कुवैत राज्य के महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के निमंत्रण पर, भारत के प्रधानमंत्री महामहिम श्री नरेन्द्र मोदी ने 21-22 दिसंबर 2024 को कुवैत की आधिकारिक यात्रा की। यह उनकी कुवैत की पहली यात्रा थी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 21 दिसंबर 2024 को कुवैत में 26वें अरेबियन गल्फ कप के उद्घाटन समारोह में महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के 'सम्मानित अतिथि' के रूप में भाग लिया।

कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह और कुवैत के क्राउन प्रिंस शेख सबा अल-खालिद अल-सबाह अल-हमद अल-मुबारक अल-सबाह ने 22 दिसंबर 2024 को बयां पैलेस में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अगवानी की और उनका औपचारिक स्वागत किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कुवैत राज्य का सर्वोच्च पुरस्कार 'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' प्रदान करने के लिए कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के प्रति अपनी गहरी सराहना व्यक्त की। राजनेताओं ने आपसी हित के द्विपक्षीय, वैश्विक, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।

पारंपरिक, घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों और सभी क्षेत्रों में सहयोग को प्रगाढ़ करने की इच्छा को देखते हुए, दोनों राजनेताओं ने भारत और कुवैत के बीच संबंधों को 'रणनीतिक साझेदारी' के स्तर तक बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि यह दोनों देशों के साझा हितों के अनुरूप है और दोनों देशों के लोगों के पारस्परिक लाभ के लिए है। दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की स्थापना से हमारे दीर्घकालिक ऐतिहासिक संबंधों को और व्यापक तथा प्रगाढ़ बनाया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कुवैत राज्य के प्रधानमंत्री महामहिम शेख अहमद अब्दुल्ला अल-अहमद अल-जबर अल-मुबारक अल-सबाह के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। नव स्थापित रणनीतिक साझेदारी के आलोक में, दोनों पक्षों ने राजनीतिक, व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, ऊर्जा, संस्कृति, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और लोगों के आपसी संबंध सहित प्रमुख क्षेत्रों में व्यापक और व्यवस्थित सहयोग के माध्यम से द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

दोनों पक्षों ने साझा इतिहास और सांस्कृतिक समानताओं पर आधारित सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों को याद किया। उन्होंने विभिन्न स्तरों पर नियमित बातचीत पर संतोष व्यक्त किया, जिसने बहुआयामी द्विपक्षीय सहयोग में गति पैदा करने और उसे बनाए रखने में मदद की है। दोनों पक्षों ने मंत्रिस्तरीय और वरिष्ठ-अधिकारी स्तरों पर नियमित द्विपक्षीय आदान-प्रदान के माध्यम से उच्च स्तरीय आदान-प्रदान में हाल की गति को बनाए रखने पर जोर दिया।

दोनों पक्षों ने भारत और कुवैत के बीच हाल ही में सहयोग पर संयुक्त आयोग (जेसीसी) की स्थापना का स्वागत किया। जेसीसी दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा और निगरानी करने के लिए एक संस्थागत व्यवस्था होगी और इसका नेतृत्व दोनों देशों के विदेश मंत्री करेंगे। विभिन्न क्षेत्रों में हमारे द्विपक्षीय सहयोग को और बढ़ाने के लिए, स्वास्थ्य, जनशक्ति और हाइड्रोकार्बन पर मौजूदा जेडब्ल्यूजी के अलावा व्यापार, निवेश, शिक्षा और कौशल विकास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी, कृषि और संस्कृति के क्षेत्रों में नए संयुक्त कार्य समूह (जेडब्ल्यूजी) स्थापित किए गए हैं। दोनों पक्षों ने जल्द से जल्द जेसीसी और इसके तहत जेडब्ल्यूजी की बैठकें आयोजित करने पर जोर दिया।

दोनों पक्षों ने कहा कि व्यापार दोनों देशों के बीच एक स्थायी कड़ी रहा है और द्विपक्षीय व्यापार में और वृद्धि व विविधीकरण की संभावना पर जोर दिया। उन्होंने व्यापारिक प्रतिनिधिमंडलों के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने और संस्थागत संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

यह मानते हुए कि भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ रही उभरती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और कुवैत की महत्वपूर्ण निवेश क्षमता को स्वीकार करते हुए, दोनों पक्षों ने भारत में निवेश के विभिन्न अवसरों पर चर्चा की। कुवैती पक्ष ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और विदेशी संस्थागत निवेश के लिए अनुकूल वातावरण बनाने में भारत द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत किया तथा प्रौद्योगिकी, पर्यटन, स्वास्थ्य सेवा, खाद्य-सुरक्षा, लॉजिस्टिक्स सहित विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के अवसरों का पता लगाने में रुचि व्यक्त की। उन्होंने कुवैत के निवेश अधिकारियों और भारतीय संस्थानों, कंपनियों और कोषों के बीच घनिष्ठ और अधिक जुड़ाव की आवश्यकता को स्वीकार किया। उन्होंने दोनों देशों की कंपनियों को अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश करने और भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने दोनों देशों के संबंधित अधिकारियों को द्विपक्षीय निवेश संधि पर चल रही बातचीत को तेजी से आगे बढ़ाने और पूरा करने का भी निर्देश दिया।

दोनों पक्षों ने ऊर्जा क्षेत्र में अपनी द्विपक्षीय साझेदारी को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। द्विपक्षीय ऊर्जा व्यापार पर संतोष व्यक्त करते हुए, वे इस बात पर सहमत हुए कि इसे और बढ़ाने की क्षमता मौजूद है। उन्होंने सहयोग को क्रेता-विक्रेता संबंध से आगे अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों में अधिक सहयोग के साथ व्यापक साझेदारी में बदलने के तरीकों पर चर्चा की। दोनों पक्षों ने तेल और गैस के अन्वेषण और उत्पादन, रिफाइनिंग, इंजीनियरिंग सेवाओं, पेट्रोकेमिकल उद्योगों, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए दोनों देशों की कंपनियों को समर्थन देने की इच्छा व्यक्त की। दोनों पक्षों ने भारत के रणनीतिक पेट्रोलियम रिजर्व कार्यक्रम में कुवैत की भागीदारी पर चर्चा करने पर भी सहमति व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि रक्षा, भारत और कुवैत के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है। दोनों पक्षों ने रक्षा के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया जो संयुक्त सैन्य अभ्यास, रक्षा कर्मियों के प्रशिक्षण, तटीय रक्षा, समुद्री सुरक्षा, रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास और उत्पादन सहित द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को और मजबूत करने के लिए आवश्यक रूपरेखा प्रदान करेगा।

दोनों पक्षों ने सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की स्पष्ट रूप से निंदा की और आतंकवाद के वित्तपोषण नेटवर्क और सुरक्षित ठिकानों को बाधित करने और आतंकी बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का आह्वान किया। सुरक्षा के क्षेत्र में वर्तमान में चल रहे द्विपक्षीय सहयोग की सराहना करते हुए, दोनों पक्षों ने आतंकवाद-रोधी अभियानों, सूचना और खुफिया जानकारी साझा करने, अनुभवों, सर्वोत्तम तौर-तरीकों और प्रौद्योगिकियों के विकास व आदान-प्रदान, क्षमता निर्माण में सहयोग बढ़ाने और कानून प्रवर्तन, धन शोधन विरोधी, मादक पदार्थों की तस्करी और अन्य अंतरराष्ट्रीय अपराधों में सहयोग को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। दोनों पक्षों ने साइबर सुरक्षा में सहयोग को बढ़ावा देने के तरीकों और उपायों पर चर्चा की, जिसमें आतंकवाद, कट्टरपंथ और सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए साइबरस्पेस के उपयोग की रोकथाम शामिल है। भारतीय पक्ष ने "आतंकवाद का मुकाबला करने और सीमा सुरक्षा के लिए सुदृढ़ तंत्र बनाने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने - दुशांबे प्रक्रिया का कुवैत चरण" पर चौथे उच्च स्तरीय सम्मेलन के परिणामों की प्रशंसा की, जिसे 4-5 नवंबर, 2024 को कुवैत राज्य द्वारा आयोजित किया गया था।

दोनों पक्षों ने स्वास्थ्य सहयोग को द्विपक्षीय संबंधों के महत्वपूर्ण स्तंभों में से एक के रूप में स्वीकार किया और इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। दोनों पक्षों ने कोविड-19 महामारी के दौरान द्विपक्षीय सहयोग की सराहना की। उन्होंने कुवैत में भारतीय दवा निर्माण संयंत्र स्थापित करने की संभावना पर चर्चा की। उन्होंने औषधि नियामक प्राधिकरणों के बीच समझौता ज्ञापन पर चल रही चर्चाओं में चिकित्सा उत्पाद विनियमन के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने की अपनी इच्छा भी व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने उभरती प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में गहन सहयोग को मजबूत करने में रुचि व्यक्त की। उन्होंने बी2बी सहयोग का पता लगाने, ई-गवर्नेंस को आगे बढ़ाने तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी क्षेत्र में नीतियों और विनियमन में दोनों देशों के उद्योगों/कंपनियों की सुविधा के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के तरीकों पर चर्चा की।

कुवैती पक्ष ने भारत के साथ खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सहयोग में भी रुचि व्यक्त की। दोनों पक्षों ने भारत के खाद्य पार्कों में कुवैती कंपनियों द्वारा निवेश सहित सहयोग के विभिन्न तरीकों पर चर्चा की।

भारतीय पक्ष ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का सदस्य बनने के कुवैत के फैसले का स्वागत किया, जो कार्बन के कम उत्सर्जन से जुड़े तरीकों को विकसित करने और तैनात करने तथा सतत ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने में सहयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। दोनों पक्ष आईएसए के तहत दुनिया भर में सौर ऊर्जा की स्थापना बढ़ाने की दिशा में मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने दोनों देशों के नागरिक विमानन अधिकारियों के बीच हाल की बैठकों का उल्लेख किया। दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय उड़ान सीट क्षमताओं की वृद्धि और संबंधित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने शीघ्र ही पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए चर्चा जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।

2025-2029 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) के नवीनीकरण की सराहना करते हुए, जो कला, संगीत और साहित्य उत्सवों में अधिक सांस्कृतिक आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करेगा, दोनों पक्षों ने लोगों के बीच आपसी संपर्क बढ़ाने और सांस्कृतिक सहयोग को मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

दोनों पक्षों ने 2025-2028 के लिए खेल के क्षेत्र में सहयोग पर कार्यकारी कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किये जाने पर संतोष व्यक्त किया, जो दोनों देशों के बीच खिलाड़ियों के आपसी आदान-प्रदान और दौरे, कार्यशालाओं, सेमिनारों और सम्मेलनों के आयोजन, खेल प्रकाशनों के आदान-प्रदान सहित खेल के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करेगा।

दोनों पक्षों ने इस बात पर प्रकाश डाला कि शिक्षा सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जिसमें दोनों देशों के उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच संस्थागत संबंधों और आदान-प्रदान को मजबूत करना शामिल है। दोनों पक्षों ने शैक्षिक प्रौद्योगिकी पर सहयोग करने तथा शैक्षिक अवसंरचना को आधुनिक बनाने के लिए ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफार्मों और डिजिटल पुस्तकालयों के अवसरों की खोज करने में भी रुचि व्यक्त की।

शेख सऊद अल नासिर अल सबा कुवैती डिप्लोमैटिक इंस्टीट्यूट और सुषमा स्वराज इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेन सर्विस (एसएसआईएफएस) के बीच समझौता ज्ञापन के तहत गतिविधियों के हिस्से के रूप में, दोनों पक्षों ने नई दिल्ली के एसएसआईएफएस में कुवैत के राजनयिकों और अधिकारियों के लिए विशेष पाठ्यक्रम आयोजित करने के प्रस्ताव का स्वागत किया।

दोनों पक्षों ने स्वीकार किया कि सदियों पुराने लोगों के बीच आपसी संबंध ऐतिहासिक भारत-कुवैत संबंधों के एक मूलभूत स्तंभ का प्रतिनिधित्व करते हैं। कुवैती नेतृत्व ने अपने देश की प्रगति और विकास के लिए कुवैत में भारतीय समुदाय द्वारा निभायी गई भूमिका और योगदान के लिए गहरी प्रशंसा व्यक्त की, इस बात का उल्लेख करते हुए कि कुवैत में भारतीय नागरिकों को उनके शांतिपूर्ण और मेहनती स्वभाव के लिए बहुत सम्मान दिया जाता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कुवैत में बड़े और जीवंत भारतीय समुदाय के कल्याण और भलाई को सुनिश्चित करने के लिए कुवैत के नेतृत्व की सराहना की।

दोनों पक्षों ने जनशक्ति गतिशीलता और मानव संसाधन के क्षेत्र में दीर्घकालिक और ऐतिहासिक सहयोग की गहराई और महत्व पर जोर दिया। दोनों पक्षों ने प्रवासियों, श्रम गतिशीलता और आपसी हितों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देने के लिए कांसुलर वार्ता के साथ-साथ श्रम और जनशक्ति वार्ता की नियमित बैठकें आयोजित करने पर सहमति जताई।

दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर दोनों पक्षों के बीच उत्कृष्ट समन्वय की सराहना की। भारतीय पक्ष ने 2023 में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की भारत की अध्यक्षता के दौरान एससीओ में 'वार्ता भागीदार' के रूप में कुवैत के प्रवेश का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने एशियाई सहयोग वार्ता (एसीडी) में कुवैत की सक्रिय भूमिका की भी सराहना की। कुवैती पक्ष ने एसीडी को एक क्षेत्रीय संगठन में बदलने की संभावना तलाशने के लिए आवश्यक प्रयास करने के महत्व पर प्रकाश डाला।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस वर्ष कुवैत द्वारा जीसीसी की अध्यक्षता ग्रहण करने पर महामहिम अमीर को बधाई दी तथा विश्वास व्यक्त किया कि उनके दूरदर्शी नेतृत्व में भारत-जीसीसी के बीच बढ़ता सहयोग और मजबूत होगा। दोनों पक्षों ने 9 सितंबर 2024 को रियाद में आयोजित विदेश मंत्री स्तर रणनीतिक वार्ता के लिए पहली भारत-जीसीसी संयुक्त मंत्रिस्तरीय बैठक के परिणामों का स्वागत किया। जीसीसी के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में कुवैती पक्ष ने स्वास्थ्य, व्यापार, सुरक्षा, कृषि और खाद्य सुरक्षा, परिवहन, ऊर्जा, संस्कृति आदि क्षेत्रों में हाल ही में अपनाई गई संयुक्त कार्य योजना के तहत भारत-जीसीसी सहयोग को गहरा करने के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया। दोनों पक्षों ने भारत-जीसीसी मुक्त व्यापार समझौते को शीघ्र पूरा करने के महत्व पर भी बल दिया।

संयुक्त राष्ट्र सुधारों के संदर्भ में, दोनों राजनेताओं ने वैश्विक चुनौतियों से निपटने में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में समकालीन वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने वाले संयुक्त राष्ट्र पर केंद्रित एक प्रभावी बहुपक्षीय प्रणाली के महत्व पर जोर दिया। दोनों पक्षों ने सदस्यता की दोनों श्रेणियों में विस्तार के माध्यम से सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि इसे अधिक प्रतिनिधित्व आधारित, विश्वसनीय और प्रभावी बनाया जा सके।

यात्रा के दौरान निम्नलिखित दस्तावेजों पर हस्ताक्षर/आदान-प्रदान किए गए, जो बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेंगे तथा सहयोग के नए क्षेत्रों के लिए अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेंगे:

  • रक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और कुवैत के बीच समझौता ज्ञापन।
  • वर्ष 2025-2029 के लिए भारत और कुवैत के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम।
  • युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय, भारत सरकार तथा युवा और खेल सार्वजनिक प्राधिकरण, कुवैत सरकार के बीच वर्ष 2025-2028 के लिए खेल के क्षेत्र में सहयोग पर भारत और कुवैत के बीच कार्यकारी कार्यक्रम।
  • कुवैत की अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की सदस्यता।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने उन्हें और उनके प्रतिनिधिमंडल को दिए गए गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए कुवैत राज्य के महामहिम अमीर को धन्यवाद दिया। इस यात्रा ने भारत और कुवैत के बीच मित्रता और सहयोग के मजबूत संबंधों की पुष्टि की। राजनेताओं ने आशा व्यक्त की कि यह नई साझेदारी बढ़ती रहेगी, जिससे दोनों देशों के लोगों को लाभ होगा तथा क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में योगदान मिलेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कुवैत के महामहिम अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह, क्राउन प्रिंस महामहिम शेख सबा अल-खालिद अल-सबाह अल-हमद अल-मुबारक अल-सबाह और कुवैत के प्रधानमंत्री महामहिम शेख अहमद अब्दुल्ला अल-अहमद अल-जबर अल-मुबारक अल-सबाह को भारत आने का निमंत्रण भी दिया।

Explore More
आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

आज सम्पूर्ण भारत, सम्पूर्ण विश्व राममय है: अयोध्या में ध्वजारोहण उत्सव में पीएम मोदी
'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum

Media Coverage

'Will walk shoulder to shoulder': PM Modi pushes 'Make in India, Partner with India' at Russia-India forum
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है: पीएम मोदी
December 06, 2025
India is brimming with confidence: PM
In a world of slowdown, mistrust and fragmentation, India brings growth, trust and acts as a bridge-builder: PM
Today, India is becoming the key growth engine of the global economy: PM
India's Nari Shakti is doing wonders, Our daughters are excelling in every field today: PM
Our pace is constant, Our direction is consistent, Our intent is always Nation First: PM
Every sector today is shedding the old colonial mindset and aiming for new achievements with pride: PM

आप सभी को नमस्कार।

यहां हिंदुस्तान टाइम्स समिट में देश-विदेश से अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित हैं। मैं आयोजकों और जितने साथियों ने अपने विचार रखें, आप सभी का अभिनंदन करता हूं। अभी शोभना जी ने दो बातें बताई, जिसको मैंने नोटिस किया, एक तो उन्होंने कहा कि मोदी जी पिछली बार आए थे, तो ये सुझाव दिया था। इस देश में मीडिया हाउस को काम बताने की हिम्मत कोई नहीं कर सकता। लेकिन मैंने की थी, और मेरे लिए खुशी की बात है कि शोभना जी और उनकी टीम ने बड़े चाव से इस काम को किया। और देश को, जब मैं अभी प्रदर्शनी देखके आया, मैं सबसे आग्रह करूंगा कि इसको जरूर देखिए। इन फोटोग्राफर साथियों ने इस, पल को ऐसे पकड़ा है कि पल को अमर बना दिया है। दूसरी बात उन्होंने कही और वो भी जरा मैं शब्दों को जैसे मैं समझ रहा हूं, उन्होंने कहा कि आप आगे भी, एक तो ये कह सकती थी, कि आप आगे भी देश की सेवा करते रहिए, लेकिन हिंदुस्तान टाइम्स ये कहे, आप आगे भी ऐसे ही सेवा करते रहिए, मैं इसके लिए भी विशेष रूप से आभार व्यक्त करता हूं।

साथियों,

इस बार समिट की थीम है- Transforming Tomorrow. मैं समझता हूं जिस हिंदुस्तान अखबार का 101 साल का इतिहास है, जिस अखबार पर महात्मा गांधी जी, मदन मोहन मालवीय जी, घनश्यामदास बिड़ला जी, ऐसे अनगिनत महापुरूषों का आशीर्वाद रहा, वो अखबार जब Transforming Tomorrow की चर्चा करता है, तो देश को ये भरोसा मिलता है कि भारत में हो रहा परिवर्तन केवल संभावनाओं की बात नहीं है, बल्कि ये बदलते हुए जीवन, बदलती हुई सोच और बदलती हुई दिशा की सच्ची गाथा है।

साथियों,

आज हमारे संविधान के मुख्य शिल्पी, डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जी का महापरिनिर्वाण दिवस भी है। मैं सभी भारतीयों की तरफ से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

Friends,

आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जब 21वीं सदी का एक चौथाई हिस्सा बीत चुका है। इन 25 सालों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। फाइनेंशियल क्राइसिस देखी हैं, ग्लोबल पेंडेमिक देखी हैं, टेक्नोलॉजी से जुड़े डिसरप्शन्स देखे हैं, हमने बिखरती हुई दुनिया भी देखी है, Wars भी देख रहे हैं। ये सारी स्थितियां किसी न किसी रूप में दुनिया को चैलेंज कर रही हैं। आज दुनिया अनिश्चितताओं से भरी हुई है। लेकिन अनिश्चितताओं से भरे इस दौर में हमारा भारत एक अलग ही लीग में दिख रहा है, भारत आत्मविश्वास से भरा हुआ है। जब दुनिया में slowdown की बात होती है, तब भारत growth की कहानी लिखता है। जब दुनिया में trust का crisis दिखता है, तब भारत trust का pillar बन रहा है। जब दुनिया fragmentation की तरफ जा रही है, तब भारत bridge-builder बन रहा है।

साथियों,

अभी कुछ दिन पहले भारत में Quarter-2 के जीडीपी फिगर्स आए हैं। Eight परसेंट से ज्यादा की ग्रोथ रेट हमारी प्रगति की नई गति का प्रतिबिंब है।

साथियों,

ये एक सिर्फ नंबर नहीं है, ये strong macro-economic signal है। ये संदेश है कि भारत आज ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ ड्राइवर बन रहा है। और हमारे ये आंकड़े तब हैं, जब ग्लोबल ग्रोथ 3 प्रतिशत के आसपास है। G-7 की इकोनमीज औसतन डेढ़ परसेंट के आसपास हैं, 1.5 परसेंट। इन परिस्थितियों में भारत high growth और low inflation का मॉडल बना हुआ है। एक समय था, जब हमारे देश में खास करके इकोनॉमिस्ट high Inflation को लेकर चिंता जताते थे। आज वही Inflation Low होने की बात करते हैं।

साथियों,

भारत की ये उपलब्धियां सामान्य बात नहीं है। ये सिर्फ आंकड़ों की बात नहीं है, ये एक फंडामेंटल चेंज है, जो बीते दशक में भारत लेकर आया है। ये फंडामेंटल चेंज रज़ीलियन्स का है, ये चेंज समस्याओं के समाधान की प्रवृत्ति का है, ये चेंज आशंकाओं के बादलों को हटाकर, आकांक्षाओं के विस्तार का है, और इसी वजह से आज का भारत खुद भी ट्रांसफॉर्म हो रहा है, और आने वाले कल को भी ट्रांसफॉर्म कर रहा है।

साथियों,

आज जब हम यहां transforming tomorrow की चर्चा कर रहे हैं, हमें ये भी समझना होगा कि ट्रांसफॉर्मेशन का जो विश्वास पैदा हुआ है, उसका आधार वर्तमान में हो रहे कार्यों की, आज हो रहे कार्यों की एक मजबूत नींव है। आज के Reform और आज की Performance, हमारे कल के Transformation का रास्ता बना रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण दूंगा कि हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं।

साथियों,

आप भी जानते हैं कि भारत के सामर्थ्य का एक बड़ा हिस्सा एक लंबे समय तक untapped रहा है। जब देश के इस untapped potential को ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलेंगे, जब वो पूरी ऊर्जा के साथ, बिना किसी रुकावट के देश के विकास में भागीदार बनेंगे, तो देश का कायाकल्प होना तय है। आप सोचिए, हमारा पूर्वी भारत, हमारा नॉर्थ ईस्ट, हमारे गांव, हमारे टीयर टू और टीय़र थ्री सिटीज, हमारे देश की नारीशक्ति, भारत की इनोवेटिव यूथ पावर, भारत की सामुद्रिक शक्ति, ब्लू इकोनॉमी, भारत का स्पेस सेक्टर, कितना कुछ है, जिसके फुल पोटेंशियल का इस्तेमाल पहले के दशकों में हो ही नहीं पाया। अब आज भारत इन Untapped पोटेंशियल को Tap करने के विजन के साथ आगे बढ़ रहा है। आज पूर्वी भारत में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी और इंडस्ट्री पर अभूतपूर्व निवेश हो रहा है। आज हमारे गांव, हमारे छोटे शहर भी आधुनिक सुविधाओं से लैस हो रहे हैं। हमारे छोटे शहर, Startups और MSMEs के नए केंद्र बन रहे हैं। हमारे गाँवों में किसान FPO बनाकर सीधे market से जुड़ें, और कुछ तो FPO’s ग्लोबल मार्केट से जुड़ रहे हैं।

साथियों,

भारत की नारीशक्ति तो आज कमाल कर रही हैं। हमारी बेटियां आज हर फील्ड में छा रही हैं। ये ट्रांसफॉर्मेशन अब सिर्फ महिला सशक्तिकरण तक सीमित नहीं है, ये समाज की सोच और सामर्थ्य, दोनों को transform कर रहा है।

साथियों,

जब नए अवसर बनते हैं, जब रुकावटें हटती हैं, तो आसमान में उड़ने के लिए नए पंख भी लग जाते हैं। इसका एक उदाहरण भारत का स्पेस सेक्टर भी है। पहले स्पेस सेक्टर सरकारी नियंत्रण में ही था। लेकिन हमने स्पेस सेक्टर में रिफॉर्म किया, उसे प्राइवेट सेक्टर के लिए Open किया, और इसके नतीजे आज देश देख रहा है। अभी 10-11 दिन पहले मैंने हैदराबाद में Skyroot के Infinity Campus का उद्घाटन किया है। Skyroot भारत की प्राइवेट स्पेस कंपनी है। ये कंपनी हर महीने एक रॉकेट बनाने की क्षमता पर काम कर रही है। ये कंपनी, flight-ready विक्रम-वन बना रही है। सरकार ने प्लेटफॉर्म दिया, और भारत का नौजवान उस पर नया भविष्य बना रहा है, और यही तो असली ट्रांसफॉर्मेशन है।

साथियों,

भारत में आए एक और बदलाव की चर्चा मैं यहां करना ज़रूरी समझता हूं। एक समय था, जब भारत में रिफॉर्म्स, रिएक्शनरी होते थे। यानि बड़े निर्णयों के पीछे या तो कोई राजनीतिक स्वार्थ होता था या फिर किसी क्राइसिस को मैनेज करना होता था। लेकिन आज नेशनल गोल्स को देखते हुए रिफॉर्म्स होते हैं, टारगेट तय है। आप देखिए, देश के हर सेक्टर में कुछ ना कुछ बेहतर हो रहा है, हमारी गति Constant है, हमारी Direction Consistent है, और हमारा intent, Nation First का है। 2025 का तो ये पूरा साल ऐसे ही रिफॉर्म्स का साल रहा है। सबसे बड़ा रिफॉर्म नेक्स्ट जेनरेशन जीएसटी का था। और इन रिफॉर्म्स का असर क्या हुआ, वो सारे देश ने देखा है। इसी साल डायरेक्ट टैक्स सिस्टम में भी बहुत बड़ा रिफॉर्म हुआ है। 12 लाख रुपए तक की इनकम पर ज़ीरो टैक्स, ये एक ऐसा कदम रहा, जिसके बारे में एक दशक पहले तक सोचना भी असंभव था।

साथियों,

Reform के इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, अभी तीन-चार दिन पहले ही Small Company की डेफिनीशन में बदलाव किया गया है। इससे हजारों कंपनियाँ अब आसान नियमों, तेज़ प्रक्रियाओं और बेहतर सुविधाओं के दायरे में आ गई हैं। हमने करीब 200 प्रोडक्ट कैटगरीज़ को mandatory क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर से बाहर भी कर दिया गया है।

साथियों,

आज के भारत की ये यात्रा, सिर्फ विकास की नहीं है। ये सोच में बदलाव की भी यात्रा है, ये मनोवैज्ञानिक पुनर्जागरण, साइकोलॉजिकल रेनसां की भी यात्रा है। आप भी जानते हैं, कोई भी देश बिना आत्मविश्वास के आगे नहीं बढ़ सकता। दुर्भाग्य से लंबी गुलामी ने भारत के इसी आत्मविश्वास को हिला दिया था। और इसकी वजह थी, गुलामी की मानसिकता। गुलामी की ये मानसिकता, विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में एक बहुत बड़ी रुकावट है। और इसलिए, आज का भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पाने के लिए काम कर रहा है।

साथियों,

अंग्रेज़ों को अच्छी तरह से पता था कि भारत पर लंबे समय तक राज करना है, तो उन्हें भारतीयों से उनके आत्मविश्वास को छीनना होगा, भारतीयों में हीन भावना का संचार करना होगा। और उस दौर में अंग्रेजों ने यही किया भी। इसलिए, भारतीय पारिवारिक संरचना को दकियानूसी बताया गया, भारतीय पोशाक को Unprofessional करार दिया गया, भारतीय त्योहार-संस्कृति को Irrational कहा गया, योग-आयुर्वेद को Unscientific बता दिया गया, भारतीय अविष्कारों का उपहास उड़ाया गया और ये बातें कई-कई दशकों तक लगातार दोहराई गई, पीढ़ी दर पीढ़ी ये चलता गया, वही पढ़ा, वही पढ़ाया गया। और ऐसे ही भारतीयों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो गया।

साथियों,

गुलामी की इस मानसिकता का कितना व्यापक असर हुआ है, मैं इसके कुछ उदाहरण आपको देना चाहता हूं। आज भारत, दुनिया की सबसे तेज़ी से ग्रो करने वाली मेजर इकॉनॉमी है, कोई भारत को ग्लोबल ग्रोथ इंजन बताता है, कोई, Global powerhouse कहता है, एक से बढ़कर एक बातें आज हो रही हैं।

लेकिन साथियों,

आज भारत की जो तेज़ ग्रोथ हो रही है, क्या कहीं पर आपने पढ़ा? क्या कहीं पर आपने सुना? इसको कोई, हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कहता है क्या? दुनिया की तेज इकॉनमी, तेज ग्रोथ, कोई कहता है क्या? हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ कब कहा गया? जब भारत, दो-तीन परसेंट की ग्रोथ के लिए तरस गया था। आपको क्या लगता है, किसी देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को उसमें रहने वाले लोगों की आस्था से जोड़ना, उनकी पहचान से जोड़ना, क्या ये अनायास ही हुआ होगा क्या? जी नहीं, ये गुलामी की मानसिकता का प्रतिबिंब था। एक पूरे समाज, एक पूरी परंपरा को, अन-प्रोडक्टिविटी का, गरीबी का पर्याय बना दिया गया। यानी ये सिद्ध करने का प्रयास किया गया कि, भारत की धीमी विकास दर का कारण, हमारी हिंदू सभ्यता और हिंदू संस्कृति है। और हद देखिए, आज जो तथाकथित बुद्धिजीवी हर चीज में, हर बात में सांप्रदायिकता खोजते रहते हैं, उनको हिंदू रेट ऑफ ग्रोथ में सांप्रदायिकता नज़र नहीं आई। ये टर्म, उनके दौर में किताबों का, रिसर्च पेपर्स का हिस्सा बना दिया गया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने भारत में मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम को कैसे तबाह कर दिया, और हम इसको कैसे रिवाइव कर रहे हैं, मैं इसके भी कुछ उदाहरण दूंगा। भारत गुलामी के कालखंड में भी अस्त्र-शस्त्र का एक बड़ा निर्माता था। हमारे यहां ऑर्डिनेंस फैक्ट्रीज़ का एक सशक्त नेटवर्क था। भारत से हथियार निर्यात होते थे। विश्व युद्धों में भी भारत में बने हथियारों का बोल-बाला था। लेकिन आज़ादी के बाद, हमारा डिफेंस मैन्युफेक्चरिंग इकोसिस्टम तबाह कर दिया गया। गुलामी की मानसिकता ऐसी हावी हुई कि सरकार में बैठे लोग भारत में बने हथियारों को कमजोर आंकने लगे, और इस मानसिकता ने भारत को दुनिया के सबसे बड़े डिफेंस importers के रूप में से एक बना दिया।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने शिप बिल्डिंग इंडस्ट्री के साथ भी यही किया। भारत सदियों तक शिप बिल्डिंग का एक बड़ा सेंटर था। यहां तक कि 5-6 दशक पहले तक, यानी 50-60 साल पहले, भारत का फोर्टी परसेंट ट्रेड, भारतीय जहाजों पर होता था। लेकिन गुलामी की मानसिकता ने विदेशी जहाज़ों को प्राथमिकता देनी शुरु की। नतीजा सबके सामने है, जो देश कभी समुद्री ताकत था, वो अपने Ninety five परसेंट व्यापार के लिए विदेशी जहाज़ों पर निर्भर हो गया है। और इस वजह से आज भारत हर साल करीब 75 बिलियन डॉलर, यानी लगभग 6 लाख करोड़ रुपए विदेशी शिपिंग कंपनियों को दे रहा है।

साथियों,

शिप बिल्डिंग हो, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग हो, आज हर सेक्टर में गुलामी की मानसिकता को पीछे छोड़कर नए गौरव को हासिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता ने एक बहुत बड़ा नुकसान, भारत में गवर्नेंस की अप्रोच को भी किया है। लंबे समय तक सरकारी सिस्टम का अपने नागरिकों पर अविश्वास रहा। आपको याद होगा, पहले अपने ही डॉक्यूमेंट्स को किसी सरकारी अधिकारी से अटेस्ट कराना पड़ता था। जब तक वो ठप्पा नहीं मारता है, सब झूठ माना जाता था। आपका परिश्रम किया हुआ सर्टिफिकेट। हमने ये अविश्वास का भाव तोड़ा और सेल्फ एटेस्टेशन को ही पर्याप्त माना। मेरे देश का नागरिक कहता है कि भई ये मैं कह रहा हूं, मैं उस पर भरोसा करता हूं।

साथियों,

हमारे देश में ऐसे-ऐसे प्रावधान चल रहे थे, जहां ज़रा-जरा सी गलतियों को भी गंभीर अपराध माना जाता था। हम जन-विश्वास कानून लेकर आए, और ऐसे सैकड़ों प्रावधानों को डी-क्रिमिनलाइज किया है।

साथियों,

पहले बैंक से हजार रुपए का भी लोन लेना होता था, तो बैंक गारंटी मांगता था, क्योंकि अविश्वास बहुत अधिक था। हमने मुद्रा योजना से अविश्वास के इस कुचक्र को तोड़ा। इसके तहत अभी तक 37 lakh crore, 37 लाख करोड़ रुपए की गारंटी फ्री लोन हम दे चुके हैं देशवासियों को। इस पैसे से, उन परिवारों के नौजवानों को भी आंत्रप्रन्योर बनने का विश्वास मिला है। आज रेहड़ी-पटरी वालों को भी, ठेले वाले को भी बिना गारंटी बैंक से पैसा दिया जा रहा है।

साथियों,

हमारे देश में हमेशा से ये माना गया कि सरकार को अगर कुछ दे दिया, तो फिर वहां तो वन वे ट्रैफिक है, एक बार दिया तो दिया, फिर वापस नहीं आता है, गया, गया, यही सबका अनुभव है। लेकिन जब सरकार और जनता के बीच विश्वास मजबूत होता है, तो काम कैसे होता है? अगर कल अच्छी करनी है ना, तो मन आज अच्छा करना पड़ता है। अगर मन अच्छा है तो कल भी अच्छा होता है। और इसलिए हम एक और अभियान लेकर आए, आपको सुनकर के ताज्जुब होगा और अभी अखबारों में उसकी, अखबारों वालों की नजर नहीं गई है उस पर, मुझे पता नहीं जाएगी की नहीं जाएगी, आज के बाद हो सकता है चली जाए।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि आज देश के बैंकों में, हमारे ही देश के नागरिकों का 78 thousand crore रुपया, 78 हजार करोड़ रुपए Unclaimed पड़ा है बैंको में, पता नहीं कौन है, किसका है, कहां है। इस पैसे को कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह इन्श्योरेंश कंपनियों के पास करीब 14 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास करीब 3 हजार करोड़ रुपए पड़े हैं। 9 हजार करोड़ रुपए डिविडेंड का पड़ा है। और ये सब Unclaimed पड़ा हुआ है, कोई मालिक नहीं उसका। ये पैसा, गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों का है, और इसलिए, जिसके हैं वो तो भूल चुका है। हमारी सरकार अब उनको ढूंढ रही है देशभर में, अरे भई बताओ, तुम्हारा तो पैसा नहीं था, तुम्हारे मां बाप का तो नहीं था, कोई छोड़कर तो नहीं चला गया, हम जा रहे हैं। हमारी सरकार उसके हकदार तक पहुंचने में जुटी है। और इसके लिए सरकार ने स्पेशल कैंप लगाना शुरू किया है, लोगों को समझा रहे हैं, कि भई देखिए कोई है तो अता पता। आपके पैसे कहीं हैं क्या, गए हैं क्या? अब तक करीब 500 districts में हम ऐसे कैंप लगाकर हजारों करोड़ रुपए असली हकदारों को दे चुके हैं जी। पैसे पड़े थे, कोई पूछने वाला नहीं था, लेकिन ये मोदी है, ढूंढ रहा है, अरे यार तेरा है ले जा।

साथियों,

ये सिर्फ asset की वापसी का मामला नहीं है, ये विश्वास का मामला है। ये जनता के विश्वास को निरंतर हासिल करने की प्रतिबद्धता है और जनता का विश्वास, यही हमारी सबसे बड़ी पूंजी है। अगर गुलामी की मानसिकता होती तो सरकारी मानसी साहबी होता और ऐसे अभियान कभी नहीं चलते हैं।

साथियों,

हमें अपने देश को पूरी तरह से, हर क्षेत्र में गुलामी की मानसिकता से पूर्ण रूप से मुक्त करना है। अभी कुछ दिन पहले मैंने देश से एक अपील की है। मैं आने वाले 10 साल का एक टाइम-फ्रेम लेकर, देशवासियों को मेरे साथ, मेरी बातों को ये कुछ करने के लिए प्यार से आग्रह कर रहा हूं, हाथ जोड़कर विनती कर रहा हूं। 140 करोड़ देशवसियों की मदद के बिना ये मैं कर नहीं पाऊंगा, और इसलिए मैं देशवासियों से बार-बार हाथ जोड़कर कह रहा हूं, और 10 साल के इस टाइम फ्रैम में मैं क्या मांग रहा हूं? मैकाले की जिस नीति ने भारत में मानसिक गुलामी के बीज बोए थे, उसको 2035 में 200 साल पूरे हो रहे हैं, Two hundred year हो रहे हैं। यानी 10 साल बाकी हैं। और इसलिए, इन्हीं दस वर्षों में हम सभी को मिलकर के, अपने देश को गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहना चाहिए।

साथियों,

मैं अक्सर कहता हूं, हम लीक पकड़कर चलने वाले लोग नहीं हैं। बेहतर कल के लिए, हमें अपनी लकीर बड़ी करनी ही होगी। हमें देश की भविष्य की आवश्यकताओं को समझते हुए, वर्तमान में उसके हल तलाशने होंगे। आजकल आप देखते हैं कि मैं मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान पर लगातार चर्चा करता हूं। शोभना जी ने भी अपने भाषण में उसका उल्लेख किया। अगर ऐसे अभियान 4-5 दशक पहले शुरू हो गए होते, तो आज भारत की तस्वीर कुछ और होती। लेकिन तब जो सरकारें थीं उनकी प्राथमिकताएं कुछ और थीं। आपको वो सेमीकंडक्टर वाला किस्सा भी पता ही है, करीब 50-60 साल पहले, 5-6 दशक पहले एक कंपनी, भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के लिए आई थी, लेकिन यहां उसको तवज्जो नहीं दी गई, और देश सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग में इतना पिछड़ गया।

साथियों,

यही हाल एनर्जी सेक्टर की भी है। आज भारत हर साल करीब-करीब 125 लाख करोड़ रुपए के पेट्रोल-डीजल-गैस का इंपोर्ट करता है, 125 लाख करोड़ रुपया। हमारे देश में सूर्य भगवान की इतनी बड़ी कृपा है, लेकिन फिर भी 2014 तक भारत में सोलर एनर्जी जनरेशन कपैसिटी सिर्फ 3 गीगावॉट थी, 3 गीगावॉट थी। 2014 तक की मैं बात कर रहा हूं, जब तक की आपने मुझे यहां लाकर के बिठाया नहीं। 3 गीगावॉट, पिछले 10 वर्षों में अब ये बढ़कर 130 गीगावॉट के आसपास पहुंच चुकी है। और इसमें भी भारत ने twenty two गीगावॉट कैपेसिटी, सिर्फ और सिर्फ rooftop solar से ही जोड़ी है। 22 गीगावाट एनर्जी रूफटॉप सोलर से।

साथियों,

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ने, एनर्जी सिक्योरिटी के इस अभियान में देश के लोगों को सीधी भागीदारी करने का मौका दे दिया है। मैं काशी का सांसद हूं, प्रधानमंत्री के नाते जो काम है, लेकिन सांसद के नाते भी कुछ काम करने होते हैं। मैं जरा काशी के सांसद के नाते आपको कुछ बताना चाहता हूं। और आपके हिंदी अखबार की तो ताकत है, तो उसको तो जरूर काम आएगा। काशी में 26 हजार से ज्यादा घरों में पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के सोलर प्लांट लगे हैं। इससे हर रोज, डेली तीन लाख यूनिट से अधिक बिजली पैदा हो रही है, और लोगों के करीब पांच करोड़ रुपए हर महीने बच रहे हैं। यानी साल भर के साठ करोड़ रुपये।

साथियों,

इतनी सोलर पावर बनने से, हर साल करीब नब्बे हज़ार, ninety thousand मीट्रिक टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। इतने कार्बन एमिशन को खपाने के लिए, हमें चालीस लाख से ज्यादा पेड़ लगाने पड़ते। और मैं फिर कहूंगा, ये जो मैंने आंकडे दिए हैं ना, ये सिर्फ काशी के हैं, बनारस के हैं, मैं देश की बात नहीं बता रहा हूं आपको। आप कल्पना कर सकते हैं कि, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, ये देश को कितना बड़ा फायदा हो रहा है। आज की एक योजना, भविष्य को Transform करने की कितनी ताकत रखती है, ये उसका Example है।

वैसे साथियों,

अभी आपने मोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग के भी आंकड़े देखे होंगे। 2014 से पहले तक हम अपनी ज़रूरत के 75 परसेंट मोबाइल फोन इंपोर्ट करते थे, 75 परसेंट। और अब, भारत का मोबाइल फोन इंपोर्ट लगभग ज़ीरो हो गया है। अब हम बहुत बड़े मोबाइल फोन एक्सपोर्टर बन रहे हैं। 2014 के बाद हमने एक reform किया, देश ने Perform किया और उसके Transformative नतीजे आज दुनिया देख रही है।

साथियों,

Transforming tomorrow की ये यात्रा, ऐसी ही अनेक योजनाओं, अनेक नीतियों, अनेक निर्णयों, जनआकांक्षाओं और जनभागीदारी की यात्रा है। ये निरंतरता की यात्रा है। ये सिर्फ एक समिट की चर्चा तक सीमित नहीं है, भारत के लिए तो ये राष्ट्रीय संकल्प है। इस संकल्प में सबका साथ जरूरी है, सबका प्रयास जरूरी है। सामूहिक प्रयास हमें परिवर्तन की इस ऊंचाई को छूने के लिए अवसर देंगे ही देंगे।

साथियों,

एक बार फिर, मैं शोभना जी का, हिन्दुस्तान टाइम्स का बहुत आभारी हूं, कि आपने मुझे अवसर दिया आपके बीच आने का और जो बातें कभी-कभी बताई उसको आपने किया और मैं तो मानता हूं शायद देश के फोटोग्राफरों के लिए एक नई ताकत बनेगा ये। इसी प्रकार से अनेक नए कार्यक्रम भी आप आगे के लिए सोच सकते हैं। मेरी मदद लगे तो जरूर मुझे बताना, आईडिया देने का मैं कोई रॉयल्टी नहीं लेता हूं। मुफ्त का कारोबार है और मारवाड़ी परिवार है, तो मौका छोड़ेगा ही नहीं। बहुत-बहुत धन्यवाद आप सबका, नमस्कार।