प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी पहल की अगुआई की है, जिससे देश को सस्टेनेबल एनर्जी इनिशिएटिव्स में ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित किया गया है। उनके नेतृत्व में, भारत ने न केवल अपनी सस्टेनेबल एनर्जी क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण प्रगति की है, बल्कि इंटरनेशनल रिन्यूएबल एनर्जी ऑर्गनाइजेशंस में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उल्लेखनीय रूप से, भारत ने फ्रांस के साथ इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) की सह-स्थापना की, जिसका उद्देश्य अपने 99 सदस्य देशों के बीच सोलर एनर्जी के उपयोग को बढ़ावा देना और सोलर प्रोजेक्ट्स के लिए पर्याप्त निवेश जुटाना है। 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल करने का भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य इस प्रतिबद्धता को दर्शाता है। देश ने 200 गीगावाट से ज़्यादा नॉन-फॉसिल फ्यूल क्षमता सफलतापूर्वक स्थापित की है, जिससे यह तय समय से पहले अपने क्लाइमेट कमिटमेंट्स को पूरा करने वाला पहला G20 देश बन गया है। पीएम-कुसुम ने कृषि क्षेत्र से फॉसिल फ्यूल्स पर निर्भरता कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना से 4 लाख से ज़्यादा किसान लाभान्वित हुए हैं। पीएम-सूर्य घर योजना; रूफटॉप सोलर इंस्टॉलेशंस के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करके इस दृष्टिकोण का उदाहरण है, जिससे घरों को बिजली उत्पादक बनने का मौका मिलता है और साथ ही रोजगार के अवसर भी पैदा होते हैं। यह पहल न केवल रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा देती है बल्कि परिवारों को बिजली की लागत बचाने में भी मदद करती है। पीएम-सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना, दुनिया का सबसे बड़ा डोमेस्टिक रूफटॉप सोलर इनिशिएटिव है, जो मार्च 2027 तक एक करोड़ घरों को सोलर एनर्जी की सप्लाई करने के साहसिक दृष्टिकोण के साथ भारत के एनर्जी परिदृश्य को बदल रहा है।

इसके अलावा, एनर्जी एफिशिएंसी पर सरकार का ध्यान घरों और इंफ्रास्ट्रक्चर में एलईडी लाइटिंग के व्यापक उपयोग में स्पष्ट है, जिससे बिजली की खपत में उल्लेखनीय कमी आई है और कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है। ये संयुक्त प्रयास आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण सुनिश्चित करते हुए एक सस्टेनेबल एनर्जी फ्यूचर की ओर ट्रांजिशन के लिए भारत की व्यापक रणनीति को दर्शाते हैं।

रिन्यूएबल एनर्जी के इंस्टॉलेशन में 170%+ की वृद्धि
2014 – 76 GW
2024 – 211 GW

इंस्टॉल्ड कैपेसिटी
• कुल नॉन-फॉसिल फ्यूल कैपेसिटी: 213.70 GW तक पहुंच गई, जो 2023 के 187.05 GW से 14.2% अधिक है।
• कुल नॉन-फॉसिल फ्यूल कैपेसिटी (पाइपलाइन प्रोजेक्ट्स सहित): बढ़कर 472.90 GW हो गई, जो पिछले वर्ष के 368.15 GW से 28.5% अधिक है।

न्यू रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी एडिशन
• FY24-25 में, नवंबर 2024 तक 14.94 GW की नई क्षमता जोड़ी गई, जो FY23-24 में इसी अवधि के दौरान जोड़ी गई 7.54 GW से लगभग दोगुनी है।
• अकेले नवंबर 2024 में 2.3 GW की वृद्धि देखी गई, जो नवंबर 2023 में जोड़े गए 566.06 MW की तुलना में चार गुना वृद्धि है।

सोलर पावर ग्रोथ
• इंस्टॉल्ड कैपेसिटी 2023 के 72.31 GW से बढ़कर 2024 में 94.17 GW हो गई, जो 30.2% की वृद्धि को दर्शाता है।
• कुल सोलर कैपेसिटी (पाइपलाइन प्रोजेक्ट्स सहित) 52.7% बढ़कर 2024 में 261.15 GW हो गई, जो 2023 में 171.10 GW थी।

विंड पावर कंट्रीब्यूशंस
• इंस्टॉल्ड विंड एनर्जी कैपेसिटी 2023 के 44.56 GW से बढ़कर 2024 में 47.96 GW हो गई, जो 7.6% की वृद्धि दर्शाती है।
• कुल विंड कैपेसिटी (पाइपलाइन प्रोजेक्ट्स सहित) 17.4% बढ़कर 2024 में 74.44 GW हो गई, जो 2023 में 63.41 GW थी।

31.10.2024 तक देश में कुल 211.40 GW नॉन-फॉसिल पावर कैपेसिटी स्थापित की गई है, जिसमें 92.12 GW सोलर पावर, 47.72 GW विंड पावर, 11.33 GW बायो-पावर, 52.05 GW हाइड्रो पावर और 8.18 GW न्यूक्लियर पावर शामिल है।

रिन्यूएबल एनर्जी के लिए सरकार के प्रोग्रेसिव रिफॉर्म्स
रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में 100% FDI - सरकार ने ऑटोमैटिक रूट के तहत रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र में 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति दी है, जिससे विदेशी कंपनियों को अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स स्थापित करने में मदद मिलेगी और साथ ही रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद मिलेगी।

हाई एफिशिएंसी वाले सोलर पीवी मॉड्यूल्स पर नेशनल प्रोग्राम के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम - हाई एफिशिएंसी वाले सोलर पीवी मॉड्यूल्स में गीगा वाट (GW) पैमाने की मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी हासिल करने के लिए

ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर – इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम - आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने लद्दाख में 13 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट्स के पावर इवैकुएशन और ग्रिड इंटीग्रेशन तथा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख से देश के अन्य भागों में पावर डिस्पैच के लिए इंटर स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम के निर्माण को मंजूरी दी।

GOBARdhan - मवेशियों के गोबर, कृषि अवशेषों और बायोमास सहित बायोडिग्रेडेबल और ऑर्गेनिक वेस्ट को बायोगैस, सीबीजी और जैविक खाद जैसे हाई वैल्यू रिसोर्सेज में बदलने का मिशन, जो स्वाभाविक रूप से क्लीन बर्निंग फ्यूल बनाने में मदद करेगा।


ग्लोबल स्टेज पर बड़ा प्रभाव
इंटरनेशनल सोलर अलायंस - भारत को दो वर्ष के कार्यकाल के लिए पुनः इंटरनेशनल सोलर अलायंस (ISA) का प्रेजिडेंट चुना गया।

One Sun, One World, One Grid (OSWOG) - 140 देशों को सोलर एनर्जी उपलब्ध कराने की एक भारतीय पहल है।

Lifestyle for the Environment (LiFE) - LiFE मूवमेंट का लक्ष्य ऐसी लाइफस्टाइल जीना है जो हमारी धरती के अनुकूल हो और उसे नुकसान न पहुंचाए। और जो लोग ऐसी लाइफस्टाइल जीते हैं उन्हें "प्रो-प्लैनेट पीपल" कहा जाता है।

बायो फ्यूल अलायंस – बायोफ्यूल्स को तेजी से अपनाने और उपयोग में लाने के उद्देश्य से वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए, 9 सितंबर 2023 को नई दिल्ली में G20 समिट के दौरान 19 देशों और 12 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के समर्थन से ग्लोबल बायो फ्यूल अलायंस (GBA) की शुरुआत की गई।

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पीएम 15 नवंबर को सूरत में निर्माणाधीन बुलेट ट्रेन स्टेशन का दौरा करेंगे
November 14, 2025
प्रधानमंत्री मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर की प्रगति की समीक्षा करेंगे
बुलेट ट्रेन से मुंबई-अहमदाबाद के बीच की यात्रा का समय घटकर करीब दो घंटे का रह जाएगा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 15 नवंबर को गुजरात के दौरे पर रहेंगे। सुबह लगभग 10 बजे, प्रधानमंत्री सूरत में निर्माणाधीन बुलेट ट्रेन स्टेशन का दौरा करेंगे और मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर (एमएएचएसआर) की प्रगति की समीक्षा करेंगे। यह भारत की सबसे महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है और देश के हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के युग में प्रवेश का प्रतीक है।

मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल कोरिडोर लगभग 508 किलोमीटर लंबा है। इसमें 352 किलोमीटर हिस्सा गुजरात और दादरा एवं नगर हवेली में तथा 156 किलोमीटर हिस्सा महाराष्ट्र में आता है। यह कोरिडोर साबरमती, अहमदाबाद, आणंद, वडोदरा, भरूच, सूरत, बिलिमोरा, वापी, बोइसर, विरार, ठाणे और मुंबई जैसे प्रमुख शहरो को जोड़ेगा, जो भारत के परिवहन बुनियादी ढाँचे में एक परिवर्तनकारी कदम होगा।

अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप उन्नत इंजीनियरिंग तकनीकों से निर्मित इस परियोजना में 465 किमी मार्ग (मार्ग का लगभग 85 प्रतिशत) पुलों पर निर्मित है, जिससे न्यूनतम भूमि व्यवधान और बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित होती है। अभी तक 326 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और 25 में से 17 नदी पुलों का निर्माण पूरा किया जा चुका है।

परियोजना पूरी होने पर बुलेट ट्रेन से मुंबई से अहमदाबाद की यात्रा का समय घटकर करीब दो घंटे का रह जाएगा। इससे यात्रा और अधिक तेज, सहज और आरामदायक होगी जो एक क्रांतिकारी बदलाव होगा। इस परियोजना से पूरे कॉरिडोर पर व्यापार, पर्यटन और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलने और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

सूरत-बिलिमोरा खंड, जो लगभग 47 किलोमीटर लंबा है, निर्माण के अंतिम चरण में है, जहाँ सिविल कार्य और ट्रैक बिछाने का काम पूरा हो चुका है। सूरत स्टेशन का डिजाइन शहर के विश्व प्रसिद्ध हीरा उद्योग से प्रेरित है, जो इसकी भव्यता और दक्षता दोनों को दर्शाता है। स्टेशन को यात्री सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है, जिसमें विशाल प्रतीक्षालय, शौचालय और खुदरा दुकानें शामिल हैं। यह सूरत मेट्रो, सिटी बसों और भारतीय रेलवे नेटवर्क के साथ निर्बाध मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी भी प्रदान करेगा।