता है।

विश्व नये उत्साह के साथ भारत को देख रहा है। हमें अपने समान मूल्यों एवं लक्ष्यों के प्रति नयी प्रतिबद्धता के साथ परस्पर चलना होगा।

हम एक साथ भारत और शेष विश्व के लिए बेहतर भविष्य की कथा लिखेंगे।

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन पर शोक व्यक्त किया
December 23, 2025

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रख्यात लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। श्री मोदी ने कहा कि हिंदी साहित्य जगत में उनके अमूल्य योगदान का सदैव समरण किया जाएगा।

प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में लिखा:

"ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखक विनोद कुमार शुक्ल जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। हिन्दी साहित्य जगत में अपने अमूल्य योगदान के लिए वे हमेशा स्मरणीय रहेंगे। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति।"