2014 में कांग्रेस की वंशवाद की राजनीति, बेमेल गठबंधन और भ्रष्ट सरकारों से तंग आकर देश ने नरेन्द्र मोदी को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में वोट दिया। उन्होंने बदलाव और गवर्नेंस में नई दिशा का वादा किया। पिछले आठ वर्षों में उन्होंने इस नए भारत के निर्माण की दिशा में लगातार प्रगति की है। पिछले आठ वर्षों में वे नये भारत के निर्माण की दिशा में लगातार आगे बढ़ रहे हैं।
2014 से पहले भारत के बारे में केवल इतना कहा जाता था कि यह देश एक बड़ा मार्केट ऑपर्च्युनिटी है। यह ऑपर्च्युनिटी स्वीकृत चेतावनियों - शासन संबंधी शिथिलता, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, नीतिगत असंगति, लालफीताशाही और क्रोनी पूंजीवाद के साथ आया। इस स्थिति को 1980 के दशक में ही सामान्य मान लिया गया था, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि दिल्ली से बाहर जाने वाले प्रत्येक एक रुपए में से केवल 15 पैसे ही नागरिकों तक पहुंचते हैं।
मोदी-पूर्व भारत में, कुछ राजनीतिक रूप से जुड़े परिवारों और समूहों ने सभी अवसरों और पूंजी पर कब्जा कर लिया था। उदाहरण के लिए, क्रेडिट सुइस की रिपोर्ट ‘हाउस ऑफ डेट’ में खुलासा किया गया कि भारत की संपूर्ण बैंकिंग प्रणाली की कुल संपत्ति का 98 प्रतिशत हिस्सा 10 प्रभावशाली परिवारों के पास है। उद्यमिता और सफल स्टार्टअप दुर्लभ अपवाद थे। भारत को आम बोलचाल की भाषा में हाथी कहा जाता था - बड़ा, धीमी गति से चलने वाला और बोझिल। टैक्स कलेक्शन से हमारी आय कम रही तथा हमारा टैक्स-जीडीपी रेश्यिो अन्य प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत खराब रहा।
2014 में भारत के नागरिकों ने परिवर्तन के लिए मतदान किया और मोदी को शानदार जनादेश दिया, जिन्होंने एक गरीब परिवार से गुजरात के मुख्यमंत्री बनने तक का सफर तय किया। गुजरात में, उन्होंने पहले ही साबरमती रिवरफ्रंट विकास जैसी परियोजनाओं के माध्यम से अल्पकालिक लोकलुभावनवाद के बजाय मध्यम से दीर्घकालिक परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित करके अपने राजनीतिक और शासन मॉडल में अंतर प्रदर्शित कर दिया था। उन्हें 2019 में एक और मजबूत जनादेश मिला, साथ ही कई राज्य चुनावों में भी।
पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले 3-4 वर्ष अर्थव्यवस्था और शासन संस्थाओं को हुए गहरे नुकसान को दूर करने तथा सरकार में नागरिकों के खोए हुए विश्वास को पुनः स्थापित करने में बिताए। उन्हें एक बिखरी हुई अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी। उन्होंने वित्तीय क्षेत्र, निवेशकों का विश्वास और सरकार में भरोसा फिर से स्थापित किया। उन्होंने सरकार के भीतर कार्य संस्कृति को बदल दिया है तथा सार्वजनिक सेवा को परिवर्तन और समृद्धि के लिए एक सतत अभियान बना दिया है।
कई सुधारों और शासन संबंधी पहलों ने भारत को उसकी वर्तमान ताकत तक सफलतापूर्वक पहुंचाया है लेकिन शुरू से ही टेक्नोलॉजी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता भारत और भारतीयों के लिए अवसरों के बारे में प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता और सहज ज्ञान का प्रमाण है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इसका एक उदाहरण है। डिजिटल इंडिया को तीन स्पष्ट उद्देश्यों के साथ शुरू किया गया था: नागरिकों के जीवन, शासन और लोकतंत्र में बदलाव लाना; डिजिटल इकोनॉमी का विस्तार करना, रोजगार सृजन करना और निवेश आकर्षित करना; और भारत को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अग्रणी बनाना, तथा टेक्नोलॉजी का उपभोक्ता के बजाय प्रदाता बनाना।
डिजिटल इंडिया के प्रदर्शन की रिपोर्ट प्रभावशाली प्रगति दर्शाती है। दिल्ली से जारी किया गया प्रत्येक रुपया बिना किसी देरी या भ्रष्टाचार के लाभार्थियों के बैंक खातों में पहुँचता है। अब तक सरकार ने डीबीटी के माध्यम से 17 लाख करोड़ रुपये से अधिक हस्तांतरित किए हैं, जबकि 2.2 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। आज, भारत में दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता और सबसे जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्टम है, जिसमें करीब 70,000 रजिस्टर्ड स्टार्टअप और लगभग 100 यूनिकॉर्न हैं, जिनमें से हर हफ्ते एक यूनिकॉर्न सामने आ रहा है। इन स्टार्टअप्स की विकास गति उनके कठिन परिश्रम, जुनून, नवाचार करने की क्षमता और पूंजी की उपलब्धता से निर्धारित हुई, न कि राजनीतिक संबंधों या पारिवारिक पृष्ठभूमि से।
जीएसटी और टैक्स कंप्लायंस के माध्यम से अप्रत्यक्ष कराधान में सबसे महत्वपूर्ण सुधार के कारण, भारत ने अब तक का अपना उच्चतम कलेक्शन दर्ज किया है। वित्त वर्ष 21 में राजस्व 22 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में 27 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो 22 प्रतिशत की भारी वृद्धि है। इस वर्ष अकेले केंद्र सरकार बुनियादी ढांचे के निर्माण में 7.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश कर रही है।
कोविड-19 महामारी दुनिया भर के नेताओं के लिए एक अग्निपरीक्षा थी। वैश्विक महाशक्तियाँ तीसरी और चौथी लहर से जूझ रही हैं, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत एक रेजिलिएंट नेशन के रूप में उभरा है। इसने दुनिया का सबसे बड़ा वॉलंटरी और टेक्नोलॉजी-ड्रिवेन वैक्सिनेशन प्रोग्राम चलाकर 200 करोड़ से अधिक टीके सफलतापूर्वक लगाए। भारत ने अपने छोटे व्यवसायों और गरीबों की रक्षा की। महामारी के दौरान शुरू की गई दुनिया की सबसे बड़ी वितरण योजना पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) के तहत गरीबों को खाद्यान्न मिलना जारी है। और जब विश्व की अर्थव्यवस्थाएं लड़खड़ा रही हैं, तब भी पीएम मोदी की नीतियों के परिणामस्वरूप भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बन गया है, जिसने अब तक का सबसे अधिक FDI (83.57 बिलियन डॉलर) आकर्षित किया है। भारत ने गुड्स (400 बिलियन डॉलर) और सर्विसेज (254 बिलियन डॉलर) के निर्यात में भी नये कीर्तिमान स्थापित किए।
डिजिटल इंडिया ने महामारी से निपटने में भारत की भूमिका को महत्वपूर्ण बना दिया है। इसने सुनिश्चित किया कि सरकार देश के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों तक पहुंच सके। स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य आवश्यक सेवाएं तेजी से ऑनलाइन मोड में चली गईं। यह कहना कोई अपवाद नहीं होगा कि कोविड के बाद, भारत
गवर्नेंस के लिए टेक्नोलॉजी के उपयोग में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में उभरा है।
पीएम मोदी द्वारा की गई अथक मेहनत और नए भारत के भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने के कारण, कोविड के बाद भारत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में उभरा है। विश्व का तेजी से डिजिटलीकरण तथा डिजिटल उत्पादों और सेवाओं के लिए ग्लोबल सप्लाई चेन में विश्वास पर नया फोकस, भारत और उसके युवाओं के लिए जबरदस्त अवसर प्रस्तुत करता है। प्रधानमंत्री ने आने वाले दशक को न्यू इंडिया का टेकेड बताया है। प्रधानमंत्री के पिछले आठ वर्षों के समर्पित कार्य के परिणामस्वरूप युवा भारतीयों और स्टार्टअप्स को अभूतपूर्व अवसर प्राप्त हुए हैं। अब यह हम सभी पर निर्भर है कि हम नए भारत की आर्थिक क्षमता को साकार करने के लिए सामूहिक रूप से “सबका प्रयास” करें।
लेखक: राजीव चन्द्रशेखर
डिस्क्लेमर:
(यह उस प्रयास का हिस्सा है जो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और उनके लोगों पर प्रभाव के बारे में किस्से, विचार या विश्लेषण को संकलित करता है।)


