प्रिय मित्रों,
बसंत पंचमी के अवसर पर मैं आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मां सरस्वती हमें अनंत ज्ञान और प्रज्ञा का आशीर्वाद दे। जब-जब इस दुनिया में ज्ञान के युग का आगमन हुआ है, तब भारत पथप्रदर्शक बना है। २१वीं सदी ज्ञान की सदी है और उम्मीद है कि मां सरस्वती की कृपा से हमारा देश एक बार फिर मानवजाति को राह बताएगा।

पिछले महीने गुजरात में खेलकूद का वातावरण छाया रहा। कल ही मैनें खेल महाकुंभ २०१२-१३ के समापन समारोह में भाग लिया था। समग्र राज्य के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के बीच उपस्थित रहने का आनंद अद्भुत था। खेल और खेलभावना के जोश के प्रतिबिंब समान इस विराट खेल महोत्सव में सभी आयु वर्ग के लोगों ने उत्साह से भाग लिया था।
स्वर्णिम जयंती वर्ष के दौरान आयोजित खेल महाकुंभ में तकरीबन १३ लाख खिलाड़ियों ने विविध खेल स्पर्धाओं में भाग लिया था। आज तीन साल के बाद यह आंकड़ा बढ़कर २५ लाख तक जा पहुंचा है। करीब ८ लाख महिला खिलाड़ियों ने खेल महाकुंभ में शिरकत कर इस विराट उत्सव में नारी-शक्ति को उजागर किया। इस खेल महाकुंभ में पुरुष खिलाड़ियों के ४३ और महिला खिलाड़ियों के २९ रिकॉर्ड सहित कुल मिलाकर ७२ नये रिकॉर्ड दर्ज हुए।
इस वर्ष के खेल महाकुंभ में ९२,००० विकलांग खिलाड़ियों ने भी विविध खेलों में भाग लिया। खेल महाकुंभ के तहत मैदान पर उन्हें बेहतरीन प्रदर्शन करते देख अत्यंत संतोष की अनुभूति हुई। इनमें से प्रत्येक खिलाड़ी कई विघ्नों को पार कर यहां तक पहुंचे थे। कभी हार न मानने के उनके जज्बे को मैं दिल से सलाम करता हूं। उनका मनोबल हम सभी के लिए प्रेरणास्पद है।
विकलांग लोगों के लिए खेलकूद की संस्कृति स्थापित करने के लिए हम मुकम्मल प्रयास कर रहे हैं। गत वर्ष स्पेशल ओलंपिक्स फैमिली ने एक पत्र के जरिए खेल महाकुंभ आयोजन के पीछे की वास्तविक अवधारणा की सराहना की थी। हाल ही में दक्षिण कोरिया में आयोजित वर्ल्ड विन्टर गेम (स्पेशल ओलंपिक्स) में स्वर्ण पदक अर्जित करने वाली गुजरात की बेटी माया देवीपूजक को मैनें सम्मानित किया था। अपनी सामान्य परिस्थिति के बावजूद अपनी प्रतिबद्धता के जरिए उसने सफलता का नया कीर्तिमान बनाया। आज समूचा गुजरात उसकी उपलब्धि पर गौरवांवित महसूस कर रहा है।
वर्ष २०१२ के आखिर में यदि अत्यंत लंबे दौर तक चुनाव आचार संहिता लागू न होती तो हम वर्ष २०१२ में ही खेल महाकुंभ का आयोजन कर चुके होते। हालांकि, इस साल हमें दो खेल महाकुंभ देखने को मिलेगा। एक, जिसका समापन कल हुआ और दूसरा खेल महाकुंभ इस वर्ष के आखिर में आयोजित होगा। खेल महाकुंभ से खेलकूद को प्रोत्साहन तो मिलेगा ही, साथ ही खेल के मैदान पर कौशल निर्माण की परिस्थिति भी आकार लेगी। ऐसा नहीं है कि हम महज प्रतिभावान खिलाड़ी ही पैदा करना चाहते हैं, अपितु खेलकूद के साथ जुड़े अन्य सभी अनुषंगिक पहलुओं का विकास करना भी हमारा ध्येय है।
पिछले कई दिनों से एक बात मुझे सता रही है। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (आईओसी) कुश्ती के ‘आधुनिक’ नहीं होने का बेतुका कारण आगे करते हुए वर्ष २०२० के ओलंपिक्स से इसे हटाने पर विचार कर रही है, यह पढ़कर मुझे झटका लगा है। जो खेल मानव संस्कृति के अत्यंत प्राचीनकाल से खेला जा रहा है, उसे ‘आधुनिकता’ के नाम पर दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित खेल महोत्सव से हटाने से ज्यादा अपमानजनक बात और क्या होगी!
भारत में महाभारतकाल से कुश्ती का उल्लेख होता रहा है। ओलंपिक्स में भी कई एशियाई देश कुश्ती में अच्छा-खासा प्रदर्शन कर रहे हैं। लिहाजा, हमारा कर्तव्य है कि सभी एशियाई देश, सरकारें और लोग साथ मिलकर इस एकतरफा और दुर्भाग्यपूर्ण फैसले का विरोध करें। यह जरूरी नहीं कि सिर्फ कुश्ती के खिलाड़ी ही इसका विरोध करें, बतौर खेलप्रेमी हम सभी को इसका विरोध करना चाहिए। और इसके लिए हमें सितंबर, २०१३ में इस बारे में लिए जाने वाले अंतिम निर्णय के दिन तक इंतजार करने की जरूरत नहीं है। यदि हमें कुछ करना है तो आज ही करना होगा।
मुझे उम्मीद है कि आईओसी अन्य किसी सामान्य पहलुओं पर गौर किए बिना सिर्फ खेल और खिलाड़ियों के हित को ध्यान में रखते हुए अपना निर्णय लेगी।
आपका,
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नरेन्द्र मोदी
Watch : Shri Modi addresses the Concluding Ceremony of Khel Mahakumbh 2013 in Ahmedabad










