भारत के 14वें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक ऐसी शख्सियत हैं जिनकी राजनीतिक यात्रा जितनी दिलचस्प है उतनी ही प्रेरणादायक भी। नरेन्द्र मोदी का साधारण पृष्ठभूमि से उठकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और अंततः देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचना, उनकी दृढ़ता, दृष्टि और सार्वजनिक सेवा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

मोदी के प्रारंभिक वर्षों की पहचान, एक हिंदू राष्ट्रवादी संगठन, RSS के साथ उनके जुड़ाव से होती है। 17 सितंबर, 1950 को वडनगर, गुजरात में जन्मे नरेन्द्र मोदी का परिचय कम उम्र में ही RSS से हो गया था और किशोरावस्था के दौरान वे इसकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल हो गए थे। एक साधारण परिवार में उनके पालन-पोषण ने उनमें अनुशासन, कड़ी मेहनत और देश की सेवा के मूल्यों को जन्म दिया, जिससे उनके भविष्य के प्रयासों को आकार मिला। उनका RSS से पहला जुड़ाव तब हुआ, जब वह आठ साल के थे। पारिवारिक चाय की दुकान पर दिन भर काम करने के बाद वह RSS की स्थानीय युवा बैठकों में जाया करते थे। ऐसी बैठकों में शामिल होने का कारण राजनीतिक से कोसों दूर था। यहीं पर उनकी मुलाकात उनके जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव डालने वाले लक्ष्मणराव इनामदार से हुई, जिन्हें 'वकील साहब' के नाम से भी जाना जाता है।

इसी पृष्ठभूमि के साथ करीब 20 साल के नरेन्द्र मोदी, गुजरात के सबसे बड़े शहर अहमदाबाद पहुंचे। वह RSS के नियमित सदस्य बन गए और उनके समर्पण एवं संगठन कौशल ने वकील साहब और अन्य लोगों को प्रभावित किया। 1972 में वह प्रचारक बने और अपना पूरा समय RSS को दिया। उन्होंने अपना आवास अन्य प्रचारकों के साथ साझा किया और कठोर दैनिक दिनचर्या का पालन किया।

उनकी सक्रियता और संगठनात्मक कार्यों की सराहना के रूप में नरेन्द्र मोदी को 'संभाग प्रचारक' बनाया गया। उन्हें दक्षिण और मध्य गुजरात का प्रभार दिया गया। इसी दौरान, उन्हें दिल्ली बुला लिया गया और आपातकाल के समय RSS का आधिकारिक विवरण लिखने के लिए कहा गया। इसका मतलब अधिक काम करना और क्षेत्रीय तथा राष्ट्रीय कर्तव्यों दोनों को संतुलित करना था, जिसे नरेन्द्र मोदी ने आसानी और दक्षता के साथ किया।

मोदी की राजनीतिक यात्रा वास्तव में तब शुरू हुई जब वह 1980 के दशक की शुरुआत में भाजपा में शामिल हुए। उनके संगठनात्मक कौशल और समर्पण ने उन्हें पार्टी रैंकों में तेजी से आगे बढ़ाया और वह जल्द ही एक कुशल रणनीतिकार और प्रभावी वक्ता के रूप में जाने जाने लगे। मोदी ने गुजरात में भाजपा की उपस्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, एक ऐसा राज्य जो बाद में उनके राजनीतिक करियर की आधारशिला बना।

2001 में, नरेन्द्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया, इस पद पर वह अभूतपूर्व 13 वर्षों तक रहे। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को राज्य के लिए एक बदलावकारी दौर के रूप में माना जाता है, जिसमें राज्य तेजी से आर्थिक विकास, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और सामाजिक पहलों का साक्षी बना। उनके नेतृत्व में, गुजरात भारत के सबसे समृद्ध और औद्योगिक राज्यों में से एक बनकर उभरा, जिसने निवेश को आकर्षित किया और रोजगार के अवसर पैदा किए। 2007 और 2012 में विकास के दम पर नरेन्द्र मोदी फिर से गुजरात के मुख्यमंत्री बने।

मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मोदी की गवर्नेंस स्टाइल की खूबी निर्णायकता, नवीनता और विकास पर ध्यान केंद्रित करना था। उन्होंने वाइब्रेंट गुजरात समिट सहित कई महत्वपूर्ण पहलों को लागू किया, जिसने ग्लोबल कम्युनिटी के सामने राज्य की निवेश क्षमता को प्रदर्शित किया। उनके प्रशासन ने गुजरात की आर्थिक सफलता की नींव रखते हुए रोड, पोर्ट्स और पावर प्लांट्स जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को भी प्राथमिकता दी।

चुनौतियों के बावजूद, गुजरात में मोदी की लोकप्रियता मजबूत बनी रही और 2014 में, उन्होंने आम चुनावों में भाजपा को भारी जीत दिलाकर इतिहास रच दिया। 26 मई 2014 को, नरेन्द्र मोदी ने भारत के 14वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, जिससे महत्वाकांक्षी सुधारों और कारोबार-समर्थक एजेंडे द्वारा चिह्नित गवर्नेंस के एक नए युग की शुरुआत हुई।

प्रधानमंत्री के रूप में, मोदी ने भारत के विकास और समृद्धि के लिए अपने विजन को लागू करने में बिलकुल भी समय बर्बाद नहीं किया। उनकी सरकार ने मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और स्वच्छ भारत अभियान जैसी प्रमुख पहल शुरू की, जिसका उद्देश्य मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, इंफ्रास्ट्रक्चर का आधुनिकीकरण करना और देश भर में स्वच्छता और साफ-सफाई में सुधार करना है। इकोनॉमिक ग्रोथ और इनोवेशन पर मोदी के जोर ने उन्हें समर्थकों और आलोचकों से समान रूप से प्रशंसा दिलाई है, कई लोगों ने उन्हें भारत को ग्लोबल इकोनॉमिक सुपरपावर में बदलने में तेजी लाने का श्रेय दिया है।

मई 2019 में शुरू हुआ पीएम मोदी का दूसरा कार्यकाल साहसिक पहल, महत्वाकांक्षी सुधार और महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक चुनौतियों से चिह्नित किया गया है। अपने पहले कार्यकाल की सफलताओं और सबक के आधार पर, मोदी ने आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक विकास पर केंद्रित एजेंडा को आगे बढ़ाया है, जबकि विभिन्न मोर्चों पर आलोचना और विवाद का भी सामना करना पड़ा है।

मोदी के दूसरे कार्यकाल का एक केंद्रीय विषय आर्थिक सुधार और विकास पर निरंतर जोर देना रहा है। सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, नौकरियां पैदा करने और वैश्विक मंच पर भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के उद्देश्य से कई प्रमुख पहल की हैं। मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान पेश किए गए ऐतिहासिक वस्तु एवं सेवा कर (GST) सुधार को कंप्लायंस बोझ को कम करने और कारोबार विस्तार को बढ़ावा देने के लिए और अधिक सुव्यवस्थित और सरल किया गया है।

इसके अतिरिक्त, मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान जैसी पहल की है, जिसका उद्देश्य घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है। इस पहल में छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SME) को समर्थन देने, इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को बढ़ाने और इनोवेशन और आंत्रप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने के उपाय शामिल हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर आलोचकों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि इससे संरक्षणवाद बढ़ेगा और अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंधों पर बुरा असर पड़ेगा। वहीं समर्थकों का तर्क है कि ‘आत्मनिर्भर भारत’, भारत की अर्थव्यवस्था को दीर्घकाल में मजबूत बनाने के लिए जरूरी है।

सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में, मोदी सरकार ने हाशिए पर रहने वाले समुदायों के जीवन में सुधार लाने और सामाजिक समावेशन को बढ़ाने के उद्देश्य से पहल को प्राथमिकता देना जारी रखा है। प्रधानमंत्री जन धन योजना, जिसका उद्देश्य सभी परिवारों के लिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच प्रदान करना है, को बीमा और पेंशन योजनाओं जैसे अतिरिक्त लाभों को शामिल करने के लिए विस्तारित किया गया है। मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान शुरू की गई आयुष्मान भारत योजना का लाखों कमजोर नागरिकों को स्वास्थ्य देखभाल कवरेज प्रदान करने के लिए और विस्तार किया गया है।

दूसरे कार्यकाल को उनकी सरकार की मौजूदा चुनौतियों जैसे कि COVID-19 महामारी, आर्थिक सुधार और भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति के प्रति प्रतिक्रिया द्वारा परिभाषित किया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की विरासत और भारत के विकास एवं समृद्धि के भविष्य की दिशा निर्धारित करने में आत्मनिर्भर भारत जैसे अभियानों और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों की सफलता महत्वपूर्ण होगी।

ट्रांसपोर्ट, एनर्जी और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में महत्वपूर्ण निवेश के साथ, पीएम मोदी की इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के प्रति प्रतिबद्धता उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान भी स्पष्ट हुई है। भारतमाला परियोजना जैसी देशभर में रोड कनेक्टिविटी बेहतर बनाने की पहल और सागरमाला पहल, जो पोर्ट्स और कोस्टल इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण पर केंद्रित है, से पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, मजबूत बॉर्डर और डेवलपमेंट सुनिश्चित करने की उम्मीद है, जिन्हें कभी नजरअंदाज किया गया था।

पीएम मोदी की विदेश नीति पहल भी प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल का एक महत्वपूर्ण पहलू रही है। उन्होंने आर्थिक सहयोग और राजनयिक संबंधों को बढ़ाने के लिए अफ्रीका, दक्षिण पूर्व एशिया और मध्य पूर्व के देशों के साथ जुड़ने के साथ-साथ प्रमुख सहयोगियों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की मांग की है। विदेशी मामलों में मोदी के सक्रिय दृष्टिकोण ने विश्व मंच पर भारत की स्थिति को ऊपर उठाने और देश को वैश्विक मामलों में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद की है। सबसे हालिया G20 कार्यक्रम जो भारत में आयोजित किया गया था, उसमें अफ्रीकन यूनियन को शामिल किया गया था और G20 नई दिल्ली डिक्लेरेशन सबसे सफल घोषणाओं में से एक है, जिसे सभी भाग लेने वाले देशों की पूर्ण सहमति प्राप्त हुई। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत को विभिन्न वैश्विक संस्थानों जैसे इंटरनेशनल सोलर अलायंस, कोएलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर, I2U2 आदि के अध्यक्ष के रूप में भी चुना गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने फर्स्ट रेस्पॉन्डर के रूप में भारत की वैश्विक भूमिका भी देखी, जब भारत ने प्रभावित देशों को सहायता भेजी। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए, बचाव अभियान चलाए, वैश्विक संघर्षों के दौरान नागरिकों को सुरक्षित निकालने से लेकर कोविड महामारी के दौरान जीवन रक्षक टीके प्रदान किए।

प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी अपने साहसी कदमों और महत्वाकांक्षी सुधारों के लिए जाने जाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप भारत का विकास हुआ है। सरकार ने आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में प्रगति की है। गवर्नेंस का फोकस; भारत के गरीबों, युवाओं, किसानों और महिलाओं के उत्थान पर रहा है। पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास' के विजन को, भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पिछले दो कार्यकालों में, उनकी सफलताओं में देखा जा सकता है।

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
Apple exports record $2 billion worth of iPhones from India in November

Media Coverage

Apple exports record $2 billion worth of iPhones from India in November
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।