भारत-यूरोपीय संघ व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (टीटीसी) की दूसरी बैठक 28 फरवरी 2025 को नई दिल्ली में संपन्‍न हुई। भारत की ओर से इसकी सह-अध्यक्षता विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने की। यूरोपीय संघ की ओर से इसकी सह-अध्यक्षता प्रौद्योगिकी संप्रभुता, सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए कार्यकारी उपाध्यक्ष सुश्री हेना विर्कुनेन, व्यापार और आर्थिक सुरक्षा, अंतर-संस्थागत संबंध और पारदर्शिता आयुक्त श्री मारोस शेफोविच और स्टार्टअप, अनुसंधान और नवाचार आयुक्त सुश्री एकातेरिना ज़हरिवा ने की।

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने अप्रैल 2022 में भारत-यूरोपीय संघ टीटीसी की स्थापना की थी, जो व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और सुरक्षा के क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने का एक महत्वपूर्ण द्विपक्षीय मंच है। भारत और यूरोपीय संघ, मुक्‍त बाजार की अर्थव्यवस्थाओं, साझा मूल्यों और बहुलवादी समाजों वाले दो विशाल और जीवंत लोकतंत्रों के रूप में बहुध्रुवीय दुनिया में स्वाभाविक साझेदार हैं।

यूरोपीय संघ और भारत के बीच द्विपक्षीय संबंधों में प्रगाढ़ता तथा बढ़ता रणनीतिक विलयन वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य की बदलती गतिशीलता तथा वैश्विक स्थिरता, आर्थिक सुरक्षा तथा सतत एवं समावेशी विकास को बढ़ावा देने में साझा रुचि को दर्शाता है। इस संबंध में, दोनों पक्षों ने फिर से नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था के महत्व और संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, पारदर्शिता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के सिद्धांतों के लिए पूर्ण सम्मान पर जोर दिया। टीटीसी यूरोपीय संघ और भारत के बीच व्यापार और प्रौद्योगिकी के बीच उत्‍तरोत्‍तर महत्वपूर्ण हो रहे संबंधों, दोनों भागीदारों की अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ाने के लिए इन मुद्दों पर सहयोग की क्षमता और संबंधित सुरक्षा चुनौतियों पर एक साथ काम करने की आवश्यकता के बारे में साझा स्वीकृति को दर्शाती है। दोनों पक्ष सुदृढ़ता बढ़ाने, कनेक्टिविटी को मजबूत करने तथा हरित और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के विकास को आगे बढ़ाने के लिए अपनी साझेदारी की क्षमता पर गौर करते हैं।

भारत-यूरोपीय संघ टीटीसी की पहली बैठक 16 मई 2023 को ब्रुसेल्स में हुई थी। टीटीसी मंत्रिस्तरीय बैठक ने आगे की राह के लिए राजनीतिक मार्गदर्शन प्रदान किया। इसके बाद 24 नवंबर 2023 को वर्चुअल मोड में एक समीक्षा बैठक में तीन टीटीसी कार्य समूहों द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा की गई।

रणनीतिक प्रौद्योगिकियों, डिजिटल गवर्नेंस और डिजिटल कनेक्टिविटी पर कार्य समूह 1

भारत और यूरोपीय संघ ने रणनीतिक प्रौद्योगिकियों, डिजिटल गवर्नेंस और डिजिटल कनेक्टिविटी से संबंधित कार्य समूह 1 के माध्यम से अपने साझा मूल्यों के अनुरूप अपने डिजिटल सहयोग को मजबूत बनाने के महत्व को दोहराया। दोनों पक्षों ने मानव-केंद्रित डिजिटल परिवर्तन तथा एआई, सेमीकंडक्टर, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और 6जी जैसी उन्नत एवं भरोसेमंद डिजिटल प्रौद्योगिकियों के विकास में तेजी लाने के लिए अपनी-अपनी शक्तियों का लाभ उठाने की प्रतिबद्धता जताई, जिससे दोनों अर्थव्यवस्थाओं और समाजों को लाभ होगा। दोनों पक्षों ने इस उद्देश्य के लिए यूरोपीय संघ-भारत अनुसंधान और नवाचार को मजबूत करने के लिए संयुक्त रूप से काम करने की प्रतिबद्धता जताई, ताकि प्रतिस्पर्धा को और बढ़ाया जा सके, साथ ही अपनी आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाया जा सके। दोनों पक्षों ने साइबर-सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्‍टम में वैश्विक संपर्क को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई।

मुक्‍त और समावेशी डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं और डिजिटल समाजों के विकास के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (डीपीआई) के महत्व को स्‍वीकार करते हुए, भारत और यूरोपीय संघ ने अपने-अपने डीपीआई की अंतर-संचालनीयता की दिशा में काम करने हेतु सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की, जो मानवाधिकारों का सम्मान करते हैं और व्यक्तिगत डेटा, गोपनीयता और बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करते हैं। दोनों पक्षों ने तीसरे देशों (यानी जो यूरोपीय संघ के सदस्‍य नहीं हैं) में डीपीआई समाधानों को संयुक्त रूप से बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता जताई और सीमा पार डिजिटल लेनदेन को बढ़ाने और आपसी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए ई-हस्ताक्षरों की पारस्परिक मान्यता की आवश्यकता पर जोर दिया।

दोनों पक्षों ने सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखलाओं की सुदृढ़ता को और मजबूती प्रदान करने तथा सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। इसके लिए, उन्‍होंने चिप डिजाइन, विषम एकीकरण, टिकाऊ सेमीकंडक्टर प्रौद्योगिकियों, प्रक्रिया डिजाइन किट (पीडीके) के लिए उन्नत प्रक्रियाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास आदि के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास की संभावनाओं का पता लगाने पर सहमति प्रकट की। दोनों पक्ष तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने तथा टिकाऊ, सुरक्षित और विविधतापूर्ण सेमीकंडक्टर उत्पादन क्षमता विकसित करके आपूर्ति श्रृंखला की सुदृढ़ता सुनिश्चित करने के लिए यूरोपीय संघ और भारतीय सेमीकंडक्टर इकोसिस्‍टम को मजबूत बनाए जाने को बढ़ावा देंगे। इसके अलावा, उन्होंने एक समर्पित कार्यक्रम विकसित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई जो प्रतिभाओं के आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा तथा छात्रों और युवा पेशेवरों के बीच सेमीकंडक्टर कौशल को बढ़ावा देगा।

दोनों पक्षों ने सुरक्षित, भरोसेमंद, मानव-केंद्रित, टिकाऊ और जिम्मेदार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता दोहराई । इसके अलावा, एआई पर निरंतर और प्रभावशाली सहयोग सुनिश्चित करने के उद्देश्य से, यूरोपीय एआई कार्यालय और भारत एआई मिशन ने सहयोग को व्‍यापक बनाने, नवाचार के इकोसिस्‍टम को प्रोत्साहित करने और भरोसेमंद एआई विकसित करने के लिए सामान्‍य खुले शोध प्रश्नों पर सूचना के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर सहमति व्यक्त की। उन्‍होंने विशाल भाषा मॉडलों पर सहयोग बढ़ाने तथा मानव विकास और सामान्‍य कल्‍याण के लिए एआई की क्षमता का उपयोग करने पर भी सहमति प्रकट की, जिसमें नैतिक और जिम्मेदार एआई के लिए उपकरण और रूपरेखा विकसित करने जैसी संयुक्त परियोजनाएं शामिल हैं। ये प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और जैव सूचना विज्ञान के क्षेत्रों में उच्च प्रदर्शन कंप्यूटिंग अनुप्रयोगों पर अनुसंधान और विकास सहयोग के तहत की गई प्रगति पर आधारित होंगे।

भारत और यूरोपीय संघ ने अनुसंधान और विकास प्राथमिकताओं को संरेखित करने तथा सुरक्षित और विश्वसनीय दूरसंचार और सुदृढ़ आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए भारत 6 जी एलायंस और ईयू6 जी स्मार्ट नेटवर्क एंड सर्विस इंडस्‍ट्री एसोसिएशन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने का स्वागत किया। दोनों पक्ष अंतर-संचालन योग्य वैश्विक मानकों को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान देने के साथ आईटी और दूरसंचार मानकीकरण पर सहयोग बढ़ाएंगे।

इसके अलावा, दोनों पक्ष डिजिटल कौशल अंतर को पाटने, प्रमाणन की पारस्परिक मान्यता का पता लगाने और कुशल पेशेवरों के कानूनी मार्गों और प्रतिभाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की दिशा में काम करने पर सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने सितंबर 2024 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में सर्वसम्मति से स्वीकृत ग्‍लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट के कार्यान्वयन की दिशा में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की, जो उनके साझा उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। उन्होंने यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया कि आगामी वर्ल्ड समिट ऑन द इंफॉर्मेशन सोसाइटी +20 इंटरनेट गवर्नेंस के बहु-हितधारक मॉडल के लिए वैश्विक समर्थन बनाए रखे और उसे संवर्धित करे।

स्वच्छ एवं हरित प्रौद्योगिकियों पर कार्य समूह 2

भारत और यूरोपीय संघ ने स्वच्छ और हरित प्रौद्योगिकियों पर कार्य समूह 2 के तहत भारत और यूरोपीय संघ के लिए क्रमशः 2070 और 2050 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्‍य को प्राप्त करने के लिए चिन्हित किए गए प्राथमिकता वाले कार्यों के महत्व पर बल दिया। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नई स्वच्छ प्रौद्योगिकियों और मानकों में महत्वपूर्ण निवेश की आवश्यकता होगी। अनुसंधान और नवाचार (आरएंडआई) पर जोर देने से यूरोपीय संघ और भारत के बीच तकनीकी सहयोग और सर्वोत्तम प्रथाओं के आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा। समानांतर रूप से, बाजार में तेजी के लिए तकनीकी नवाचारों का समर्थन करने से भारतीय और यूरोपीय संघ के उद्यमों की संबंधित बाजारों तक पहुंच बढ़ेगी और नवीन प्रौद्योगिकियों को व्यापक रूप से अपनाने में सुविधा होगी। इससे भारतीय और यूरोपीय संघ के इनक्यूबेटरों, एसएमई और स्टार्ट-अप्स के बीच सहयोग और ऐसी प्रौद्योगिकियों में मानव संसाधन क्षमता और क्षमता के निर्माण के लिए संभावनाएं खुलती हैं।

इस संबंध में, दोनों पक्षों ने इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए बैटरियों के पुनर्चक्रण, समुद्री प्लास्टिक कचरे और अपशिष्ट से हाइड्रोजन पर असाधारण समन्वित आह्वान के माध्यम से संयुक्त अनुसंधान सहयोग पर सहमति व्यक्त की। इसके लिए अनुमानित कुल संयुक्त बजट होराइज़न यूरोप प्रोग्राम और उसके अनुरूप भारतीय योगदान से लगभग 60 मिलियन यूरो होगा। ईवी के लिए बैटरियों के पुनर्चक्रण के संबंध में, विभिन्न प्रकार की लचीली/कम लागत वाली/पुनर्चक्रण में आसान बैटरियों के माध्यम से बैटरी की चक्रीयता पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। समुद्री प्लास्टिक कचरे के संबंध में, जलीय कचरे का पता लगाने, मापने और विश्लेषण करने और समुद्री पर्यावरण पर प्रदूषण के संचयी प्रभाव को कम करने के लिए प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। अपशिष्ट से हाइड्रोजन के संबंध में, बायोजेनिक कचरे से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए अधिक दक्षता वाली प्रौद्योगिकियों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

दोनों पक्षों ने भविष्य की कार्रवाई के आधार के रूप में सहयोग के चिन्हित क्षेत्रों में विशेषज्ञों के बीच महत्वपूर्ण आदान-प्रदान के महत्व को याद किया। भारतीय विशेषज्ञों ने जनवरी 2024 में इटली के इसप्रा में जॉइंट रिसर्च सेंटर (जेआरसी) ई-मोबिलिटी लैब में ईवी इंटरऑपरेबिलिटी और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी (ईएमसी) पर प्रशिक्षण और परस्‍पर सीखने के अभ्यास में भाग लिया। इसके अलावा, भारत के साथ चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर मानकीकरण प्रक्रियाओं में ईयू-भारतीय संवाद और उद्योग की भागीदारी को गहन बनाने के लिए ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई), पुणे, भारत और ऑनलाइन में ईवी चार्जिंग टेक्नोलॉजीज (मानकीकरण और परीक्षण) पर एक संयुक्त हाइब्रिड कार्यशाला आयोजित की गई। दोनों पक्षों ने ईवी की बैटरी के पुनर्चक्रण के लिए प्रौद्योगिकी में भारतीय और यूरोपीय संघ के स्टार्टअप के बीच आदान-प्रदान की पहचान, समर्थन और आयोजन के लिए एक मैचमेकिंग इवेंट का भी आयोजन किया। विशेषज्ञों ने समुद्री प्लास्टिक कचरे के लिए मूल्यांकन और निगरानी उपकरणों के बारे में भी संयुक्त रूप से चर्चा की। अंत में, समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से प्रभावी रूप से निपटने के लिए सभी हितधारकों को शामिल करते हुए व्यावहारिक समाधान के लिए यूरोपीय संघ-भारत सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक "आइडियाथॉन" तैयार किया जा रहा है।

दोनों पक्षों ने ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए मानकों को सुसंगत बनाने के लिए सहयोग की संभावनाएं तलाशने पर सहमति जताई, जिसमें ई-मोबिलिटी के क्षेत्र में सुसंगत परीक्षण समाधानों और ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए सहयोगपूर्ण, पूर्व-मानक अनुसंधान शामिल हैं। उन्‍होंने हाइड्रोजन से संबंधित सुरक्षा मानकों, मानकों के विज्ञान के साथ-साथ अतीत में संयुक्त रूप से आयोजित शोध परियोजनाओं के परिणामों के रूप में अपशिष्ट जल उपचार प्रौद्योगिकियों के बाजार में उपयोग के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के तरीकों का पता लगाने पर भी सहमति प्रकट की।

व्यापार, निवेश और सुदृढ़ मूल्य शृंखलाओं पर कार्य समूह 3

भारत और यूरोपीय संघ ने, भारत और यूरोपीय संघ के बीच घनिष्ठ आर्थिक साझेदारी कायम करने के उद्देश्य से व्यापार, निवेश और सुदृढ़ मूल्य शृंखलाओं पर कार्य समूह 3 के तहत उपयोगी चर्चाओं पर ध्यान दिया। उत्‍तरोत्‍तर चुनौतीपूर्ण हो रहे भू-राजनीतिक संदर्भ में, दोनों पक्षों ने धन और साझा समृद्धि बनाने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। कार्य समूह 3 के तहत कार्य, मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), निवेश संरक्षण समझौते (आईपीए) और भौगोलिक संकेत समझौते पर चल रही वार्ताओं का पूरक है जो अलग-अलग ट्रैक पर आगे बढ़ रहे हैं।

दोनों पक्षों ने पारदर्शिता, पूर्वानुमेयता, विविधीकरण, सुरक्षा और स्थिरता को प्राथमिकता देते हुए सुदृढ़ और भविष्य के लिए तैयार मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई। दोनों पक्षों ने कृषि-खाद्य, सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) और स्वच्छ प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और वैश्विक चुनौतियों का सामना करने में सक्षम मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इन तीनों क्षेत्रों में कार्य योजनाओं पर सहमति व्यक्त की।

कृषि क्षेत्र में, भारत और यूरोपीय संघ खाद्य सुरक्षा के लिए आकस्मिक योजना पर सहयोग करने का इरादा रखते हैं और जलवायु-अनुकूल व्यवहारों, फसल विविधीकरण और बुनियादी ढांचे में सुधार के संबंध में साझा अनुसंधान और नवाचारों की जरूरतों पर साझा प्रयासों का स्वागत करते हैं, जैसा कि जी-20 फ्रेमवर्क के माध्यम से सहयोग के लिए बढ़ावा दिया गया है। फार्मास्युटिकल क्षेत्र में, दोनों पक्षों का उद्देश्य कमजोरियों का मानचित्रण करके, टिकाऊ विनिर्माण को बढ़ावा देकर और व्यवधानों को रोकने के लिए प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली स्थापित करके सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री (एपीआई) आपूर्ति श्रृंखलाओं में पारदर्शिता और सुरक्षा को बढ़ाना है। स्वच्छ प्रौद्योगिकी सहयोग क्षेत्रीय क्षमताओं और निवेश प्रोत्साहनों और अनुसंधान, विकास और नवाचार प्राथमिकताओं के साथ-साथ कमजोरियों का आकलन करने के तरीकों पर जानकारी का आदान-प्रदान करके, व्यापार बाधाओं को कम करने के तरीकों पर चर्चा करके और आपूर्ति श्रृंखलाओं के संभावित तालमेल की तलाश करके सौर ऊर्जा, अपतटीय पवन और स्वच्छ हाइड्रोजन के लिए आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने पर केंद्रित है। इन क्षेत्रों में, भारत और यूरोपीय संघ निवेश को बढ़ावा देने, सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करने और नियमित संवादों, अनुसंधान सहयोगों और व्यवसाय-से-व्यवसाय सहभागिता के माध्यम से जोखिमों को कम करने, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन और सतत आर्थिक विकास सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं।

दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि टीटीसी ढांचे के भीतर सहयोग के माध्यम से बाजार तक पहुंच के उपयुक्‍त प्राथमिकता वाले मुद्दों का समाधान किया जा रहा है। यूरोपीय संघ पक्ष ने यूरोपीय संघ के अनेक संयंत्रों के उत्पादों के विपणन को मंजूरी देने के लिए भारतीय पहल की सराहना की, जबकि भारतीय पक्ष ने कई भारतीय जलीय कृषि प्रतिष्ठानों की सूची बनाने और कृषि जैविक उत्पादों के लिए समानता के मुद्दे को उठाने की सराहना की। दोनों पक्ष टीटीसी समीक्षा तंत्र के तहत इन विषयों पर अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने और एक-दूसरे द्वारा उठाए गए शेष मुद्दों पर अपनी भागीदारी जारी रखने पर सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की जांच में सर्वोत्तम प्रथाओं के संबंध में हुए आदान-प्रदान पर गौर किया, जो आर्थिक सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए उत्‍तरोत्‍तर बढ़ते महत्व का क्षेत्र है।

भारत और यूरोपीय संघ ने मौजूदा चुनौतीपूर्ण भू-राजनीतिक संदर्भ में बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत किया। साथ ही, उन्होंने विश्व व्यापार संगठन में आवश्यक सुधार लाने की आवश्यकता को स्‍वीकार किया ताकि यह सदस्यों के हित के मुद्दों को कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से हल करने में सक्षम हो सके। दोनों पक्षों ने एक कार्यशील विवाद निपटान प्रणाली के महत्व को भी स्‍वीकार किया। इस उद्देश्य के लिए, वे एमसी14 सहित डब्ल्यूटीओ को ठोस परिणाम देने में मदद करने के लिए अपनी बातचीत और सहभागिता को व्‍यापक बनाने पर सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने कई द्विपक्षीय चैनलों के माध्यम से व्यापार और डीकार्बोनाइजेशन पर गहन चर्चा की है और हितधारकों के साथ मिलकर खासकर यूरोपीय संघ के कार्बन बॉर्डर मेकेनिज्म (सीबीएएम) के कार्यान्वयन परकाम किया है । दोनों पक्षों ने सीबीएएम कार्यान्वयन से विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए उत्पन्न चुनौतियों पर चर्चा की और उन्‍हें हल करना जारी रखने पर सहमत हुए।

सह-अध्यक्षों ने टीटीसी के तहत अपनी भागीदारी बढ़ाने और उसे और गहन बनाने तथा टीटीसी की इस सफल दूसरी बैठक में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्धता दोहरायी। वे एक वर्ष के भीतर टीटीसी की तीसरी बैठक के लिए फिर से मिलने पर सहमत हुए।

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