"NCC given exposure in Navy’s diplomatic role in building ‘Bridges of Friendship’ across the seas"
"नौसेना की राजनयिक यात्रा 'बिल्डिंग ब्रिज ऑफ फ्रैंडशिप अक्रास दि सी' में एनसीसी को शामिल होने का अवसर मिला"

राष्ट्रीय कैडिट कोर (एनसीसी) और भारतीय नौसेना के बीच मेलजोल को बढ़ाने की एक पहल के तहत एक स्टॉफ सदस्य के साथ दस एनसीसी कैडिट को फर्स्ट ट्रेनिंग स्क्वार्डन के जलयान के जरिये साल में दो बार  समुद्री यात्रा का अवसर मिलेगा।  इस कार्यक्रम का उद्देश्य न सिर्फ उनकी क्षमताओं को बढ़ाना है बल्कि उन्हें उस महत्वपूर्ण राजनयिक भूमिका से भी परिचित कराना है, जो नौसेना 'बिल्डिंग ब्रिज ऑफ फ्रैंडशिप अक्रास दि सी'  के दौरान निभाती है।

इसके तहत दस एनसीसी कैडिट ट्रेनिंग स्क्वार्डन के जलयान के जरिए रवाना हो चुके हैं और वो 27 सितंबर 2014 से 30 अक्टूबर 2014 के बीच मस्कट, दुबई, मनामा और अल जुबैल जैसे मध्य पूर्व के बंदरगाहों की यात्रा करेंगे। 

आज राष्ट्रीय कैडिट कोर की उपस्थिति देश भर के 15,600 स्कूल और कॉलेजों में है। एनसीसी की 60 से अधिक नौसेना एनसीसी इकाइयां हैं, और इनमें से 38 समुद्र तटीय राज्यों में हैं। भारतीय नौसेना प्रशिक्षण और अन्य प्रशासकीय जरूरतों के लिए एनसीसी की नौसेना इकाई की परंपरागत रूप से मदद करती आई है।

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एनसीसी कैडिटों को एक अन्य ऐतिहासिक और रोचक अवसर मुहैया कराते हुए नौसेना का सामुद्रिक प्रशिक्षण जलयान आईएनएस विक्रांत 14 नवंबर को चैन्नई रवाना होगा, जहां उसे सम्राट राजेंद्र चोल के शासनकाल के शताब्दि समारोह में शामिल होना है। इस जहाज के जरिए एनसीसी कैडिटों को अल्पावधि का सामुद्रिक अनुभव मिलेगा।

इसके साथ ही एनसीसी के साथ नौसेना के संबंध को आगे और मजबूत बनाने के लिए एनसीसी के महानिदेशक एनसीसी अधिकारियों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया है कि वो विभिन्न स्थानों पर नियमित रूप से नौसेना के स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में रहें और कैडिटों के लिए छोटी अवधि की समुद्री यात्रा की व्यवस्था करें। इस कदम से बड़ी संख्या में एनसीसी के नौसेना विंग के कैडिटों को नौसैनिकों के जीवन का अनुभव मिलेगा। इस तरह के अभियान सामुद्रिक प्रशिक्षण जलयान पर भी संचालिय किए जा सकेंगे, जिससे कैडिटों को अनूठा रोमांच और यादगार सामुद्रिक अनुभव मिलेगा। 

नौसेना परंपरागत रूप से एनसीसी अधिकारियों के लिए कोच्चि स्थित सीमैनशिप स्कूल में प्री-कमीशन प्रशिक्षण कोर्स का संचालन करता है। इसके अलावा वो हर साल भारतीय नौसेना अकादमी में कैडिटों के लिए दो सप्ताह के 'एटैचमेंट' का और लोनावला स्थित आईएनएस शिवाजी में एक तकनीकी शिविर का आयोजन भी करती है। इस तरह के एटैचमेंट से कैडिटों को नौसेना के उच्चस्तरीय प्रशिक्षण का फायदा मिलता है। 

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इसके अलावा नौसेना नियमित रूप से एनसीसी की नौसेना विंग के कैडिटों के लिए नियमित रूप से वाटरमैनशिप गतिविधियों का आयोजन करती है। इसमें सागर नौकायन अभियान, रोविंग और याटिंग शामिल है। इन गतिविधियों में मौसम और पानी की अनियमितता के बारे में जानकारी मिलती है, साथ ही कैडिटों में विपरीत परिस्थितियों का सामना करने, आपसी सौहार्द को बढ़ाने और नेतृत्व क्षमता जैसे गुणों का विकास होता है। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नौसेना ने एनसीसी कैडिटों के लिए वाटरमैनशिप सुविधा उपलब्ध कराई है। साथ ही, आईएनएस चिल्का में एनसीसी की वार्षिक प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। आईएनएस चिल्का उड़ीसा में स्थित एक नौसेना प्रशिक्षण संस्थान है। 
इसके अलावा नौसेना नियमित रूप से कई वार्षिक एनसीसी कैंप की मेजबानी करता है, जो उनके पाठ्यक्रम का हिस्सा होते हैं। इसमें नौसेना के जलयानों पर सवारी और समुद्री जीवन की कठोरता का एहसास करने वाले अनुभव शामिल हैं। सामुद्रिक एटैचमेंट और प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन नौसेना के विभिन्न कमांडों में साल में कम से कम दो बार होता है। ये शिविर 12 दिनों के होते हैं, जिसमें एक दिन नौसेना के युद्धपोत की यात्रा का भी है। इन शिविरों में 250 से लेकर 350 के बीच एनसीसी कैडिट शामिल होते हैं। इसके अलावा एनसीसी की नौसेना विंग के लिए हर साल एक 'नौ सैनिक' शिविर का आयोजन भी किया जाता है। इन कैंपों में कुल करीब 590 कैडिट भाग लेते हैं। इस शिविर में समुद्र में युद्धपोतों पर सफर भी शामिल है।

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नैसेना द्वारा हाल में एनसीसी तक पहुंच बढ़ाने के लिए की गई पहल के चलते उम्मीद है कि देश भर में छात्रों और एनसीसी कैडिट समुद्र और नौसेना के अधिक नजदीक आएंगे और उनमें भारतीय सामुद्रिक परंपराओं के प्रति गर्व भी भावना जागेगी। 

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