सामर्थ्यमूलं स्वातंत्र्यं, श्रममूलं च वैभवम्। (किसी भी समाज या राष्ट्र की स्वतंत्रता का स्रोत उसकी शक्ति होती है और उसके गौरव, प्रगति का स्रोत उसकी श्रमशक्ति होती है)
भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कहे गए इन शब्दों के सार में नए भारत के मूल्य स्थापित हैं। यह सशक्त नया भारत पीएम मोदी के विचारों, कार्यों और दूरदर्शिता का परिणाम है।
उन्होंने पूरे देश को इन विचारों और कार्यों के साथ आगे बढ़ाया कि हमारी नीतियां, प्रोसेस, प्रोडक्ट सब कुछ सर्वश्रेष्ठ होना चाहिए क्योंकि तभी हम ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विजन को साकार कर पाएंगे।
इसकी झलक उनके व्यक्तित्व और कृतित्व में भी देखी जा सकती है, जिसके कारण भारत असाधारण समय में असंभव को संभव बनाने में सफल रहा है। वे प्रत्येक भारतीय को ऐसी इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन करते हैं, जिससे 135 करोड़ देशवासियों की भावनाएं और आकांक्षाएं नए भारत के निर्माण में प्रतिबिंबित हों।
विपक्ष द्वारा की गई व्यक्तिगत आलोचनाओं ने कभी भी उन्हें विचलित नहीं किया, बल्कि वे दृढ़तापूर्वक देशहित में निर्णय लेकर राष्ट्र निर्माण के महान दृढ़ लक्ष्यों की खोज में आगे बढ़ते रहे। 2014 के बाद देश के राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्र में आए क्रांतिकारी बदलाव इसका प्रमाण हैं।
भारत की राष्ट्रीय राजनीति में पहली बार सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राष्ट्रवाद को वह स्थान मिला है जिसका वह हकदार था और पूरी दुनिया भारत की ओर सम्मान की दृष्टि से देख रही है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व और नेतृत्व को जाता है।
2014 के बाद के कालखंड में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद उन आयामों को छूने में सफल हुआ है जो सदियों पहले भगवान श्री राम की महिमा और महात्मा बुद्ध के संदेशों के कारण निर्धारित हुए थे, जिन्हें आज भी कई देशों की परंपराओं और जीवन शैलियों में देखा जा सकता है।
जापान के प्रधानमंत्री का भारत आना और मां गंगा की आरती में शामिल होना कोई साधारण बात नहीं है। किसी अरब देश में एक भव्य मंदिर का बनना साधारण कूटनीति का उदाहरण नहीं हो सकता। विश्व की शक्तियां किसी भी निर्णय पर पहुंचने के लिए भारत की ओर देखती हैं; यह किसी भी भारतीय के लिए गौरव की बात है, जिसे साधारण कूटनीतिक क्षमता का परिणाम नहीं माना जा सकता।
प्रधानमंत्री ने देश हित में बड़े फैसले लिए हैं। लेकिन अगर उन्हें लगा कि कोई ऐसा निर्णय है जिसकी खूबियां देशवासियों को समझ में नहीं आ रही हैं या जो उन्हें राज़ी नहीं कर सकता, तो वे उसे वापस लेने में भी संकोच नहीं करते थे। यह जनभावनाओं के सम्मान और लोकतंत्र की खूबसूरती के बेहतरीन संयोजन का प्रतीक है। कठिनतम परिस्थितियों में भी वे जनहित के कार्य करने में सफल रहे।
सभी ने देखा कि 2020-21 में जब देश को कोविड की भयावहता का सामना करना पड़ा, तब भारत सरकार ने न केवल देश में ‘जीवन और आजीविका’ को लेकर चिंतित प्रत्येक भारतीय को सुरक्षा कवच प्रदान किया, बल्कि अन्य देशों को भी मदद पहुंचाई, कई देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराकर ‘वैक्सीन मैत्री’ का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति में उन्होंने भारत का मान इतना ऊंचा किया कि आज भारत के साथ-साथ अन्य देशों में रहने वाले भारतीय भी गर्व से भर गए हैं। आज दुनिया जिस संकट से गुजर रही है, उसके समाधान और वैश्विक शांति की स्थापना के लिए वैश्विक शक्तियां भी भारत की पहल की प्रतीक्षा कर रही हैं।
जीवन के गुरुकुल में शिक्षित और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पाठशाला में प्रशिक्षित श्रद्धेय अटल जी की भावना से प्रेरित पीएम मोदी की ध्यान साधना के बीच जब भी कठिन समय आया, उन्होंने अर्जुन की तरह कहा ‘न दैन्यम्ना पलायनम्’।
पिछले 22 वर्षों से पूरा देश उनकी विचारधारा, उनकी कार्यशैली, उनके विजन और राष्ट्र निर्माण के उनके मिशन का साक्षी है। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने पूरे देश के सामने ‘वाइब्रेंट गुजरात’ के साथ-साथ ‘विकास और सुशासन’ का मॉडल (गुजरात मॉडल) पेश किया, जो कई राज्यों के लिए विकास का आदर्श बन गया।
आजादी के बाद भारत लंबे समय तक सांप्रदायिकता और तुष्टीकरण की नीति से आहत रहा और एक ‘सर्वसमावेशी’ नेतृत्व की चाहत से वंचित रहा। एक ओर समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़ा शोषित और उपेक्षित लोग लंबे समय तक उत्थान की राह देखते रहे और दूसरी ओर देश विश्वगुरु की पुरानी आकांक्षा को थामे रहा।
महात्मा गांधी के बाद किसी ने नहीं सोचा था कि स्वच्छता और सफाई, भारत के विकास का एक शक्तिशाली माध्यम बन जाएगा लेकिन पिछले आठ वर्षों में देश ने इसे साकार होते देखा है।
‘गरीबी हटाओ’ दशकों से एक मुद्दा रहा है, लेकिन गरीबी अभी भी मौजूद है। क्यों? क्योंकि सिर्फ़ नारे गढ़े गए और कोई काम नहीं हुआ। पीएम मोदी के नेतृत्व में इस दिशा में ठोस शुरुआत हुई। उन्होंने ‘JAM Trinity’ (जनधन, आधार और मोबाइल फोन का ट्रिपल संयोजन) के माध्यम से भ्रष्टाचार की व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय लिया और सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे प्रत्येक देशवासी तक पहुंचाया। इसके परिणाम सामने हैं।
यहीं से हमारे देश में शांतिपूर्ण सामाजिक-आर्थिक क्रांति की शुरुआत हुई। सबके लिए आवास, हर घर को बिजली, हर हाथ को काम, सबको शिक्षा, सार्वभौमिक स्वास्थ्य सुविधाएं और स्वच्छता का सपना केवल वही भारतीय देख सकता है जिसके मन में भारत के प्रति अगाध सम्मान और प्रेम हो तथा जिसके मन में हर भारतीय के सपने को पूरा करने की इच्छाशक्ति हो।
समाज और राज्य के कायाकल्प की जो प्रक्रिया मोदी जी ने गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में पंचामृत, सुजलाम सुफलाम, चिरंजीवी, मातृ-वंदना और कन्या कलावाणी जैसी योजनाओं के माध्यम से शुरू की थी, वह अब नए भारत के निर्माण के रूप में आगे बढ़ रही है। मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ जैसी पहल ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण में मील का पत्थर साबित हो रही हैं, जबकि नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदम आर्थिक सुधारों के लिए ऐतिहासिक कदम साबित हुए हैं।
भारतीय संविधान के 21वें चैप्टर में कश्मीर को विशेष दर्जा तथा अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370, एक भारत-श्रेष्ठ भारत के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा की तरह थे। इसको लेकर भारतीयों के मन में हमेशा अपराध बोध रहा। यह प्रधानमंत्री जी की दृढ़ इच्छाशक्ति का ही परिणाम है कि ये दोनों अनुच्छेद समाप्त हो गए हैं और जम्मू-कश्मीर तथा लद्दाख को अब अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों के रूप में नई पहचान मिल गई है।
दूसरे शब्दों में कहें तो एक भारत-श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना साकार हो चुकी है। भारत के सांस्कृतिक विकास के प्रतीक भगवान श्री राम का भव्य मंदिर अयोध्या में आकार ले रहा है। काशी में आधुनिकता और पौराणिकता के साथ काशी विश्वनाथ धाम का प्राचीन वैभव लौट आया है। भारत के विकास की पटकथा में 'स्वच्छता' भी भागीदार बन गई है। जीवनदायिनी मां गंगा निर्मल होकर भारतवासियों को गौरव का अनुभव करा रही है। जीवनदायिनी मां गंगा निर्मल हो रही है और भारतवासियों को गौरव की अनुभूति करा रही है।
हम सभी को नरेन्द्र मोदी जी पर गर्व है, जो दृढ़ इच्छाशक्ति और सर्वसमावेशी विचारों के साथ ‘नए भारत’ की कहानी लिख रहे हैं। वे वास्तव में एक बहुत ही दुर्लभ राजनेता हैं।
लेखक: योगी आदित्यनाथ
स्रोत: द टाइम्स ऑफ इंडिया
डिस्क्लेमर:
(यह उस प्रयास का हिस्सा है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और उनके लोगों पर प्रभाव के बारे में किस्से, विचार या विश्लेषण को संकलित करता है।)
पूर्व भारतीय क्रिकेटर कृष्णमाचारी श्रीकांत ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपनी हार्दिक प्रशंसा व्यक्त की तथा ऐसे क्षणों का जिक्र किया जो प्रधानमंत्री की विनम्रता, गर्मजोशी और प्रेरित करने की अटूट क्षमता को दर्शाते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी मुलाकात को याद करते हुए श्रीकांत कहते हैं, "प्रधानमंत्री मोदी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि जब आप उनसे बात करते हैं और उनसे मिलते हैं, तो आप बहुत सहज महसूस करते हैं, आपको ऐसा नहीं लगता कि वे प्रधानमंत्री हैं। वे बहुत सहज रहेंगे और अगर आप कुछ भी चर्चा करना चाहते हैं और कोई विचार रखना चाहते हैं, तो वे आपको बहुत सहज महसूस कराएंगे, इसलिए आपको डर नहीं लगेगा।"
क्रिकेट लीजेंड ने याद किया कि कैसे उन्होंने एक बार प्रधानमंत्री के सेक्रेटरी को एक टेक्स्ट मैसेज भेजकर 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में जीत के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी थी और वे तब हैरान रह गए जब उन्हें खुद प्रधानमंत्री से पर्सनल रिप्लाई मिला!
श्रीकांत ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम को याद करते हुए कहा, "प्रधानमंत्री मोदी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे आपसे बात करते हैं, आपको सहज महसूस कराते हैं और आपको महत्वपूर्ण महसूस कराते हैं।" उन्होंने बताया कि 2014 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में भी श्री मोदी किस तरह से मिलनसार और विनम्र बने रहे। वे उस कार्यक्रम को याद करते हैं, जिसमें प्रधानमंत्री ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से मंच पर बुलाया था। उन्होंने बताया, "मैं भीड़ में खड़ा था और अचानक उन्होंने मुझे बुलाया। पूरा सभागार ताली बजा रहा था। यही इस व्यक्ति की महानता है।"
क्रिकेट के प्रति प्रधानमंत्री मोदी का जुनून एक और पहलू है जो श्रीकांत के साथ गहराई से जुड़ता है। एक यादगार घटना को याद करते हुए, उन्होंने बताया कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी ने अहमदाबाद में एक सच्चे क्रिकेट प्रेमी की तरह पूरे उत्साह के साथ पूरा मैच देखा।
चुनौतीपूर्ण क्षणों में भी पीएम मोदी का नेतृत्व चमकता है। श्रीकांत बताते हैं कि नवंबर 2023 में टीम इंडिया के विश्व कप हारने के बाद, पीएम मोदी ने टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत रूप से भारतीय ड्रेसिंग रूम का दौरा किया। वे कहते हैं, "पीएम मोदी ने प्रत्येक क्रिकेटर से व्यक्तिगत रूप से बात की। फाइनल हारने के बाद एक क्रिकेटर के रूप में यह बहुत मायने रखता है। प्रधानमंत्री के प्रोत्साहन भरे शब्दों ने शायद भारत को चैंपियंस ट्रॉफी और T20 विश्व कप जीतने के लिए प्रेरित किया है।"
क्रिकेट से इतर, पूर्व भारतीय क्रिकेटर पीएम मोदी की अविश्वसनीय ऊर्जा और फिटनेस के कायल हैं, इसका श्रेय उनके योग और ध्यान की अनुशासित दिनचर्या को देते हैं। वे कहते हैं, "चूंकि पीएम मोदी शारीरिक रूप से बहुत फिट हैं, इसलिए वे मानसिक रूप से भी बहुत तेज हैं। अपने व्यस्त अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के बावजूद, वे हमेशा तरोताजा दिखते हैं।"
कृष्णमाचारी श्रीकांत के लिए, प्रधानमंत्री मोदी सिर्फ़ एक नेता नहीं बल्कि एक प्रेरणास्रोत हैं। उनके शब्द और कार्य भारत की खेल भावना को बढ़ावा देते हैं, जिससे खिलाड़ियों और नागरिकों पर समान रूप से अमिट प्रभाव पड़ता है।
From discussing cover drives to leadership masterstrokes, Narendra Modi connects with hearts like no other! His warmth and wisdom leave a lasting impact on all.
— Modi Story (@themodistory) March 23, 2025
Listen to what cricket legend @KrisSrikkanth has to say about PM Modi! pic.twitter.com/vvCFliKz1i