प्रदूषणमुक्त भविष्य के लिए जलशक्ति और ऊर्जाशक्ति का अनोखा समन्वय

प्रिय मित्रों

अक्षय तृतीया के अवसर पर मैं अपने किसान मित्रों को हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं। उम्मीद करता हूं कि यह दिन हम सभी के जीवन में आनंद और समृद्घि लेकर आए।

 

आज इस अवसर पर मैं आपके साथ गुजरात की जलशक्ति के ऊर्जाशक्ति के साथ समन्वय की अनोखी पहल को लेकर चंद बातें करना चाहता हूं। आज, हम देश का सर्वप्रथम कैनाल-टॉप (नहर आधारित) सोलर पावर प्लांट राष्ट्र को समर्पित करने जा रहे हैं। आज तक इस ख्वाब को हकीकत में तब्दील करना असंभव माना जाता था। लेकिन आज यह मूर्त स्वरूप ले चुका है। गुजरात ने असंभव को संभव कर दिखाया है। एक मेगावाट के इस सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट का निर्माण सरदार सरोवर परियोजना की साणंद शाखा नहर पर किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत एक मेगावाट बिजली उत्पादित होगी।यह जानकर आपस भी आश्चर्य करेंगे कि इस प्रोजेक्ट के चलते प्रति किलोमीटर प्रति वर्ष एक करोड़ लीटर पानी की बचत भी होगी जो अन्यथा वाष्पी करण से उड़जाता |विद्युत और जल दोनों तरह की सुरक्षा प्रदान करने का सामथ्र्य इस प्रोजेक्ट में है। नतीजतन, आने वाली पीढिय़ों के लिए एक स्वच्छ विश्व के निर्माण में यह प्रोजेक्ट मददगार साबित होगा।

अभी कुछ दिनों पूर्व ही हमने गुजरात के लिए गौरवपूर्ण उपलब्धि समान ऐतिहासिक प्रोजेक्ट को साकार किया है। 19 अप्रैल, 2012 के दिन एक ओर जहां वैैज्ञानिकों ने अग्नि-5 मिसाइल का सफल प्रक्षेपण कर देश को गौरवांवित किया, वहीं दूसरी ओर इसी दिन गुजरात ने 600 मेगावाट की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता राष्ट्र को अर्पित कर पुन:प्राप्य ऊर्जा के क्षेत्र में एक नये अध्याय की शुरूआत की। एशिया के इस सबसे बड़े सोलर पार्क के उद्घाटन के लिए जब मैं चारणका जा रहा था, तब एक वर्ष पहले का वह दिन मेरे स्मृति-पटल पर उभर आया जब हम इस पार्क के शिलान्यास के सिलसिले में यहां आए थे। इसके बाद तो कई परिबलों की ओर से इस प्रोजेक्ट के विकास को रोकने के लिए योजनाबद्घ प्रयास किये गए और इसके समर्थन में अत्यंत सामान्य कहे जाने वाले कारणों को पेश किया गया। आज एक वर्ष बाद इसी स्थान पर खड़े रह कर मैं देख सकता हूं कि गुजरात के लोगों ने ऐसे स्थापित हितों को माकूल जवाब दे दिया है। आज स्थिति यह है कि देश के कुल सौर ऊर्जा उत्पादन में 66 फीसदी योगदान गुजरात का है। गुजरात और उसके बाशिंदों के लिए यह सचमुच ही गौरव के पल हैं।

मित्रों, ज्यादातर पश्चिमी देशों के बरक्स हमारे राज्य पर सूर्य देव की भरपूर कृपा बरसती है। सूर्य देव की इन किरणों में ही विकास के विपुल अवसर मौजूद हैं, जो हमें विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। इससे पूर्व, वर्ष 2009 में एक साहसिक कदम उठाते हुए गुजरात ने अपनी सौर ऊर्जा नीति की घोषणा की। 500 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाली इस सौर ऊर्जा नीति के लिए करीब 85 डेवलपरों के साथ 968.5 मेगावाट की खरीद व्यवस्था पर हस्ताक्षर किये गए।

इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के साथ-साथ जमीन को लेकर भी सवाल उठे। चारणका स्थित गुजरात सोलर पार्क सौर ऊर्जा क्षेत्र के विकास के लिए एक मुकम्मल माहौल प्रदान करता है। 5,000 एकड़ क्षेत्र में फैला यह सोलर पार्क एशिया का सबसे विशाल सोलर पार्क तो है ही साथ ही यह अंतरराष्ट्रीय स्तर की अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाओं से लैस भी है। उच्च सोलर रेडियेशन वाली इस जगह में बंजर भूमि का इस्तेमाल भी समझदारी के साथ किया गया है। 2011 की मुसलाधार बारिश भी सरकार और डेवलपरों के उत्साह को ठंडा न कर सकी। 28 जनवरी की निर्धारित तारीख को प्रोजेक्ट पूर्ण कर लिया गया। इस प्रोजेक्ट के जरिए उत्तर गुजरात के लोगों के जीवन की जो कायापलट हुई है, उसे तो वही जान सकता है जो इससे रू-ब-रू होगा।

इस प्रकार की पहल आगे चलकर एक उत्तम वित्तीय दूरदर्शिता साबित होगी | 25 वर्ष के समय काल में यह 600 मेगा वाट का प्रोजेक्ट 24000 मिलियन यूनिट्स बिजली पैदा करेगा | यदि इतना ही उत्पादन कोयले के जरिए हासिल करना हो तो 12000 मिलियन किलो ग्राम कोयले की जरूरत होती, और 90,000 मिलियन रुपयों की विदेशी मुद्रा हमारे कोष से खर्च करनी पड़ेगी| इस प्रकार इस तरह के प्रोजेक्ट निश्चित रूप से सभी के लिए लाभदायी है |

यह जानकर आपस भी आश्चर्य करेंगे कि इस प्रोजेक्ट के चलते प्रति किलोमीटर प्रति वर्ष एक करोड़ लीटर पानी की बचत भी होगी जो अन्यथा वाष्पी करण से उड़जाता |

कई लोग हमसे सवाल करते हैं कि गुजरात के पास जरूरत से ज्यादा बिजली होने के बावजूद पुन:प्राप्य ऊर्जा के लिए 2000 करोड़ रुपये का खर्च क्यों किया जा रहा है? इस सवाल का जवाब बेहद आसान है। आज हम गुजरात में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग को विस्तारित करने के लिए प्रतिबद्घ हैं। बाढ़ और अकाल से लेकर भूकंप तक की अनेक प्राकृतिक आपदाओं का शिकार होनेे के बाद हम जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों से अच्छी तरह से वाकिफ हुए हैं।

राज्य के बच्चों के उज्जवल और तंदुरुस्त भविष्य को सुरक्षित करने के लिए हम अपने वर्तमान का निवेश कर रहे हैं। हम अपने पीछे एक ऐसा इतिहास छोड़े जा रहे हैं, जिसे कोई इतिहासकार मिटा नहीं सकता। आपको यह जानकर खुशी होगी कि गुजरात सरकार विश्व की उन चार सरकारों में से एक है जिन्होंने जलवायु परिवर्तन के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की है। मेरे लिए क्लाइमेट चेन्ज के बजाय क्लाइमेट जस्टिस एक बड़ा मुद्दा है। दुनिया के गरीबों से जुड़ा हुआ यह चिंता का मुद्दा है, जो क्लाइमेट चेन्ज से सर्वाधिक प्रभावित हैं। आगामी पीढिय़ों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए विकास के कदम बढ़ाने को गुजरात प्रतिबद्घ है।

आम तौर पर हम अपना घर किराए पर देते हैं। लेकिन क्या हम यह सोच सकते हैं कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब हम घर की छत भी किराए पर दे सकेंगे? गुजरात सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिए गांधीनगर फोटोवोल्टेक रूफ-टॉप (छत आधारित) कार्यक्रम शुरू किया है। अब शहर के निवासियों को अपने घर की छत पर ही सौर ऊर्जा के उत्पादन का अवसर मिलेगा। इससे अतिरिक्त आय का बंदोबस्त भी होगा। गांधीनगर को मॉडल सोलर सिटी के रूप में विकसित करने का हमारा सपना है। हम गुजरात के अन्य शहरों में भी रूफ-टॉप नीति के विस्तार की मंशा रखते हैं।

जब किसी स्थान पर बड़े पैमाने पर विकास हो रहा हो, उस स्थिति में अनुसंधान और कौशल्य निर्माण को कैसे छोड़ा जा सकता है? हम चाहते हैं कि गुजरात को सोलर हब बनाने और भविष्य की पीढ़ी को ऊर्जा की समस्या के महत्वपूर्ण उपाय सुझानेे के लिए हमारे युवा नये अनुसंधानों के साथ आगे आएं। वर्ष 2008 में पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी (पीडीपीयू) ने स्कूल ऑफ सोलर एनर्जी की शुरूआत की थी। जो अपने तरह की सर्वप्रथम संस्था है। हम जीईआरएमआई अनुसंधान और सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में अन्य अनुसंधानों को सक्रिय सहयोग प्रदान कर रहे हैं।

क्या हम स्थानीय स्तर पर बिना कौशल्य वाले युवाओं के बगैर कई सोलर ऊर्जा संयंत्रों का संचालन कर सकेंगे? हरगिज नहीं। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) की पहल के जरिए इस क्षेत्र में अनुसंधान और प्रशिक्षण को और भी ऊंचे स्तर पर ले जाया जाएगा। हमने करीब 6 सोलर आईटीआई लेबोरेटरी की स्थापना तो कर ही दी है और विद्यार्थियों की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है।

आज हम ह्रक्कश्वष्ट-ओपेक जैसे ऑयल उत्पादन करने वाले देशों का संगठन देखते हैं। भविष्य में सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सभी देशों की अगवानी करने से भारत को रोकने वाला कोई नहीं है। रिसर्च एंड डेवलपमेंट की अगवानी के साथ भारत सौर ऊर्जा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। इस प्रकार के कदम से वैश्विक स्तर पर दीर्घकालिक ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।

इसके निष्कर्ष के रूप में मुझे चीफ सीएटल्स के शब्द याद आ रहे हैं, च्च्हमने अपने पूर्वजों से इस धरती को विरासत में हासिल नहीं किया है, हमने इसे अपने बच्चों से उधार लिया है।ज्ज् महात्मा गांधी ने भी कुछ ऐसी ही बात कही थी। इस प्रकार के प्रोजेक्ट्स से 9000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा साथ ही 30,000 लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। लेकिन इस प्रोजेक्ट का महत्व इससे कहीं ज्यादा है। हमारे पास अनगिनत फैक्ट्रियां हैं, परन्तु यदि कोयला और गैस ही नहीं होंगे तो इनका क्या उपयोग? जब इस परम्परागत ऊर्जा का अभाव होगा तब हम सूर्य शक्ति और पुन:प्राप्य ऊर्जा के अन्य स्रोतों की तरफ मुडेंग़े। पर्यावरण पर विपरीत असर न हो और हमारे बच्चे स्वस्थ्य जीवन बिताएं, इसे सुनिश्चित करने के गुजरात के प्रयासों को उस वक्त समग्र विश्व याद करेगा।

नरेन्द्र मोदी

 

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आपकी पूंजी, आपका अधिकार
December 10, 2025

कुछ दिन पहले ‘हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट’ में अपनी स्पीच के दौरान, मैंने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े रखे थे:

भारतीय बैंकों में हमारे अपने नागरिकों के 78,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इंश्योरेंस कंपनियों के पास करीब 14,000 करोड़ रुपये अनक्लेम्ड पड़े हैं।

म्यूचुअल फंड कंपनियों के पास लगभग 3,000 करोड़ रुपये हैं और 9,000 करोड़ रुपये के डिविडेंड भी अनक्लेम्ड पड़े हैं।

इन बातों ने बहुत से लोगों को चौंका दिया है।

आखिरकार, ये एसेट्स अनगिनत परिवारों की मेहनत से बचाई गई सेविंग और इन्वेस्टमेंट को दिखाते हैं।

इसे ठीक करने के लिए, अक्टूबर 2025 में आपकी पूंजी, आपका अधिकार - Your Money, Your Right पहल शुरू की गई थी।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक अपने अधिकार के अनुसार अपना हक वापस पा सके।

फंड को ट्रैक करने और क्लेम करने की प्रक्रिया को आसान व पारदर्शी बनाने के लिए, डेडिकेटेड पोर्टल भी बनाए गए हैं। जो इस प्रकार हैं:

• भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) – UDGAM पोर्टल https://udgam.rbi.org.in/unclaimed-deposits/#/login

• भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) – बीमा भरोसा पोर्टल: https://bimabharosa.irdai.gov.in/Home/UnclaimedAmount

• भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI)– MITRA पोर्टल: https://app.mfcentral.com/links/inactive-folios

• कॉर्पोरेट मामलों का मंत्रालय, IEPFA पोर्टल: https://www.iepf.gov.in/content/iepf/global/master/Home/Home.html

मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि दिसंबर 2025 तक, पूरे ग्रामीण और शहरी भारत के 477 जिलों में फैसिलिटेशन कैंप लगाए गए हैं। हमारा जोर दूर-दराज के इलाकों को कवर करने पर रहा है।

सरकार, नियामक संस्थाओं, बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित सभी हितधारकों की संयुक्त कोशिशों के माध्यम से, करीब 2,000 करोड़ रुपये पहले ही वास्तविक हकदारों को वापस मिल चुके हैं।

लेकिन हम आने वाले दिनों में इस अभियान को और बढ़ाना चाहते हैं। और ऐसा करने के लिए, मैं आपसे इन बातों पर मदद का अनुरोध करता हूँ:

पता कीजिए कि क्या आपके या आपके परिवार के पास कोई अनक्लेम्ड डिपॉजिट, बीमा की रकम, डिविडेंड या इन्वेस्टमेंट हैं।

ऊपर बताए गए पोर्टलों पर जाएं।

अपने जिले में सुविधा कैंप का लाभ उठाएं।

जो आपका है, उसे क्लेम करने के लिए अभी कदम बढ़ाएं और एक भूली हुई फाइनेंशियल संपत्ति को एक नए अवसर में बदलें। आपका पैसा आपका है। आइए, यह सुनिश्चित करें कि यह आपको वापस मिले।

आइए, साथ मिलकर एक पारदर्शी, आर्थिक रूप से सशक्त और समावेशी भारत बनाएं!